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एडिटोरियल

  • 04 Mar, 2022
  • 14 min read
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

रोगाणुरोधी प्रतिरोध: एक नई महामारी

यह एडिटोरियल 03/03/2022 को ‘इंडियन एक्सप्रेस’ में प्रकाशित “The Lingering Pandemic” लेख पर आधारित है। इसमें रोगाणुरोधी प्रतिरोध (AMR) के प्रसार से संबद्ध चिंताओं के बारे में चर्चा की गई है।

संदर्भ

पिछले कुछ वर्षों में भारतीय अस्पतालों ने सार्वजनिक स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से महत्त्वपूर्ण रोगजनकों में खतरनाक रूप से उच्च प्रतिरोध दर (High Resistance Rates) दर्ज किये हैं। कोविड-19 महामारी ने भी कोविड-19 रोगियों के बीच रोगाणुरोधियों (Antimicrobials) के अनुचित उपयोग के संबंध में चिंता को जन्म दिया है।

कोविड-19 महामारी के बीच रोगाणुरोधी दवाओं के अनावश्यक नुस्खे, एंटीबायोटिक दवाओं के असंवहनीय उपयोग और जल निकायों में अनुपचारित अपशिष्टों एवं अपशिष्ट जल के निकास से दुनिया के अधिकांश हिस्सों में दवा प्रतिरोध के पहले से ही उच्च स्तर में और वृद्धि हुई है।

रोगाणुरोधी प्रतिरोध (Antimicrobial Resistance- AMR)

AMR क्या है और भारत में इसकी क्या स्थिति है?

  • रोगाणुरोधी प्रतिरोध किसी सूक्ष्मजीव (बैक्टीरिया, वायरस, कवक, परजीवी, आदि) द्वारा इनके संक्रमण के उपचार के लिये उपयोग किये जाने वाली एंटीमाइक्रोबियल दवाओं (जैसे एंटीबायोटिक्स, एंटीफंगल, एंटीवायरल, एंटीमाइरियल और एंटीहेलमिंटिक्स) के विरुद्ध प्रतिरोध विकसित कर लेने की स्थिति है।
    • यह तब होता है जब कोई सूक्ष्मजीव समय के साथ बदलता जाता है और दवाओं के प्रति प्रतिक्रिया प्रकट नहीं करता जिससे संक्रमण का इलाज करना कठिन हो जाता है तथा बीमारी के प्रसार, इसकी गंभीरता और मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है।
    • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने AMR को वैश्विक स्वास्थ्य के लिये शीर्ष दस खतरों में से एक के रूप में चिह्नित किया है।
  • भारत में प्रतिवर्ष 56,000 से अधिक नवजात शिशुओं की मौत सेप्सिस के कारण हो जाती है जो ऐसे सूक्ष्मजीव द्वारा उत्पन्न होती है जिसने पहली पंक्ति की एंटीबायोटिक दवाओं के विरुद्ध प्रतिरोध प्राप्त कर लिया है।
  • भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (Indian Council of Medical Research- ICMR) द्वारा 10 अस्पतालों से रिपोर्ट किये गए एक अध्ययन से पता चला है कि जब कोविड के मरीज़ों ने अस्पतालों में दवा-प्रतिरोधी संक्रमण प्राप्त किया तो उनकी मृत्यु दर लगभग 50-60% रही।
  • बहु-दवा प्रतिरोध निर्धारक (Multi-Drug Resistance Determinant) नई दिल्ली मेटालो-बीटा-लैक्टामेज़-1 (New Delhi Metallo-beta-lactamase-1 - NDM-1) इस भूभाग से ही उभरा है।
    • अफ्रीका, यूरोप और एशिया के अन्य भाग दक्षिण एशिया से उत्पन्न होने वाले बहु-दवा प्रतिरोधी टाइफाइड से भी प्रभावित हुए हैं।

AMR के संबंध में GRAM रिपोर्ट के निष्कर्ष

  • GRAM (Global Research on Antimicrobial Resistance) रिपोर्ट एंटीबायोटिक प्रतिरोध के अद्यतन वैश्विक प्रभाव का सबसे व्यापक अनुमान प्रदान करती है।
  • रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2019 में AMR के प्रत्यक्ष परिणाम के रूप में 1.27 मिलियन लोगों की मौत हुई।
  • वर्ष 2019 में प्रतिरोध से संबद्ध लोअर रेस्पिरेटरी संक्रमणों के कारण 1.5 मिलियन से अधिक मौतें हुईं जिससे यह सबसे बोझिल संक्रामक सिंड्रोम बन गया।
  • रोगजनकों में ई. कोलाई वर्ष 2019 में सबसे अधिक मौतों के लिये ज़िम्मेदार था जिसके बाद के. न्यूमोनिया, एस. ऑरियस, ए. बॉमनी, एस. न्यूमोनिया और एम. ट्यूबरकुलोसिस की भूमिका रही।
  • ICMR द्वारा रिपोर्ट किये गए वार्षिक रुझानों को देखें तो वर्ष 2015 से भारत इन सभी रोगजनकों, विशेष रूप से ई. कोलाई और के. न्यूमोनिया के मामले में उच्च स्तर के प्रतिरोध की रिपोर्टिंग करता रहा है।

