जैव विविधता और पर्यावरण
शहरी परिवहन संबंधी प्रदूषण: कोलकाता बड़े शहरों में सबसे स्वच्छ
चर्चा में क्यों?
हाल ही में सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) द्वारा तैयार की गई 'द अर्बन कम्यूट एंड हाउ इट कंट्रीब्यूट्स टू पोल्यूशन एंड एनर्जी कंजम्प्शन' नामक रिपोर्ट जारी की गई।
प्रमुख बिंदु
- इस रिपोर्ट में 6 मेगा शहरों (दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बंगलुरु और हैदराबाद) तथा 8 महानगरों (भोपाल, लखनऊ, जयपुर, चंडीगढ़, अहमदाबाद, पुणे, कोच्चि एवं विजयवाड़ा) सहित भारत के 14 शहरों का विश्लेषण शामिल है जिसमें शहरी संचार से होने वाले प्रदूषण और ऊर्जा उपभोग के संदर्भ में यह देखा गया कि शहरों में लोग किस प्रकार यात्रा करते हैं?
- इस रिपोर्ट में कोलकाता को शीर्ष प्रदर्शन करने वाले मेगाशहर के रूप में स्थान मिला है। भोपाल सबसे कम समग्र उत्सर्जन के साथ सूची में प्रथम स्थान पर है। दिल्ली और हैदराबाद दो शहर ऐसे हैं जो प्रदूषण और ऊर्जा के उपयोग के प्रदर्शन के आधार पर तालिका में सबसे नीचे हैं।
राष्ट्रीय संकट
- इस अध्ययन में शहरी परिवहन क्रियाओं, जैसे कि- पार्टीकुलेट मैटर और नाइट्रोजन ऑक्साइड के समग्र ज़हरीले उत्सर्जन के साथ ऊष्मा संजाल (Co2) की गणना के आधार पर शहरों को स्थान दिया गया।
- इस अध्ययन में शहरों को स्थान प्रदान करने के लिये दो दृष्टिकोण अपनाए गए- पहला समग्र उत्सर्जन और ऊर्जा उपभोग पर आधारित है और दूसरा प्रति व्यक्ति यात्रा उत्सर्जन और ऊर्जा उपभोग पर आधारित है।
- समग्र उत्सर्जन और ऊर्जा उपभोग के मामले में भोपाल के बाद विजयवाड़ा, चंडीगढ़ और लखनऊ का स्थान है। कोलकाता, जो समग्र उत्सर्जन के आधार पर छठे स्थान पर है छह मेगाशहरों के बीच सबसे कम उत्सर्जन के साथ सबसे आगे है।
- अहमदाबाद और पुणे जैसे छोटे शहर भी समग्र उत्सर्जन के आधार पर कोलकाता से नीचे आँके गए हैं।
- समग्र उत्सर्जन के आधार पर दिल्ली की रैंकिंग तालिका में सबसे नीचे है। इस सूची में हैदराबाद, बंगलुरु और चेन्नई ने दिल्ली से थोड़ा बेहतर प्रदर्शन किया।
- इस रिपोर्ट के अनुसार, हालाँकि कम जनसंख्या, कम यात्रा की मात्रा और कम वाहन संख्या के चलते मेट्रोपॉलिटन शहरों ने मेगाशहरों से बेहतर प्रदर्शन किया, लेकिन निजी वाहन यात्राओं के बहुत अधिक हिस्से के कारण वे जोखिम पर हैं।
एक बेहतर संदेश
- कोलकाता की तुलना हांगकांग और जापान के शहरों से करते हुए इस रिपोर्ट में बताया गया है कि “कोलकाता एक शानदार संदेश प्रदान करता है कि जनसंख्या वृद्धि और बढ़ती यात्रा की मांग के बावजूद, एक अच्छी तरह से स्थापित सार्वजनिक परिवहन संस्कृति, सघन शहर डिज़ाइन, उच्च सड़क घनत्व और सड़कों और पार्किंग के लिये भूमि की सीमित उपलब्धता के साथ मोटर चालित परिवहन का विकास संभव है।"
- रिपोर्ट में कहा गया है कि मुंबई में उच्चतम सकल घरेलू उत्पाद होने के बावजूद अन्य मेगाशहरों की तुलना में मोटर चालित परिवहन की दर कम थी, जो यह साबित करता है कि ऑटोमोबाइल पर जनसंख्या की निर्भरता के निर्धारण में आय का स्तर एकमात्र कारण नहीं है।
- रिपोर्ट में कहा गया है, "कोलकाता और मुंबई दोनों शहर सार्वजनिक परिवहन के एक अद्वितीय लाभ के साथ विकसित हुए हैं जो वहाँ की मौजूदा भूमि उपयोग पैटर्न के साथ बेहतर समायोजन पर आधारित है।"
- इससे पूर्व, 2004 में चेन्नई एक गैर-मोटर चालित परिवहन (एनएमटी) नीति को अपनाने वाला देश का पहला शहर बना। इस नीति का उद्देश्य फुटपाथ, साइकिल ट्रैक और ग्रीनवे के नेटवर्क का निर्माण करके चलने या साइकिल चलाने की गिरावट को रोकना है।
शासन व्यवस्था
स्वास्थ्य, शिक्षा क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने के लिये नीति आयोग
चर्चा में क्यों?
हाल ही में नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने ओडिशा विकास सम्मेलन-2018 को संबोधित करते हुए बताया कि आयोग ने तीन प्रमुख प्राथमिक क्षेत्रों-स्वास्थ्य, शिक्षा और बच्चों के स्वास्थ्य की पहचान की है।
ओडिशा से संबंधित प्रमुख तथ्य
- उन्होंने यह भी कहा कि "बच्चों को कुपोषित रहते हुए जनसांख्यिकीय लाभांश के बारे में हम कैसे बात कर सकते हैं।"
- उल्लेखनीय है कि देश में लगभग 38% बच्चे कुपोषित हैं जबकि 50% माताएँ एनीमिक हैं।
- ओडिशा राज्य में एसटी और ईसाई आबादी की महिलाओं और बच्चों के बीच एनीमिया सबसे ज्यादा है।
- मुस्लिमों को छोड़कर सभी जाति और सामाजिक समूहों में 50% से अधिक महिलाएँ ओडिशा में एनीमिया से पीड़ित हैं।
- इसके अलावा ओडिशा की कुल आबादी के लगभग एक-तिहाई लोग रोज़गार के लिये अन्य राज्यों में प्रवास को मज़बूर हैं और लगभग 40% अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोग विकास के दायरे से बाहर हैं।
- राज्य ने ‘शिक्षा के सार्वभौमीकरण' का लक्ष्य तो हासिल कर लिया है, किंतु अभी गुणवत्ता पैरामीटर पर राज्यों का आकलन करना बाकी है।
- इसी संदर्भ में नीति आयोग शिक्षा की गुणवत्ता के आधार पर राज्यों को रैंकिंग हेतु एक तंत्र तैयार कर रहा है।
- इसी प्रकार, केंद्र सरकार भी देश भर में 1.5 लाख स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र स्थापित करने की योजना बना रही है क्योंकि मौजूदा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ठीक से काम नहीं कर रहे थे।
- उल्लेखनीय है कि कि नए स्वास्थ्य केंद्रों में अन्य आधुनिक उपकरणों के अलावा टेली-मेडिसिन की सुविधाएँ भी उपलब्ध होंगी।
ओडिशा विकास सम्मेलन-2018
- ओडिशा विकास सम्मेलन का दूसरा संस्करण 24-26 अगस्त, 2018 को भुवनेश्वर में आयोजित किया जा रहा है
- इससे पूर्व पहला संस्करण वर्ष 2016 में संपन्न हुआ था।
- यह सम्मेलन सरकार, नागरिक समाज, कॉर्पोरेट घरानों, पंचायती राज संस्थानों, अकादमिक संस्थानों और सामुदाय-आधारित संगठनों को राज्य की प्रमुख चुनौतियों से निपटने हेतु सहयोग और सहभागिता द्वारा रणनीतिक रूप से एक आम एजेंडे के साथ आगे आने का अवसर प्रदान करेगा।
- यह सम्मेलन व्यापक विकास दृष्टिकोण पेश करेगा जो नीति निर्माताओं और प्रशासकों को प्रगति और समृद्धि के मार्ग पर राज्य को आगे बढ़ाने के लिये मार्गदर्शन करेगा।