इंदौर शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 11 नवंबर से शुरू   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

एडिटोरियल

  • 05 Feb, 2019
  • 16 min read
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

कृत्रिम बुद्धिमत्ता तथा मशीन लर्निंग (Artificial Intelligence & Machine Learning)

संदर्भ


वर्ष 2018-19 का अंतरिम बजट पेश करते समय केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता यानी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (Artificial Intelligence) का भी उल्लेख किया।

आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस को लेकर क्या है सरकार की योजना?

  • सरकार एक नेशनल सेंटर फॉर आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस खोलेगी और जल्द ही आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस पोर्टल भी लॉन्च किया जाएगा।
  • नया आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस पोर्टल नेशनल प्रोग्राम ऑन आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के सपोर्ट में बनाया जाएगा।
  • आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस प्रोग्राम का इस्तेमाल लोगों को आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और इससे जुड़ी तकनीक का फायदा दिलाने के लिये होगा।
  • इसके नेशनल सेंटर्स बनाए जाएंगे जो हब के तौर पर काम करेगा, फिलहाल इसके 9 एरिया चुन लिये गए हैं।
  • प्रस्तावित आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस पोर्टल में क्या होगा और लोगों को इसका फायदा कैसे दिलाया जाएगा, सरकार ने इसके बारे में कोई जानकारी नहीं दी है।

क्या है आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस?


1955 में सबसे पहले जॉन मैकार्थी ने आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस शब्द का इस्तेमाल किया था, इसीलिये इन्हें फादर ऑफ आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस भी कहा जाता है। वैसे देखा जाए तो आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की संकल्‍पना बहुत पुरानी है। ग्रीक मिथकों में 'मैकेनिकल मैन' की अवधारणा से संबंधित कहानियाँ मिलती हैं यानी एक ऐसा व्‍यक्ति जो हमारे किसी व्‍यवहार की नकल करता है। आज मनुष्य अपनी बुद्धि की मदद से मशीनों को भी बुद्धिमान बना रहा है और मशीनों को बुद्धिमान बनाने को ही आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का नाम दिया गया है। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का सीधा और सरल अर्थ है बनावटी या कृत्रिम तरीके से विकसित की गई बौदि्धक क्षमता।

    • जब कोई मशीन या उपकरण परिस्थितियों के अनुकूल सीखकर समस्याओं को हल करता है तो यह आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के दायरे में आता है। इसे विचार करने, नियोजन, सीखने, भाषा की प्रॉसेसिंग, अवधारणा, गति, रचनात्मकता आदि का मिश्रण कहा जा सकता है।
    • आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस कोई नया विषय नहीं है, दशकों से दुनियाभर में इस पर चर्चा होती रही है। मैट्रिक्स, आई रोबोट, टर्मिनेटर, ब्लेड रनर जैसी फिल्मों का आधार आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस ही है।
    • इसके ज़रिये कंप्यूटर सिस्टम या रोबोटिक सिस्टम तैयार किया जाता है, जो उन्हीं तर्कों के आधार पर चलता है जिसके आधार पर मानव मस्तिष्क काम करता है।
    • आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस में अब वैसी मशीनें शामिल नहीं की जाती, जो कैमरे की सहायता से स्थिति का विश्लेषण करती हैं, बल्कि इसमें इससे भी उन्नत तकनीक शामिल की जाती है, जो किसी की भाषा को समझकर निर्णय ले सके।

    कैसे करता है काम तथा फायदे और नुकसान

    • आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की सबसे बड़ी खूबी है मनुष्यों की तरह सोचना तथा व्यवहार करना और तथ्यों को समझ कर तर्क एवं विचारों पर अपनी प्रतिक्रिया देना।

    फायदे


    मशीनों का प्रयोग जटिल तथा दुरूह कामों को करने के लिये किया जाता है और यह सर्वविदित है कि मनुष्य की तुलना में मशीनों की सहायता से काम जल्दी पूरा किया जा सकता है। इसे भविष्य की तकनीक इसलिये कहा जा रहा है क्योंकि इससे दुनिया में क्रांतिकारी बदलाव आने की उम्मीद की जा रही है। इसके इस्तेमाल से संचार, रक्षा, स्वास्थ्य, आपदा प्रबंधन और कृषि आदि क्षेत्रों में बड़ा बदलाव आ सकता है। वैसे इससे होने वाले फायदे और नुकसान पर वैज्ञानिक दो खेमों में बंटे हुए हैं। इसके लाभ अभी बहुत स्पष्ट नहीं हैं, लेकिन इसके खतरों को लेकर कहा जा सकता है कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के आने से सबसे बड़ा नुकसान मनुष्य को ही होगा।

