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एडिटोरियल

  • 01 Mar, 2022
  • 11 min read
शासन व्यवस्था

स्वास्थ्य कार्यबल और महिलाएँ

यह एडिटोरियल 26/02/2022 को ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ में प्रकाशित “India needs More Women Leaders in Health Care” लेख पर आधारित है। इसमें स्वास्थ्य सेवा कार्यबल में महिलाओं की भूमिका के संबंध में चर्चा की गई है।

संदर्भ

समावेशी विकास भारत के दृष्टिकोण के केंद्र में है महिलाओं द्वारा और महिलाओं के लिये विकास। केंद्रीय बजट में पेश ‘नारी शक्ति’ पहल ने इस दृष्टिकोण की पुष्टि की है जहाँ महिलाओं को बदलाव लाने और एक उज्जवल भविष्य की ओर मार्ग प्रशस्त करने के लिये आवश्यक साधनों से लैस किया जा रहा है। नेतृत्वकर्ताओं के पास बदलाव लाने की शक्ति है और महिलाएँ परिवर्तन की इस कहानी का अभिन्न अंग हैं। ऐसे संदर्भों में जहाँ संरचनात्मक असमानताएँ स्थानिक हैं और समर्थन प्रणाली नाजुक हैं (जैसे भारत में), मज़बूत महिला नेता लोगों के जीवन में सकारात्मक व स्थायी परिवर्तन ला सकती हैं।

स्वास्थ्य देखभाल कार्यबल में महिलाओं की स्थिति 

  • नेतृत्व पद तक पहुँचना महिलाओं के लिये विशेष रूप से दुर्लभ ही साबित हुआ है और स्वास्थ्य क्षेत्र भी इसका अपवाद नहीं है। वर्ष 2021 में मेडिकल जर्नल ‘लैंसेट’ (Lancet) में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, महिलाएँ वैश्विक स्वास्थ्य देखभाल कार्यबल के 71% का प्रतिनिधित्व करती हैं और यद्यपि पुरुष एवं महिला दोनों अपने शुरुआती करियर में इस क्षेत्र में समान रूप से प्रगति करते हैं, महिलाओं द्वारा व्यवधानों का सामना करने की संभावना पाँच गुना अधिक होती है। 
  • वैश्विक स्वास्थ्य नेतृत्व में यह लैंगिक अंतराल विशेष रूप से समस्याजनक है क्योंकि महिलाओं का स्वास्थ्य और अनुचित स्वास्थ्य असमानताओं को कम करना इस क्षेत्र के केंद्र में है।
    • इस अंतराल को दूर कर लेने भर से महिलाओं की सभी स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान नहीं मिल जाएगा, लेकिन यह वह पहला आवश्यक कदम होगा जो लंबे समय से अतिदेय है।
  • महामारी के दौरान भारत की स्वास्थ्य व्यवस्था कई बार चरमरा जाने की हद तक पहुँच गई जहाँ देखभाल का बड़ा बोझ महिलाओं पर रहा।
    • अनुमान है कि महिलाएँ डॉक्टरों के 30% और नर्सों एवं दाइयों के 80% से अधिक पदों पर हिस्सेदारी रखती हैं। भारत और दुनिया भर में चिकित्सा कर्मियों ने अपनी जान जोखिम में डालते हुए लाखों लोगों की जान बचाई है।

महिलाओं के समक्ष विद्यमान चुनौतियाँ 

  • भारतीय परिदृश्य वैश्विक रुझानों के अनुरूप ही है जहाँ हमारे देश में भी स्वास्थ्य क्षेत्र में महिलाओं को आमतौर पर वरिष्ठ पदों पर नहीं देखा जाता। उनकी सामान्य समस्याओं में शामिल हैं:
    • कम वेतन या अवैतनिक कार्य
    • एजेंसी का अभाव
    • लैंगिक पूर्वाग्रह और उत्पीड़न की कठोर वास्तविकताएँ
    • सहयोग एवं समर्थन प्रणालियों की कमी
  • महिला स्वास्थ्यकर्मियों के समक्ष मौजूद बाधाएँ उनकी सेहत और आजीविका को कमज़ोर करती हैं, व्यापक लैंगिक समानता को रोकती हैं और स्वास्थ्य प्रणालियों पर नकारात्मक प्रभाव डालती हैं।
  • स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र में महिलाएँ पुरुषों की तुलना में औसतन 28% कम कमाती हैं, जहाँ अकेले व्यावसायिक पृथकता (occupational segregation) ही 10% वेतन अंतर को प्रेरित करती प्रकट होती हैं।
    • अर्जन में यह अंतर संपूर्ण जीवनकाल के पूरा होते कई गुना बढ़ जाता है और कई महिलाओं के लिये वृद्धावस्था में निर्धनता में तब्दील हो जाता है।
  • इसके अलावा, औपचारिक श्रम बाज़ार के बाहर वे महिलाएँ मौजूद हैं जिनके स्वास्थ्य एवं सामाजिक देखभाल कार्य को चिह्नित तक नहीं किया जाता, भुगतान तो दूर की बात है।

