नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

एडिटोरियल

  • 05 Dec, 2019
  • 10 min read
भारतीय अर्थव्यवस्था

GST राजस्व में कमी के निहितार्थ

इस Editorial में The Hindu, The Indian Express, Business Line आदि में प्रकाशित लेखों का विश्लेषण किया गया है। इस लेख में वस्तु एवं सेवा कर (GST) तथा हाल के दिनों में उसके संग्रहण में आई कमी पर चर्चा की गई है। आवश्यकतानुसार, यथास्थान टीम दृष्टि के इनपुट भी शामिल किये गए हैं।

संदर्भ

एक के बाद दूसरी, लगातार पाँचवीं तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि दर गिरने के बाद सवाल उठने लगे हैं कि क्या यह मंदी की आहट है! GDP के संबंध में NSO द्वारा जारी हालिया आँकड़ों में सामने आया है कि चालू वित्तीय वर्ष की दूसरी तिमाही (Q2) में देश की आर्थिक वृद्धि दर में गिरावट के चलते यह 4.5 प्रतिशत पर पहुँच गई है। ऐसे में GST परिषद द्वारा की गई हालिया घोषणा से देश के समक्ष एक और गंभीर समस्या उत्पन्न होने की आशंका गहरा गई है। गौरलतब है कि बीते महीने 27 नवंबर को राज्यों को लिखे गए अपने एक पत्र में GST परिषद ने कर संग्रहण में कमी पर चिंता ज़ाहिर की थी और साथ ही राज्यों को यह सूचित किया था कि संभवतः केंद्र सरकार GST के कार्यान्वयन से होने वाले नुकसान की भरपाई करने में सक्षम न हो सके।

GST संग्रहण में कमी

  • लगातार गिरता हुआ GST संग्रहण वित्त मंत्रालय के लिये एक बड़ी चुनौती बन गया है, क्योंकि इसके कारण केंद्र सरकार राज्यों को हुए नुकसान के लिये वैधानिक मुआवज़े का भुगतान नहीं कर पा रही है।
    • उल्लेखनीय है कि कुछ ही दिनों पूर्व पाँच राज्यों के वित्त मंत्रियों ने एक संयुक्त बयान जारी करते हुए GST संवैधानिक संशोधन में निहित बातों को पूरा नहीं करने को लेकर केंद्र सरकार का विरोध किया था।
  • आँकड़ों पर गौर करें तो जुलाई 2017 और मार्च 2019 के बीच कुल कुल 21 महीनों में मात्र 8 ही बार ऐसा देखा गया है जब GST संग्रहण 1 लाख करोड़ रुपए के पार गया हो।
  • ध्यातव्य है कि इसी वर्ष सितंबर में सकल GST राजस्व 91,916 करोड़ रुपए तक पहुँच गया था, जो कि फरवरी 2018 से GST संग्रहण का सबसे निचला स्तर था। हालाँकि अक्तूबर और नवंबर माह में GST संग्रहण में कुछ बढ़ोतरी देखने को मिली थी।
    • परंतु फिर भी GST राजस्व उतना नहीं है कि राज्यों को उनके मुआवज़े का भुगतान किया जा सके।
  • विदित हो कि सरकार ने चालू वित्त वर्ष 2019-20 के लिये तकरीबन 636,63,343 करोड़ रुपए का GST संग्रहण लक्ष्य निर्धारित किया था, परंतु चालू वित्त वर्ष में आठ महीने बीत जाने के बाद भी अब तक मात्र इसका 50 प्रतिशत ही संग्रहीत किया जा सका है।
    • वहीं दूसरी ओर क्षतिपूर्ति उपकर के संग्रहण की स्थिति भी कुछ अच्छी नहीं है। सरकार ने चालू वित्त वर्ष में लगभग 1,09,343 करोड़ रुपए क्षतिपूर्ति उपकर के रूप में एकत्रित करने का लक्ष्य निर्धारित किया था, परंतु अब तक मात्र 64,528 करोड़ रुपए ही एकत्रित किये जा सके हैं।
  • विशेषज्ञों का मानना है कि GST संग्रहण पर अर्थव्यवस्था की वर्तमान स्थिति का काफी असर देखने को मिला है, आत्मविश्वास की कमी और भय के कारण न तो निवेशक निवेश कर रहे हैं और न ही अर्थव्यवस्था की मांग में वृद्धि हो रही है जिसका स्पष्ट प्रभाव GST राजस्व पर पड़ रहा है।