    नुकसान

    • आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस में मनुष्यों के स्थान पर मशीनों से काम लिया जाएगा...मशीनें स्वयं ही निर्णय लेने लगेंगी और उन पर नियंत्रण नहीं किया गया, तो इससे मनुष्य के लिये खतरा भी उत्पन्न हो सकता है।
    • आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के व्यापक इस्तेमाल के ऐसे परिणाम हो सकते हैं जिनकी कल्पना नहीं की गई है।
    • वैज्ञानिक इसे सबसे बड़ा खतरा तब मानते हैं जब आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के ज़रिये मशीनें बिना मानवीय हस्तक्षेप के नैतिक प्रश्नों पर फैसला लेने लगेंगी। जैसे जीवन, सुरक्षा, जन्म-मृत्यु, सामाजिक संबंध आदि फैसले। 
    • बिल गेट्स का मानना है कि यदि मनुष्य अपने से बेहतर सोच वाली मशीन बना लेगा तो मनुष्य के अस्तित्व के लिये ही सबसे बड़ा खतरा उत्पन्न हो जाएगा।
    • सैद्धांतिक भौतिक विज्ञानी स्टीफन हॉकिन्स का भी यही कहना था कि मनुष्य हज़ारों वर्षों के धीमे जैविक विकासक्रम की सीमा है, जो आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का मुकाबला नहीं कर सकती।

    कहाँ होगा इसका इस्तेमाल?

    • आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस कंप्यूटर साइंस का एक हिस्सा है, जिसके तहत इंटेलीजेंट मशीन तैयार की जाती है ,जो मनुष्यों की तरह प्रतिक्रया करती है और काम भी।
    • आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के ज़रिये मशीन मनुष्यों की तरह किसी समस्या को हल कर सकती है।
    • जिस तरह मनुष्य अपने अनुभव से अपनी क्षमता को बेहतर करते हैं, ठीक उसी तरह आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के प्रोग्राम भी हैं, जिसके ज़रिये मशीन भी सीखने का काम कर सकती है।
    • स्मार्टफोनों में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस आधारित असिस्टेंट दिये जाते हैं, जैसे कि गूगल असिस्टेंट। इसे आप जितना इस्तेमाल करेंगे यह उतना सटीक होगा यानी...यह आपसे सीखता है।

    मशीन लर्निंग को भी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का एक हिस्सा माना गया है। मूल रूप से मशीन लर्निंग एक प्रकार का एल्गोरिद्म है जो किसी सॉफ्टवेयर को सही रूप से चलाने में मदद करता है। इसके लिए वह यूज़र द्वारा देखे गए कुछ परिणामों के आधार पर एक नमूना तैयार करता है और उस नमूने के आधार पर भावी पूछे जाने वाले प्रश्नों के पैटर्न को तैयार कर लेता है। इस प्रकार कम्प्यूटर मानव मस्तिष्क की भांति सोचने और कार्य करने की क्षमता प्राप्त कर लेते हैं जिसमें समय के साथ निरंतर विकास होता रहता है।

    भारत में बाढ़ प्रबंधन में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का इस्तेमाल


    केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय ने गूगल के साथ एक समझौता किया है, जिससे भारत में बाढ़ का कारगर और प्रभावकारी प्रबंधन करने में मदद मिलेगी। भारत के केंद्रीय जल आयोग और गूगल के बीच हुए इस सहयोग समझौते से विशेषकर बाढ़ का पूर्वानुमान लगाने एवं बाढ़ संबंधी सूचनाएँ आम जनता को सुलभ कराने में आसानी होगी। इससे बाढ़ पूर्वानुमान प्रणालियों को बेहतर बनाकर स्थान-लक्षित आवश्यक कार्रवाई योग्य बाढ़ चेतावनी जारी करने में मदद मिलेगी। इसके तहत केंद्रीय जल आयोग आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, मशीन लर्निंग एवं भू-स्थानिक मानचित्रण के क्षेत्र में गूगल द्वारा की गई अत्याधुनिक प्रगति का उपयोग करेगा। इस पहल से संकट प्रबंधन एजेंसियों को जल विज्ञान (Hydrological) संबंधी समस्याओं से बेहतर ढंग से निपटने में मदद मिलने की आशा है।

    इसरो के अभियानों में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस

    • भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अपने भावी कार्यक्रमों में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का इस्तेमाल करेगा।
    • इससे इसरो अपने अंतरिक्ष अभियानों को न सिर्फ बेहतर तरीके से अंजाम देगा, बल्कि आँकड़ों का सटीक और त्वरित विश्लेषण भी कर सकेगा।
    • इसरो को उपग्रहों से बड़े पैमाने पर आँकड़े प्राप्त होते हैं, जिनके विश्लेषण का कार्य अभी वैज्ञानिकों से कराया जाता है। इस प्रक्रिया में लंबा समय लगता है।
    • इस कार्य को आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के ज़रिये मशीनों एवं सॉफ्टवेयर से कम समय में और ज्यादा निपुणता से किया जा सकता है। इसके लिये इसरो के डेटा केंद्रों में रोबोटिक्स का इस्तेमाल बढ़ाने की योजना है।
    • इसका सबसे बड़ा फायदा रिमोट सेंसिंग उपग्रहों से मिलने वाले आँकड़ों का विश्लेषण करने में होगा। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से इनका विश्लेषण कर रियल टाइम इस्तेमाल संभव हो सकेगा। इससे प्राकृतिक आपदाओं की सूचनाएँ, फसलों की निगरानी, संसाधनों की सूचनाएँ एकत्र करना आदि कार्य बेहतर तरीके से किये जा सकेंगे।

