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डेली न्यूज़

  • 28 Feb, 2019
  • 41 min read
भारतीय अर्थव्यवस्था

विमानन सम्‍मेलन 2019

चर्चा में क्यों?

नागर विमानन मंत्रालय (Ministry of Civil Aviation) ने भारतीय विमानपत्‍तन प्राधिकरण (Airports Authority of India), AAI कार्गो लॉजिस्टिक्स एंड एलाइड सर्विसेज़ कंपनी लिमिटेड (AAICLAS) और भारतीय उद्योग परिसंघ (Confederation of Indian Industry-CII) के सहयोग से नई दिल्‍ली में विमानन सम्‍मेलन 2019 (Aviation Conclave 2019) का आयोजन किया।

थीम- इस सम्मेलन की थीम/विषय-वस्तु  “सभी के लिये उड़ान” (Flying for All) थी।

  • इस विमानन सम्‍मेलन में भारत में नये विमानन व्‍यवसाय को लाने के एजेंडा खास तौर से द्रोण प्रणालियाँ, भारत में विमानों के निर्माण, भारतीय और विदेशी एयरलाइनों द्वारा विमानों के लिये वित्तपोषण और पट्टे, भारतीय हवाई अड्डों को अगली पीढ़ी के विमानन केंद्रों में बदलने और भारत के प्रत्‍येक गाँव को वैश्विक मूल्‍य श्रृंखला से जोड़कर हवाई कार्गो की संभावना पर विचार-विमर्श किया गया।
  • इससे पहले भारत सरकार के नागरिक उड्डयन मंत्रालय और फिक्की (Federation of Indian Chambers of Commerce and Industry-FICCI) ने संयुक्त रूप से प्रथम ग्लोबल एविएशन समिट (Global Aviation Summit) का आयोजन किया था। इसकी थीम “Flying for all - especially the next 6 Billion” थी।

सम्मेलन के दौरान विचार-विमर्श के 5 प्रमुख क्षेत्र

  1. द्रोण-इकोसिस्टडम नीति रोडमैप' (Drone-Ecosystem Policy Roadmap)
  2. भारत में क्षेत्रीय परिवहन विमान सहित विमान और उससे जु़ड़े उपकरणों के निर्माण के लिये रोडमैप
  3. ‘भारत से विमानों के लिये वित्तपोषण और पट्टे- परियोजना रुपया रफ्तार’ (Project Rupee Raftaar)
  4. राष्ट्रीय विमान कार्गो नीति (National Air Cargo Policy)
  5. भारतीय हवाई अड्डों को अगली पीढ़ी के विमानन केंद्रों  में बदलने का मिशन

भारतीय नागर विमानन उद्योग

  • भारतीय नागर विमानन उद्योग अपने विस्‍तार के अभूतपूर्व दौर से गुज़र रहा है, जिसमें कम लागत के विमान (Low-Cost Carriers-LCCs), आधुनिक हवाई अड्डे, घरेलू एयरलाइनों में प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश (Foreign Direct Investment-FDI), आधुनिक सूचना प्रौद्योगिकी हस्‍तक्षेप और क्षेत्रीय संपर्क पर विशेष ध्‍यान देना शामिल है।
  • विमानन में वृद्धि MRO (Maintenance, Repair, and Overhaul-रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल) सुविधाओं की मांग भी बढ़ रही है।
  • बुनियादी ढाँचे के विकास पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है, जैसे- AAI बढ़ते उदारीकरण, ओपन स्काई नीति (Open Sky Policy), हवाई अड्डों और एयर एंड नेविगेशन सिस्टम के आधुनिकीकरण पर काम कर रहा है।
  • इस क्षेत्र में संवर्द्धित कौशल विकास भारत की मानव पूंजी क्षमता का लाभ उठा सकता है और रोज़गार के अवसर पैदा कर सकता है।
  • नवाचार और तकनीकी- GPS एडेड जियो ऑगमेंटेड नेविगेशन (GAGAN): नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट एप्लीकेशन सिस्टम (NOCAS) के साथ भारत का पहला उपग्रह-आधारित नेविगेशन सिस्टम लॉन्च किया गया है, जो हवाई अड्डों के आसपास की इमारतों की ऊँचाई को मंज़ूरी देने के लिये समय पर NOC (No Objection Certificate) की ऑनलाइन प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करता है। नागरिक उड्डयन के लिये ई-शासन (E-Governance for Civil Aviation-eGCA) नागरिक उड्डयन महानिदेशालय के लाइसेंस और नियामक प्रक्रियाओं की ऑनलाइन डिलीवरी को नियंत्रित करता है।

सरकार की नीतियाँ

  • ड़ान (UDAN)- 2016 में सरकार द्वारा शुरू की गई क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना उड़ान (Ude Desh ka Aam Nagrik-UDAN) का उद्देश्य उन क्षेत्रों में जहाँ वर्तमान में या तो हवाई सेवा बिल्‍कुल भी उपलब्‍ध नहीं है या बेहद कम संख्‍या में उपलब्‍ध है, के लोगों के लिये हवाई यात्रा को किफायती बनाना है।
  • नभ-निर्माण : 2018-19 के बजट में घोषित NABH Nirman योजना का उद्देश्य हवाई अड्डों की क्षमता को पाँच गुना से अधिक बढ़ाना है।
  • राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन नीति (NCAP) : क्षेत्रीय हवाई संपर्क एवं पर्यटन को बढ़ावा देने तथा रोज़गार सृजन के लिये एकीकृत पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित करने के उद्देश्य से यह नीति तैयार की गई थी।
  • डिजी यात्रा नीति : सभी भारतीय हवाई अड्डों के चेक-पॉइंट्स पर सभी यात्रियों को सहज, पेपरलेस तथा सुविधाजनक अनुभव प्रदान करने के लिये यह नीति जारी की गई है। इस नीति के उद्देश्य हैं :

♦ यात्री अनुभव को बेहतर बनाना।
♦ डिजिटल ढाँचे का उपयोग करके बेहतर परिणाम (throughput) प्राप्त करना।
♦ चेक-पॉइंट्स पर अनावश्यक औपचारिकताओं को दूर करके संचालन लागत को कम करना।
♦ आधार तथा पासपोर्ट की तर्ज़ पर सरकार द्वारा जारी डिजिटल पहचान-पत्र के साथ डिजी यात्रा प्रणाली की शुरुआत करना।

विज़न 2040 (VISION 2040) : यह दस्तावेज़ भारत के विभिन्न उप-क्षेत्रों में विकास की क्षमता पर प्रकाश डालता है। भारत में नागर विमानन उद्योग के लिये विज़न 2040 दस्तावेज़ के अनुसार-

  • आने वाले समय में देश के पास किराये पर विमान लेने का अपना उद्योग होगा। वर्ष 2040 तक भारत द्वारा कर अवसंरचना और पट्टे पर विमान देने की प्रक्रिया वैश्विक स्तर के बराबर होगी या फिर उससे भी बेहतर होगी।
  • वर्ष 2040 तक हवाई यात्रियों की संख्या छह गुना बढ़कर लगभग 1.1 अरब होने का अनुमान है।
  • वर्ष 2040 तक भारत में संचालित हवाई अड्डों की संख्या 190-200 हो सकती है। इस समय तक देश के शीर्ष 31 शहरों में दो-दो हवाई अड्डे तथा दिल्ली और मुंबई में तीन-तीन हवाई अड्डे हो सकते हैं।

स्रोत : पी.आई.बी


भारतीय अर्थव्यवस्था

पीसीए फ्रेमवर्क से बाहर निकले तीन और बैंक

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India-RBI) ने तीन और बैंकों इलाहाबाद बैंक (Allahabad Bank), कॉरपोरेशन बैंक (Corporation Bank) और धनलक्ष्मी बैंक (Dhanlaxmi Bank) को त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (Prompt Corrective Action-PCA) ढाँचे से बाहर कर दिया।

प्रमुख बिंदु

  • इससे पहले केंद्रीय बैंक ने बैंक ऑफ इंडिया (Bank Of India-BOI), बैंक ऑफ महाराष्ट्र (Bank of Maharashtra) और ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स (Oriental Bank of Commerce) को PCA की पाबंदियों से मुक्त किया था।
  • RBI के वित्तीय पर्यवेक्षण बोर्ड (Board for Financial Supervision-BFS) द्वारा बैंकों के प्रदर्शन की समीक्षा के बाद यह फैसला लिया गया है।

लाभ

  • भारतीय रिज़र्व द्वारा PCA ढाँचे/फ्रेमवर्क से बाहर निकाले जाने के बाद इन बैंकों द्वारा ऋण देने और शाखा विस्तार करने के संदर्भ में आ रही अड़चनों को दूर करने में मदद मिलेगी।

त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (Prompt Corrective Action-PCA)

  • त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (PCA) एक ऐसा ढाँचा है जिसके तहत कमज़ोर वित्तीय तंत्र वाले बैंकों को RBI की निगरानी में रखा जाता है।
  • RBI ने वर्ष 2002 में PCA फ्रेमवर्क को एक संरचित (Structured) त्वरित हस्तक्षेप तंत्र (Early-Intervention Mechanism) के रूप में उन बैंकों के लिये तैयार किया था जो परिसंपत्ति की ख़राब गुणवत्ता या लाभप्रदता के नुकसान के कारण ख़राब स्थिति में पहुँच चुके थे।
  • इसके तहत भारतीय रिज़र्व बैंक कमज़ोर और संकटग्रस्त बैंकों पर आकलन, निगरानी, नियंत्रण और सुधारात्मक कार्रवाई के लिये कुछ सतर्कता बिंदु आरोपित करता है।
  • PCA फ्रेमवर्क में शामिल बैंकों से कुछ जोखिमपूर्ण गतिविधियों से परहेज करने, अपने कामकाज की दक्षता बढ़ाने और पूंजी सुरक्षा पर ज़ोर देने के लिये कहा जाता है। इसके अलावा इन बैंकों द्वारा नए ऋण/कर्ज़ देने पर भी रोक लगा दी जाती है।

स्रोत : द हिंदू (बिज़नेस लाइन)


विश्व इतिहास

कंबोडिया का अंकोर शहर

चर्चा में क्यों?

हाल ही में जारी एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि खमेर (Khmer) साम्राज्य की प्राचीन राजधानी अंकोर का पतन अचानक नहीं हुआ था बल्कि इसका पतन क्रमिक क्षरण के कारण हुआ था।

  • इससे पहले कई पुरातत्त्वविदों और इतिहासकारों द्वारा यह कहा गया था कि 15वीं शताब्दी में अंकोर पतन का कारण, इस साम्राज्य पर अयुत्या (Ayutthaya) के थाई साम्राज्य द्वारा 1431 में किया गया आक्रमण था।
  • अंकोर शहर में यूनेस्को का विश्व धरोहर स्थल, अंकोर वाट भी स्थित है।

अंकोर पुरातत्त्व पार्क (Angkor Archeological Park)

  • अंकोर दक्षिण-पूर्वी एशिया के सबसे महत्त्वपूर्ण पुरातात्त्विक स्थलों में से एक है।
  • वन क्षेत्र सहित लगभग 400 वर्ग किमी. क्षेत्रफल में फैले हुए अंकोर पुरातत्त्व पार्क में 9वीं से 15वीं शताब्दी तक खमेर साम्राज्य की विभिन्न राजधानियों के विशाल अवशेष विद्यमान हैं।
  • इनमें विश्व प्रसिद्द अंकोर वाट मंदिर और अंकोर थॉम (Angkor Thom) में अनगिनत मूर्तियों की सजावट के साथ बेयोन मंदिर (Bayon Temple) शामिल है।

अंकोर वाट मंदिर

  • अंकोर वाट कंबोडिया में स्थित एक मंदिर परिसर है तथा यह दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक स्मारकों में से एक है।
  • इसकी स्थापना मूल रूप से खमेर साम्राज्य के लिये भगवान विष्णु को समर्पित एक हिंदू मंदिर के रूप में की गई थी, लेकिन धीरे-धीरे 12वीं शताब्दी के अंत तक इसे एक बौद्ध मंदिर में बदल दिया गया था।
  • 12वीं शताब्दी की शुरुआत में खमेर राजा सूर्यवर्मन द्वितीय द्वारा खमेर साम्राज्य की राजधानी यशोधरपुर (वर्तमान में अंकोर), में इसका निर्माण उनके राज्य मंदिर और संभावित मकबरे के रूप में करवाया गया था।

स्रोत : द हिंदू


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

RIC समिट

चर्चा में क्यों?

हाल ही में रूस, भारत और चीन के विदेश मंत्रियों की 16वीं बैठक (RIC Meeting) 27 फरवरी, 2019 को चीन के झेजियांग में संपन्न हुई।

  • RIC की बैठक इसलिये महत्त्वपूर्ण है क्योंकि रूस, भारत और चीन ऐसे देश हैं जो अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में महत्त्वपूर्ण स्थान रखते हैं और दुनिया की घटनाओं को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं।

संयुक्त बयान

  • बैठक में RIC ने बहुपक्षवाद और संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के सिद्धांतों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताई।
  • यह बैठक प्रतिनिधियों को शामिल करने, इसे मजबूत बनाने तथा विकासशील देशों के प्रतिनिधित्व को और बढ़ाने के साथ संयुक्त राष्ट्र सहित सुरक्षा परिषद में व्यापक सुधार के उद्देश्य से बुलाई गई ताकि यह वैश्विक चुनौतियों का जवाब दे सके।
  • शिखर सम्मेलन के दौरान RIC को बहुपक्षवाद को बढ़ावा देने के लिये ब्रिक्स और शंघाई सहयोग संगठन के महत्वपूर्ण प्रभावी तंत्र के रूप में स्वीकार किया गया।
  • सम्मेलन में विभिन्न क्षेत्रीय मंचों और संगठनों, जैसे- पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (EAS), आसियान क्षेत्रीय मंच (ARF), आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक प्लस (ADMM-Plus), एशिया-यूरोप बैठक (ASEM), द कांफ्रेंस ऑन इंटरेक्शन एंड कॉन्फिडेंस बिल्डिंग मेज़र्स इन एशिया (CICA) तथा एशिया कोऑपरेशन डायलॉग (ACD) के महत्त्व को दोहराया गया।
  • RIC बैठक में आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों की कड़ी निंदा की गई। इसमें अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक अभिसमय (The Comprehensive Convention on International Terrorism-CCIT) को शीघ्र अपनाने का आह्वान किया गया। इसमें आतंकवाद के विरुद्ध संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के प्रस्तावों को लागू करने का भी आह्वान किया गया।
  • RIC बैठक में इस बात पर भी ज़ोर दिया कि आतंकवादी कृत्यों को अंजाम देने वाले, इसे पोषित करने वाले, उकसाने वाले या समर्थन करने वालों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिये और उन्हें न्याय तंत्र के दायरे में लाया जाना चाहिये।
  • RIC बैठक में मादक पदार्थों की तस्करी, बाह्य अंतरिक्ष के शांतिपूर्ण उपयोग, जैविक तथा रासायनिक हथियारों के निषेध के विरुद्ध कन्वेंशन को अपनाने का भी आह्वान किया गया।
  • RIC बैठक के दौरान अफगानिस्तान में एक अफगान-नेतृत्व वाली, अफगान स्वामित्व वाली शांति और सुलह प्रक्रिया के माध्यम से शांति का आह्वान किया गया, कोरियाई प्रायद्वीप में महत्त्वपूर्ण और सकारात्मक परिवर्तनों का स्वागत किया गया, ईरान-परमाणु समझौते का समर्थन किया गया तथा फिलिस्तीन मुद्दे के निपटारे के लिये दो-राज्य समाधान (Two-State Solution) का समर्थन किया गया गया।
  • सम्मेलन में यमन, सीरिया और वेनेजुएला में उत्पन्न संकट के राजनयिक और राजनीतिक समाधान निकालने का भी आह्वान किया।

स्रोत : द हिंदू


विविध

युद्ध बंदियों हेतु जिनेवा कन्वेंशन

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत ने पाकिस्तान के बालाकोट में जैश-ए-मुहम्मद के कैंप के खिलाफ कार्रवाई की थी जिसके प्रतिक्रियास्वरूप पाकिस्तानी एयरफोर्स ने भी भारतीय सैन्य स्थल पर कार्रवाई कर दी।

प्रमुख बिंदु

  • इस कार्रवाई में भारत को अपना एक मिग 21 खोना पड़ा, जबकि एक पायलट लापता हो गया। पाकिस्तान ने दावा किया है कि भारतीय वायुसेना का पायलट उनकी हिरासत में है।
  • भारत ने पाकिस्तान से विंग कमांडर अभिनंदन की रिहाई की मांग करते हुए जिनेवा कन्वेंशन, 1949 का हवाला दिया है।

जिनेवा कन्वेंशन, 1949

  • 1864 और 1949 के बीच जिनेवा में संपन्न जिनेवा कन्वेंशन (Geneva Convention) कई अंतर्राष्ट्रीय संधियों की एक ऐसी श्रृंखला है जो युद्धबंदियों (Prisoners of War-POW) और नागरिकों के अधिकारों को बरकरार रखने हेतु युद्ध में शामिल पक्षों को बाध्यकारी बनाती है।
  • जिनेवा कन्वेंशन में चार संधियाँ और तीन अतिरिक्त प्रोटोकॉल (मसौदे) शामिल हैं, जिनका मकसद युद्ध के वक्त मानवीय मूल्यों को बनाए रखने के लिये कानून तैयार करना है।
  • 1949 के समझौते में शामिल दो अतिरिक्त प्रोटोकॉल 1977 में अनुमोदित किये गए थे।
  • दुनिया के सभी देश जिनेवा कन्वेंशन के हस्ताक्षरकर्त्ता हैं। हालिया घटनाक्रम भी जिनेवा कन्वेंशन के दायरे में आता है क्योंकि जिनेवा कन्वेंशन के प्रावधान शांतिकाल, घोषित युद्ध और यहाँ तक कि उन सशस्त्र संघर्षों में भी लागू होते हैं जिन्हें एक या अधिक पक्षों द्वारा युद्ध के रूप में मान्यता नहीं दी गई हो।

युद्धबंदियों हेतु प्रावधान

  • जिनेवा कन्वेंशन के मुताबिक, युद्धबंदी के साथ अमानवीय बर्ताव नहीं किया जाएगा और उसे किसी भी तरह से प्रताड़ित या फिर उसका शोषण नहीं किया जाएगा।
  • जिनेवा कन्वेंशन के तहत कोई भी देश अपने युद्धबंदी को न तो अपमानित कर सकता है और न ही डरा-धमका सकता है।
  • कोई देश युद्धबंदी से उसकी जाति, धर्म या रंग-रूप के बारे में नहीं पूछ सकता और अगर कोशिश की भी जाए तो युद्धबंदी अपने नाम, सर्विस नंबर और रैंक के अलावा कुछ भी अन्य जानकारी नहीं देगा।
  • हिरासत में लेने वाला देश युद्धबंदी के खिलाफ संभावित युद्ध अपराध का मुकदमा चला सकता है, लेकिन उस हिंसा की कार्रवाई के लिये नहीं जो अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानूनों के तहत आती हो।
  • किसी देश का सैनिक जैसे ही पकड़ा जाता है उस पर यह संधि लागू हो जाती है।
  • कन्वेंशन के अनुसार, युद्ध खत्म होने पर युद्धबंदी को तुरंत रिहा किया जाना चाहिये।
  • युद्धबंदियों के साथ किसी भी तरह का भेदभाव नहीं किया जाएगा। कन्वेंशन के अनुच्छेद 3 के अनुसार, युद्धबंदियों का सही तरीके के इलाज किया जाएगा।
  • कोई भी देश अपने युद्धबंदी के साथ ऐसा व्यवहार नहीं कर सकता जिससे कि जनमानस के बीच किसी तरह की उत्सुकता पैदा हो।
  • जिनेवा कन्वेंशन के तहत युद्धबंदी को उचित भोजन दिया जाना चाहिये और हर तरह से उसकी देखभाल की जानी चाहिये।

स्रोत- इंडियन एक्सप्रेस


विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2019

चर्चा में क्यों?

वैज्ञानिक अनुप्रयोगों के महत्व के बारे में संदेश फैलाने, मानव कल्याण के लिये विज्ञान के क्षेत्र में सभी गतिविधियों, प्रयासों और उपलब्धियों को प्रदर्शित करने और विज्ञान के विकास के लिये नई तकनीकों को लागू कर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी को लोकप्रिय बनाने के उद्देश्य से प्रत्येक वर्ष 28 फरवरी को 'राष्ट्रीय विज्ञान दिवस' मनाया जाता है।

  • इस वर्ष राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के अवसर पर पटना वीमेंस कॉलेज के विज्ञान ब्लॉक द्वारा दो दिवसीय प्रदर्शनी का आयोजन किया गया।

प्रमुख बिंदु

  • देश में हर साल 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में मनाया जाता है।
  • इसमें देश भर के वैज्ञानिक संगठन और संस्थान शामिल हुए।
  • इस वर्ष राष्ट्रीय विज्ञान दिवस की थीम है: साइंस फॉर द पीपल, एंड पीपल फॉर द साइंस
  • इस अवसर पर वर्ष 2016, 2017 और 2018 के लिये शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार भी प्रदान किये गए।

पृष्ठभूमि

  • 28 फरवरी, 1928 को देश के प्रसिद्द भौतिक विज्ञानी सर चंद्रशेखर वेंकट रमन ने ‘रमन प्रभाव’ की खोज की थी जिसके लिये वर्ष 1930 में उन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसी के उपलक्ष्य में 28 फरवरी, 1986 से प्रत्येक वर्ष इस दिन को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में मनाया जाता है।
  • 1954 में भौतिकी के क्षेत्र में योगदान के लिये सीवी रमन को भारत रत्न से सम्मानित किया गया।

रमन प्रभाव (Raman Effect)

रमन प्रभाव के अनुसार, प्रकाश की प्रकृति और स्वभाव में तब परिवर्तन होता है जब वह किसी पारदर्शी माध्यम से निकलता है। यह माध्यम ठोस, द्रव और गैस कुछ भी हो सकता है।

अनुप्रयोग

  • यह एक अद्भुत प्रभाव है, इसकी खोज के एक दशक बाद ही 2000 रासायनिक यौगिकों की आंतरिक संरचना का पता लगाया गया। इसके पश्चात् ही क्रिस्टल की आंतरिक रचना का भी पता लगाया गया।
  • फोटोन की ऊर्जा या प्रकाश की प्रकृति में होने वाले अतिसूक्ष्म परिवर्तनों से माध्यम की आंतरिक अणु संरचना का पता लगाया जा सकता है। रमन प्रभाव रासायनिक यौगिकों की आंतरिक संरचना समझने के लिये भी महत्वपूर्ण है।
  • प्रत्येक रासायनिक पदार्थ का अपना एक विशिष्ट रमन स्पेक्ट्रम होता है और किसी पदार्थ के रमन स्पेक्ट्रम को देखकर उन पदार्थों की पहचान की जा सकती है। इस तरह रमन स्पेक्ट्रम पदार्थों को पहचानने और उनकी आतंरिक परमाणु संयोजन का ज्ञान प्राप्त करने का महत्त्वपूर्ण साधन भी है।

शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार- 2018

अपने स्थापना दिवस के अवसर पर वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (Council of Scientific and Industrial Research- CSIR) ने वर्ष 2018 के लिये शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार प्राप्त करने वाले विजेताओं की सूची जारी की है।

  • हर साल 45 वर्ष से कम आयु के कई वैज्ञानिकों को देश भर के विभिन्न संस्थानों से चुना जाता है और पिछले पाँच वर्षों में उनके उत्कृष्ट वैज्ञानिक कार्य के लिये सम्मानित किया जाता है।
  • विभिन्न श्रेणियों में इस वर्ष के विजेताओं की सूची इस प्रकार है :

जीव विज्ञान - डॉ. गणेश नागाराजू (भारतीय विज्ञान संस्थान, बंगलूरू) और डॉ. थॉमस पुकाडिल (भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान –IISER पुणे)।

रसायन विज्ञान – डॉ. राहुल बनर्जी तथा डॉ. स्वाधीन कुमार मंडल (IISER कोलकाता)।

पृथ्वी, वातावरण, सामुद्रिक एवं ग्रहीय विज्ञान - डॉ. मेदिनेनी वेंकट रत्न (राष्ट्रीय वातावरण अनुसंधान प्रयोगशाला, तिरूपति) और डॉ. पार्थसारथी चक्रवर्ती (CSIR-राष्ट्रीय सामुद्रिक संस्थान)।

अभियांत्रिकी विज्ञान – डॉ. अमित अग्रवाल और डॉ. अश्विन अनिल गुमास्ते (IIT बॉम्बे)।

गणितीय विज्ञान - डॉ. अमित कुमार (IIT दिल्ली) और डॉ. नितिन सक्सेना (IIT कानपुर)।

चिकित्सा विज्ञान - डॉ. गणेशन वेंकट सुब्रमण्यम (राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य एवं तंत्रिका विज्ञान संस्थान, बंगलूरू)।

भौतिक विज्ञान - डॉ. अदिति सेन डे (हरीशचंद्र अनुसंधान संस्थान, इलाहाबाद) और डॉ. अंबरीश घोष (भारतीय विज्ञान संस्थान, बंगलूरू)।

वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद
(Council of Scientific and Industrial Research CSIR)

  • वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के विविध क्षेत्रों में अपने अग्रणी अनुसंधान एवं विकास ज्ञानाधार के लिये ज्ञात एक समसामयिक अनुसंधान एवं विकास संगठन है।
  • CSIR की स्थापना वर्ष 1942 में की गई थी। यह एक स्वायत्त संस्था है तथा भारत का प्रधानमंत्री इसका अध्यक्ष होता है।
  • शिमागो इंस्टीट्यूशन्‍स रैंकिंग वर्ल्‍ड रिपोर्ट 2014 के अनुसार, विश्‍व भर के 4851 संस्‍थानों में CSIR का स्‍थान 84वाँ है और यह शीर्षस्‍थ 100 अंतर्राष्ट्रीय संस्‍थानों में अकेला भारतीय संगठन है। CSIR एशिया में 17वें और देश में पहले स्‍थान पर है।

स्रोत – PIB


शासन व्यवस्था

श्रेयस योजना

चर्चा में क्यों?

हाल ही में मानव संसाधन विकास मंत्रालय (Ministery of Human Resources Development) ने उच्च शिक्षा प्राप्त युवाओं के प्रशिक्षण एवं कौशल विकास के लिये श्रेयस (Scheme for Higher Education Youth in Apprenticeship and Skills-SHREYAS) कार्यक्रम की शुरुआत की। इस योजना से युवाओं को रोज़गार प्राप्त करने और देश की प्रगति में योगदान करने में सहायता मिलेगी।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय शिक्षुता प्रोत्साहन योजना (National Apprenticeship Promotional Scheme-NAPS) के माध्यम से आने वाले सत्र के सामान्य स्नातकों को उद्योग शिक्षुता अवसर प्रदान करने के लिये उच्च शिक्षा के युवाओं के लिये प्रशिक्षण और कौशल (SHREYAS) की योजना शुरू की गई है।
  • वर्तमान समय में कौशल के साथ शिक्षा समय की आवश्यकता है। SHREYAS कार्यक्रम इस दिशा में एक बड़ा प्रयास होगा।
  • देश के डिग्रीधारी छात्रों को अर्थव्यवस्था की जरूरतों के लिये अधिक कुशल, सक्षम, रोज़गारपरक और संगठित किये जाने की आवश्यकता है ताकि वे देश की प्रगति में अधिकतम योगदान कर सकें और लाभकारी रोज़गार भी प्राप्त कर सकें।
  • SHREYAS कार्यक्रम में तीन केंद्रीय मंत्रालयों की पहल शामिल है - मानव संसाधन विकास मंत्रालय, कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय और श्रम एवं रोज़गार मंत्रालय। साथ ही इस कार्यक्रम में सभी राज्यों से सहयोग की भी अपेक्षा की गई है।
  • इस दौरान मानव संसाधन विकास मंत्रालय और कौशल विकास के लिये विज्ञान और उद्यमिता के क्षेत्र में 7 अन्य अपरेंटिसशिप पाठ्यक्रम को BBA (Bachelor of Business Administration) और BVoc (Bachelor of Vocation) पाठ्यक्रम के साथ संलग्न किया गया है।
  • 6 क्षेत्रीय कौशल परिषदों – सूचना प्रौद्योगिकी (IT), रिटेल (Retail), लॉजिस्टिक्स (Logistics), टूरिज़्म (Tourism), BFSI (Banking, Financial Services and Insurance), फूड प्रोसेसिंग (Food Processing) ने कौशल विकास के क्षेत्र में बढ़त बना ली है।
  • वर्तमान में चल रहे अधिकतर पाठ्यक्रमों में हेल्थकेयर (Healthcare), इलेक्ट्रॉनिक्स (Electronics) और मीडिया क्षेत्र (Media Sectors) शामिल हैं।

SHREYAS कार्यक्रम के उद्देश्य

इसके निम्नलिखित उद्देश्य हैं -

  • उच्च शिक्षा प्रणाली सीखने की प्रक्रिया के दौरान छात्रों में रोज़गार प्रासंगिकता की शुरुआत कर उनकी क्षमता में सुधार करना।
  • स्थायी तौर पर शिक्षा और उद्योग/सेवा क्षेत्रों के बीच सकारात्मक कार्य करना।
  • छात्रों को समय की मांग के अनुसार प्रगतिशील तरीके से कौशल प्रदान करना।
  • उच्च शिक्षा के दौरान सीखने के साथ आय अर्जन सुनिश्चित करना।
  • अच्छी गुणवत्ता वाली जनशक्ति सुनिश्चित करके व्यापार/उद्योग क्षेत्र में सहयोग करना।
  • सरकार के प्रयासों को सुविधाजनक बनाने के साथ ही छात्र समुदाय को रोज़गार से जोड़ना।

स्रोत – PIB


विविध

Rapid Fire करेंट अफेयर्स (28 February)

  • केंद्र सरकार ने विमान यात्रियों को अधिकार देने वाला पैसेंजर चार्टर जारी किया है। नागर विमानन (Civil Aviation) मंत्रालय द्वारा जारी इस चार्टर में उड़ान में 6 घंटे की देरी होने पर यात्रियों को पूरा पैसा लौटाने का निर्देश है या यात्रियों के लिये वैकल्पिक उड़ान की व्यवस्था एयरलाइन को करनी होगी। निर्धारित समय के 14 दिन पूर्व यदि उड़ान रद्द होती है तो पूरा पैसा वापस लौटाना होगा। सामान खोने या क्षतिग्रस्त हो जाने पर 20 हज़ार रुपए तक (350 रुपए प्रति किलोग्राम) का हर्जाना देना पड़ सकता है। बुक किये गए टिकटों के नामों में 24 घंटे पहले किये जाने वाले बदलाव के लिये कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा। किसी फ्लाइट में क्षमता से अधिक बुकिंग होने पर भी यात्री को मुआवज़ा मांगने का अधिकार होगा।
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में राष्ट्रीय युवा संसद महोत्सव पुरस्कार (नेशनल यूथ पार्लियामेंट फेस्टिवल अवार्ड) 2019 वितरित किये। राष्ट्रीय युवा संसद महोत्सव की थीम नए भारत की आवाज बनें एवं समाधान खोजें और नीति में योगदान दें रखी गई थी। इसका आयोजन युवा मामले एवं खेल मंत्रालय के तत्त्वावधान में नेशनल सर्विस स्कीम और नेहरू युवा केंद्र संगठन द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। यह महोत्सव ‘नए भारत’ की छवि का प्रतिनिधित्व करता है। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर ‘खेलो इंडिया एप’ भी लॉन्च किया जो इससे संबंधित आवश्यक जानकारियाँ प्रदान करेगा। इसे युवा मामले एवं खेल मंत्रालय के तहत भारतीय खेल प्राधिकरण ने विकसित किया है। इस एप का उपयोग देश में विभिन्न खेल स्थलों, उनकी उपलब्धता, खेल के नियमों और फिटनेस का पता लगाने में किया जा सकता है।
  • केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री जुएल ओरांव  ने नई दिल्ली स्थित डॉ. अम्बेडकर इंटरनेशनल सेंटर में जनजातीय कार्य मंत्रालय के तहत ट्राइफेड द्वारा आयोजित कार्यशाला में सूक्ष्म वन उपज के लिये न्यूनतम समर्थन मूल्य एवं वन धन के मूल्य वर्द्धन संघटक की शुरुआत की। जनजातीय कार्य मंत्रालय अब वन धन योजना का विस्तार कर रहा है और उसे चरणबद्ध रूप से देश के सभी जनजातीय जिलों में लागू करने की योजना बना रहा है। इसकी शुरुआत बड़ी जनजातीय आबादी वाले महत्त्वाकांक्षी ज़िलों के साथ की जाएगी। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री ने 14 अप्रैल, 2018 को छत्तीसगढ़ के बीजापुर ज़िले में वन धन योजना की शुरुआत की थी।
  • केंद्रीय सामाजिक न्याय और आधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने बधिर (Deaf) लोगों के लिये ISL शब्दकोश का दूसरा संस्करण लॉन्च किया। इस शब्दकोश को इंडियन साइन लेंग्वेज रिसर्च एंड ट्रेनिंग सेंटर (ISLRTC) ने तैयार किया है, जो सामाजिक न्याय व आधिकारिता मंत्रालय के दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग के तहत कार्य करता है। इसका 3000 शब्दों वाला पहला संस्करण 23 मार्च, 2018 को लॉन्च किया गया था। अब इस शब्दकोश में शिक्षा, कानून, चिकित्सा, तकनीक आदि विषयों के लगभग 6000 शब्द हैं। इस शब्दकोश को बधिर समुदाय के लोगों के सुझावों और समझ के आधार पर तैयार किया गया है। इसमें अंग्रेज़ी और हिंदी संकेतों की सूची भी दी गई है। आपको बता दें कि 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में 50.71 लाख बधिर व्यक्ति हैं। इस शब्दकोश निर्माण का लक्ष्य ISL के इस्तेमाल को प्रोत्साहन देना और बधिर व्यक्तियों को शिक्षा तथा रोज़गार के बेहतर अवसर प्रदान करना है।
  • केंद्र सरकार ने कैंसर के इलाज में इस्तेमाल होने वाली 42 दवाओं को मूल्य नियंत्रण के दायरे में लाने का फैसला किया है। इनके ट्रेड मार्जिन 30 फीसदी तक सीमित कर दिये गए हैं, जिससे इन दवाओं के खुदरा मूल्य में 85% तक की कमी आएगी। नेशनल फार्मास्यूटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (NPPA) ने जनहित में असाधारण शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए ड्रग्स (प्राइस कंट्रोल) ऑर्डर, 2013 के पैरा 19 के तहत नियामक 42 नॉन-शेड्यूल के तहत एंटी-कैंसर ड्रग्स को मूल्य नियंत्रण के दायरे में रखा है। इससे 105 ब्रांडों के अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) 85% तक कम होंगे। गौरतलब है कि अभी तक कैंसर के इलाज में इस्तेमाल की जाने वाली 57 दवाएँ मूल्य नियंत्रण के दायरे में थीं।
  • इंटरनेशनल काउंसिल ऑन क्लीन ट्रांसपोर्टेशन, जॉर्ज वाशिंगटन यूनिवर्सिटी और कोलाराडो यूनिवर्सिटी के शोधकर्त्ताओं द्वारा किये गए एक अध्ययन के अनुसार वर्तमान में वायु प्रदूषण एक बड़ी समस्या बनी हुई है। भारत में होने वाले वायु प्रदूषण में सबसे बड़ा योगदान डीज़ल वाहनों का है। वायु प्रदूषण से होने वाली कुल मौतों में से दो-तिहाई का कारण डीज़ल वाहन हैं। यह निष्कर्ष वायु प्रदूषण से 2015 में हुई मौतों के आधार पर निकाला गया है। 2015 में वायु प्रदूषण के कारण दुनियाभर में लगभग 3 लाख 85 हज़ार लोगों की मौत हुई थी। तब चीन, भारत, यूरोपीय संघ और अमेरिका में वायु प्रदूषण का सर्वाधिक असर देखने को मिला था।
  • भारतीय मूल की अमेरिकी तथा पेप्सिको की पूर्व अध्यक्ष इंदिरा नूयी को एमेज़ॉन के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में शामिल किया गया है। उन्होंने पिछले वर्ष अक्तूबर में पेप्सिको से इस्तीफा दिया था। अब वह एमेज़ॉन की ऑडिट कमेटी की सदस्य होंगी। इंदिरा नूयी एमेज़ॉन के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में शामिल होने वाली दूसरी अश्वेत महिला हैं। इससे पहले इसी महीने की शुरुआत में स्टारबक्स की CEO रोसलिंड ब्रेवर भी बोर्ड में शामिल हुई थीं। गौरतलब है कि इंदिरा नूयी अक्तूबर 2006 से अक्तूबर 2018 तक पेप्सिको की CEO रही हैं। उन्होंने पेप्सिको में मई 2007 से फरवरी 2019 तक निदेशक मंडल के अध्यक्ष के पद पर भी काम किया। वे पेप्सिको से 1994 में जुड़ी थीं और उन्हें 2001 में पेप्सिको के निदेशक मंडल में शामिल कर मुख्य वित्तीय अधिकारी बनाया गया था।
  • नाइजीरिया में मुहम्मद बुहारी लगातार दूसरी बार चुनाव जीतकर राष्ट्रपति बन गए हैं। 23 फरवरी को हुए राष्ट्रपति चुनाव में बुहारी को 56% वोट मिले। उनके मुख्य प्रतिद्वंदी और पूर्व उपराष्ट्रपति अतीकु अबू बकर को 41% वोट मिले और उन्होंने चुनाव नतीजों को मानने से इनकार कर दिया है। अफ्रीका के इस सबसे अधिक आबादी वाले और शीर्ष तेल उत्पादक देश के सभी 36 प्रांतों और केंद्रशासित राजधानी क्षेत्र में मतपत्रों की गिनती होने के बाद नाइजीरिया के स्वतंत्र राष्ट्रीय चुनाव आयोग (INEC) के अध्यक्ष महमूद याकुबू ने उनकी जीत का एलान किया।

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