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एडिटोरियल

  • 10 Aug, 2022
  • 9 min read
भारतीय अर्थव्यवस्था

सामान्य ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स

यह एडिटोरियल 07/08/2022 को ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ में प्रकाशित “How India is shaping the future of e-commerce” लेख पर आधारित है। इसमें ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ONDC) और इसके अनुप्रयोगों के बारे में चर्चा की गई है।

संदर्भ

  • भारत में ‘ओपन रिटेल’ का भविष्य आकार ले रहा है जहाँ देश में अगले दो वर्षों में ई-कॉमर्स की पहुँच को 25 प्रतिशत उपभोक्ता खरीद तक बढ़ाने के लिये ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ONDC) की शुरुआत की गई है।
  • ONDC ई-कॉमर्स के लोकतंत्रीकरण (इसे वस्तुओं एवं सेवाओं की खरीद-बिक्री के लिये प्लेटफॉर्म-केंद्रित प्रतिमान से एक ओपन नेटवर्क में रूपांतरित करते हुए) के लक्ष्य के साथ क्रेताओं और विक्रेताओं के लिये एक साझा डिजिटल स्पेस प्रदान करेगा। ONDC में निश्चित रूप से भारत के ई-कॉमर्स क्षेत्र को रूपांतरित कर सकने की क्षमता है। हालाँकि, कुछ ऐसे अपरिभाषित क्षेत्र भी मौजूद हैं जिन्हें अभी भी स्पष्ट किये जाने की आवश्यकता है।

ondc

ONDC के लाभ

  • सबके लिये एकसमान अवसर: ONDC सभी ई-कॉमर्स ऑपरेटरों के लिये एकसमान अवसर के निर्माण और देश में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (MSMEs) तथा छोटे व्यापारियों के लिये डिजिटल बाज़ार पहुँच के विस्तार का इच्छुक है।
    • इसके अतिरिक्त, यह खोज-योग्यता (Discoverability), अंतरसंचालनीयता (Interoperability) और समावेशिता (Inclusivity) लाकर नए प्रवेशकों की मदद करेगा।
  • प्रतिस्पर्द्धी और नवोन्मेषी पारितंत्र: मौजूदा ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म उपखंडों में संचालित होते हैं और सख्ती से विनियमित हैं।
    • ONDC रिटेल, फूड और मोबिलिटी जैसे क्षेत्रों में नवाचार को बढ़ावा देने और व्यवसायों को रूपांतरित करने के लिये दिग्गज प्लेटफॉर्मों के एकाधिकार को तोड़कर आपूर्तिकर्ताओं और उपभोक्ताओं को सशक्त बनाएगा।
  • उपभोक्ताओं के लिये चयन की स्वतंत्रता: उपभोक्ता संभावित रूप से किसी भी विक्रेता, उत्पाद या सेवा को एक साझा मंच में खोज सकते हैं, जिससे उपभोक्ताओं के लिये चयन की स्वतंत्रता की वृद्धि होती है।
    • यह उपभोक्ताओं को निकटतम उपलब्ध आपूर्ति के साथ मांग को संगत करने में सक्षम करेगा। यह उपभोक्ताओं को अपने पसंदीदा स्थानीय व्यवसायों को चुनने की स्वतंत्रता भी देगा।
  • तटस्थ और विनियमित प्लेटफॉर्म: ONDC ओपन-सोर्स कार्यप्रणाली पर विकसित ओपन नेटवर्क को बढ़ावा देने, खुले विनिर्देशों एवं नेटवर्क प्रोटोकॉल का उपयोग करने और किसी विशिष्ट प्लेटफॉर्म से स्वतंत्र रहने पर लक्षित है।
    • यह यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) जैसे ओपन सोर्स-आधार पर कैटलॉगिंग, वेंडर मैच और प्राइस डिस्कवरी के लिये प्रोटोकॉल सेट करेगा।
    • स्नैपडील (Snapdeal) ओपन नेटवर्क पर उपस्थित होने वाला पहला ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म है।

ओपन सोर्स क्या है?

