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डेली न्यूज़

  • 30 Mar, 2019
  • 26 min read
जैव विविधता और पर्यावरण

जलवायु की वैश्विक स्थिति: WMO

चर्चा में क्यों?

हाल में विश्व मौसम विज्ञान संगठन (World Meteorological Organisation- WMO) द्वारा जलवायु और सतत् विकास पर एक उच्च स्तरीय बैठक के दौरान वैश्विक जलवायु के संदर्भ में बयान जारी किया गया।

  • इसके अनुसार, साल 2018 में समुद्र के जल स्तर में तीव्र गति से वृद्धि होना दर्शाया गया है। समुद्र में अम्लीयता बरकरार रहने के परिणाम स्वरूप यह समुद्री जैव-विविधता के लिए खतरा बना रहा।

प्रमुख बिंदु

  • पिछले चार वर्षों में समुद्र के स्तर में रिकॉर्ड वृद्धि के साथ अम्लीकरण अधिक पाया गया। स्थल एवं समुद्र के तापमान में वृद्धि मानवजनित कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) उत्सर्जन का परिणाम है।
  • पहली बार 1994 में प्रकाशित विवरण में CO2 का स्तर 357 पीपीएम था, जबकि 2017 में यह 405.5 पीपीएम तक पहुँच गया और निरंतर बढ़ता जा रहा है।
  • WMO के अनुसार, 2018 और 2019 के दौरान ग्रीनहाउस गैस की सांद्रता और अधिक बढ़ने की उम्मीद है।
  • नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (National Oceanic and Atmospheric Administration) से प्राप्त आँकड़ों के अनुसार, अफ्रीका, एशिया, यूरोप, ओशिनिया और दक्षिण अमेरिका में वर्ष 2018 को 10 वर्षों में सबसे गर्म वर्ष का दर्जा दिया गया।
  • वैश्विक स्तर पर कई प्रमुख जलवायु संकेतक जैसे- समुद्र के स्तर में वृद्धि और ग्लेशियर के नुकसान ने खतरनाक जलवायु परिवर्तन प्रभाव की एक स्पष्ट तस्वीर चित्रित की है।
  • 2018 में समुद्र की सतह का पानी असामान्य रूप से गर्म पाया गया, जिसमें प्रशांत क्षेत्र भी शामिल था।

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प्रभाव

  • समुद्र में अम्लीकरण बढ़ने के कारण समुद्री जैव विविधता पर गंभीर ख़तरा उत्पन्न हो जाता है।
  • समुद्र में BOD (Biochemical Oxygen Demand) बढ़ रही है साथ ही कम ऑक्सीजन सांद्रता वाले क्षेत्रों का विस्तार हो रहा है।
  • 2018 में वैश्विक औसत समुद्री स्तर 2017 की तुलना में लगभग 3.7 मिमी. की वृद्धि पाई गई।
  • वैश्विक रूप से समुद्रन स्तर की वृद्धि का मुख्य कारण बर्फ की चादरों का तेज़ी से पिघलना है।
  • यद्यपि 2018 की शुरुआत में कमज़ोर ला-नीना की स्थिति देखी गई थी, वर्षा पर इसका प्रभाव अपेक्षित अनुमानों के विपरीत था। उदाहरण के लिये कैलिफोर्निया में ला-नीना के दौरान एक अप्रत्याशित घटना हुई जिससे कई जगहों पर बाढ़ आ गई।

भारत के संदर्भ में

  • WMO ने 2018 में दुनिया भर के मौसम की विषम घटनाओं को भी रेखांकित किया जिसमें अगस्त 2018 में आई केरल की गंभीर बाढ़ भी शामिल है, इसके कारण भारी आर्थिक नुकसान हुआ था।
  • साथ-ही-साथ 2018 में भारत में शीत लहर का भी जिक्र किया गया है कि कैसे देश में सर्दी रिकॉर्ड स्तर पर बढ़ गई।
  • भारतीय मानसून ने पश्चिमी घाटों और हिमालय के पूर्वी भागों में सामान्य से कम वर्षा की लेकिन पश्चिमी हिमालय में वर्षा सामान्य से अधिक पाई गई।
  • जून से सितंबर 2018 तक अखिल भारतीय स्तर पर वर्षा दीर्घकालिक औसत से लगभग 9% कम थी।

