डेली न्यूज़ (23 Feb, 2019)



भारत में कोयला बिजली संयंत्रों की स्थिति

चर्चा में क्यों?

हाल ही में स्विट्ज़रलैंड में उपस्थित ईटीएच ज़यूरिख (ETH Zurich in Switzerland) के पर्यावरण इंजीनियरिंग संस्थान द्वारा किये गए वैश्विक उत्सर्जन हॉटस्पॉट्स (Global Emission Hotspots) के अध्ययन में यह बात सामने आई है कि भारत में कोयले से चलने वाले विजली संयंत्रों (Coal-Fired Power Plants) पर दुनिया भर में सबसे ज़्यादा टोल (Toll) लिया जाता है जबकि बिजली उत्पादन के क्षेत्र में सबसे बड़े दो देश चीन और अमेरिका हैं।

  • शोधकर्त्ताओं ने बताया कि कोयला संयंत्र आधारित बिजली उत्पादन वैश्विक स्तर पर ग्रीनहाउस गैस (GHG) और विषैले गैस उत्सर्जन का एक प्रमुख कारण है।

कोयला जलाने के दुष्प्रभाव

  • कोयला के जलने से कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) का उसर्जन होता है, जो ग्लोबल वार्मिंग में योगदान देता है। साथ ही कोयले के जलने से पार्टिकुलेट मैटर (Particulate Matter), सल्फर डाइऑक्साइड (SO2), नाइट्रोजन ऑक्साइड (NO) और पारा (Hg) का भी उत्सर्जन होता है, जिसका दुष्प्रभाव लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ता है।
  • इस क्षेत्र में तत्काल कार्यवाही करने के लिये शोधकर्त्ताओं ने दुनिया के 7,861 बिजली संयंत्र इकाइयों में से प्रत्येक के लिये कोयला संयंत्र आधारित बिजली के अवांछित दुष्प्रभावों की गणना की।
  • नेचर सस्टेनेबिलिटी (Nature Sustainability) नामक पत्रिका में प्रकाशित लेख दर्शाते हैं कि चीन और अमेरिका कोयला ऊर्जा के दो सबसे बड़े उत्पादक देश हैं, लेकिन सबसे ज़्यादा भारत के बिजली संयंत्र स्वास्थ्य पर बुरा असर डालते हैं।
  • ETH ज़यूरिख के पर्यावरण इंजीनियरिंग संस्थान द्वारा किये गए अध्ययन में यह बात सामने आई है कि मध्य यूरोप, उत्तरी अमेरिका और चीन सभी में आधुनिक बिजली संयंत्र हैं, लेकिन पूर्वी यूरोप, रूस और भारत में अभी भी कई पुराने संयंत्र हैं जिनसे असुरक्षित रूप से बिजली का उत्पादन किया जा रहा है।
  • फलस्वरूप पुराने बिजली संयंत्र प्रदूषकों के केवल कुछ अंश को हटाते हैं, क्योंकि यहाँ पर ज़्यादातर निम्न गुणवत्ता वाले कोयले का उपयोग किया जाता है।
  • शोधकर्त्ताओं द्वारा ऐसे बिजली संयंत्रों को जल्द-से-जल्द बंद किये करने तथा कोयला संयंत्र आधारित बिजली उत्पादन के नकारात्मक स्वास्थ्य प्रभावों को कम करने को इसे वैश्विक प्राथमिकता में रखने की बात कही गई है।
  • वर्तमान में बढ़ते औद्योगिकीकरण के दौर में विशेष रूप से चीन और भारत में इन संयंत्रों के बंद करने की बजाय इनका उपयोग बढ़ने का खतरा है।
  • कोयला बिजली संयंत्र के निर्माण के लिये प्रारंभिक निवेश लागत अधिक होती है, लेकिन बाद में परिचालन लागत कम होती है। विजली संयंत्र संचालकों का अपने संयंत्रों को लंबे समय तक चलाने पर ही आर्थिक लाभ प्राप्त होता है।

स्रोत – द हिंदू (बिज़नेस लाइन)


भारत लॉन्च करेगा खुद का DNS

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत सरकार ने तेज़ और सुरक्षित ब्राउज़िंग सुविधा प्रदान करने हेतु इंटरनेट उपयोगकर्त्ताओं के लिये एक सार्वजनिक डोमेन नेम सर्वर (Domain Name Server-DNS) लॉन्च करने का प्रस्ताव दिया है। गौरतलब है कि इस कदम से देश में इंटरनेट उपयोगकर्त्ताओं को अपना डेटा स्थानीय स्तर पर संग्रहीत करने की सुविधा मिल सकेगी।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • सार्वजनिक डोमेन नेम सर्वर लाने का मुख्य उद्देश्य उन इंटरनेट सेवा प्रदाताओं (Interest Service Providers-ISP) के लिये डोमेन नेम सर्वर की उपलब्धता सुनिश्चित करना है जिनके पास विश्वसनीय डोमेन नेम सर्वर नहीं है। ध्यातव्य है कि छोटे इंटरनेट सेवा प्रदाताओं के पास आमतौर पर अपना विश्वसनीय सर्वर नहीं होता है।
  • सार्वजनिक डोमेन नेम सर्वर का कार्य राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (सरकार की प्रौद्योगिकी शाखा) द्वारा निष्पादित किया जाएगा जो अगले चार से छह महीनों में पूरा हो जाएगा। राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (National Informatics Center-NIC) पहले से ही सरकारी नेटवर्क के भीतर सार्वजनिक DNS का उपयोग कर रहा है।
  • यह प्रणाली वेबसाइट में घुसपैठ और मालवेयर के प्रसार तथा मैलीसियस वेबसाइटों तक उपयोगकर्त्ताओं की पहुँच को रोकेगी।

‘डोमेन नेम’ क्या होता है?

  • डिजिटल युक्त इस दुनिया में आज इंटरनेट पर करोड़ों की संख्या में वेबसाइट्स मौज़ूद हैं। इन सभी वेबसाइट्स का अपना अद्वितीय नाम होता है जिसे डोमेन नेम कहते हैं। इसी डोमेन नेम का उपयोग करते हुए इंटरनेट उपयोगकर्त्ता किसी वेबसाइट तक पहुँचता है।

dns

  • ICANN (Internet Corporation for Assigned Names and Numbers) दुनिया के सभी डोमेन नेम को प्रबंधित करता है। ICANN एक गैर-लाभकारी निकाय है जो अमेरिका के कैलिफ़ोर्निया में स्थित है।
  • ICANN डोमेन नेम विक्रेता कंपनियों (गोडैडी, बिग रॉक) को अधिकार प्रदान करता है।

‘डोमेन नेम सर्वर’ क्या होता है?

  • DNS इंटरनेट के लिये किसी निर्देशिका की तरह है। डोमेन नेम सर्वर को डोमेन नेम सिस्टम या संक्षिप्त में DNS भी कहा जाता है।
  • DNS का मुख्य कार्य डोमेन नेम (किसी वेबसाइट का वेब एड्रेस) को IP एड्रेस में परिवर्तित करना होता है।

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  • जब हम किसी भी डोमेन नेम (Domain Name) को वेब ब्राउज़र (गूगल क्रोम, सफारी, मोज़िला) में टाइप करते हैं तो DNS उसको IP एड्रेस में परिवर्तित कर देता है।
  • ध्यातव्य है कि ऐसा इसलिये किया जाता है क्योंकि हम IP एड्रेस (गणितीय संख्या) की तुलना में शब्दों को ज़्यादा आसानी से याद रख सकते है।
  • उदहारण के तौर पर जब हम https://www.drishtiias.com को ब्राउज़र में टाइप करते हैं तो DNS इसे 198.15.40.180 में या ऐसे ही किसी मान्य IP एड्रेस में परिवर्तित कर देता है। 198.15.40.180 की तुलना में drishtiias.com को याद रखना आसान है।

स्रोत- हिंदू


गीत गोविन्द

चर्चा में क्यों?

हाल ही में कोलकाता के विक्टोरिया मेमोरियल हॉल म्यूज़ियम में जयदेव द्वारा रचित ‘गीत गोविन्द’ की अठारहवीं सदी की प्रति प्रदर्शित की गई।

प्रमुख बिंदु

  • 21 फरवरी, 2019 को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर बांग्ला भाषा में हस्तलिखित गीत गोविन्द की पाण्डुलिपि (Manuscript) का प्रदर्शन किया गया।
  • माना जाता है कि यह बांग्ला भाषा की सबसे पुरानी हस्तलिखित पाण्डुलिपियों में से एक है।
  • कवि जयदेव द्वारा रचित पांडुलिपियों को प्रिंस हॉल में ‘ऑब्जेक्ट ऑफ़ द मंथ’ के रूप में प्रदर्शित किया जा रहा है।
  • पाण्डुलिपि की प्रासंगिकता और सामयिकता की तरफ ध्यान दिलाते हुए म्यूज़ियम के सेक्रेटरी ने बताया कि रचना की भाषा संस्कृत है किंतु स्क्रिप्ट बांग्ला में है।
  • मध्य युगीन अन्य रचनाओं की तरह इस रचना का भी शताब्दियों तक कई भाषाओँ में अनुवाद किया गया।
  • ये पांडुलिपियाँ प्रिंटिंग प्रेस के अविष्कार से काफी पहले लिखी गई हैं।

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विक्टोरिया मेमोरियल हाल म्यूज़ियम में प्रदर्शित पांडुलिपियाँ

अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस

  • ज्ञातव्य है कि हर वर्ष 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस (International Mother Language Day) का आयोजन किया जाता है।
  • इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य दुनिया भर में भाषायी और सांस्कृतिक विविधता तथा बहुभाषिता का प्रसार करना है।
  • 1952 में भाषा आंदोलन के दौरान अपनी मातृभाषा के लिये शहीद हुए युवाओं की स्मृति में यूनेस्को ने 1999 में 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी।
  • संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2000 में पहली बार अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस आयोजित किया था। इस वर्ष की थीम “Indigenous Languages as a Factor in Development, Peace and Reconciliation” रखी गई है।

स्रोत – द हिन्द


गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को सहूलियत

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा पहली बार गैर-बैंकिंग उधारदाताओं को उनके कार्य संचालन में सहूलियत देने के लिये महत्त्वपूर्ण निर्णय लिये गए।

  • केंद्रीय बैंक द्वारा अपनी वर्तमान त्रिस्तरीय संरचना में परिवर्तन करके इन कंपनियों को एकल श्रेणी प्रदान की गई।
  • साथ ही केंद्रीय बैंक ने यह भी निर्णय लिया है कि कोर निवेश कंपनियों को छोड़कर सभी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (Non Banking Financial Company-NBFC) का उनके क्रेडिट रेटिंग के अनुसार भारित जोखिम का भी खुलासा किया जाएगा।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा लिये गए दोनों निर्णयों की घोषणा पहली बार अंतिम द्विमासिक समीक्षा में मौद्रिक नीति की विकास और विनियामक नीतियों पर दिये गए अपने बयान के तहत की गई थी।
  • इस अधिसूचना में कहा गया है कि NBFC के परिचालन को अधिक लचीलापन प्रदान करने के लिये इनकी संस्था को नियमन के बजाय गतिविधि सिद्धांत के आधार पर तैयार किया जाएगा।
  • एसेट फाइनेंस कंपनियों, ऋणदाता कंपनियों और निवेशक कंपनियों को एक साथ मिलाकर ‘गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की निवेश और क्रेडिट कंपनी’ (NBFC-ICCs) के नाम से एक नई श्रेणी प्रदान की गई है।

गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी
Non Banking Financial Company

  • गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी उस संस्था को कहते हैं जो कंपनी अधिनियम 1956 के अंतर्गत पंजीकृत है और जिसका मुख्य काम उधार देना तथा विभिन्न प्रकार के शेयरों, प्रतिभूतियों, बीमा कारोबार तथा चिटफंड से संबंधित कार्यों में निवेश करना है।
  • गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ भारतीय वित्तीय प्रणाली में महत्त्वपूर्ण स्थान रखती हैं। यह संस्‍थाओं का विजातीय समूह है (वाणिज्यिक सहकारी बैंकों को छोड़कर) जो विभिन्‍न तरीकों से वित्तीय मध्‍यस्‍थता का कार्य करता है जैसे -
  • जमा स्‍वीकार करना।
  • ऋण और अग्रिम देना।
  • प्रत्‍यक्ष अथवा अप्रत्‍यक्ष रूप में निधियाँ जुटाना।
  • अंतिम व्यय कर्त्ता को उधार देना।
  • थोक और खुदरा व्यापारियों तथा लघु उद्योगों को अग्रिम ऋण देना।

स्रोत – द हिंदू, इकोनॉमिक टाइम्स


राष्‍ट्रपति ने चार अध्यादेशों को मंज़ूरी दी

चर्चा में क्यों?

हाल ही में राष्‍ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद द्वारा चार महत्त्वपूर्ण अध्‍यादेशों को मंज़ूरी प्रदान की गई। इनमें से कुछ अध्यादेशों को दूसरी बार लागू किया गया है।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

राष्ट्रपति की मंज़ूरी प्राप्त अध्यादेश निम्नलिखित है -

  • मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) दूसरा अध्यादेश, 2019 [The Muslim Women (Protection of Rights on Marriage) Second Ordinance, 2019]
  • भारतीय चिकित्सा परिषद (संशोधन) दूसरा अध्यादेश, 2019 [The Indian Medical Council (Amendment) Second Ordinance, 2019]
  • कंपनी (संशोधन) दूसरा अध्यादेश, 2019 [The Companies (Amendment) Second Ordinance, 2019]
  • अनियमित जमा योजनाओं पर प्रतिबंध से संबंधित अध्यादेश, 2019 [The Banning of Unregulated Deposit Schemes Ordinance, 2019]

भारतीय चिकित्सा परिषद (संशोधन) दूसरा अध्यादेश, 2019 [The Indian Medical Council (Amendment) Second Ordinance, 2019]

  • यह अध्यादेश पूर्व में जारी अध्यादेश के प्रावधानों के अनुरूप संचालक मंडल (Board of Governors-BOG) द्वारा शुरू किये गए कार्यों को जारी रखने के लिये दूसरी बार लागू किया गया है।
  • यह अध्यादेश पूर्व में जारी अध्यादेश के प्रावधानों के तहत किये गए कार्यों को मान्यता देने एवं कार्यों को आगे भी जारी रखने को सुनिश्चित करता है।
  • भारतीय चिकित्सा परिषद के निवर्तन के बाद गठित संचालक मंडल को दो वर्षों तक या परिषद के दोबारा गठन तक जो भी पहले हो, उसके सभी अधिकारों का इस्‍तेमाल करने का अधिकार देता है।
  • इस अध्यादेश का मुख्य उद्देश्‍य देश में चिकित्सा शिक्षा को ज़्यादा पारदर्शी, गुणवत्‍ता युक्‍त और जवाबदेह बनाना है।

कंपनी (संशोधन) दूसरा अध्यादेश, 2019 [The Companies (Amendment) Second Ordinance, 2019]

  • इस अध्यादेश को कानून का पालन करने वाली कंपनियों को कारोबारी सुगमता का माहौल प्रदान करने तथा कंपनी कानून अधिनियम 2013 (Companies Act, 2013) की कॉर्पोरेट गवर्नेंस और नियमों के अनुपालन की व्‍यवस्‍था को और सख्‍त बनाने के लिये दूसरी बार लागू किया गया है।
  • इसमें कानून का पालन करने वाली कंपनियों के लिये प्रोत्साहन तथा उल्लंघन करने पर कठोर सज़ा का प्रावधान है।
  • इसके माध्‍यम से केंद्र सरकार को वित्‍तीय कारोबार से जुड़ी कुछ कंपनियों को ट्रिब्यूनल द्वारा तय किये गए वित्‍त वर्ष की बजाय भिन्न-भिन्न वित्‍त वर्ष चुनने की अनुमति का अधिकार दिया गया है।
  • इसमें तकनीकी तथा प्रक्रिया संबंधी छोटी गलतियों के लिये सिविल सज़ा (Civil Liability) का प्रावधान है। इससे कॉर्पोरेट प्रशासन तथा अनुपालन रूपरेखा के अंतर्गत बहुत सारे मामलों में कमियों को दूर किया जाएगा।

अनियमित जमा योजनाओं पर प्रतिबंध से संबंधित अध्यादेश, 2019 [The Banning of Unregulated Deposit Schemes Ordinance, 2019]

  • इस अध्यादेश को देश में अवैध रूप से धनराशि जमा करने वाली योजनाओं को रोकने के लिये केंद्र द्वारा सख्‍त काननू लाने के इरादे से लागू किया गया है।
  • अब तक गैर-बैंकिंग वित्‍तीय कंपनियाँ केंद्र और राज्‍य सरकारों द्वारा बनाए गए विभिन्न कानूनों के तहत आम जनता से पैसा एकत्र कर भाग जाती थी। ऐसे में नए अध्यादेश के जरिए इन कंपनियों पर प्रतिबंध लगाने की प्रभावी व्‍यवस्‍था की गई है।

मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) दूसरा अध्यादेश ,2019 [The Muslim Women (Protection of Rights on Marriage) Second Ordinance, 2019]

  • इस अध्यादेश को मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अध्यादेश, 2019 के प्रावधानों को बनाए रखने के लिये दूसरी बार लाया गया है।
  • इस अध्यादेश के ज़रिये तीन तलाक को अमान्‍य और गैर-कानूनी करार देते हुए इसे एक दंडनीय अपराध माना गया है, जिसके तहत तीन साल की सज़ा और जुर्माने का प्रावधान है।
  • यह अध्यादेश विवाहित मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा करेगा एवं उनके पतियों द्वारा दिये जाने वाले तात्कालिक एवं अपरिवर्तनीय ‘तलाक-ए-बिद्दत‘ के प्रचलन को रोकेगा।
  • प्रस्तावित अध्यादेश ऐसी मुस्लिम महिलाओं को आजीविका भत्ता, उनके नाबालिग बच्चों के संरक्षण का भी अधिकार प्रदान करेगा।

स्रोत – PIB


प्रधानमंत्री की दक्षिण कोरिया यात्रा

चर्चा में क्यों?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दक्षिण कोरिया के साथ भारत के सामरिक संबंधों को मजबूत करने हेतु दक्षिण कोरिया की दो दिवसीय यात्रा की। यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे-इन ने व्यापार, निवेश, रक्षा और सुरक्षा सहित कई मुद्दों पर द्वीपक्षीय सहयोग बढ़ाने पर बातचीत की।

  • प्रधानमंत्री मोदी की 2015 के बाद से कोरिया गणराज्य की यह दूसरी यात्रा है तथा दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति के साथ दूसरी शिखर बैठक है।

प्रमुख समझौते

  • दोनों देशों की कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच सहयोग बढ़ाने और सीमा पार और अंतर्राष्ट्रीय अपराधों से निपटने के लिये एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए।
  • राजकुमारी सुरीरत्ना (क्वीन हुर ह्वांग-ओक) जो कि अयोध्या की एक पौराणिक राजकुमारी थीं, 48AD में कोरिया चली गई थीं और वहाँ उन्होंने राजा किम-सुरो से विवाह कर लिया था, की याद में एक संयुक्त टिकट जारी करने हेतु समझौते पर हस्ताक्षर किये गए।
  • दोनों पक्षों ने कोरिया प्लस संगठन (Korea Plus Organisation) के संचालन को जारी रखने के लिये एक समझौते पर हस्ताक्षर किये जो भारत में कोरियाई कंपनियों को निवेश करने की सुविधा प्रदान करता है।
  • कोरिया प्लस का संचालन जून 2016 में किया गया था और इसमें दक्षिण कोरिया उद्योग, व्यापार तथा ऊर्जा मंत्रालय, कोरिया व्यापार निवेश एवं संवर्द्धन एजेंसी (Korea Trade Investment and Promotion Agency-KOTRA) और इन्वेस्ट इंडिया के प्रतिनिधि शामिल हैं।
  • दोनों देश स्टार्ट-अप के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देंगे और स्टार्ट-अप कंपनियों के विचारों, प्रौद्योगिकियों और डिज़ाइनों के व्यावसायीकरण के लिये भारत में एक कोरिया स्टार्ट-अप सेंटर (KSC) की स्थापना करेंगे।
  • कोरियाई ब्रॉडकास्टिंग सिस्टम (KBS) और प्रसार भारती ने दक्षिण कोरिया में डीडी इंडिया चैनल और भारत में KBS वर्ल्ड चैनल के प्रसारण की सुविधा देने पर सहमति व्यक्त की है।
  • भारत की सड़क और परिवहन अवसंरचना विकास परियोजनाओं में द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देने तथा सड़क और परिवहन के क्षेत्र में तकनीकी एवं संस्थागत ज्ञान विनिमय की सुविधा के लिये भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण और कोरिया एक्सप्रेस-वे कॉर्पोरेशन के बीच एक समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर किये गए।
  • दोनों पक्षों ने वर्ष 2010 से प्रभावी मुक्त व्यापार समझौता यानी व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता (सीपा) को बढ़ाने के लिये वार्ता को गति देने पर सहमति व्यक्त की है। सीपा के तहत बाज़ार उदारीकरण पर ज़ोर देने के लिये अब तक सात दौर की बातचीत हो चुकी है।
  • दोनों नेताओं ने वर्ष 2030 तक व्यापार को दोगुना कर इसे 50 अरब डॉलर तक के अपने साझा लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये सहयोग करने का भी आश्वासन दिया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सियोल शांति पुरस्कार

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कोरिया के दौरे के दूसरे दिन सियोल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। मोदी ने पुरस्कार में मिली 1.30 करोड़ की रकम को नमामि गंगे प्रोजेक्ट के लिये देने की घोषणा की।
  • यह पुरस्कार पाने वाले वह 14वें व्यक्ति हैं। पिछली बार यह पुरस्कार संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव कोफी अन्नान को दिया गया था।
  • यह पुरस्कार 1988 में सियोल ओलिंपिक के सफल आयोजन के बाद शुरू किया गया था।
  • जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल जैसी हस्तियाँ तथा डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स और ऑक्सफैम जैसे प्रसिद्ध अंतर्राष्ट्रीय राहत संगठन इस पुरस्कार को पाने वालों में शामिल हैं।

प्रधानमंत्री मोदी को क्यों दिया गया यह पुरस्कार?

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सियोल पुरस्कार समिति ने भारतीय और वैश्विक अर्थव्यवस्था के विकास में उनके योगदान को मान्यता देते हुए तथा अमीर और गरीब के बीच सामाजिक एवं आर्थिक विषमता को कम करने के लिये उनकी विशिष्ट आर्थिक नीतियाँ ‘मोदीनॉमिक्स’ को श्रेय देते हुए भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि, विश्व शांति, मानव विकास में सुधार और भारत में लोकतंत्र को मज़बूत करने के लिये उनके योगदान को देखते हुए सियोल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।

भारत-कोरिया संबंध

  • भारत और दक्षिण कोरिया के बीच व्यापारिक एवं आर्थिक संबंधों के अलावा सामरिक संबंधों में ऐसा बदलाव आया है जिसे ऐतिहासिक कहा जा सकता है।
  • दक्षिण कोरिया ने भारत को अपना ‘विशेष रणनीतिक साझेदार’ घोषित किया है, वहीं इस बीच उसने भारत का दर्जा बढ़ाते हुए उसे अपने उन पारंपरिक सहयोगियों की सूची में भी शामिल कर लिया जिनमें केवल रूस, चीन, जापान और अमेरिका जैसे कुछ चुनिंदा देश ही हैं।
  • भारत की एक्ट ईस्ट पालिसी और कोरिया की न्यू साउदर्न पालिसी का तालमेल  विशेष रणनीतिक भागीदारी (Special Strategic Partnership) को और अधिक गहराई तथा मज़बूती देने का सशक्त प्लेटफार्म प्रदान कर रहा है।
  • दोनों देशों ने अपने संबंधों में महत्त्वपूर्ण प्रगति की है। यह प्रगति और भविष्य में संबंधों का रोडमैप, नागरिक शांति और समृद्धि के साझा विज़न पर आधारित है।
  • दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश बढ़ रहा है। दोनों देशों ने 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ा कर 50 बिलियन डॉलर तक ले जाने के लक्ष्य के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताई है।
  • दोनों देश इंफ्रास्ट्रक्चर, पोर्ट डेवलपमेंट, मरीन और फ़ूड प्रोसेसिंग स्टार्ट-अप और स्माल एंड मीडियम इंटरप्राइजेज जैसे क्षेत्रों में अपना सहयोग बढ़ाने पर सहमत हैं।
  • दोनों देशों के बीच बढ़ती सामरिक साझेदारी में रक्षा क्षेत्र की अहम भूमिका है। इसका एक उदाहरण भारतीय थल सेना में K-9 "वज्र” आर्टिलरी गन के शामिल होने के रूप में देखा जा सकता है।

स्रोत : पी.आई.बी.


Rapid Fire करेंट अफेयर्स (23 February)

  • बेंगलुरु में चल रहे एयरो इंडिया 2019 में पहली बार नीति आयोग के अटल नवाचार मिशन और IIT मुम्बई के स्टार्ट-अप द्रोण एविएशन द्वारा मिलकर बनाए गए ATL ड्रोन मॉड्यूल को प्रदर्शित किया गया। अटल ड्रोन माड्यूल बनाने का उद्देश्य देश के युवा छात्र-छात्राओं को ड्रोन बनाने की कला सिखाना और इसके ज़रिये सामुदायिक स्तर पर कई समस्याओं का हल ढूंढना है। गौरतलब है कि चौथी औद्योगिक क्रांति के युग में भौतिकी, गणित, रसायन शास्त्र और संवेदी प्रौद्योगिकी की अवधारणा को एक साथ जोड़ने की सबसे विकसित प्रौद्योगिकी ड्रोन है। इसके इस्तेमाल से समस्याओं के समाधान के कई नए तरीके विकसित किये जा सकते हैं। द्रोण एविएशन देश में ड्रोन बनाने वाली पहली कंपनी है, जो ड्रोन बनाने के लिये नवाचार पर केंद्रित है। ज्ञातव्य है कि भारत में नवाचार और उद्यमशीलता की भावना को बढ़ावा देने के लिये नीति आयोग द्वारा तैयार किया गया अटल नवाचार मिशन भारत सरकार की प्रमुख पहल है। इसका उद्देश्य युवा पीढ़ी को डिज़ाइनिंग, समस्याओं के समाधान के तरीके खोजने और परस्पर सहयोग तथा गहन सोच जैसे 21वीं सदी के नए कौशल से सुसज्जित करना है।
  • केंद्र सरकार और जनता के बीच सुशासन के मॉडल को और मजबूत बनाने के उद्देश्य से गृह मंत्रालय ने पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो को एक अखिल भारतीय सर्वेक्षण करने की ज़िम्मेदारी सौंपी है। ‘ऑल इंडिया सिटीजंस सर्वे ऑफ पुलिस सर्विसेज़’ नामक यह सर्वेक्षण नई दिल्ली के National Council of Applied Economic Research द्वारा नौ महीनों में पूरा कर लिया जाएगा। इस सर्वेक्षण का उद्देश्य पुलिस के बारे में लोगों के विचारों और उनके रवैये को समझना है। इसके तहत यह देखा जाना है कि ऐसे अपराधों और घटनाओं की संख्या कितनी है, जिनकी रिपोर्ट पुलिस में दर्ज नहीं की जाती है। यह सर्वेक्षण मध्य मार्च 2019 में शुरू होगा और इसके दायरे में देश के 173 ज़िलों के 1.20 लाख घर शामिल किये जाएंगे। यह सर्वेक्षण NSSO (राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण संगठन) की रूपरेखा के अनुरूप होगा। सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को सर्वेक्षण में उचित प्रतिनिधित्व दिया जाएगा। गौरतलब है कि नागरिक केंद्रित पुलिस सेवाएँ प्रदान करने के संबंध में राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के प्रयासों को मजबूती देने के उद्देश्य से सरकार समय-समय पर अनेक कदम उठाती है। इसके लिये स्वतंत्र एजेंसियाँ जन-आकांक्षा संबंधी सर्वेक्षण के ज़रिये उपरोक्त प्रयासों का विश्लेषण करती हैं। ऐसे सर्वेक्षण दुनियाभर में किये जाते हैं।
  • अपनी हालिया दो दिवसीय दक्षिण कोरिया यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सियोल के योनसेई  विश्वविद्यालय में महात्मा गांधी की प्रतिमा का अनावरण किया। गौरतलब है कि विश्व के कई देशों में महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के अवसर पर बापू की प्रतिमाओं का अनावरण किया जा रहा है। योनसेई विश्वविद्यालय दक्षिण कोरिया के सर्वाधिक प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों में से एक है। दक्षिण कोरिया में महात्मा गांधी को विश्व शांति के प्रतीक के रूप में सम्मान दिया जाता है। इस अवसर पर दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे-इन, प्रथम महिला किम जूंग-सूक और संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव बान की-मून भी उपस्थित थे।
  • हाल ही में नई दिल्ली में एक गैर-सरकारी संगठन (NGO) द्वारा शिष्ट भारत अभियान का आयोजन किया गया। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम की थीम थी...स्कूलों और कॉलेजों में नैतिक विज्ञान शिक्षा के महत्व पर चर्चा करना और पाठ्यक्रम में नैतिक विज्ञान को एक विषय के रूप में शामिल करना। केंद्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह ने इस अभियान की शुरुआत करते हुए कहा कि इस तरह के अभियान जनता को रचनात्मक दिशा में ले जाते हैं और वरिष्ठ लोगों को अपने आचरण से युवा पीढ़ी के सामने उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिये, ताकि युवा अपनी पुरानी पीढ़ियों को देखकर स्वभाविक रूप से मूल्यों को प्राप्त कर सकें।
  • हाल ही में नई दिल्ली में ऊर्जा एवं पर्यावण: चुनौतियां और अवसर (ENCO 2019) सम्मेलन और प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। इसे वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद ने आयोजित किया था। इसका उद्घाटन करते हुए अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा कि आज के त्वरित प्रौद्योगिकीय उन्नति के दौर में ऊर्जा और पर्यावरण विकासशील देशों के लिये ही नहीं, बल्कि विकसित देशों के लिये भी चिंता के प्रमुख विषय हैं। वैश्विक रुझान दर्शाते हैं कि कोयला भारत सहित अधिकांश देशों के लिये ऊर्जा का प्रमुख स्रोत बना रहेगा, जबकि ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोत भी बढ़ते रहेंगे। भारत सभी नागरिकों को किफायती दाम पर बिजली उपलब्ध कराने के साथ ही उद्योग 4.0 (चौथी औद्योगिक क्रांति) के अनुरूप औद्योगिक राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन देने के लिये संकल्पबद्ध है। सम्मेलन में जीवाश्म ईंधनों के उपयोग और व्यावहारिक विकल्पों से संबंधित पर्यावरण के मामलों पर व्यवहार्य विचार पेश करने पर भी चर्चा हुई।
  • हाल ही में आठवें विश्व कॉर्पोरेट सोशल रेस्पोंसिबिलिटी सम्मेलन का आयोजन मुंबई में किया गया। इसके आयोजन की ज़िम्मेदारी वर्ल्ड कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी कांग्रेस (World CSR Congress) को सौंपी गई थी। यह संस्था उद्यमिता, सामाजिक ज़िम्मेदारी, स्थिरता और सामाजिक विकास को बढ़ावा देने का काम करती है। आठवें विश्व कॉर्पोरेट सोशल रेस्पोंसिबिलिटी सम्मेलन की थीम कॉर्पोरेट रणनीतियों, नवाचार और रणनीतिक गठजोड़ पर ध्यान केंद्रित करने के लिये सतत विकास लक्ष्य (SDG) रखी गई थी।
  • दक्षिण दिल्ली में एक वेस्ट टू वंडर पार्क बनाया गया है, जिसका उद्घाटन गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने किया। औद्योगिक एवं अन्य तरह के 150 टन कचरे का इस्तेमाल करके दिल्ली के सराय काले खां में यह थीम पार्क बनाया गया है। देश में अपनी तरह के इस पहले थीम पार्क में गीजा के महान पिरामिड (18 फुट), एफिल टॉवर (60 फुट), पीसा की झुकी हुई मीनार (25 फुट), रियो डी जेनेरियो का क्राइस्ट द रिडिमर (25 फुट), रोम का कोलोज़ियम (15 फुट) और न्यूयॉर्क की स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी (30 फुट) का निर्माण किया गया है। इस पार्क का निर्माण दक्षिणी दिल्ली नगर निगम (SDMC) ने कचरे का प्रसंस्करण करके शहर की सुंदरता बढ़ाने की पहल के रूप में किया है। पार्क में लगी प्रतिकृतियों का निर्माण ऑटोमोबाइल कचरे और पंखों, छड़ी, लोहे की चादरों, नट-बोल्ट, साइकिल और मोटरसाइकिल सहित कई अन्य तरह की धातुओं के कचरे से किया गया है। इस पार्क में आने वाले वयस्कों को 50 रुपए और 3-12 साल के बच्चों को 25 रुपए का टिकट लेना होगा। तीन साल से कम उम्र के बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों तथा नगर निगम के स्कूल के छात्रों के लिये प्रवेश नि:शुल्क है।
  • 20 फरवरी को दुनियाभर में विश्व सामाजिक न्याय दिवस का आयोजन किया गया। वर्तमान समय में भी कई तरह के भेदभाव कायम हैं, जो लोगों के बीच दूरी का कारण बन गए हैं। ऐसे भेदभावों के कारण लोगों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। लोगों के बीच व्याप्त असमानताओं को खत्म करने के प्रति समाज को जागरूक करने के लिये विश्व सामाजिक न्याय दिवस का आयोजन किया जाता है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, सामाजिक न्याय देशों के मध्य समृद्ध और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के लिये एक अंतर्निहित सिद्धांत है। सामाजिक न्याय का अर्थ है- लिंग, आयु, धर्म, अक्षमता तथा संस्कृति की भावना को भूलकर समान समाज की स्थापना करना। संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 2007 में इस दिवस को मनाने का एलान किया गया। इसके तहत वैश्विक सामाजिक न्याय विकास सम्मेलन आयोजित कराने तथा 24वें महासभा सत्र का आह्वान करने की घोषणा की गई।