प्रवासी भारतीय: बढ़ती भूमिका
इस Editorial में The Hindu, The Indian Express, Business Line आदि में प्रकाशित लेखों का विश्लेषण किया गया है। इस लेख में प्रवासी भारतीय और वैश्विक रूप से उनकी बढ़ती भूमिका पर चर्चा की गई है। आवश्यकतानुसार, यथास्थान टीम दृष्टि के इनपुट भी शामिल किये गए हैं।
संदर्भ
संयुक्त राष्ट्र के जनसंख्या विभाग की ओर से ज़ारी ‘अंतर्राष्ट्रीय प्रवासी स्टाॅक-2019 (The International Migrant Stock-2019)’ रिपोर्ट में यह बताया गया है कि वर्ष 2019 में दुनिया भर में भारतीय प्रवासियों की संख्या 1.75 करोड़ है। प्रवासियों की संख्या के मामले में भारत, मैक्सिको और चीन क्रमशः पहले, दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं। पिछले 10 वर्षों में भारतीय प्रवासियों की संख्या में लगभग 23% की वृद्धि हुई है। प्रवासियों की कुल संख्या वर्तमान आबादी का 3.5% है। नौकरी, उद्योग, व्यापार और दूसरे अन्य कारणों से अपना देश छोड़कर दूसरे देशों में रहने वालों में भारतीयों की आबादी दुनिया में सबसे अधिक है।
दुनिया की बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों में मुख्य कार्यकारी अधिकारी से लेकर अनेक देशों के कानून और अर्थव्यवस्था में निर्णय लेने वाली संस्थाओं का प्रमुख हिस्सा बनने में भारतीय कामयाब रहे हैं। इस आलेख में हम यह समझने का प्रयास करेंगे कि प्रवासी भारतीय किस तरीके से एक नई ताकत के तौर पर अंतर्राष्ट्रीय पटल पर उभरे हैं और अलग-अलग देशों में भारत के रिश्तों को लेकर उनकी भूमिका कितनी महत्त्वपूर्ण है साथ ही यह भी जानेंगे कि पिछले एक दशक में भारत ने किस प्रकार उनका समर्थन हासिल किया है और उसके क्या परिणाम रहे हैं।
पृष्ठभूमि
- देश के विकास में प्रवासी भारतीयों के योगदान के महत्त्व को मान्यता देने और देश से जुड़ने हेतु मंच प्रदान करने के लिये भारत सरकार प्रतिवर्ष 9 जनवरी को प्रवासी भारतीय दिवस का आयोजन करती है। वर्ष 1915 में 9 जनवरी को ही महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका से स्वदेश वापस आए थे।
- भारत सरकार ने प्रवासी भारतीय दिवस मनाने की शुरुआत वर्ष 2003 में लक्ष्मीमल सिंघवी समिति की सिफारिश पर की थी।
- वर्तमान केंद्र सरकार ने प्रवासी भारतीयों को जोड़ने के लिये महत्त्वपूर्ण कार्य किये हैं। सरकार का कोई भी प्रतिनिधि यदि किसी विदेश दौरे पर जाता है तो वह उस देश में रह रहे प्रवासी भारतीयों के बीच अवश्य जाते हैं। इससे प्रवासी भारतीयों के मन में अपनेपन की भावना जन्म लेती है और वे भारत की ओर आकर्षित होते हैं।
- भारतीय ‘ब्रेन-ड्रेन’ को ‘ब्रेन-गेन’ में बदलने के लिये भारत सरकार विदेश में बेहतर आर्थिक अवसरों की तलाश में जाने वाले कामगारों के लिये 'अधिकतम सुविधा' और ‘न्यूनतम असुविधा‘ सुनिश्चित करना चाहती है।
भारतीय प्रवासी दिवस मनाने का उद्देश्य
- प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन आयोजित करने का प्रमुख उद्देश्य प्रवासी भारतीय समुदाय की उपलब्धियों को मंच प्रदान कर उनको दुनिया के सामने लाना है।
- प्रवासी भारतीयों की भारत के प्रति सोच, भावना की अभिव्यक्ति, देशवासियों के साथ सकारात्मक बातचीत के लिये एक मंच उपलब्ध कराना।
- विश्व के सभी देशों में अप्रवासी भारतीयों का नेटवर्क बनाना।
- युवा पीढ़ी को प्रवासियों से जोड़ना तथा विदेशों में रह रहे भारतीय श्रमजीवियों की कठिनाइयाँ जानना तथा उन्हें दूर करने के प्रयास करना।
