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एडिटोरियल

  • 23 Jan, 2019
  • 11 min read
भारतीय अर्थव्यवस्था

दावोस में भारत (वैश्विक CEO सर्वे रिपोर्ट, ऑक्सफैम रिपोर्ट और एडलमैन ट्रस्ट बैरोमीटर रिपोर्ट)

संदर्भ


वैश्विक सलाहकार कंपनी प्राइसवॉटरहाउस कूपर्स (Pricewaterhouse Coopers-PwC) की वैश्विक CEO सर्वे रिपोर्ट के अनुसार 2018 की तुलना में 2019 में वैश्विक आर्थिक वृद्धि की रफ्तार धीमी रहेगी। लेकिन इसी रिपोर्ट में भारत के लिये अच्छी खबर भी है...यूनाइटेड किंगडम को पीछे छोड़ते हुए भारत 2019 में दुनिया की पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है।

क्या खास है रिपोर्ट में?

  • 2012 के बाद सबसे धीमी वृद्धि 2019 में होगी। अर्थव्यवस्था के लगभग सभी क्षेत्रों में यह धीमी वृद्धि देखने को मिलेगी, लेकिन उत्तरी अमेरिका और पश्चिमी यूरोप में यह अधिक देखने को मिल सकती है।
  • सर्वे में 29 फीसदी CEOs ने इस बात पर सहमति जताई थी और इनमें से बड़ी संख्या इन्हीं क्षेत्रों के CEOs की थी। वर्ष 2018 में 48 फीसदी CEOs ने मंदी के आसार जताए थे।
  • सर्वे में 42 फीसदी CEOs ने यह माना कि 2019 में वृद्धि में सुधार हो सकता है, लेकिन यह 2018 के 57 फीसदी की तुलना में काफी कम होगा।
  • वर्ल्ड बैंक के आँकड़ों के मुताबिक वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) ने 2011 से ही 4 फीसदी के बैरियर को पार नहीं किया है।
  • 2008-09 की आर्थिक मंदी के बाद से ही मध्यम अवधि (तीन वर्ष) में वृद्धि का भरोसा स्तर (Trust Level) सबसे निचले स्तर पर चला गया है।
  • वैश्विक स्तर पर केवल 36 फीसदी CEOs ही अगले तीन सालों में अच्छी वृद्धि की संभावनाओं को लेकर ज्यादा आश्वस्त हैं, जबकि 2009 में यह आँकड़ा 34 फीसदी था।

प्राइसवॉटरहाउस कूपर्स ने 90 से अधिक देशों में सितंबर-अक्तूबर 2018 के दौरान विश्वभर में 1378 CEOs का सालाना सर्वे किया। इस सर्वे रिपोर्ट को दावोस में विश्व आर्थिक मंच में भी पेश किया गया।

रिपोर्ट में भारत सबसे भरोसेमंद देशों में शामिल


इसका असर भारत पर भी पड़ सकता है क्योंकि भारत में निवेश पर बेहतर रिटर्न मिलने की उम्मीद करने वाले CEOs की तादाद कम है, जबकि 2019 में कहाँ निवेश किया जाए इसको लेकर अनिश्चितता की स्थिति में रहने वाले CEOs की तादाद ज़्यादा है। लेकिन फिर भी भारत को सबसे भरोसेमंद देशों की सूची में रखा गया है। करीब 8 फीसदी CEOs का मानना है कि भारत उनकी वृद्धि के लिये अहम है, जबकि 15 फीसदी CEOs यह नहीं जानते कि कहाँ निवेश किया जाए। सर्वे रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बेहतर निवेश बाज़ार के तौर पर भारत अब जापान और ब्रिटेन से आगे निकल गया है। ज़्यादातर निवेश बाजारों की सूची में भारत एक उभरता हुआ आकर्षक निवेश स्थल है।

एशिया प्रशांत क्षेत्र Vs उत्तरी अमेरिका

  • एशिया प्रशांत क्षेत्र में जहाँ भारत, चीन और जापान जैसे देश हैं वहां वृद्धि की राह में 'व्यापार युद्ध', 'कौशल की उपलब्धता' और 'संरक्षणवाद' तीन सबसे बड़ा खतरे बताए गए हैं।
  • उत्तरी अमेरिका के करीब 31 फीसदी CEOs का मानना है कि शिक्षा और रोज़गार के बीच सीधी कड़ी तैयार करना अहम है, जबकि एशिया-प्रशांत क्षेत्र में केवल 11 फीसदी CEOs ही ऐसा सोचते हैं।
  • उत्तरी अमेरिका में 31 फीसदी CEOs कौशल विकास और दोबारा प्रशिक्षण देने को अहमियत देते हैं, जबकि एशिया-प्रशांत क्षेत्र के 50 फीसदी CEOs इसके पक्ष में हैं।
  • वर्ष 2018 में नीतिगत अनिश्चितता को कोई गंभीर खतरा नहीं बताया गया, लेकिन 35 फीसदी CEOs का मानना है कि इससे 2019 में वृद्धि बुरी तरह प्रभावित होगी।
  • 2019 के लिये हुए सर्वे में पहली बार 'व्यापार युद्ध' के असर के बारे में भी पूछा गया था और 31 फीसदी वैश्विक CEOs का कहना था कि इससे आने वाले साल में वृद्धि दर कम होगी।
  • चीन की वृद्धि के लिये अमेरिकी बाज़ार की अहमियत 2019 में कम होगी क्योंकि चीन के 21 फीसदी CEOs का मानना है कि ऑस्ट्रेलिया 2019 में उनकी वृद्धि के लिये अहम होगा, जबकि 17 फीसदी CEOs का मानना है कि अमेरिका उनके लिये अहम होगा।
  • वर्ष 2017-18 में 58 फीसदी CEOs ने चीन की वृद्धि में योगदान देने वाले देशों में अमेरिका को शीर्ष स्थान दिया था।

