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एडिटोरियल

  • 10 Feb, 2022
  • 12 min read
भारतीय अर्थव्यवस्था

डिजिटल रुपए की लॉन्चिंग: चुनौतियाँ और अवसर

यह एडिटोरियल 09/02/2022 को ‘लाइवमिंट’ में प्रकाशित “RBI Shouldn’t Rush the Launch of India’s Official Digital Rupee” लेख पर आधारित है। इसमें डिजिटल मुद्रा के महत्त्व और जल्दबाज़ी में इसकी लॉन्चिंग से जुड़ी चुनौतियों के बारे में चर्चा की गई है।

संदर्भ 

हाल ही में भारत सरकार ने अपने बजट 2022-23 में घोषणा की है कि केंद्रीय बैंक (RBI) द्वारा वर्ष 2022-23 के आरंभ में एक डिजिटल मुद्रा जारी की जाएगी। यह एक महत्त्वपूर्ण निर्णय है जिस बारे में विश्व की अधिकांश प्रमुख अर्थव्यवस्थाएँ जल्दबाज़ी में कोई भी निर्णय लेने से बचती रही हैं। डिजिटल रुपए (Digital Rupee) के पक्ष में यह तर्क प्रस्तुत किया जाता है कि भारत की वैध मुद्रा का इलेक्ट्रॉनिक प्रतिनिधित्व इसकी डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगा। हालाँकि केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (Central Bank Digital Currency- CBDC) को जल्दबाज़ी में अपनाने के संबद्ध में जोखिमों का मूल्यांकन करना भी आवश्यक है।

भारत की अपनी डिजिटल मुद्रा

डिजिटल रुपया:

  • भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) अगले वित्त वर्ष डिजिटल मुद्रा जारी करेगा जिसे ‘डिजिटल रुपया’ (Digital Rupee) कहा जाएगा।
    • केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (CBDC) द्वारा किसी राष्ट्र विशेष (या क्षेत्र) की अधिदिष्ट या वैध मुद्रा (Fiat Currency) के आभासी रूप का प्रतिनिधित्व करने हेतु एक इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड या डिजिटल टोकन का उपयोग करती है।
  • डिजिटल रुपया उपयोगकर्त्ताओं को ऑनलाइन टोकन के रूप में जमा खातों से क्रय शक्ति को स्मार्टफोन वॉलेट में स्थानांतरित करने की अनुमति देगा, जो नकदी की तरह भारतीय रिज़र्व बैंक की देयता होगी।
  • एक डिजिटल रुपया एटीएम रहित बैंकनोट की तरह कार्य करेगा।

डिजिटल मुद्रा के पक्ष में तर्क: 

  • CBDC द्वारा क्रिप्टोकरेंसी जैसे डिजिटल मुद्रा की सुविधा एवं सुरक्षा और पारंपरिक बैंकिंग प्रणाली के विनियमित, आरक्षित-समर्थित धन परिसंचरण दोनों ही प्रकार की व्यवस्थाओं को संयुक्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
  • डिजिटल मुद्रा वाणिज्यिक बैंकों के साथ लेन-देन में भारतीय जमाकर्त्ताओं को होने वाले नुकसान के जोखिम को कम करेगी।
  • उपभोक्ताओं हेतु ई-रूपया (e-rupee) बैंक जमा का एक सुरक्षित विकल्प हो सकता है जहाँ PhonePe , Google Pay और Paytm जैसे ऐप के माध्यम से लगभग 76 ट्रिलियन रुपए का वास्तविक समय भुगतान/रियल टाइम पेमेंट (Real-Time Payments) होता है।
  • खरीद के ऑनलाइन होने के साथ मांग जमा में विश्वास का आधार (कि वे अंकित मूल्य पर नकद में परिवर्तित हो जाते हैं) एक सैद्धांतिक अवधारणा ही होगी।
  • जैसे-जैसे खरीद ऑनलाइन होती है, मांग जमा (Demand Deposits) में विश्वास उत्पन्न करने वाले कई उपाय, जैसे कि अंकित मूल्य पर नकद में परिवर्तन में सैद्धांतिक तौर पर कमी को बढ़ावा दे सकते हैं।
    • ई-मुद्रा परिवर्तनीयता की धारणा को दैनिक वास्तविकता पर निर्धारित करसकती है।
  • यह सीमा-पार भुगतानों के निपटान हेतु कोरेस्पोंडेंट बैंकों के खर्चीले नेटवर्क की आवश्यकता को समाप्त कर सकती है।
    • विदेशों में काम करने वाले भारतीयों के लिये अपने घर पैसा भेजना आसान और सस्ता हो जाएगा जिसके परिणामस्वरूप भारत के लिये बड़ी बचत का निर्माण होगा जो विश्व में शीर्ष विप्रेषण प्राप्तकर्त्ता देश है।

डिजिटल मुद्रा के विपक्ष में तर्क: 

  • यदि ई-कैश (e-cash) लोकप्रिय हो जाता है और RBI द्वारा मोबाइल वॉलेट में रखी वाली राशि की कोई सीमा निर्धारित नहीं की जा सकती है इसी स्थिति में दुर्बल बैंक को अपने पास कम लागत वाली जमा राशि (Low-Cost Deposits) को बनाए रखने हेतु प्रतिस्पर्द्धा का सामना करना पड़ सकता है।
  • छोटे बैंकों द्वारा कम लागत वाली जमा राशि की स्थिति में सुधार के बावजूद ऋणदाता अपनी ऋण संपत्ति को छोड़ने और मुनाफे का त्याग करने के प्रति अनिच्छुक बने रह सकते हैं।
    • इसका निहितार्थ है कि लेस लिक्विड बैलेंस शीट (less-liquid balance sheets) अर्थात् बलेंस शीट में तरलता की कमी उन्हें बैंक परिचालन हेतु सुभेद्य बना सकता है।
  • सभी अर्थव्यवस्थाएँ वित्तीय स्थिरता के लिये मौजूद खतरे के प्रति सचेत हैं और उन्नत राष्ट्र भी बैंक नोटों के घटते उपयोग, विशेष रूप से कोविड के बाद को लेकर चिंतित हैं।
  • पूर्णरूपेण अनाम/बेनाम नकदी के विपरीत अधिकांश CBDC को इस तरह से डिज़ाइन किया जाएगा कि केंद्रीय बैंक व्यय का पता लगाने में सक्षम होंगे।
    • हालाँकि बैंकों के साथ किये गए लेन-देन भुगतान ऐप्स हेतु दृश्यमान नहीं भी हो सकते हैं और फिनटेक फर्म सस्ते ऋणों हेतु चुने जा रहे उन लोगों से संबंधित आँकड़ों से वंचित हो सकती हैं जिनके पास संपार्श्विक नहीं है।

डिजिटल मुद्रा के संबंध में अन्य देशों की स्थिति:

  • कुछ देशों ने पहले ही किसी न किसी रूप में CBDC जारी कर रखा है। वर्ष 2020 में बहामास के केंद्रीय बैंक ने एक डिजिटल मुद्रा जारी की थी।
    • दुनिया भर के अधिकतर केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्राओं की व्यवहार्यता, उपयोगिता और मूल्य पर विचार कर रहे हैं।
  • चीन एकमात्र बड़ी अर्थव्यवस्था है जहाँ राष्ट्रीय स्तर पर CBDC का परीक्षण किया जा रहा है। डिजिटल भुगतान में दो बड़े देशों में प्रतिस्पर्द्धा की अनुपस्थिति को देखते हुए चीन द्वारा CBDC को अपनाना मजबूरी थी।
  • स्वीडन में बैंक नोट मुद्रा आपूर्ति का महज 1% हैं फिर भी रिक्सबैंक (स्वीडिश सेंट्रल बैंक) द्वारा CBDC को अपनाने की कोई जल्दबाज़ी नहीं की जा रही है।
    • पाँच वर्षों से विभिन्न मूल्यांकनों के बाद भी स्वीडिश मौद्रिक प्राधिकरण ई-क्रोना (e-krona) जारी करने पर अभी कोई अंतिम निर्णय नहीं ले सका है।
  • यू.एस. फ़ेडरल रिज़र्व विश्व की सबसे लोकप्रिय लेखा इकाई के रूप में डॉलर पर आधारित निजी ‘स्टेबलकॉइन्स’ (Unit of Account) से प्रतिस्पर्द्धा हेतु आधिकारिक मुद्रा जारी करने के बारे में सार्वजनिक परामर्श कर रहा है।
  • डिजिटल यूरो 24 माह लंबे जाँच से गुज़र रहा है। यदि सब कुछ अनुकूल रहा तो यूरोपियन सेंट्रल बैंक वर्ष 2025 तक इसकी पेशकश कर सकता है।
    • जापान अपनी डिजिटल मुद्रा जारी करने में वर्ष 2026 तक का समय ले सकता है।

