एडिटोरियल (17 Jan, 2022)



क्वांटम प्रौद्योगिकी और भारत

यह एडिटोरियल 14/01/2022 को ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ में प्रकाशित “A Four-Point Action Plan For Quantum Technologies” लेख पर आधारित है। इसमें उन कदमों की चर्चा की गई है जिन्हें क्वांटम प्रौद्योगिकी अपनाने की दिशा में आगे बढ़ने के लिये भारत उठा सकता है।

संदर्भ 

हाल के वर्षों में वैश्विक क्वांटम उद्योग ने अविश्वसनीय प्रगति की है और सरकारों एवं निजी क्षेत्र दोनों ही द्वारा इसमें भारी निवेश किया गया है।  अमेरिका, फ्राँस, जर्मनी, चीन एवं रूस जैसे देश पिछले एक दशक से क्वांटम प्रौद्योगिकी में संसाधनों एवं मानव पूंजी का निवेश कर रहे हैं, लेकिन भारत अब तक पीछे ही रहा है और इस अंतराल को दूर करने तथा इस क्षेत्र में प्रमुखता हासिल करने के लिये उसे विशेष प्रयास और श्रम करना होगा। 

यद्यपि क्वांटम प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत ने अधिक प्रगति नहीं की है, इस प्रकार बिना विलंब किये इस दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ने की ज़रूरत है। प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उन्नत देशों से बराबरी कर सकने की भारत की इच्छा ‘राष्ट्रीय क्वांटम प्रौद्योगिकी एवं अनुप्रयोग मिशन’ (National Mission for Quantum Technologies and Applications- NM-QTA) की घोषणा के रूप में प्रकट हुई है। 

क्वांटम प्रौद्योगिकी

  • परिचय: क्वांटम प्रौद्योगिकी क्वांटम यांत्रिकी (Quantum mechanics) के सिद्धांतों पर आधारित है जिसे 20वीं शताब्दी के आरंभ में परमाणुओं एवं मूल तत्वों के स्तर पर प्रकृति के वर्णन के लिये विकसित किया गया था।    
    • इस क्रांतिकारी प्रौद्योगिकी के पहले चरण ने भौतिक जगत की समझ की नींव प्रदान की और लेज़र (lasers) और सेमीकंडक्टर ट्रांजिस्टर जैसे सर्वगत आविष्कारों को जन्म दिया।    
    • दूसरी क्रांति वर्तमान में जारी है जो क्वांटम यांत्रिकी के गुणों को कंप्यूटिंग के क्षेत्र में प्रवेश कराने का लक्ष्य रखती है।
  • भारत और चीन के बीच एक तुलना:
    • चीन में अनुसंधान एवं विकास: चीन ने क्वांटम प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अपना अनुसंधान एवं विकास (R&D) कार्य वर्ष 2008 में शुरू किया था। 
      • वर्ष 2022 में परिदृश्य यह है की चीन विश्व का पहला क्वांटम उपग्रह विकसित करने, बीजिंग एवं शंघाई के बीच एक क्वांटम संचार लाइन का निर्माण करने और विश्व के दो सबसे तेज़ क्वांटम कंप्यूटरों का स्वामी होने का दावा रखता है।     
      • यह एक दशक लंबे चले अनुसंधान का परिणाम है जिसे महत्त्वपूर्ण उपलब्धियाँ प्राप्त करने की इच्छा और आशा के साथ बल प्रदान किया गया था।
    • भारत की स्थिति: दूसरी ओर क्वांटम प्रौद्योगिकी भारत में ऐसा क्षेत्र रहा है जो दीर्घकालिक अनुसंधान एवं विकास पर अत्यधिक केंद्रित है। 
      • वर्तमान में अनुसंधानकर्त्ताओं, औद्योगिकी पेशेवरों, शिक्षाविदों और उद्यमियों की एक सीमित संख्या ही इस क्षेत्र में सक्रिय है और अनुसंधान एवं विकास पर निरंतर ध्यान केंद्रित नहीं किया गया है।
  • क्वांटम प्रौद्योगिकी और निजी क्षेत्र: गूगल, माइक्रोसॉफ्ट और IBM जैसे बड़े प्रौद्योगिकी निगमों के पास क्वांटम कंप्यूटिंग और इसके अनुप्रयोगों के लिये समर्पित कार्यक्रम हैं।    
    • इसी तरह, QNu Labs, BosonQ और Qulabs.ai जैसी कई भारतीय स्टार्टअप कंपनियाँ भी क्रिप्टोग्राफी, कंप्यूटिंग तथा साइबर सुरक्षा के लिये क्वांटम-आधारित एप्लिकेशन विकसित करने की दिशा में उल्लेखनीय काम कर रही हैं।    
  • भारत की अन्य संबंधित पहलें:
    • वर्ष 2018 में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने ‘क्वांटम-सक्षम विज्ञान और प्रौद्योगिकी’ (Quantum-Enabled Science & Technology- QuEST) नामक एक कार्यक्रम का अनावरण किया और अनुसंधान में तेज़ी लाने के लिये अगले तीन वर्षों में 80 करोड़ रुपए के निवेश की प्रतिबद्धता जताई।    
    • वर्ष 2020 के बजट संभाषण में भारत की वित्त मंत्री ने देश में क्वांटम उद्योग को सशक्त बनाने के लिये पाँच वर्षों में 8000 करोड़ रुपए के कुल परिव्यय के साथ राष्ट्रीय क्वांटम प्रौद्योगिकी एवं अनुप्रयोग मिशन (NM-QTA) की घोषणा की।  
    • अक्तूबर 2021 में सरकार ने सी-डॉट (C-DOT) के क्वांटम कम्युनिकेशन लैब का भी उद्घाटन किया और स्वदेशी रूप से विकसित ‘क्वांटम की डिस्ट्रीब्यूशन’ (Quantum Key Distribution- QKD) समाधान का अनावरण किया।  

