कवक की विशेष प्रजाति
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारतीय वैज्ञानिकों ने अंटार्कटिका में ऐसी कवक प्रजातियों को तलाशने में सफलता हासिल की है, जिनसे ब्लड कैंसर का उपचार किया जा सकता है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु
- इन खास कवक प्रजातियों से ब्लड कैंसर के इलाज में उपयोग होने वाले एंज़ाइम L-एस्पेरेजिनेज़ (L-asparaginase) का उत्पादन किया जा सकता है।
- इस एंज़ाइम का उपयोग एक्यूट लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया (Acute Lymphoblastic Leukemia-ALL) नामक ब्लड कैंसर के उपचार की एंज़ाइम-आधारित कीमोथेरेपी में किया जाता है।
- वर्तमान में कीमोथेरेपी के लिये L-एस्पेरेजिनेज़ का उत्पादन साधारण जीवाणुओं जैसे - एश्चेरीचिया कोलाई (Escherichia coli) और इरवीनिया क्राइसेंथेमी (Irveenia Kraisenthemi) से किया जाता है, जिसमें L-एस्पेरेजिनेज़ के साथ ग्लूटामिनेज़ और यूरिएज़ नामक दो अन्य एंज़ाइम भी होते है जो मरीज़ों पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं।
- यदि इनके द्वारा प्राप्त L-एस्पेरेजिनेज़ से अन्य एंज़ाइमों को अलग किया जाता है तो उपचार लागत बढ़ जाती है लेकिन अंटार्कटिका द्वारा खोजे गए कवक से शुद्ध L-एस्पेरेजिनेज़ प्राप्त किया जा सकता है तथा सस्ते इलाज के साथ दोनों अन्य एंज़ाइमों से होने वाले दुष्प्रभावों को भी रोका जा सकता है।
एंज़ाइम का महत्त्व
- L-एस्पेरेजिनेज़ एंज़ाइम ब्लड कैंसर के इलाज में सबसे ज़्यादा इस्तेमाल की जाने वाली कीमोथेरेपी दवाओं में से एक है।
- यह कैंसर कोशिकाओं में पाए जाने वाले प्रोटीन के संश्लेषण के लिये आवश्यक एस्पेरेजिन नामक अमीनो अम्ल की आपूर्ति को कम करता है।
- इस प्रकार यह एंज़ाइम कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि और प्रसार को रोकता है।
अनुकूल परिस्थितियाँ
- खोजी गई अंटार्कटिका कवक प्रजातियाँ अत्यंत ठंडे वातावरण में वृद्धि करने में सक्षम सूक्ष्मजीवों के अंतर्गत आती हैं।
- ये कवक प्रजातियाँ माइनस 10 डिग्री से लेकर 10 डिग्री सेंटीग्रेट के न्यूनतम तापमान पर वृद्धि और प्रजनन कर सकती हैं। इस तरह के सूक्ष्मजीवों में विशेष तरह के एंटी-फ्रीज़ (Anti- Freez) एंज़ाइम पाए जाते हैं, जिनके कारण ये अंटार्कटिका जैसे अत्यधिक ठंडे ध्रुवीय वातावरण में भी जीवित रह पाते हैं।
- इन एंज़ाइमों की इसी क्षमता का उपयोग कैंसर जैसी बीमारियों के लिये प्रभावशाली दवाएँ तैयार करने के लिये किया जा सकता है।
पृष्ठभूमि
राष्ट्रीय ध्रुवीय एवं समुद्री अनुसंधान केंद्र (National Centre for Polar and Ocean Research NCPOR), गोवा और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (Indian Institutes of Technology-IIT), हैदराबाद के वैज्ञानिकों ने अंटार्कटिका के श्रीमाचेर पर्वत की मिट्टी और काई से कवक प्रजातियों के 55 नमूने अलग किये थे। इनमें शामिल 30 नमूनों में शुद्ध L-एस्पेरेजिनेज़ पाया गया है।
स्रोत – लाइव मिंट
डिजिटल स्वास्थ्य पर दिल्ली घोषणा-पत्र अपनाया गया
चर्चा में क्यों?
हाल ही में एक उच्च स्तरीय शिखर सम्मेलन में वैश्विक नेताओं ने ‘सतत् विकास के लिये डिजिटल स्वास्थ्य पर दिल्ली घोषणा-पत्र’ (Delhi Declaration on Digital Health for Sustainable Development) को अपनाने की घोषणा की।
प्रमुख बिंदु
- इसे चौथे ग्लोबल डिजिटल हेल्थ पार्टनरशिप समिट के समापन सत्र में अपनाया गया।
- यह घोषणा-पत्र डिजिटल स्वास्थ्य में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का नेतृत्व और इसके सदस्य देशों की सहायता के लिये डिजिटल स्वास्थ्य के क्षेत्र में केंद्रीय समन्वय हेतु एक विशिष्ट तंत्र स्थापित करने का आह्वान करता है।
- सतत् विकास के लिये डिजिटल हेल्थ के अनुप्रयोग का एक उदाहरण टेलीमेडिसिन, रिमोट केयर और मोबाइल हेल्थ है जो अस्पतालों और क्लीनिकों के बजाय लोगों को उनके घरों में स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करता है।
- स्वास्थ्य मंत्रालय ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और ग्लोबल डिजिटल हेल्थ पार्टनर (GDHP) के सहयोग से डिजिटल हेल्थ पर वैश्विक अंतर-सरकारी बैठक का आयोजन किया जिसमें दिल्ली घोषणा-पत्र को अंगीकार करने की घोषणा की गई।
विश्व स्वास्थ्य संगठन
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) संयुक्त राष्ट्र की एक विशिष्ट एजेंसी है जो अंतर्राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य से संबंधित है।
- इसका मुख्यालय जिनेवा, स्विटज़रलैंड में स्थित है तथा WHO 7 अप्रैल, 1948 अस्तित्व में आया थाI इस तिथि को प्रतिवर्ष विश्व स्वास्थ्य दिवस के रूप में मनाया जाता है।
- विश्व स्वास्थ्य सभा (World Health Assembly) WHO में निर्णय लेने वाली सर्वोच्च संस्था है। असेंबली की सालाना बैठक होती है तथा इसमें 194 सदस्य देशों के प्रतिनिधि भाग लेते हैं।
स्रोत : पी.आई.बी.
चावल की नई किस्मों का विकास
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (Indian Council of Agricultural Research-ICAR) के कटक स्थित राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (National Rice Research Institute-NRRI) ने चावल की चार नई किस्में विकसित की हैं जिनमें दो उच्च प्रोटीन युक्त तथा दो जलवायु अनुकूल किस्में हैं।
महत्त्वपूर्ण बिंदु
- संस्थान द्वारा विकसित की गई चावल की किस्में निम्नलिखित हैं –
♦ दो उच्च प्रोटीन युक्त किस्में हैं - CR धान 310 (CR Dhan 310), CR धान 311 (CR Dhan 311)।
♦ दो जलवायु अनुकूल किस्में हैं – CR धान 801 (CR Dhan 801), CR धान 802 (CR Dhan 802)। ये किस्में जलमग्न, सूखा, जैविक भार के लिये सहिष्णु एवं जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम हैं।
- इस संस्थान ने विभिन्न कृषि पारिस्थितिकी के लिये उच्च उपज वाले 132 चावल की किस्मों को विकसित किया है, जिनमें से कई किस्में विभिन्न राज्यों के किसानों के बीच काफी लोकप्रिय हैं।
- देश में अब तक लगभग 13 प्रतिशत चावल की किस्में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (ICAR-NRRI) द्वारा जारी की गई हैं।
- वर्ष 2017-18 के दौरान चावल उत्पादन वाले 43 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्रों में से 8 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में NRRI की किस्मों का उत्पादन किया गया हैं जो कुल चावल उपज क्षेत्र का लगभग 18 प्रतिशत है।
- NRRI पूर्वी भारत में हरित क्रांति लाने की योजना, कार्यान्वयन और निगरानी के लिये नोडल एजेंसी है।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद
(Indian Council of Agricultural Research-ICAR)
- भारत सरकार के कृषि मंत्रालय के अंतर्गत कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग हेतु भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद एक स्वायत्तशासी संस्था है।
- इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है।
- बागवानी, मात्स्यिकी और पशु विज्ञान सहित कृषि के क्षेत्र में समन्वयन, मार्गदर्शन और अनुसंधान प्रबंधन एवं शिक्षा के लिये यह परिषद भारत का एक सर्वोच्च निकाय है।
- पृष्ठभूमि - कृषि पर रॉयल कमीशन द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट का अनुसरण करते हुए सोसाइटी रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1860 के तहत इसका पंजीकरण किया गया था जबकि 16 जुलाई, 1929 को इसकी स्थापना की गई।
- पहले इसका नाम इंपीरियल काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च (Imperial Council of Agricultural Research) था।
स्रोत – बिज़नेस लाइन (द हिंदू)
गाइनान्ड्रोमॉर्फी
चर्चा में क्यों?
हाल ही में वैज्ञानिकों ने नर और मादा कीटों एवं पक्षियों की संरचना के बारे में विस्तृत अध्ययन कर दोनों के बीच पाई जाने वाली विविधताओं के बारे में जानकारी प्रदान की।
महत्त्वपूर्ण बिंदु
- वैज्ञानिकों के अनुसार, नर एवं मादा पक्षियों और कीटों के बाह्य आकार में परिवर्तन के आधार पर इनके विकास के अध्ययन के बारे में पता लगाया जा सकता है क्योंकि इनकी आतंरिक संरचना के साथ-साथ बाह्य संरचना भी भिन्न होती है।
- वैज्ञानिक वर्षों से इस बात का पता लगाने के लिये निरंतर शोध कर रहे थे कि कैसे भ्रूण और लावा विकास के दौरान वह सूक्ष्म परिवर्तन कर लेते हैं कि किस कोशिका को किससे जुड़ना है और किससे अलग होना है।
- शोध के अनुसार, गाइनान्ड्रोमॉर्फ (Gynandromorp) के पंखों के उपर पायी जाने वाली संरचना से पता चलता है कि शरीर संकेतन केंद्रों (Signaling Centers) का उपयोग यह नियंत्रित करने के लिये करती है कि कोशिकाएँ विकास के दौरान कहाँ प्रवेश करती हैं और कैसे विविध उतकों के साथ संयोजन करके एक तितली को अन्य तितलियों से अलग बनाती हैं।
गाइनान्ड्रोमॉर्फी (Gynandromorphy)
- सामान्यतः नर और मादा जीवों में उनके उतकों के वितरण के कारण विषमता पाई जाती है लेकिन किसी एक जीव में दोनों विशेषताओं का एक साथ पाया जाना गाइनान्ड्रोमॉर्फी कहलाता है।
- जीवों में यह विशेषता लिंग गुणसूत्रों की अनियमितता के कारण पाई जाती है।
- वैज्ञानिकों के अनुसार, जानवरों और कीटों के लिंग विभेदी अध्ययन से मानव रोगों के अध्ययन के बारे में भी यह पता लगाया जा सकता है कि कोई रोग किसी एक लिंग को दूसरे की अपेक्षा अधिक प्रभावित क्यों करता है।
- सामान्यतः स्तनधारियों में X और Y गुणसूत्र पाए जाते हैं, जबकि पक्षियों और कीड़ों में Z और W गुणसूत्र होते हैं। कुछ सरीसृप जो तापमान पर निर्भर होते हैं, वे अपने लिंग को परिवर्तित कर सकते हैं।
- ऐसा माना जाता था कि एक पक्षी के लिंग का निर्धारण DMRT1 जीन द्वारा बनाए गए प्रोटीन से किया जाता है, जो रक्तप्रवाह के माध्यम से पक्षी की सभी कोशिकाओं तक पहुँचता है लेकिन समान लिंग वाले पक्षी के दोनों भागों (Sides) के लिये एक ही रक्त प्रवाह से प्रवाहित नही किया जाता कुछ और प्रक्रिया भी इसमें शामिल है।
हार्मोन की भूमिका
- हार्मोन्स लिंग निर्धारण में सबसे महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं लेकिन लिंग के निर्धारण के लिये ये एकमात्र वाहक नहीं हो सकते हैं।
- गाइनान्ड्रोमॉर्फ्स (Gynandromorphs) कैसे पैदा होते हैं यह अभी भी एक रहस्य बना हुआ है लेकिन गुणसूत्र में अनियमितता ही इसका सबसे बड़ा कारण है।
- लिंग वंशाणु (Sex Genes) के अध्ययन से विभिन्न प्रकार के मानव रोगों जो कि लिंग के अनुसार भिन्न-भिन्न होते हैं, का इलाज किया जाना संभव हो सकता है।
- मोटापा (Obesity), मेटाबॉलिक सिंड्रोम (Metabolic Syndrome), ऑटोइम्यून डिज़ीज़ (Autoimmune Disease), अल्ज़ाइमर (Alzheimer) यहाँ तक कि उम्र बढ़ने की प्रक्रिया भी अलग-अलग लिंग में भिन्न होती है।
स्रोत – द हिंदू
खाद्य सुरक्षा का बढ़ता खतरा
चर्चा में क्यों?
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (Food and Agriculture Organisation-FAO) ने एक नई रिपोर्ट जारी करते हुए वैश्विक खाद्य सुरक्षा पर बढ़ते खतरे की चेतावनी दी है। गौरतलब है कि खाद्य और कृषि संगठन ने इस बढ़ते खतरे को जैव विविधता (पौधे, जानवर और सूक्ष्म जीव जो खाद्य उत्पादन में योगदान करते हैं) को हो रहे नुकसान का परिणाम बताया है।
प्रमुख बिंदु
- खाद्य और कृषि संगठन द्वारा जारी की गई इस रिपोर्ट का शीर्षक ‘खाद्य और कृषि हेतु विश्व की जैव-विविधता स्थिति’ (State of the World’s Biodiversity for Food and Agriculture) है।
- रिपोर्ट के अनुसार, भारत उन देशों में से एक है जहाँ मृदा जैव विविधता को बड़ा खतरा है।
- वैश्विक मानचित्र से पता चलता है कि लगभग पूरा भारत, अफ्रीका, अमेरिका और एशिया के कुछ हिस्से अत्यधिक तनावग्रस्त क्षेत्रों में शामिल हैं।
- इस रिपोर्ट में जैविक नियंत्रण एजेंटों (Biological Control Agents-BCAs) जैसे- विभिन्न कीट-पतंगों के नुकसान को भी रेखांकित किया गया है जो जैव विविधता में गिरावट के महत्त्वपूर्ण कारकों में से हैं।
- रिपोर्ट में इस बात पर भी ध्यान आकर्षित करने की कोशिश की गई है कि चरम मौसमी घटनाएँ प्रजातियों के वितरण तथा पैदावार में व्यवधान पैदा कर रही हैं।
♦ उदाहरण के तौर पर, कटिबंधों में बढ़ते तापमान ने पर्वतीय क्षेत्रों में अधिक ऊँचाई पर उग रही कॉफी को प्रभावित किया है।
♦ वसंत में ठंडी या तेज़ हवाएँ भी परागण प्रक्रिया को बाधित कर रही हैं।
खाद्य और कृषि संगठन (FAO)
- संयुक्त राष्ट्र संघ तंत्र की सबसे बड़ी विशेषज्ञता प्राप्त एजेंसियों में से एक है जिसकी स्थापना वर्ष 1945 में कृषि उत्पादकता और ग्रामीण आबादी के जीवन निर्वाह की स्थिति में सुधार करते हुए पोषण तथा जीवन स्तर को उन्नत बनाने के उद्देश्य के साथ की गई थी।
- खाद्य और कृषि संगठन का मुख्यालय रोम, इटली में है।
स्रोत- हिंदुस्तान टाइम्स
Rapid Fire करेंट अफेयर्स (27 February)
- देश में वायरल हेपेटाइटिस के उन्मूलन के लिये राष्ट्रीय कार्य योजना की शुरुआत की गई है। इसकी शुरुआत मुंबई में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने मेगास्टार अमिताभ बच्चन के साथ की। गौरतलब है कि अमिताभ बच्चन हेपेटाइटिस के लिये WHO के दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र के सद्भावना दूत हैं। हेपेटाइटिस के बारे में जागरूकता बढ़ाने और 2030 तक (वर्ष 2015 आधार रेखा की तुलना के साथ नए संक्रमण में 90 प्रतिशत और मृत्यु दर में 65 प्रतिशत तक कमी करके) वैश्विक उन्मूलन के लक्ष्य प्राप्ति हेतु व्यक्तियों, भागीदारों और जनता द्वारा की जाने वाली कार्रवाई को प्रोत्साहित करने के लिये प्रतिवर्ष 28 जुलाई को विश्व हेपेटाइटिस दिवस आयोजित किया जाता है। वैश्विक हेपेटाइटिस रिपोर्ट 2017 के अनुसार, वायरल हेपेटाइटिस-बी और ‘सी’ प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है, जो वैश्विक स्तर पर 325 मिलियन लोगों को प्रभावित करती है तथा इससे प्रतिवर्ष 1.34 मिलियन लोगों की मृत्यु हो जाती है।
- केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने नई दिल्ली में वर्ष 2019 के लिये राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस पुरस्कार प्रदान किये। यह पुरस्कार छह श्रेणियों में दिया जाता है:
- डिजिटल सुधार के लिये सरकारी प्रक्रिया के पुनर्निर्धारण में विशिष्टता
- नागरिक-केंद्रित वितरण में विशिष्टता
- पूर्वोत्तर राज्यों, पर्वतीय राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों (दिल्ली सहित) तथा अन्य राज्यों में ई-गवर्नेंस के क्षेत्र में ज़िला स्तर पर पहलों में विशिष्टता
- शैक्षिक/अनुसंधान संस्थाओं द्वारा नागरिक केन्द्रित सेवाओं पर विशिष्ट अनुसंधान
- स्टार्टअप उद्यमों द्वारा ई-गवर्नेंस समाधान में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल में नवाचार
- उभरती प्रौद्योगिकियों को अपनाने में विशिष्टता।
इस पहल के तहत डिज़ाइनिंग की कारगर प्रक्रियाओं के बारे में जानकारी प्रदान करने और टिकाऊ ई-गवर्नेंस पहलों को लागू करने पर ज़ोर दिया जाता है। आपको बता दें कि ई-गवर्नेंस पहल के कार्यान्वयन में विशिष्टता को मान्यता प्रदान करने और बढ़ावा देने के उद्देश्य से केंद्र सरकार हर साल ई-गवर्नेंस राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान करती है।
- आर्थिक सहयोग के लिये भारत-इटली संयुक्त आयोग की 20वीं बैठक नई दिल्ली में आयोजित हुई। यह संयुक्त आयोग द्विपक्षीय व्यापार संबंध में संस्थागत व्यवस्था की इस बैठक की सह-अध्यक्षता केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु और इटली के उप-आर्थिक विकास मंत्री श्री मिसेल गेरासी ने की। भारत और इटली मशीनरी, आधारभूत संरचना, इंजीनियरिंग, डिजिकरण सहित ICT, कृषि तथा बौद्धिक संपदा अधिकार जैसे क्षेत्रों में संवाद और सहयोग के माध्यम से द्विपक्षीय आर्थिक और व्यापार संबंधों को बढ़ाने के प्रति आशान्वित हैं। गौरतलब है कि भारत और इटली संयुक्त आयोग की 19वीं बैठक 11-12 मई, 2017 को रोम में हुई थी।
- हरियाणा सरकार ने एक नई परिवार समृद्धि योजना का एलान किया है। यह योजना सरकार ने राज्य के किसानों और आर्थिक रूप से कमज़ोर लोगों को लक्षित करके चलाई है। राज्य सरकार की यह योजना केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री सम्मान निधि योजना से अलग होगी, लेकिन इसके समानांतर चलेगी। केंद्र सरकार किसानों को छह हज़ार रुपए वार्षिक सम्मान निधि दे रही है और राज्य सरकार भी इतनी ही राशि अलग से किसानों को देगी। अब राज्य के किसानों को 12 हज़ार रुपए प्रतिमाह मिलेंगे। साथ ही आर्थिक रूप से कमज़ोर लोगों को राज्य सरकार की ओर से छह हज़ार रुपए वार्षिक मिलेंगे।
- पिछले कुछ दिनों से चल रही हिंसा के मद्देनज़र अरुणाचल सरकार ने स्थायी आवास प्रमाण-पत्र (Permanent Resident Certificate-PRC) योजना को बंद करने का एलान किया है। अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने इसे एक बंद अध्याय करार दिया। गौरतलब है कि राज्य के नामसाई और चांगलांग ज़िलों के गैर-अरुणाचली लोगों को स्थायी आवास प्रमाण-पत्र दिये जाने की योजना के विरोध में हिंसक प्रदर्शनों का सिलसिला शुरू हो गया था। सभी पक्षों से वार्ता करने के बाद संयुक्त उच्चाधिकार समिति ने ऐसे छह समुदायों को स्थानीय निवासी प्रमाण-पत्र देने की सिफारिश की थी जो मूल रूप से अरुणाचल प्रदेश के नहीं हैं, लेकिन दशकों से नामसाई और चांगलांग ज़िलों में रह रहे हैं। जिन समुदायों को प्रमाण-पत्र देने पर विचार किया जा रहा है उनमें देओरिस, सोनोवाल कछारी, मोरान, आदिवासी, मिशिंग और गोरखा शामिल हैं। इन्हें पड़ोसी राज्य असम में अनुसूचित जनजाति माना जाता है।
- अमेरिका में उत्तरी कैरोलिना यूनिवर्सिटी के शोधकर्त्ताओं ने रोबोटिक्स के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। उन्होंने एक ऐसा रेशा (Fibre) विकसित किया है जिसमें धातु और रबड़ दोनों की विशेषताएँ शामिल हैं। यानी कि यह रेशा रबड़ जैसा लचीला भी है और धातु के समान कठोर भी। इसके ज़रिये सॉफ्ट रोबोटिक्स के क्षेत्र में मदद मिलने के अलावा स्मार्ट कपड़े तैयार करने में भी मदद मिल सकती है। यदि इसे एक सीमा से अधिक खींचने का प्रयास किया जाए तो यह टूट जाता है। यह फाइबर पॉलीमर के आवरण से घिरा है।
- गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के रसायन विज्ञानियों ने एंटी माइक्रोबियल प्लास्टिक तैयार करने का दावा किया है। इससे चिकित्सा और खाद्य उत्पादों तथा रोज़मर्रा के जीवन में काम आने वाले प्लास्टिक को जीवाणुरोधी बनाया जा सकेगा। हवा और पानी के संपर्क में आने के बाद भी इस प्लास्टिक से तैयार उपकरण तथा सामग्री संक्रमित नहीं होगी। आपको बता दें कि भारत सरकार के बायोटेक्नोलॉजी विभाग की नैनी टेक्नोलॉजी टास्क फोर्स ने 2018 में इस परियोजना को स्वीकृति दी थी।
- द्वितीय विश्वयुद्ध में जासूसी करने वाली भारतीय मूल की पहली महिला नूर इनायत खान को ब्रिटेन में सम्मानित किया जाएगा। नूर इनायत खान के ब्लूम्सबरी स्थित 4, टेविटन स्ट्रीट स्थित पूर्व आवास को ब्ल्यू प्लाक दिया जाएगा, जहां वह द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जासूस के तौर पर रही थीं। यह वही घर है, जिसे नूर ने अपने अंतिम मिशन पर जाने से पहले छोड़ा था। आपको बता दें कि ब्ल्यू प्लाक योजना ब्रिटिश विरासत सम्मान द्वारा चलाई जाती है। इसके तहत उन विख्यात लोगों को सम्मानित किया जाता है, जो लंदन में या तो किसी खास इमारत में रहे हों या उसमें रहकर काम किया हो। आपको बता दें कि हिंदुस्तानी सूफी संत हजरत इनायत खान की बेटी नूर द्वितीय विश्वयुद्ध में ब्रिटेन के स्पेशल ऑपरेशन एग्जक्यूटिव की एजेंट थीं। बाद में 1944 में 30 वर्ष की आयु में नाज़ियों ने उन्हें बंदी बना लिया और उनकी हत्या कर दी। लंदन में नूर इनायत खान की प्रतिमा भी लगाई जा चुकी है।
- पिछले वर्ष नवंबर में देश के 6 छह हवाई अड्डों के निजीकरण के लिये सरकार ने निविदाएँ मंगाई थीं। हाल ही में खोली गई निविदाओं में सभी 6 हवाई अड्डों के लिये अडानी ग्रुप की बोली अव्वल रही। अहमदाबाद के अडानी ग्रुप ने लखनऊ, जयपुर, तिरुवनंतपुरम, मैंगलुरु, गुवाहाटी और अहमदाबाद हवाई अड्डों को अपग्रेड और ऑपरेट करने का अधिकार हासिल किया। उसने अपनी बोलियों में एयरपोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया को पैसेंजर फी के लिये ज़्यादा पेमेंट का ऑफर दिया था। इस प्रस्ताव को सरकार की मंज़ूरी मिलने के बाद अडानी ग्रुप को 50 साल तक इन हवाई अड्डों के प्रबंधन का अधिकार मिल जाएगा। गौरतलब है कि इससे पहले 2006 में जीएमआर और जीवीके ग्रुप्स ने दिल्ली तथा मुंबई हवाई अड्डों का प्रबंधन करने के अधिकार हासिल किये थे। उसके बाद 13 साल में हवाई अड्डों के निजीकरण की केंद्र सरकार की यह पहली कोशिश है।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दक्षिण दिल्ली के ईस्ट ऑफ कैलाश स्थित इस्कॉन मंदिर के इस्कॉन-ग्लोरी ऑफ इंडिया कल्चरल सेंटर में विश्व की सबसे बड़ी गीता का विमोचन किया। 670 पृष्ठों वाली यह ‘गीता’ लगभग 3 मीटर लंबी, 2 मीटर चौड़ी और 800 किलो वज़नी है। इटली के मिलान शहर में गोल्ड, प्लेटिनम जैसे कीमती धातुओं के इस्तेमाल से इसे स्क्रीन प्रिंट किया गया है। इसके पन्नों को फटने से बचाने के लिये विशेष सिंथेटिक कागज़ का उपयोग किया है, जो पानी के संपर्क में आने के बावजूद खराब नहीं होगा। आपको बता दें कि इस्कॉन के संस्थापक स्वामी प्रभुपाद द्वारा गीता की टीका के पिछले वर्ष 50 साल पूरे हुए थे। इसी के उपलक्ष्य में इस्कॉन से जुड़े भक्ति वेदांत बुक ट्रस्ट ने दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक ग्रंथ के तौर पर गीता को वृहद् आकार में छापने का निर्णय लिया था।