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  • 16 Jan, 2021
  • 11 min read
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

बर्ड फ्लू संकट

इस Editorial में The Hindu, The Indian Express, Business Line आदि में प्रकाशित लेखों का विश्लेषण किया गया है। इस लेख में बर्ड फ्लू की पुनरावृत्ति और इसके प्रभावों के साथ-साथ इससे संबंधित विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई है। आवश्यकतानुसार, यथास्थान टीम दृष्टि के इनपुट भी शामिल किये गए हैं।

संदर्भ: 

भारत द्वारा स्वयं को बर्ड फ्लू या एवियन इन्फ्लूएंज़ा (Avian Influenza) के प्रकोप से मुक्त होने के घोषणा के तीन माह बाद ही वर्ष 2021 की शुरुआत एक अभूतपूर्व बर्ड फ्लू की महामारी से हुई है। बर्ड फ्लू की इस हालिया घटना के कारण देश के 10 राज्यों में हज़ारों जंगली और पाॅल्ट्री पक्षियों की मौत हो गई है। 

एवियन इन्फ्लूएंज़ा जिसे आमतौर पर बर्ड फ्लू के नाम से भी जाना जाता है, पक्षियों की एक किस्म को प्रभावित करने वाला अत्यधिक संक्रामक विषाणु जनित रोग है। H5N1 इस वायरस का सबसे आम स्ट्रेन (Strain) है जो पक्षियों में गंभीर श्वसन रोग का कारण बनता है। हालाँकि इसके अन्य स्ट्रेन जैसे कि H7N1, H8N1, या H5N8 भी बर्ड फ्लू का कारण बनते हैं।  बर्ड फ़्लू की घटनाओं की पुनरावृत्ति के कारण पक्षियों की मृत्यु दर में वृद्धि होती है जिसके कारण तेज़ी से विकसित हो रहे मुर्गी पालन उद्योग को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। इसके अलावा वायरस के उत्परिवर्तन और मनुष्यों में इसके संक्रमण का जोखिम भी बना रहता है। COVID-19 महामारी के कारण उत्पन्न अव्यवास्था को देखते हुए यह बहुत ही महत्तवपूर्ण हो गया है कि किसी भी विषाणु जनित रोग के प्रकोप को पर्याप्त निवारक और उपचारात्मक प्रयासों के माध्यम से शीघ्र ही नियंत्रित किया जाए। 

बर्ड फ्लू की पुनरावृत्ति का कारण: 

  • स्रोत: जंगली पक्षियों को बर्ड फ्लू के वायरस का प्राकृतिक भंडार माना जाता है और प्रवासी पक्षियों के आगमन के मौसम में ऐसे प्रकोप के मामले का सामने आना बहुत ही सामान्य है।
  • वायरस का प्रवास : ऐसा अनुमान है कि इस वायरस को सुदूर उत्तरी गोलार्द्ध के देशों जैसे- मंगोलिया और कज़ाख्स्तान के प्रवासी पक्षी भारत लाए हैं। 
    • बर्ड फ्लू संक्रमण पक्षियों के मल, उनके द्वारा दूषित जल निकायों के माध्यम से फैलता है।   
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, विश्व में बर्ड फ्लू की आधे से अधिक घटनाएँ मध्य एशियाई फ्लाईवे (CAF) में देखने को मिलती हैं, जो लगभग पूरे भारतीय उपमहाद्वीप को कवर करती हैं।
  • मानव निर्मित कारण: इसके अतिरिक्त WHO का मानना ​​है कि खराब सफाई और स्वच्छता परिस्थितियों में पाॅल्ट्री फार्मिंग की निरंतर वृद्धि वायरस के अस्तित्व को बनाए रखने में सहायता करती है, ग़ौरतलब है कि ऐसे अधिकांश पाॅल्ट्री फार्म्स में एक ही क्षेत्र में कई अतिसंवेदनशील प्रजातियों को रहना पड़ता है।

बर्ड फ्लू से संबंधित खतरे:  

  •  मनुष्यों के लिये खतरा: H5N1 वायरल स्ट्रेन का पक्षियों से मनुष्यों में फैलने का इतिहास रहा है, परंतु मनुष्यों में बर्ड फ्लू के संक्रमण के मामले बहुत ही असामान्य हैं। 
    • हालाँकि WHO के अनुसार, मनुष्यों में बर्ड फ्लू के मामले "यदा-कदा" ही देखे जाते हैं, परंतु इन मामलों में मृत्यु दर लगभग 60% होती है।  
    • साथ ही इसमें आगे कहा गया है, ऐसी भी संभावनाएँ हैं कि H5N1 उत्परिवर्तित होकर  मनुष्यों के बीच एक महामारी का खतरा पैदा कर सकता है।
  • आर्थिक प्रभाव:  बर्ड फ्लू के प्रकोप को रोकने का सबसे बेहतर उपाय एक नियंत्रण रणनीति है, जो मुख्य रूप से रोगग्रस्त पक्षियों को कलिंग [शिकार या वध (विशेष रूप से कमज़ोर या बीमार जानवरों का) द्वारा जानवरों के समूह को छोटा करने  की प्रक्रिया] के माध्यम से हटाने पर केंद्रित है। इस तरह के सामूहिक विनाश से किसानों पर गंभीर प्रभाव पड़ता है।  
    • केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के अनुसार, भारत का पाॅल्ट्री उद्योग व्यापार लगभग 80,000 करोड़ रुपए का है। इसके 80% हिस्से का प्रतिनिधित्व संगठित क्षेत्र द्वारा किया जाता है और शेष भाग असंगठित क्षेत्रों के बीच वितरित है, जिसमें बैकयार्ड मुर्गी पालन (Backyard Poultry-Keeping) भी शामिल हैं जो आय तथा पोषण सुरक्षा के लिये बहुत महत्त्वपूर्ण है।
    • इसके अतिरिक्त भारत प्रतिवर्ष सैकड़ों करोड़ रुपए का एग पाउडर, जर्दी पाउडर, चिकन उत्पाद और दवा सामग्री जैसे प्रसंस्कृत पाॅल्ट्री उत्पादों का निर्यात करता है।

