टोबैको एपिडेमिक
यह एडिटोरियल 09/03/2022 को ‘द हिंदू’ में प्रकाशित “Revive Tax Increases, Stub Out Tobacco Product Use” लेख पर आधारित है। इसमें भारत में तंबाकू सेवन से संबद्ध परिदृश्य के बारे में चर्चा की गई है।
संदर्भ
अपेक्षाकृत उच्च स्तर की सामाजिक सतर्कता के बावजूद भारत में पिछले दो वर्षों में आधे मिलियन से अधिक लोग महामारी की चपेट में आ चुके है। हालाँकि कोविड-19 ही एकमात्र स्वास्थ्य समस्या नहीं है जिसका सामना देश को करना पड़ रहा है। हमारे बीच तंबाकू का सेवन एक ‘साइलेंट किलर’ के रूप में मौजूद है जिसके चलते हर वर्ष लगभग 1.35 मिलियन भारतीयों की जान जा रही है। वैज्ञानिक अध्ययनों के अनुसार तंबाकू के सेवन से प्रतिदिन 3,500 से अधिक भारतीयों की मौत हो जाती है।
भारत में तंबाकू सेवन का परिदृश्य
- ‘ग्लोबल यूथ टोबैको सर्वे’(Global Youth Tobacco Survey,) के अनुसार वैश्विक स्तर पर भारत में तंबाकू उपयोगकर्त्ताओं की दूसरी सबसे बड़ी संख्या (268 मिलियन) विद्यमान है तथा इनमें से हर वर्ष 13 लाख लोग की तंबाकू से संबंधित बीमारियों के कारण मृत्यु होती है।
- दस लाख मौतें धूम्रपान के कारण होती हैं, जबकि दो लाख से अधिक लोग ‘सेकेंड हैंड’ धुएँ (Second-Hand Smoke) के संपर्क में आने के कारण जान गँवाते हैं। लगभग 35,000 लोगों की मौत धूम्ररहित तंबाकू के उपयोग के कारण होती है।
- 15 वर्ष से अधिक आयु के लगभग 27 करोड़ लोग और 13-15 आयु वर्ग के स्कूली छात्रों का 8.5 प्रतिशत किसी न किसी रूप में तंबाकू का सेवन करते हैं।
- भारत तंबाकू सेवन के कारण लगभग 1,77,340 करोड़ रुपए से अधिक के वार्षिक आर्थिक बोझ का वहन करता है।
- तंबाकू का उपयोग कई गैर-संचारी रोगों- जैसे कैंसर, हृदय रोग, मधुमेह और क्रोनिक फेफड़ा रोगों के प्रमुख जोखिम कारक के रूप में जाना जाता है। भारत में लगभग 27 प्रतिशत कैंसर तंबाकू सेवन के कारण उत्पन्न होते हैं।
तंबाकू के सेवन को नियंत्रित करने हेतु भारत द्वारा किये गए उपाय
- भारत द्वारा ‘तंबाकू के सेवन को नियंत्रित करने हेतु WHO फ्रेमवर्क कन्वेंशन’ (WHO FCTC) के तहत तंबाकू नियंत्रण प्रावधानों को अपनाया गया है।
- इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट निषेध अध्यादेश, 2019 (Prohibition of Electronic Cigarettes Ordinance, 2019) की घोषणा ई-सिगरेट के उत्पादन, निर्माण, आयात, निर्यात, परिवहन, बिक्री, वितरण, भंडारण और विज्ञापन को प्रतिबंधित करती है।
- भारत सरकार द्वारा ने ‘नेशनल टोबैको क्विटलाइन सर्विसेज’ (National Tobacco Quitline Services- NTQLS) की शुरुआत की गई है जिसका एकमात्र उद्देश्य तंबाकू छोड़ने के लिये टेलीफोन आधारित जानकारी, सलाह, समर्थन और रेफरल प्रदान करना है।
- एमसेसेशन कार्यक्रम (mCessation Programme) एक ऐसी ही पहल है जिसमें तंबाकू छोड़ने के लिये मोबाइल प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जाता है। इसे वर्ष 2016 में सरकार की ‘डिजिटल इंडिया पहल’ के एक हिस्से के रूप में लॉन्च किया गया था।
तंबाकू पर कर लगाने/कर बढ़ाने के निहितार्थ
- हालाँकि यह SARS-CoV-2 जैसा संचारी रोग नहीं है लेकिन तंबाकू की महामारी (जिस रूप में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे चिह्नित किया है) के कुछ निश्चित समाधान मृत्यु दर को कम कर सकते हैं।
- भारत सहित वैश्विक स्तर पर कई देशों द्वारा किये गए शोध से पता चलता है कि तंबाकू के मूल्य में वृद्धि लोगों को तंबाकू का सेवन न करने या कम करने के लिये प्रेरित करती है और साथ ही उन लोगों को तंबाकू का उपयोग करने से हतोत्साहित करती है जी इसका सेवन नहीं करते हैं।
- शोधकर्त्ताओं द्वारा इस बात पर भी सहमति व्यक्त की गई कि कराधान जैसे उपाएँ तंबाकू उत्पादों की मांग को कम करने के लिये सबसे अधिक लागत प्रभावी उपायों में से एक है।
- चूँकि यह राजस्व और मुनाफे दोनों को नुकसान पहुँचाता है। विश्व स्तर पर तंबाकू उद्योग हमेशा ऐसी रणनीति और आख्यान तैयार करते रहे हैं जो तंबाकू उत्पादों पर किसी भी तरह की कर वृद्धि को पहले ही रोक दे।
- उच्च और बढ़ती कर दरें कर चोरी के लिये एक लाभदायक अवसर प्रदान करती हैं और अवैध व्यापार में वृद्धि को प्रोत्साहित करती हैं।
भारत में तंबाकू पर कराधान की स्थिति
- वस्तु एवं सेवा कर (Goods and Services Tax- GST) कानून के प्रवेश के बाद से किसी भी तंबाकू उत्पाद पर कोई उल्लेखनीय कर वृद्धि नहीं हुई है।
- केंद्रीय बजट 2020-21 के दौरान राष्ट्रीय आपदा आकस्मिक शुल्क (National Calamity Contingent Duty- NCCD) ) में केवल मामूली वृद्धि की गई जिसका सिगरेट की कीमतों में लगभग 5% की वृद्धि तक ही सीमित प्रभाव रहा।
- केंद्रीय बजट 2022-23 भारत सरकार के लिये इस प्रवृत्ति को कम करने और उत्पाद शुल्क या NCCD में उल्लेखनीय वृद्धि करने का एक उत्कृष्ट अवसर हो सकता था जिसे गँवा दिया गया।
- लगातार चार वर्षों से किसी भी तंबाकू उत्पाद पर कोई उल्लेखनीय कर वृद्धि न होने से सभी तंबाकू उत्पाद अधिक किफायती हो गए हैं।
- अधिक किफायती तंबाकू उत्पाद विशेष रूप से युवा आबादी के बीच नए उपयोगकर्त्ताओं को आकर्षित कर सकते हैं।
- इसका अर्थ सरकार द्वारा कर राजस्व के अवसर को छोड़ देना भी होगा, विशेषकर ऐसे समय में जब भारत सरकार स्वास्थ्य पर सार्वजनिक व्यय की हिस्सेदारी को बढ़ाने की उम्मीद कर रही है।
आगे की राह
- बजट में अवसर: केंद्रीय बजट 2022-23 ने एक अवसर गँवा दिया, हालाँकि सही कदम उठाने के लिये कभी देर नहीं होती। सरकार को सार्वजनिक स्वास्थ्य के बारे में विवेकपूर्ण दृष्टिकोण अपनाना चाहिये और सभी तंबाकू उत्पादों पर उत्पाद करों (या तो मूल उत्पाद शुल्क या राष्ट्रीय आपदा आकस्मिक शुल्क) में उल्लेखनीय वृद्धि करनी चाहिये।
- सिगरेट और धूम्ररहित तंबाकू उत्पादों पर उत्पाद शुल्क में उल्लेखनीय वृद्धि का लक्ष्य रखते हुए प्रत्येक बीड़ी स्टिक पर कम से कम 1 रूपया उत्पाद शुल्क निर्धारित किया जाना चाहिये।
- कराधान के माध्यम से तंबाकू उत्पादों की वहनीयता में उल्लेखनीय कमी की जानी चाहिये ताकि तंबाकू सेवन की व्यापकता में कमी की जा सके और सतत् विकास लक्ष्यों की ओर भारत की गति को सुगम बनाया जा सके।
