नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

एडिटोरियल

  • 16 Aug, 2019
  • 8 min read
भारतीय अर्थव्यवस्था

आर्थिक गतिशीलता एवं असमानता

‘लाइव मिंट’ में प्रकाशित आलेख ‘India's economic mobility and its impact on inequality’ का भावानुवाद।
यह लेख सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-3 के भारतीय अर्थव्यवस्था खंड से जुड़ा है। इसमें भारत में स्थित आर्थिक असमानता तथा इसके कारक के रूप आर्थिक गतिशीलता की चर्चा की गई है।

संदर्भ

  • भारत में वर्ष 1991 की उदारीकरण के पश्चात् आर्थिक असमानता में तीव्र गति से वृद्धि हुई है। बढ़ती आर्थिक असमानता आर्थिक गतिशीलता के गैर समावेशी स्वरुप पर प्रश्न चिन्ह लगाती है।
  • ऑक्सफेम की संपत्ति पर वार्षिक रिपोर्ट 2019 के अनुसार, भारत के टॉप 1 प्रतिशत लोग 39 प्रतिशत अधिक अमीर हुए हैं जबकि इसी अवधि में देश के बॉटम पर स्थित आधी आबादी की संपत्ति में मात्र 3 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
  • ग्लोबल वेल्थ रिपोर्ट (GWR) 2018 के अनुसार भारत के टॉप 10 प्रतिशत अमीर लोग देश की 77.4 प्रतिशत संपत्ति को धारण करते हैं। जिसमें एक प्रतिशत सबसे अमीर लोग देश की 51.5 प्रतिशत संपत्ति के मालिक हैं। वहीं देश के बॉटम पर स्थित 60 प्रतिशत लोग सिर्फ 4.7 प्रतिशत संपत्ति के धारक हैं। 
  • GWR रिपोर्ट 2017 के अनुसार, वर्ष 2002 से 2012 के बीच देश के बॉटम पर स्थित 50 प्रतिशत लोगों की संपत्ति 8.1 प्रतिशत से घटकर मात्र 4.2 प्रतिशत हो गई। जबकि इसी अवधि में देश के एक प्रतिशत सबसे अमीर लोगों की संपत्ति बढ़कर 15.7 प्रतिशत से 25.7 प्रतिशत हो गई। GWR के आँकड़ों के अनुसार सिर्फ इंडोनेशिया एवं अमेरिका के टॉप एक प्रतिशत लोगों की संपत्ति भारत के अनुपात से अधिक है।

क्या होती है आर्थिक गतिशीलता?

  • आर्थिक गतिशीलता एक निश्चित अवधि में लोगों की आर्थिक स्थिति में आने वाले बदलाव को प्रदर्शित करती है। किसी व्यक्ति अथवा परिवार के जीवनकाल अथवा उसकी पीढ़ियों के बीच आय तथा सामाजिक प्रस्थिति में आने वाले सुधार को आर्थिक गतिशीलता के रूप में व्यक्त करते हैं।
  • यह गतिशीलता पीढ़ियों के बीच या अंतरपीढ़ीगत अथवा व्यक्ति के जीवनकाल में हो सकती है। गतिशीलता निरपेक्ष अथवा सापेक्ष भी हो सकती है। 
  • विश्व बैंक, डार्टमौथ विश्वविद्यालय तथा MIT संस्थान के अर्थशास्त्रियों के द्वारा किये गए एक अध्ययन से यह बात सामने आई है कि भारत के लोगों की अंतरपीढ़ीगत गतिशीलता 1991 में हुए उदारीकरण के पश्चात् स्थिर ही रही है।

असमानता पर आर्थिक गतिशीलता का प्रभाव

  • आर्थिक असमानता के कारण उत्पन्न आर्थिक असमानता दीर्घकाल में लोगों के कल्याण को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है।
  • आर्थिक गतिशीलता असमानता के नकारात्मक प्रभावों को कम करने की क्षमता रखती है।
  • यदि अन्य कारकों को अगर तटस्थ मान लिया जाए तो ऐसी अर्थव्यवस्था जहाँ अधिक आर्थिक गतिशीलता है, कम गतिशीलता वाली अर्थव्यवस्था के सापेक्ष में अधिक आय एवं उपभोग की समानता के परिणाम उत्पन्न करती है।

भारत में आर्थिक गतिशीलता में बाधक 

  • गरीबी: अध्ययनों में यह तथ्य सामने आया है कि भारत में गतिशीलता की दर कम होने का एक प्रमुख कारण भारत में बड़ी संख्या में गरीब आबादी का होना है।
  • संपत्ति एवं आय में असमानता: विभिन्न आय स्तरों के मध्य बढ़ती असमानता ने भारत में आर्थिक गतिशीलता की गति को धीमा किया है।
  • ग्रामीण आबादी: भारत की लगभग 70 प्रतिशत आबादी आर्थिक क्षेत्र के बेहद सीमित अवसरों के साथ ग्रामीण क्षेत्र में निवास करती है। यह स्थिति बड़ी जनसंख्या के लिये आर्थिक गतिशीलता के अवसर को कम करती है।
  • शिक्षा का न्यून स्तर: किसी समुदाय अथवा व्यक्ति के लिये उर्ध्वगामी गतिशीलता का सबसे अच्छा माध्यम शिक्षा को माना जाता है। अशिक्षा का उच्च स्तर तथा गुणवत्तापरक शिक्षा का न्यून स्तर भारत में उर्ध्वगामी गतिशीलता के लिये सबसे बड़ी रुकावट है।
  • सामाजिक करक-जाति एवं धर्म: भारत में पिछड़ी जातियों (SC/ST/OBC) के लिये अवसर की पहुँच सीमित होती है, इससे इन जातियों की आर्थिक गतिशीलता भी कम होती है। इसी प्रकार अल्पसंख्यक समुदाय (विशेषकर मुस्लिम) के प्रति दुराग्रह तथा अवसरों की सीमितता के कारण सबसे कम आर्थिक गतिशीलता देखने को मिलती है।

निष्कर्ष 

भारत में ऐसे परिवार जो आर्थिक रूप से समाज के सबसे निचले पायदान पर होते हैं, आर्थिक असमानता के बढ़ने तथा आर्थिक गतिशीलता के स्थिर बने रहने से गरीबी के दुश्चक्र में उलझ जाते हैं। इस परिप्रेक्ष्य में भारत में असमानता गंभीर परिणामों के उद्भव का कारण बनती है। भारत के संदर्भ में आर्थिक गतिशीलता के अध्ययन ने उस पारंपरिक विचार को चुनौती दी है, जिसके अनुसार भारत में हाशिये पर स्थित लोगों की स्थिति में सुधार आ रहा है, इसके साथ ही भारत में उन कार्यक्रमों और योजनाओं की प्रभावकारिता पर भी प्रश्न चिन्ह लगाया है जो हाशिये पर स्थित लोगों की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिये क्रियान्वित किये जा रहे हैं। विभिन्न अस्थायी उपायों के स्थान पर सरकार को गरीब परिवारों की आर्थिक स्थिति को स्थायी रूप से सुधारने का प्रयास करना चाहिये। इसके लिये सरकार क्षमता निर्माण और संपत्ति के पुनर्वितरण जैसे उपायों को अपना सकती है। भारत में समावेशी विकास को बल देकर जाति, धर्म, लिंग तथा ग्रामीण-शहरी के मध्य विद्यमान अंतर को कम किया जा सकता है। इससे भारत में तीव्र आर्थिक गतिशीलता को प्राप्त करने में सहायता मिलेगी जिससे आय असमानताओं को भी कम किया जा सकेगा।

प्रश्न: आर्थिक गतिशीलता आर्थिक असमानता को कम करती है। विवेचना कीजिये।


close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow