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डेली न्यूज़

  • 22 Aug, 2018
  • 30 min read
शासन व्यवस्था

होम्योपैथी केंद्रीय परिषद (संशोधन) विधेयक, 2018

चर्चा में क्यों?

हाल ही में लोकसभा द्वारा होम्योपैथी केंद्रीय परिषद (संशोधन) विधेयक, 2018 पारित किया गया। इसके अंतर्गत होम्योपैथी केंद्रीय परिषद अधिनियम, 1973 में संशोधन करने का प्रावधान किया गया है।

विधेयक के प्रमुख प्रावधान

  • होम्योपैथी केंद्रीय परिषद (संशोधन) अधिनियम, 2018 के लागू होने के एक वर्ष के भीतर केंद्रीय परिषद को पुनर्गठित किया जाएगा और केंद्रीय परिषद के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष तथा अन्य सदस्यों के पद रिक्त हो जाएंगे।
  • केंद्रीय सरकार द्वारा शासी बोर्ड का गठन किया जाएगा जिसमें अधिकतम सात सदस्य होंगे, जो होम्योपैथी तथा होम्योपैथी शिक्षा के क्षेत्र में ख्याति-प्राप्त और सत्यनिष्ठा वाले होंगे ये केंद्रीय सरकार द्वारा नामनिर्दिष्ट या उसके द्वारा नियुक्त किये जाने वाले पदेन सदस्य होंगे जिनमें से एक का चयन केंद्रीय सरकार द्वारा शासी बोर्ड के सभापति के रूप में किया जाएगा।
  • शासी बोर्ड का सभापति और अन्य सदस्य केंद्रीय सरकार के प्रसाद पर्यंत अपना पद धारण करेंगे।
  • सभी होम्योपैथी चिकित्सा महाविद्यालयों द्वारा केंद्रीय सरकार की पूर्व अनुज्ञा अभिप्राप्त करने के लिये उपबंध करना।
  • विधेयक पूर्वोक्त उद्देश्यों की प्राप्ति के लिये है।

संशोधन की आवश्यकता क्यों है?

  • परिषद में गंभीर दुराचार के मामले सामने आए हैं जिसके परिणामस्वरूप चिकित्सा शिक्षा की क्वालिटी में गिरावट आई है। केंद्रीय सरकार ने परिषद के कार्यकरण को कारगर बनाने और परिषद के क्रियाकलापों में पारदर्शिता लाने के लिये विभिन्न कदम उठाए हैं। तथापि परिषद ने केंद्रीय सरकार की ऐसी सभी पहलों को बाधित किया है।
  • परिषद के बहुत से सदस्य अपनी पदावधि पूर्ण होने के बाद भी लंबे समय से परिषद में बने हुए हैं।
  • इसके अतिरिक्त परिषद के सभापति के विरुद्ध गंभीर कदाचार के कई आरोप भी सामने आए हैं जो कि पदावधि की समाप्ति के पश्चात् भी परिषद के सदस्य के तौर पर कार्य कर रहे थे, इसका मुख्य कारण यह है कि नए पदाधिकारी के चयन की प्रक्रिया समय पर पूरी नहीं की जा सकी।

पृष्ठभूमि

  • होम्योपैथी केंद्रीय परिषद अधिनियम, 1974 को होम्योपैथी केंद्रीय परिषद के गठन, होम्योपैथी रजिस्टर के रख-रखाव तथा उससे संबंधित विषयों के लिये अधिनियमित किया गया था।
  • वर्ष 2002 में होम्योपैथी केंद्रीय परिषद अधिनियम, 1973 को नए महाविद्यालय स्थापित करने और विद्यमान महाविद्यालयों में नए पाठ्यक्रम आरंभ करने या प्रवेश क्षमता बढाने हेतु संशोधित किया गया था।

शासन व्यवस्था

पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध से केंद्र का इनकार

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्र सरकार ने पटाखों पर राष्ट्र स्तरीय प्रतिबंध लगाने से इनकार कर दिया और दिवाली के दौरान प्रदूषण को रोकने के वैकल्पिक उपायों के रूप में प्रमुख शहरों में "हरित पटाखों" के उत्पादन, सामुदायिक रूप से पटाखे फोड़ने और श्रृंखला में पटाखों या लड़ियों के उत्पादन पर नियंत्रण का सुझाव दिया।

प्रमुख बिंदु

  • केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय को सुझाए गए अन्य सुझावों में कहा कि राज्य सरकारों द्वारा पूर्व निर्धारित जगहों पर भी पटाखे फोड़े जा सकते हैं।
  • सर्वोच्च न्यायालय आपातकालीन आधार पर प्रदूषण से निपटने के लिये किसी भी प्रकार के पटाखों और फुलझड़ियों के उपयोग, निर्माण, लाइसेंसिंग, बिक्री, पुनर्विक्रय या वितरण पर पूरी तरह से राष्ट्रव्यापी प्रतिबंध लगाने की मांग से संबंधित शिकायतों के एक समूह पर सुनवाई कर रहा था। 
  • पटाखा निर्माताओं ने अदालत से इस साल दिवाली का मौसम शुरू होने से पहले अगस्त में केंद्र द्वारा दिये गए सुझावों को गति देने का आग्रह किया।

केंद्र सरकार द्वारा दिये गए महत्त्वपूर्ण सुझाव

  • केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने प्रदूषण की समस्या से निपटने और दिवाली के दौरान प्रदूषण का मुकाबला करने के लिये अल्पकालिक उपायों को तैयार करने के तरीकों का सुझाव देते हुए सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पाँच पृष्ठ का एक शपथ-पत्र प्रस्तुत किया।
  • केंद्र सरकार ने दिवाली के दौरान प्रदूषण से निपटने के लिये वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR), राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (NEERI), पेट्रोलियम और विस्फोटक सुरक्षा संगठन (PESO), केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) जैसे संस्थानों को एक साथ मिलकर काम करने का सुझाव दिया।
  • सरकार ने कच्चे माल की निरूपण सुविधाओं (Raw Material Characterization Facilities-RMCF) की स्थापना का सुझाव दिया ताकि पटाखों में बिना जली सामग्री, आंशिक रूप से जली हुई सामग्री की उच्च मात्रा या गन पाउडर में खराब गुणवत्ता की कच्ची सामग्री की उपस्थिति की जाँच हो सके।
  • केंद्र सरकार ने ‘कम उत्सर्जन वाले पटाखे या उन्नत पटाखों’ का उपयोग करने का प्रस्ताव रखा। ये पटाखे "30-35% तक PM कमी के साथ निम्न ध्वनि व निम्न प्रकाश उत्सर्जक हैं और निम्न प्रदूषणकारी के रूप में अंतर्स्थाने (इन-सीटू) जल उत्पादन के दौरान नाइट्रोजन ऑक्साइड एवं सल्फर डाइऑक्साइड में महत्त्वपूर्ण कमी करते हैं तथा निम्न लागत वाले ऑक्सीडेंट्स के कारण कम लागत के हैं।"
  • सरकार ने कहा कि PESO से यह सुनिश्चित करने के लिये संपर्क किया जा सकता है कि पटाखों में स्वीकृत रसायनों और निर्धारित किये गए डेसीबल स्तरों का उपयोग किया जा रहा है या नहीं। PESO लिथियम, आर्सेनिक, एंटीमोनी, सीसा, पारा जैसे प्रतिबंधित पदार्थों के लिये परीक्षण शुरू कर सकता है।
  • CPCB और संबंधित राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड 14 दिनों (दिवाली से सात दिन पहले और दिवाली के सात दिन बाद तक) के लिये पटाखा फोड़ने के संबंध में सीपीसीबी द्वारा प्रस्तावित अल्पकालिक वायु गुणवत्ता परिवेश के विरुद्ध नियामक मानकों के अलावा एल्युमीनियम, बेरियम, आयरन के मानकों के लिये अपने शहरों में अल्पकालिक निगरानी करेंगे।

प्रौद्योगिकी

चंद्रयान -1 ने चंद्रमा पर पानी की पुष्टि करने में मदद की

चर्चा में क्यों?

हाल ही में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने यह पुष्टि की है कि 10 साल पहले भारत द्वारा शुरू किये गए मिशन चंद्रयान -1 (अंतरिक्ष यान) से प्राप्त आँकड़ों का उपयोग करते हुए वैज्ञानिकों ने चंद्रमा के ध्रुवीय क्षेत्रों के सबसे अंधकारमय और ठंडे हिस्सों में बर्फ जमी होने का पता लगाया है। वैज्ञानिकों द्वारा किया गया यह अध्ययन पीएनएएस (PNAS) नामक पत्रिका में प्रकाशित किया गया।

क्या कहा गया है अध्ययन में?

  • ‘पीएनएएस (PNAS)’ जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि चंद्रमा पर पाई गई यह बर्फ इधर-उधर बिखरी हुई है।
  • यह बर्फ ऐसे स्थान पर पाई गई है, जहाँ चंद्रमा के घूर्णन अक्ष के बहुत कम झुके होने के कारण सूर्य की रोशनी कभी नहीं पहुँचती। 
  • यहाँ का अधिकतम तापमान कभी -156 डिग्री सेल्सियस से अधिक नही हुआ। इससे पहले भी कई आकलनों में अप्रत्यक्ष रूप से चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर बर्फ की मौजूदगी की संभावना जताई गई थी।
  • दक्षिणी ध्रुव पर अधिकतर बर्फ लूनार क्रेटर्स के पास जमी हुई है। उत्तरी ध्रुव की बर्फ अधिक व्यापक तौर पर फैली हुई लेकिन अधिक बिखरी हुई भी है।

मून मिनरेलॉजी मैपर (Moon Mineralogy Mapper-M3) का किया गया अध्ययन

  • भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation -ISRO) द्वारा 2008 में प्रक्षेपित किये गए चंद्रयान-1 (अंतरिक्षयान) के साथ M3 उपकरण को भेजा गया था।
  • वैज्ञानिकों ने नासा के मून मिनरेलॉजी मैपर (एम3) से प्राप्त आँकड़ों का इस्तेमाल कर अध्ययन किया और इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि चंद्रमा की सतह पर जल हिम के रूप में मौजूद है। 
  • M3 उपकरण न केवल ऐसे डेटा को एकत्र करने में सक्षम है जो बर्फ के परावर्तक गुणों को प्रदर्शित करते हैं बल्कि यह अपने अणुओं को इन्फ्रारेड लाइट को अवशोषित करने के विशिष्ट तरीके को भी मापने में सक्षम है, इसलिये यह जल या वाष्प और ठोस बर्फ के बीच अंतर कर सका।

चंद्रयान -1

  • चंद्रयान-1 (भारत का प्रथम चंद्र मिशन) को 22 अक्तूबर, 2008 को प्रमोचित किया गया था।
  • इस अंतरिक्ष यान में भारत, संयुक्त राष्ट्र अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, स्वीडन और बुल्गारिया में निर्मित 11 वैज्ञानिक उपकरणों को भी लगाया गया था।
  • इस मिशन को दो सालों के लिये भेजा गया था लेकिन 29 अगस्त, 2009 को इसने अचानक रेडियो संपर्क खो दिया जिसके कुछ दिनों बाद ही इसरो ने आधिकारिक रूप से इस मिशन के ख़त्म होने की घोषणा कर दी थी।
  • वर्ष 2017 में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने इसे फिर से ढूँढ निकाला था। 

अध्ययन का महत्त्व

  • सतह पर पर्याप्त मात्रा में बर्फ के मौजूद होने से के संकेत आगे के अभियानों और यहाँ तक कि चंद्रमा पर रहने के लिये भी जल की उपलब्धता की संभावना को भी सुनिश्चित करते हैं।
  • यह बर्फ वहाँ कैसे आई, इसके बारे में और अधिक जानकारी तथा चंद्रमा के पर्यावरण को समझने में यह कैसे मददगार हो सकती है आदि कुछ ऐसे सवाल हैं जो आने वाले समय में नासा के विभिन्न अभियानों की दिशा तय करने में मदद करेंगे।

सामाजिक न्याय

यौन हिंसा पर शिकायतों को ट्रैक करने के लिये एनसीआरबी की बैठक

चर्चा में क्यों?

हाल ही में महिलाओं और बच्चों से जुड़े "यौन हिंसा" वीडियोज़ को रोकने के तरीकों की सिफारिशों पर चर्चा के लिये एक उच्चस्तरीय बैठक आयोजित की गई जिसकी अध्यक्षता गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने की ।

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) क्या है?

  • राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की स्थापना केंद्रीय गृह मंत्रालय के अंतर्गत वर्ष 1986 में की गई थी।
  • इसके गठन का मुख्य उद्देश्य भारतीय पुलिस द्वारा कानून व्यवस्था को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिये पुलिस तंत्र को सूचना प्प्रौद्योगिकी समाधान और आपराधिक गुप्त सूचनाएँ प्रदान कर समर्थ बनाना था।
  • NCRB नीति संबंधी मामलों और अनुसंधान हेतु अपराध, दुर्घटना, आत्महत्या और जेल संबंधी डेटा के प्रामाणिक स्रोत के लिये नोडल एजेंसी है।
  • NCRB ‘भारत में अपराध’, ‘दुर्घटनाओं में होने वाली मौतें और आत्महत्या’, ‘जेल सांख्यिकी’ और फिंगर प्रिंट्स पर 4 वार्षिक प्रकाशन जारी करता है।
  • बाल यौन शोषण से संबंधित मामलों की अंडर- रिपोर्टिंग के चलते वर्ष 2017 से NCRB ने बाल यौन शोषण से संबंधित आँकड़ों को भी एकत्रित करना प्रारंभ किया है।
  • NCRB को वर्ष 2016 में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा ‘डिजिटल इंडिया अवार्ड’ से भी सम्मानित किया गया था।
  • भारत में पुलिस बलों के कम्प्यूटरीकरण का कार्य 1971 में प्रारंभ हुआ।
  • NCRB ने वर्ष 1995 में CCIS (Crime and Criminals Information System), वर्ष 2004 में CIPA (Common Integrated Police Application) और अंतिम रूप में वर्ष 2009 में CCTNS प्रारंभ किया ।

बैठक में लिये गए फैसले

  • इस बैठक में गृह मंत्री के अलावा इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद,राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल तथा खुफिया ब्यूरो के निदेशक भी शामिल थे।
  • इस बैठक में फैसला लिया गया कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) प्राप्त शिकायतों की निगरानी के लिये नामित नोडल एजेंसी होगी जो सरकारी पोर्टल पर बाल अश्लीलता और यौन हिंसा संबंधी वीडियोज़ के रिकॉर्ड रखती है।
  • एनसीआरबी विभिन्न सेवा प्रदाताओं जैसे- फेसबुक, यूट्यूब और व्हाट्सएप के साथ समन्वय करेगा और उनसे ऐसे दुर्भावनापूर्ण वीडियो और सामग्री के प्रसार को रोकने करने के लिये कहेगा।
  • उल्लेखनीय है कि एनसीआरबी वर्तमान में केवल एक अपराध रिकॉर्ड एजेंसी है, इसलिये ऐसे वीडियो के खिलाफ कार्रवाई करने के लिये इसे सक्षम बनाने हेतु सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के तहत एक सरकारी अधिसूचना जारी की गई है।

जैव विविधता और पर्यावरण

संरक्षण को बढ़ावा देने के लिये काजीरंगा नेशनल पार्क का विभाजन

चर्चा में क्यों?

हाल ही में असम के पर्यावरण और वन विभाग ने काजीरंगा नेशनल पार्क को दो वन्यजीव खंडों में विभाजित करने की घोषणा की है। लंबे समय से प्रतीक्षित इस कदम का वन अधिकारियों और जनता द्वारा स्वागत किया गया है।

प्रमुख बिंदु

  • काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान को पूर्वी असम वन्य जीव खंड और विश्वनाथ वन्यजीव खंड में विभाजित किया गया है। उल्लेखनीय है कि ब्रह्मपुत्र नदी इन दोनों वन्य जीव खंडों को विभाजित करती है।
  • दो खंडों में विभाजित होने के बाद पूर्वोत्तर क्षेत्र में असम के कुल वन क्षेत्र में 160 किमी. की वृद्धि हो जाएगी। इस प्रकार काजीरंगा नेशनल पार्क का कुल क्षेत्रफल 1030 वर्ग किमी. हो जाएगा। 
  • पूर्वोत्तर असम में विश्वनाथ चैरियाली के मुख्यालय के साथ विश्वनाथ वन्यजीव प्रभाग का निर्माण किया जाएगा जो 160 किलोमीटर दूर होजई में केंद्रीय असम वनीकरण विभाग को स्थानांतरित हो जाएगा। वास्तव में, इस वनीकरण विभाग को ही नए वन्यजीव खंड का नाम दिया गया है। 
  • इससे पहले काजीरंगा नेशनल पार्क को  पूर्वी असम वन्यजीव प्रभाग द्वारा प्रशासित किया जाता था जिसका मुख्यालय ब्रह्मपुत्र के दक्षिणी तट पर स्थित बोकाखात था।
  • इस खंड का निर्माण 1966 में किया गया था।
  • इस विभाजन से पहले पूर्वी असम वन्यजीव प्रभाग में पाँच श्रेणियाँ- पूर्वी या अग्राटोली, काजीरंगा या कोहोरा, पश्चिमी या बागोरी, बुरापहाड़ और उत्तरी थीं। उत्तरी रेंज को छोड़कर सभी ब्रह्मपुत्र के दक्षिणी तट पर हैं।
  • अब, 401 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र वाले उत्तरी रेंज को विश्वनाथ वन्यजीव प्रभाग में अपग्रेड कर दिया गया है, जिसमें इसकी चार श्रेणियाँ हैं- पूर्वी या गामिरी, केंद्रीय या विश्वनाथ घाट, पश्चिमी या नागशंकर और अपराध अन्वेषण रेंज।

विभाजन की आवश्यकता क्यों पड़ी?

  • 2015 से फरवरी 2018 के बीच असम में 74 गैंडों का शिकार किया गया। इनमें से कई गैंडे काजीरंगा नेशनल पार्क से थे।
  • अधिकांश गैंडो का शिकार ब्रह्मपुत्र के उत्तरी हिस्से में किया जा रहा था जिसका प्रबंधन करना दक्षिणी हिस्से में तैनात अधिकारियों के लिये मुश्किल था।
  • काजीरंगा नेशनल पार्क को दो खंडों में विभाजित करने का मतलब है कि अब एक निर्देशक (आगराटोली रेंज के पास बोकाखात में स्थित) के तहत दो विभागीय वन अधिकारी होंगे और  बेहतर सतर्कता सुनिश्चित की जा सकेगी।

काजीरंगा नेशनल पार्क

  • काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान भारत का सबसे पुराना वन्यजीव संरक्षण क्षेत्र है। 1905 में इसे पहली बार अधिसूचित किया गया था और 1908 में इसका गठन संरक्षित वन के रूप में किया गया जिसका क्षेत्रफल 228.825 वर्ग किलोमीटर था।
  • इसका गठन विशेष रूप से एक सींग वाले गैंडे के संरक्षण के लिये किया गया था, जिनकी संख्या तब यहाँ लगभग 24 जोड़ी थी। उल्लेखनीय है कि मार्च में की गई गेंडों की पिछली जनगणना के अनुसार, काजीरंगा नेशनल पार्क में लगभग 2,413 गैंडे हैं।
  • 1916 में काजीरंगा को एक पशु अभ्यारण्य घोषित किया गया था और 1938 में इसे आगंतुकों के लिये खोला गया था।
  • 1950 में इसे एक वन्यजीव अभ्यारण्य घोषित किया गया।
  • वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत 1974 में काजीरंगा को राष्ट्रीय उद्यान के रूप में अधिसूचित किया गया।
  • काजीरंगा नेशनल पार्क को वर्ष 1985 में यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल में शामिल में किया गया था।

