डेली न्यूज़ (23 Aug, 2018)



उड़ान की पहुँच दक्षिणपूर्व एशियाई स्थलों तक

चर्चा में क्यों?

भारत सरकार ने उड़ान स्कीम को मिलने वाले सब्सिडी युक्त हवाई यात्रा के लाभ को अंतर्राष्ट्रीय सर्किट से जोड़ने का एक मसौदा जारी किया है।

योजना के प्रमुख बिंदु

  • उड़ान (अंतर्राष्ट्रीय) योजना का उद्देश्य भारतीय राज्यों के बीच अंतर्राष्ट्रीय हवाई यात्रा की कनेक्टिविटी को बढ़ाना और एयरलाइनों को वित्तीय सहायता के प्रावधान के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय स्थलों का चयन करना है।
  • इस योजना के तहत राज्य सरकारें वित्तीय लाभों को पोषित करने के लिये ज़िम्मेदार होंगी।
  • अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों के लिये इस मसौदा योजना के मुताबिक, राज्य सरकारें मार्गों की पहचान करेंगी और एयरलाइन ऑपरेटर इन मार्गों पर मांग का आकलन करेंगे तथा कनेक्टिविटी प्रदान करने के प्रस्ताव पेश करेंगे।

लाभ

  • यह समग्र कनेक्टिविटी में सुधार के साथ-साथ देश में व्यापार, पर्यटन और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में मदद करेगा।
  • इसका एक लाभ यह होगा कि भारत के पूर्वोत्तर राज्यों के निवासी जल्द ही दक्षिणपूर्व एशिया के स्थलों के लिये भी सस्ती हवाई यात्रा का आनंद ले सकेंगे।

उड़ान (Ude Desh Ka Aam Naagrik-UDAN) योजना क्या है ?

  • उड़ान देश में क्षेत्रीय विमानन बाज़ार को विकसित करने की दिशा में एक नवोन्मेषी कदम है।
  • क्षेत्रीय संयोजकता योजना-उड़ान 15 जून, 2016 को नागर विमानन मंत्रालय द्वारा जारी राष्ट्रीय नागर विमानन नीति (National Civil Aviation Policy - NCAP) का एक महत्त्वपूर्ण घटक है।
  • क्षेत्रीय एयर कनेक्टिविटी को सुविधाजनक बनाने के मुख्य उद्देश्य के साथ अक्टूबर, 2016 में इस योजना को शुरू किया गया था।
  • इसमें रुचि रखने वाले ऑपरेटर प्रस्ताव करके अभी तक संपर्क से नहीं जुड़े मार्गों पर संचालन शुरू कर सकते हैं।
  • यह वैश्विक स्तर पर अपनी तरह की पहली योजना है जो क्षेत्रीय मार्गों पर सस्ती, आर्थिक रूप से व्यवहार्य एवं लाभप्रद उड़ानों को बढ़ावा देगी ताकि आम आदमी वहनीय कीमत पर हवाई यात्रा कर सके।
  • इसके तहत विमान की आधी सीटों के लिये प्रति घंटा एवं 500 किमी. की यात्रा उड़ान हेतु अधिकतम 2500 रुपए किराया वसूला जाएगा एवं इससे एयरलाइनों को होने वाले नुकसान की भरपाई सरकार द्वारा की जाएगी।
  • इसमें मौजूदा हवाई-पट्टियों एवं हवाई अड्डों के पुनरुत्थान के माध्यम से देश के उन हवाई अड्डों पर भी कनेक्टिविटी प्रदान की जाएगी जो कम उपयोग में आते हैं अथवा जिनका उपयोग नहीं किया जाता है।

खुले में मूत्रत्याग को रोकना होगा सरकार का अगला कदम

चर्चा में क्यों?

हाल ही में आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा ओडीएफ+ और ओडीएफ++ प्रोटोकॉल जारी किये गए जो कि स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) के लिये अगला कदम हैं और इनका लक्ष्य स्वच्छता परिणामों में स्थायित्व सुनिश्चित करना है।

प्रमुख बिंदु 

  • नए मानदंडों के तहत, ओडीएफ+ (खुले में शौच से मुक्त प्लस) घोषित करने के इच्छुक शहरों और कस्बों को खुले में शौच से मुक्त होने के आलावा लोगों द्वारा खुले में मूत्रत्याग से भी मुक्त होना चाहिये। 
  • यह पहली बार है कि स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) आधिकारिक तौर पर लोगों द्वारा खुले में मूत्रत्याग की समाप्ति को अपने एजेंडे में शामिल कर रहा है। यह मिशन बुनियादी ढाँचे और नियामक परिवर्तनों पर केंद्रित है और साथ ही इस धारणा पर आधारित है कि इससे लोगों के व्यवहार में परिवर्तन आएगा।
  • स्वच्छ भारत मिशन के ग्रामीण प्रभाग ने पहले कहा था कि लोगों द्वारा खुले में मूत्रत्याग की समाप्ति उनके एजेंडे में नहीं है। 
  • मार्च 2016 में जारी मूल ओडीएफ प्रोटोकॉल के अनुसार, "एक शहर/वार्ड को ओडीएफ शहर/वार्ड के रूप में अधिसूचित किया जाता है, यदि दिन के किसी भी समय, एक भी व्यक्ति खुले में शौच न करता हो।" 
  • अतः अब तक 2,741 शहरों को ओडीएफ के रूप में प्रमाणित किया गया है, जो ज़्यादातर शौचालय निर्माण के तृतीय पक्ष द्वारा सत्यापन पर आधारित है।
  • कुछ दिन पहले जारी किये गए नए ओडीएफ+ प्रोटोकॉल के अनुसार एक शहर, वार्ड या कार्य क्षेत्र ओडीएफ+ घोषित किया जा सकता है, यदि  "दिन के किसी भी समय, एक भी व्यक्ति द्वारा खुले में शौच और/या मूत्रत्याग न किया जाता हो तथा सभी सामुदायिक एवं सार्वजनिक शौचालय कार्यात्मक स्थिति में हों और साथ ही बेहतर ढंग से अनुरक्षित हों।"
  • ओडीएफ++ प्रोटोकॉल इस शर्त को जोड़ता है कि "मानव अपशिष्ट गाद/ सेप्टेज और सीवेज सुरक्षित रूप से प्रबंधित और उपचारित किया जाए; नालियों, जल निकायों या खुले क्षेत्रों में अनुपचारित मानव अपशिष्ट गाद/सेप्टेज और सीवेज का कोई निर्वहन और/या डाला जाना न होता हो।"

एनजीटी द्वारा ई-कचरे पर तीन महीने में कार्य-योजना की मांग

चर्चा में क्यों?

यह बताते हुए कि ई-कचरे का वैज्ञानिक निपटान पर्यावरण की सुरक्षा के लिये एक महत्त्वपूर्ण कारक है, हाल ही में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी) को तीन महीने के भीतर ई-कचरा प्रबंधन पर एक कार्य-योजना प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।

प्रमुख बिंदु

  • एनजीटी अध्यक्ष आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली एक खंडपीठ के अनुसार ई-कचरे का उचित निपटान एक महत्त्वपूर्ण मुद्दा है। 
  • एनजीटी ने इस संबंध में एमओईएफसीसी, उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को नियमों के प्रवर्तन तथा उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने हेतु एक कार्य योजना तैयार करने के लिये निर्देशित किया।
  • यह निर्देश उस अवसर पर दिया गया जब एनजीटी ई-अपशिष्ट (प्रबंधन) नियम, 2016  और पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के उल्लंघन में सड़कों और नदी के किनारों पर ई-कचरे तथा अन्य ठोस अपशिष्टों के अनधिकृत "पुनर्चक्रण, संग्रह, नष्ट करने, जलाने, बिक्री" के विरुद्ध एक याचिका की सुनवाई कर रहा था।

प्रदूषण का कारण

  • याचिका में इस तथ्य पर भी प्रकाश डाला गया है कि इलेक्ट्रॉनिक कचरा सीसे के 40% और लैंडफिल में पाए गए सभी भारी धातुओं के 70% के लिये उत्तरदायी है। 
  • याचिका में यह तर्क भी दिया गया कि ई-कचरा और अन्य ठोस अपशिष्ट के दहन और बिक्री के परिणामस्वरूप भूजल प्रदूषण और वायु प्रदूषण की स्थिति पैदा हुई।

एनजीटी क्या है?

  • राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) की स्थापना 18 अक्तूबर, 2010 को एनजीटी अधिनियम 2010 के तहत पर्यावरण बचाव, वन संरक्षण, प्राकृतिक संसाधनों सहित पर्यावरण से संबंधित किसी भी कानूनी अधिकार के प्रवर्तन, व्यक्ति अथवा संपत्ति के नुकसान के लिये अनुतोष और क्षतिपूर्ति प्रदान करने एवं इससे जुड़े हुए मामलों के प्रभावशाली और तीव्र गति से निपटारे के लिये की गई है। 
  • यह एक विशिष्ट निकाय है, जो पर्यावरण विवादों एवं बहु-अनुशासनिक मामलों को सुविज्ञता से संचालित करने के लिये सभी आवश्यक तंत्रों से सुसज्जित है। अधिकरण का उद्देश्य पर्यावरण के मामलों को द्रुत गति से निपटाना तथा उच्च न्यायालयों के मुकदमों के भार को कम करने में मदद करना है।

क्या है ई-कचरा?  

  • कंप्यूटर तथा उससे संबंधित अन्य उपकरण तथा टी.वी., वाशिंग मशीन तथा फ्रिज जैसे घरेलू उपकरण (इन्हें White Goods कहा जाता है) और कैमरे, मोबाइल फोन तथा उससे जुड़े अन्य उत्पाद जब चलन/उपयोग से बाहर हो जाते हैं तो इन्हें संयुक्त रूप से ई-कचरे की संज्ञा दी जाती है। 
  • ट्यूबलाइट, बल्ब, सीएफएल जैसी चीज़ें जिन्हें हम रोज़मर्रा इस्तेमाल में लाते हैं, उनमें भी पारे जैसे कई प्रकार के विषैले पदार्थ पाए जाते हैं, जो इनके बेकार हो जाने पर पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं। 
  • इस कचरे के साथ स्वास्थ्य और प्रदूषण संबंधी चुनौतियाँ तो जुड़ी हैं ही, लेकिन साथ ही चिंता का एक बड़ा कारण यह भी है कि इसने घरेलू उद्योग का स्वरूप ले लिया है और घरों में इसके निस्तारण का काम बड़े पैमाने पर होने लगा है। 
  • चीन में प्रतिवर्ष लगभग 61 लाख टन ई-कचरा उत्पन्न होता है और अमेरिका में लगभग 72 लाख टन तथा पूरी दुनिया में कुल 488 लाख टन ई-कचरा उत्पन्न हो रहा है।

गंभीर आपदा के बाद केरल के पुनर्निर्माण की चुनौती

चर्चा में क्यों?

केरल और कर्नाटक के कोडागु ज़िले में बाढ़ के पानी के धीरे-धीरे घटने के बाद मुख्य ध्यान राहत कार्यों की बजाय पुनर्निर्माण में बदलना शुरू हो गया है।

प्रमुख बिंदु

  • गंभीर श्रेणी की आपदा के बाद केरल में कम समय में पुनर्निर्माण का कार्य करना एक चुनौती भरा कदम है।
  • इसकी गंभीरता का अनुमान इन आँकड़ों से लगाया जा सकता है कि केरल में अब 10,000 किमी. सड़कों के साथ-साथ 100,000 घरों का पुनर्निर्माण किये जाने आवश्यकता होगी।
  • केरल में चल रहे राहत कार्यों को देश-भर से समर्थन मिला है। साथ ही इस संदर्भ में केरल सरकार ने केंद्र सरकार से पुनर्निर्माण हेतु 2,600 करोड़ रुपए की मांग की है।
  • इसके अलावा, राज्य सरकार ने नई दिल्ली से बॉण्ड मार्केट से उधार ली जाने वाली राशि को बढ़ाने के लिये भी कहा है और इस मांग का केंद्र सरकार ने समर्थन भी किया है।
  • उल्लेखनीय है कि राज्य सरकारों ने वित्तीय कानूनों पर हस्ताक्षर किये हैं जो राजकोषीय घाटे के लक्ष्यों के आधार पर उधार ले सकते हैं।
  • दुनिया भर में इस तरह के वित्तीय कानूनों में लचीलापन है जो विशेष परिस्थितियों जैसे-तेज़ी- मंदी या युद्ध अथवा प्राकृतिक आपदाओं के मामले में उधार सीमा को बढ़ाने की अनुमति देतें हैं।
  • केरल और कुछ हद तक कर्नाटक ने इन गंभीर प्राकृतिक आपदाओं का सामना किया है, अतः इन राज्यों की वित्तीय बाधाओं को दूर करने के लिये उचित तरीकों को अपनाने की दी जानी चाहिये।

मुद्रा बाज़ार और वित्त बाज़ारों की भूमिका

  • भारतीय रिज़र्व बैंक विशेष तरीकों और अग्रिम (डब्लूएमए) विंडो के माध्यम से तत्काल तरलता समर्थन भी प्रदान कर सकता है।
  • इसके साथ ही पुनर्निर्माण की लागत को कम करने का एक संभावित तरीका ब्याज दरों पर विशेष बॉण्ड जारी करना हो सकता है, जो मार्केट बॉण्ड की तुलना में कम व्याज दर पर हो।
  • यह एक ऐसे बॉण्ड की संरचना करेगा जहाँ उधार पर ब्याज लागत तीन इकाइयों द्वारा साझा किया जा सकता है, जिसमें केंद्र सरकार करों को छोड़ सकती है; केरल डायस्पोरा समेत दुनिया भर के व्यक्ति, कम ब्याज दरों को स्वीकार कर सकते हैं; और राज्य सरकार पर ब्याज दर आरोपित किया जा सकता है, जो एक-तिहाई भुगतान करेगी अन्यथा निवेशकों को भुगतान करना होगा।
  • इसमें कोई संदेह नहीं है कि ऐसे बॉण्ड का इस्तेमाल केवल विशेष परिस्थितियों में ही किया जाना चाहिये।
  • देश में भविष्य के ऐसे किसी मामले, विशेष रूप से जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में वित्तीय बाज़ारों की संभावित भूमिका हो सकती है।
  • भारत में आपदा बॉण्डस (Catastrophe bonds)  बाज़ार होना चाहिये जो लोगों को अत्यधिक जोखिम वाली आपदाओं के खिलाफ बीमा सुरक्षा की गारंटी डे सके।
  • ये बॉण्ड आपदा के एवज़ में जोखिम सुरक्षा मुहैया कराएंगे साथ ही उच्च व्याज दर के बावजूद इच्छुक निवेशकों को आकर्षित करेंगे ।
  • उल्लेखनीय है कि आपदा बॉण्डस का महत्त्व दुनिया भर में बढ़ रहा है और खासकर मेक्सिको में अधिक लोकप्रिय है और हाल ही में यहाँ विश्व बैंक के समर्थन से वर्ष 2017 में आपदा बॉण्डस जारी किये गए थे।
  • हालाँकि, केरल में पुनर्निर्माण कार्य किये जाने में अभी काफी समय लगेगा किंतु बाढ़ ने राज्य सरकार को इसके बुनियादी ढाँचे के बारे में सोचने का अवसर प्रदान किया है।

