अंतर्राष्ट्रीय संबंध
COVID-19 और भारत-अफ्रीका साझेदारी
इस Editorial में The Hindu, The Indian Express, Business Line आदि में प्रकाशित लेखों का विश्लेषण किया गया है। इस लेख में COVID-19 महामारी की चुनौती से निपटने में भारत-अफ्रीका सहयोग के महत्त्व व इससे संबंधित विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई है। आवश्यकतानुसार, यथास्थान टीम दृष्टि के इनपुट भी शामिल किये गए हैं।
संदर्भ:
हाल के वर्षों में नियमित उच्च स्तरीय यात्राओं, कूटनीतिक बैठकों में वृद्धि, विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक सहयोग तथा एक जीवंत प्रवासी समुदाय के कारण भारत-अफ्रीका के संबंध और अधिक मज़बूत हुए हैं।
हालाँकि आर्थिक मोर्चे पर अफ्रीका को COVID-19 महामारी के दौरान व्यापार में गिरावट और बाज़ार की मांग व आपूर्ति के बाधित होने के कारण भारी क्षति का सामना करना पड़ा है। COVID-19 महामारी के कारण स्थानीय और अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों में उत्पन्न हुआ यह व्यवधान भारत-अफ्रीका संबंधों में हुई वर्षों की प्रगति के लिये बड़ा झटका हो सकता है।
ऐसे में इस कठिन समय के दौरान भारत को COVID-19 की तबाही से निपटने में अफ्रीकी देशों को विभिन्न क्षेत्रों में समर्थन प्रदान करने का प्रयास करना चाहिये।
सहयोग के क्षेत्र:
- सामाजिक अवसंरचना: भारत और अफ्रीका के बीच अवसंरचना (शिक्षा, स्वास्थ्य, कौशल आदि) के क्षेत्र में पहले से ही बहु-आयामी और व्यापक सहयोग रहा है तथा इसमें अफ्रीका की संस्थागत एवं व्यक्तिगत क्षमताओं को बढ़ाने की दिशा में काम करने वाले राष्ट्रीय, राज्य और उप-व्यावसायिक व अन्य हितधारकों को शामिल किया जाता है।
- साझा भू-राजनीतिक हित: अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर भारत और अफ्रीका के साझा हित हैं, जैसे- संयुक्त राष्ट्र के सुधार, आतंकवाद का मुकाबला, शांति व्यवस्था, साइबर सुरक्षा और ऊर्जा सुरक्षा आदि।
- आर्थिक सहयोग: भारत और अफ्रीका के बीच आर्थिक सहयोग काफी व्यापक तथा स्थायी रहा है।
- पिछले डेढ़ दशकों में भारत और अफ्रीका के बीच व्यापार में कई गुना वृद्धि के साथ इसमें काफी विविधता भी आई है।
- वित्तीय वर्ष 2018-19 में भारत और अफ्रीका के बीच द्विपक्षीय व्यापार 63.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर का रहा, जो भारत को इस महाद्वीप का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बनाता है।
- COVID-19 का मुकाबला करने में सहयोग: भारत द्वारा ‘भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग’ (ITEC) कार्यक्रम के तहत अफ्रीका के साथ COVID-19 के प्रबंधन की रणनीतियाँ साझा की गई हैं। साथ ही इसके तहत भारतीय स्वास्थ्य विशेषज्ञों द्वारा अफ्रीका के स्वास्थ्यकर्मियों को प्रशिक्षित करने के लिये विशेष वेबिनार आदि का आयोजन किया गया।
- भारत द्वारा इस महामारी से निपटने हेतु अफ्रीकी देशों में डॉक्टरों और नर्सों को भेजने के अलावा उन्हें हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (HCQ) और पैरासिटामाॅल जैसी अतिआवश्यक दवाओं की आपूर्ति की गई है।
- नव-उपनिवेशवाद का मुकाबला: अफ्रीकी महाद्वीप के साथ चीन का पुराना और गहरा संबंध रहा है परंतु हाल के वर्षों में इस महाद्वीप के देशों में चीनी हस्तक्षेप (विशेष रूप से सैन्य और आर्थिक क्षेत्र) में वृद्धि देखी गई है। हालाँकि COVID-19 महामारी के कारण चीन को विश्व भर में आलोचना का सामना करना पड़ा है।
- हाल के वर्षों में चीन ने वैश्विक स्तर पर एक आर्थिक उपनिवेशक के रूप में ख्याति प्राप्त की है, जो अपने देश की संस्थाओं को बड़ी बुनियादी ढाँचा परियोजनाएँ दिलाने के लिये अल्प-विकसित देशों की पूंजी ज़रूरत का दोहन करता है।
- अतः चीनी निवेश को नव-औपनिवेशिक के रूप में देखा जाता है, चूँकि यह धन, राजनीतिक प्रभाव, हार्ड-इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं और संसाधन निष्कर्षण पर केंद्रित है।
- दूसरी ओर, भारत का ध्यान अफ्रीकी कुलीन वर्ग पर ही नहीं बल्कि आम अफ्रीकियों के साथ समान भागीदारी और स्थानीय क्षमताओं के निर्माण पर केंद्रित है।
- हालाँकि अफ्रीका, चीन के साथ सक्रिय रूप से जुड़ा हुआ है, परंतु वह चाहता है कि भारत इस क्षेत्र में शक्ति संतुलन को बनाए रखने में भागीदार बने और एक सुरक्षा प्रदाता के रूप में कार्य करे।
आगे की राह:
- वैक्सीन कूटनीति: "विश्व की फार्मेसी" के रूप में भारत के लिये COVID-19 के राहत प्रयासों में शामिल होना और वैक्सीन की न्यायसंगत पहुँच सुनिश्चित करने का प्रयास, सहयोग की दिशा में एक प्राथमिकता का क्षेत्र होगा तथा इसके बाद अफ्रीका की स्वास्थ्य प्रणालियों के व्यापक सुदृढ़ीकरण की योजना पर कार्य किया जाना चाहिये।
- आर्थिक सहयोग: अफ्रीका के भीतर एक मुक्त व्यापार समझौते पर वार्ता हुई है, हालाँकि अभी इसे लागू नहीं किया गया है। यह समझौता भारत-अफ्रीका व्यापार में एक उत्प्रेरक का कार्य कर सकता है।
- इस संदर्भ में अफ्रीका में 1.3 बिलियन लोगों के लिये बाज़ार बनाए जाने से भारतीय निर्माताओं को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्द्धा करने और आकारिक मितव्ययिता को मज़बूत करने का अवसर प्राप्त होगा।
- यह रोज़गार के अवसरों के विकास, कौशल और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की सुविधा प्रदान करने के साथ मौजूदा ज्ञान के अंतर को पाटने में सहायता कर सकता है।
- अफ्रीका की आवाज़ बनना: भारत विश्व स्वास्थ्य संगठन और संयुक्त राष्ट्र जैसे संगठनों के माध्यम से अफ्रीका को इस महामारी से उबरने में सहयोग प्रदान करने हेतु बहुपक्षीय प्रयासों को बढ़ावा देने में अग्रणी भूमिका निभा सकता है।
- भारत और अफ्रीका को COVID-19 महामारी से निपटने में सहयोग बढ़ाने तथा वैश्विक चुनौतियों जैसे - जलवायु परिवर्तन, उग्रवाद, आतंकवाद-नियंत्रण, अंतर्राष्ट्रीय अपराध और समुद्री सुरक्षा से निपटने हेतु अपनी शक्ति पर ध्यान केंद्रित करते हुए बहुआयामी साझेदारी का विस्तार करने की योजना बनाने पर कार्य करना चाहिये।
निष्कर्ष:
हालाँकि यह तर्क दिया जा सकता है कि COVID-19 महामारी के संकट का भारत के सभी क्षेत्रों पर गंभीर प्रभाव देखने को मिला है और वर्तमान में इस चुनौती से निपटने के लिये देश पर एक बहुत बड़ा घरेलू दायित्व है, परंतु हमारी साझा चुनौती के इस महत्त्वपूर्ण मोड़ पर अफ्रीका के साथ साझेदारी करना भारत-अफ्रीका एकजुटता के समृद्ध इतिहास को अतिरिक्त मज़बूती प्रदान करेगा।
अभ्यास प्रश्न: COVID-19 महामारी के कारण उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के लिये अफ्रीका की सहायता हेतु भारत की पहल भारत-अफ्रीका संबंधों के समृद्ध इतिहास को और मज़बूती प्रदान करेगी। चर्चा कीजिये।