पृष्ठभूमि

  • ऐतिहासिक वस्तु एवं सेवा कर 1 जुलाई, 2017 को लागू हुआ था। 1 जुलाई, 2018 को GST लागू किये जाने के एक वर्ष पूरा होने पर भारत सरकार द्वारा इस दिन को GST दिवस के रूप में मनाया गया था।
  • गौरतलब है कि GST एक अप्रत्यक्ष कर है जिसे भारत को एकीकृत साझा बाज़ार बनाने के उद्देश्य से लागू किया गया है। यह निर्माता से लेकर उपभोक्ताओं तक वस्तुओं एवं सेवाओं की आपूर्ति पर लगने वाला एकल कर है।
  • राज्यों के अनुसमर्थन के पश्चात् 8 सितंबर, 2016 को राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद इसे संविधान (101वाँ संशोधन) अधिनियम, 2016 के रूप में अधिनियमित किया गया।
  • 29 मार्च, 2017 को लोकसभा में वस्तु एवं सेवा कर से संबंधित चार विधेयक विचारार्थ एवं पारित करने हेतु पेश किये गए।
    • केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर विधेयक, 2017
    • एकीकृत वस्तु एवं सेवा कर, 2017
    • संघ शासित प्रदेश वस्तु एवं सेवा कर विधेयक, 2017
    • GST (राज्यों की क्षतिपूर्ति) विधेयक, 2017
  • ये सभी विधेयक लोकसभा ने 29 मार्च, 2017 को और राज्यसभा ने 6 अप्रैल, 2017 को पारित कर दिये।
  • केंद्र सरकार ने पाँच वर्षों की अवधि के लिये GST कार्यान्वयन के कारण कर राजस्व में किसी भी प्रकार की कमी के लिये राज्यों को मुआवज़ा देने का वादा किया। गौरतलब है कि केंद्र के इस वादे ने बड़ी संख्या में अनिच्छुक राज्यों को नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था पर हस्ताक्षर करने हेतु राज़ी कर लिया।

राज्यों को मुआवज़े का प्रावधान

  • GST अधिनियम के अनुसार, वर्ष 2022 (प्रथम पाँच वर्षों) तक GST कर संग्रह में 14 प्रतिशत से कम वृद्धि (आधार वर्ष 2015-16) वाले राज्यों को लिये मुआवज़े की गारंटी दी गई है। ज्ञात है कि केंद्र द्वारा राज्यों को प्रत्येक दो महीने में मुआवज़े का भुगतान मुआवज़ा उपकर से किया जाता है।
    • क्षतिपूर्ति उपकर को कुछ चुनिंदा वस्तुओं और सेवाओं या दोनों की आपूर्ति पर एकत्र किया जाता है।
    • इस उपकर का मुख्य उद्देश्य राज्यों को होने वाले नुकसान की क्षतिपूर्ति करने के लिये पैसे एकत्रित करना है और इसीलिये यह सिर्फ वर्ष 2022 तक ही एकत्रित किया जाएगा।
  • केंद्र ने पहले ही राज्यों को अगस्त-सितंबर 2019 के लिये जीएसटी राजस्व में कमी के कारण मुआवज़ा देने में देरी कर दी है, जिसके लिये भुगतान अक्तूबर, 2019 में किया जाना था।
  • इस विषय पर पंजाब सरकार ने ​​कहा कि अगर केंद्र ने जल्द ही बकाया राशि जारी नहीं की तो वह इस मामले को उच्चतम न्यायालय में ले जाएगी।

इस कदम के संभावित प्रभाव

  • आर्थिक वादों पर भारत सरकार की साख बुरी तरह से पस्त हो चुकी है, परंतु यदि अब राज्यों सरकारों और केंद्र सरकार के बीच होने वाले राजकोषीय अनुबंध भी पूरे नहीं होंगे तो सभी मोर्चों पर सरकार की विश्वसनीयता पूरी तरह से समाप्त हो जाएगी और यदि भारत की राज्य सरकारें ही केंद्र की सार्वजनिक और संवैधानिक प्रतिबद्धता पर भरोसा नहीं कर सकती हैं तो किसी निवेशक से भी यह अपेक्षा नहीं की जा सकेगी।
  • ऐसे समय में जब विकास दर में अस्थिरता बनी हुई है, GST अधिनियम की गारंटी के अनुसार राज्यों को मुआवज़े के भुगतान में देरी उनके लिये वित्त का संकट उत्पन्न करेगा।
  • यदि राज्य के वित्त में अप्रत्याशित कमी आती है तो प्राथमिक स्तर पर वस्तुओं और सेवाओं एवं विकास पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा।
  • कई विश्लेषक मान रहे हैं कि यह वित्तीय संकट हमारे सुधारों की अयथार्थता को रेखंकित कर रहा है।

आगे की राह

  • राज्य सरकारों से GST और क्षतिपूर्ति उपकर दरों और राजस्व बढ़ाने के उपायों जैसे मुद्दों पर अपने विचार साझा करने के लिये कहा गया है। गौरतलब है कि इन पर परिषद की अगली बैठक में चर्चा होने की संभावना है।
  • दीर्घकालिक दृष्टिकोण को अपनाए जाने की आवश्यकता है जिसमें उच्चतम कर स्लैब में वस्तुओं की मौजूदा संख्या को कम करने जैसे उपाय अपनाए जा सकते हैं। साथ ही रियायत प्राप्त वस्तुओं की सूची को भी छोटा किया जा सकता है।
  • कई जानकार टैक्स स्लैब्स की संख्या को घटाने जैसे उपायों का भी सुझाव दे रहे हैं।
  • इसके अलावा GST परिषद को राजस्व में वृद्धि करने के लिये फाइलिंग को आसान बनाने पर भी ध्यान देना चाहिये।

प्रश्न: आप कहाँ तक सहमत हैं कि GST अपने मूल उद्देश्यों को पूरा करने में सक्षम है? GST राजस्व में कमी केंद्र-राज्य संबंधों को किस प्रकार प्रभावित कर रही है?


close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow