एडिटोरियल (11 Apr, 2022)



भारत-नेपाल संबंधों की बहाली

यह एडिटोरियल 07/04/2022 को ‘द हिंदू’ में प्रकाशित “Repairing the Complex India-Nepal Relationship” लेख पर आधारित है। इसमें भारत-नेपाल संबंधों में विद्यमान चुनौतियों के संबंध में चर्चा की गई है।

संदर्भ

नेपाल के प्रधानमंत्री ने जुलाई 2021 में शपथ लेने के बाद अपनी विदेश यात्राओं की शुरुआत भारत के दौरे के साथ की। दोनों देशों के बीच कनेक्टिविटी परियोजनाओं के आरंभ और समझौता ज्ञापनों (MoUs) पर हस्ताक्षर के संदर्भ में यह एक सफल दौरा रहा।

हालाँकि दोनों देशों के बीच संबंधों में अभी भी तनाव के कुछ घटक मौजूद हैं, जिनमें से चीन प्रमुख है। भारत को अपनी ‘नेवरहुड फर्स्ट’ नीति के उद्देश्यों की पूर्ति के लिये द्विपक्षीय संवाद, मज़बूत आर्थिक संबंध और नेपाल के लोगों के प्रति अधिक संवेदनशीलता रखने जैसी राहों पर आगे बढ़ना होगा।

भारत-नेपाल संबंध 

  • वर्ष 1950 की ‘भारत-नेपाल शांति और मित्रता संधि’ दोनों देशों के बीच मौजूद विशेष संबंधों का आधार रही है।
  • नेपाल भारत का एक महत्त्वपूर्ण पड़ोसी है और सदियों से चले आ रहे भौगोलिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आर्थिक संपर्कों/संबंधों के कारण उसकी विदेश नीति में विशेष महत्त्व रखता है।
  • भारत और नेपाल हिंदू धर्म एवं बौद्ध धर्म के संदर्भ में भी एक आत्मीय संबंध रखते हैं। उल्लेखनीय है कि नेपाल की 80 प्रतिशत आबादी हिंदू धर्म का पालन करती है और बुद्ध का जन्मस्थान लुंबिनी वर्तमान नेपाल में स्थित है।
  • हाल के वर्षों में नेपाल के साथ भारत के संबंधों में कुछ गिरावट आई है। वर्ष 2015 में दोनों देशों के संबंधों में तब तनाव आया जब पहले तो भारत पर नेपाली संविधान प्रारूपण प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया गया और फिर एक ‘अनौपचारिक नाकाबंदी’ के लिये भारत को दोषी ठहराया गया। इन घटनाक्रमों ने भारत के विरुद्ध नेपाली जनमानस में व्यापक आक्रोश उत्पन्न किया।

नेपाली प्रधानमंत्री के भारत दौरे की मुख्य बातें

  • जयनगर (बिहार) से कुर्था (नेपाल) तक 35 किलोमीटर की सीमा-पार रेल लिंक का परिचालन शुरू करना जिसे आगे बिजलपुरा और बरदीबास तक बढ़ाया जाएगा।
  • एक अन्य परियोजना में भारतीय सीमा के निकट स्थित टीला (सोलुखुम्बु) को मिर्चैया (सिराहा) से जोड़ने वाली 90 किमी. लंबी 132 केवी डबल सर्किट ट्रांसमिशन लाइन शामिल है।
  • इसके अतिरिक्त, रेलवे क्षेत्र में नेपाल को तकनीकी सहयोग प्रदान करने, अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन में नेपाल की सदस्यता के समर्थन और पेट्रोलियम उत्पादों की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिये इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन और नेपाल ऑयल कॉरपोरेशन के बीच साझेदारी जैसे विभिन्न समझौतों पर हस्ताक्षर किये गए।
  • भारत ने बिजली क्षेत्र में संभावनाओं का पूर्ण लाभ उठा सकने का भी आह्वान किया है जिसके अंतर्गत नेपाल में बिजली उत्पादन परियोजनाओं के संयुक्त विकास और सीमा-पार पारेषण अवसंरचना के निर्माण जैसे विचार शामिल हैं।

नेपाल पर चीन का प्रभाव

  • चीन नेपाल को अपने बढ़ते दक्षिण एशियाई फुटप्रिंट में एक महत्त्वपूर्ण तत्व की तरह देखता है और नेपाल उसके ‘बेल्ट एंड रोड पहल’ (BRI) का एक प्रमुख भागीदार भी है।
  • वर्ष 2016 में नेपाल ने चीन के साथ एक पारगमन परिवहन समझौते (Agreement on Transit Transportation) पर वार्ता की थी और वर्ष 2017 में चीन ने नेपाल को 32 मिलियन डॉलर का सैन्य अनुदान प्रदान किया था।
  • वर्ष 2019 में संपन्न हुए एक प्रोटोकॉल के तहत चीन नेपाल को चार समुद्री बंदरगाहों और तीन भूमि बंदरगाहों तक पहुँच प्रदान कर रहा है। चीन नेपाल के पोखरा और लुंबिनी में हवाईअड्डा विस्तार परियोजनाओं से भी संलग्न है।
  • 120 मिलियन डॉलर की वार्षिक विकास सहायता के साथ चीन ने नेपाल में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के सबसे बड़े स्रोत के रूप में भारत को पीछे छोड़ दिया है।
  • हाल में नेपाल के प्रधानमंत्री ने पंचेश्वर बहुउद्देशीय परियोजना (अमेरिका के ‘मिलेनियम चैलेंज कॉर्पोरेशन’ के साथ) की पुष्टि पर ज़ोर दिया जिस पर सड़कों पर विरोध प्रदर्शन हुआ और वृहत सोशल मीडिया अभियान चलाए गए जिसे चीन ने हवा दी।
    • यद्यपि चीन के विदेश मंत्री ने अपने भारतीय समकक्ष को आश्वासन दिया है कि चीन भारत के साथ नेपाल के संबंध में कोई बाधा उत्पन्न नहीं करेगा, वास्तव में नेपाल में चीन की संलग्नता अत्यंत गहरी रही है।

भारत-नेपाल संबंधों में व्याप्त समस्याएँ

  • शांति और मित्रता संधि में निहित समस्याएँ: वर्ष 1950 में भारत-नेपाल शांति और मित्रता संधि पर हस्ताक्षर नेपाल द्वारा इस उद्देश्य से किये गए थे कि ब्रिटिश भारत के साथ उसके विशेष संबंध स्वतंत्र भारत के साथ भी जारी रहें और उन्हें भारत के साथ खुली सीमा तथा भारत में कार्य कर सकने के अधिकार का लाभ मिलता रहे।
    • लेकिन वर्तमान में इसे एक असमान संबंध और एक भारतीय अधिरोपण के रूप में देखा जाता है।
    • इसे संशोधित और अद्यतन करने का विचार 1990 के दशक के मध्य से ही संयुक्त वक्तव्यों में प्रकट होता रहा है, लेकिन ऐसा छिटपुट और उत्साहहीन तरीके से ही हुआ।
  • विमुद्रीकरण की अड़चन: नवंबर 2016 में भारत ने विमुद्रीकरण की घोषणा कर दी और उच्च मूल्य के करेंसी नोट (₹1,000 और ₹500) के रूप में 15.44 ट्रिलियन रुपए वापस ले लिये। इनमें से 15.3 ट्रिलियन रुपए की नए नोटों के रूप में अर्थव्यवस्था में वापसी भी हो गई है।
    • नेपाल राष्ट्र बैंक (नेपाल का केंद्रीय बैंक) के पास 7 करोड़ भारतीय रुपए हैं और अनुमान है कि सार्वजनिक धारिता 500 करोड़ रुपए की है।
    • नेपाल राष्ट्र बैंक के पास विमुद्रीकृत बिलों को स्वीकार करने से भारत के इनकार और एमिनेंट पर्सन्स ग्रुप (EPG) द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट की अज्ञात परिणति ने नेपाल में भारत की छवि को बेहतर बनाने में कोई मदद नहीं की है।
      • लेकिन इस प्रक्रिया में कई नेपाली नागरिक जो कानूनी रूप से 25,000 रुपए भारतीय मुद्रा रखने के हकदार थे (यह देखते हुए कि नेपाली रुपया भारतीय रुपए के साथ सहयुक्त (Pegged) है) वंचित छोड़ दिये गए।
  • क्षेत्र-संबंधी विवाद: भारत-नेपाल संबंधों में एक और बाधा कालापानी सीमा विवाद से आई है। इन सीमाओं को वर्ष 1816 में अंग्रेज़ों द्वारा निर्धारित किया गया था और भारत को वे क्षेत्र विरासत में प्राप्त हुए जिन पर 1947 तक अंग्रेज़ क्षेत्रीय नियंत्रण रखते थे।
    • जबकि भारत-नेपाल सीमा का 98% सीमांकित किया गया था, दो क्षेत्रों- सुस्ता और कालापानी में यह कार्य अपूर्ण ही बना रहा।
    • वर्ष 2019 में नेपाल ने एक नया राजनीतिक मानचित्र जारी करते हुए उत्तराखंड के कालापानी, लिंपियाधुरा एवं लिपुलेख पर और बिहार के पश्चिमी चंपारण ज़िले के सुस्ता क्षेत्र पर अपना दावा जताया।

नेपाल के साथ मतभेद दूर करने के उपाय

  • क्षेत्रीय विवादों के लिये संवाद: आज आवश्यकता इस बात की है कि क्षेत्रीय राष्ट्रवाद के आक्रामक प्रदर्शन से बचा जाए और शांतिपूर्ण बातचीत के लिये आधार तैयार किया जाए जहाँ दोनों पक्ष संवेदनशीलता का प्रदर्शन करते हुए संभव समाधानों की तलाश करें। ‘नेवरवुड फर्स्ट’ की नीति के गंभीर अनुपालन के लिये भारत को एक संवेदनशील और उदार भागीदार बनने की ज़रूरत है ।
    • सीमा-पार जल विवादों पर अंतर्राष्ट्रीय कानून (International law on Trans-boundary Water Disputes) के तत्वावधान में विवादों पर कूटनीतिक वार्ता की जानी चाहिये।
    • इस संबंध में भारत और बांग्लादेश के बीच सीमा विवाद समाधान को एक मॉडल के रूप में देखा जा सकता है।
  • नेपाल के प्रति संवेदनशीलता: भारत को लोगों के परस्पर-संपर्क, नौकरशाही संलग्नता के साथ-साथ राजनीतिक अंतःक्रिया के मामले में नेपाल के साथ अधिक सक्रिय रूप से संबद्ध होना चाहिये।
    • भारत को नेपाल के आंतरिक मामलों से दूर रहने की नीति बनाए रखनी चाहिये, जबकि मित्रता की भावना की पुष्टि करते हुए अधिक समावेशी रुख प्रदर्शित करना चाहिये।
  • आर्थिक संबंधों को मज़बूत करना: बिजली व्यापार समझौता ऐसा होना चाहिये कि भारत नेपाल के अंदर भरोसे का निर्माण कर सके। भारत में अधिकाधिक नवीकरणीय (सौर) ऊर्जा परियोजनाओं के कार्यान्वयन के बावजूद जलविद्युत ही एकमात्र स्रोत है जो भारत में चरम मांग की पूर्ति कर सकता है।
    • भारत के लिये नेपाल से बिजली खरीदने का अर्थ होगा इस चरम मांग का प्रबंधन कर सकना और अरबों डॉलर के निवेश की बचत करना (जो अन्यथा नए बिजली संयंत्रों के निर्माण में निवेश किये जाएंगे और उनमें से कई प्रदूषण का कारण बनेंगे)।
  • भारत से निवेश: भारत और नेपाल के बीच हस्ताक्षरित ‘द्विपक्षीय निवेश संवर्द्धन और संरक्षण समझौते’ (Bilateral Investment Promotion and Protection Agreement- BIPPA) पर नेपाल की ओर से अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।
    • नेपाल में निजी क्षेत्र, विशेष रूप से व्यापार संघों की आड़ में कार्टेल, विदेशी निवेश के विरुद्ध कड़े संघर्ष चला रहे हैं।
    • यह महत्त्वपूर्ण है कि नेपाल यह संदेश दे कि वह भारतीय निवेश का स्वागत करता है।

अभ्यास प्रश्न: ‘एक स्थिर, सुरक्षित एवं मैत्रीपूर्ण नेपाल भारत के लिये सुरक्षा एवं रणनीतिक दृष्टिकोण से काफी महत्त्वपूर्ण है।’ चर्चा कीजिये।