आगे की राह: 

  • निवारक उपाय: इन्फ्लूएंज़ा वायरस को पूरी तरह खत्म करना मुश्किल कार्य है क्योंकि ये जलीय पक्षियों के विशाल समूह में बने रहते हैं। हालाँकि यदि 29 CAF देशों के बीच सूचनाओं का शीघ्र आदान-प्रदान हो तो बर्ड फ्लू के प्रसार को नियंत्रित किया जा सकता है।
    • इस संदर्भ में संयुक्त राष्ट्र और WHO को प्रवासी पक्षियों में ऐसे रोगों की निगरानी के लिये CAF क्षेत्र के देशों के साथ मिलकर काम करना चाहिये।
  • पक्षियों और अन्य जानवरों के बीच बीमारी के किसी भी संकेत को पकड़ने के लिये केंद्र सरकार द्वारा  ‘पशुओं में संक्रामक एवं संसर्गजन्‍य रोगों के नियंत्रण तथा रोकथाम अधिनियम, 2009’ के तहत पशु चिकित्सा कर्मचारियों के माध्यम से समय-समय पर निरीक्षण का कार्य किया जाता है।
  • उपचारात्मक उपाय: भारत सरकार ने राज्य सरकारों को ‘एवियन इन्फ्लूएंज़ा की रोकथाम और नियंत्रण के लिये राष्ट्रीय कार्य योजना 2021’ का अनुसरण करने का निर्देश देकर सही कदम उठाया है। 
    • यह योजना मुर्गी फार्मों के आस-पास एक जैव सुरक्षा बबल (Biosafety Bubble) बनाने की आवश्यकता पर ज़ोर देती है, ताकि पालतू पक्षियों को जंगली पक्षियों के निकट संपर्क में आने की संभावना को कम किया जा सके।
    • इसके अलावा जहाँ बर्ड फ्लू से निपटने के लिये पक्षियों की कलिंग की जाती है, वहाँ प्रभावित किसानों को राष्ट्रीय कार्य योजना के तहत निर्धारित दरों पर मुआवज़ा देने का प्रावधान किया गया है।
    • हालाँकि किसानों की शिकायत है कि यह मुआवज़ा/क्षतिपूर्ति उन लाभों को कवर नहीं करता है जो लाभ वे नियमित व्यवसाय से कमा सकते थे।
    • COVID-19 महामारी के बीच आई आर्थिक मंदी को देखते हुए सरकार को किसानों की मदद के लिये आवश्यक कदम उठाने चाहिये।
  • शोध को बढ़ावा: विशेषज्ञों के अनुसार, बर्ड फ्लू को रोकना बहुत कठिन कार्य है क्योंकि CAF से संबंधित प्रवासी पक्षियों की वायरस ले जाने की क्षमता पर बहुत कम शोध किया गया है।
    • ऐसे में वायरस के क्रमगत विकास की निगरानी के लिये वायरस के नमूनों का जीनोम अनुक्रमण करना भी महत्त्वपूर्ण है।
  • किसानों द्वारा उठाए जाने वाले कदम:  इनमें ऐसे उपाय शामिल हैं जो सभी किसानों के लिये  प्रासंगिक हैं, इसमें प्रदूषण को कम करने के लिये पालतू पक्षियों के आवास क्षेत्रों में लोगों की आवाजाही को कम करना, सफाई और कीटाणुरहित करने पर विशेष ध्यान देना आदि शमिल हैं।

निष्कर्ष:   

COVID-19 महामारी ने विश्व के समक्ष इस तथ्य को उजागर किया है कि किस प्रकार एक सूक्ष्मजीव पूरी दुनिया की गतिविधियों को रोक सकता है। अतः इस विषाणुजनित संक्रमण के प्रसार को गंभीरता से लेते हुए इसके नियंत्रण के प्रयासों के साथ एक स्थायी जीवन शैली (Sustainable Ways of Living) को अपनाया जाना बहुत ही आवश्यक है।

CAF

अभ्यास प्रश्न: बर्ड फ्लू की घटनाओं की पुनरावृत्ति पाॅल्ट्री उद्योग के लिये एक उच्च जैव सुरक्षा जोखिम के साथ आर्थिक क्षति का खतरा उत्पन्न करती है। चर्चा कीजिये।


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