डेली न्यूज़ (29 Sep, 2018)



आंध्र प्रदेश हेतु 455 मिलियन डॉलर के ऋण को मंज़ूरी

चर्चा में क्यों?

हाल ही में एशियाई अवसंरचना निवेश बैंक (AIIB) के निदेशक मंडल ने आंध्र प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में सड़क परियोजना के लिये 455 मिलियन डॉलर के ऋण को मंज़ूरी दी।

प्रमुख बिंदु

  • आंध्र प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले दो लाख से अधिक लोग बाज़ार, स्कूलों और अन्य सेवाओं से जुड़े एक बेहतर सड़क नेटवर्क का लाभ उठा पाएंगे।
  • इस परियोजना का उद्देश्य आंध्र प्रदेश में लगभग 3,300 ग्रामीण आवासों को जोड़ने वाली 6,000 किमी से अधिक सड़कों का निर्माण और उन्नयन करना है।
  • एआईआईबी के अनुसार, "बाज़ारों में कृषि और कृषि वस्तुओं की डिलीवरी की सुविधा के लिये परिवहन लिंक में सुधार के अलावा, सभी मौसम में कनेक्टिविटी के परिणामस्वरूप स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में भी बेहतर नतीजों की उम्मीद की जा सकती है। विद्यालयों में उपस्थिति दर, विशेष रूप से लड़कियों के मामले में सुधार होने की उम्मीद है।
  • यह दूसरी परियोजना है जिसके लिये एआईआईबी ने आंध्र प्रदेश में वित्तपोषण किया है। मई 2017 में चीन के नेतृत्व वाले इस बैंक ने राज्य में बिजली परियोजना के लिये 160 मिलियन डॉलर का ऋण मंज़ूर किया था।
  • एआईआईबी का अधिदेश स्थायी आधारभूत संरचना निर्माण में मदद करके एशिया में आर्थिक विकास को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।
  • एआईआईबी के अनुसार, "शेष राज्य और बाज़ारों के साथ ग्रामीण आबादी को एकीकृत करके, यह परियोजना पूरी तरह से राज्य में आर्थिक विकास का विस्तार करेगी।"
  • यह भारत में ग्रामीण सड़क परियोजनाओं में एआईआईबी का तीसरा निवेश है क्योंकि ऐसी परियोजनाएँ सतत विकास लक्ष्यों और भारत सरकार की प्राथमिकताओं के साथ संरेखित हैं।

सबसे बड़ा ऋण प्राप्तकर्त्ता

  • नया ऋण सात अवसंरचना परियोजनाओं में भारत के प्रति एआईआईबी की कुल 1.76 अरब डॉलर से अधिक की प्रतिबद्धता और भारत के राष्ट्रीय निवेश और अवसंरचना कोष (NIIF) को इस साल की शुरुआत में अनुमोदित 200 मिलियन डॉलर इक्विटी निवेश की प्रतिबद्धता दर्शाता है।
  • भारत 72 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ एआईआईबी का दूसरा सबसे बड़ा शेयरधारक है और अब तक बैंक द्वारा दिये गए ऋण का सबसे बड़ा प्राप्तकर्त्ता भी है।

एशियाई अवसंरचना निवेश बैंक (AIIB) क्या है?

  • यह एक बहुपक्षीय विकास बैंक है जो एशिया और उसके बाहर के सामाजिक और आर्थिक नतीज़ों में सुधार के लिये एक मिशन के रूप में कार्य करता है।
  • एआईआईबी का मुख्यालय बीजिंग में है जिसका गठन वर्ष 2016 में 100 बिलियन डॉलर की प्रतिबद्ध पूंजी के साथ किया गया था। वर्तमान में इसके 86 अनुमोदित सदस्य हैं।
  • टिकाऊ बुनियादी ढाँचे और अन्य उत्पादक क्षेत्रों में निवेश करके एआईआईबी लोगों, सेवाओं और बाज़ारों को बेहतर ढंग से जोड़ रहा है, जो समय के साथ अरबों लोगों के जीवन को प्रभावित करेगा और बेहतर भविष्य का निर्माण करेगा।
  • एआईआईबी ऊर्जा और बिजली, परिवहन और दूरसंचार, ग्रामीण बुनियादी ढाँचा व कृषि विकास, जल आपूर्ति एवं स्वच्छता, पर्यावरण संरक्षण, शहरी विकास और प्रचालन में ठोस और टिकाऊ परियोजनाओं के लिये वित्तपोषण प्रदान करता है।

हर उम्र की महिलाओं के लिये खुले सबरीमाला मंदिर के दरवाज़े

चर्चा में क्यों?

सर्वोच्च न्यायालय ने केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के मुद्दे पर ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए हर उम्र की महिला को मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति दे दी है। 4:1 के बहुमत से हुए फैसले में पाँच जजों की संविधान पीठ  ने स्पष्ट किया है कि हर उम्र की महिलाएँ अब मंदिर में प्रवेश कर सकेंगी। इसके साथ ही सर्वोच्च न्यायालय ने केरल उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ द्वारा वर्ष 1991 में दिये गए उस फैसले को भी निरस्त कर दिया जिसमें कहा गया था कि सबरीमाला मंदिर में महिलाओं को प्रवेश करने से रोकना असंवैधानिक नहीं है।

सर्वोच्च न्यायालय का फैसला

  • सबरीमाला मंदिर की सैंकडों साल पुरानी परंपरा जिसमें 10 से 50 साल की उम्र की महिलाओं के लिये मंदिर में प्रवेश करना वर्जित था, पूरी तरह से असंवैधानिक है।
  • देश की संस्कृति में महिलाओं का स्थान आदरणीय है। जहाँ एक ओर देवी के रूप में महिलाओं को पूजा जाता है वहीँ दूसरी ओर उन्हें मंदिर में प्रवेश से रोका जा रहा है। धर्म के नाम पर इस तरह की पुरुषवादी सोच उचित नहीं है और उम्र के आधार पर महिलाओं को मंदिर में प्रवेश करने से रोकना धर्म का अभिन्न हिस्सा नहीं है।
  • रजोनिवृत्ति जैसे जैविक और शारीरिक विशेषताओं के आधार पर महिलाओं को मंदिर में प्रवेश करने से रोकना असंवैधानिक है। यह महिलाओं के समानता के अधिकार और उनकी गरिमा का उल्लंघन है।
  • मंदिर में महिलाओं का पूजा करने का अधिकार समानता का अधिकार है, अतः महिलाओं को मंदिर में प्रवेश करने का अधिकार देना मौलिक अधिकार है।
  • सबरीमाला में महिलाओं को प्रवेश करने से रोकना महिलाओं के प्रति पूर्वाग्रह मात्र था यह धर्म का एक अनिवार्य हिस्सा नहीं था।
  • सर्वोच्च न्यायालय ने ‘केरल हिंदू प्लेस ऑफ पब्लिक वर्शिप रूल’, 1965 (Kerala Hindu Places of Public Worship Rules, 1965) के नियम संख्या 3 (b) जो मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाता है को संविधान की कानूनी शक्ति से परे घोषित किया है।
  • महिलाओं को मंदिर में प्रवेश करने से रोकना अस्पृश्यता का एक रूप है जो कि संविधान के अनुच्छेद 17 का उल्लंघन है।

संविधान पीठ द्वारा किन प्रश्नों की जाँच की गई?

  • सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 2006 में एक गैर-लाभकारी संगठन ‘इंडियन यंग लॉयर्स एसोसिएशन’ द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए वर्ष 2017 में मामले को पाँच न्यायाधीशों की एक संविधान पीठ के हवाले कर दिया था।
  • धार्मिक आज़ादी का अधिकार और महिलाओं के साथ लिंग आधारित भेदभाव तथा मौलिक अधिकारों के हनन से संबंधित कई महत्त्वपूर्ण मुद्दों पर सर्वोच्च न्यायालय की पाँच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने निम्नलिखित प्रश्नों की जाँच की –
  • क्या शारीरिक बदलाव के चलते महिलाओं के प्रवेश पर रोक लगाने की प्रथा लिंग आधारित भेदभाव तो नहीं है?
  • क्या 10 से 50 वर्ष की महिलाओं को बाहर रखना अनुच्छेद 25 के तहत धार्मिक रीति-रिवाज़ का अभिन्न हिस्सा माना जा सकता है?
  • क्या धार्मिक संस्था अपने मामलों का प्रबंधन करने की धार्मिक आज़ादी के तहत इस तरह के रीति-रिवाज़ों का दावा कर सकती है?
  • क्या अयप्पा मंदिर को धार्मिक संस्था माना जाएगा, जबकि उसका प्रबंधन विधायी बोर्ड, केरल और तमिलनाडु सरकार के बजट से होता है?
  • क्या ऐसी संस्था संविधान के अनुच्छेद 14, 15(3), 39(ए) और 51 ए(ई) के सिद्धांतों का उल्लंघन करते हुए इस तरह के प्रचलन को बनाए रख सकती है?
  • क्या कोई धार्मिक संस्था 10 से 50 वर्ष की महिलाओं के प्रवेश को ‘केरल हिंदू प्लेस ऑफ पब्लिक वर्शिप रूल’, 1965 (Kerala Hindu Places of Public Worship Rules, 1965) के नियम संख्या 3 के आधार पर प्रतिबंधित कर सकती है?

पृष्ठभूमि 

  • सबरीमाला मंदिर में परंपरा के अनुसार, 10 से 50 साल की महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध है|
  • मंदिर ट्रस्ट के अनुसार, यहाँ 1500 साल से महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध है| इसके लिये कुछ धार्मिक कारण बताए जाते हैं|
  • केरल के ‘यंग लॉयर्स एसोसिएशन’ ने इस प्रतिबंध के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 2006 में जनहित याचिका दायर की थी| 
  • सबरीमाला मंदिर में हर साल नवंबर से जनवरी तक श्रद्धालु भगवान अयप्पा के दर्शन के लिये आते हैं, इसके अलावा पूरे साल यह मंदिर आम भक्तों के लिये बंद रहता है।
  • भगवान अयप्पा के भक्तों के लिये मकर संक्रांति का दिन बहुत खास होता है, इसीलिये उस दिन यहाँ सबसे ज़्यादा भक्त पहुँचते हैं।
  • पौराणिक कथाओं के अनुसार, अयप्पा को भगवान शिव और मोहिनी (विष्णु जी का एक रूप) का पुत्र माना जाता है।

निष्कर्ष

  • निश्चित रूप से सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर दिया गया फैसला ऐतिहासिक है। इस फैसले के माध्यम से न्यायालय ने न केवल समानता को धर्म से ऊपर रखा है बल्कि आधुनिक सोच वाले समाज में रूढ़िवादी सोच के आधार पर किये जाने वाले भेदभाव को खारिज कर दिया है।

पदोन्नति में आरक्षण पर फैसला

चर्चा में क्यों?

पदोन्नति में आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक बड़ा फैसला सुनाया। कोर्ट ने 12 साल पहले पदोन्नति में आरक्षण पर दिये फैसले को बरकरार रखा है। कोर्ट ने कहा कि इस पर फिर से विचार करने तथा आँकड़ें जुटाने की आवश्यकता नहीं है। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि 2006 में नागराज मामले में दिये गए उस फैसले को सात सदस्यों वाली पीठ को संदर्भित करने की ज़रूरत नहीं है, जिसमें अनुसूचित जातियों (SC) एवं अनुसूचित जनजातियों (ST) को नौकरियों में पदोन्नति में आरक्षण देने के लिये शर्तें तय की गई थीं। 

पृष्ठभूमि

  • 16 नवंबर, 1992 को इंदिरा साहनी मामले में ओबीसी आरक्षण पर फ़ैसला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी को प्रमोशन में दिये जा रहे आरक्षण पर सवाल उठाए थे और इसे पाँच साल के लिये ही लागू रखने का आदेश दिया था।
  • तब से ही यह मामला विवादों में है। हालाँकि 1995 में संसद ने 77वाँ संविधान संशोधन पारित करके पदोन्नति में आरक्षण को जारी रखा।
  • यह स्थिति नागराज और अन्य बनाम भारत सरकार मुक़दमे पर सुप्रीम कोर्ट के 2006 के फ़ैसले के बाद बदल गई।
  • एससी-एसटी को प्रोन्नति में आरक्षण देने के एम नागराज के फैसले में 2006 में पाँच जजों ने संशोधित संवैधानिक प्रावधान अनुच्छेद 16(4)(ए), 16(4)(बी) और 335 को तो सही ठहराया था लेकिन कोर्ट ने कहा था कि एससी-एसटी को प्रोन्नति में आरक्षण देने से पहले सरकार को उनके पिछड़ेपन और अपर्याप्त प्रतिनिधित्व के आँकड़े जुटाने होंगे।
  • उल्लेखनीय है कि न्यायालय ने ताज़ा फैसला उन याचिकाओं के आधार पर सुनाया, जिसमें कहा गया था कि नागराज प्रकरण में संविधान पीठ के 2006 के फैसले को फिर से विचार के लिये सात सदस्यीय संविधान पीठ को सौंपा जाए।
  • दरअसल, नागराज प्रकरण में संविधान पीठ ने एससी-एसटी कर्मचारियों को नौकरियों में पदोन्नति में आरक्षण का लाभ दिये जाने के लिये शर्तें तय की थीं।
  • गौरतलब है कि नागराज मामले में पाँच सदस्यीय संविधान पीठ ने 2006 के अपने फैसले में कहा था कि एससी-एसटी समुदाय के लोगों को नौकरियों में पदोन्नति में आरक्षण दिये जाने से पहले राज्य सरकारें एससी-एसटी के पिछड़ेपन पर उनकी जनसंख्या के आँकड़े, सरकारी नौकरियों में उनके अपर्याप्त प्रतिनिधित्व के बारे में तथ्य और समग्र प्रशासनिक दक्षता पर जानकारी मुहैया कराने के लिये बाध्य हैं।
  • केंद्र और विभिन्न राज्य सरकारों ने विभिन्न आधारों पर इस फैसले पर फिर से विचार करने का अनुरोध किया था। इसमें एक आधार यह था कि एससी-एसटी समुदाय के लोगों को पिछड़ा माना जाता है और जाति को लेकर उनकी स्थिति पर विचार करते हुए उन्हें नौकरियों में पदोन्नति में भी आरक्षण दिया जाना चाहिये।
  • केंद्र सरकार ने कहा था कि एम. नागराज मामले में एससी-एसटी कर्मचारियों को पदोन्नति में आरक्षण का लाभ दिये जाने हेतु गैर-ज़रूरी शर्तें लगाई गई थीं। इसलिये केंद्र ने इस पर फिर से विचार करने के लिये इसे बड़ी पीठ के पास भेजने का अनुरोध किया था।

निर्णय के प्रमुख बिंदु

  • उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार की यह अर्जी भी खारिज कर दी कि एससी/एसटी को आरक्षण दिये जाने में उनकी कुल आबादी पर विचार किया जाए।
  • मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पाँच सदस्यीय संविधान पीठ ने एकमत से यह फैसला सुनाया। इस संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ, न्यायमूर्ति रोहिंटन नरीमन, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा शामिल थे।
  • इस मामले में केंद्र सहित विभिन्न पक्षों को सुनने के बाद पीठ ने 30 अगस्त को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
  • पीठ ने कहा कि एससी/एसटी कर्मचारियों को नौकरियों में पदोन्नति में आरक्षण देने के लिये राज्य सरकारों को एससी/एसटी के पिछड़ेपन पर उनकी संख्या बताने वाला आँकड़ा इकट्ठा करने की कोई ज़रूरत नहीं है।
  • हालाँकिपीठ ने 2006 के अपने फैसले में तय की गई उन दो शर्तों पर टिप्पणी नहीं की जो पदोन्नति में एससी-एसटी के प्रतिनिधित्व की पर्याप्तता और प्रशासनिक दक्षता को नकारात्मक तौर पर प्रभावित नहीं करने से जुड़े थे।  
  • अदालत ने अपने निर्णय में न सिर्फ़ 2006 में दिये गए अपने पुराने दिशा-निर्देशों को ख़ारिज किया बल्कि यह भी कहा कि नागराज निर्णय में दिये गए दिशा-निर्देश 1992 के ऐतिहासिक इंदिरा साहनी निर्णय के ख़िलाफ़ जाते हैं|

आगे की राह

  • वस्तुतः आरक्षण हमेशा से एक विवादित विषय रहा है, लेकिन आज़ादी के बाद के दशकों में आरक्षण सर्वाधिक ज्वलंत मुद्दा बन गया है। विडम्बना यह है कि भारत में उद्यमिता का अभाव है।
  • ऐसे में हर कोई सरकारी नौकरी की तरफ देखता है और अपनी सुविधानुसार आरक्षण की व्याख्या करता है।
  • इसमें कोई दो राय नहीं है कि देश में सामाजिक सहभागिता को बढ़ावा देने के लिये आरक्षण की नितांत आवश्यकता है, किंतु एक सच यह भी है कि आरक्षण के उद्देश्यों के बारे में अधिकांश लोग अनजान हैं।
  • जहाँ तक अनुसूचित जाति/जनजाति के लिये क्रीमीलेयर की व्यवस्था का प्रश्न है तो हमें यह ध्यान रखना होगा कि पहले सभी आयामों के व्यापक विश्लेषण की आवश्यकता है।
  • मसलन अनुसूचित जाति/जनजाति के सामाजिक उत्थान का पैमाना आय से संबंधित आँकड़ा नहीं हो सकता है। यही कारण है कि नागराज मामले में दिये अपने ही निर्णय को सर्वोच्च न्यायालय ने इंदिरा साहनी मामले में बदल दिया था और क्रीमीलेयर की व्यवस्था केवल ओबीसी तक ही सीमित कर दी थी।

WTO ने वैश्विक व्यापार वृद्धि का पूर्वानुमान घटाया

चर्चा में क्यों

हाल ही में विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) ने वैश्विक व्यापार वृद्धि के पूर्वानुमान को घटा दिया है। डब्ल्यूटीओ के अनुसार, बाज़ार की तंग क्रेडिट स्थितियों के साथ बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच व्यापार को लेकर बढ़ते तनाव की वज़ह से 2018 में वैश्विक व्यापार वृद्धि 3.9 प्रतिशत और 2019 में 3.7 प्रतिशत होने का अनुमान है।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • 2018 के लिये नया पूर्वानुमान, डब्ल्यूटीओ द्वारा 12 अप्रैल को घोषित किये गए पूर्वानुमान 4.4 प्रतिशत से कम है।
  • लेकिन नया पूर्वानुमान उस समय के निर्दिष्ट अनुमान 3.1 प्रतिशत से 5.5 प्रतिशत की वृद्धि दर के बीच ही है। हालाँकि 2018 में व्यापार वृद्धि अब 3.4 प्रतिशत से 4.4 प्रतिशत की सीमा के बीच रहेगी।
  • व्यापार वृद्धि मज़बूत होने के बावजूद यह गिरावट प्रमुख व्यापार भागीदारों के बीच बढ़ते तनाव को प्रतिबिंबित करती है।

विश्व व्यापार संगठन  (World trade organization) 

  • विश्व व्यापार संगठन विश्व में व्यापार संबंधी अवरोधों को दूर कर वैश्विक व्यापार को बढ़ावा देने वाला एक अंतर-सरकारी संगठन है, जिसकी स्थापना 1995 में मारकेश संधि के तहत की गई थी।
  • इसका मुख्यालय जिनेवा में है। वर्तमान में विश्व के 164 देश इसके सदस्य हैं। 29 जुलाई 2016 को अफगानिस्तान इसका 164वाँ सदस्य बना था। सदस्य देशों का मंत्रिस्तरीय सम्मलेन इसके निर्णयों के लिये सर्वोच्च निकाय है, जिसकी बैठक प्रत्येक दो वर्षों में आयोजित की जाती है।
  • वर्तमान में इसके 11वें मंत्रिस्तरीय सम्मलेन का आयोजन अर्जेंटीना के ब्यूनस आयर्स में किया गया।
  • हालाँकि इस रिपोर्ट ने प्रत्यक्ष रूप से अमेरिका और चीन का उल्लेख नहीं किया है, जो टैरिफ युद्ध में लिप्त हैं।
  • संशोधित व्यापार पूर्वानुमान 2018 में 3.1 प्रतिशत और 2019 में 2.9 प्रतिशत के बाज़ार विनिमय दर से विश्व की वास्तविक जीडीपी की वृद्धि की उम्मीदों पर आधारित है।
  • डब्ल्यूटीओ ने चेतावनी दी है कि विकासशील और उभरती अर्थव्यवस्थाओं को पूंजीगत बहिर्वाह (outflows) और वित्तीय संक्रमण (contagion) झेलना पड़ सकता है। क्योंकि विकसित देशों ने ब्याज दरों में वृद्धि की है जिससे व्यापार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
  • भू-राजनैतिक तनाव कुछ क्षेत्रों में संसाधनों की आपूर्ति को खतरे में डाल सकता है तथा उत्पादन की श्रृंखला को प्रभावित कर सकता है।

‘सतत’ पहल

चर्चा में क्यों?

पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, 1 अक्टूबर, 2018 को नई दिल्ली में पीएसयू ऑयल मार्केटिंग कंपनियों (ओएमसी, यानी आईओसी, बीपीसीएल और एचपीसीएल) के साथ एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (EoI) आमंत्रित करते हुए एक अभिनव पहल सतत् (SATAT) की शुरुआत करेंगे।

  • इस पहल के तहत उद्यमियों से संपीड़ित जैव-गैस (Compressed Bio-Gas-CBG) उत्पादन संयंत्र स्थापित करने और स्वचालित ईंधन (Automotive Fuel) में CBG के उपयोग हेतु बाज़ार में इसकी उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये कहा गया है।

उद्देश्य

  • सतत (SATAT) नामक इस पहल का उद्देश्य किफायती परिवहन के लिये सतत विकल्प (Sustainable Alternative towards Affordable Transportation-SATAT) प्रदान करना है जो वाहन-उपयोगकर्त्ताओं के साथ-साथ किसानों और उद्यमियों दोनों को लाभान्वित करेगा।

महत्त्व

  • इस महत्त्वपूर्ण पहल में अधिक किफायती परिवहन ईंधन, कृषि अवशेषों, मवेशियों का गोबर और नगरपालिका के ठोस अपशिष्ट के बेहतर उपयोग के साथ-साथ किसानों को अतिरिक्त राजस्व स्रोत प्रदान करने की क्षमता है।

कृषि अवशेष, गोबर और ठोस कचरे को CBG में परिवर्तित करने के लाभ

  • अपशिष्ट प्रबंधन, प्रदूषण तथा कार्बन उत्सर्जन में कमी।
  • किसानों के लिये अतिरिक्त राजस्व का स्रोत।
  • उद्यमिता, ग्रामीण अर्थव्यवस्था और रोज़गार को बढ़ावा।
  • जलवायु परिवर्तन लक्ष्यों को प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं में मदद।
  • प्राकृतिक गैस और कच्चे तेल के आयात में कमी।
  • कच्चे तेल/गैस की कीमतों में उतार-चढ़ाव के विरुद्ध सुरक्षा।

CBG की उत्पादन क्षमता तथा स्रोत

  • भारत में विभिन्न स्रोतों से संपीड़ित जैव-गैस के उत्पादन की अनुमानित क्षमता प्रतिवर्ष लगभग 62 मिलियन टन है।
  • संपीड़ित जैव-गैस संयंत्रों को मुख्य रूप से स्वतंत्र उद्यमियों के माध्यम से स्थापित करने का प्रस्ताव है।
  • इन संयंत्रों में उत्पादित CBG को हरित परिवहन ईंधन विकल्प के रूप में विपणन के लिये ओएमसी के ईंधन स्टेशन नेटवर्क में अधिक संख्या में सिलेंडरों के माध्यम से पहुँचाया जाएगा।
  • देश में 1,500 मज़बूत सीएनजी स्टेशन नेटवर्क वर्तमान में 32 लाख गैस आधारित वाहनों के माध्यम से जनता की सेवा कर रहे हैं।
  • जैव ईंधन के क्षेत्र में कार्यरत समूह, जैव ईंधन पर राष्ट्रीय नीति 2018 के तहत स्थापित, संपीड़ित जैव-गैस के लिये एक अखिल भारतीय मूल्य निर्धारण मॉडल की प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया जा रहा है।
  • उद्यमी निवेश पर रिटर्न बढ़ाने के लिये जैव-उर्वरक, कार्बन डाइऑक्साइड सहित इन संयंत्रों के माध्यम से अन्य उप-उत्पादों को अलग कर बाज़ार में बेचने में सक्षम होंगे।
  • जैव ईंधन पर राष्ट्रीय नीति, 2018 CBG समेत उन्नत जैव-ईंधन को बढ़ावा देने के लिये सक्रिय रूप से ज़ोर देती है।
  • भारत सरकार ने इस साल की शुरुआत में गोबर-धन (Galvanizing Organic Bio-Agro Resources Money - Dung-Money)) योजना शुरू की थी ताकि खेतों में मवेशियों के गोबर और ठोस अपशिष्ट को CBG तथा कंपोस्ट में परिवर्तित किया जा सके।
  • बजट 2018-19 में इस योजना के मुख्यत: दो उद्देश्य हैं : गाँवों को स्वच्छ बनाना एवं पशुओं और अन्य प्रकार के जैविक अपशिष्ट से अतिरिक्त आय तथा ऊर्जा उत्पन्न करना।
  • गोबर-धन योजना के अंतर्गत पशुओं के गोबर और खेतों के ठोस अपशिष्ट पदार्थों को कम्पोस्ट, बायोगैस, बायो-CNG में परिवर्तित किया जाएगा।
  • संपीड़ित जैव-गैस विभिन्न बायोमास/अपशिष्ट स्रोतों से उत्पादित की जा सकती है, जिसमें कृषि अवशेष, नगर पालिका ठोस अपशिष्ट, गन्ने का रस निकालने के बाद बचे अवशेष, डिस्टिलरी के अवशिष्ट, मवेशियों का गोबर और सीवेज उपचार संयंत्रों के अपशिष्ट शामिल हैं।
  • मौजूदा समय तथा भविष्य के बाज़ारों में घरेलू और खुदरा उपयोगकर्त्ताओं के लिये आपूर्ति को बढ़ावा देने हेतु संपीड़ित बायो-गैस नेटवर्क को सिटी गैस वितरण (CGD) नेटवर्क के साथ एकीकृत किया जा सकता है।

प्रीलिम्स फैक्ट्स: 29 सितंबर, 2018

भारत-संयुक्त राष्ट्र सतत् विकास ढाँचा (UNSDF)

  • नीति आयोग और संयुक्त राष्ट्र ने 2018-2022 के लिये भारत सरकार-संयुक्त राष्ट्र सतत विकास ढाँचे (UNSDF) पर हस्ताक्षर किये हैं।
  • भारत-संयुक्त राष्ट्र सतत विकास ढाँचा (SDF) 2018-2022 भारत में संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों के काम की रूपरेखा तैयार करता है और संयुक्त राष्ट्र द्वारा सरकार के परामर्श से चिन्हित किये जाने वाले महत्त्वपूर्ण विकास कार्यों की उपलब्धि हेतु समर्थन सुनिश्चित करता है तथा राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के साथ कतारबद्ध करता है।
  • इन प्राथमिकताओं को नीति आयोग की तीन-वर्षीय कार्यसूची (2017-2020) और अन्य नीति घोषणाओं (उदाहरण के लिये- 2022 तक ‘न्यू इंडिया’) में व्यक्त किया गया है तथा सतत विकास (एसडीजी 2030) के लिये कार्यसूची 2030 पर सहमत होने के लिये इन्हें कतारबद्ध किया गया है।
  • नीति आयोग UNSDF के संचालन हेतु भारत में संयुक्त राष्ट्र के लिये राष्ट्रीय समकक्ष है।
  • UNSDF 2018-22 में सात प्राथमिक क्षेत्र शामिल हैं-
  1. गरीबी और शहरीकरण
  2. स्वास्थ्य, जल और स्वच्छता
  3. शिक्षा और रोज़गार
  4. पोषण और खाद्य सुरक्षा
  5. जलवायु परिवर्तन, स्वच्छ ऊर्जा, और आपदा तन्यता
  6. स्किलिंग, उद्यमिता और रोज़गार सृजन
  7. लिंग समानता और युवा विकास।

प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना (PMKSY)

  • PMKSY एक अम्ब्रेला प्रोजेक्ट है जिसमें खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय, मेगा फूड पार्क जैसे उद्योग, एकीकृत शीत श्रृंखला एवं मूल्य वृद्धि अवसंरचना, खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता आश्वासन अवसंरचना इत्यादि जैसी पहले से ही चल रही योजनाएँ शामिल हैं।
  • इसमें कृषि-प्रसंस्करण के लिये आधारभूत संरचना, पीछली और अगली कड़ियों का सृजन, खाद्य प्रसंस्करण और संरक्षण क्षमताओं का सृजन तथा विस्तार जैसी नई योजनाएँ भी शामिल हैं।
  • PMKSY का उद्देश्य कृषि का पूरक बनना, प्रसंस्करण का आधुनिकीकरण और कृषि-अपशिष्ट को कम करना है।

रेलवे जल्द ही पेश करेगी स्मार्ट कोच

  • भारतीय रेलवे ब्लैक बॉक्स और कृत्रिम बुद्धि (एआई) द्वारा संचालित सीसीटीवी जैसी नई सुविधाओं के साथ ‘मेक इन इंडिया’ स्मार्ट कोच पेश करेगी।
  • इन कोचों के संस्करण 0 में, रेलवे कई नई विशेषताओं को पेश करने की योजना बना रही है।
  • संस्करण 2.0 में फेस डिटेक्शन सुविधा युक्त वीडियो एनालिटिक्स, असामान्य घटना का पता लगाने, आग और धुएँ का पता लगाने वाली इकाई तथा कोच की ऊर्जा खपत को मापने के लिये एनर्जी-मीटरिंग मॉड्यूल जैसी सुविधाएँ होंगी।
  • ब्लैक बॉक्स दूरस्थ निगरानी के साथ यात्री घोषणाओं के लिये संचार इंटरफेस, जीपीएस आधारित घोषणा ट्रिगर, यात्रियों के लिये आपातकालीन इंटरकॉम, डिजिटल गंतव्य बोर्ड, ट्रेन रिज़र्वेशन डिस्प्ले मॉड्यूल और सीसीटीवी के लिये कोच नियंत्रण इकाई के रूप में कार्य करेगा।

मुज़िरिस

पौराणिक कथाओं में

मुज़िरिस दुनिया के सबसे पुराने बंदरगाह शहरों में से एक बंदरगाह शहर था। स्पाइस सिटी के रूप में प्रसिद्ध मुज़िरिस को मुराचिपट्टनम (Murachipattanam) भी कहा जाता था। मुराचिपट्टनम का वर्णन रामायण में भी है।

मुज़िरिस प्रोजेक्ट

  • मुज़िरिस विरासत संरक्षण परियोजना देश की उस भव्य विरासत का एक उत्सव है, जहाँ विभिन्न धर्मों, जातियों और अनेक प्रकार के भाषा-भाषी लोग रहते हैं। मुज़िरिस विरासत परियोजना केरल पर्यटन विभाग की एक महत्त्वाकांक्षी परियोजना है। इसे केंद्रीय पर्यटन विभाग के सहयोग से शुरू किया गया है।
  • इसके तहत केरल में ऐतिहासिक महत्त्व के स्थलों, संग्रहालयों, उपासना स्थलों और पुरातात्त्विक स्मारकों को संरक्षित किया जाएगा।
  • मुज़िरिस विरासत परियोजना देश में विरासत संरक्षण की सबसे बड़ी और केरल की पहली हरित परियोजना है। इस परियोजना को 'मसाला मार्ग पहल' का भी नाम दिया गया है। इसके तहत केरल के मालाबार तट के साथ दुनिया के अन्य हिस्सों के सामुद्रिक संपर्कों के इतिहास की खोज की जाएगी।
  • यह त्रिशूर में कोडुंगल्लूर (Kodungallur) और एर्नाकुलम (Ernakulam) में उत्तर परवुर के बीच एक विरासत पर्यटन सर्किट का निर्माण करता है।
रेल धरोहर डिजिटलीकरण परियोजना

हाल ही में रेल मंत्रालय ने गूगल आर्ट्स एंड कल्‍चर के सहयोग से भारतीय रेलवे की ‘रेल धरोहर डिजिटलीकरण परियोजना’ की शुरुआत की है। यह परियोजना राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दर्शकों को देश की रेल धरोहरों से रूबरू कराने के उद्देश्‍य से अपनी तरह का प्रथम ऐतिहासिक प्रयास है। इसे ‘गाथा बयां करने वाले ऑनलाइन प्‍लेटफॉर्म’ के ज़रिये सुलभ कराया जाएगा।

  • भारतीय रेल और गूगल के बीच इस भागीदारी में वाई-फाई सेवाएँ सम्मिलित हैं, जिसे देश के 400 से अधिक रेलवे स्‍टेशनों तक विस्तारित किया गया है। रेल सहयोग के माध्‍यम से 5,000 से अधिक स्‍टेशनों को निजी और सार्वजनिक भागीदारी के ज़रिये उन्‍नत बनाने का प्रस्‍ताव भी पेश किया गया है।
  • गूगल आर्ट एंड कल्‍चर के साथ साझेदारी के माध्यम से रेवाड़ी स्‍टीम सेंटर स्थित राष्‍ट्रीय रेल संग्रहालय, तीन वर्ल्‍ड हेरिटेज रेलवे, सीएसएमटी मुंबई भवन समेत देश की रेलवे धरोहर से जुड़े कई अन्‍य स्‍थानों का डिजिटलीकरण किया गया है।

पृष्ठभूमि

  • भारतीय रेलवे ने 16 अप्रैल, 1853 को बोरी बंदर और ठाणे के बीच अपनी यात्रा शुरू की। उसके बाद से न केवल  भारतीय रेलवे दुनिया के सबसे बड़े रेल नेटवर्क में से एक बन गया है बल्कि इसने देश के सामाजिक, तकनीकी और आर्थिक विकास में भी महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है।
  • रेल विरासत का डिजिटलाइज़ेशन कलाकृतियों और अन्य विरासत संपत्तियों को संदर्भित करने के लिये बहुत से अवसर प्रदान करता है।
  • 151,000 किलोमीटर से अधिक ट्रैक, 7,000 स्टेशन, 1.3 मिलियन कर्मचारी और 160 साल के इतिहास के साथ, भारतीय रेलवे दुनिया के सबसे प्रसिद्ध रेलवे नेटवर्कों में से एक है।
  • इस दिशा में गूगल आर्ट्स एंड कल्चर का नया ऑनलाइन संग्रह न केवल भारतीय रेलवे को नई ऊर्जा प्रदान करेगा, बल्कि भारत की समृद्ध रेल विरासत को दुनिया भर के लोगों के लिये डिजिटल रूप से सुलभ बनाने का काम करेगा।
  • 75 ऑनलाइन प्रदर्शनियों, 3500 से अधिक चित्रों और 200 वीडियो भारत के रेलवे स्टेशनों, उनकी खूबसूरत भौगोलिक स्थितियों और महत्त्व का गहराई से चित्रण करेंगे।