भारतीय अर्थव्यवस्था
कुशल भारत का निर्माण
यह एडिटोरियल 22/04/2022 को ‘हिंदू बिजनेस लाइन’ में प्रकाशित “Skilling Efforts Need To Be Scaled Up” लेख पर आधारित है। इसमें भारत में कौशल विकास के लिये की गई पहलों और कौशल उन्नयन से संबद्ध चुनौतियों के बारे में चर्चा की गई है।
संदर्भ
प्रौद्योगिकीय कायापलट के साथ नए तरह के रोज़गार अवसरों का सृजन हुआ है जिनके लिये विभिन्न प्रकार के विशेष कौशलों की आवश्यकता होती है। इन हायर-एंड नौकरियों के लिये नेटवर्किंग, क्रिएटिविटी, प्रॉब्लम-सॉल्विंग जैसे अधिकाधिक ‘मानवीय’ कौशल की ज़रूरत पड़ती है।
- चूँकि भारत विश्व के सबसे युवा देशों में से एक है, जहाँ औसत आयु 29 वर्ष है (चीन के 37 वर्ष और जापान के 48 वर्ष की तुलना में), इसमें युवा आबादी के इस पूल को मानव पूंजी में बदलने की क्षमता है, बशर्ते उनकी शिक्षा एवं कौशल निर्माण पर लगातार ध्यान दिया जाए।
- लेकिन वस्तुस्थिति यह है कि जहाँ देश के कार्यबल में हर वर्ष 12 मिलियन लोग जुड़ते हैं, 4% से भी कम को कभी कोई औपचारिक प्रशिक्षण प्राप्त होता है। भारत की कार्यबल तैयारी (Workforce Readiness) का स्तर विश्व में निम्नतम में से एक है और विद्यमान प्रशिक्षण अवसंरचना का एक बड़ा भाग उद्योग की आवश्यकताओं के लिये अप्रासंगिक है।
भारत का मानव संसाधन परिदृश्य
- वर्ष 2021 में लगभग 135 करोड़ भारतीयों में से लगभग 34% (46.42 करोड़) 19 वर्ष से कम आयु के थे और लगभग 56% (75.16 करोड़) 20 से 59 वर्ष के बीच के थे।
- वर्ष 2041 तक यह जनसांख्यिकी बदल जाएगी लेकिन 20-59 आयु वर्ग की अपनी 59% (88.97 करोड़) आबादी के साथ भारत फिर भी विश्व में मानव संसाधनों का सबसे बड़ा पूल रख सकता है।
- अगले दो दशकों में औद्योगीकृत विश्व में श्रम शक्ति में 4% की गिरावट की उम्मीद है, जबकि भारत में इसमें लगभग 20% की वृद्धि होगी।
- भारत प्रतिभा और कौशल का आपूर्तिकर्त्ता बन सकता है यदि सभी आयु समूहों में इसका कार्यबल रोज़गार योग्य कौशल से लैस हो और जो तेज़ी से बदलते तकनीकी पारितंत्र के साथ तालमेल बिठा सकता हो।
भारत के मानव संसाधन के कौशल निर्माण की स्थिति:
- राष्ट्रीय कौशल विकास एवं उद्यमिता नीति (National Policy on Skill Development and Entrepreneurship) पर वर्ष 2015 की रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया था कि भारत में कुल कार्यबल के केवल 4.7% ने औपचारिक कौशल प्रशिक्षण प्राप्त किया था, जबकि अमेरिका में यह 52%, जापान में 80% और दक्षिण कोरिया में 96% था।
- राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (National Skill Development Corporation- NSDC) द्वारा वर्ष 2010-2014 की अवधि के लिये किये गए एक कौशल अंतराल अध्ययन से पता चला कि वर्ष 2022 तक 24 प्रमुख क्षेत्रों में 10.97 करोड़ कुशल जनशक्ति की अतिरिक्त निवल वृद्धिशील आवश्यकता होगी।
- इसके अलावा, 29.82 करोड़ कृषि और गैर-कृषि क्षेत्र के कामगारों की स्किलिंग, री-स्किलिंग और अप-स्किलिंग की आवश्यकता होगी।
कौशल विकास के लिये की गई प्रमुख पहलें
- प्रशिक्षण संस्थानों की स्थापना: समय के साथ प्रशिक्षण और कौशल के लिये एक पर्याप्त वृहत संस्थागत प्रणाली का विकास हुआ है। इसमें 15,154 औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान/ ITIs (11,892 निजी संस्थानों सहित), 36 क्षेत्र कौशल परिषद, 33 राष्ट्रीय कौशल प्रशिक्षण संस्थान और NSDC के साथ पंजीकृत 2,188 प्रशिक्षण भागीदार शामिल हैं।
- प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना: सरकार की फ्लैगशिप ‘प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना’ वर्ष 2015 में ITIs के माध्यम से और अप्रेंटिसशिप योजना (Apprenticeship Scheme) के तहत अल्पकालिक प्रशिक्षण व कौशल प्रदान करने के लिये शुरू की गई थी।
- वर्ष 2015 से अब तक सरकार इस योजना के तहत 10 मिलियन से अधिक युवाओं को प्रशिक्षित कर चुकी है।
