लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

एडिटोरियल

  • 08 Jun, 2021
  • 11 min read
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

जैव विविधता और मानव कल्याण पर राष्ट्रीय मिशन

यह एडिटोरियल दिनांक 05/06/2021 को 'द हिन्दू' में प्रकाशित लेख “Saving biodiversity, securing earth’s future” पर आधारित है। इसमें जैव विविधता और मानव कल्याण पर राष्ट्रीय मिशन के सकारात्मक प्रभाव पर चर्चा की गई है।

वर्ष 2000 के बाद से वैश्विक जंगलों का 7% नष्ट हो गया है। हाल के आकलन से संकेत मिलता है कि अगले कुछ दशकों में दस लाख से अधिक प्रजातियाॅं हमेशा के लिये विलुप्त सकती हैं। इसके अलावा जलवायु परिवर्तन और वर्तमान में चल रही महामारी हमारे प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्र पर अतिरिक्त दबाव डालेगी। भारत भी इसका अपवाद नहीं है।

वर्तमान स्थिति से यह स्पष्ट हो रहा है कि प्रकृति और मनुष्य के बीच संतुलन को सुधारना जलवायु परिवर्तन की गति को धीमा करने और भविष्य में होने वाले संक्रामक रोगों के प्रकोप को कम करने का एक तरीका है। जैव विविधता का संरक्षण सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय कल्याण हेतु आवश्यक है।

इस संदर्भ में जैव विविधता और मानव कल्याण पर राष्ट्रीय मिशन (National Mission on Biodiversity and Human WellBeing- NMBHWB) सही दिशा में एक कदम है।

भारत की जैव विविधता का महत्त्व

  • जैव विविधता हॉटस्पॉट: भारत के पास विश्व का केवल 2.3% भू-भाग है किंतु यहाॅं वैश्विक जैव विविधता का लगभग 8% पाया जाता है। 36 वैश्विक जैव विविधता हॉटस्पॉट में से चार भारत में हैं।
  • आश्चर्यजनक आर्थिक मूल्य: हालाॅंकि जैव विविधता द्वारा प्रदान की जाने वाली सभी पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं का सटीक आर्थिक मूल्य ज्ञात नहीं हो सकता है, फिर भी एक अनुमान के अनुसार, अकेले भारत के वन प्रति वर्ष एक ट्रिलियन रुपये से अधिक की सेवाओं का उत्पादन कर सकते हैं।
    • इसके अलावा यह कल्पना की जा सकती है कि घास के मैदानों, आर्द्रभूमि, मीठे पानी और समुद्र जैसे प्राकृतिक संसाधनों द्वारा उत्पादित सेवाओं को जोड़ लिया जाए तो इसका मूल्य कितना बढ़ जाएगा।
  • प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षा: भूमि, नदियों और महासागरों में विभिन्न पारिस्थितिक तंत्र हमारे खाद्य श्रृंखला को मजबूत बनाते है, हमें पोषण प्रदान करते हैं। सार्वजनिक स्वास्थ्य सुरक्षा को बढ़ाते हैं एवं हमें पर्यावरणीय आपदाओं से बचाते हैं।
  • आध्यात्मिक उत्थान: हमारी जैव विविधता आध्यात्मिक उत्थान के एक सतत् स्रोत के रूप में भी कार्य करती है, जो हमारे शारीरिक और मानसिक कल्याण से घनिष्ठ रूप से जुड़ी हुई है।

NMBHWB: विज़न

  • वर्ष 2018 में प्रधान मंत्री विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार सलाहकार परिषद (Prime Minister’s Science, Technology and Innovation Advisory Council-PM-STIAC) ने पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और अन्य मंत्रालयों के परामर्श से जैव विविधता और मानव कल्याण पर एक mahattwakansh राष्ट्रीय मिशन को मंजूरी दी।
  • इस मिशन के तहत् एक राष्ट्रीय प्रयास प्रस्तावित है, जिसका उद्देश्य जैव विविधता विज्ञान को लोगों की आर्थिक समृद्धि से जोड़कर बदलना है। साथ ही, भारत की समृद्ध जैव विविधता का उपयोग करके कृषि, स्वास्थ्य और जलवायु परिवर्तन से जुड़ी चुनौतियों के समाधान करने एवं संयुक्त राष्ट्र के सतत् विकास लक्ष्यों को साकार करने में भारत की मदद करना है।
  • इस मिशन के तहत् अनुसंधान संस्थान, सरकारी और गैर-सरकारी संगठन हमारी विशाल लेकिन घटती प्राकृतिक संपत्तियों को सूचीबद्ध करने, मानचित्र बनाने, मूल्यांकन करने, निगरानी करने और उनका सतत् उपयोग करने के लिये मिलकर काम करेंगे।
  • यह मिशन भारतीय जैव विविधता को सुरक्षित रखने के लिये जैव विविधता वैज्ञानिक एवं इससे जुड़े पेशेवरों का एक संवर्ग बनाने में भी मदद करेगा।
  • अंत में यह मिशन भारत की विशाल आबादी को अपनी प्राकृतिक विरासत पर गर्व महसूस करने और प्रकृति को पुनः अपनी वास्तविक स्थिति प्राप्त करने एवं संरक्षित करने में मदद करने के लिये एक जन आंदोलन शुरू करने की उम्मीद करता है।

