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डेली न्यूज़

  • 27 Apr, 2019
  • 22 min read
भारतीय अर्थव्यवस्था

वैश्विक खाद्य नीति रिपोर्ट

चर्चा में क्यों?

वाशिंगटन डीसी स्थित अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान (International Food Policy Research Institute-IFPRI) द्वारा हाल ही में वैश्विक खाद्य नीति रिपोर्ट (Global Food Policy Report-GFPR), 2019 जारी की गई है।

रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष

  • रिपोर्ट के मुताबिक भूख और कुपोषण, गरीबी, सीमित आर्थिक अवसर तथा पर्यावरण क्षरण के कारण दुनिया के कई हिस्सों में ग्रामीण क्षेत्र संकट की स्थिति से गुज़र रहे हैं जो सतत् विकास लक्ष्यों, वैश्विक जलवायु लक्ष्यों और बेहतर खाद्य तथा पोषण सुरक्षा की प्रगति की दिशा में बाधक है।
  • रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया की कुल आबादी में 45.3 प्रतिशत ग्रामीण आबादी है और दुनिया की कम-से-कम 70 प्रतिशत आबादी अत्यंत गरीब है।
  • सबसे कमज़ोर और हाशिये पर होने के अलावा ग्रामीण आबादी तीव्र जनसंख्या वृद्धि दर, अपर्याप्त रोजगार और उद्यम निर्माण, खराब बुनियादी ढाँचा तथा अपर्याप्त वित्तीय सेवाओं के कारण पीड़ित है।
  • इसके अलावा ग्रामीण समुदाय जलवायु परिवर्तन प्रभावों का खामियाजा भी भुगत रहे हैं, जो 2019 के लिये ग्रामीण पुनरुद्धार (Rural Revitalisation) को एक महत्त्वपूर्ण विषय बनाता है।
  • रिपोर्ट के मुताबिक, नव-प्रवर्तनशील और समग्र पुनरुद्धार के बिना नए अवसरों का लाभ उठाने और बढ़ती चुनौतियों का सामना करने के लिये 2030 तक सभी के लिये खाद्य सुरक्षा प्राप्त करना मुश्किल होगा, शायद असंभव भी।
  • ग्रामीण पुनरुत्थान केवल एक दशक में ही भूख और कुपोषण को समाप्त करने के लिये महत्त्वपूर्ण है।

ध्यान दिये जाने वाले क्षेत्र

  • इस लक्ष्य को हासिल करने के लिये महिलाओं और ग्रामीण युवाओं पर ध्यान दिया जाना आवश्यक है।
  • कई देशों में 60 प्रतिशत खेती उन महिलाओं द्वारा की जाती है जिनके पास संपत्ति या राजनीतिक पृष्ठभूमि नहीं होती है या जिनकी कृषि विस्तार सेवाओं तक पहुँच नहीं है।
  • स्वच्छ पेयजल और प्रदूषण रहित वायु की सीमित पहुँच के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में जीवन यापन की स्थिति बेहद खराब है।
  • इसके अलावा दुनिया भर में लगभग 50 प्रतिशत ग्रामीण युवाओं के पास कोई औपचारिक रोज़गार नहीं है, वे या तो बेरोज़गार हैं या अस्थायी रोज़गार में लगे हैं।

ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के प्रयास

  • रिपोर्ट के अनुसार, ग्रामीण परिवर्तन और पुनरुद्धार स्वतंत्रता के बाद से भारत के विकास के प्रयासों का प्रमुख लक्ष्य रहा है।
  • भारत में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने तथा बुनियादी सेवाओं तक पहुँच बढ़ाने के साथ-साथ कृषि और ग्रामीण बुनियादी ढाँचे में निवेश बढ़ाकर ग्रामीण आजीविका को बेहतर बनाने के कई उपाय किये गए हैं।
  • देश में हाल के वर्षों में प्रमुख फसलों के लिये न्यूनतम समर्थन मूल्य उनके उत्पादन लागत का 1.5 गुना अधिक किया गया है।
  • भारत में 22,000 ग्रामीण हाटों (स्थानीय अनौपचारिक बाज़ार) को ग्रामीण कृषि बाज़ार (GrAMs) से जोड़ने तथा कृषि विपणन बुनियादी ढाँचे को उन्नत करने की योजना बनाई गई है।