  • ओपन सोर्स (Open source) का तात्पर्य है कि प्रक्रिया के लिये तैनात प्रौद्योगिकी या कोड सभी के उपयोग, पुनर्वितरण और संशोधित करने के लिये स्वतंत्र रूप से उपलब्ध कराया गया है।
  • उदाहरण के लिये, iOS का ऑपरेटिंग सिस्टम ‘क्लोज्ड सोर्स’ है, यानी इसे कानूनी रूप से संशोधित या उपयोग नहीं किया जा सकता है।
    • जबकि एंड्रॉइड ऑपरेटिंग सिस्टम ओपन सोर्स है, जिससे सैमसंग, नोकिया, श्याओमी जैसे स्मार्टफोन निर्माताओं के लिये अपने संबंधित हार्डवेयर हेतु इसे संशोधित करना संभव हो जाता है।

ONDC से संबंधित अपरिभाषित क्षेत्र

  • संगतता संबंधी चिंता: कम मात्रा वाले छोटे व्यवसायों में अमेज़ॅन और फ्लिपकार्ट जैसे दिग्गजों द्वारा दी जाने वाली छूट से संगतता रखने के लिये संसाधनों की कमी हो सकती है।
    • इन दो वैश्विक दिग्गज कंपनियों ने भारत में संयुक्त रूप से 24 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश किया है और आक्रामक छूट एवं पसंदीदा विक्रेताओं के प्रचार के साथ ऑनलाइन खुदरा बाज़ार के 80% पर कब्जा कर लिया है।
  • भुगतान के तरीके: यह निश्चित है कि विभिन्न प्लेटफॉर्मों के बीच पेमेंट गेटवे संगतता में एक बेमेल की स्थिति हो सकती है।
    • यदि विभिन्न ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म भुगतान के सभी तरीकों को स्वीकार नहीं करते हैं तो निर्बाध लेनदेन के लक्ष्य से समझौता हो सकता है।
  • जवाबदेही संबंधी चिंता: यह स्पष्ट नहीं है कि ONDC पर विभिन्न ई-कॉमर्स मानदंड कैसे लागू होंगे और ONDC भारत में ई-कॉमर्स के संपूर्ण कानूनी परिदृश्य में कैसे संगत होगा।
    • लेनदेन अथवा वितरित उत्पादों या सेवाओं की गुणवत्ता के संबंध में किसी भी समस्या का सामना करने वाले उपभोक्ता के मामले में दायित्व को लेकर सवाल उठता है।

आगे की राह

  • डिजिटल अवसंरचना और साक्षरता: सरकार को प्रभुत्वशाली ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्मों से आगे निकलने के लिये ई-कॉमर्स हेतु एक बेहतर डिजिटल स्पेस बनाने की ज़रूरत है।
    • इसके साथ ही, उपभोक्ताओं और विक्रेताओं के लाभ के लिये विभिन्न भाषाओं और उपयोगकर्ता-अनुकूल इंटरफेस को ध्यान में रखते हुए एक उचित डिजिटल शिक्षा नीति का निर्माण करना महत्त्वपूर्ण है।
  • जागरूकता अभियान: लाखों मौजूदा किराना स्टोरों को मंच पर लाने के लिये वृहत स्तरीय और पर्याप्त रूप से वित्तपोषित अंगीकरण अभियान की आवश्यकता होगी।
  • ONDC के माध्यम से मौजूदा योजनाओं पर बल: ONDC ‘प्रधानमंत्री वन धन योजना’ (PMVDY) जैसी विभिन्न योजनाओं के कार्यान्वयन को बढ़ा सकता है।
    • PMVDY योजना का उद्देश्य वन उत्पादों के एकत्रीकरण, प्रसंस्करण और वायदा बिक्री के माध्यम से वन-आश्रित जनजातियों की आजीविका को बढ़ाना है।
      • इन आदिवासी समुदायों को न तो मूल्य प्राप्ति (Price Realisation) का लाभ मिलता है, न ही वे बाज़ार के पर्याप्त संपर्क में आ पाते हैं।
      • यह योजना वर्ष 2018 से कार्यान्वित है, लेकिन अभी भी स्थानीय हाट बाज़ारों या गाँव की मंडियों में अधिकांश बिक्री होती है और यह स्थानीय व्यापारियों तक ही सीमित है।
    • ONDC उन्हें किसी भी अन्य बड़े ब्रांड को प्राप्त पहुँच के स्तर तक पहुँचा सकता है।
      • इस तरह का एकीकरण स्वस्थ और संवहनीय विकल्पों की ओर बढ़ते ग्राहक पसंदों में महत्त्वपूर्ण मूल्य का योग करेगा।
  • उपयुक्त शिकायत निवारण तंत्र: सूचना विषमता, अपारदर्शी मूल्य निर्धारण, गुणवत्ता एवं उत्पाद संबंधी चिंताओं और क्रेता-विक्रेता संघर्ष जैसी मांग और आपूर्ति पक्ष की समस्याओं से निपटने के लिये एक सुरक्षित एकल खिड़की होनी चाहिये।

अभ्यास प्रश्न: ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स भारत में ई-कॉमर्स के प्लेटफॉर्म-केंद्रित प्रतिमान को ओपन नेटवर्क में किस प्रकार रूपांतरित कर सकता है? इसके कार्यान्वयन में निहित प्रमुख परिचालन चुनौतियों पर प्रकाश डालिये।


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