प्रवासी भारतीयों की वैश्विक स्थिति
- खाड़ी देशों में लगभग 8.5 मिलियन भारतीय रहते हैं, जो दुनिया में प्रवासियों का सबसे बड़ा संकेंद्रण है।
- अरब प्रायद्वीप की भौगोलिक और ऐतिहासिक निकटता इसे भारतीयों के लिये एक सुविधाजनक स्थान बनाती है।
- संयुक्त राज्य अमेरिका में लगभग 4 मिलियन भारतीय रहते हैं। यहाँ मैक्सिको के बाद भारतीयों का दूसरा सबसे अधिक संकेंद्रण है।
- संयुक्त राज्य अमेरिका में वर्ष 2020 के अंत में होने वाले राष्ट्रपति पद के चुनाव में प्रवासी भारतीयों की एक बड़ी भूमिका रहेगी।
- इसके अतिरिक्त कनाडा, यूनाइटेड किंगडम, मलेशिया, माॅरीशस, श्रीलंका, सिंगापुर, नेपाल सहित अन्य देशों में प्रवासी भारतीयों की बड़ी आबादी रहती है।
प्रवासी भारतीयों का वर्गीकरण
- अनिवासी भारतीय
- ‘अनिवासी भारतीय’ (Non-Resident Indian-NRI) का अर्थ ऐसे नागरिकों से है जो भारत के बाहर रहते हैं और भारत के नागरिक हैं या जो नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 7(A) के दायरे में ‘विदेशी भारतीय नागरिक’ कार्डधारक हैं।
- आयकर अधिनियम के अनुसार, कोई भी भारतीय नागरिक जो "भारत के निवासी" के रूप में मानदंडों को पूरा नहीं करता है, वह भारत का निवासी नहीं है और उसे आयकर देने के लिये अनिवासी भारतीय माना जाता है।
- भारतीय मूल का व्यक्ति
- भारतीय मूल के व्यक्ति (Person of Indian Origin-PIO) का मतलब एक विदेशी नागरिक (पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, चीन, भूटान, श्रीलंका और नेपाल को छोड़कर) से है, जो:
1. किसी भी समय भारतीय पासपोर्ट धारक हो या
2. वह या उसके माता-पिता / पितामह, दोनों ही भारत में जन्में हों या भारत शासन अधिनियम, 1935 के प्रभावी होने से पूर्व से भारतं के स्थायी नागरिक हों या इस अवधि के बाद किसी क्षेत्र के भारत का अभिन्न अंग बनने से पूर्व वहाँ के निवासी हो।
- भारतीय मूल के व्यक्ति (Person of Indian Origin-PIO) का मतलब एक विदेशी नागरिक (पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, चीन, भूटान, श्रीलंका और नेपाल को छोड़कर) से है, जो:
- ओवरसीज़ सिटीज़न ऑफ इंडिया
- प्रवासी भारतीयों की मांग को ध्यान में रखते हुए एक छद्म नागरिकता योजना बनाई गई, जिसे ‘ विदेशी भारतीय नागरिकता’ आमतौर पर ओसीआई कार्डधारक के रूप में जाना जाता है।
- प्रवासी भारतीयों को अनिवासी भारतीयों के समान सभी अधिकार (कृषि एवं बागान अधिग्रहण का अधिकार) दिए गए हैं।
प्रवासी भारतीयों का महत्त्व
- स्वतंत्रता आंदोलन में
- दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों के खिलाफ संस्थागत भेदभाव को समाप्त करने के लिये किया गया महात्मा गांधी का संघर्ष आधुनिक भारत में प्रवासी भारतीयों से स्वयं को जोड़ने के लिये एक प्रेरणादायक किंवदंती बन गया।
- प्रवासी भारतीय प्रमुख देशों के राजनीतिक अभिजात्य वर्ग के बीच भारतीय स्वतंत्रता को बढ़ावा देने के लिये एक वाहक बन गए।
- सांस्कृतिक विस्तार के रूप में प्रवासी
- प्रवासन का कार्य केवल भौगोलिक सीमाओं तक सीमित नहीं है बल्कि यह एक सांस्कृतिक विस्तार भी है।
- सिख समुदाय भारत के सबसे बड़े प्रवासियों में से एक है। ये यूके, कनाडा और कई अन्य देशों में निवास कर रहे हैं तथा भारतीय संस्कृति से पूरे विश्व को परिचित करा रहे हैं।
- प्रेषण
- किसी अन्य देश में निवास कर रहे कर्मचारी द्वारा अपने देश में किसी व्यक्ति को पैसे का हस्तांतरण करना ही प्रेषण है।