संबद्ध चुनौतियाँ

  • विधायी प्रक्रियाओं में धीमी प्रगति: NM-QTA की घोषणा वर्ष 2020 के बजट संभाषण में की गई थी, लेकिन मिशन को अभी तक अनुमोदन प्राप्त नहीं हुआ है, न ही वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान NM-QTA के तहत किसी धन का आवंटन, वितरण या उपयोग सुनिश्चित  किया गया।   
  • NM-QTA में निजी क्षेत्र की सीमित भागीदारी: केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री के अनुसार NM-QTA के लिये अभी तक किसी भी निजी क्षेत्र के भागीदार की पहचान नहीं की गई है और राष्ट्रीय मिशन हेतु परामर्श के लिये सरकार के बाहर के किसी भी अभिकर्त्ता को संलग्न नहीं किया गया है।   
    • सरकार को निजी कंपनियों द्वारा प्राप्त की गई उपलब्धियों को चिह्नित करना चाहिये।
  • सुरक्षा संबंधी मुद्दे: क्वांटम कंप्यूटिंग का संचार और कंप्यूटर को सुरक्षित करने वाले क्रिप्टोग्राफिक एन्क्रिप्शन पर एक विघटनकारी प्रभाव पड़ सकता है।  
    • यह सरकार के लिये एक चुनौती भी उत्पन्न कर सकता है क्योंकि यदि यह प्रौद्योगिकी गलत हाथों में चली जाती है तो सरकार के सभी आधिकारिक एवं गोपनीय डेटा के ‘हैक’ होने और दुरुपयोग किये जाने का खतरा उत्पन्न होगा।  
  • प्रौद्योगिकी संबंधी मुद्दे: क्वांटम सुपरपोजिशन के गुणों का अत्यधिक नियंत्रित तरीके से दोहन कर सकने में भी चुनौती निहित है। ‘क्यूबिट्स’ अत्यंत संवेदनशील होते हैं और यदि ठीक से नियंत्रित नहीं किये जाएँ तो अपना ‘क्वांटमनेस’ खो देते हैं।        
    • इसके साथ ही उनका उपयोग कर सकने के लिये सामग्री, डिज़ाइन और इंजीनियरिंग के सावधानीपूर्वक चयन की आवश्यकता होती है।  
    • इसके अतिरिक्त, सैद्धांतिक स्तर पर क्वांटम कंप्यूटरों के लिये एल्गोरिदम और एप्लीकेशन के सृजन की चुनौती मौजूद है।

आगे की राह

  • बेहतर नीतिनिर्माण और विनियमन: अगले 10-15 वर्षों के लिये एक व्यापक रणनीति विकसित करने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिये। इस रणनीति को यह सुनिश्चित करना होगा कि संसाधनों का गलत आवंटन न हो और जो प्रयास किये जाएँ वे उन प्रमुख क्षेत्रों में केंद्रित हों जो आर्थिक एवं रणनीतिक दोनों लाभ प्रदान करें।   
    • इसके अतिरिक्त, क्वांटम प्रौद्योगिकी के विकास में योगदान कर सकने वाले लोगों/समूहों/संस्थाओं पर उपयुक्त ध्यान देना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिये।   
    • क्वांटम कंप्यूटिंग को व्यापक रूप से उपलब्ध कराने से पहले इसके लिये एक विनियामक ढाँचे का विकास कर लेना भी विवेकपूर्ण होगा जहाँ राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इसके वैध उपयोग की सीमाओं को सुपरिभाषित रखा जाए।    
  • उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना: अकादमिक संस्थानों के साथ-साथ सरकारी अनुसंधान संस्थानों में क्वांटम विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर समर्पित ‘उत्कृष्टता केंद्र’ की स्थापना पर प्राथमिक ध्यान दिया जाना चाहिये।  
    • भारत सरकार के अधिकांश परिव्यय को क्वांटम R&D में विशेषज्ञता रखने वाले ऐसे संस्थानों को दिया जाना चाहिये। यह दो तरह से लाभांश का भुगतान कर सकता है:  
      • यह महत्त्वपूर्ण बौद्धिक संपदा (IP) अवसंरचना के निर्माण में मदद करेगा जिसका उपयोग देश के लाभ के लिये किया जा सकता है।  
      • अनुसंधान एवं शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करने से प्रतिभा पूल में भी सुधार होगा और यह घरेलू क्वांटम प्रौद्योगिकी कार्यबल को सबल करेगा।  
  • केंद्र-राज्य समन्वय: राज्य सरकारें निकट भविष्य में ‘सेमीकंडक्टर फैब्स’ (Semiconductor Fabs) स्थापित करने में अभिन्न भूमिका निभा सकती हैं; क्वांटम प्रौद्योगिकी इन घरेलू विनिर्माण सुविधाओं और इकाइयों से अत्यधिक लाभान्वित हो सकती है।   
    • केंद्र और राज्यों द्वारा ‘क्वांटम इनोवेशन हब’ की संयुक्त स्थापना से कुशलतापूर्वक प्रत्यक्ष निवेश पाने और देश में सुसंबद्ध क्वांटम अनुसंधान नेटवर्क का निर्माण करने में मदद मिल सकती है।    
    • केंद्र और राज्य सरकारों को स्थानीय प्रतिभाओं को शामिल करते हुए नवाचार को बढ़ावा देने और अंतर्राष्ट्रीय फर्मों को आकर्षित करने के लिये एक अनुकूल वित्तीय तथा कानूनी वातावरण का निर्माण करना चाहिये।   
  • निजी क्षेत्र की भागीदारी: क्वांटम प्रौद्योगिकी और अनुप्रयोगों को विकसित करने में संलग्न स्टार्टअप्स तथा बिग टेक निगमों की शक्ति का उपयोग किया जाना चाहिये। 
    • जबकि अकादमिक संस्थान मुख्यतः अनुसंधान पक्ष से संलग्न हैं, क्वांटम टेक कॉर्पोरेशन और स्टार्टअप इस अनुसंधान का ऐसे अनुप्रयोगों या उत्पादों में रूपांतरण और व्यावसायीकरण करने के लिये महत्त्वपूर्ण हैं जो उपयोग किये जा सकते हैं।  
    • अकादमिक संस्थानों और उद्योग के परस्पर संपर्क को सरकार द्वारा सुगम किया जाना चाहिये ताकि अनुसंधान को वास्तविक आवश्यकताओं के अनुप्रयोगों में रूपांतरित किया जा सके।  
  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: क्वांटम मूल्य शृंखला अत्यधिक जटिल बनी हुई है और भारत के लिये एक सफल क्वांटम पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण के लिये आत्मनिर्भर बने रहना कठिन होगा।   
    • क्वांटम प्रौद्योगिकी संबंधी परियोजनाओं पर संयुक्त प्रयास के लिये अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, UK एवं अन्य देशों के साथ क्वांटम प्रौद्योगिकी समझौते भारत के लिये आधार का कार्य कर सकते हैं। 
    • भारत क्वाड (Quad) और ब्रिक्स (BRICS) जैसे प्रमुख समूहों में अपने सहयोगियों के साथ भी संलग्नता बढ़ा सकता है।     

निष्कर्ष

भारत सरकार ने देश में एक राष्ट्रीय मिशन आरंभ करने की अपनी योजना के माध्यम से क्वांटम प्रौद्योगिकियों के महत्त्व को स्वीकार करते हुए पहला कदम आगे बढ़ा दिया है। हालाँकि, अनुसंधान एवं विकास के क्षेत्र में और निजी क्षेत्र एवं अकादमिक क्षेत्र से सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने के लिये अभी बहुत कुछ किये जाने की आवश्यकता है, जिसके लिये द्विपक्षीय एवं बहुपक्षीय भागीदारी का लाभ उठाया जा सकता है।

अभ्यास प्रश्न: क्वांटम प्रौद्योगिकी को अपनाने और देश के भीतर इसके अनुप्रयोगों हेतु एक उपयुक्त पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित करने के लिये भारत कौन-से कदम उठा सकता है। चर्चा कीजिये।