NMBHWB: प्रभाव

  • मानव एवं प्रकृति के मध्य असंतुलित संबंध: महामारी ने मनुष्य एवं प्रकृति के बीच खराब संबंधों को उज़ागर कर दिया है एवं चुनौतियों की तरफ हमारा ध्यान केंद्रित किया है, जैसे: संक्रामक रोगों का उद्भव; भोजन और पोषण सुरक्षा की कमी; ग्रामीण बेरोज़गारी; और जलवायु परिवर्तन, आदि। इस संदर्भ में, मिशन निम्नलिखित तरीकों से मदद कर सकता है:
  • ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना: यह मिशन कृषि उत्पादन प्रणालियों को फिर से जीवंत कर सकता है, जैव विविधता आधारित कृषि से ग्रामीण आय में वृद्धि कर सकता है तथा प्राकृतिक पर्यटन के जरिए लाखों रोज़गार भी पैदा कर सकता है।
  • अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धता को बढ़ाना: इस मिशन की सहायता से भारत को जैविक विविधता पर सम्मेलन (Convention on Biodiversity-CBD), गरीबी उन्मूलन, न्याय एवं जीवन की सुरक्षा सहित सामाजिक मुद्दों से संबंधित संयुक्त राष्ट्र के सतत् विकास लक्ष्य के नए ढाॅंचे के तहत अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में मदद कर सकता है।
    • इसके अलावा भारत को प्राकृतिक संपत्ति के संरक्षण और सामाजिक कल्याण के बीच संबंध प्रदर्शित करने के एक जरिए के रूप में उभरने में मदद कर सकता है।
  • आर्थिक लाभ: इस मिशन के तहत व्यापक प्रयास से भारत की प्राकृतिक संपत्ति को पुनः बहाल करने कई गुना तक बढ़ाने के लिये सशक्त बनाएॅंगे।
    • इसके अलावा भारत की निम्नीकृत भूमि में पुनर्स्थापन गतिविधियों से, जो हमारे भूमि क्षेत्र का लगभग एक तिहाई है, कई मिलियन नौकरियाॅं पैदा कर सकती हैं।
  • राष्ट्रीय प्रतिबद्धता विकसित करना: यह जैव विविधता को बनाए रखने, सामाजिक एकजुटता को बढ़ावा देने और एक महत्त्वपूर्ण लक्ष्य के लिये जनता को एकजुट करने हेतु राष्ट्रीय समुदाय उत्पन्न करेगा।

आगे की राह

  • 'वन हेल्थ' अवधारणा की परिकल्पना: हमारी कृषि प्रणालियों को बनाए रखने वाली मिट्टी में अदृश्य बायोटा सहित सभी जीवित जीवों के लिये एक स्वास्थ्य की अवधारणा पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है।
    • एक स्वास्थ्य अवधारणा को लागू करने में अप्रत्याशित सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौतियों के समाधान की क्षमता के साथ-साथ भविष्य की महामारियों को कम करने की निवारक क्षमता भी है।
  • समर्पित वर्ग: 21वीं सदी की विशाल और जटिल पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना करने के लिये एक मजबूत, व्यापक और समर्पित वर्ग की आवश्यकता है।
    • इसके लिये नागरिक समाज में निवेश के साथ-साथ स्थिरता और जैव विविधता विज्ञान में उच्चतम क्षमता के प्रशिक्षित पेशेवरों की आवश्यकता होगी।
  • सांस्कृतिक परिवर्तन को सक्षम बनाना: पर्यावरण परिवर्तन के लाभ को प्राथमिक से स्नातकोत्तर स्तर तक लाखों छात्रों के लिये पर्यावरण शिक्षा से सांस्कृतिक परिवर्तन द्वारा बनाए रखा जाएगा और आगे बढ़ाया जाएगा।
  • प्रकृति-आधारित समाधानों को बढ़ावा देना: इस मिशन में कई पर्यावरणीय चुनौतियों के लिये प्रकृति-आधारित समाधानों को बढ़ावा देने की आवश्यकता है, जिसमें नदियों, जंगलों और मिट्टी का क्षरण, जलवायु परिवर्तन के खतरे एवं जलवायु-लचीला समुदाय बनाने का लक्ष्य शामिल हैं।

निष्कर्ष

इस विश्व पर्यावरण दिवस (5 जून) पर हमारे विशाल देश में फैले  कोरोना वायरस महामारी को देखते हुए हमें प्रकृति के साथ अपने संबंधों के पुनर्निर्माण के तरीकों पर विचार करना चाहिये। इस संदर्भ में NMBHWB एक समग्र  एकीकृत दृष्टिकोण और व्यापक सामाजिक भागीदारी को बढ़ावा दे सकता है।

अभ्यास प्रश्न: राष्ट्रीय जैव विविधता मिशन मानव और प्रकृति के बीच असंतुलित संबंधों को सुधारने में मदद कर सकता है। चर्चा कीजिये।


close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2