- प्रवासियों द्वारा घर भेजा गया पैसा विकासशील देशों के सबसे बड़े वित्तीय प्रवाह में से एक है।
- विश्व बैंक के अनुसार, वर्ष 2018 में सर्वाधिक प्रेषण प्राप्त करने के साथ भारत ने दुनिया के शीर्ष प्राप्तकर्त्ता के रूप में अपनी स्थिति बरकरार रखी है।
- प्रवासी ‘परिवर्तन के वाहक’ के रूप में
- यह प्रवासी निवेश को सुविधाजनक बनाने और बढ़ाने, औद्योगिक विकास में तेजी लाने और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार तथा पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये 'परिवर्तन के वाहक' के रूप में कार्य करता है।
- तकनीकी विकास और उद्यमिता
- सक्रिय प्रवासी भारतीयों के साथ संबंधों के पोषण और सामाजिक-आर्थिक विकास में वृद्धि करने में प्रमुख योगदान तकनीकी क्षेत्र का भी रहा है।
- कई बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों में भारतीय मूल के व्यक्ति निर्णायक पदों पर आसीन हैं। जिनमें गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, पेप्सिको इत्यादि शामिल हैं।
- वैश्विक कद में वृद्धि
- प्रवासी भारतीयों के समर्थन से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता एक वास्तविकता बन सकती है।
- भारत ने नवंबर 2017 में अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में न्यायमूर्ति दलवीर भंडारी की पुनर्नियुक्ति के लिये संयुक्त राष्ट्र में दो-तिहाई मत हासिल कर अपने राजनयिक प्रभाव का प्रदर्शन किया।
- राजनीतिक दबाव, मंत्रिस्तरीय और राजनयिक स्तर की पैरवी के अलावा भारत सुरक्षा परिषद की सदस्यता का समर्थन करने के लिये विभिन्न देशों में मौजूद अपने प्रवासी भारतीय समुदाय का लाभ उठा सकता है।
- प्रवासी कूटनीति
- एक बड़े प्रवासी समूह के होने से अमूर्त लेकिन महत्त्वपूर्ण लाभ ‘प्रवासी कूटनीति’ है।
- ऐतिहासिक रूप से भारत को अपने प्रवासी भारतीयों से लाभ हुआ है। चाहे वह विदेशों से भेजे गए प्रेषण के रूप में हो या वर्ष 2008 में यूएस-इंडिया सिविलियन न्यूक्लियर एग्रीमेंट बिल की पैरवी।
प्रवासी भारतीय समुदाय की समस्याएँ
- नस्लीय विरोध- नस्लवाद के कारण स्थानीय लोगों द्वारा भारतीयों के साथ अभद्र भाषा का प्रयोग कर मार-पीट की घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है। कई देशों में अति राष्ट्रवादी सरकारों के सत्ता में आने से सांप्रदायिकता की घटनाओं में भी वृद्धि हुई है।
- आतंक- मध्य पूर्व के देशों (यमन, ओमान, लीबिया, सीरिया आदि) में सांप्रदायिक संकट, बढ़ती आतंकवादी गतिविधियाँ और युद्ध प्रवासी भारतीयों के लिये प्रतिकूल वातावरण निर्मित कर रही हैं।
- संरक्षणवाद- प्रवासी लोगों के कारण नौकरियों और शैक्षिक अवसरों को खोने के डर के परिणामस्वरूप संयुक्त राज्य अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, सहित कई देशों में सख्त वीज़ा नियम लागू किये जा रहे हैं।
प्रवासी भारतीय समुदाय को जोड़ने में सरकार की भूमिका
- वर्ष 2004 में प्रवासी भारतीय समुदाय की समस्या का समाधान करने के उद्देश्य से भारत सरकार ने ‘प्रवासी भारतीय मामलों के मंत्रालय’ की स्थापना की है। प्रवासी भारतीय मामलों के मंत्रालय द्वारा चलाई जा रही प्रमुख योजनाएँ और उनकी विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
- भारत को जानें कार्यक्रम- भारत को जानें कार्यक्रम का उद्देश्य 18 से 26 आयु वर्ग के प्रवासी युवाओं को देश के विकास और उपलब्धियों से परिचित कराना और उन्हें उनके मूल देश से भावनात्मक रूप से जोड़ना है।
