जेनेटिक इंजीनियरिंग: लाभ और खतरे
यह एडिटोरियल द हिंदुस्तान टाइम्स में प्रकाशित “The dangers of genetic engineering” लेख पर आधारित है। यह जेनेटिक इंजीनियरिंग से जुड़े लाभों और खतरों के बारे में विश्लेषण करता है।
संदर्भ
परमाणु और अंतरिक्ष उड़ान की खोज के साथ जेनेटिक इंजीनियरिंग हाल के इतिहास में सबसे बड़ी सफलताओं में से एक हो सकती है। हालाँकि इसके साथ कई नुकसान और जोखिम जुड़े हुए हैं। हालाँकि प्रकृति चिकित्सा (Nature Medicine) में एक शोध रिपोर्ट Sars-CoV-2 के जेनेटिक इंजीनियरिंग की संभावना का विरोध करती है, लेकिन जेनेटिक इंजीनियरिंग अगली महामारी का कारण हो सकती है। COVID-19 ने प्रदर्शित किया है कि परमाणु मिसाइलों के रूप में जैविक रोगजनकों को कैसे नष्ट किया जा सकता है। इसलिये जैव-आतंकवाद के लिये इस्तेमाल किये जा सकने वाले वायरस विकसित करने के लिये विश्व को जेनेटिक इंजीनियरिंग की संभावनाओं के प्रति सतर्क रहना चाहिये। हालाँकि जेनेटिक इंजीनियरिंग के माध्यम से तकनीकी उन्नति भी इसके विरुद्ध एक मज़बूत रक्षा कवच प्रदान कर सकती है। इसके अलावा जैव-विकास को विकसित करने के लिये विश्व स्तर पर प्रयास होने चाहिये।
जेनेटिक इंजीनियरिंग क्या है?
- जेनेटिक इंजीनियरिंग के माध्यम से वैज्ञानिक वांछनीय जीन को एक पौधे या जीव से दूसरे पौधे या किसी जीव या इसके विपरीत स्थानांतरित करने में सक्षम होते हैं।
- संक्षेप में जेनेटिक इंजीनियरिंग एक ऐसी तकनीक है जिसमें एक विशिष्ट जीन को चुना जा सकता है और प्राप्तकर्ता जीव में प्रत्यारोपित किया जा सकता है।
- जेनेटिक इंजीनियरिंग की प्रक्रिया में गुणसूत्र के एक क्षेत्र को शामिल करना है, जो शरीर की एक निश्चित विशेषता को नियंत्रित करता है। उदाहरण के लिये:
- एक एंटीवायरल प्रोटीन का उत्पादन करने के लिये इस जीन को पुन: संयोजित किया जा सकता है।
- एंज़ाइम एंडोन्यूक्लाइज़ का उपयोग DNA अनुक्रम को विभाजित करने के साथ-साथ जीन को गुणसूत्र के बाकी हिस्सों से विभाजित करने के लिये किया जाता है।.
- इस जीन को हटा दिया जाता है और इसे एक जीवाणु कोशिका (Bacterial Cell) में रखा जा सकता है जहाँ इसे लाइगेज़ का उपयोग करके DNA श्रृंखला में सील किया जा सकता है।
- जब गुणसूत्र को एक बार फिर से सील कर दिया जाता है तो इस नए एंटीवायरल प्रोटीन को दोहराने के लिये जीवाणु कोशिका को प्रभावी रूप से पुन: संयोजित किया जाता है।
जेनेटिक इंजीनियरिंग के लाभ
- आनुवांशिक रूप से संशोधित (GM) फसलें: जेनेटिक इंजीनियरिंग ने फसलों को वांछित गुणों के साथ फसलों को अधिक लाभदायक बनाया है।
- अधिक वांछनीय लक्षणों वाले पौधों (बीटी कॉटन) के उदाहरण हैं जैसे- सूखा प्रतिरोधी पौधे, रोग प्रतिरोधी फसलें, पौधे जो तेजी से बढ़ते हैं और अधिक पोषक तत्वों वाले पौधे।
- आनुवांशिक विकार और अन्य रोगों का उपचार: जेनेटिक इंजीनियरिंग के माध्यम से एक कार्यात्मक जीन के साथ दोषपूर्ण जीन को प्रतिस्थापित करके आनुवंशिक विकार भी तय किये जा सकते हैं।
- यह मलेरिया और डेंगू बुखार जैसी कुछ बीमारियों के प्रसार को रोकने में मदद करेगा।
- चिकित्सीय क्लोनिंग: यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत प्रत्यारोपण के लिये जैविक अंगों को प्राप्त करने के लिये भ्रूण की कोशिकाओं को क्लोन किया जाता है।
जेनेटिक इंजीनियरिंग की चुनौतियाँ
हालाँकि जेनेटिक इंजीनियरिंग कई मायनों में फायदेमंद है, लेकिन इसे अप्रिय या नुकसानदेह मानी जाने वाली कुछ घटनाओं में भी माना जा सकता है।
- अपरिवर्तनीय परिवर्तन: प्रकृति एक अत्यंत जटिल परस्पर संबंधित श्रंखला है। कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि आनुवांशिक रूप से संशोधित जीन का अज्ञात परिणामों के साथ अपरिवर्तनीय प्रभाव हो सकता है।
- GMO हानिकारक आनुवंशिक प्रभाव पैदा कर सकता है और जीन एक प्रजाति से दूसरे में स्थानांतरित हो सकता है जो आनुवंशिक रूप से इंजीनियर नहीं है।
- यह दिखाया गया है कि GMO फसल के पौधे लाभकारी जीन को जंगली आबादी के साथ पारित कर सकते हैं जो इस क्षेत्र में जैव विविधता को प्रभावित कर सकते हैं।
- GMO फसलों से संबंधित स्वास्थ्य मुद्दे: इसके अनजाने प्रभावों पर चिंताएँ हैं जैसे कि भोजन का निर्माण जो एलर्जी की प्रतिक्रिया का कारण बन सकता है।
- जैव नैतिकता: कई नैतिक मुद्दों पर जेनेटिक इंजीनियरिंग की सीमाओं पर उठाए गए प्रमुख प्रश्नों में से एक यह है कि क्या मनुष्य को प्रकृति के नियमों में हेरफेर करने का अधिकार है।
जेनेटिक इंजीनियरिंग के साथ जुड़े खतरे
यह दिखाया गया है कि GMO फसल के पौधे लाभकारी जीन को जंगली आबादी के साथ साझा कर सकते हैं जो इस क्षेत्र में जैव विविधता को प्रभावित कर सकते हैं।
- प्रौद्योगिकी का तेज़ी से विकास: क्रिस्पर (Clustered Regularly Interspaced Short Palindromic Repeats- CRISPR) जीन एडिटिंग का विकास कुछ वर्ष पहले हुआ था जो प्राकृतिक तंत्र को प्रभावित करता है और यह जीवाणु एक जीनोम से आनुवंशिक जानकारी के टुकड़ों को काटकर कर दूसरे से संबद्ध करता है।
- CRISPR एकमात्र आनुवंशिक तकनीक नहीं है जिसके बारे में हमें चिंता करने की आवश्यकता है। एक व्यापक क्षेत्र "सिंथेटिक बायोलॉजी" में जेनेटिक इंजीनियरिंग के लिये उपकरण व्यापक रूप से उपलब्ध हैं।
- जैव प्रौद्योगिकी का लोकतांत्रिकरण: चूंकि CRISPR सस्ता और उपयोग में आसान है, इसलिये विश्व भर में हज़ारों वैज्ञानिक CRISPR-आधारित जीन संपादन परियोजनाओं के साथ प्रयोग कर रहे हैं, जिनमें से बहुत कम शोध को नियमों द्वारा सीमित किया गया है।
- इसके अलावा खतरा न केवल सरकारों से है बल्कि गैर-राज्य अभिनेताओं, अनैतिक (Rogue) वैज्ञानिकों और जैव-हैकर्स के पास समान उपकरण तक पहुँच से है।
- साथ ही शोधकर्ताओं ने यह प्रदर्शित किया है कि वे चेचक जैसे घातक वायरस को फिर से बना सकते हैं जिसे मिटाने में मानवता को दशकों लग गए।
आगे की राह
जैसा कि इन प्रौद्योगिकियों के वैश्विक प्रसार को रोकने के लिये बहुत देर हो चुकी है। अब एकमात्र उपाय इन प्रौद्योगिकियों के अच्छे पक्ष में तेज़ी लाना और बचाव करना है। इस संदर्भ में:
- कृत्रिम बुद्धिमत्ता और बिग डेटा का उपयोग करना: कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence- AI) और जीनोमिक डेटा के साथ वैज्ञानिक DNA और जैविक प्रक्रियाओं के बीच के जटिल संबंधों को समझेंगे और बीमारियों का इलाज कर पाएंगे।
- 3D प्रिंटिंग की तैनाती: 3-डी प्रिंटिंग हमारे DNA के अनुरूप होम-मेडिसिन, टिश्यू और बैक्टीरिया को विकसित करने में मदद कर सकती है और हमें स्वस्थ रख सकती है।
- जीनोमिक डेटा का जमाव: मानव और अन्य प्रजातियों के जीनोमिक ब्लूप्रिंट विकसित करने की आवश्यकता है यह जानकारी COVID-19 जैसी महामारी से बचाव और टीके विकसित करने में काफी मदद कर सकती है।
निष्कर्ष
जीनोमिक्स, सिंथेटिक बायोलॉजी, सेंसर, 3 डी प्रिंटिंग और AI जैसी तकनीकों का विश्लेषण भारत द्वारा डेटा का विश्लेषण करने और उपचार विकसित करने के लिये किया जाना चाहिये। इसके माध्यम से भारत जेनेटिक इंजीनियरिंग में अनुसंधान और नवाचार में विश्व का नेतृत्व कर सकता है और एक ट्रिलियन डॉलर के चिकित्सा उद्योग की नींव रख सकता है।
मुख्य परीक्षा प्रश्न: जेनेटिक इंजीनियरिंग हाल के मानव विकास में सबसे बड़ी सफलताओं में से एक हो सकती है लेकिन इसके साथ कई जोखिम जुड़े हुए हैं। चर्चा करें।