महिलाओं की स्वयं की स्वास्थ्य स्थिति

  • भारत में महिलाओं और बच्चों का स्वास्थ्य चिंता का विषय है जहाँ उनमें से आधे से अधिक एनीमिक या रक्त की कमी के शिकार हैं और उनका एक बड़ा भाग कुपोषण से पीड़ित है।
    • राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के अनुसार किशोर बालिकाओं में एनीमिया की स्थिति वास्तव में 54% (2015-16) से बढ़कर 59% (2019-21) हो गई है।
  • ये समस्याएँ कम आयु में विवाह, किशोर गर्भावस्था और असुरक्षित गर्भपात जैसी सामाजिक-सांस्कृतिक कारकों से निकटता से संबद्ध हैं जो युवा लड़कियों और उनके बच्चों में बदतर पोषण एवं स्वास्थ्य स्थिति का कारण बनते हैं ।
  • इसके अलावा चूँकि अधिकांश घरेलू काम महिलाओं द्वारा किये जाते हैं, वे लिम्फैटिक फाइलेरियासिस जैसे उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोगों (NTDs) जैसे खतरों का अधिक सामना करती हैं। प्रायः वे समय पर स्वास्थ्य देखभाल भी प्राप्त नहीं करतीं और पति या अभिभावक की इच्छा के अधीन बनी रहती हैं।

स्वास्थ्य देखभाल कार्यबल में महिलाओं का महत्त्व 

  • विभिन्न अध्ययन स्थापित करते हैं कि अधिक महिलाओं को नेतृत्व का पद सौंपने से न केवल संगठनात्मक उत्पादकता बढ़ती है बल्कि महिला कार्यबल का मूल्य भी अधिकतम हो जाता है।
  • निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में महिलाओं को सबसे आगे और केंद्र में रखने से नीतियों में हमारे सामाजिक ताने-बाने की बारीकियों को एकीकृत करने में मदद मिलेगी।
  • अनुमान किया जाता है कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में महिलाएँ वैश्विक जीडीपी (3 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर) में 5% प्रति वर्ष का योगदान करती हैं, जिसमें से लगभग 50% गैर-मान्यता प्राप्त और अवैतनिक हैं।
    • यदि महिलाएँ समान रूप से अर्थव्यवस्था में भाग लेने में सक्षम हों तो इसके परिणामस्वरूप वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 160 ट्रिलियन डॉलर की वृद्धि या मानव पूंजी संपदा में 21.7% की वृद्धि हो सकती है।

आगे की राह 

  • अधिक निवेश और अवसरों का निर्माण: प्रभावी नेतृत्व निवेश और एकसमान अवसरों के सृजन पर निर्भर करता है।
    • महामारी द्वारा मौजूदा प्रणालियों की नाजुकता और समय पर कुशल निर्णय लेने की आवश्यकता को उजागर किये जाने के साथ यह महत्त्वपूर्ण है कि हम अपने निवेशों पर फिर से विचार करें ताकि सभी स्तरों पर स्वास्थ्य नेतृत्व समावेशी, विविध और न्यायसंगत बन सके।
  • परिवर्तनों के साथ विकास: स्वास्थ्य नेतृत्व काफी हद तक प्राथमिकताओं की पहचान करने, स्वास्थ्य प्रणाली के भीतर विभिन्न अभिकर्ताओं को रणनीतिक दिशा प्रदान करने और स्वास्थ्य क्षेत्र में प्रतिबद्धता का निर्माण करने की क्षमता पर केंद्रित है।
    • स्वास्थ्य प्रणाली में परिवर्तन के साथ नेतृत्व में भी सुधार आना चाहिये और वह राजनीतिक, प्रौद्योगिकीय, सामाजिक और आर्थिक विकास के प्रति जवाबदेह बने जो स्वास्थ्य प्रणाली को सशक्त बनाने के लिये आवश्यक है।
  • महिलाओं को नेतृत्वकारी भूमिका में लाना: उल्लेखनीय है कि बजट सत्र में नारी शक्ति पहल और मिशन शक्ति को महिलाओं के लिये उनकी जीवन यात्रा की उतरोत्तर प्रगति के साथ एकीकृत देखभाल एवं सुरक्षा, पुनर्वास के माध्यम से एकीकृत नागरिक-केंद्रित समर्थन देने के लिये फिर से शुरू किया गया था। यह सही दिशा में उठाया गया कदम है।
    • निर्णय-निर्माण स्तर पर प्रमुख के रूप में और अधिक महिलाओं का होना अत्यावश्यक है ताकि अधिक महिला-केंद्रित हस्तक्षेप शुरू किया जा सकें।
    • सामाजिक बाधाओं को दूर करना, लचीलेपन का निर्माण करना, स्वास्थ्य प्रणालियों को समावेशी बनाना और विविध दृष्टिकोणों को स्वास्थ्य संसाधन आवंटन, अनुसंधान नीतियों एवं वित्तपोषण में एकीकृत करना अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
  • सामूहिक उत्तरदायित्व: स्वास्थ्य क्षेत्र में महिलाओं को नेतृत्वकारी भूमिका सौंपने और इस दिशा में साधनों को इष्टतम करने हेतु हमें और अधिक ठोस एवं और साभिप्राय प्रयास करने की ज़रूरत है।
    • इसके लिये दृष्टिकोण बदलने, गहरी जड़ें जमा चुकी सामाजिक-सांस्कृतिक मान्यताओं से अलग होने और सभी के लिये समान अवसर उपलब्ध कराने की आवश्यकता है।
    • परिवर्तनकारी लैंगिक नेतृत्व में विश्वास करने और इस दिशा में आगे बढ़ने से ही हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि नीतिगत निर्णय सभी को लाभान्वित करें और अंतर-पीढ़ीगत परिवर्तन लेकर आएँ।

अभ्यास प्रश्न: स्वास्थ्य सेवा कार्यबल में महिलाओं के सामने विद्यमान चुनौतियों की चर्चा कीजिये और सुझाव दीजिये कि इस क्षेत्र में महिलाओं का महत्त्वपूर्ण प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने हेतु क्या उपाय किये जा सकते हैं।


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