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2018: चौथा सबसे गर्म वर्ष

  • संयुक्त राष्ट्र के विश्व मौसम विज्ञान संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार, अब तक के दर्ज रिकार्ड में वर्ष 2018 चौथा सबसे गर्म साल था।
  • विश्व मौसम विज्ञान संगठन (World Meteorological Organization-WMO) के अनुसार, 2018 में औसत वैश्विक तापमान पूर्व औद्योगिक स्तरों से 1°C (1.8 ° F) ऊपर था।
  • 2016 सबसे गर्म वर्ष बना हुआ है जिसकी वज़ह अल-नीनो थी।
  • WMO का कहना है कि इतिहास के 20 सबसे गर्म साल पिछले 22 वर्षों के भीतर रहे हैं।

विश्व मौसम विज्ञान संगठन (World Meteorological Organisation)

  • यह एक अंतर-सरकारी संगठन है, जिसे 23 मार्च, 1950 को मौसम विज्ञान संगठन अभिसमय के अनुमोदन द्वारा स्थापित किया गया है।
  • यह पृथ्वी के वायुमंडल की परिस्थिति और व्यवहार, महासागरों के साथ इसके संबंध, मौसम और परिणामस्वरूप उपलब्ध जल संसाधनों के वितरण के बारे में जानकारी देने के लिये संयुक्त राष्ट्र (UN) की आधिकारिक संस्था है।
  • 191 सदस्यों वाले विश्व मौसम विज्ञान संगठन का मुख्यालय जिनेवा (Geneva) में है।
  • उल्लेखनीय है कि प्रतिवर्ष 23 मार्च को विश्व मौसम दिवस मनाया जाता है।

स्रोत- हिंदुस्तान टाइम्स


विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

तमिलनाडु स्वच्छ ऊर्जा में शीर्ष स्थान की ओर

चर्चा में क्यों?

नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में तमिलनाडु कुल स्थापित क्षमता के साथ शीर्ष स्थान हासिल करने की ओर अग्रसर है क्योंकि राज्य में आने वाले वर्ष में पवन और सौर ऊर्जा के क्षेत्र में क्षमता वृद्धि की अपार संभावनाएँ हैं।

कर्नाटक की क्षमता

  • जनवरी 2019 तक कर्नाटक 13,042 मेगावाट की कुल स्थापित क्षमता के साथ नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में शीर्ष राज्य है, जबकि तमिलनाडु की कुल स्थापित क्षमता 12,125 मेगावाट है।
  • तमिलनाडु पवन क्षमता में अग्रणी राज्य है, जबकि सौर ऊर्जा के क्षेत्र में कर्नाटक शीर्ष स्थान पर है।
  • सौर ऊर्जा के क्षेत्र में बढ़ती स्थापित क्षमता और पवन ऊर्जा के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण सुधार के कारण कर्नाटक लगभग चार साल पहले पाँचवे स्थान से शीर्ष स्थान पर पहुँच गया है।
  • नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) के अनुसार, सितंबर 2015 में तमिलनाडु 8,466 मेगावाट की कुल क्षमता के साथ अक्षय ऊर्जा में अग्रणी राज्य था, जबकि कर्नाटक की क्षमता 4,606 मेगावाट थी।
  • कर्नाटक की 13,042 मेगावाट की कुल नवीकरणीय क्षमता में से सौर ऊर्जा के क्षेत्र में 5,323 मेगावाट (जिसमें धरातलीय क्षमता में 5,175 मेगावाट तथा रूफटॉप श्रेणी में 154 मेगावाट) शामिल हैI इसके बाद 4,683 मेगावाट क्षमता के साथ पवन ऊर्जा का स्थान आता है तथा शेष छोटे हाइड्रो, को-जेन पावर (Co-gen Power) तथा बायो-पावर हैं।

तमिलनाडु की क्षमता

  • तमिलनाडु में पवन ऊर्जा 8,764 मेगावाट की कुल स्थापित क्षमता के साथ प्रमुख बनी हुई है, जबकि सौर श्रेणी में राज्य की कुल स्थापित क्षमता 2,233 मेगावाट (धरातलीय स्तर पर 2,098 मेगावाट तथा रूफटॉप स्तर पर 135 मेगावाट) है।
  • जैव-शक्ति (Bio-power) तथा को-जेन (Co-gen) क्षमता का कुल योगदान क्रमशः 1,004 मेगावाट तथा 941 मेगावाट है तथा छोटे हाइड्रो की कुल क्षमता 123 मेगावाट है।
  • अक्षय ऊर्जा परामर्श फर्म ब्रिज ने उम्मीद जताई है कि 2019 में भारत की नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र की कुल क्षमता 15,860 मेगावाट हो जाएगी।
  •  तमिलनाडु में 1,872 मेगावाट नई सौर क्षमता के बढ़ने की उम्मीद है, जबकि कर्नाटक में 1,555 मेगावाट की वृद्धि की संभावना है।

पवन ऊर्जा क्षेत्र

  • 2019 में पवन ऊर्जा क्षेत्र में समग्र रूप से क्षमता वृद्धि 2,300 मेगावाट होने की उम्मीद है तथा तमिलनाडु और गुजरात में नई क्षमता स्थापित होने की उम्मीद है।
  • अनुकूल परिस्थिति के कारण तमिलनाडु कर्नाटक की तुलना में काफी अधिक वृद्धि कर सकता है और समस्त राज्यों में शीर्ष स्थान हासिल कर सकता है।

स्रोत : द हिंदू बिज़नेस लाइन


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

वेनेज़ुएला की मदद करेगा रेड क्रॉस

चर्चा में क्यों?

हाल ही में रेड क्रॉस ने संकट से जूझ रहे वेनेज़ुएला में राहत सामग्री वितरित करने की घोषणा की है। गौरतलब है कि वेनेज़ुएला में राजनीतिक दखलंदाज़ी के खतरे के बावजूद रेड क्रॉस निष्पक्षता से राहत सामग्री का वितरण करने जा रहा है।

प्रमुख बिंदु

  • इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ रेड क्रॉस एंड रेड क्रिसेंट सोसाइटीज़ के प्रमुख ने सहायता की घोषणा करते हुए कहा कि रेड क्रॉस निष्पक्षता और स्वतंत्रता के अपने सिद्धांतों के अनुसार ही कार्य करेगा।
  • रेड क्रॉस द्वारा दी जाने वाली सहायता के पहले चरण में 650,000 लोगों को मदद मिलेगी।
  • संयुक्त राष्ट्र की एक आंतरिक रिपोर्ट के अनुसार, वेनेज़ुएला की लगभग 24% आबादी (सात मिलियन लोग) को मानवीय सहायता की सख्त आवश्यकता है।
  • संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट से यह भी पता चला है कि जीवन स्तर में गिरावट की वज़ह से कुपोषण और जानलेवा बीमारियाँ बढ़ रही हैं।
  • वेनुज़ुएला की सरकार ने आर्थिक संकट के लिये अमेरिका और विपक्षी नेता गुइदो को दोषी ठहराया था।

वेनेज़ुएला संकट क्या है?

  • दक्षिण अमेरिकी देश वेनेज़ुएला इस समय अभूतपूर्व राजनीतिक संकट के दौर से गुज़र रहा है और यह वहाँ लंबे समय से जारी आर्थिक संकट की देन है।
  • पिछले दिनों वेनेज़ुएला में राष्ट्रपति निकोलस मादुरो के इस्तीफे की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गए थे जिसके पश्चात् प्रमुख विपक्षी नेता जुआन गाइदो ने स्वयं को अंतरिम राष्ट्रपति घोषित कर दिया।
  • वेनेज़ुएला के इस संकट ने विश्व को भी दो हिस्सों में बाँट दिया और धीरे-धीरे यह संकट वैश्विक रूप लेने की ओर अग्रसर हो चला।
  • अमेरिका और यूरोपीय देश वेनेज़ुएला के विपक्षी नेता के समर्थन में हैं तो रूस और चीन जैसे देश खुलकर मौजूदा राष्ट्रपति निकोलस मादुरो के पक्ष में हैं।

इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ रेड क्रॉस एंड रेड क्रिसेंट सोसाइटीज़

  • रेड क्रॉस एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है जिसका उद्देश्य मानवीय ज़िन्दगी व स्वास्थ्य का बचाव करना है।
  • इसकी स्थापना युद्ध भूमि पर जख्मी और पीडि़तों को सहायता प्रदान करने के लिये वर्ष 1863 में हेनरी ड्यूनेन्ट ने जिनेवा में की थी।
  • इसका मुख्यालय जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड में है। इसे तीन बार (वर्ष 1917,1944 और 1963) नोबेल शांति पुरस्कार दिया जा चुका है।
  • रेड क्रॉस मुख्य उद्देश्य युद्ध या विपदा के समय में कठिनाइयों से राहत दिलाना है। रेड क्रॉस दिवस प्रतिवर्ष 8 मई को मनाया जाता है।
  • रेड क्रॉस ने मानवता, निष्पक्षता, तटस्थता, स्वतंत्रता, स्वयं प्रेरित सेवा, एकता एवं सार्वभौमिकता के सिद्धांतों को आत्मसात किया है।
  • भारतीय रेड क्रॉस का सोसायटी अधिनियम 1920 में पारित किया गया है जो शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने, रोगों को रोकने और पीडि़तों को सहायता प्रदान करने पर बल देता है।

स्रोत- द हिंदू


विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

बायो-डाइजेस्टर प्रौद्योगिकी

चर्चा में क्यों?

हाल ही में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (Defence Research and Development Organisation- DRDO) द्वारा बायो-डाइजेस्टर प्रौद्योगिकी (Bio-Digester Technology) विकसित की गई है। इस तकनीकी से आने वाले वर्षों में स्वच्छता क्षेत्र में अभूतपूर्व परिवर्तन की संभावना है।

प्रमुख बिंदु

  • हाल ही में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी कर्नाटक (National Institute of Technology Karnataka- NITK) के परिसर में दक्षिण कन्नड़ निर्मिथि केंद्र (Dakshina Kannada Nirmithi Kendra) में बायो डाइजेस्टर प्रौद्योगिकी का प्रदर्शन किया गया।
  • एमएम इंडस्ट्रियल कंट्रोल्स प्राइवेट लिमिटेड (MM Industrial Controls Pvt Ltd.) के प्रबंध निदेशक ने इस बायो-डाइजेस्टर प्रौद्योगिकी से संबंधित महत्त्वपूर्ण जानकारी दी।
  • इनके अनुसार, इस तकनीकी में बायो-डाइजेस्टर टैंक के साथ संलग्न एक जैव-शौचालय होता है जो मानव मल को बायोगैस और पुन: उपयोग किये जा सकने वाले जल में परिवर्तित करता है।

स्वदेशी तकनीक

  • वर्तमान में DRDO द्वारा विकसित तकनीक का उपयोग भारतीय रेलवे और सशस्त्र बलों द्वारा सफलतापूर्वक किया जा रहा है।
  • इसमें एनएरोबिक माइक्रोबियल इनोकुलम (Anaerobic Microbial Inoculum) तकनीकी का उपयोग किया गया है ताकि जीवों को बायोगैस और पानी में परिवर्तित किया जा सके। इसका उपयोग कृषि एवं बागवानी प्रयोजनों के लिये भी किया जा सकता है।
  • इस प्रौद्योगिकी का उपयोग पारंपरिक शौचालयों में भी किया जा सकता है।
  • इस प्रौद्योगिकी को स्थापित करने में पारंपरिक शौचालयों के टैंको की तुलना में कम स्थान की जरूरत होती है।
  • बायो-डाइजेस्टर टैंक के रखरखाव और स्थापना की लागत भी कम होती हैं।
  • टंकियों को स्थानीय परिस्थितियों के आधार पर अनुकूलित किया जा सकता है और माइनस (-) 20 डिग्री से लेकर 50 डिग्री तक के तापमान में संचालित किया जा सकता है।
  • इस तकनीक का इस्तेमाल स्वतंत्र घरों, अपार्टमेंट ब्लॉक, स्कूलों और अन्य शैक्षणिक संस्थानों एवं छात्रावासों में किया जा सकता है।

मुफ्त रखरखाव

  • अधिकांश शहरी क्षेत्रों में सेप्टिक टैंक और खुले कुएँ आसपास के क्षेत्र में स्थित होते हैं जो साफ पानी को प्रदूषित करते हैं।
  • ऐसी समस्या को ख़त्म करने में बायो-डाइजेस्टर टैंक काफी उपयोगी हैं। बायो-डाइजेस्टर टैंक जीवनभर के लिये रखरखाव-मुक्त होते हैं, क्योंकि एनएरोबिक माइक्रोबियल इनोकुलम को टैंक में केवल एक ही बार डाला जाता है।
  • यह माइक्रोब (Microb) स्व-बहुगुणन प्रक्रिया करता रहता है और मल का निस्तारण होता रहता है।

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (Defence Research & Development Organization-DRDO)

  • डीआरडीओ की स्थापना 1958 में रक्षा विज्ञान संगठन (Defence Science Organisation- DSO) के साथ भारतीय सेना के तकनीकी विकास प्रतिष्ठान (Technical Development Establishment- TDEs) और तकनीकी विकास और उत्पादन निदेशालय (Directorate of Technical Development & Production- DTDP) के संयोजन के बाद किया गया।
  • DRDO रक्षा मंत्रालय के रक्षा अनुसंधान और विकास विभाग के तहत काम करता है।
  • यह रक्षा प्रणालियों के डिज़ाइन एवं विकास के साथ-साथ तीनों क्षेत्रों के रक्षा सेवाओं की आवश्यकताओं के अनुसार विश्व स्तर की हथियार प्रणाली एवं उपकरणों के उत्पादन में आत्मनिर्भरता बढ़ाने की दिशा में काम कर रहा है।
  • डीआरडीओ सैन्य प्रौद्योगिकी के विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रहा है, जिसमें वैमानिकी, शस्त्र, युद्धक वाहन, इलेक्ट्रॉनिक्स, इंस्ट्रूमेंटेशन, इंजीनियरिंग प्रणालियाँ, मिसाइलें, नौसेना प्रणालियाँ, उन्नत कंप्यूटिंग, सिमुलेशन और जीवन विज्ञान शामिल है।

एनएरोबिक माइक्रोबियल इनोकुलम Anaerobic Microbial Inoculum- AMI

  • AMI बैक्टीरियल संघ (Bacterial Consortium) है जो मल पदार्थ को गैस एवं जल में परिवर्तित करता है।
  • ये अवायवीय वातावरण में काम करते हैं और बाहरी वातावरण के संपर्क में बहुत संवेदनशील होते हैं।
  • ये बैक्टीरियल कंसोर्टियम बहुत शक्तिशाली होते हैं जो सामान्यतः 5 डिग्री सेल्सियस से 45 डिग्री सेल्सियस के बीच काम कर सकते हैं। एनएरोबिक डाइज़ेशन (Biomethanation) एक बहुत पुरानी तकनीक है और ज़्यादातर बायोगैस उत्पादन के लिये प्रचलित है।

स्रोत- बिज़नेस लाइन (द हिंदू)


विविध

Rapid Fire करेंट अफेयर्स (30 March)