- भारत का अध्ययन कार्यक्रम- भारत का अध्ययन कार्यक्रम के अंतर्गत प्रवासी भारतीय युवाओं को भारत के इतिहास, विरासत, कला, संस्कृति, सामाजिक, राजनैतिक, आर्थिक विकास से परिचित कराने के लिये भारतीय विश्वविद्यालयों मे लघु अवधि के पाठ्यक्रम प्रारंभ किये गए हैं।
- प्रवासी बच्चों के लिये छात्रवृत्ति कार्यक्रम- इस कार्यक्रम के अंतर्गत भारतीय मूल के प्रवासियों और गैर-प्रवासी भारतीय छात्रों को इंजीनियरिंग/ प्रौद्योगिकी, मानविकी, वाणिज्य, प्रबंधन,पत्रकारिता, होटल प्रबंधन, कृषि और पशु पालन आदि विषयों में स्नातक स्तर की शिक्षा प्राप्त करने के लिये 100 छात्रों को प्रतिवर्ष प्रति छात्र चार हज़ार अमेररिकी डॉलर तक की छात्रवृत्तियाँ प्रदान की जाती हैं।
- प्रवासी भारतीय बीमा योजना- इस योजना के तहत विदेशगमन की अनुमति मिलने के बाद रोज़गार के लिये विदेश गए प्रवासी भारतीय की मृत्यु अथवा विकलांगता पर नामित/आधिकारिक व्यक्ति को 10 लाख रुपए का जीवन बीमा दिया जाता है।
- महात्मा गांधी प्रवासी सुरक्षा योजना- इस योजना को प्रायोगिक तौर पर 1 मई, 2012 को केरल में शुरू किया गया था। इस योजना का उद्देश्य विदेशी भारतीय कामगारों को बढ़ावा देना और सक्षम बनाना है। इसके अतिरिक्त वापसी एवं पुर्नवास की सुरक्षा, उनके पेंशन की सुरक्षा और प्राकृतिक मौत की दशा में जीवन बीमा लाभ दिलाने में सरकार के द्वारा मदद प्रदान करना है।
प्रवासी भारतीय समुदाय पर विश्वास का प्रश्नचिन्ह
- प्रवासी भारतीयों का समर्थन न तो स्वचालित है और न ही निरंतर है, उनके हितों में भारत की प्राथमिकताएँ सीमित हैं। उदाहरण के लिये, अमेरिका में भारतीय समुदाय H1-B वीज़ा कार्यक्रम को प्रतिबंधित करने के ट्रंप के प्रस्ताव की आलोचना करने में पर्याप्त मुखर नहीं था क्योंकि इससे कई भारतीय लाभान्वित हो रहे थे।
- एक चुनौती यह भी है कि प्रेषणों का उपयोग हमेशा लाभकारी उद्देश्यों के लिये नहीं किया जाता है क्योंकि खालिस्तान आंदोलन जैसे चरमपंथी आंदोलनों के लिये विदेशी फंडिंग के कारण भारत को समस्याओं का सामना करना पड़ा है।
- ह्यूस्टन में भारतीय समुदाय की उपस्थिति इस वर्ष होने वाले चुनावों में ट्रम्प को अपने वोट बैंक के रूप में दिख रही है जबकि प्रवासी भारतीय समुदाय के अधिकांश लोगों का झुकाव डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर रहा है।
- विदेश नीति को निर्धारित करने में भारत को प्रवासी भारतीय समुदाय का प्रयोग बहुत सावधानीपूर्वक करना चाहिये क्योंकि नेपाल और श्रीलंका की घरेलू राजनीति में हस्तक्षेप से भारत को समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
आगे की राह
- भारत को विदेश नीति का निर्धारण करते समय स्वच्छ भारत, स्वच्छ गंगा, मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया और स्किल इंडिया जैसी प्रमुख परियोजनाओं के उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए इन क्षेत्रों में प्रवासी भारतीयों का सहयोग प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिये।
- सरकार को अपना ध्यान प्रवासी भारतीयों पर केंद्रित करना चाहिये क्योंकि वे भारत के लिये एक रणनीतिक संपत्ति हैं।
प्रश्न- ‘प्रवासी भारतीय समुदाय भारत के लिये रणनीतिक संपत्ति है।’ देश के विकास में प्रवासी भारतीय समुदाय की भूमिका का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये।