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  • 17 Jan, 2019
  • 11 min read
शासन व्यवस्था

ग्लोबल हाउसिंग टेक्नोलॉजी चैलेंज-इंडिया: 2022 तक सभी को आवास

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संदर्भ


हाल ही में केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने दिल्ली में वैश्विक आवास तकनीक चुनौती यानी ग्लोबल हाउसिंग टेक्नोलॉजी चैलेंज-इंडिया (Global Housing Technology Challenge-इंडिया) की शुरुआत की। इसके तहत सरकार विश्व की सर्वश्रेष्ठ तकनीकी से रिकार्ड समय में घर बनाएगी। ग्लोबल हाउसिंग टेक्नोलॉजी चैलेंज में सरकार तीन माह में घर बनाने की दिशा में काम कर रही है। इससे समय के साथ निर्माण में आने वाली लागत में कमी आएगी । इसके लिये बरसों इंतज़ार नहीं करना होगा। इससे आवास की कमी से जुड़े मुद्दों को दूर करने में मदद मिलेगी। इसके तहत बनाए जाने वाले घर पर्यावरण के साथ ही आपदा प्रबंधन के दृष्टि से भी बेहतर होंगे।

  • ग्लोबल हाउसिंग टेक्नोलॉजी चैलेंज-इंडिया की संकल्‍पना देश में निर्माण क्षेत्र में आवश्‍यक महत्त्वपूर्ण बदलाव लाने के लिये की गई है।
  • यह तकनीकी अवधारणा में बदलाव के साथ आवास निर्माण करने के तरीके में भी परिवर्तन लाएगा।
  • भवन निर्माण उद्योग में शामिल सभी हितधारक, प्रौद्योगिकी प्रदाता, डेवलपर्स इस चैलेंज में हिस्सा लेंगे।

चैलेंज के तीन संघटक

  1. ग्रैंड एक्‍स्पो-कम-कॉन्‍फ्रेंस का संचालन/आयोजन करना
  2. दुनियाभर की प्रमाणित प्रदर्शनीय प्रौद्योगिकियों की पहचान करना
  3. चुनिंदा IIT में इन्क्यूबेशन सेंटर्स की स्थापना कर संभावित प्रौद्योगिकियों को प्रोत्‍साहन देना

क्या है ग्लोबल हाउसिंग टेक्नोलॉजी चैलेंज-इंडिया?

  • नई आपदाओं से उबरने में सक्षम, पर्यावरण के अनुकूल, किफायती एवं त्‍वरित निर्माण प्रौद्योगिकियों की तलाश करना इसका प्रमुख उद्देश्य है।
  • इसमें संसाधनों और पर्यावरण के अनुकूल पद्धतियों का सर्वोत्तम इस्तेमाल करने पर भी ज़ोर दिया गया है।
  • न्यूनतम समय और लागत से बड़े पैमाने पर आवास निर्माण की चुनौतियों से निपटने के लिये प्रौद्योगिकी हस्तांतरण में परिवर्तन का खाका खींचा गया है।
  • चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया के माध्‍यम से वैश्विक स्‍तर पर उपलब्‍ध नवोन्‍मेषी निर्माण प्रौद्योगिकियां प्राप्‍त करना भी इसके उद्देश्यों में शामिल है।
  • यह निरंतर कम लागत और अच्‍छी गुणवत्‍ता वाले निर्माण सहित अल्‍पावधि में रहने को तैयार आवास उपलब्‍ध कराने की दिशा में प्रयास करेगा।
  • इसके तहत देश में अनुसंधान एवं विकास हेतु उपयुक्‍त वातावरण तैयार करने के लिये भावी प्रौद्योगिकियों को भी बढ़ावा दिया जाएगा।

SDG को मद्देनज़र रखकर किया जाएगा तकनीक तथा प्रौद्योगिकी हस्तांतरण


यह हस्‍तांतरण संयुक्‍त राष्‍ट्र द्वारा निर्धारित सतत विकास लक्ष्‍यों (SDG) को प्राप्‍त करने, नए शहरी एजेंडे और पेरिस जलवायु समझौते को लागू करने की दिशा में योगदान देगा। वैकल्पिक, नवोन्‍मेषी और फास्‍ट ट्रैक प्रौद्योगिकियों का लक्ष्‍य इस प्रकार है:

  • प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण
  • निर्माण में तेजी लाना
  • औद्योगिक तथा निर्माण संबंधी अपशिष्‍ट का उपयोग
  • वायु और ध्‍वनि प्रदूषण में कमी
  • जल का सर्वोत्‍तम इस्‍तेमाल
  • बढ़ती श्रम उत्‍पादकता
  • लागत में कटौती
  • सुरक्षित और आपदा से उबरने में सक्षम मकान
  • सभी प्रकार के मौसम के अनुकूल

इस तरह का प्रौद्योगिकी हस्‍तांतरण देश को विश्‍व की उन्‍नत अर्थव्यवस्थाओं तथा निर्माण क्षेत्र में उनके सटीक मानदंडों के बराबर लेन में सहायता करेगा।

प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी

  • केंद्रीय आवास और शहरी मामलों का मंत्रालय 2022 तक सभी पात्र लाभार्थियों को हर तरह के मौसम के लिये अनुकूल ‘पक्‍के मकान’ उपलब्‍ध कराने के लिये प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी मिशन का कार्यान्‍वयन कर रहा है।
  • मूल रूप से यह योजना निम्न आर्थिक वर्ग और कम आय वर्ग के लोगों को आवास प्रदान करने के लिये बनाई गई थी। एक वर्ष बाद इसका दायरा बढ़ाकर मध्यम आय वर्ग को भी इसमें शामिल कर लिया गया।
  • वर्ष 2022 तक लगभग एक करोड़ मकानों का निर्माण करने के लक्ष्य की तुलना में अब तक लगभग 70 लाख मकानों को मंज़ूरी दी गई है, जिनमें से लगभग 37 लाख मकान बनाए जा चुके हैं।
  • लगभग 15 लाख मकानों का निर्माण कार्य पूरा करके उन्हें लाभार्थियों को आवंटित कर दिया गया है। 
  • यह योजना सभी 29 राज्यों और 7 केंद्रशासित प्रदेशों के सभी 4041 शहरों और कस्बों में कार्यान्वित की जा रही है।

कौन उठा सकता है लाभ?


निम्न आर्थिक वर्ग के लिये सालाना घरेलू आमदनी 3 लाख रुपए और कम आय वर्ग के लिये सालाना आमदनी 3 लाख से 6 लाख के बीच होनी चाहिये। इनके अलावा साल में 6 से 12 लाख रुपए और 12 से 18 लाख रुपए तक की आमदनी वाले लोग भी इस योजना का लाभ उठा सकते हैं। लेकिन यदि आपके, पति/पत्नी या बच्चे के नाम से देश में कहीं भी कोई पक्का मकान है तो इस योजना का लाभ नहीं मिल सकता।

सरकार देती है सब्सिडी


क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी इस योजना के प्रमुख पहलूओं में से एक है, जिसका उद्देश्य कम आय वर्ग, निम्न आर्थिक वर्ग और मध्यम आय वर्ग के लोगों को अपना आवास लेने में सहायता करना है। इस योजना के तहत 6 लाख रुपए सालाना आय वर्ग के लोगों को 6 लाख रुपए तक का होम लोन मिल सकता है। सरकार इस लोन की ब्याज दर पर साढ़े 6 फीसदी की सब्सिडी देती है। 12 लाख रुपए सालाना आय वाले लोगों को 9 लाख रुपए तक लोन मिल सकता है। सरकार इस लोन के ब्याज दर पर 4 फीसदी की सब्सिडी देती है। 12 से 18 लाख सालाना आय वर्ग के लोगों के लिये 12 लाख रुपए तक का लोन मिल सकता है। सरकार इस लोन की ब्याज दरों में 3 फीसदी की छूट देती है। 

बढ़ती आबादी है आवास समस्या का एक बड़ा कारण

  • 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत की जनसंख्या 121 करोड आँकी गई है। 2001 से 2011 के बीच देश में 18.1 करोड नई आबादी जुड़ गई।
  • दुनिया की कुल आबादी में भारत की हिस्सेदारी 17.5 प्रतिशत है, जबकि दुनिया की कुल ज़मीन का मात्र 2.4 प्रतिशत हिस्सा भारत के पास है।
  • सरकारी आँकड़ों के अनुसार, देश में लगभग ढाई करोड़ मकानों की कमी है। शहरों में मकानों की कमी के कारण मलिन (Slum) बस्तियाँ लगातार तेज़ी से बढ़ती जा रही हैं। दुनिया की सबसे अधिक मलिन बस्तियाँ भारत में हैं।
  • 2009 में देश के 400 छोटे बड़े शहरों में रहने वाले 30 करोड़ लोगों में से 6 करोड़ से अधिक लोग लगभग 52 हज़ार मलिन बस्तियों में रहते हैं।
  • राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन (NSSO) के अनुसार देश की अधिकांश रिहायशी इकाइयों में बुनियादी सुविधाओं की कमी है।

योजनाबद्ध समन्वित प्रयासों की ज़रूरत


देश में शहरीकरण में स्पष्ट रूप से उल्लेखनीय वृद्धि हुई है तथा 2031 तक अधिकांश जनता गाँवों के स्थान पर शहरों और कस्बों में रहने लगेगी। अतः इनकी समस्याओं से निपटने के लिये पेयजल तथा सफाई, आवागमन की सुविधाओं और बाजार
तक पहुँच तथा उत्तम शैक्षिक व स्वास्थ्य जैसी बहुत सी सुविधाओं/सेवाओं के लिये संयुक्त व्यवस्था और प्रयासों की ज़रूरत है। इसके लिये शहरों को अपने आस-पास के देहाती इलाकों के लिये केंद्र के रूप में काम करना होगा। लेकिन यह भी तय है कि जब तक मात्रा गुणवत्ता में नहीं बदलती, तब तक जिस जनसांख्यकीय लाभांश (Demographic Dividend) का हम पूर्वानुमान करते रहे हैं, वह अनुमान ही बना रहेगा।

बढ़ती जनसंख्या देश की आवास समस्या को भी बढ़ा रही है। आवास की कमी के कारण देश के करोड़ों लोग इस मूलभूत सुविधा से वंचित हैं। रोटी और कपड़ा तो उन्हें आसानी से मुहैया हो जाता है, लेकिन अपनी छत उनके लिये जीवनभर एक सपना बनकर रह जाता है। ऐसे में माना यह जा रहा है कि ग्लोबल हाउसिंग टेक्नोलॉजी चैलेंज-इंडिया से भवन निर्माण क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव आएगा और यह आवास की कमी से जुड़े मुद्दों को समयबद्ध तरीके से दूर करने के लिये रणनीतियाँ बनाने में सहायक होगा।


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