    इसके अलावा, इसरो उपग्रहों के निर्माण एवं परीक्षणों में भी रोबोट का इस्तेमाल शुरू करेगा। चंद्रयान-2 में जिस रोवर को सतह पर उतारा जाना है, उसमें भी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का इस्तेमाल किया गया है, ताकि यह सतह से नमूने लेकर मौके पर उनका परीक्षण कर रिपोर्ट भेजे। रोवर में कोई खराबी आई तो उसमें स्वत: मरम्मत की क्षमता होगी। गगनयान की मानव रहित दो फ्लाइटों में भी रोबोट भेजे जाएंगे, जबकि आमतौर पर ऐसे परीक्षणों में जानवरों को भेजा जाता है।

    नीति आयोग, इंटेल और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च का ICTAI


    नीति आयोग, इंटेल और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस एप्लीकेशन आधारित शोध परियोजनाओं के विकास और क्रियान्वयन के लिये परिवर्तनीय आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के अंतर्राष्ट्रीय केंद्र की स्थापना करेंगे।

    • इसका नाम International Center for Transformative Artificial Intelligence (ICTAI) रखा गया है।
    • यह पहल नीति आयोग के कार्यक्रम ‘आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के लिये राष्ट्रीय रणनीति’ का एक हिस्सा है।
    • इस केंद्र की स्थापना बंगलुरु में होनी है और यह स्वास्थ्य देखभाल, कृषि और स्मार्ट गतिशीलता के क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस आधारित समाधान के अनुसंधान का संचालन करेगा।
    • इसमें इंटेल और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च की विशेषज्ञता का उपयोग किया जाएगा।
    • प्रशासन, मूलभूत अनुसंधान, अवसंरचना, गणना व सेवा अवसंरचना तथा प्रतिभाओं को आकर्षित करने जैसे क्षेत्रों में यह संस्थान परीक्षण करेगा, खोजबीन करेगा और सर्वोत्तम अभ्यासों की स्थापना करेगा।
    • यह केंद्र देश में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के आधारभूत फ्रेमवर्क को विकसित करेगा।
    • इसका उद्देश्य सूचना प्रौद्योगिकी से संबंधित नीतियों का विकास करना तथा मानकों को विकसित करना है।
    • यह एप्लीकेशन आधारित शोध को प्रोत्साहन देने के लिये आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस तकनीकों का विकास करेगा।
    • यह उद्योग जगत की हस्तियों, नवाचार उद्यमियों तथा आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस सेवा प्रदाताओं के साथ सहयोग बढ़ाने पर विशेष ध्यान देगा।
    • इसका लक्ष्य है विश्व स्तरीय आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस दक्षता के लिये प्रतिभाओं का विकास कर इन्हें कौशल प्रशिक्षण में सहयोग प्रदान करना।
    • इस केंद्र द्वारा विकसित ज्ञान और सर्वोत्तम अभ्यासों का उपयोग नीति आयोग पूरे देश में स्थापित होने वाले ICTAI केंद्रों के निर्माण में करेगा।
    • स्वास्थ्य देखभाल, कृषि, शिक्षा, स्मार्ट सिटी और गतिशीलता के क्षेत्रों में यह केंद्र विशेष रूप से अपना ध्यान केंद्रित करेगा।

    इसमें कोई दो राय नहीं कि आर्थिक विकास और सामाजिक प्रगति के क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाला है और कर भी रहा है। फिर भी आज के समय में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस वैज्ञानिकों के लिये बहुत बड़ा मुद्दा बन चुका है, जिसको लेकर निरंतर शोध हो रहे हैं। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस तकनीकी में नित नए बदलाव भी देखने को मिल रहे हैं।

    भारत का लक्ष्य मनुष्य केंद्रित आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का विकास करना है, जो समावेशी तरीके से मानवता को फायदा पहुँचा सके। कठिन समस्याओं का हल ढूंढना तथा आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के क्षेत्र में विश्व के अग्रणी देशों में शामिल होना भारत के प्रमुख लक्ष्यों में से है। इन सब के अलावा आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की नैतिकता और गोपनीयता से संबंधित भी कुछ महत्त्वपूर्ण मुद्दे हैं, जिनका समाधान करना होगा।


    close
    एसएमएस अलर्ट
    Share Page
    images-2
    images-2