विश्व अर्थव्यवस्था में पाँचवें स्थान पर आ सकता है भारत


इसी रिपोर्ट में संभावना जताई गई है कि 2019 में भारत विश्व अर्थव्यस्था में पाँचवां स्थान प्राप्त कर सकता है। फिलहाल अभी भारत की रैंकिंग छठी है। रिपोर्ट में बताया गया है लगभग समान विकास दर और जनसंख्या के कारण ब्रिटेन और फ्राँस दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की सूची में आगे-पीछे होते रहते हैं। लेकिन यदि भारत इस सूची में आगे निकलता है तो उसका स्थान स्थायी रहेगा। प्राइसवॉटरहाउस कूपर्स की वैश्विक अर्थव्यवस्था निगरानी (ग्लोबल इकोनॉमी वॉच) रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि इस वर्ष ब्रिटेन की वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) विकास दर 1.6 फीसदी, फ्राँस की 1.7 फीसदी तथा भारत की 7.6 फीसदी रहेगी।

भारत के बारे में क्या कहती है ऑक्सफैम रिपोर्ट?


CEOs की उपरोक्त वैश्विक रिपोर्ट के साथ ऑक्सफैम ने भी अपनी रिपोर्ट जारी की। आपको बता दें कि 1942 में स्थापित ऑक्सफैम 20 स्वतंत्र चैरिटेबल संगठनों का एक संघ है। यह वैश्विक स्तर पर गरीबी उन्मूलन के लिये काम करता है और ऑक्सफेम इंटरनेशनल इसकी अगुवाई करता है। वर्तमान में विनी ब्यानिमा इस गैर-लाभकारी समूह की कार्यकारी निदेशक हैं।

  • भारतीय अरबपतियों की संपत्ति में 2018 में प्रतिदिन 2,200 करोड़ रुपए का इज़ाफा हुआ है।
  • इस दौरान देश के शीर्ष एक फीसदी अमीरों की संपत्ति में 39 फीसदी की वृद्धि हुई।
  • 50 फीसदी गरीब आबादी की संपत्ति में केवल तीन फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
  • देश के शीर्ष 9 अमीरों की संपत्ति 50 फीसदी गरीब आबादी की संपत्ति के बराबर है।
  • भारत में रहने वाले 13.6 करोड़ लोग वर्ष 2004 से कर्ज़दार बने हुए हैं। यह देश की सबसे गरीब 10 फीसदी आबादी है।
  • भारत की शीर्ष 10 फीसदी आबादी के पास देश की कुल संपत्ति का 77.4 फीसदी हिस्सा है और इनमें से सिर्फ एक फीसदी आबादी के पास देश की कुल संपत्ति का 51.53 फीसदी हिस्सा है।
  • करीब 60 फीसदी आबादी के पास देश की सिर्फ 4.8 फीसदी संपत्ति है।
  • रिपोर्ट में कहा गया है कि 2018 से 2022 के बीच भारत में रोज़ 70 नए करोड़पति बनेंगे।
  • पिछले साल देश में 18 नए अरबपति बने और अरबपतियों की संख्या बढ़कर 119 हो गई। इनकी संपत्ति 2017 में 325.5 अरब डॉलर से बढ़कर 2018 में 440.1 अरब डॉलर हो गई है। 

10 अरब डॉलर के काम का महिलाओं को नहीं मिलता कोई पैसा


दुनियाभर में घर और बच्चों की देखभाल करते हुए महिलाएं सालभर में कुल 10 हज़ार अरब डॉलर के बराबर ऐसा काम करती हैं जिसका उन्हें कोई भुगतान नहीं किया जाता। यह दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी ऐपल के सालाना कारोबार का 43 गुना है।

भारत में महिलाएँ घर और बच्चों की देखभाल जैसे बिना वेतन वाले जो काम करती है, उसका मूल्य देश के सकल घरेलू उत्पाद के 3.1 फीसदी के बराबर है। इस तरह के कामों में शहरी महिलाएँ प्रतिदिन 312 मिनट और ग्रामीण महिलाएँ 291 मिनट लगाती हैं। इसकी तुलना में शहरी क्षेत्र के पुरुष बिना भुगतान वाले कामों में सिर्फ 29 मिनट ही लगाते हैं, जबकि ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले पुरुष 32 मिनट खर्च करते हैं।

एडलमैन ट्रस्ट बैरोमीटर-2019 रिपोर्ट: भारत विश्वसनीय देशों में शामिल


उपरोक्त दोनों रिपोर्ट्स के अलावा एडलमैन ट्रस्ट बैरोमीटर-2019 रिपोर्ट भी दावोस में विश्व आर्थिक मंच का सालाना सम्मेलन शुरू होने से पहले जारी की गई। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत कारोबार, सरकार, NGOs और मीडिया के मामले में दुनिया के सबसे विश्वसनीय देशों में शामिल है, लेकिन देश के कारोबारी ब्रांडों की विश्वसनीयता इनमें सबसे कम है। इसमें वैश्विक विश्वसनीयता सूचकांक 3 अंक के हल्के सुधार के साथ 52 अंक पर पहुँच गया है। इस रिपोर्ट में चीन जागरूक जनता और सामान्य आबादी के भरोसा सूचकांक में क्रमश: 79 और 88 अंकों के साथ शीर्ष पर है। भारत इन दोनों श्रेणियों में दूसरे और तीसरे स्थान पर रहा। यह रिपोर्ट NGOs, कारोबार, सरकार और मीडिया में भरोसे के औसत पर आधारित है।


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