डेली न्यूज़ (25 Feb, 2019)



EESL द्वारा शुरू किया गया सुपर-एफिशियंट एयर कंडीशनिंग प्रोग्राम

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत सरकार के ऊर्जा मंत्रालय के तहत चार राष्ट्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के संयुक्त उपक्रम ‘एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज़ लिमिटेड (Energy Efficiency Services Limited-EESL)’ ने आवासीय और संस्थागत उपभोक्ताओं के लिए सुपर-एफिशियंट एयर कंडीशनिंग प्रोग्राम (Super-Efficient Air Conditioning Programme) की शुरुआत की गई।

  • ये सुपर-एफिशियंट एयर कंडीशनर पहले की अपेक्षा 40% से अधिक की क्षमता से युक्त हैं, लेकिन वर्तमान में बाज़ार में उपलब्ध 3-स्टार एयर कंडीशनर की तुलना में इसकी कीमत अधिक है।
  • ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा देने के अलावा यह सुपर- एफिशियंट एयर कंडीशनिंग प्रोग्राम, ऊर्जा सुरक्षा और स्थिरता में सक्षम बनाकर बिजली की अत्यधिक मांग को कम करने में भी मदद करेगा।
  • इस कार्यक्रम के माध्यम से 2032 तक भारत में लगभग चार गुना ऊर्जा की खपत में वृद्धि की संभावना को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करते हुए किगाली और पेरिस समझौतों के तहत भारत को लक्ष्यों की प्राप्ति में भी सक्षम बनायेगा।

एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज़ लिमिटेड
Energy Efficiency Services Limited

  • EESL, चार राष्ट्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों NTPC लिमिटेड, पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन लिमिटेड (PFC), ग्रामीण विद्युतीकरण निगम लिमिटेड (Rural Electrification Corporation-REC) और पॉवरग्रिड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (POWERGRID) का एक संयुक्त उपक्रम है। इसे ऊर्जा मंत्रालय के अधीन स्थापित किया गया था।
  • इसका उद्देश्य कुशल और परिवर्तनकारी समाधानों द्वारा बाजार तक पहुँच बनाकर सभी हितधारकों को सफलता प्राप्त करने में मदद करना है।
  • EESL ने देश में आत्मनिर्भर वाणिज्यिक मॉडल के माध्यम से 29 करोड़ से अधिक LED (Light Emitting Diode) बल्ब तथा 50 लाख एलईडी स्ट्रीटलाइट का वितरण किया है।
  • इसका उद्देश्य अपने पोर्टफोलियो के विविधीकरण के लिए विदेशी बाज़ार में नए अवसरों का पता लगाना है। EESL ने ब्रिटेन, दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया में अपना परिचालन शुरू कर दिया है।

यह कार्यक्रम वैश्विक पर्यावरण सुविधा (Global Environment Facility-GEF) से प्राप्त अनुदान द्वारा आंशिक रूप से समर्थित है। इसके अलावा, एशियाई विकास बैंक (ADB) आवश्यक अनुदान सहायता और ऋण प्रदान कर रहा है, जबकि संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (United Nations Environment Programme-UNEP) सुपर- एफिशियंट एयर कंडीशनिंग प्रोग्राम को तकनीकी सहायता प्रदान कर रहा है।

स्रोत – PIB


चाबहार के ज़रिये अफगानिस्तान के निर्यात की पहली खेप

चर्चा में क्यों?

हाल ही में अफगानिस्तान ने ईरानी पोर्ट चाबहार के ज़रिये भारत को निर्यात की शुरुआत कर दी है। अफगानिस्तान अब चाबहार के ज़रिये औपचारिक रूप से भारत से जुड़ चुका है।

प्रमुख बिंदु

  • गौरतलब है कि अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ ग़नी ने चाबहार बंदरगाह के ज़रिये भारत पहुँचने वाले निर्यात की पहली खेप को हरी झंडी दिखाकर चाबहार पोर्ट के लिये रवाना किया। इस खेप में 570 टन ड्राई फ्रूट्स, टैक्सटाइल्स, कार्पेट और मिनरल उत्पाद शामिल हैं जो जहाज के ज़रिये मुंबई पहुँचेगी।
  • ध्यातव्य है कि भारत ने भी चाबहार पोर्ट के ज़रिये अफगानिस्तान को 1.1 मिलियन टन गेहूँ और 2000 टन मसूर की दाल निर्यात किया है।
  • चारों तरफ ज़मीन से घिरा (Landlocked) और युद्धग्रस्त अफगानिस्तान अपनी अर्थव्यवस्था को सुधारने हेतु विदेशी बाज़ारों तक पहुँच बनाने का प्रयास कर रहा है।
  • अफगानिस्तान द्वारा चाबहार के ज़रिये निर्यात की शुरुआत कई अन्य कारणों के अलावा इसलिये भी महत्त्वपूर्ण है क्योंकि इसके साथ ही भारत, ईरान तथा अफगानिस्तान के बीच अंतर्राष्ट्रीय परिवहन एवं पारगमन समझौता पूरी तरह से क्रियान्वित हो गया है। इस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, ईरान के राष्ट्रपति हसन रुहानी और अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने तेहरान में मई 2016 में हस्ताक्षर किये थे।
  • दक्षिण एशिया में चीन और पाकिस्तान के गठजोड़ के समानांतर एक व्यवस्था कायम रखने हेतु भारत के लिये अफगानिस्तान का व्यापक महत्त्व है और इस कदम से भारत ने अफगानिस्तान की समृद्धि एवं विकास हेतु सहयोग जारी रखने की प्रतिबद्धता दोहराई है।

भारत के लिये चाबहार का महत्त्व

  • मध्ययुगीन यात्री अल-बरूनी द्वारा चाबहार को भारत का प्रवेश द्वार (मध्य एशिया से) कहा गया था। ज्ञात हो कि यहाँ से पाकिस्तान का ग्वादर बंदरगाह भी महज़ 72 किलोमीटर की दूरी पर है, जिसके विकास के लिये चीन द्वारा बड़े स्तर पर निवेश किया जा रहा है।
  • चाबहार भारत के लिये अफगानिस्तान और मध्य एशिया के द्वार खोल सकता है और यह बंदरगाह एशिया, अफ्रीका तथा यूरोप को जोड़ने के लिहाज़ से सर्वश्रेष्ठ है।
  • भारत वर्ष 2003 से ही इस बंदरगाह के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने के प्रति अपनी रुचि दिखा रहा है हालाँकि ईरान पर पश्चिमी प्रतिबंधों और कुछ हद तक ईरानी नेतृत्व की दुविधा की वज़ह से इस बंदरगाह के विकास की गति धीमी रही लेकिन पिछले कुछ वर्षों के दौरान इसमें काफी प्रगति हुई है।
  • चाबहार कई मायनों में ग्वादर से बेहतर है, क्योंकि:

♦ चाबहार गहरे पानी में स्थित बंदरगाह है और यह ज़मीन के साथ मुख्य भू-भाग से भी जुड़ा हुआ है, जहाँ सामान उतारने-चढ़ाने का कोई शुल्क नहीं लगता।
♦ यहाँ मौसम सामान्य रहता है और हिंद महासागर से गुज़रने वाले समुद्री रास्तों तक भी यहाँ से पहुँच बहुत आसान है।

  • चाबहार बंदरगाह पर परिचालन आरंभ होने के साथ ही अफगानिस्तान को भारत से व्यापार करने के लिये एक और रास्ता मिल चुका है।
  • विदित हो कि अभी तक भारत-अफगानिस्तान के बीच व्यापार पाकिस्तान के रास्ते होता है, लेकिन पाकिस्तान इसमें रोड़े अटकाता रहता है।
  • पाकिस्तान के इस रुख से अफगानिस्तान तो असहज महसूस करता ही है साथ में भारत, अफगानिस्तान के साथ अच्छे संबंध स्थापित करने की अपनी नीति में भी कठिनाइयाँ महसूस करता है। अतः चाबहार परियोजना भारत के लिये अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।