- GST परिषद की भूमिका: इस बात का कोई सार्वजनिक स्वास्थ्य तर्क नहीं है कि बीड़ी जैसे हानिकारक उत्पाद पर GST के अंतर्गत उपकर क्यों नहीं लगाया गया है या सिगरेट पर आरोपित विशिष्ट उपकर बढ़ती मुद्रस्फीति के बीच भी चार वर्षों से अपरिवर्तित क्यों है।
- GST परिषद की बैठकों को तंबाकू उद्योग के हितों के ऊपर सार्वजनिक स्वास्थ्य को महत्त्व देना चाहिये और सभी तंबाकू उत्पादों पर लागू जीएसटी दरों या जीएसटी मुआवजा उपकर की दरों में उल्लेखनीय वृद्धि की जानी चाहिये।
- उद्देश्य यह होना चाहिये कि भारत में तंबाकू उत्पादों की बढ़ती सामर्थ्य पर रोक लगाई जाए और जीएसटी के अंतर्गत तंबाकू कराधान को युक्तिसंगत बनाया जाए।
- तंबाकू नियंत्रण कानून: यह वैज्ञानिक रूप से स्थापित तथ्य है कि अगर किसी व्यक्ति को 21 वर्ष और उससे अधिक की आयु तक तंबाकू से दूर रखा जाता है तो इस बात की बहुत अधिक संभावना रहती है कि वह जीवन भर तंबाकू-मुक्त रहेगा।
- विशेषज्ञों ने सरकार से सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम (COTPA), 2003 में संशोधन कर तंबाकू उत्पादों की बिक्री के लिये कानूनी उम्र को 18 से बढ़ाकर 21 कर देने का आग्रह किया है।
- इसके साथ ही तंबाकू के विज्ञापन पर व्यापक प्रतिबंध और सिगरेट/बीड़ी की सिंगल स्टिक की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने से बच्चों और युवाओं को तंबाकू का सेवन शुरू करने से रोकने में पर्याप्त मदद मिलेगी।
- कम से कम 14 देशों (इथियोपिया, गुआम, होंडुरास, जापान, कुवैत, मंगोलिया, पलाऊ, फिलीपींस, समोआ, सिंगापुर, श्रीलंका, थाईलैंड, युगांडा और अमेरिका) ने अब तंबाकू उत्पाद खरीदने के लिये न्यूनतम आयु बढ़ाकर 21 वर्ष कर दी है।
- कम से कम 86 देशों ने युवाओं की आसान पहुँच और सामर्थ्य को नियंत्रित करने के लिये सिंगल स्टिक सिगरेट (Single Stick Cigarettes )की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है।
- विशेषज्ञों ने सरकार से सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम (COTPA), 2003 में संशोधन कर तंबाकू उत्पादों की बिक्री के लिये कानूनी उम्र को 18 से बढ़ाकर 21 कर देने का आग्रह किया है।
- बच्चों को शिक्षित करना: तंबाकू के सेवन से होने वाले नुकसान के बारे में बच्चों और उनके माता-पिता के बीच जागरूकता उत्पन्न करने और इस संबंध में बच्चों के दृष्टिकोण को आकार देने में शिक्षकों की भूमिका सबसे महत्त्वपूर्ण है।
- तंबाकू के सेवन से होने वाले नुकसान के बारे में बच्चों को जल्द-से जल्द जागरूक किया जाना चाहिये जिस कारण बच्चों में और क्रमिक रूप से वयस्कों में तंबाकू के उपयोग की व्यापकता में कमी के उतने ही बेहतर परिणाम प्राप्त होंगे।
- तंबाकू के सेवन के हानिकारक प्रभावों को प्राथमिक विद्यालय स्तर से ही विभिन्न स्तरों पर स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिये।
अभ्यास प्रश्न: ‘‘तंबाकू उत्पादों की मांग को कम करने के लिये कराधान सबसे अधिक लागत-प्रभावी उपायों में से एक है।’’ चर्चा कीजिये।