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डेली न्यूज़

  • 29 Apr, 2019
  • 18 min read
जैव विविधता और पर्यावरण

पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति

चर्चा में क्यों?

हाल ही में हुए एक अध्ययन के अनुसार, पृथ्वी पर जीवन के उत्पत्ति की शुरुआत तालाबों में हुई। संभवतः महासागरों की अपेक्षा तालाब का वातावरण जीवन की उत्पत्ति के लिये अधिक उपयुक्त रहा होगा।

  • वैज्ञानिकों द्वारा ज़र्नल जियोकेमिस्ट्री, जियोफिजिक्स, जियोसिस्टम (The Journal Geochemistry, Geophysics, Geosystems) में प्रकाशित निष्कर्षों से पता चलता है कि उथले जल निकायों में जीवन की उत्पत्ति हेतु महत्त्वपूर्ण घटक ‘नाइट्रोजन’ की सांद्रता अधिक रही होगी।

नाइट्रोजन कारक
(Nitrogen factor)

  • कई शोधों एवं निष्कर्षों के अनुसार, वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है कि जीवन की उत्पत्ति के लिये निश्चित रूप से नाइट्रोजन की आवश्यकता होती है।
  • विभिन्न तरीकों से नाइट्रोजन वायुमंडल से होते हुए समुद्र, तालाब तथा अन्य जल निकायों में जमा हुआ होगा।
  • पृथ्वी के वायुमंडल में लगभग 78 % नाइट्रोजन पाया जाता है।
  • वायुमंडलीय नाइट्रोजन में दो नाइट्रोजन अणु (N2) शामिल होते हैं, जो एक मज़बूत ट्रिपल बांड (N≡N) के माध्यम से जुड़े होते हैं, सामान्यतः यह मज़बूत ट्रिपल बांड आकाश में बिजली के चमकने और गरज़ने से ही टूटते हैं।
  • वैज्ञानिकों का मानना है कि शुरुआती दौर में वायुमंडल में आकाशीय बिजली की पर्याप्त घटनाएँ होती रही होंगी, ताकि नाइट्रोजन के ऑक्साइड पर्याप्त मात्रा में उत्पन्न हो सकें और पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत हो सके।
  • लेकिन नए अध्ययन के अनुसार, सूर्य के पराबैंगनी प्रकाश और प्राचीन महासागरीय चट्टानों से घुलित लोहे की वज़ह से समुद्र में पहुँचने वाले नाइट्रोजन के ऑक्साइड का ज़्यादातर हिस्सा नष्ट हो जाता है और यह पुनः नाइट्रोजन के रूप में वायुमंडल में पहुँच जाता है। अतः इसी कारण समुद्र में नाइट्रोजन के ऑक्साइड बहुत ही कम रह गए होंगे।
  • उथले तालाब में जीवन की उत्पत्ति हेतु बेहतर विकल्प रहे होंगे, क्योंकि तालाबों का आकार बहुत छोटा होता है जहाँ जीवन के लिये आवश्यक नाइट्रोजन के ऑक्साइड की सांद्रता अधिक रही होगी।
  • इस प्रकार जीवन की उत्पत्ति महासागर में होना कठिन है लेकिन तालाब इसके लिये उपयुक्त हैं।

पृष्ठभूमि

  • पृथ्वी की उत्पत्ति का अंतिम चरण जीवन के विकास से संबंधित है।
  • निःसंदेह पृथ्वी का आरंभिक वायुमंडल जीवन के विकास के लिये अनुकूल नहीं था।
  • आधुनिक वैज्ञानिक जीवन की उत्पत्ति को एक तरह की रासायनिक प्रक्रिया बताते हैं इसमें पहले जैव कार्बनिक अणु बने फिर इनका समूह बना, यह प्रक्रिया निरंतर चलती रही और अंत में यह निर्जीव पदार्थ जीवित तत्त्वों में परिवर्तित हुआ।
    पृथ्वी पर जीवन के प्रमाण अलग अलग समय में जीवाश्मों के अवशेष के रूप में प्राप्त हुए हैं।
  • वैज्ञानिकों द्वारा ऐसा माना जाता है कि शायद सबसे पहले शैवाल की उत्पत्ति हुई रही होगी।

स्रोत- द हिंदू


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

BCIM आर्थिक गलियारा अब BRI का हिस्सा नहीं

चर्चा में क्यों?

हाल ही में बीजिंग में ‘बेल्ट एंड रोड फोरम की दूसरी बैठक’ (Belt and Road Forum-BRF) का आयोजन किया गया जिसमें विश्व के विभिन्न देंशो ने भाग लिया। गौरतलब है कि चीन ने बेल्ट एंड रोड परियोजना सूची से बांग्लादेश-चीन-भारत-म्यांमार (Bangladesh-China-India-Myanmar) आर्थिक गलियारे को हटा दिया है।

प्रमुख बिंदु

  • भारत ने बेल्ट एंड रोड फोरम की इस बैठक में भाग नहीं लिया।
  • चीन ने 2800 किलोमीटर लंबे बांग्लादेश-चीन-भारत-म्याँमार (BCIM) आर्थिक गलियारे को हटाने के कारणों के बारे में तत्काल कुछ नहीं बताया है किंतु बेल्ट एंड रोड शिखर सम्मेलन के दूसरे संस्करण के लीडर्स राउंडटेबल के संयुक्त पत्र में परियोजनाओं की सूची में इस गलियारे का उल्लेख नहीं किया गया है।
  • ध्यातव्य है कि भारत पाक-अधिकृत कश्मीर को संवैधानिक तौर पर अपना हिस्सा मानता है। इसलिये ‘वन बेल्ट, वन रोड’ (One Belt, One Road- OBOR) के तहत बनने वाले पाकिस्तान-चीन आर्थिक गलियारे (जो पाक-अधिकृत कश्मीर से होकर गुज़रता है) का भारत ने अपनी संप्रभुता का हनन और अंतर्राष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन बताते हुए विरोध किया था।
  • इसलिये ऐसा माना जा रहा है कि इसके विरोध में चीन ने बांग्लादेश-चीन-भारत-म्याँमार आर्थिक गलियारे को सूची से बाहर कर दिया है।
  • विदित हो कि पाकिस्तान-चीन आर्थिक गलियारे (Pakistan-China Economic Corridor- CPEC) की तरह BCIM आर्थिक गलियारा भारत, बांग्लादेश, चीन एवं म्याँमार के बीच रेल एवं सड़क संपर्क परियोजना थी, जिसके तहत भारत के कोलकाता, चीन के कुनमिंग, म्याँमार के मंडाले और बांग्लादेश के ढाका और चटगाँव को आपस में जोड़ा जाना था।
  • भारत ने BCIM का विरोध नहीं किया था, किंतु इस परियोजना के संबंध में कोई खास रुचि नहीं दिखाई थी क्योंकि देश की पूर्वी सीमा पर स्थित पड़ोसी देशों में चीन का बढ़ता वर्चस्व भारत के लिये चिंता का विषय रहा है।

वन बेल्ट, वन रोड परियोजना

  • यह परियोजना 2013 में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग द्वारा शुरू की गई थी।
  • इसे ‘सिल्क रोड इकॉनमिक बेल्ट’ और 21वीं सदी की समुद्री सिल्क रोड (वन बेल्ट, वन रोड) के रूप में भी जाना जाता है।
  • यह एक विकास रणनीति है जो कनेक्टिविटी पर केंद्रित है। इसके माध्यम से सड़कों, रेल, बंदरगाह, पाइपलाइनों और अन्य बुनियादी सुविधाओं को ज़मीन एवं समुद्र होते हुए एशिया, यूरोप और अफ्रीका से जोड़ने का विचार है।
  • हालाँकि इसका एक उद्देश्य यह भी है कि इसके द्वारा चीन वैश्विक स्तर पर अपना प्रभुत्व बनाना चाहता है।

भारत पर प्रभाव

  • भारत को चीन के लिये एक नई रणनीति बनाने की आवश्यकता है, जिसमें न केवल आर्थिक खाका हो बल्कि पड़ोसी देशों के साथ संबंध बेहतर करने की भी रणनीति हो और इसके लिये लुक-ईस्ट, लुक-वेस्ट एवं कनेक्टिंग मध्य एशिया जैसी नीतियाँ मार्गदर्शन करेंगी।
  • भारत को क्षेत्रीय रणनीति पर फिर से सोचने की ज़रूरत है तथा पड़ोस पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।

स्रोत-द हिंदू


विविध

Rapid Fire करेंट अफेयर्स (29 April)

  • अमेरिका ने हथियार कारोबार पर अंतर्राष्ट्रीय संधि से हटने का फैसला किया है। संयुक्त राष्ट्र शस्त्र व्यापार संधि पर पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने 2013 में हस्ताक्षर किये थे। अमेरिका का राष्ट्रीय राइफल एसोसिएशन लंबे समय से इसका विरोध कर रहा था, लेकिन अमेरिकी सांसदों ने इसका अनुमोदन नहीं किया था। इस संधि के तहत छोटे हथियारों, युद्धक टैंकों, युद्धक विमानों, युद्धपोतों जैसे पारंपरिक हथियारों के अरबों डॉलर का वैश्विक व्यापार किया जाता है। गौरतलब है कि 65 से अधिक देशों ने वैश्विक हथियार कारोबार को नियमित करने के लिये इस संधि पर 3 जून, 2013 को हस्ताक्षर किये थे। इस संधि का मुख्य उद्देश्य हथियारों को मानवाधिकार का उल्लंघन करने वाले तथा अपराधियों के हाथों में पहुँचने से बचाना है। चीन, रूस और अमेरिका ने इस संधि का अनुमोदन नहीं किया हैं। इस संधि के लागू होने के लिये इस पर हस्ताक्षर करने वाले 50 देशों द्वारा इसका समर्थन किया जाना आवश्यक है।
  • दूसरे बेल्ट एंड रोड फोरम में हिस्सा लेने आए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने चीन के साथ 60 अरब डॉलर के चीन-पाकिस्तान आर्थिक गालियारे (CPEC) के तहत कई समझौतों पर हस्ताक्षर किये। इन परियोजनाओं में कराची-पेशावर रेलवे लाइन को उन्नत बनाना, मुक्त व्यापार समझौते के दूसरे चरण की शुरुआत और समुद्र तट से इतर स्थित ड्राई पोर्ट बनाना शामिल है। ये समझौते CPEC के अगले चरण के तहत किये गए। कराची-पेशावर रेलवे लाइन परियोजना के तहत 1,680 किलोमीटर लंबा नया रेलवे ट्रैक बनेगा। इसके लिये चीन 8.4 अरब डॉलर की सहायता देगा। इसके अलावा पाकिस्तान की ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा करने के लिये चीन 19 अरब डॉलर (1.32 लाख करोड़ रुपए) की मदद दे रहा है। गौरतलब है कि CPEC पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर होकर के गुज़रने के विरोध में भारत इस अभियान से अलग है। उसने दूसरी बार भी सम्मेलन का बहिष्कार किया।
  • 26 अप्रैल को दुनियाभर में विश्व बौद्धिक संपदा दिवस (World Intellectual Property Day) का आयोजन किया गया। पेटेंट, ट्रेडमार्क, औद्योगिक डिज़ाइन, कॉपीराइट इत्यादि जैसे मुद्दे बौद्धिक संपदा के तहत आते हैं। बौद्धिक संपदा अधिकारों के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिये इस दिवस का आयोजन किया जाता है। विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO) ने वर्ष 2000 में प्रतिवर्ष 26 अप्रैल को इस दिवस को मनाने की घोषणा की थी। WIPO संयुक्त राष्ट्र की 15 विशिष्ट एजेंसियों में से एक है। इस वर्ष विश्व बौद्धिक संपदा दिवस की थीम Reach for Gold: IP & Sports रखी गई है।

इसे भी देखें: विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO)

  • भारत सरकार के उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (DPIIT) ने बौद्धिक संपदा अधिकार आवेदन की जाँच-पड़ताल में लगने वाले समय को कम करने के लिये कई कदम उठाए हैं। इस सुविधा के तहत 1021 आवेदन किये गए थे और भारतीय बौद्धिक संपदा कार्यालय ने 351 पेटेंट को मंज़ूरी दी है। स्टार्टअप कंपनियाँ भी इस सुविधा का लाभ उठा सकती हैं। इस सुविधा के तहत अब तक कुल 450 स्टार्टअप कंपनियों ने पेटेंट के लिये आवेदन किया है, जिनमें से 120 को पेटेंट दिया जा चुका है। बौद्धिक संपदा अधिकार के आवेदनों की जाँच-पड़ताल के लिये प्रौद्योगिकी और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का इस्तेमाल किया जा रहा है। इससे ट्रेडमार्क आवेदनों की प्रारंभिक जाँच-पड़ताल में लगने वाला समय कम होकर करीब एक महीने रह गया है, जिसमें पहले 13 महीने लगते थे।
  • आंध्र प्रदेश में महिलाओं की सुरक्षा और मदद के लिये विशाखापत्तनम में एक विशेष पुलिस टीम लॉन्च की गई है जो महिलाओं के मुद्दे सुलझाने में मदद करेगी। स्त्री शक्ति नामक इस टीम की सभी सदस्य महिलाएँ हैं और फिलहाल इसमें 35 सदस्य हैं, जिनमेंASI, हेड कांस्टेबल, पुलिस कांस्टेबल और होमगार्ड शामिल हैं। इस टीम को 25 वाहन भी दिये गए हैं। महिलाओं से जुड़े मुद्दों को देखने और उनके लिये क्या कदम उठाए जाने चाहिये, यह सब टीम खुद तय करेगी। विशाखापत्तनम में कई शैक्षणिक संस्थान और कार्यस्थल हैं जहां महिलाएँ बड़ी संख्या में काम करती हैं। इस टीम के सदस्यों को शहर के प्रमुख स्थानों पर तैनात किया जाएगा। ‘स्त्री शक्ति’ टीम की आसानी से पहचान के लिये इनका ड्रेस-कोड भी है और इसकी सभी सदस्य सभी नीली शर्ट और खाकी पैंट पहनेंगी।
  • इंटरनेट सर्च इंजन गूगल ने इस साल होने वाले गूगल साइंस फेयर के लिये 18 युवा भारतीय वैज्ञानिकों का चयन किया है। ये वैज्ञानिक साइंस फेयर प्रतियोगिता में भाग लेंगे और 50 हज़ार डॉलर व अन्य पुरस्कार जीतने के लिये अन्य प्रतिभागियों को चुनौती देंगे। गूगल की यह वैश्विक विज्ञान प्रतियोगिता 13 से 18 वर्ष के युवाओं को विज्ञान, तकनीक, इंजीनियरिंग और गणित के माध्यम से समस्याओं का हल खोजने के लिये प्रेरित करती है। भारतीय छात्रों ने स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों से लेकर पर्यावरण हितैषी गोंद और ईंधन के साथ-साथ पानी को पीने लायक बनाने जैसे विचारों के साथ कई क्रिएटिव और बेहतर विचार प्रस्तुत किये हैं। इस प्रतियोगिता के लिये आए आवेदनों का मूल्यांकन रचनात्मकता, वैज्ञानिक योग्यता और प्रस्तुति के प्रभाव के आधार पर किया गया।
  • दुबई में रहने वाली 17 साल की भारतीय छात्रा सिमोन नूराली का अमेरिका की सात प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटीज़ में चयन हो गया है। इनमें यूनिवर्सिटी ऑफ पेंसिलवेनिया और प्रतिष्ठित आइवी लीग स्कूल समूह में शामिल डार्टमाउथ कॉलेज शामिल हैं। इनके अलावा जॉर्ज वाशिंगटन यूनिवर्सिटी, कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी, जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी, इमोरी यूनिवर्सिटी और जॉर्ज टाउन यूनिवर्सिटी ने भी उन्हें दाखिला देने की पेशकश की है। सिमोन नूराली दुबई के मिरदिफ स्थित अपटाउन स्कूल की हेड गर्ल हैं। उन्होंने भारत में मानव तस्करी के मुद्दे पर द गर्ल इन द पिंक रूम नामक किताब भी लिखी है।
  • पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिये पृथ्वी दिवस के मौके पर 22 अप्रैल को UAE की एतिहाद एयरवेज़ पहली ऐसी एयरलाइन बन गई, जिसने एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक (Single Use Plastic) के बिना उड़ान भरी। एतिहाद की ब्रिसबेन तक की यह उड़ान न केवल फ्लाइट के दौरान प्लास्टिक के उपयोग को 80% तक कम करने के लक्ष्य का हिस्सा थी, बल्कि 2022 के अंत तक पूरे संगठन में यह लक्ष्य हासिल किया जाना है। एतिहाद ने अपने विमानों में 95 से अधिक एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक उत्पादों की पहचान की थी। इसके अलावा एतिहाद ने 1 जून तक अपनी उड़ानों में एकल उपयोग वाली प्लास्टिक वस्तुओं को 20% तक कम करने के लिये प्रतिबद्धता जताई है। साथ ही इस साल के अंत तक एतिहाद अपनी उड़ानों से 100 टन एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक को हटा देगा।

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