चीन से भारतीय साइटों पर किये गए सर्वाधिक साइबर हमले

संदर्भ

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत एक विभाग द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय (National Security Council Secretariat - NSCS) और अन्य सुरक्षा एजेंसियों को भेजी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि आधिकारिक भारतीय वेबसाइटों पर अधिकांश साइबर हमले चीन, अमेरिका और रूस द्वारा किये गए हैं।

प्रमुख बिंदु

  • भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम (CERT-In) द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट में अप्रैल-जून 2018 में हुए साइबर हमलों के बारे में सूचना दी गई है। 
  • इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत कि आधिकारिक वेबसाइटों पर सबसे अधिक साइबर हमले चीन द्वारा किये गए। उल्लेखनीय है कि चीन द्वारा किये गए साइबर हमले भारत में साइबर हमलों की कुल संख्या का 35% हैं।
  • चीन के बाद भारत पर सर्वाधिक साइबर हमला करने वालों में अमेरिका (17%), रूस (15%), पाकिस्तान (9%), कनाडा (7%) और जर्मनी (5%) शामिल हैं।
  • साथ ही, इस रिपोर्ट में पाकिस्तान द्वारा जर्मन और कनाडाई साइबर स्पेस का उपयोग कर भारतीय साइबर स्पेस में घुसपैठ करने और दुर्भावनापूर्ण गतिविधियों को बढ़ावा देने की संभावना भी व्यक्त की गई है।
  • इस रिपोर्ट में दुर्भावनापूर्ण गतिविधियों से प्रभावित कई संस्थानों की पहचान की गई है और उन्हें उचित निवारक कार्रवाई करने की सलाह दी गई है।

साइबर हमलों से सर्वाधिक प्रभावित होने वाले संस्थान

  • इन गतिविधियों से प्रभावित संस्थानों में तेल और प्राकृतिक गैस निगम (Oil and Natural Gas Corporation -ONGC), राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (National Informatics Centre- NIC), भारतीय रेलवे खानपान और पर्यटन निगम (Indian Railway Catering and Tourism Corporation -IRCTC), रेलवे, रेलवे सूचना प्रणाली केंद्र (Centre for Railway Information Systems- CRIS) और पंजाब नेशनल बैंक, ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया जैसे कुछ बैंक तथा राज्य डेटा केंद्र विशेष रूप से महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और कर्नाटक शामिल हैं। 

भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम (CERT-In)

  • भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम, सर्ट-इन (Indian Computer Emergency Response Team- CERT-In) सरकार द्वारा आदेशित (Government-Mandated) एक सूचना प्रौद्योगिकी सुरक्षा संगठन है।
  • इसका गठन वर्ष 2004 में भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी विभाग (Indian Department of Information Technology) द्वारा किया गया था। इसका संचालन भी इसी के द्वारा किया जाता है।

उद्देश्य

सर्ट-इन के कुछ मुख्य उद्देश्य इस प्रकार हैं –

  • कंप्यूटर की सुरक्षा से जुड़ी घटनाओं के संदर्भ में कार्यवाही करना।
  • कमज़ोरियों के विषय में रिपोर्ट करना।
  • देश भर में आई.टी. सुरक्षा के संबंध में प्रभावी कार्यों को बढ़ावा देना।
  • ध्यातव्य है कि सूचना प्रौद्योगिकी संशोधन अधिनियम (Information Technology Amendment Act) के प्रावधानों के अनुसार, इस अधिनियम में वर्णित प्रावधानों की देख-रेख संबंधी ज़िम्मेदारी सर्ट-इन की है।

प्रीलिम्स फैक्ट्स: 23 अगस्त, 2018

कुलदीप नैयर

हाल ही में अनुभवी पत्रकार कुलदीप नैयर का 95 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। 

  • कुलदीप नैयर का जन्म सियालकोट (पकिस्तान) में हुआ था।
  • वह ऐसे पहले पत्रकार थे, जिन्हें आपातकाल की घोषणा के बाद जेल में रखा गया था।
  • वह भारत और पाकिस्तान के बीच शांतिपूर्ण संबंधों में गहरी दिलचस्पी रखते थे।
  • अपनी आत्मकथा ‘बियॉन्ड द लाइंस’ में, उन्होंने पाकिस्तान के परमाणु वैज्ञानिक अब्दुल कादीर खान के साथ अपने साक्षात्कार के बारे में लिखा, जिससे पता चला कि पाकिस्तान के पास परमाणु उपकरण हैं, इससे पहले इस बात का केवल अनुमान लगाया जाता था।
  • एक पत्रकार के रूप में, उन्होंने राज्य द्वारा मानवाधिकार उल्लंघन के बारे में विस्तार से लिखा।
  • वह यूनाइटेड किंगडम में भारत के उच्चायुक्त भी रहे तथा राज्यसभा के सदस्य के रूप में भी मनोनीत किये गए थे।
  • 1999 में उन्हें नॉर्थवेस्ट यूनिवर्सिटी ने अल्यूमिनी मेरिट अवॉर्ड से सम्मानित किया था। 
  • साल 2003 में कुलदीप नैयर को एस्टर अवॉर्ड फॉर प्रेस फ्रीडम और साल 2007 में शहीद नियोगी लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से सम्मानित किया गया।
  • उन्होंने लगभग 15 किताबें लिखी जिनमें ‘बियॉन्ड द लाइंस: एन ऑटोबायोग्राफी’, ‘इंडिया आफ्टर नेहरू’, ‘विदाउट फीयर: द लाइफ एंड ट्रायल ऑफ भगत सिंह’, ‘डिस्टेंट नेबर्स: अ टेल ऑफ द सबकॉन्टिनेंट’, ‘वॉल ऐट वाघा – इंडिया पाकिस्तान रिलेशंस’, ‘सप्रेशन ऑफ जज़ेस’, ‘द जजमेंट: इनसाइड स्टोरी ऑफ इमरजेंसी इन इंडिया’, और ‘इमरजेंसी रिटोल्ड’ प्रमुख थीं।

कौसर (Kowsar) लड़ाकू विमान

  • हाल ही में ईरान ने अपने पहले स्वदेशी लड़ाकू विमान 'कौसर' का अनावरण किया। 
  • चौथी पीढ़ी के इस लड़ाकू विमान का निर्माण केवल देश की रक्षा और शांति बनाए रखने के उद्देश्य से किया गया है।
  • यह लड़ाकू विमान अत्याधुनिक इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम और बहुउद्देशीय रडार से लैस है।

राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन (NMM)

सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग द्वारा राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन (NMM) के तहत पांडुलिपियों को सर्वसुलभ बनाने के लिये एक एप विकसित किया जा रहा है जिसके माध्यम से देश भर से एकत्रित तीन लाख पांडुलिपियां ऑनलाइन उपलब्ध हो सकेंगी होंगी।

  • इससे पहले Indira Gandhi National Centre for the Arts (IGNCA) ने भारत संस्कृति के विभिन्न पहलुओं जैसे संगीत, आयुर्वेद और मौखिक लोक परंपराओं पर ऑनलाइन ऑडियो और विडियो सामग्री उपलब्ध कराने की  भी शुरुआत की थी।

मिशन के बारे में

  • पर्यटन एवं संस्‍कृति मंत्रालय, भारत सरकार ने एक महत्त्वाकांक्षी परियोजना के रूप में फरवरी 2003 में राष्‍ट्रीय पांडुलिपि मिशन की स्‍थापना की, जिसका विशिष्‍ट उद्देश्‍य भारत की पांडुलिपियों के ज्ञान तत्‍व का पता लगाना, प्रलेखन करना, संरक्षण करना और प्रसार करना था। 
  • अपने कार्यक्रम और अधिदेश में यह मिशन एक अनूठी परियोजना है तथा यह भारत की विशाल पांडुलिपि संपदा की खोज करने एवं इसे परिरक्षित करने में जुटा है। 
  • उल्लेखनीय है कि भारत में अनुमान के तौर पर पाँच मिलियन पांडुलिपियाँ हैं जो संभवतः विश्‍व का सबसे बड़ा संग्रह है।
  • देश के सभी राज्‍यों में विशेष रूप से अभिचिह्नित पांडुलिपि संसाधन केंद्रों और पांडुलिपि संरक्षण केंद्रों के साथ कार्य करते हुए यह मिशन विश्‍वविद्यालयों और पुस्‍तकालयों से लेकर विभिन्‍न स्‍थानों जैसे- मंदिरों, मठों, मदरसों, विहारों और निजी संग्रहों में रखी पांडुलिपियों के आँकड़ों के संग्रहण का कार्य करता है।

निजी केमिस्ट को ऑक्सीटॉसिन की बिक्री की अनुमति

हाल ही में केंद्र सरकार ने निजी खुदरा रसायनविदों अर्थात प्राइवेट केमिस्टों को 1 सितंबर से ऑक्सीटॉसिन बेचने की अनुमति दे दी है।

  • ध्यातव्य है कि 27 अप्रैल, 2018 को जारी एक अधिसूचना में कहा गया था कि 1 जुलाई से प्राइवेट केमिस्ट ऑक्सीटॉसिन की बिक्री नहीं कर सकेंगे। परंतु, ऑक्सीटॉसिन की आपूर्ति में आ रही कमी को ध्यान में रखते हुए सरकार ने इस प्रतिबंध के कार्यान्वयन की तारीख को 1 सितंबर तक के लिये स्थगित कर दिया था।

ऑक्सीटॉसिन 

  • ऑक्सीटॉसिन एक हार्मोन है जो मस्तिष्क में अवस्थित पिट्यूटरी ग्रंथि से स्रावित होता है।
  • मनुष्य के व्यवहार पर पड़ने वाले प्रभाव के कारण ऑक्सीटॉसिन को ‘Love हार्मोन’ व ‘Joy हार्मोन’ आदि नामों से भी जाना जाता है।
  • गर्भवती महिलाओं में प्रसवोत्तर रक्तस्राव (postpartum haemorrhage -PPH) की रोकथाम और इलाज के लिये ऑक्सीटॉसिन दी जाती है, विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा प्रदत्त जानकरी के अनुसार यह दुनिया भर में मातृ मृत्यु दर का प्रमुख कारण होती है।
  • डब्ल्यूएचओ के अनुसार, दुनिया भर में मातृ मृत्यु के लगभग 35 प्रतिशत के लिये यही PPH ज़िम्मेदार होता है। 

एंटी निकोटीन उत्पादों पर GST

हाल ही में सरकार द्वारा एंटी निकोटीन उत्पादों पर 18% GST लगाने की घोषणा की गई है। उल्लेखनीय है कि जहाँ एक ओर सिगरेट पर 28 प्रतिशत का “सिन टैक्स” अधिरोपित किया जाता है, वहीं दूसरी ओर NRT पर 18 प्रतिशत के कर का भार डाला गया है। 

  • सभी NRT (Nicotine Replacement Therapy) उत्पादों में निकोटीन पैच, लोज़ेंजेस, और मौखिक स्ट्रिप्स के साथ-साथ निकोटीन गम सबसे लोकप्रिय है। 
  • GST के अनुपालन से पहले इन उत्पादों पर कुल 11.3 प्रतिशत का का भार था, जिसमें 6 प्रतिशत केंद्रीय उत्पाद शुल्क और 5.3 प्रतिशत वैट (Value-added Tax - VAT) भी शामिल था।
  • इस संबंध में विशेषज्ञों का मानना ​​है कि अगर GST को 5 प्रतिशत तक कम दिया जाता है, तो इसकी कीमतों में 7 फीसदी तक की कमी होने की संभावना है।