- ‘संकल्प’ और ‘स्ट्राइव’: संकल्प कार्यक्रम (SANKALP programme)—जो ज़िला-स्तरीय स्किलिंग पारितंत्र पर केंद्रित है और ‘स्ट्राइव योजना’ (STRIVE project)—जिसका उद्देश्य ITIs के प्रदर्शन में सुधार करना है, अन्य महत्त्वपूर्ण कौशल निर्माण हस्तक्षेप हैं।
- विभिन्न मंत्रालयों की पहल: 20 केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों द्वारा लगभग 40 कौशल विकास कार्यक्रम कार्यान्वित किये जा रहे हैं। कुल कौशल निर्माण में ‘कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय’ का योगदान लगभग 55% है।
- इन सभी मंत्रालयों की पहल के परिणामस्वरूप वर्ष 2015 से लगभग चार करोड़ लोगों को विभिन्न औपचारिक कौशल कार्यक्रमों के माध्यम से प्रशिक्षित किया गया है।
- कौशल निर्माण में अनिवार्य CSR व्यय: कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत अनिवार्य CSR व्यय के कार्यान्वयन के बाद से भारत में निगमों ने विविध सामाजिक परियोजनाओं में 100,000 करोड़ रुपए से अधिक का निवेश किया है।
- इनमें से लगभग 6,877 करोड़ रुपये कौशल निर्माण और आजीविका उन्नयन परियोजनाओं पर खर्च किये गए हैं। इस क्रम में महाराष्ट्र, तमिलनाडु, ओडिशा, कर्नाटक और गुजरात शीर्ष पाँच प्राप्तकर्ता राज्य रहे।
- स्किलिंग के लिये ‘तेजस’ पहल: हाल ही में स्किल इंडिया इंटरनेशनल प्रोजेक्ट ‘तेजस’ (TEJAS- Training for Emirates Jobs And Skills) को विदेशी भारतीयों को प्रशिक्षित करने के लिये दुबई एक्सपो, 2020 में लॉन्च किया गया था।
- यह परियोजना भारतीयों के कौशल निर्माण, प्रमाणन और विदेश में नियोजन पर केंद्रित है तथा भारतीय कार्यबल को यूएई में कौशल और बाज़ार आवश्यकताओं के अनुरूप सक्षम बनाने के लिये प्रयासरत है।
कौशल विकास के संबंध में विद्यमान चुनौतियाँ:
- बुनियादी शिक्षा की कमी: वर्ष 2020 के एक NSO सर्वेक्षण से उजागर हुआ है कि स्कूल या कॉलेज में नामांकित प्रत्येक आठ छात्रों में से एक शिक्षा पूरी करने से पहले ही पढ़ाई छोड़ देता है। इनमें से 63% स्कूल स्तर पर ही पढ़ाई छोड़ देते हैं।
- अधिकतम ‘ड्रॉपआउट’ उच्च प्राथमिक (17.5%) और माध्यमिक विद्यालय (19.8%) वर्षों में देखने को मिले हैं। 40% से भी कम छात्रों ने उच्चतर माध्यमिक और/या उच्च शिक्षा ग्रहण की।
- बुनियादी स्तर की शिक्षा के अभाव में उच्च स्तर की नौकरियों के लिये युवा आबादी का कौशल उन्नयन करना कठिन होगा।
- अप-स्किलिंग/री-स्किलिंग पर फोकस की कमी: विविध स्किलिंग पहलों में वृद्धि के साथ भारत ने कार्यबल की कौशल निर्माण आवश्यकताओं को काफी हद तक संबोधित कर दिया है।
- हालाँकि, वृहत कामकाजी आबादी की अप-स्किलिंग और री-स्किलिंग आवश्यकताएँ अभी तक प्रायः पूरी नहीं हो सकी हैं।
- PLFS डेटा 2019-20 के अनुसार, 15-59 आयु वर्ग के 86.1% लोगों को कोई व्यावसायिक प्रशिक्षण प्राप्त नहीं हुआ था; शेष 13.9% ने विविध औपचारिक और अनौपचारिक चैनलों के माध्यम से प्रशिक्षण प्राप्त किया था।
- अपर्याप्त प्रशिक्षण सुविधाएँ: NSSO द्वारा किये गए एक सर्वेक्षण के अनुसार भारत में लॉजिस्टिक्स, स्वास्थ्य सेवा, निर्माण, आतिथ्य और ऑटोमोबाइल जैसे 20 उच्च-विकास उद्योगों में प्रशिक्षण सुविधाओं की कमी है।
- भारत में प्रशिक्षण के लिये लगभग 5,500 सार्वजनिक (ITIs के रूप में) और निजी (ITC के रूप में) संस्थान हैं, जबकि चीन में ऐसे संस्थानों की संख्या 500,000 तक है।
- कोविड-19 महामारी: कोविड-19 महामारी लघु और दीर्घकालिक दोनों तरह के प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों में व्यवधान के लिये ज़िम्मेदार रही, जिससे लाखों छात्रों को नुकसान हुआ है।
- कोविड की पहली लहर में 30,000 से अधिक ITIs और राष्ट्रीय कौशल प्रशिक्षण संस्थानों ने अस्थायी रूप से प्रशिक्षण केंद्रों को बंद कर दिया, जिससे देश भर में 50 लाख उम्मीदवारों के लिये अवसरों का नुकसान हुआ।
भारतीय कार्यबल की अप-स्किलिंग के लिये क्या किया जा सकता है?