AMR से संबद्ध चिंताएँ

  • AMR की वृद्धि सेप्सिस के उपचार में एक बड़ी चुनौती साबित हुई है जो एक जानलेवा स्थिति है और दुर्भाग्य से एंटीबायोटिक दवाओं की विफलता से मौतें हो रही हैं जिन्हें रोका जा सकता है।
  • AMR दशकों से की गई चिकित्सा प्रगति को भी, विशेष रूप से तपेदिक और विभिन्न तरह के कैंसर जैसी उच्च बोझ वाली बीमारियों के मामले में, कमज़ोर और पूर्ववत कर रहा है।
  • यह सहस्राब्दी विकास लक्ष्यों (Millennium Development Goals) के लाभ को जोखिम में डाल रहा है और सतत् विकास लक्ष्यों की उपलब्धि के लिये संकट उत्पन्न कर रहा है।
  • चिकित्सा प्रतिष्ठानों से निकासी किये जाते अनुपचारित अपशिष्ट जल रासायनिक यौगिकों से भरे होते हैं जो ‘सुपरबग’ को बढ़ावा देते हैं।
  • ‘सेल्फ-मेडिकेशन’ और ‘ओवर द काउंटर’ (OTC) एंटीबायोटिक उपलब्धता के संयोजन ने विश्व में एंटीबायोटिक प्रतिरोध की उच्चतम दरों में से एक को जन्म दिया है।

AMR पर रोक के लिये सरकार द्वारा की गई पहल

  • देश में दवा प्रतिरोधी संक्रमणों के सबूत पाने और प्रवृत्तियों एवं पैटर्न को रिकॉर्ड करने हेतु वर्ष 2013 में ‘रोगाणुरोधी प्रतिरोध सर्विलांस एंड रिसर्च नेटवर्क’ (AMRSN) शुरू किया गया।
  • AMR पर राष्ट्रीय कार्ययोजना (National Action Plan on AMR) ‘वन हेल्थ’ के दृष्टिकोण पर केंद्रित है जो अप्रैल 2017 में विभिन्न हितधारक मंत्रालयों/विभागों को संलग्न करने के उद्देश्य से शुरू की गई थी।
  • ICMR ने रिसर्च काउंसिल ऑफ नॉर्वे (RCN) के साथ वर्ष 2017 में रोगाणुरोधी प्रतिरोध में अनुसंधान के लिये एक संयुक्त आह्वान की पहल की थी।
  • ICMR ने फेडरल मिनिस्ट्री ऑफ एजुकेशन एंड रिसर्च (BMBF), जर्मनी के साथ AMR पर शोध के लिये एक संयुक्त भारत-जर्मन सहयोग का निर्माण किया है।
  • ICMR ने अस्पताल वार्डों एवं आईसीयू में एंटीबायोटिक दवाओं के दुरुपयोग एवं अति-प्रयोग को नियंत्रित करने के लिये पूरे भारत में एंटीबायोटिक स्टीवर्डशिप प्रोग्राम (AMSP) को एक पायलट प्रोजेक्ट की तरह शुरू किया है।

AMR पर रोक से संबद्ध चुनौतियाँ

  • अपर्याप्त सूचना प्रणालियाँ: अस्पतालों और प्रयोगशालाओं द्वारा रिपोर्ट की गई प्रतिरोध दर स्वतः बीमारी के बोझ में तब्दील नहीं होती है, जब तक कि प्रत्येक प्रतिरोधी ‘आइसोलेट’ उन रोगियों में नैदानिक परिणामों के साथ सहसंबद्ध न हो, जिनसे वे पृथक किये गए थे।
    • ऐसा भारत और कई अन्य निम्न-मध्यम आय वाले देशों में सार्वजनिक क्षेत्र द्वारा वित्तपोषित अधिकांश स्वास्थ्य प्रतिष्ठानों में अपर्याप्त अस्पताल सूचना प्रणालियों के कारण होता है।
  • अपर्याप्त धन: पिछले तीन दशकों में एंटीबायोटिक दवाओं के किसी भी नए वर्ग ने बाज़ार में प्रवेश नहीं किया है, जिसका मुख्य कारण उनके विकास और उत्पादन के लिये अपर्याप्त प्रोत्साहन है।
    • तत्काल कार्रवाई की कमी एक एंटीबायोटिक सर्वनाश की ओर ले जा रही है— एक ऐसा भविष्य जहाँ बैक्टीरिया उपचार के प्रति पूरी तरह से प्रतिरोधी बन रहे हैं।
  • एंटीबायोटिक अवशेषों का बहिष्करण: भारत में वर्तमान अवशिष्ट मानकों में एंटीबायोटिक अवशिष्ट शामिल नहीं हैं और इस प्रकार दवा उद्योग के अपशिष्टों में उनकी निगरानी नहीं की जाती है।
  • योजनाओं की अक्षमता: वर्ष 2017 में स्वीकृत की गई ‘AMR के लिये राष्ट्रीय कार्ययोजना’ इस वर्ष अपनी आधिकारिक अवधि पूरी कर रही है। इस योजना के तहत प्रगति अधिक संतोषजनक नहीं रही है।
    • बहुत से अभिकर्त्ताओं का होना, शासन तंत्र की अनुपस्थिति और धन का अभाव योजना के प्रभावी कार्यान्वयन के लिये प्रमुख अवरोध रहा है।
  • GRAM रिपोर्ट में अंडर-रिपोर्टिंग: ‘WHO-GLASS’ पोर्टल के माध्यम से उपलब्ध भारतीय आँकड़े का एक मामूली अंश ही ‘GRAM’ रिपोर्ट में शामिल किया गया है।
    • भारत ग्राम-नेगेटिव रोगजनकों में फ्लोरोक्विनोलोन, सेफलोस्पोरिन और कार्बापेनेम के प्रति प्रतिरोध के उच्च स्तर की रिपोर्टिंग कर रहा है, जो समुदायों और अस्पतालों में लगभग 70% संक्रमण का कारण बनते हैं।

आगे की राह

  • AMR को कम करने के लिये बहुआयामी रणनीति: AMR को संबोधित करने के लिये एक बहुआयामी और बहुक्षेत्रीय दृष्टिकोण की आवश्यकता है। नई दवाओं को विकसित करने की तात्कालिकता हमें मौजूदा रोगाणुरोधी दवाओं का विवेकपूर्ण तरीके से उपयोग कर सकने के उपायों को स्थापित करने से हतोत्साहित न करे।
    • समुदायों और अस्पतालों में बेहतर संक्रमण नियंत्रण, गुणवत्ता निदान एवं प्रयोगशालाओं की उपलब्धता एवं उपयोग और लोगों को रोगाणुरोधी के बारे में शिक्षित करना रोगाणुरोधी दबाव (जो रोगाणुरोधी प्रतिरोध का अग्रदूत होता है) को कम करने में प्रभावी साबित हुआ है।
    • इन सभी बातों के लिये एक व्यापक योजना की आवश्यकता है, जो उपयुक्त वित्तपोषण से समर्थित हो और एक निर्दिष्ट समन्वय एजेंसी द्वारा संचालित हो।
  • ‘वन हेल्थ’ दृष्टिकोण: AMR में दुनिया को पूर्व-एंटीबायोटिक युग में वापस ले जाने की क्षमता है, जब दवाएँ साधारण संक्रमण का भी इलाज नहीं कर पाती थीं।
    • इस प्रकार, AMR पर नियंत्रण के लिये सुसंगत, एकीकृत, बहु-क्षेत्रीय सहयोग एवं कार्यों के माध्यम से वन हेल्थ के दृष्टिकोण पर आगे बढ़ने की आवश्यकता है क्योंकि मानव, पशु और पर्यावरणीय स्वास्थ्य सभी एकीकृत हैं।
    • एंटीबायोटिक दवाओं के पुराने वर्गों की प्रभावशीलता को पुनर्बहाल करने के लिये ‘एंटीबायोटिक रेज़िस्टेंस ब्रेकर’ (ARBs) का विकास किया जाना चाहिये।
  • प्रभावी निगरानी एवं डेटा प्रबंधन: यह उपयुक्त समय है कि विभिन्न विषयों में एंटीबायोटिक के इष्टतम उपयोग के लिये रणनीतियाँ अपनाई जाएं और फार्मास्युटिकल अपशिष्ट निर्वहन सहित विभिन्न विषयों में विवेकपूर्ण दृष्टिकोण से आगे बढ़ा जाए।
    • कृषि एवं पशुधन उद्योग और फार्मास्युटिकल निर्माण संयंत्रों की प्रभावी सूक्ष्मजैविक निगरानी AMR को कम करने के लिये सूचित नीतिगत कार्रवाइयों का अवसर देगी।
    • साक्ष्य-आधारित मूल्यांकन और हस्तक्षेप के लिये AMR के संबंध में डेटा की कमी को दूर करने के लिये अनुसंधान को बढ़ावा देने से इस लड़ाई में और मदद मिलेगी।

अभ्यास प्रश्न: रोगाणुरोधी प्रतिरोध के प्रसार से जुड़ी चिंताओं की चर्चा कीजिये और इसे रोकने के उपायों पर सुझाव दीजिये।


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