निष्कर्ष

  • व्यापारिक और कूटनीतिक दोनों ही दृष्टि से चाबहार का अपना महत्त्व है। गौरतलब है कि ईरान-इराक युद्ध के समय ईरानी सरकार ने इस बंदरगाह को अपने समुद्री संसाधनों को सुरक्षित रखने के लिये इस्तेमाल किया था।
  • हालाँकि इन बातों के बावजूद भारत में ऐसे तबके भी हैं जो यह मानते हैं कि तालिबान या किसी अन्य चरमपंथी समूह ने अगर काबुल पर कब्ज़ा कर लिया तो चाबहार में भारत का पूरा निवेश डूब जाएगा। हालाँकि तालिबान और अफगानिस्तान सरकार तथा अन्य विभिन्न समूहों के प्रयासों से होने वाली हालिया शांति वार्ताओं ने इन आशंकाओं को दूर किया है।
  • यह अफगानिस्तान तक सामान पहुँचाने के लिये यह सबसे बढ़िया रास्ता है, यहाँ वे तमाम सुविधाएँ हैं, जिनके ज़रिये अफगानिस्तान ही नहीं बल्कि ईरान में भी आसानी से व्यावसायिक पहुँच बनाई जा सकती है।

स्रोत-इंडियन एक्सप्रेस


वन्यजीव अपराधों को रोकेगा डीएनए परीक्षण

चर्चा में क्यों?

हाल ही में ज़ूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के विश्लेषण से पता चला है कि वन्यजीव अपराधों को रोकने में डीएनए (Deoxyribonucleic Acid-DNA) एक उपकरण के रूप में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • वैज्ञानिकों द्वारा पिछले कुछ समय में किये गए विश्लेषणों से यह बात स्पष्ट हो गई है कि अवैध रूप से शिकार किये गए जंगली जानवरों के डीएनए फॉरेंसिक (जाँच प्रक्रिया) द्वारा पहचान करके भविष्य में इन जानवरों के खिलाफ होने वाले अपराधों पर रोक लगाईं जा सकती है।
  • ज़ूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के अनुसार आने वाले वर्षों में वन्यजीव प्रजातियों की पहचान करते हुए आँकड़े एकत्र किये जाएंगे जिससे अवैध शिकार की प्रवृत्ति को समझ कर पहले से ही इसे रोकने के समुचित उपाय किये जा सकेंगे।

भारतीय प्राणी विज्ञान सर्वेक्षण (Zoological Survey of India-ZSI)

  • भारतीय प्राणी विज्ञान सर्वेक्षण (ZSI), पर्यावरण और वन मंत्रालय के तहत एक संगठन है।
  • समृद्ध जीवन के विभिन्न पहलुओं के बारे में जानकारी उपलब्ध कराने हेतु अग्रणी सर्वेक्षण, अन्वेषण और अनुसंधान को बढ़ावा देने के उद्देश्य से भारतीय प्राणी विज्ञान सर्वेक्षण (ZSI) की स्थापना तत्कालीन 'ब्रिटिश भारतीय साम्राज्य' में 1 जुलाई, 1916 को की गई थी।
  • इसका उद्भव 1875 में कलकत्ता के भारतीय संग्रहालय में स्थित प्राणी विज्ञान अनुभाग की स्थापना के साथ ही हुआ था।
  • इसका मुख्यालय कोलकाता में है तथा वर्तमान में इसके 16 क्षेत्रीय स्टेशन देश के विभिन्न भौगोलिक स्थानों में स्थित हैं।

डीएनए फोरेंसिक जांच प्रक्रिया

  • वर्तमान समय में डीएनए फोरेंसिक प्रक्रिया द्वारा बेहतर तरीके से समस्त मानव एवं जीव-जंतुओं की पहचान करने तथा आपराधिक मामलों की गुत्थियाँ सुलझाने में किया जा सकता है।
  • मनुष्यों सहित समस्त जीव-जंतुओं में एक विशेष संरचनायुक्त रसायन पाया जाता है जो उसे विशिष्ट पहचान प्रदान करता है उसे डीएनए (Deoxyribonucleic Acid) कहते हैं।
  • इस प्रक्रिया द्वारा किसी जीव-जंतु के जैविक अंशों जैसे - रक्त, बाल, लार, वीर्य या दूसरे कोशिका-स्नोतों के द्वारा उसके डीएनए की पहचान की जाती है।
  • डीएनए फोरेंसिक प्रक्रिया विशिष्ट डीएनए क्रम का प्रयोग करती है, जिसे माइक्रोसैटेलाइट (Microsatellites) कहा जाता है।

माइक्रोसैटेलाइट (Microsatellites) – यह गुणसूत्र में किसी विशेष स्थान पर डीएनए अनुक्रमों का एक सेट है जो कम संख्या में दोहराया गया होता है। यह विभिन्न व्यक्तियों में संख्या में भिन्न होता है। इसलिए डीएनए फोरेंसिक प्रक्रिया (आनुवंशिक फिंगरप्रिंटिंग) के लिए इसका उपयोग किया जा सकता है।

स्रोत – द हिंदू, ZSI की आधिकारिक वेबसाइट


ई-कॉमर्स नीति मसौदा

चर्चा में क्यों?

हाल ही में उद्योग संवर्द्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (DPIIT) ने सार्वजनिक टिप्पणियों हेतु राष्ट्रीय ई-कॉमर्स नीति का मसौदा जारी किया है।

नीति की आवश्यकता क्यों?

  • ई-कॉमर्स के क्षेत्र में उपभोक्ता संरक्षण, डेटा गोपनीयता और हितधारकों हेतु समान अवसर उपलब्ध कराने जैसी समस्याएँ पटल पर आती रही हैं। इन्हीं समस्याओं हेतु उचित समाधान प्रस्तुत करने के लक्ष्य के साथ राष्ट्रीय ई-कॉमर्स नीति एक रणनीति तैयार करती है।
  • भारत में औसत मासिक डेटा की खपत 2014 में केवल 0.26 जीबी प्रति व्यक्ति थी, जो 2017 के अंत में बढ़कर 4GB हो गई।
  • इंटरनेट के बढ़ते उपयोग के साथ-साथ ढेर सारा डेटा भी उत्पन्न होता है। इसलिये गोपनीयता, उपभोक्ता संरक्षण को प्राथमिकता देने की आवश्यकता बढ़ गई है।
  • इंटरनेट के बढ़ते उपयोग से घरेलू अर्थव्यवस्था को लाभ पहुँचाने के लिये डेटा के प्रवाह को विनियमित करने की आवश्यकता है।
  • नियामक वातावरण इसलिये आवश्यक होता है ताकि बाज़ार में वास्तविक प्रतिस्पर्द्धा सुनिश्चित की जा सके। गौरतलब है कि वास्तविक प्रतिस्पर्द्धा उद्यमशीलता और नवाचार को प्रोत्साहित करती है।

प्रमुख मुद्दे

डेटा

  • व्यक्तिगत अधिकार: किसी भी व्यक्ति के डेटा का उपयोग उसकी सहमति के साथ किया जाना चाहिये।
  • डेटा पर भारतीय नियंत्रण: सीमा पार डेटा प्रवाह पर प्रतिबंध होना चाहिये। डेटा के स्थानीयकरण के लिये नीति इस बात की पैरोकार है कि भारत के भीतर उत्पन्न डेटा को भारत में ही संग्रहीत किया जाना चाहिये।
  • विदेश में संग्रहीत ऐसे सभी डेटा तक भारतीय अधिकारियों की पहुँच के अनुरोध का अनुपालन तुरंत किया जाएगा।

ई-कॉमर्स बाज़ार

  • नीति में उल्लेख किया गया है कि विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (Foreign Direct Investment-FDI) की अनुमति केवल बाज़ार आधारित मॉडल में है, सूची (Inventory) आधारित मॉडल में नहीं।
  • यह दिसंबर में सरकार द्वारा दिये गए ई-कॉमर्स दिशा-निर्देशों के अनुरूप है।
  • यह नीति घरेलू निर्माताओं और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों के हितों को भी ध्यान में रखती है, साथ ही ऑनलाइन बाज़ार को उनके लिये बराबरी का क्षेत्र बनाना चाहती है।
  • चीनी ई-कॉमर्स निर्यात पर अंकुश लगाने के लिये मुफ्त रास्ते (जहाँ सामान उपहार के रूप में भेजा जाता है) जो कि अक्सर चीनी एप्स द्वारा उपयोग किया जाता है, जीवन रक्षक दवाओं को छोड़कर सभी पार्सलों के लिये वेबसाइटों पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिये।
  • नकली उत्पादों को रोकने के लिये सभी उत्पादों के विक्रेताओं का विवरण वेबसाइट पर उपलब्ध कराया जाना चाहिये और विक्रेताओं को उत्पादों की प्रमाणिकता के बारे में एक मंच प्रदान करना चाहिये।

घरेलू डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना

  • उपभोक्ता संरक्षण जैसे देश के लक्ष्यों को पूरा करने के लिये स्मार्ट उपकरणों और IoT (Internet of things) उपकरणों के लिये घरेलू औद्योगिक मानकों (Domestic Industrial Standards) को बनाने की आवश्यकता है।
  • ऑनलाइन कस्टम क्लीयरेंस (Online Custom Clearance) मैन्युअल प्रक्रियाओं की आवश्यकता को समाप्त किये जाने से यह व्यापार करने में सरलता प्रदान करेगा।
  • सरकार द्वारा डिजिटल इंडिया पहल पर निरंतर ध्यान केंद्रित करने से ई-कॉमर्स क्षेत्र के विकास में सहायता प्राप्त होगी।

निर्यात को बढ़ावा

  • ई-कॉमर्स, निर्यात को बढ़ावा देने के लिये 25,000 रुपए से कूरियर शिपमेंट की सीमा बढ़ाते हुए ‘शिशु उद्योग’ का दर्जा प्राप्त कर सकता है।
  • निर्यात को बढ़ावा देने के लिये परिवहन की लागत में कमी, कागज़ी कार्रवाई समाप्त करना तथा बंदरगाहों और हवाई अड्डों पर होने वाली देरी को कम करना आदि हैं।
  • ई-कॉमर्स के माध्यम से आयात की ट्रैकिंग में सुधार के लिये सीमा शुल्क, आरबीआई और इंडिया पोस्ट को एकीकृत करना।

स्रोत- द हिंदू बिज़नेस लाइन


Rapid Fire करेंट अफेयर्स (25 February)

  • भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज 1 और 2 मार्च को अबु धाबी में इस्लामिक सहयोग संगठन (Organisation of Islamic Cooperation-OIC) के विदेश मंत्रियों की परिषद के 46वें सत्र के उद्घाटन समारोह को संबोधित करेंगी। संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के विदेश मंत्री शेख अब्दुल्ला बिन जायद अल नाहयान ने सुषमा स्वराज को 'गेस्ट ऑफ ऑनर' के रूप में आमंत्रित किया है। गौरतलब है कि इस्लामिक सहयोग संगठन 1969 में स्थापित किया गया एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है, जिसमें 57 सदस्य राष्ट्र शामिल हैं। इसमें से 40 मुस्लिम बहुल देश हैं।
  • नीति आयोग ने आर्थिक विकास एवं कल्याण संस्थान के साथ मिलकर हाल ही में भारतीय बैंकिंग के भविष्य पर एक सम्मेलन का आयोजन किया। नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार ने कार्यक्रम का उद्घाटन किया। इस सम्मेलन का उद्देश्य भारत में बैंकिंग क्षेत्र पर विचार-विमर्श को बढ़ावा देना और उसके दायरे का विस्तार करना था। इसके अलावा भारतीय अर्थव्यवस्था की बढ़ती ऋण आवश्यकताओं की अधिकतम पूर्ति के लिये भारतीय बैंकिंग क्षेत्र के सतत विकास के हेतु रोडमैप तैयार करने में सहायता किये जाने पर भी इस सम्मेलन में चर्चा हुई। सम्मलेन में डॉ. राजीव कुमार ने पिछले 4 वर्षों में भारतीय बैंकिंग प्रणाली द्वारा अर्जित की गई उल्लेखनीय प्रगति को रेखांकित किया जिसने ऋण को विस्तारित करने तथा भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में तेज़ी लाने के दीर्घकालिक उपाय के लिये एक मज़बूत बुनियाद उपलब्ध कराई है।
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली के इंडिया गेट के निकट राष्ट्रीय युद्ध स्मारक (National War Memorial) का 25 फरवरी को उद्घाटन किया। राष्ट्रीय युद्ध स्मारक को आज़ादी के बाद से विभिन्न युद्धों में शहीद होने वाले लगभग 26 हज़ार सैनिकों के सम्मान में बनाया गया है। राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के विन्यास में चार संकेंद्री वृत्त (Layers) शामिल हैं, जिनके नाम हैं- 'अमर चक्र', 'वीरता चक्र', 'त्याग चक्र' और 'रक्षक चक्र'। इस मेमोरियल में सेना, नौसेना और वायुसेना के 6 अहम युद्धों का जिक्र है। यह 40 एकड़ जमीन पर 176 करोड़ रुपए की लागत से बनाया गया है। गौरतलब है कि अंग्रेजों ने पहले विश्वयुद्ध में और अफगान कैंपेन के दौरान मारे गए करीब 84 हज़ार भारतीय सैनिकों की याद में इंडिया गेट बनाया था।
  • ओडिशा में दूरदराज़ के इलाकों इलाकों में मरीजों को अस्पताल पहुँचाने के लिये राज्य सरकार ने बोट एंबुलेंस सेवा शुरू की है। इस पर 5.40 करोड़ रुपए की लागत आई है और फिलहाल इस बेड़े में छह बोट एंबुलेंस शामिल की गई हैं। ये बोट एम्बुलेंस '108' एम्बुलेंस सेवा का हिस्सा होंगी। इनमें से दो-दो एंबुलेंस मलकानगिरी और केंद्रपाड़ा ज़िलों को दी गई हैं और एक-एक एम्बुलेंस कोरपुट तथा कालाहांडी को दी गई हैं। इन इलाकों में लोगों को 108 एम्बुलेंस सेवा प्राप्त करने में समस्याएँ आती हैं, क्योंकि इन नदियों और बांधों के रूप में बड़े जल निकायों के बीच सड़क आवागमन में कठिनाई होती है।
  • भारतीय वैज्ञानिकों ने कवक (Fungi) की विशेष प्रजातियों की खोज की है, जो रक्त कैंसर की रोकथाम और उपचार में सहायक हो सकते हैं। अंटार्कटिका में शोध कर रहे इन वैज्ञानिकों ने जिन प्रजातियों की खोज की है, उनसे रक्त कैंसर के इलाज में उपयोग होने वाले एंज़ाइम का उत्पादन किया जा सकता है। वैज्ञानिकों को मिली इन कवक प्रजातियों में शुद्ध एल-एस्पेरेजिनेज़ नामक एंज़ाइम पाया गया है। इस एंज़ाइम का उपयोग एक्यूट लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया नामक रक्त कैंसर के उपचार की एंजाइम-आधारित कीमोथेरेपी में किया जाता है। रक्त कैंसर का यह प्रकार बच्चों में सर्वाधिक देखने को मिलता है। आपको बता दें कि राष्ट्रीय ध्रुवीय एवं समुद्री अनुसंधान केंद्र, गोवा और IIT हैदराबाद के वैज्ञानिकों ने अंटार्कटिका के Schirmacher Hills, Dronning Maud Land की मिट्टी और काई से कवक प्रजातियों के 55 नमूने अलग किये थे। इनमें शामिल 30 नमूनों में शुद्ध एल-एस्पेरेजिनेज एंज़ाइम पाया गया है। ऐसे एंज़ाइमों का उपयोग कैंसर जैसी बीमारियों के लिये प्रभावशाली दवाएँ तैयार करने के लिये किया जा सकता है।
  • भारतीय शोधकर्त्ताओं ने मेंढक की एक नई प्रजाति का पता लगाया है। माइक्रोहाइडलिडी परिवार के मेंढक की यह प्रजाति केरल के दक्षिणी-पश्चिमी घाट में सड़क किनारे मौजूद अस्थायी पोखर में पाई गई है। मेंढक की इस प्रजाति की आंतरिक एवं बाह्य संरचना, आवाज, लार्वा अवस्था और DNA Samples का अध्ययन करने के बाद शोधकर्त्ता इस नतीजे पर पहुंचे हैं। विकासवादी जीव-विज्ञानी प्रो. फ्रैंकी बोसुइट के नाम पर इस नई प्रजाति को मिस्टीसेलस फ्रैंकी नाम दिया गया है। यह प्रजाति दक्षिण-पूर्वी एशिया के माइक्रोहाइलिने उप-परिवार के मेंढकों से मिलती-जुलती है। इसकी करीबी प्रजातियाँ लगभग दो हज़ार किलोमीटर दूर दक्षिण-पूर्व एशिया के भारत-बर्मा और सुंडालैंड के वैश्विक जैव विविधता क्षेत्रों में पाई जाती हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार, मेंढक की यह प्रजाति अपने दक्षिण-पूर्व एशियाई संबंधियों से लगभग चार करोड़ वर्ष पूर्व अलग हो गई थी।
  • उत्तर प्रदेश के बागपत में सिनौली साइट से दुर्लभ पुरावशेषों के मिलने का सिलसिला जारी है। इस बार एक खाई से विभिन्न आकारों के मृदभांड मिले हैं। पुरातात्त्विक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण सिनौली साइट पर इसी वर्ष 15 जनवरी को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण तथा भारतीय पुरातत्व संस्थान ने संयुक्त रूप से तीसरे चरण की खुदाई शुरू कराई थी। इस बार आठ परीक्षण खाइयों (Trial Trenches) में एक साथ उत्खनन कराया जा रहा है। तीसरे चरण की खुदाई में यहाँ से एक मानव कंकाल के अलावा ताम्र निर्मित दुर्लभ तलवार, बड़े-छोटे आकार के मृदभांड, शाही ताबूत में बंद महिला का कंकाल, स्वर्णनिधि आदि पुरावशेष मिल चुके हैं। इससे पहले 2018 में भी यहाँ रथ एवं ताबूत मिले थे।
  • पृथ्वी से करीब 34 करोड़ किलोमीटर की दूरी पर स्थित रायुगु नामक क्षुद्रग्रह (Asteroid) पर 22 फरवरी को जापान का अंतरिक्ष यान सफलतापूर्वक उतर गया। जापान स्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) का हायाबुसा-2 यान रायुगु से नमूने जुटाएगा जिनसे सौरमंडल की उत्पत्ति से जुड़े रहस्यों से पर्दा उठ सकता है। हायाबुसा-2 पिछले वर्ष जून से 900 मीटर चौड़े इस क्षुद्रग्रह के आसपास मंडरा रहा है और साढ़े सात घंटे में इस क्षुद्रग्रह का एक चक्कर पूरा करता है। गौरतलब है कि हायाबुसा-2 को दिसंबर, 2014 में तानेगाशिमा स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया था। अपने मिशन को पूरा कर यह 2020 के अंत तक धरती पर लौटेगा।
  • 22 फरवरी को इज़राइल ने अपने पहले निजी वित्त पोषित अंतरिक्ष यान को अमेरिका के फ्लोरिडा से सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया। एलन मस्क के स्पेसएक्स फाल्कन-9 रॉकेट पर लैंडर बेयरशीट (हिब्रू भाषा में बाइबिल के पहले शब्द जिसका अर्थ है ‘शुरुआत में’) को केप कैनेवरल एयर फोर्स स्टेशन से लॉन्च किया गया। 10 करोड़ डॉलर की परियोजना ‘बेयरशीट’ को इज़राइल की गैर-लाभकारी संस्था SpaceIL और उसके साझेदारों ने विकसित किया है। मानवरहित इस यान का वज़न 1300 पौंड है और यह लगभग सात हफ्ते में चंद्रमा पर पहुँच कर वहाँ की चट्टानी सतह के चित्रों को भेजने के साथ उसके चुंबकीय क्षेत्र पर प्रयोग करेगा।
  • सऊदी अरब ने राजकुमारी रीमा बिंत बंदार को अमेरिका में अपना राजदूत नियुक्त किया है। वह राजकुमार खालिद बिन सलमान की जगह लेंगी, जिन्हें उप रक्षा मंत्री बनाया गया है। आपको बता दें कि राजकुमारी रीमा बिंत बंदार किसी भी देश में सऊदी अरब की पहली महिला राजदूत हैं। वह सुल्तान अल सऊद की बेटी हैं, जो 1983 से 2005 तक अमेरिका में सऊदी अरब के राजदूत रह चुके हैं। राजकुमारी रीमा ने सऊदी अरब की राजधानी रियाद में जेहरा ब्रेस्ट कैंसर एसोसिएशन की स्थापना भी की है, जिसका उद्देश्य ब्रेस्ट कैंसर के प्रति सऊदी की महिलाओं को जागरूक करना है।
  • भारतीय अभिनेत्री और शिक्षिका स्वरूप संपत रावल वैश्विक शिक्षक पुरस्कार वर्की फाउंडेशन ग्लोबल टीचर प्राइज़ के शीर्ष दस दावेदारों की सूची में शामिल हैं। सांसद और अभिनेता परेश रावल की पत्नी स्वरूप रावल ने भारतीय समाज के विविध वर्गो के बच्चों तक पहुँच बनाने के लिये अनूठे शैक्षिक तरीकों का उपयोग किया। स्वरूप रावल की शिक्षा की पहुँच न सिर्फ आर्थिक और सामाजिक रूप से कमजोर बच्चों, बल्कि उच्च वर्ग के स्कूली बच्चों तक है। वह शिक्षा देने के तौर-तरीकों में ड्रामा, सामूहिक चर्चा, बहस, खेल, गायन और ड्राइंग का इस्तेमाल करती हैं। वह 1979 में मिस इंडिया चुनी गई थीं। इस पुरस्कार के तहत दस लाख डॉलर (करीब 7.10 करोड़ रुपए) की राशि दी जाती है। इस पुरस्कार के लिये दुनिया के 179 देशों से करीब दस हजार आवेदन मिले थे। इस वर्ष के पुरस्कार की घोषणा दुबई में अगले माह होने वाले ग्लोबल एजुकेशन एंड स्किल्स फोरम (GESF) में की जाएगी।
  • अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा अपने इनसाइट लैंडर के जरिये रोज़ मंगल के मौसम की जानकारी देने की तैयारी में है। इनसाइट के साथ गए ऑक्जिलियरी पेलोड सब-सिस्टम (APSS) पर काम करने वाले वैज्ञानिकों के अनुसार, इनसाइट लैंडर मंगल की भूमध्य रेखा के नजदीक है। यह उससे ठीक उत्तर में है, इसलिये यह वहाँ चल रहे सर्दी के मौसम का अनुभव करने में सक्षम है। APSS एक मौसम सेंसर है, जो वहाँ आने वाले भूकंप का पता लगाने में भी सहायक होगा। यह मंगल पर होने वाले कंपनों के बारे में जानकारी देने के साथ ही लगातार काम करते हुए वहाँ के मौसम की विस्तृत जानकारी देने का काम भी करेगा। गौरतलब है कि 5 मई, 2018 को लॉन्च किया गया इनसाइट पिछले साल 26 नवंबर को मंगल ग्रह पर उतरा था।
  • हॉलीवुड के 91वें एकेडमी अवार्ड्स यानी ऑस्कर अवार्ड्स (Oscar Awards) में बेस्ट पिक्चर: ग्रीन बुक, बेस्ट डायरेक्टर: अलफॉन्सो क्यूरॉन (रोमा)​, बेस्ट एक्टर: रामी मालेक, बेस्ट एक्ट्रेस-ओलिविया कोलमैन, सर्वश्रेष्ठ एनिमेटिड फीचर फिल्म: Spider-Man: Into The Spider-Verse तथा मेक्सिको की 'रोमा' को सर्वश्रेष्ठ विदेशी फिल्म का पुरस्कार मिला। शॉर्ट डॉक्यूमेंट्री फिल्म केटेगरी में भारत में उत्तर प्रदेश के हापुड़ ज़िले के काठी खेड़ा गाँव की रहने वाली युवती सुमन पर बनी फिल्म पीरियड एंड ऑफ सेंटेंस (Period: End Of Sentence) को ऑस्कर पुरस्कार मिला है। भारतीय फिल्म निर्माता गुनीत मोंगा की इस फिल्म को ईरानी-अमेरिकन फिल्म डायरेक्टर रयाक्ता जहताबची और मैलिसा बर्टन ने निर्देशित किया है। गौरतलब है कि ऑस्कर अवार्ड विश्व में फिल्म जगत के सर्वाधिक लोकप्रिय, चर्चित एवं प्रतिष्ठित पुरस्कार हैं और इनकी शुरुआत 1929 में हुई थी।