- ड्रॉपआउट की प्रवृत्ति को बदलना: NSDC द्वारा आकलित कौशल आवश्यकताओं के साथ स्कूल/कॉलेज ड्रॉपआउट छोड़ने की प्रवृत्तियों को संयुक्त कर देखें तो स्पष्ट है कि हमारी सकारात्मक जनसांख्यिकी का लाभ उठाने के लिये उल्लेखनीय प्रयास करने होंगे।
- ग्रामीण या शहरी परिवेश पर विचार किये बिना पब्लिक स्कूल प्रणाली को यह सुनिश्चित करना चाहिये कि प्रत्येक बच्चा हाई स्कूल तक की शिक्षा पूरी करे और उसे बाज़ार की मांग के अनुरूप उपयुक्त कौशल, प्रशिक्षण और व्यावसायिक शिक्षा की ओर आगे बढ़ाया जाए।
- मैसिव ओपन ऑनलाइन कोर्स (MOOCS) के साथ वर्चुअल क्लासरूम को स्थापित करने हेतु नई प्रौद्योगिकी की तैनाती से उच्च शिक्षित कार्यबल प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
- लक्ष्यों में अप-स्किलिंग को शामिल करना: इस बात के पर्याप्त प्रमाण मौजूद हैं कि पहले से नियोजित कार्यबल की अप-स्किलिंग से अर्थव्यवस्था में अधिक उत्पादकता, श्रमिकों के लिये उच्च आय और फर्मों के लिये उच्च लाभप्रदता की स्थिति प्राप्त हो सकती है।
- इसी प्रकार प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना PPP प्रारूप में अप-स्किलिंग पहलों को प्राथमिकता दे सकती है। यूके, जर्मनी और ऑस्ट्रेलिया जैसे कई देशों में उनके कौशल प्रयासों में औद्योगिक क्षेत्र के अभिकर्ताओं की सक्रिय भागीदारी होती है।
- अपने मौजूदा कार्यबल के कौशल की गुणवत्ता को बढ़ाकर ही भारत अपने आकांक्षी विकास लक्ष्यों को पूरा करने में सक्षम हो सकेगा।
- कॉर्पोरेट क्षेत्र को शामिल करना: कौशल विकास में निवेश कॉर्पोरेट भारत के साथ-साथ समग्र रूप से राष्ट्र के लिये एक लाभप्रद स्थिति होगी। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2021 में NASSCOM की एक रिपोर्ट ने पुष्टि की कि कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रमों में निवेश करने से परिव्यय पर 600% से अधिक का रिटर्न प्राप्त हुआ।
- भारतीय निगम उद्योग-विशिष्ट कौशल प्रदान करने के लिये उद्योग-स्तरीय सहयोग पर विचार कर सकते हैं।
- बड़े उद्योग बड़े शहरों से लेकर छोटे ज़िलों और गाँवों तक अपने कार्यकरण का विस्तार कर सकते हैं। यह आत्मनिर्भर भारत अभियान की सफलता के लिये एक बड़ा कदम साबित होगा।
अभ्यास प्रश्न: ‘‘भविष्य के कार्यबल के रूप में भारत के युवाओं की स्किलिंग, अप-स्किलिंग और री-स्किलिंग सरकार के 'आत्मनिर्भर भारत' के दृष्टिकोण की सफलता में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।’’ चर्चा कीजिये।