  • तीन देशों की यात्रा के दूसरे चरण में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के बोलीविया पहुँचने पर संवैधानिक राजधानी सूक्रे के सांताक्रूज़ वीरू वीरू इंटरनैशनल एयरपोर्ट पर बोलिविया के राष्ट्रपति इवो मोराल्स ने उनकी अगवानी की। आपको बता दें कि बोलीविया में सरकार ला पाज़ से काम करती है और उसे प्रशासनिक राजधानी का दर्जा प्राप्त है। इसके बाद भारत और बोलीविया के राष्ट्रपतियों के बीच प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता हुई। रामनाथ कोविंद ने भारत-बोलिविया व्यापार फोरम की बैठक में भी हिस्सा लिया। इस दौरान दोनों देशों ने आठ समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किये, जिनमें राजनयिकों के लिये वीज़ा रहित आवागमन, राजनयिक अकादमियों के बीच आदान-प्रदान, खनन, अंतरिक्ष, पारंपरिक चिकित्सा, IT के क्षेत्र में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना और द्वि-महासागरीय रेलवे परियोजना शामिल हैं। गौरतलब है कि दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंध स्थापित होने के बाद भारत की ओर से इस लैटिन अमेरिकी देश की यह पहली उच्चस्तरीय यात्रा है।
  • ब्रेक्ज़िट पर ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थेरेसा मे द्वारा संसद में लाया गया मसौदा प्रस्ताव वहाँ के हाउस ऑफ कॉमंस ने लगातार तीसरी बार खारिज कर दिया है। 29 मार्च को हुए मतदान में उनके प्रस्ताव के विरोध में 344 और समर्थन में 286 वोट पड़े। इसके बाद यूरोपीय संघ से ब्रिटेन के बाहर होने को लेकर स्थिति और उलझ गई है। यह मतदान ब्रेक्ज़िट के भविष्य पर नहीं, बल्कि इससे जुड़े कुछ मुद्दों पर किया गया था, जिनमें आयरलैंड सीमा पर हुआ समझौता, यूरोपीय संघ-ब्रिटेन के अलग होने पर पैसों के लेनदेन और नागरिकों के अधिकार शामिल थे। आपको बता दें कि 29 मार्च, 2017 को ब्रिटेन सरकार ने अनुच्छेद-50 लागू किया था जिसके तहत ठीक दो साल बाद ब्रेक्ज़िट लागू होना था। लेकिन यह तभी हो पाता जब हाउस ऑफ कॉमंस में ब्रिटेन की प्रधानमंत्री का प्रस्ताव पारित हो जाता। अब 12 अप्रैल तक ब्रिटेन को इसका कोई-न-कोई हल निकालना है क्योंकि ऐसा करना कानूनी रूप से बाध्यकरी है।
  • महज 16 साल की उम्र में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को रोकने के लिये आवाज़ उठाने वाली स्वीडिश पर्यावरण कार्यकर्त्ता ग्रेटा थनबर्ग (Greta Thunberg) को हाल ही में 2019 के नोबल शांति पुरस्कार के लिये नामित किया गया है। उसका यह नामांकन पर्यावरण पर बच्चों के अभियान की वज़ह से हुआ है। आपको बता दें पिछले वर्ष 20 अगस्त को ग्रेटा स्कूल न जाकर अपने देश की संसद के बाहर धरने पर बैठ गई थी। उसके हाथ में बैनर था, जिस पर लिखा था ‘स्कोल्स्ट्रेजक फॉर क्लाइमेटेट’ (स्कूल स्ट्राइक फॉर क्लाइमेट यानी पर्यावरण को लेकर स्कूली बच्चों का धरना)। वह शुक्रवार का दिन था, उसके बाद से ग्रेटा लगभग हर शुक्रवार को संसद के बाहर बैठकर स्वीडन की सरकार को ऐसी नीतियाँ बनाने को प्रेरित करती आई है जो पेरिस पर्यावरण संधि के अनुरूप हों। यदि ग्रेटा को नोबेल पुरस्कार मिल जाता है तो वह यह पुरस्कार पाने वाली सबसे कम उम्र की शख्सियत बन जाएगी। इसके पहले मलाला युसुफज़ई ने केवल 17 वर्ष की उम्र में नोबेल पुरस्कार जीता था। आपको बता दें कि तीन नॉर्वेजियन सांसदों ने ग्रेटा को नोबेल पुरस्कार के लिये नामित किया है। 2019 में नोबेल पुरस्कार पाने की दौड़ में 301 उम्मीदवार शामिल हैं जिसमें 223 व्यक्ति और 78 संगठन हैं।
  • दिल्ली सरकार के स्कूल शिक्षक मनु गुलाटी को लैंगिक समानता और महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा देने के लिये डेढ़ लाख की पुरस्कार राशि के साथ मोस्ट प्रॉमिसिंग इंडिविज़ुअल श्रेणी में उत्कृष्टता के लिये 2019 के मार्था फैरेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। गौरतलब है कि डॉ. मार्था फैरेल ने लैंगिक समानता, महिला सशक्तीकरण और कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की रोकथाम की दिशा में उल्लेखनीय कार्य किया। आपको बता दें कि मार्था फैरेल अवार्ड उनकी याद में 2017 में शुरू हुआ था। यह पुरस्कार रिजवान आदातिया फाउंडेशन और Participatory Research in Asia द्वारा सह-प्रायोजित और मार्था फैरेल फाउंडेशन द्वारा समर्थित है। यह पूरस्कार दो श्रेणियों में दिया जाता है- मोस्ट प्रॉमिसिंग इंडिविज़ुअल और बेस्ट ऑर्गेनाइज़ेशन फॉर जेंडर इक्वैलिटी। बेस्ट ऑर्गेनाइज़ेशन फॉर जेंडर इक्वैलिटी श्रेणी में यह पुरस्कार महिला जन अधिकार समिति को मिला है। आपको बता दें कि मार्था फैरेल 13 मई, 2015 को काबुल में एक गेस्ट हाउस में आतंकवादी हमले में मारे गए 14 लोगों में शामिल थीं।

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