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डेली न्यूज़

  • 31 Aug, 2018
  • 10 min read
आंतरिक सुरक्षा

राजद्रोह पर पुनर्विचार .

चर्चा में क्यों?

हाल ही में विधि आयोग ने राजद्रोह के संबंध में एक परामर्श पत्र प्रकाशित किया है जिसमें देशद्रोह के प्रावधानों पर पुनर्विचार करने को कहा गया है।

प्रमुख बिंदु

  • विधि आयोग ने अपने परामर्श पत्र में कहा है कि एक जीवंत लोकतंत्र में सरकार के प्रति असहमति और उसकी आलोचना सार्वजनिक बहस का प्रमुख तत्त्व है। 
  • इस संदर्भ में आयोग ने कहा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 124A, जिसके अंतर्गत राजद्रोह का प्रावधान किया गया है, पर पुनः विचार करने या रद्द करने का समय आ गया है।
  • आयोग ने इस बात पर विचार करते हुए कि मुक्त वाक् एवं अभिव्यक्ति का अधिकार लोकतंत्र का एक आवश्यक घटक है, के साथ "धारा 124A को हटाने या पुनर्परिभाषित करने के लिये सार्वजनिक राय आमंत्रित की है। 
  • पत्र में कहा गया है कि भारत को राजद्रोह के कानून को क्यों बरकरार रखना चाहिये जबकि इसकी शुरुआत अंग्रेज़ों ने भारतीयों के दमन के लिये की थी और उन्होंने अपने देश में इस कानून को समाप्त कर दिया है। उल्लेखनीय है कि राजद्रोह के तहत तीन वर्ष से लेकर राजद्रोह का प्रावधान किया गया है।
  • इस तरह आयोग ने कहा कि राज्य की कार्रवाईयों के लिये असहमति की अभिव्यक्ति को राजद्रोह के रूप में नहीं माना जा सकता है।
  • एक ऐसा विचार जो कि सरकार की नीतियों के अनुरूप नहीं है,  की अभिव्यक्ति मात्र से व्यक्ति पर राजद्रोह का मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है। गौरतलब है कि अपने इतिहास की आलोचना करने और प्रतिकार करने का अधिकार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के तहत सुरक्षित है।
  • राष्ट्रीय अखंडता की रक्षा करना आवश्यक है, लेकिन इसका दुरपयोग स्वतंत्र अभिव्यक्ति पर नियंत्रण स्थापित करने के उपकरण के रूप में नहीं किया जाना चाहिये।
  • आयोग ने कहा कि लोकतंत्र में एक ही पुस्तक से गीतों का गायन देशभक्ति का मापदंड नहीं है। लोगों को उनके अनुसार देशभक्ति को अभिव्यक्त करने का अधिकार होना चाहिये।
  • अनुचित प्रतिबंधों से बचने के लिये मुक्त वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रतिबंधों को सावधानी पूर्वक जाँच करनी चाहिये।
  • किंतु आयोग ने कहा है कि यदि न्यायालय की अवमानना के संदर्भ में सज़ा का प्रावधान है तो सरकार की अवमानना के संदर्भ में क्यों नहीं होना चाहिये?

भारतीय राजव्यवस्था

दिल्ली में अखिल भारतीय आरक्षण नियम

चर्चा में क्यों?

एक वाद में निर्णय देते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि आरक्षण राज्य विशिष्ट है, लेकिन दिल्ली एक 'लघु भारत' है जहाँ  “अखिल भारतीय आरक्षण नियम” लागू होता है।

प्रमुख बिंदु

  • न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की अगुवाई में पाँच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से यह कहा कि रोज़गार या शिक्षा प्राप्त करने के उद्देश्य से प्रवासित किसी अन्य राज्य के अनुसूचित जाति के व्यक्ति को दूसरे राज्य में अनुसूचित जाति का नहीं माना जा सकता है।
  • न्यायाधीश ने कहा कि संविधान द्वारा प्रदत्त आरक्षण का लाभ राज्य/संघ शासित प्रदेश के भौगोलिक क्षेत्रों तक ही सीमित रहेगा। इसके संबंध में अनुसूचित जातियों/अनुसूचित जनजातियों की सूची को समय-समय पर जारी राष्ट्रपति के आदेशों द्वारा अधिसूचित किया गया है।
  • पीठ के अन्य सदस्यों में जस्टिस एन .वी रमण, आर. भानुमति, एम.एम. शांतनगौदर और एस. अब्दुल नज़ीर शामिल थे।
  • लेकिन न्यायमूर्ति भानुमति बहुमत से इस बिंदु पर कि दिल्ली के लिये अखिल भारतीय आरक्षण का नियम “ संघीय राजनीति की संवैधानिक संरचना के अनुकूल है”, असंतुष्ट दिखे। 
  • न्यायमूर्ति बनुमथी ने कहा कि यदि दिल्ली जैसे संघ शासित प्रदेशों में अखिल भारतीय आरक्षण का नियम लागू होता है तो इससे अनुसूचित जाति/जनजाति के उत्थान की संविधान की योजना का उद्देश्य ही विफल हो जाता है।
  • हालाँकि, न्यायमूर्ति भानुमथी ने इस पर सहमति व्यक्त की कि आरक्षण राज्य-विशिष्ट होना चाहिये।

प्रारंभिक परीक्षा

प्रीलिम्स फैक्ट्स : 31 अगस्त, 2018

सह्याद्रि ककाडू-2018 अभ्‍यास में शामिल

  • दक्षिण चीन सागर और प्रशांत महासागर में चार महीने की तैनाती के बाद भारतीय नौसेना का जहाज
  • सह्याद्रि ऑस्‍ट्रेलिया में डार्विन बंदरगाह पर आयोजित ककाडू-2018 सैन्याभ्यास में शामिल हुआ।स
  • ह्याद्रि ने दक्षिण चीन सागर और प्रशांत महासागर में तैनाती के दौरान गुआम में मालाबार-2018 और हवाई में रिमपैक-2018 के बहुराष्‍ट्रीय अभ्‍यास में भारतीय नौसेना का प्रतिनिधित्‍व किया था।

ककाडू अभ्‍यास

  • वर्ष 1993 से शुरू ककाडू अभ्‍यास रॉयल ऑस्‍ट्रेलियाई नौसेना (RAN) द्वारा आयोजित और रॉयल ऑस्‍ट्रेलियाई वायुसेना (RAAF) द्वारा समर्थित एक महत्त्वपूर्ण बहुपक्षीय क्षेत्रीय समुद्री अभ्‍यास है।
  • यह अभ्‍यास हर दो साल की अवधि पर डार्विन और उत्तरी  ऑस्‍ट्रेलियाई अभ्‍यास क्षेत्रों (NAXA) में आयोजित होता है।
  • समुद्री अभ्‍यास ककाडू-2018 का चौदहवाँ संस्‍करण 29 अगस्‍त से 15 सितंबर तक चलेगा।
  • ककाडू अभ्‍यास का नाम डार्विन से दक्षिण-पूर्व 171 किलोमीटर दूर ऑस्‍ट्रेलिया के उत्तरी क्षेत्र में स्थित ककाडू राष्‍ट्रीय पार्क से लिया गया है।

छठी RCEP मंत्री स्तरीय बैठक सिंगापुर में आरंभ

  • वाणिज्य एवं उद्योग तथा नागरिक उड्डयन मंत्री सुरेश प्रभु सिंगापुर में आयोजित छठी RCEP व्यापार मंत्रियों की बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे।
  • इस बैठक में प्रमुख रूप से 10 आसियान देश तथा 6 आसियान एफटीए साझेदार देश शामिल होंगे।
  • यह बैठक 30-31 अगस्त, 2018 तक चलेगी।

क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP)

  • यह एक प्रस्तावित मेगा मुक्त व्यापार समझौता है, जो आसियान के दस सदस्य देशों (ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्याँमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम) और छह उन देशों (ऑस्ट्रेलिया, चीन, भारत, जापान, दक्षिण कोरिया और न्यूज़ीलैंड) के बीच का संघ है, जिनके साथ आसियान का मुक्त व्यापार समझौता है।

नवोन्मेष उपलब्धियों पर संस्थानों का अटल रैंकिंग

  • उच्च शिक्षा संस्थानों में नवाचार की संस्कृति को प्रोत्साहन देने के लिये मानव संसाधन विकास मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर और मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री डॉ.सत्य पाल सिंह ने AICTE में नवाचार उपलब्धियों पर नवाचार प्रकोष्ठ एवं संस्थानों की अटल रैंकिंग (ARIIA) को लॉन्च किया।
  • उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 2010-2020 के दशक को ‘नवाचार दशक’ कहा है।
  • भारत विश्व मंच पर नवाचार के संदर्भ में पाँच वर्ष पहले 86वें स्थान पर था, जो इस वर्ष 57वें स्थान पर पहुँच गया है।

मानव संसाधन विकास मंत्रालय नवाचार प्रकोष्ठ

  • नवाचार प्रकोष्ठ मानव संसाधन विकास मंत्रालय की पहल है जिसे एआईसीटीई ने स्थापित किया है।
  • इसका उद्देश्य देश भर के उच्च शिक्षा संस्थानों में नवाचार की संस्कृति को व्यवस्थित तरीके से प्रोत्साहन देना है।
  • नवाचार प्रकोष्ठ के प्रमुख कार्यों में युवा छात्रों को प्रोत्साहित, प्रेरित और शिक्षित करना है।
  • इसके तहत युवा छात्रों को नए विचारों से परिचित कराया जाएगा और उच्च शिक्षा संस्थानों में नवाचार क्लबों के नेटवर्क के ज़रिये उनमें नवाचार के प्रति रुझान पैदा किया जाएगा।

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