चुनौतियाँ

  • प्रगति के बावजूद भारत लगातार जलवायु परिवर्तन की चुनौती का सामना कर रहा है। भूमि क्षरण, मिट्टी की गुणवत्ता में गिरावट और जैव विविधता के नुकसान ने ग्रामीण रूपांतरण (Rural Transformation) के कार्य को धीमा कर दिया है।
  • रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि बदलते उपभोग पैटर्न ने भारत में शहरीकरण, जनसांख्यिकीय बदलाव, आय में वृद्धि और खाद्य आपूर्ति श्रृंखलाओं (Food Supply Chains) तथा खाद्य प्रणालियों के बढ़ते एकीकरण से ग्रामीण क्षेत्रों में उद्यमिता और रोज़गार के नए अवसर प्रदान किये हैं।

अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान के बारे में

  • अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान (IFPRI) विकासशील देशों में गरीबी, भूख और कुपोषण को कम करने के लिये अनुसंधान आधारित नीतिगत समाधान प्रदान करता है।
  • 1975 में स्थापित IFPRI में वर्तमान में 50 से अधिक देशों में काम करने वाले 600 से अधिक कर्मचारी हैं।
  • यह CGIAR (Consultative Group for International Agricultural Research) का एक अनुसंधान केंद्र है।

CGIAR के बारे में

  • CGIAR एक वैश्विक साझेदारी है जो खाद्य-सुरक्षित भविष्य (Food-secured Future) के लिये अनुसंधान में लगे संगठनों को एकजुट करती है।
  • CGIAR अनुसंधान ग्रामीण गरीबी को कम करने, खाद्य सुरक्षा बढ़ाने, मानव स्वास्थ्य और पोषण में सुधार करने और प्राकृतिक संसाधनों के स्थायी प्रबंधन को सुनिश्चित करने के लिये समर्पित है।

स्रोत : द हिंदू बिज़नेस लाइन


भारतीय अर्थव्यवस्था

आरबीआई ने एनबीएफसी लोकपाल योजना का विस्तार किया

चर्चा में क्यों?

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने उन गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (Non-banking Financial Companies-NBFCs) के लिये लोकपाल योजना के विस्तार की घोषणा की है जिनके गैर-डिपॉजिट (Non-Deposit) ग्राहकों की संपत्ति का आकार 100 करोड़ रुपए या उससे अधिक है।

ऐसा क्यों किया गया?

  • ऋण संबंधी सेवाओं में कमी और एनबीएफसी द्वारा सेवाओं में कमी से संबंधित अन्य मामलों की शिकायतों का त्वरित निवारण सुनिश्चित करने के लिये ऐसा किया गया है।

गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के लिये लोकपाल योजना

  • 23 फरवरी, 2018 को आरबीआई अधिनियम 1934 की धारा 45-IA के तहत आरबीआई के साथ पंजीकृत NBFCs के विरुद्ध शिकायतों के निवारण के लिये इस योजना की शुरुआत की गई थी| यह योजना सभी जमाराशि स्वीकार करने वाली गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को कवर करती है।
  • एनबीएफसी लोकपाल भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा नियुक्त एक वरिष्ठ अधिकारी होता है जो सेवा में कमी के लिये NBFCs के विरुद्ध ग्राहकों की शिकायतों का निवारण करता है।
  • यह योजना एनबीएफसी द्वारा सेवाओं में कमी से संबंधित एक निःशुल्क और त्वरित शिकायत निवारण तंत्र प्रदान करती है।
  • यह योजना एक अपीलीय तंत्र भी प्रदान करती है जिसके तहत शिकायतकर्त्ता/NBFC के पास अपीलीय प्राधिकारी के समक्ष लोकपाल के निर्णय के खिलाफ अपील करने का विकल्प होता है।
  • एनबीएफसी लोकपाल के कार्यालय चेन्नई, कोलकाता, मुंबई और नई दिल्ली में हैं और संबंधित क्षेत्रों में ग्राहकों की शिकायतों का निवारण करते हैं।
  • गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी-इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कंपनी (NBFC-IFC), कोर इन्वेस्टमेंट कंपनी (CIC), इन्फ्रास्ट्रक्चर डेट फंड-नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी (Infrastructure Debt Fund-non Banking Financial Companies-IDF-NBFC) और लिक्विडेशन के अंतर्गत शामिल NBFC को इस योजना के दायरे से बाहर रखा गया है।

गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी

  • गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी उस संस्था को कहते हैं जो कंपनी अधिनियम 1956 के अंतर्गत पंजीकृत है और जिसका मुख्य काम उधार देना तथा विभिन्न प्रकार के शेयरों, प्रतिभूतियों, बीमा कारोबार तथा चिटफंड से संबंधित कार्यों में निवेश करना है।
  • गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ भारतीय वित्तीय प्रणाली में महत्त्वपूर्ण स्थान रखती हैं।
  • यह संस्‍थाओं का विजातीय समूह है (वाणिज्यिक सहकारी बैंकों को छोड़कर) जो विभिन्‍न तरीकों से वित्तीय मध्‍यस्‍थता का कार्य करता है जैसे –

♦ जमा स्‍वीकार करना।

♦ ऋण और अग्रिम देना।

♦ प्रत्‍यक्ष अथवा अप्रत्‍यक्ष रूप में निधियाँ जुटाना।

♦ अंतिम व्ययकर्त्ता को उधार देना।

♦ थोक और खुदरा व्यापारियों तथा लघु उद्योगों को अग्रिम ऋण देना।

स्रोत : इंडियन एक्सप्रेस


भारतीय अर्थव्यवस्था

सूचना का गैर-प्रकटीकरण

चर्चा में क्यों?

सर्वोच्च न्यायालय ने अपने आदेश का पालन करने के लिये भारतीय रिज़र्व बैंक को अंतिम अवसर दिया है। गौरतलब है कि सर्वोच्च न्यायालय के इस आदेश के मुताबिक, भारतीय रिज़र्व बैंक को सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम के तहत वार्षिक निरीक्षण रिपोर्ट और विलफुल डिफॉल्टरों की सूची का खुलासा करना है।

वार्षिक निरीक्षण रिपोर्ट क्या है?

  • आरबीआई (RBI) वाणिज्यिक बैंकों, सार्वजनिक और निजी दोनों का वार्षिक वित्तीय निरीक्षण करता है।
  • बैंकिंग विनियमन अधिनियम की धारा 35 के तहत बैंकों का निरीक्षण करने के लिये रिज़र्व बैंक सशक्त है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे निर्धारित नियमों और विनियमों का पालन करते हैं।
  • यह रिपोर्ट बैंकों की विफलता की संभावना का पता लगाने के लिये बैंक के जोखिम आधारित पर्यवेक्षण- क्रेडिट जोखिम, बाज़ार जोखिम और परिचालन जोखिम को देखती है।

पृष्ठभूमि

  • भारतीय रिज़र्व बैंक बनाम जयंतीलाल एन. मिस्त्री और अन्य के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आरटीआई अधिनियम के तहत मांगी गई वार्षिक निरीक्षण रिपोर्ट और विलफुल डिफॉल्टरों की सूची के बारे में जानकारी (रिज़र्व बैंक द्वारा विनियमित और संचालित बैंकों के संबंध में) का खुलासा करने का निर्देश दिया था।

आरबीआई (RBI) का रुख

  • आरबीआई (RBI) ने बैंकों के आर्थिक हित, वाणिज्यिक विश्वास, विश्वास पर आधारित संबंध या सार्वजनिक हित के चलते पहले इस तरह की जानकारी को बताने से इनकार कर दिया था।

SC के फैसले का सारांश

  • आरबीआई (RBI) से यह उम्मीद की जाती है कि वह जनहित को केंद्र में रखे, न कि किसी बैंक का हित।
  • आरबीआई (RBI) के स्पष्ट रूप से किसी भी बैंक के साथ किसी भी प्रकार के विश्वासाश्रित संबंध नहीं है।
  • किसी भी सार्वजनिक क्षेत्र या निजी क्षेत्र के बैंक के लाभ को अधिकतम करना आरबीआई (RBI) का कानूनी कर्त्तव्य नहीं है।
  • इसके अलावा, इस तरह की जानकारी का खुलासा करने के बजाय उसे रोकना राष्ट्र के आर्थिक हित के लिये हानिकारक होगा।
  • आरबीआई (RBI) का सांविधिक कर्त्तव्य है कि वह जनता के हित को देखते हुए बड़े पैमाने पर जमाकर्त्ताओं को देश की अर्थव्यवस्था और बैंकिंग क्षेत्र में बनाए रखे।
  • आरटीआई अधिनियम के प्रावधानों का पालन करना और मांगी गई जानकारी का खुलासा करना आरबीआई (RBI) का कर्त्तव्य है।

निर्णय के प्रभाव

  • आरबीआई (RBI) को वार्षिक निरीक्षण रिपोर्ट और अन्य सामग्री को उपलब्ध कराना होगा।
  • हालाँकि यह आदेश बैंकों के मामलों में अधिक पारदर्शिता प्रदान करेगा, लेकिन यह आरबीआई (RBI) की नियामक प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है।
  • आरबीआई (RBI) की वार्षिक निरीक्षण रिपोर्ट में बैंकों से संबंधित जानकारी अत्यधिक संवेदनशील होती है। इन प्रयासों के माध्यम से रिज़र्व बैंक यह सुनिश्चित करने की कोशिश करता है कि बैंकिंग प्रणाली न्यूनतम व्यवधान के साथ सुचारु रहे।

क्या है आरटीआई अधिनियम?

  • सूचना का अधिकार (Right To Information-RTI) अधिनियम, 2005 भारत सरकार का एक अधिनियम है, जिसे नागरिकों को सूचना का अधिकार उपलब्ध कराने के लिये लागू किया गया है।
  • इस अधिनियम के प्रावधानों के तहत भारत का कोई भी नागरिक किसी भी सरकारी प्राधिकरण से सूचना प्राप्त करने का अनुरोध कर सकता है जो उसे 30 दिन के अंदर मिल जानी चाहिये।
  • इस अधिनियम में यह भी कहा गया है कि सभी सार्वजानिक प्राधिकरण अपने दस्तावेज़ों का संरक्षण करते हुए उन्हें कंप्यूटर में सुरक्षित रखेंगे।
  • यह अधिनियम जम्मू और कश्मीर (यहाँ जम्मू और कश्मीर सूचना का अधिकार अधिनियम प्रभावी है) को छोड़कर अन्य सभी राज्यों पर लागू होता है।
  • इसके अंतर्गत सभी संवैधानिक निकाय, संसद अथवा राज्य विधानसभा के अधिनियमों द्वारा गठित संस्थान और निकाय शामिल हैं।

विविध

Rapid Fire करेंट अफेयर्स (27 April)

  • अत्याधुनिक सेवाएँ उपलब्ध कराने के लिये दिल्ली हाईकोर्ट ने देश की पहली टेलीप्रजेंस सुविधा की शुरुआत की है। इससे न्यायिक प्रक्रिया में बड़ा बदलाव आएगा और न्याय व्यवस्था की गुणवत्ता बढ़ेगी। टेलीप्रजेंस व्यवस्था के ज़रिये एक साथ अलग-अलग जगह पर मौजूद 20 लोगों को एक साथ जोड़ा जा सकता है। यह उन सभी लोगों को आमने-सामने बैठे होने का आभास दिलाएगा। इसके ज़रिये अब दिल्ली हाईकोर्ट दूरदराज़ इलाकों की अदालतों के साथ बैठक कर सकेगा। साथ ही दस्तावेज़ों का इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से आदान-प्रदान भी हो सकेगा। इसका उपयोग आई-फोन, डेस्कटॉप, लैपटॉप, टैबलेट, मोबाइल आदि के ज़रिये किया जा सकता है। एक-दूसरे से जुड़ने के लिये ई-मेल के ज़रिये इसका लिंक भेजा जाएगा। इस लिंक को मोबाइल, लैपटॉप या टैबलेट पर कनेक्ट करते ही सभी आपस में जुड़ जाएंगे। इस सुविधा का लाभ पूर्वनियोजित तरीके से भी उठाया जा सकता है। ज़रूरत होने पर तत्काल इस सेवा के ज़रिये अन्य अदालत या व्यक्ति से कनेक्ट किया जा सकेगा।
  • देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुज़ुकी इंडिया ने अगले वर्ष 1 अप्रैल से डीज़ल कारों की बिक्री बंद करने का फैसला किया है| देश के करीब 51 फीसदी कार मार्केट पर मारुति का कब्जा है। कंपनी ने 2018-19 में करीब 4 लाख डीज़ल गाड़ियाँ (कुल घरेलू बिक्री का 23 फीसदी) बेची हैं। कंपनी डीज़ल कारें बनाना इसलिये बंद कर रही है क्योंकि अगले साल से लागू होने वाले BS-VI प्रदूषण मानकों से जुड़ी कारों की निर्माण लागत काफी ज़्यादा है, अर्थात् डीज़ल इंजन को BS-VI नॉर्म्स के मुताबिक अपग्रेड करने में काफी अधिक खर्च आता है। कंपनी ने अपनी कारों में मारुति जेन (ZEN) में सबसे पहले 1998 में डीज़ल इंजन लगाया था। कंपनी 2019 के आखिर तक डीज़ल वेरियंट्स का उत्पादन बंद कर सकती है, क्योंकि अप्रैल 2020 से नए और सख्त BS-VI मानक लागू होने के बाद पुराना/बचा हुआ स्टॉक बेचने की अनुमति नहीं होगी।
  • उत्तर कोरिया के सर्वोच्च नेता किम जोंग उन और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच 25 अप्रैल को पहली बार आमने-सामने वार्ता हुई। इस बैठक में दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों को प्रगाढ़ करने की प्रतिबद्धता जताई। दोनों नेताओं की यह शिखर वार्ता रूस के बंदरगाह शहर व्लादिवोस्तक के एक यूनिवर्सिटी कैंपस में हुई। इस मुलाकात के पीछे उद्देश्य यह माना जा रहा है कि उत्तर कोरिया के परमाणु मसले का हल निकालने के लिये अमेरिका ही एकमात्र शक्ति नहीं है। ज्ञातव्य है कि पुतिन ने 2002 में किम के पिता और उत्तर कोरिया के तत्कालीन नेता किम जोंग इल के साथ भी शिखर वार्ता की थी। किम जोंग इल ने 2011 में रूस के तत्कालीन राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव से भी मुलाकात की थी।
  • हाल ही में जारी यूरोपियन क्लाइमेट फाउंडेशन की एक रिपोर्ट के अनुसार यूरोप में 14 प्रतिशत उत्सर्जन स्टील, रसायन एवं सीमेंट उद्योग से होता है| इसे वर्ष 2050 तक शून्य पर लाने का लक्ष्य रखा गया है| रिपोर्ट में कहा गया है कि पहले बन चुकी सामग्री को दोबारा इस्तेमाल करने से भारी मात्रा में प्रदूषणकारी तत्त्वों के उत्सर्जन को रोका जा सकता है| वर्ष 2050 तक रिसाइकल करके स्टील और प्लास्टिक की 70 प्रतिशत मांग पूरी की जा सकती है| गौरतलब है कि कुछ वर्ष पूर्व यूरोपीय संघ ने सरकारों, उद्योगों, नागरिकों और सभी क्षेत्रों से कहा था कि वर्ष 2050 तक जैव ईंधन के प्रयोग से मुक्त बनने की महत्त्वाकांक्षी योजना का हिस्सा बनें। तब यह भी कहा गया था कि यदि यूरोप अपने मौजूदा लक्ष्य पर टिका रहा तो वह वर्ष 2050 तक कार्बन उत्सर्जन को केवल 50 प्रतिशत तक ही कम कर पाएगा। यह 2015 पेरिस समझौते के तहत किये गए वादे को पूरा करने के लिये पर्याप्त नहीं है।
  • इंडोनेशिया ने भारत के साथ अपने राजनयिक संबंधों के 70 साल पूरा करने के उपलक्ष्य में रामायण की थीम पर विशेष स्मारक डाक टिकट जारी किया। इस डाक टिकट का डिज़ाइन इंडोनेशिया के जाने-माने मूर्तिकार पद्मश्री बपक न्योमन नुआर्ता ने तैयार किया है। इस पर रामायण की वह घटना अंकित है, जिसमें सीता को बचाने के लिये जटायु बहादुरी से लड़ते हुए नज़र आ रहे हैं। भारत-इंडोनेशिया के राजनयिक संबंधों के 70 साल पूरा होने के अवसर पर दोनों देशों द्वारा संयुक्त रूप से एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम के दौरान 1949 से 2019 तक भारत और इंडोनेशिया के संबंधों से जुड़े ऐतिहासिक पलों को तस्वीरों के माध्यम से दिखाया गया।

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