डिजिटल रुपए को अपनाने हेतु जल्दबाज़ी के कारण:

  • भारत की जल्दबाजी का एक कारण क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े मुद्दों का समाधान करना है हालाँकि यह समझना कठिन है कि ई-रुपया लोगों को तुरंत अमीर बनने के लिये क्रिप्टोकरेंसी अपनाने के लालच से कैसे रोक सकेगा।
  • एक अन्य कारण चीन से प्रतिस्पर्द्धा है जो अपनी डिजिटल मुद्रा e-CNY (Chinese Yuan Renminbi) लॉन्च करने के लिये तैयार है।
    • चीन सीमा पार व्यापार और वित्त में डॉलर के एक प्रतिद्वंद्वी मुद्रा को बढ़ावा देना चाहता है।

आगे की राह 

  • बेहतर मूल्यांकन के साथ कार्यान्वयन: काग़ज़ी मुद्रा के घटते उपयोग के साथ मुद्रा के इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफाॅर्म को लोकप्रिय बनाने की आवश्यकता है। यह भारत जैसी उच्च भौतिक नकदी उपयोग वाली अर्थव्यवस्थाओं में अधिक कुशलता लाएगा।
    • हालाँकि प्रकार के महत्त्वपूर्ण निर्णय का उचित नियोजित और अच्छी तरह से मूल्यांकित कार्यान्वयन महत्त्वपूर्ण है क्योंकि जल्दबाज़ी में किये गए कार्यान्वयन से लाभ से अधिक हानि की स्थिति बनेगी।
  • कठोर केवाईसी मानदंड: डिजिटल रुपया वरदान साबित हो सकता है। मौद्रिक प्राधिकरण के लिये बैंक प्रबंधन को यह नोटिस देने के लिये प्रौद्योगिकी का उपयोग करना गलत नहीं होगा कि वे जमाकर्त्ताओं को कम महत्त्व दे।
    • ‘नो योर कस्टमर’ (Know Your Customer) मानदंडों का कड़ाई से अनुपालन करने की आवश्यकता है ताकि आतंकी वित्तपोषण या मनी लॉन्ड्रिंग के लिए मुद्रा के दुरूपयोग को रोका जा सके।
  • RBI की भूमिका: RBI को अपनी कार्यप्रणाली को दुरुस्त रखना होगा। डिजिटल मुद्रा के परिचालन हेतु ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी या किसी भी अन्य तरीके को गति, मापनीयता, ऑडिटेबिलिटी, सुरक्षा और गोपनीयता जैसे परस्पर विरोधी लक्ष्यों को संतुलित करने की आवश्यकता होगी।
    • भारत जैसे देश में अभी भी विशाल डिजिटल विभाजन को देखते हुए ऑफलाइन उपयोग हेतु एक प्रोटोकॉल पर कार्य करना होगा। आदर्श रूप से एक बहुवर्षीय परियोजना के कार्यान्वयन में जल्दबाज़ी करना अनावश्यक जोखिमों से भरा हो सकता है।

अभ्यास प्रश्न: ‘‘भारतीय रिज़र्व बैंक को विभिन्न मुद्दों को ध्यान में रखते हुए डिजिटल रुपए को लॉन्च करने से पहले इसके गुण-दोषों का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन करना चाहिये।’’ टिप्पणी कीजिये।


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