नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली न्यूज़

  • 28 Jun, 2019
  • 36 min read
कृषि

मधुमक्‍खी पालन विकास समिति की रिपोर्ट

चर्चा में क्यों?

हाल ही में प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (Prime Minister Economic Advisory Council) के तहत गठित मधुमक्‍खी पालन विकास समिति (Beekeeping Development Committee- BDC) ने अपनी रिपोर्ट जारी की है।

  • इस समिति का गठन प्रो. देबरॉय की अध्‍यक्षता में किया गया है।
  • BDC का उद्देश्य भारत में मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने के नए तौर तरीकों की पहचान करना है जिससे कृषि उत्पादकता, रोज़गार सृजन और पोषण सुरक्षा बढ़ाने तथा जैव विविधता को बनाए रखने में मदद मिल सके।

समिति की सिफारिशें

  • मधुमक्‍खियों को कृषि उत्‍पाद के रूप में देखा जाना चाहिये तथा भूमिहीन मधुमक्‍खी पालकों को किसान का दर्जा दिया जाना चाहिये।
  • मधुमक्खियों की पंसद वाले पौधों को सही स्‍थानों पर लगाना चाहिये तथा ऐसे बागानों का प्रबंधन महिला स्वयं सहायता समूहों को सौंपा जाए।
  • राष्‍ट्रीय मधुमक्‍खी बोर्ड को संस्थागत रूप दिया जाए तथा कृषि और किसान कल्‍याण मंत्रालय के तहत इसे शहद और परागण बोर्ड का नाम दिया जाए। ऐसा निकाय कई तंत्रों के माध्यम से मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने में मदद करेगा। इसमें नए एकीकृत मधुमक्खी विकास केंद्रों की स्थापना, उद्योग से जुड़े लोगों को और ज्‍यादा प्रशिक्षित करना, शहद की कीमतों को स्थिर बनाए रखने के लिये एक कोष का गठन तथा मधुमक्‍खी पालन के महत्त्वपूर्ण पहलुओं पर डेटा संग्रह जैसी बातें शामिल होंगी।
  • भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (Indian Council of Agricultural Research- ICAR) के तत्त्वावधान में उन्नत अनुसंधान के लिये एक विषय के रूप में मधुमक्‍खी पालन को मान्यता दी जाए।
  • मधुमक्‍खी पालकों का राज्‍य सरकारों द्वारा प्रशिक्षण और विकास की सुविधा उपलब्ध कराई जानी चाहिये।
  • शहद सहित मधुमक्खियों से जुड़े अन्‍य उत्‍पादों के संग्रहण, प्रसंस्‍करण और विपणन के लिये राष्‍ट्रीय और क्षेत्रीय स्‍तर पर अवसंरचनाओं का विकास किया जाए।
  • शहद और अन्य मधुमक्खी उत्पादों के निर्यात को आसान बनाने के लिये प्रक्रियाओं को सरल बनाने और स्पष्ट मानकों को निर्दिष्ट करने की आवश्यकता है।

मधुमक्खी पालन से अर्थव्यवस्था को लाभ

  • अंतराष्‍ट्रीय खाद्य एंव कृषि संगठन-FAO के वर्ष 2017-18 के आँकडों के अनुसार शहद उत्‍पादन के मामले में भारत (64.9 हज़ार टन शहद उत्‍पादन के साथ) दुनिया में आठवें स्‍थान पर रहा जबकि चीन (551 हज़ार टन शहद उत्‍पादन ) के साथ पहले स्‍थान पर रहा।
  • FAO संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ तंत्र की सबसे बड़ी विशेषज्ञता प्राप्त एजेंसियों में से एक है जिसकी स्‍थापना वर्ष 1945 में कृषि उत्‍पादकता और ग्रामीण आबादी के जीवन निर्वाह की स्‍थिति में सुधार करते हुए पोषण तथा जीवन स्‍तर को उन्‍नत बनाने के उद्देश्य के साथ की गई थी।
  • इसका मुख्यालय रोम, इटली में है।
  • BDC की रिपोर्ट के अनुसार मधुमक्‍खी पालन को केवल शहद और मोम उत्‍पादन तक सीमित रखे जाने की बजाए इसे परागणों,मधुमक्‍खी द्वारा छत्‍ते में इकठ्ठा किये जाने वाले पौध रसायन,रॉयल जेली और मधुमक्‍खी के डंक में युक्‍त विष को उत्‍पाद के रूप में बेचने के लिये भी इस्‍तेमाल किया जा सकता है जिससे भारतीय किसान काफी लाभान्वित हो सकते हैं।
  • उपरोक्त के अलावा, 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने के लक्ष्‍य को प्राप्‍त करने में भी मधुमक्खी पालन महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

मधुमक्खी आवास क्षेत्र में वृद्धि की आवश्यकता

  • खेती और फसलों के क्षेत्र के आधार पर, भारत में लगभग 200 मिलियन मधुमक्खी आवास क्षेत्र की क्षमता है, जबकि इस समय देश में ऐसे 3.4 मिलियन मधुमक्खी आवास क्षेत्र हैं। मधुमक्ख्यिों के आवास क्षेत्र का दायरा बढ़ने से बढ़ने से न केवल मधुमक्खी से संबंधित उत्पादों की संख्‍या बढ़ेगी बल्कि समग्र कृषि और बागवानी उत्पादकता को भी बढ़ावा मिलेगा।

सरकार के प्रयासों से शहद निर्यात में वृद्धि

  • देश में मधुमक्‍खी पालन को बढ़ावा देने के लिये सरकार द्वारा हाल में किये गये प्रयासों के कारण वर्ष 2014-15 और वर्ष 2017-18 के दौरान शहद का निर्यात (कृषि और किसान कल्‍याण मंत्रालय के राष्‍ट्रीय मधुमक्‍खी पालन बोर्ड के आँकड़ों के अनुसार) 29.6 हज़ार टन से बढ़कर 51.5 हज़ार टन पर पहुँच गया।

राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड (National Bee Board-NBB)

  • NBB कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत कार्यरत संस्थान है। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है।
  • यह सोसायटी अधिनियम 1860 के तहत सूचीबध्य संस्थान है।
  • यह कृषकों को लघु कृषक कृषि व्यवसाय कंसोर्टियम (Small Farmers Agri-Business Consortium- SFAC) के माध्यम से बीज उपलब्ध करवाता है।
  • राष्ट्रीय बागवानी मिशन के ज़रिये NBB को वित्त की प्राप्ति होती है।
  • NBB,खादी तथा ग्रामोद्योग आयोग (KHADI AND VILLAGE INDUSTRY-KVIC),ICAR,NGO को वित्तीय सहायता प्रदान करता है।

निष्कर्ष

  • हालाँकि इस क्षेत्र में अभी भी काफी चुनौतियाँ मौजूद है पर इसके साथ ही इस उद्योग को प्रोत्‍साहित करने के लिये काफी संभावनाएँ भी हैं।

स्रोत: पी.आई.बी


भारतीय अर्थव्यवस्था

म्यूच्यूअल फंड हेतु सेबी के नए नियम

चर्चा में क्यों?

निवेशकों के हितों की रक्षा करने के लिये भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (Securities and Exchange Board of India -SEBI) ऐसे सभी म्यूचुअल फंड के विरुद्ध कार्यवाही करेगा जिसमे डिफॉल्‍ट होने वाली कंपनी के प्रवर्तकों को शेयर के बदले ऋण दिया गया हो। इसके अतिरिक्त SEBI ने म्यूच्यूअल फंड हाउसेस (MF houses) के लिये कुछ नए और सख्त निवेश मापदंडों को भी मंज़ूरी दी है।

मुख्य बिंदु

  • विशेषज्ञों के अनुसार SEBI द्वारा उठाए गए इस कदम का मुख्य उद्देश्य उधारकर्त्ताओं के डिफॉल्‍ट हो जाने की स्थिति में उत्पन्न होने वाले ऋण जोखिम से निवेशकों की रक्षा करना है।
  • वर्तमान में म्यूच्यूअल फंड उद्योग एक भारी वित्तीय संकट का सामना कर रहा है जिसके लिये उन फंड प्रबंधकों को ज़िम्मेदार ठहराया गया है जो ऋण योजनाओं के माध्यम से कंपनी प्रवर्तकों को उधार देते हैं।
  • ‘फंड हाउस’ (fund houses) ने कंपनी प्रवर्तकों के साथ ऐसे समझौते किये हैं जिनके अनुसार, ‘डिफॉल्‍ट की प्रक्रिया शुरू होने के बाद भी वे कंपनी के अंशों को किसी एक निश्चित समय तक बेंच नहीं सकते हैं।’
  • परन्तु SEBI ने ऐसे किसी भी समझौते को मान्यता नहीं दी है।
  • SEBI के अनुसार म्यूच्यूअल फंड बैंक नहीं होते हैं इसलिये उन्हें ऋण देने के बजाय बाज़ार में निवेश करना चाहिये।

कौन होता है प्रमोटर या प्रवर्तक?

  • प्रवर्तक का तात्पर्य ऐसे व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह से है जो कंपनी के प्रवर्तन के बारे में कार्य करते है। सामान्य शब्दों में कहा जा सकता है कि व्यापार/कंपनी शुरू करने वाले व्यक्ति को ही प्रवर्तक कहते हैं।

नए निवेश मापदंड

  • म्यूच्यूअल फंड अब केवल सूचीबद्ध ऋण या इक्विटी (Debt or Equity) में ही निवेश कर सकते हैं।
  • नए मापदंडों के अनुसार अब से जोखिम की गणना परिशोधन (Amortisation) के आधार पर नहीं बल्कि मार्क-टू-मार्केट (mark-to-market) आधार पर की जाएगी।
  • किसी भी म्यूच्यूअल फंड को ऋण में निवेश करने के लिये चार गुना कवर प्रदान करना होगा और इसे इक्विटी द्वारा भी सुरक्षा प्रदान करनी होगी।
  • इसके अतिरिक्त तरल म्यूच्यूअल फंड योजनाओं (MF Liquid Schemes) को अपनी कुल निवेश परिसंपत्ति का 20 प्रतिशत हिस्सा नकद या गिल्ट फंड के रूप में बनाए रखना होगा, जो उन्हें प्रतिदान/शोधन/मोचन (Redemptions) में मदद कर सकता है।

तरल म्यूच्यूअल फंड योजना वह म्यूच्यूअल फंड योजना है जिसकी अधिकतम परिपक्वता अवधि मात्र 90 दिनों की होती है।

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड

(Securities and Exchange Board of India)

  • भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की स्थापना भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अधिनियम, 1992 के प्रावधानों के अनुसार 12 अप्रैल, 1992 को हुई थी।
  • इसका मुख्यालय मुंबई में है।
  • इसके मुख्य कार्य हैं -
    • प्रतिभूतियों (securities) में निवेश करने वाले निवेशकों के हितों का संरक्षण करना।
    • प्रतिभूति बाज़ार (securities market) के विकास का उन्नयन करना तथा उसे विनियमित करना और उससे संबंधित या उसके आनुषंगिक विषयों का प्रावधान करना।

स्रोत: द हिंदू


भारतीय अर्थव्यवस्था

विशेष आर्थिक क्षेत्र (संशोधन) विधेयक, 2019

चर्चा में क्यों?

राज्य सभा ने विशेष आर्थिक क्षेत्र (संशोधन) विधेयक, 2019 [Special Economic Zones (Amendment) Bill, 2019] को मंज़ूरी दे दी है जो उद्योगों को विशेष आर्थिक क्षेत्रों में इकाइयों की स्थापना की अनुमति प्रदान करता है।

प्रमुख बिंदु

  • यह विधेयक मार्च 2019 में प्रवर्तित विशेष आर्थिक क्षेत्र (संशोधन) अध्यादेश, 2019 का स्थान लेगा एवं राष्ट्रपति से मंज़ूरी मिलने के बाद कानून बन जाएगा।
  • सरकार का मानना है कि SEZ अधिनियम, 2005 (SEZs Act, 2005) के वर्तमान प्रावधान, व्यापारिक संस्थाओं को विशेष आर्थिक क्षेत्रों में व्यापारिक इकाइयाँ स्थापित करने की अनुमति नहीं देते हैं। लेकिन विशेष आर्थिक क्षेत्र (संशोधन) विधेयक, 2019 SEZ में इकाइयाँ स्थापित करने के लिये अनुमति देने पर विचार किया जा सकेगा।
  • यह संशोधन केंद्र सरकार को किसी व्यक्ति या किसी भी संस्था को परिभाषित करने के संबंध में लचीलापन प्रदान करेगा जिसे केंद्र सरकार समय-समय पर अधिसूचित कर सकती है। सरकार का मानना है कि इस संशोधन से SEZ में किये जाने वाले निवेश में भी वृद्धि होगी।
  • कानून के अनुसार, एक व्यक्ति, एक हिंदू विभाजित परिवार, एक कंपनी, सहकारी समिति या एक फर्म को ‘व्यक्ति’ की परिभाषा के अंतर्गत आते हैं।
  • वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार, यह एक छोटा सा संशोधन है जिसका निवेश, नौकरी और विकास पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा।

विशेष आर्थिक क्षेत्र (Special Economic Zone) क्या है?

  • विशेष आर्थिक क्षेत्र अथवा सेज़ (SEZ) उस भौगोलिक क्षेत्र को कहते हैं, जहाँ से व्यापार, आर्थिक क्रियाकलाप, उत्पादन तथा अन्य व्यावसायिक गतिविधियों को संचालित किया जाता है।
  • ये क्षेत्र देश की सीमा के भीतर विशेष आर्थिक नियम-कायदों को ध्यान में रखकर व्यावसायिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के लिये विकसित किये जाते हैं।
  • भारत उन शीर्ष देशों में से एक है, जिन्होंने उद्योग तथा व्यापार गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिये विशेष रूप से ऐसी भौगोलिक इकाइयों को स्थापित किया।
  • भारत पहला एशियाई देश है, जिसने निर्यात को बढ़ाने के लिये वर्ष 1965 में कांडला में एक विशेष क्षेत्र की स्थापना की थी। इसे एक्सपोर्ट प्रोसेसिंग ज़ोन (EPZ) नाम दिया गया था।

स्रोत: द हिंदू, लाइव मिंट


विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

‘पिपेरिन’ (Piperine)

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (Indian Institute of Technology-IIT) के वैज्ञानिकों ने काली मिर्च (Black Pepper) में पाए जाने वाले प्राकृतिक अल्कलॉइड ‘पिपेरिन’ (Piperine) पर अध्ययन किया।

प्रमुख बिंदु

  • अध्ययन के अनुसार, पिपेरिन का उपयोग फ्रैज़ाइल X- एसोसिएटेड ट्रेमर/एटैक्सिया सिंड्रोम (Fragile X-associated tremor/ataxia syndrome- FXTAS) के उपचार के लिये किया जा सकता है।
  • उल्लेखनीय है कि फ्रैज़ाइल X- एसोसिएटेड ट्रेमर/एटैक्सिया सिंड्रोम एक न्यूरोडीजेनेरेटिव डिसऑर्डर (मानव मस्तिष्क में न्यूरॉन को प्रभावित करने वाली बीमारियाँ) है। 
  • इस विकार के कारण प्रोग्रेसिव सेरेबेलर एटैक्सिया (Progressive Cerebellar Ataxia), कंपकपी, पार्किंसन (Parkinson) और संज्ञानात्मक अवनति (Cognitive Decline) हो सकती है। 
  • यह विकार एक जीन में उत्परिवर्तन के कारण होता है जिसे फ्रैज़ाइल X मेंटल रेटारडेशन 1 (Fragile X Mental Retardation 1- FMR1) कहा जाता है जो जीन के एक विशिष्ट क्षेत्र में RNA की अधिक मौजूदगी के कारण होता है।
  • FXTAS से ग्रसित रोगियों में RNA के दोहराव के कारण इनकी संख्या सामान्यतः 55 की तुलना में 200 तक हो सकती है। RNA के अतिरिक्त दोहराव के कारण ही न्यूरोनल कोशिकाओं (Neuronal Cells) में साइटोटॉक्सिसिटी (Cytotoxicity) नामक एक प्रकार की विषाक्तता उत्पन्न होती है।

‘पिपेरिन’ (Piperine)

  • अध्ययन के अनुसार, पिपेरिन संगुणित RNA के संपर्क में आकर न्यूरोनल कोशिकाओं में साइटोटॉक्सिसिटी के स्तर को कम करता है।

Piperine

  • पिपेरिन में एंटी-कार्सिनोजेनिक (Anti-Carcinogenic), एंटीऑक्सिडेंट (Antioxidant), नेफ्रॉन-प्रोटेक्टिव (Nephron-Protective), एंटी-डिप्रेसेंट (Anti-Depressant) और न्यूरोप्रोटेक्टिव (Neuroprotective) आदि गुण पाए जाते हैं। इसलिये इसकी चिकित्सीय क्षमता महत्त्वपूर्ण है।
  • हालाँकि प्रयोगों द्वारा इसकी और अधिक पुष्टि किये जाने की आवश्यकता है।

स्रोत- डाउन टू अर्थ


भारतीय अर्थव्यवस्था

WPI में संशोधन के लिये कार्यदल का गठन

चर्चा में क्यों?

वर्तमान थोक मूल्य सूचकांक (Wholesale Price Index - WPI) शृंखला में संशोधन के लिये सरकार ने एक कार्यदल का गठन किया है।

संशोधन की आवश्यकता क्यों है?

  • ज्ञातव्य है कि WPI का वर्तमान आधार वर्ष (2011-12) को मई 2017 में लागू किया गया था।
  • वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार, इस शृंखला का आधार वर्ष बहुत पुराना है और वर्ष 2011-12 से अब तक हमारी अर्थव्यवस्था में कई महत्त्वपूर्ण संरचनात्मक परिवर्तन हो चुके हैं, जिनके कारण आधार वर्ष को संशोधित करना आवश्यक है।

संशोधन के विचारार्थ विषय

(Terms of Reference-ToR)

  • कार्यदल के विचारार्थ विषयों में निम्नलिखित विषय शामिल हैं:
    • थोक मूल्य सूचकांक (Wholesale Price Index - WPI) और निर्माता मूल्य सूचकांक (Producer Price Index - PPI) के लिये सर्वाधिक न्यायोचित आधार वर्ष का निर्धारण करना।
    • वर्तमान WPI शृंखला की कमोडिटी बास्केट (Commodity Basket) की समीक्षा करना और उसमे अब तक हुए आर्थिक परिवर्तनों के आधार पर कुछ वस्तुओं को जोड़ने या घटाने का सुझाव देना।
    • वर्तमान मूल्य संग्रह प्रणाली (Price Collection System) की समीक्षा करना और उसमे सुधार का सुझाव देना।
    • WPI और PPI की गणना हेतु नई पद्धति की खोज करना।

कार्यदल से संबंधित अन्य महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • सरकार द्वारा गठित यह कार्यदल नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद की अध्यक्षता में कार्य करेगा।
  • इसमें केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (Central Statistical Office), वित्त मंत्रालय (Ministries of Finance), पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय (Petroleum and Natural Gas), कृषि विभाग (Department of Agriculture) और उपभोक्ता मामलों के विभाग (Department of Consumer Affairs) के सदस्य भी शामिल होंगे।
  • कार्यदल में शामिल अन्य सदस्य:
    • भारतीय रिज़र्व बैंक का एक प्रतिनिधि
    • सौम्य कांति घोष, SBI समूह की मुख्य अर्थशास्त्री
    • सुरजीत भल्ला, PMEAC के पूर्व सदस्य
    • शमिका रवि, PMEAC की सदस्य
    • धर्मकृती जोशी, क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री
    • नीलेश शाह, कोटक महिंद्रा एसेट मैनेजमेंट के प्रबंध निदेशक
    • इंद्रनील सेनगुप्ता, बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच के सह-प्रमुख और अर्थशास्त्री

थोक मूल्य सूचकांक :

  • यह भारत में सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला मुद्रास्फीति संकेतक (Inflation Indicator) है।
  • इसे वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय (Ministry of Commerce and Industry) के आर्थिक सलाहकार कार्यालय (Office of Economic Adviser) द्वारा प्रकाशित किया जाता है।
  • इसमें घरेलू बाज़ार में थोक बिक्री के पहले बिंदु पर किये जाने-वाले सभी लेन-देन (First point of bulk sale) शामिल होते हैं।
  • इस सूचकांक की सबसे बड़ी आलोचना यह है कि आम जनता थोक मूल्य पर उत्पाद नहीं खरीदती है।
  • वर्ष 2017 में WPI के लिये आधार वर्ष को वर्ष 2004-05 से संशोधित कर वर्ष 2011-12 कर दिया गया है।

स्रोत: द हिंदू


भारत-विश्व

टीबी नियंत्रण हेतु विश्व बैंक के साथ समझौता

चर्चा में क्यों?

विश्व बैंक (World Bank) और भारत सरकार ने टीबी नियंत्रण हेतु गुणवत्तापरक उपायों में वृद्धि करने के उद्देश्य से 400 मिलियन डॉलर के एक ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किये है।

मुख्य बिंदु

  • ज्ञातव्य है कि भारत में टीबी से प्रतिवर्ष लगभग 480,000 लोगों की मृत्यु हो जाती है।
  • इससे वर्ष 2025 तक देश को टीबी से मुक्त करने की योजना में सहायता मिलेगी।
  • इससे औषधि प्रतिरोधी टीबी के बेहतर निदान और प्रबंधन में मदद मिलेगी। साथ ही देश में टीबी की जाँच तथा उपचार में जुटे सार्वजनिक संस्थानों की क्षमता में भी वृद्धि होगी।
  • इंटरनेशनल बैंक फॉर रिकंस्ट्रक्शन एंड डेवलपमेंट (International Bank for Reconstruction and Development – IBRD) से 400 मिलियन डॉलर के ऋण की परिपक्वता 19 वर्ष की है, जिसमें 5 वर्ष की छूट अवधि भी शामिल है।

तपेदिक (TB) क्या है?

इस रोग को ‘क्षय रोग’ या ‘राजयक्ष्मा’ के नाम से भी जाना जाता है। यह ‘माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस’ नामक बैक्टीरिया से फैलने वाला संक्रामक एवं घातक रोग है। सामान्य तौर पर यह केवल फेफड़ों को प्रभावित करने वाली बीमारी है, परंतु यह मानव-शरीर के अन्य अंगों को प्रभावित कर सकती है।

भारत की प्रतिबद्धता

भारत में तपेदिक उन्मूलन के लिये राष्ट्रीय रणनीतिक योजना के 4 स्तम्भ हैं, जो तपेदिक नियंत्रण के लिये प्रमुख चुनौतियाँ हैं जिन्हें “पता लगाना, इलाज, रचना और रोकथाम” नाम दिया गया है।

भारत में तपेदिक नियंत्रण की प्रमुख चुनौतियाँ

  • पहली चुनौती तपेदिक से पीड़ित उन लोगों तक पहुँचना है जिन तक अभी पहुँचा नहीं जा सका है।
  • यह सुनिश्चित करना कि आबादी के संवेदनशील हिस्से जैसे- आदिवासियों, शहरी मलिन बस्तियों में रहने वाले लोगों तक पहुँचा जाए। सभी मरीज़ों का शुरुआती निदान और उन्हें सही तथा संपूर्ण इलाज उपलब्ध कराना महत्त्वपूर्ण है।
  • इन चुनौतियों में त्वरित सूक्ष्मतम परीक्षणों के साथ मुफ्त निदान, सर्वश्रेष्ठ गुणवत्ता वाली दवाओं और परहेज के साथ मुफ्त इलाज, मरीज़ों को वित्तीय और पोषण संबंधी सहायता, ऑनलाइन तपेदिक अधिसूचना प्रणाली, मोबाइल प्रोद्योगिकी आधारित निगरानी प्रणाली, निजी क्षेत्र के बेहतर जुड़ाव के लिये इंटरफेज एजेंसियाँ, पारदर्शी सेवा खरीद योजनाओं के लिये नीति, मज़बूत सामुदायिक जुड़ाव, संचार अभियान, तपेदिक के इलाज के लिये दवाएँ खाने वाले सभी लोगों के बारे में सूचना एकत्र करने के लिये नियंत्रण प्रणाली आदि शामिल है।

प्रयास तथा संभावनाएँ

  • जिन इलाकों में सामाजिक और भौगोलिक दृष्टि से पहुँचना कठिन है वहाँ मरीज़ों तक पहुँचने के लिये सरकार ने कुछ चुने हुए इलाकों में तपेदिक के मामलों का पता लगाने का सक्रिय अभियान शुरू किया है।
  • शहरी स्वास्थ्य मिशन के ज़रिये शहरी मलिन इलाकों में तपेदिक के मामलों का पता लगाने के प्रयास किये जाएंगे।
  • इसमें सूचना प्रौद्योगिकी का भी इस्तेमाल करते हुए प्रत्येक टीबी रोगी का विवरण निक्षय वेब पोर्टल पर अंकित किया जा रहा है।
  • भारत दुनिया में तपेदिक की दवाओं का प्रमुख निर्माता है। विश्व बाज़ार में इनका करीब 80 प्रतिशत हिस्सा भारत में निर्मित होता है। हम देश या विदेश में मरीज़ों को सर्वश्रेष्ठ गुणवत्ता की दवाएँ देते हैं। भारत को विश्व के साथ मिलकर तपेदिक के मरीज़ों के लिये जेनरिक दवाओं को बढ़ावा देने के बारे में गंभीरता से विचार-विमर्श करना चाहिये।

विश्व बैंक :

  • विश्व बैंक संयुक्त राष्ट्र की ऋण प्रदान करने वाली एक विशिष्ट संस्था है, इसका उद्देश्य सदस्य देशों की अर्थव्यवस्थाओं को एक वृहद वैश्विक अर्थव्यवस्था में शामिल करना तथा विकासशील देशों में गरीबी उन्मूलन के प्रयास करना है।
  • यह नीति सुधार कार्यक्रमों एवं संबंधित परियोजनाओं के लिये ऋण प्रदान करता है। विश्व बैंक की सबसे खास बात यह है कि यह केवल विकासशील देशों को ऋण प्रदान करता है।
  • इसका प्रमुख उद्देश्य सदस्य राष्ट्रों को पुनर्निर्माण और विकास के कार्यों में आर्थिक सहायता प्रदान करना है।
  • इसके अंतर्गत विश्व को आर्थिक तरक्की के मार्ग पर लाने, विश्व में गरीबी को कम करने, अंतर्राष्ट्रीय निवेश को बढ़ावा देने, जैसे पक्षों पर बल दिया गया है।
  • विश्व बैंक समूह का मुख्यालय वाशिंगटन डी. सी. (अमेरिका) में अवस्थित है।
  • विश्व बैंक में शामिल पाँच संस्‍थाएँ:
    • अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण और विकास बैंक
    • अंतर्राष्ट्रीय विकास संघ
    • अंतर्राष्‍ट्रीय वित्त निगम
    • बहुपक्षीय निवेश प्रत्‍याभूति एजेंसी
    • निवेश संबंधी विवादों के निपटान का अंतर्राष्ट्रीय केंद्र

स्रोत: पी. आई. बी.


विविध

Rapid Fire करेंट अफेयर्स (28 June)

  • जापान के ओसाका में 14वें दो दिवसीय जी-20 शिखर सम्मेलन का आयोजन 28-29 जून को किया गया। इसमें भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ विश्व के लगभग सभी बड़े नेताओं ने हिस्सा लिया। पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु एक बार फिर भारत के 'शेरपा' बने। ‘शेरपा’ का काम सम्मेलन के एजेंडे के बीच समन्वय बनाना होता है। ‘शेरपा’ सदस्‍य देशों के साथ मिलकर आर्थिक, राजनीतिक और वैश्विक चर्चा के एजेंडे पर बात करता है तथा सम्मेलन से पहले की बैठकों में हिस्‍सा लेता है। ज्ञातव्य है कि जी-20 की शुरुआत वर्ष 1999 में हुई थी और भारत इसके सभी सम्मेलनों में हिस्सा लेता रहा है। भारत पहली बार वर्ष 2022 में जी-20 शिखर सम्मेलन की मेज़बानी करने वाला है। जी-20 में 19 देश और यूरोपीय संघ शामिल है। जी-20 के सदस्य देश दुनिया के 85% सकल घरेलू उत्पादन, 75% वैश्विक व्यापार और दुनिया की दो-तिहाई आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं। पहले इस सम्मेलन में विभिन्न देशों के वित्त मंत्री और केंद्रीय बैंकों के गवर्नर भाग लेते थे। इसके बाद वर्ष 2008 से इस सम्मेलन में देशों के प्रमुखों ने भाग लेना शुरू किया।
  • लोकसभा और राज्यसभा द्वारा पारित कर दिये जाने के बाद विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) संशोधन विधेयक, 2019 को संसद की मंज़ूरी मिल गई है। इस संशोधन में न्यासों (Trusts) को विशेष आर्थिक क्षेत्र में इकाई स्थापित करने की अनुमति प्रदान करने का प्रस्ताव किया गया है। इस विधेयक के माध्यम से विशेष आर्थिक क्षेत्र अधिनियम, 2005 में संशोधन किया जाना है। आपको बता दें कि SEZ के संबंध में बाबा कल्याणी समिति की अनेक सिफारिशों को सरकार लागू कर चुकी है और कुछ सिफारिशों को लागू करने की दिशा में काम चल रहा है। SEZ उस विशेष रूप से पारिभाषित भौगोलिक क्षेत्र को कहते हैं, जहाँ से व्यापार, आर्थिक क्रियाकलाप, उत्पादन तथा अन्य व्यावसायिक गतिविधियों को संचालित किया जाता है।
  • 27 जून को संयुक्त राष्ट्र के तत्त्वावधान में अंतर्राष्ट्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) दिवस का आयोजन किया गया। किसी भी अर्थव्यवस्था के विकास में MSME व्यवसायों के मज़बूत योगदान को दर्शाने के लिये यह दिवस मनाया जाता है। साथ ही यह दिन रोज़गार के अवसर पैदा करने के मामले में देश के विकास में MSME के महत्त्व को भी दर्शाता है। MSME दिवस विकासशील देशों में छोटे और मध्यम आकार के व्यवसायों में अधिकतम निवेश की आवश्यकता के बारे में जागरूकता बढ़ाने का संदेश देता है। सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने और सभी के लिये नवाचार, रचनात्मकता और सतत कार्य को बढ़ावा देने में MSME के महत्व को पहचानते हुए संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 6 अप्रैल, 2017 को आयोजित अपनी 74वीं आमसभा में 27 जून को MSME दिवस के रूप में घोषित किया। MSME क्षेत्र पिछले कुछ दशकों में भारतीय अर्थव्यवस्था का एक अत्यधिक जीवंत और गतिशील क्षेत्र बनकर उभरा है। इसीलिये भारत सरकार में इसके लिये अलग से एक मंत्रालय बनाया गया है।
  • केंद्र सरकार ने पंजाब कैडर के 1984 के बैच के वरिष्ठ IPS अधिकारी सामंत कुमार गोयल को रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) का डायरेक्टर और असम-मेघालय कैडर के 1984 के बैच के अरविंद कुमार को इंटेलीजेंस ब्यूरो (IB) का डायरेक्टर नियुक्त किया है। अब तक इन पदों पर अनिल धस्माना और राजीव जैन कार्यरत थे तथा 31 दिसंबर, 2018 को इन दोनों अधिकारियों को 6 महीने का अतिरिक्त कार्यकाल दिया गया था। रॉ भारत की अंतर्राष्ट्रीय गुप्तचर एजेंसी है, जिसका गठन 21 सितंबर, 1968 को हुआ था। रॉ के प्रमुख कार्यों में जानकारी एकत्र करना, आतंकवाद को रोकना और सीक्रेट ऑपरेशंस को अंजाम देना शामिल है। IB देश की आतंरिक गुप्तचर एजेंसी के रूप में काम करती है तथा इसे दुनिया की सबसे पुरानी खुफिया एजेंसियों में से एक माना जाता है। इसका गठन वर्ष 1887 में किया गया था।
  • 28 जून को केंद्रीय जनजातीय कार्य राज्यमंत्री रेणुका सिंह ने नई दिल्ली में ट्राइब्स इंडिया का गो ट्राइबल अभियान लॉन्च किया। जनजातीय उत्पादों को बढ़ावा देने के लिये विभिन्न संगठनों के साथ समझौता और सहयोग स्थापित करने हेतु ट्राइफेड ने यह पहल की है। इसके तहत ट्राइब्स इंडिया जनजातीय उत्पादों को Amazon.com के ज़रिये वैश्विक स्तर पर लॉन्च करेगा। इसके अलावा केंद्रीय रेशम बोर्ड और ‘आई एम’ खादी फाउंडेशन के साथ भी समझौता किया गया है। गौरतलब है कि ट्राइफेड जनजातीय कार्य मंत्रालय के अंतर्गत एक संगठन है जो ट्राइब्स इंडिया ब्रांड के तहत जनजातीय कला व हस्तशिल्प सहित जनजातीय उत्पादों के विक्रय व विकास का कार्य करता है।
  • भारत सरकार ने थोक मूल्‍य सूचकांक यानी WPI (आधार वर्ष 2011-12) की वर्तमान सीरीज़ में संशोधन के लिये एक कार्यदल गठित किया है। नीति आयोग के सदस्य प्रो. रमेश चंद की अध्यक्षता वाले इस कार्यदल में कुल 18 सदस्य हैं। यह कार्यदल WPI और निर्माता मूल्य सूचकांक (PPI) की नई आधिकारिक सीरीज तैयार करने के लिये सर्वाधिक उपयुक्‍त आधार वर्ष का चयन करेगा। यह WPI की वर्तमान सीरीज़ के कमोडिटी बास्‍केट की समीक्षा करने के साथ वर्ष 2011-12 से ही अर्थव्‍यवस्‍था में देखे जा रहे ढाँचागत बदलावों के मद्देनज़र जिंसों को जोड़ने/हटाने के बारे में सुझाव देगा। इसके अलावा वि‍निर्माण क्षेत्र में मूल्‍य संग्रह की वर्तमान प्रणाली की समीक्षा करने और बेहतरी के लिये बदलाव करने के बारे में सुझाव देने के साथ ही यह कार्यदल मासिक WPI/PPI के लिये अपनाई जाने वाली अभिकलन (Computing) पद्धति के बारे में भी निर्णय लेगा। आधार वर्ष 2011-12 के साथ WPI की वर्तमान सीरीज़ मई, 2017 में अपनाई गई थी।

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow