डेली न्यूज़ (24 Sep, 2018)



भारत में शराब का उपभोग 11 वर्षों में हुआ दोगुना

चर्चा में क्यों?

हाल ही में जारी की गई विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में प्रति व्यक्ति शराब की खपत वर्ष 2005 से लेकर वर्ष 2016 तक दोगुनी हो चुकी है।

प्रमुख बिंदु

  • रिपोर्ट में कहा गया है कि शराब की खपत 2005 में 2.4 लीटर से बढ़कर 2016 में 5.7 लीटर हो गई है, जिसमें पुरुषों द्वारा 4.2 लीटर और महिलाओं द्वारा 1.5 लीटर शराब का उपभोग किया जाता है।
  • रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2000 से 2005 के अपेक्षाकृत स्थिर चरण के बाद प्रति व्यक्ति शराब की कुल खपत दुनिया भर में बढ़ी है।
  • रिपोर्ट में व्यक्त किया गया है कि शराब की कुल प्रति व्यक्ति खपत वर्ष 2005 में 5.5 लीटर से बढ़कर वर्ष 2010 में 6.4 लीटर हो गई और वर्ष 2016 में यह 6.4 लीटर के स्तर पर थी। हालाँकि, इस दौरान दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग रुझानों को देखा गया।
  • शराब का हानिकारक प्रभाव दुनिया भर में मानव आबादी के लिये प्रमुख जोखिम कारकों में से एक है और सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) के कई स्वास्थ्य-संबंधित उद्देश्यों पर इसका प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है। इन लक्ष्यों में मातृ और शिशु स्वास्थ्य, संक्रामक रोग (एचआईवी, वायरल हेपेटाइटिस, तपेदिक), गैर-संक्रमणीय बीमारियाँ और मानसिक स्वास्थ्य, चोट तथा ज़हर का प्रभाव आदि शामिल हैं।
  • वर्ष 2016 में शराब के हानिकारक उपयोग के परिणामस्वरूप दुनिया भर में तीन मिलियन मौतें (कुल मौतों का 5.3%) हुईं और 132.6 मिलियन लोग विकलांगता से ग्रसित हुए।
  • शराब के उपभोग के परिणामस्वरूप होने वाली मृत्यु दर तपेदिक, एचआईवी/एड्स और मधुमेह जैसी बीमारियों के कारण होने वाली मृत्यु दर से अधिक होती है।

दक्षिण-पूर्व एशिया में सर्वाधिक प्रति व्यक्ति खपत

  • 2025 तक विश्व स्वास्थ्य संगठन के आधे क्षेत्रों में कुल शराब की प्रति व्यक्ति खपत (15 वर्ष से अधिक के लोगों में) बढ़ने की उम्मीद है और दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में सबसे ज़्यादा वृद्धि की उम्मीद है।
  • रिपोर्ट में बताया गया है कि अकेले भारत में शराब की प्रति व्यक्ति खपत में 2.2 लीटर की वृद्धि की उम्मीद है जो इस क्षेत्र में कुल आबादी के बड़े हिस्से का प्रतिनिधित्व करता है।
  • हालाँकि, इस क्षेत्र में इंडोनेशिया और थाईलैंड (जो कि इस क्षेत्र में दूसरे तथा चौथी सर्वाधिक जनसंख्या वाले देश हैं) में भी छोटे स्तर की वृद्धि की उम्मीद है।
  • वर्ष 2025 तक शुद्ध शराब की प्रति व्यक्ति खपत में 0.9 लीटर की वृद्धि के साथ पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र की जनसंख्या के लिये दूसरी सर्वाधिक वृद्धि का अनुमान लगाया गया है।

2.3 मिलियन लोगों की मौत

  • वर्ष 2016 में पुरुषों के मामले में अनुमानित 2.3 मिलियन मौतों और 106.5 मिलियन लोगों में विकलांगता समायोजित जीवन वर्षों (DALY) के लिये शराब का सेवन करना प्रमुख कारण था।
  • शराब सेवन के कारण महिलाओं में 0.7 मिलियन की मृत्यु हुई और 26.1 मिलियन ने विकलांगता समायोजित जीवन वर्षों (DALY) का अनुभव किया।
  • रिपोर्ट में कहा गया है कि शराब का हानिकारक उपयोग 200 से अधिक बीमारियों और चोट की स्थितियों के लिये सर्वाधिक प्रमुख कारक है। पूरे विश्व में लगभग 2.3 अरब लोग वर्तमान में शराब का सेवन करते हैं।
  • वैश्विक स्तर पर सभी 15-19 वर्ष के एक-चौथाई (26.5%) से अधिक या लगभग 155 मिलियन किशोर वर्तमान में शराब का सेवन करते हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) संयुक्त राष्ट्र संघ की एक विशेष एजेंसी है, जिसका उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य (Public Health) को बढ़ावा देना है।
  • इसकी स्थापना 7 अप्रैल, 1948 को हुई थी। इसका मुख्यालय जेनेवा (स्विट्ज़रलैंड) में अवस्थित है।
  • डब्ल्यू.एच.ओ., संयुक्त राष्ट्र विकास समूह (United Nations Development Group) का सदस्य है। इसकी पूर्ववर्ती संस्था ‘स्वास्थ्य संगठन’ लीग ऑफ नेशंस की एजेंसी थी।

प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना

चर्चा में क्यों?

23 सितबंर, 2018 को रांची, झारखंड में विश्व की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना, प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना की शुरुआत की गई।

प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना की व्यापकता

  • इसमें कैंसर और हृदय रोग जैसी गंभीर बीमारियों सहित 1300 बीमारियों को शामिल किया गया है। निजी अस्पताल भी इस योजना का हिस्सा होंगे।
  • देश भर में 10.74 करोड़ से अधिक गरीब और कमज़ोर परिवारों (लगभग 50 करोड़ लाभार्थियों) को इसमें शामिल किया गया है। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के 1 करोड़ 18 लाख परिवारों को इस योजना के दायरे में लाया गया है।
  • इस योजना के तहत प्रत्येक परिवार को हर वर्ष 5 लाख रुपए का स्वास्थ्य बीमा प्रदान किया जाएगा।
  • 5 लाख रुपए की राशि में सभी प्रकार की जाँच, दवा, अस्पताल में भर्ती का खर्च आदि भी शामिल होंगे।
  • देश भर के 13,000 से ज़्यादा अस्पतालों को इस योजना में शामिल किया गया है।
  • इस योजना के तहत बच्चियों, महिलाओं और वरिष्ठ नागरिकों की प्राथमिकता दी जाएगी।
  • आवश्यकता के समय सभी सार्वजनिक और सूचीबद्ध निजी अस्पतालों में मुफ्त उपचार उपलब्ध होगा।
  • यह योजना 1,350 चिकित्सा पैकेज को कवर करती है जिसमें सर्जरी, चिकित्सा एवं देखभाल, दवाइयाँ और निदान की लागत आदि शामिल हैं।
  • इस योजना के अंतर्गत पुरानी और नई सभी बीमारियों को शामिल किया गया है।
  • यह योजना पेपरलेस तथा कैशलेस होगी।
  • उपचार के लिये अस्पताल लाभार्थियों से अतिरिक्त पैसा नहीं वसूल कर पाएंगे।
  • इस योजना के लाभार्थी भारत भर में कही भी सेवाओं का लाभ उठा सकते है।
  • योजना के बारे में जानकारी या सहायता प्राप्त करने अथवा शिकायत दर्ज कराने के लिये 24X7 हेल्पलाइन नंबर- 14555 उपलब्ध है।

कौन होंगे लाभार्थी?

  • सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना (Socio-Economic and Caste Census- SECC) डेटाबेस में सूचीबद्ध सभी परिवारों को परिभाषित मानदंडों के अनुसार इस योजना के अंतर्गत कवर किया जाएगा। परिवार के आकार और सदस्यों की उम्र की कोई सीमा निश्चित नहीं की गई है।

SECC के अनुसार योजना के लाभार्थी

  • ग्रामीण क्षेत्रों में विभिन्‍न श्रेणियों में ऐसे परिवार शामिल हैं जिनके पास कच्‍ची दीवार और कच्‍ची छत के साथ एक कमरा है।
  • ऐसे परिवार जिनमें 16 से 59 वर्ष की आयु के बीच का कोई वयस्क सदस्‍य नहीं है।
  • ऐसे परिवार जिसकी मुखिया महिला है और जिसमें 16 से 59 वर्ष आयु के बीच का कोई वयस्क सदस्‍य नहीं है।
  • ऐसा परिवार जिसमें कोई सदस्य दिव्‍यांग है और उस परिवार में शारीरिक रूप से सक्षम कोई वयस्क सदस्‍य नहीं है।
  • अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति परिवार, मानवीय आकस्मिक मज़ूदरी से आय का बड़ा हिस्‍सा कमाने वाले भूमिहीन परिवार हैं।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसे परिवार स्‍वत: शामिल माने गए हैं जिनके रहने के लिये छत नहीं है, जो निराश्रित, खैरात पर जीवन-यापन करने वाले, मैला ढोने वाले परिवार, आदिम जनजाति समूह, कानूनी रूप से मुक्‍त किये गए बंधुआ मजदूर हैं।

31 राज्य/केंद्रशासित प्रदेश योजना लागू करने को तैयार

  • 31 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों ने इस योजना को लागू करने के लिये केंद्र सरकार के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये हैं।
  • तेलंगाना, ओडिशा, दिल्ली, केरल तथा पंजाब ने इस योजना को लागू न करने का विकल्प चुना है।
  • उल्लेखनीय है कि तेलंगाना सरकार अपनी योजना आरोग्यश्री को जारी रखेगी जिसके अंतर्गत राज्य के 80 लाख परिवारों को कवर किया जाता है।

लाभार्थियों का निजी डाटा रहेगा सुरक्षित

  • स्‍वास्‍थ्‍य बीमा के लाभार्थियों के निजी डाटा और संवेदनशील व्‍यक्तिगत सूचनाओं को पूरी तरह सुरक्षित रखने की व्‍यवस्‍था की गई है और इनका इस्‍तेमाल निर्धारित कानूनी व्‍यवस्‍थाओं तथा नियमों के अनुकूल किया जाएगा।
  • लाभार्थियों से संबंधित सूचनाओं को सुरक्षित रखने के लिये अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर प्रचलित बेहतर तरीकों को अपनाया जा रहा है।
  • लाभार्थियों के डेटा के सुरक्षित इस्‍तेमाल के लिये विभिन्‍न स्‍तरों पर 94 से अधिक कंट्रोल सेट बनाए गए हैं।
  • आँकड़ों को इकट्ठा करने, उन्‍हें सुरक्षित रखने और उनके इस्‍तेमाल के लिये कड़े नियम तय किये गए हैं।

मुद्रा लोन और ऋण जोखिम

संदर्भ

हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन द्वारा संसद में पेश की गई अपनी रिपोर्ट में कहा गया था कि कॉर्पोरेट ऋण के कारण उत्पन्न होने वाली गैर-निष्पादित संपत्तियाँ (Non-Performing Assets- NPA) मौजूदा समय में एक समस्या है और सरकार को इन समस्याओं पर ध्यान देना चाहिये।

रघुराम राजन द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के अनुसार :

  • मुद्रा (MUDRA) लोन, ऋण जोखिम के संभावित कारणों में से एक है। इसके अलावा सरकार द्वारा महत्त्वाकांक्षी क्रेडिट लक्ष्यों को प्राप्त करने और ऋणों में दी जाने वाली छूट की संस्कृति भी ऋण जोखिम का कारण बनती है।
  • कभी-कभी क्रेडिट लक्ष्यों की प्राप्ति के लिये उचित प्रक्रियाओं को छोड़ दिया जाता है जो भविष्य में NPA जैसी स्थिति का कारण बनता है।
  • MUDRA लोन और किसान क्रेडिट कार्ड दोनों ही लोकप्रिय ऋण हैं लेकिन सरकार को इनके कारण उत्पन्न होने वाले संभावित जोखिम के बारे में अधिक बारीकी से जाँच करने की आवश्यकता है।
  • MSME के लिये सिडबी द्वारा संचालित क्रेडिट गारंटी योजना एक बढ़ती आकस्मिक देयता है और इसकी भी तत्काल जाँच किये जाने की आवश्यकता है।

मुद्रा (MUDRA) क्या है?

  • ‘मुद्रा’ अर्थात् माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट एंड रिफाइनेंस एजेंसी (Micro Units Development & Refinance Agency-MUDRA) की शुरुआत प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के अंतर्गत 8 अप्रैल, 2015 को की गई थी।
  • इसका उद्देश्य माइक्रो फाइनेंस को आर्थिक विकास के एक उपकरण के रूप में उपयोग करना है जो पिरामिड के निचले हिस्से में लोगों, छोटे विनिर्माण इकाइयों, दुकानदारों, फल और सब्जी विक्रेताओं, ट्रक और टैक्सी ऑपरेटरों को लक्षित करने, खाद्य सेवा इकाइयों, मरम्मत की दुकानों, मशीन ऑपरेटरों, कारीगरों और खाद्य उत्पादकों को आय सृजित करने का अवसर प्रदान करने में मदद करता है।

क्या पुनर्भुगतान एक चुनौती है?

  • योजना के आलोचकों का कहना है कि ऋण को प्राधिकृत करने और वितरित करते समय बहुत सी सर्वोत्तम प्रथाओं की उपेक्षा की गई है।
  • इस साल की शुरुआत में ही सीबीआई ने 65 लाख रुपए मूल्य के 26 मुद्रा ऋणों मंज़ूर करने और वितरित करने में आधिकारिक स्थिति के कथित दुरुपयोग के लिये पंजाब नेशनल बैंक के पूर्व अधिकारी के खिलाफ मामला दर्ज किया था।
  • भले ही व्यवसायियों विकास के नाम पर ऋण की मांग की जाती है और बैंकरों द्वारा यह जानते हुए भी कि उन लोगों द्वारा किया जाने वाला पुनर्भुगतान एक चुनौती है, आर्थिक विकास के नाम पर उनके ऋण को मंज़ूरी दे दी जाती है। इस प्रकार पुनर्भुगतान की समस्या बनी रहती है।
  • यह योजना उन लोगों के लिये है, जिन्हें कम धनराशि के ऋण की आवश्यकता है, लेकिन ऐसे फंडों तक वे नहीं पहुँच पाते है, क्योंकि समस्या यह होती है कि ऐसे उधारकर्त्ताओं के कारोबार की प्रकृति अस्थिर होती है और उनके व्यापार का वार्षिक चक्र अतिसंवेदनशील होता है जैसे- सब्जी विक्रेता। अतः उन्हें दिये गए ऋण की वसूली कर पाना आसान नहीं होता।
  • जब संग्रह की बात आती है तो बैंक कर्मचारी 10 लाख रुपए के ऋण की वसूली के लिये एक लाख रुपए वाले 10 ऋण के स्थान पर 10 लाख रुपए का एक बकाया वसूलने का विकल्प चुनते हैं।

ऋण का औसत आकार

  • मुद्रा योजना के तहत ऋण को तीन स्तरों पर वितरित किया जाता है जिसकी सीमा 50,000 रुपए से शुरू होकर 10 लाख रुपए तक होती है।
  • वित्तीय वर्ष 2017-18 में सभी तीन स्तरों के तहत लगभग 4.81 करोड़ PMMY ऋणों के लिये 2.53 लाख करोड़ रुपए का ऋण मंज़ूर किया गया था।
  • वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिये स्वीकृत ऋण की औसत राशि 52,706 रुपए थी।
  • स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के अनुसार, उसने वित्त वर्ष 2017-18 में प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत 28,556 करोड़ रुपए का ऋण दिया।
  • इस योजना से उत्पन्न गैर-निष्पादित संपत्ति भारत के सबसे बड़े बैंक के लिये लगभग 5.2% है।
  • PMMY को समर्पित वेबसाइट से संबंधित ऋणों की मात्रा या संग्रह के ब्योरे का कोई संकेत नहीं मिलता है।
  • सरकार के अनुसार, 2015 में अपनी स्थापना के बाद से मुद्रा योजना के तहत लगभग 12 करोड़ लाभार्थियों को कुल 6 लाख करोड़ रुपए का ऋण उपलब्ध कराया गया था।
  • इनमें से 3.25 करोड़ उद्यमी ऐसे थे जिन्होंने पहली बार कोई उद्यम शुरू किया हो और 9 करोड़ उधारकर्त्ता महिलाएँ थीं।

उम्मीदवार के प्रचार को प्रकाशित करना ‘पेड न्यूज़’ है: निर्वाचन आयोग

चर्चा में क्यों

हाल ही में निर्वाचन आयोग ने चुनावों के दौरान ‘पेड न्यूज़’ के प्रयोग के संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपनी राय ज़ाहिर की है।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • निर्वाचन आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि चुनाव में उम्मीदवार की उपलब्धियों की सराहना करते हुए प्रचार को बार-बार प्रकाशित करना ‘पेड न्यूज’ की श्रेणी में आता है। इस तरह के प्रचारों को अभिव्यक्ति की आज़ादी के रूप में अनुमति नहीं दी जा सकती है।
  • निर्वाचन आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को यह भी बताया कि चुनाव में उम्मीदवार की उपलब्धियों की सराहना करते हुए प्रचार को बार-बार प्रकाशित करना ‘पेड न्यूज’ है।
  • राजनेता यह नहीं कह सकते है कि ‘प्रायोजित प्रचार’ को दूर करने के लिये अभिव्यक्ति की आज़ादी उनके मौलिक अधिकार का एक हिस्सा है।
  • चुनाव आयोग ने अदालत से यह घोषणा करने के लिये कहा है कि व्यापक स्तर पर प्रसारित होने वाले दैनिक समाचार पत्रों द्वारा उम्मीदवारों के बयानों को खबर में सम्मिलित करना, उनके नाम पर दर्ज़ रिकॉर्ड तथा उपलब्धियों का न केवल बखान करना है बल्कि यह वोट के लिये उम्मीदवार द्वारा मतदाताओं के समक्ष सीधा अनुरोध भी है। क्या यह “पेड न्यूज” के समान नहीं है?
  • अनुचित लाभ- यदि चुनाव अवधि के दौरान अभिव्यक्ति की आज़ादी की आड़ में इस तरह के प्रायोजित प्रचार की अनुमति दी जाती है, तो मज़बूत नेटवर्क और अपरिभाषित संबंध वाले उम्मीदवार समाज में अपने प्रभाव क्षेत्र का फायदा उठाएंगे और इस तरह की मूक सेवाओं का फायदा उठाते हुए अनुचित लाभ उठाएंगे।

हालिया प्रकरण

  • आयोग शीर्ष अदालत में दिल्ली उच्च न्यायालय के एक निर्णय के खिलाफ पहुँचा था, जिसमें मध्य प्रदेश के बीजेपी नेता नरोत्तम मिश्रा को ‘पेड न्यूज’ के आरोपों में तीन साल के लिये अयोग्य ठहराने के आयोग के फैसले को उच्च न्यायालय ने 18 मई को खारिज कर दिया था।
  • पेड न्यूज पर आयोग की राष्ट्रीय स्तर की समिति ने पाया कि व्यापक रूप से प्रसारित होने वाले पाँच समाचार पत्रों ने 42 ऐसे समाचार प्रकाशित किये थे जो ‘पक्षपातपूर्ण और एक तरफा थे तथा जिनका उद्देश्य श्री मिश्रा को आगे बढ़ाना था।
  • कुछ रिपोर्ट उनके पक्ष में विज्ञापन के रूप में थीं। समिति ने निष्कर्ष निकाला कि इन्हें ‘पेड न्यूज’ के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।
  • चुनाव आयोग ने श्री मिश्रा को चुनाव खर्च के रूप में समाचारों पर खर्च की गई ऐसी धनराशि को खातों में दर्ज न करने के कारण अयोग्य घोषित कर दिया था। एक डिवीज़न बेंच ने निष्कर्ष निकाला कि बीजेपी नेता केवल भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अपने मौलिक अधिकार का प्रयोग कर रहे थे।
  • आयोग ने कहा कि “इस तरह के समाचार कवरेज की सामग्री की जाँच करने की आयोग की शक्तियों को समाप्त नहीं करना चाहिये।”

प्रीलिम्स फैक्ट्स: 24 सितंबर 2018

दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा

हाल ही में दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा की स्थापना के 100 वर्ष पूरे होने पर नई दिल्ली में शताब्दी समारोह का आयोजन किया गया।

  • दक्षिणी राज्यों में हिंदी का प्रचार करने के एकमात्र उद्देश्य के साथ महात्मा गांधी ने 1918 में ‘दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा’ की स्थापना की थी।
  • इसके प्रथम प्रचारक कोई और नहीं बल्कि महात्मा गांधी के पुत्र देवदास गांधी थे।
  • 1927 में दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा एक स्वतंत्र संगठन के रूप में उभरकर सामने आई और महात्मा गांधी अपने जीवन के अंतिम समय तक इसके अध्यक्ष रहे।
  • 1920 तक इस सभा का कार्यालय मद्रास के जॉर्ज टाउन में था उसके कुछ सालों बाद बाद यह मायलापोर में स्थानांतरित हो गया और बाद में यह त्रिपुलीन में स्थानांतरित हुआ जहाँ यह 1936 तक काम करता रहा।
  • इस सभा की प्रांतीय शाखाओं की स्थापना 1936 में की गई थी और उसी वर्ष सभा के सदन को मद्रास के तत्कालीन नए शहर त्यागराज नगर में स्थापित किया गया था। इस इमारत की नींव अब्दुल हमीद खान ने रखी थी और इमारत का उद्घाटन 7 अक्तूबर, 1936 को भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष पंडित जवाहरलाल नेहरू ने किया था।
  • वर्ष 1946 में इस सभा का रजत जयंती समारोह आयोजित किया गया जिसकी अध्यक्षता महात्मा गांधी ने की थी।
  • रजत जयंती समारोह के दौरान गांधीजी की उपस्थिति को स्मरणीय बनाने हेतु उस स्थान पर गांधी मंडप का निर्माण किया गया जहाँ गांधीजी ने अपनी उपस्थिति दर्ज की थी। इस मंडप का उद्घाटन 9 जून, 1963 को मोरारजी देसाई ने किया था।
  • वर्ष 1993 में इस सभा की प्लैटिनम जुबिली का आयोजन अमृतोत्सव नाम से किया गया था।

14वीं राष्‍ट्रीय युवा संसद प्रतियोगिता

हाल ही में 14वीं राष्‍ट्रीय युवा संसद प्रतियोगिता, 2017 के पुरस्‍कार वितरित किये गए। उल्लेखनीय है कि 14वीं राष्‍ट्रीय युवा संसद प्रतियोगिता का आयोजन वर्ष 2017-18 के दौरान पूरे भारत के 74 संस्थानों के बीच किया गया।

  • डीएवी महाविद्यालय, जालंधर के छात्रों ने प्रतियोगिता में प्रथम आने पर रनिंग पार्लियामेंटरी शील्ड एवं ट्रॉफी जीती, इसके अलावा संबंधित समूहों में प्रथम आने वाले विश्वविद्यालयों/महाविद्यालयों को मेरिट ट्रॉफी प्रदान की गई।
  • युवा संसद प्रतियोगिता
  • संसदीय मामलों का मंत्रालय 1997-98 से विश्‍वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों के लिये युवा संसद प्रतियोगिता का आयोजन कर रहा है।
  • उद्देश्य
  • युवा पीढ़ी को संसद की प्रक्रिया एवं कार्यवाहियों, बहस एवं चर्चा की तकनीकों से अवगत करना।
  • उनमें नेतृत्व के गुणों, आत्म अनुशासन की भावना, विविध विचारों के प्रति सहिष्णुता एवं स्वस्थ प्रतिस्पर्द्धा का विकास करना।
  • युवाओं में प्रभावी भाषण कला, विचारों की ईमानदार अभिव्यक्ति एवं जीवन के लोकतांत्रिक तरीकों के अन्य गुणों (जिनमें सभी लोकतंत्र की विशिष्टता हैं) को समावेशित करना।

तिरुमाला ब्रह्मोत्सवम

हिंदुओं द्वारा मनाए जाने वाले ‘ब्रह्मोत्सव’ का आयोजन हर साल आंध्र प्रदेश के तिरुमाला में किया जाता है।

  • ब्रह्मोत्सव तिरुमाला का वार्षिक उत्सव है जो ब्रह्मा के नेतृत्व में भगवान श्रीनिवास के आविर्भाव का स्मरण करने के लिये मनाया जाता है।
  • आमतौर पर इस त्योहार का आयोजन सितंबर या अक्तूबर के माह में किया जाता है।
  • नौ दिनों तक चलने वाले वार्षिक उत्सव ‘ब्रह्मोत्सव’ के दौरान तिरुमाला में रथोत्सव का आयोजन किया जाता है।
  • इन नौ दिनों के दौरान प्रत्येक दिन भगवान वेंकेटश्वर की मूर्ति को अलग-अलग रथों पर घुमाया जाता है।
  • त्योहार के पहले दिन "अनुरार्पण" अनुष्ठान का आयोजन किया जाता है। "अनुरार्पण" अनुष्ठान प्रजनन क्षमता, बहुतायत और समृद्धि का प्रतीक है।
  • इस उत्सव को मनाने का मुख्य कारण भगवान से ऐसे जीवन के लिये प्रार्थना करना है जो उच्च मूल्यों और नैतिकता से भरा हुआ हो।

गोल्डन ग्लोब रेस

हाल ही में भारतीय नौसेना ने नौसेना कमांडर अभिलष टॉमी के लिए एक खोज और बचाव अभियान शुरू किया, जो कन्याकुमारी के दक्षिण में 2500 से अधिक समुद्री मील की दूरी पर अपने नौकायन पोत में फँसे हुए थे। उल्लेखनीय है कि भारतीय नौसेना के कमांडर अभिलाष टॉमी स्वदेश निर्मित नौकायन पोत ‘थुरिया’ पर गोल्डन ग्लोब रेस 2018 (GGR) में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे थे।

गोल्डन ग्लोब रेस के बारे में

  • गोल्डन ग्लोब रेस (Golden globe race) 2018 एक नौकायन दौड़ है। इस दौड़ प्रतियोगिता का आयोजन सर्वप्रथम 1968-69 में किया गया था। यह एक नॉन-स्टॉप, एकल संचालनीय (single handed), विश्व के चारों तरफ भ्रमण करने वाली नौका दौड़ है।
  • गोल्डन ग्लोब रेस (Golden globe race) 2018 की शुरुआत 1 जुलाई, 2018 को फ्राँस के लेस सेबल्स-डीओलोन (les sables-d'olonne) नामक बंदरगाह से हुई।
  • इस दौड़ की विशेषता यह है कि इसमें आधुनिक तकनीकों का प्रयोग वर्जित है और इस नौका की तकनीक 1968 के बाद की न हो।
  • उल्लेखनीय है कि भारतीय नौसेना के कमांडर अभिलाष टॉमी (Abhilash Tomy) इस दौड़ प्रतियोगिता में भाग लेने वाले एशिया के एकमात्र प्रतियोगी हैं। कमांडर अभिलाष ने अपनी नौका ‘थूरिया’ (Thuriya) के साथ इस प्रतियोगिता में भाग लिया।