शासन व्यवस्था

राज्यसभा चुनाव में NOTA का इस्तेमाल नहीं

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में राज्यसभा चुनावों के लिये नोटा (उपर्युक्त में से कोई भी) विकल्प के उपयोग को रद्द कर दिया है। उल्लेखनीय है कि  चुनाव आयोग ने वर्ष 2014 और 2015 में दो अधिसूचनाएँ जारी करके राज्यसभा चुनाव में नोटा को लागू किया था।

‘नोटा’ क्या है?

  • इसका अर्थ है ‘इनमें से कोई नहीं’।
  • भारत में नोटा के विकल्प का उपयोग पहली बार सुप्रीम कोर्ट के 2013 में दिये गए एक आदेश के बाद शुरू हुआ, विदित हो कि पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज़ बनाम भारत सरकार मामले में शीर्ष न्यायालय ने आदेश दिया कि जनता को मतदान के लिये नोटा का भी विकल्प उपलब्ध कराया जाए।
  • इस आदेश के बाद भारत नकारात्मक मतदान का विकल्प उपलब्ध कराने वाला विश्व का 14वाँ देश बन गया।
  • नोटा के तहत ईवीएम मशीन में नोटा (NONE OF THE ABOVE-NOTA) के उपयोग के लिये गुलाबी रंग का बटन होता है।
  • यदि पार्टियाँ ग़लत उम्मीदवार खड़ा करती हैं तो नोटा का बटन दबाकर पार्टियों के प्रति जनता अपना विरोध दर्ज करा सकती है।

सुप्रीम कोर्ट का निर्णय

  • यह महत्त्वपूर्ण फैसला गुजरात कॉन्ग्रेस के नेता और मुख्य सचेतक शैलेश मनुभाई परमार द्वारा दायर की गई याचिका पर मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, ए.एम. खानविलकर और डी.वाई. चंद्रचूड़ की पीठ ने सुनाया है।
  • इस याचिका में राज्यसभा चुनाव में चुनाव आयोग द्वारा नोटा विकल्प लागू करने की अधिसूचना को चुनौती दी गई थी।
  • न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा के नेतृत्व में तीन न्यायाधीशों की एक बेंच ने कहा कि यह विकल्प केवल सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार और प्रत्यक्ष चुनावों के लिये है, न कि हस्तांतरण योग्य वोट के माध्यम से आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली द्वारा आयोजित राज्यसभा चुनावों के लिये।
  • कोर्ट ने कहा कि राज्यसभा चुनाव में नोटा लागू करने से एक मत के औसत मूल्यांकन की धारणा नष्ट होगी और इससे भ्रष्टाचार और दल-बदल को भी बढ़ावा मिलेगा।
  • कोर्ट ने राज्यसभा चुनावों में होने वाले मतदान की ओर इशारा करते हुए कहा है कि यहाँ एक सचेतक होता है और मतदाता पार्टी के आदेश का पालन करने के लिये बाध्य होता है।
  • दरअसल, इस तरह के चुनाव में पार्टी अनुशासन अत्यधिक महत्त्व रखता है, क्योंकि पार्टियों का अस्तित्व इन्हीं के सहारे होता है।
  • ऐसा भी कहा जा सकता है कि संसदीय लोकतंत्र के लिये यह आवश्यक है।
  • कोर्ट ने कहा कि राज्यसभा चुनाव में नोटा लागू करने से न सिर्फ संविधान की दसवीं अनुसूची में दिये गए अनुशासन संबंधी नियमों का हनन होता है बल्कि दल-बदल कानून में अयोग्यता के प्रावधानों पर भी विपरीत असर पड़ता है।
  • र्ट ने यह भी कहा कि राज्यसभा चुनाव में नोटा लागू करना पहली नज़र में बुद्धिमत्तापूर्ण कदम प्रतीत होता है, लेकिन अगर इसकी पड़ताल की जाए तो यह आधारहीन लगता है।
  • ऐसे चुनाव में मतदाता की भूमिका को नज़रअंदाज़ कर दिया गया है, इससे लोकतांत्रिक मूल्यों में कमी आती है।

प्रारंभिक परीक्षा

प्रीलिम्स फैक्ट्स: 22 अगस्त, 2018

कैनाइन डिस्टेंपर वायरस

हाल ही में असम के एक चिड़ियाघर में कैनाइन डिस्टेंपर वायरस के कारण कम-से-कम आठ सियारों की मौत हो गई। उल्लेखनीय है कि अब से कुछ समय पूर्व तक इस चिड़ियाघर में सियारों की संख्या 18 थी।

कैनाइन डिस्टेंपर
  • कैनाइन डिस्टेंपर एक वायरस है जो कुत्ते के श्वसन, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल, श्वसन के साथ-साथ और केंद्रीय तंत्रिका तंत्र और आँखों को भी प्रभावित करता है।
  • मूत्र, रक्त या लार के साथ सीधे संपर्क के माध्यम से यह वायरस एक कुत्ते से दूसरे कुत्ते तक जाता है।
  • कैनाइन डिस्टेंपर पहली बार यूरोप के स्पेन में 1761 में सामने आया।
  • कैनाइन डिस्टेंपर के खिलाफ पहला टीका इटली के पंटोनी (Puntoni) ने विकसित किया था। 
‘लीज़न ऑफ मेरिट’ पुरस्कार

पूर्व सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग को संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रतिष्ठित पुरस्कार 'लीज़न ऑफ मेरिट' से सम्मानित किया गया है। उल्लेखनीय है कि पूर्व सेना प्रमुख को यह पुरस्कार अगस्त 2014 से दिसंबर 2016 तक सेना प्रमुख के रूप में असाधारण सेवा के लिये प्रदान किया गया है।

  • अमेरिकी सरकार ने इस पुरस्कार के लिये दलबीर सिंह सुहाग के नाम की घोषणा मार्च 2016 में ही की गई थी।
  • सुहाग यह पुरस्कार पाने वाले दूसरे भारतीय हैं इससे पहले यह पुरस्कार भारत के राजेंद्र सिंह जाडेजा को वर्ष 1946 में दिया गया था। 
  • जनरल दलबीर सिंह सुहाग को दी गई ये उपाधि  चार मुख्य उपाधियों का मिश्रण है। इसमें डिग्री ऑफ चीफ कमांडर, डिग्री ऑफ कमांडर, डिग्री ऑफ ऑफिसर और डिग्री ऑफ लेगिनियर शामिल हैं।
  • लीजन ऑफ मेरिट संयुक्त राज्य अमेरिका के सशस्त्र बलों का एक सैन्य पुरस्कार है जो उत्कृष्ट सेवाओं और उपलब्धियों तथा असाधारण आचरण के लिये दिया जाता है। 
तिरुवनंतपुरम में एक महीने के भीतर चक्रवात चेतावनी केंद्र की स्थापना
  • केरल और कर्नाटक के समुद्र तटों पर हाल के दिनों में उष्णकटिबंधीय चक्रवातों और उनसे होने वाली गंभीर मौसमीय घटनाओं को देखते हुए केंद्रीय विज्ञान मंत्रालय ने तिरुवनंतपुरम में एक चक्रवात चेतावनी केंद्र स्थापित करने का प्रस्ताव रखा है।
  • मंत्रालय अगले एक महीने के भीतर इस केंद्र को स्थापित करने की योजना बना रहा है। वर्तमान में भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के पास केवल चेन्नई, विशाखापत्तनम, भुवनेश्वर, कोलकाता, अहमदाबाद और मुंबई में चक्रवात चेतावनी केंद्र हैं।
  • इससे केंद्र सरकार केरल और कर्नाटक की ज़रूरतों को पूरा करेगी और सभी राज्यों को मौसम की चेतावनियों तथा तटीय बुलेटिन (मछुआरों आदि के लिये) जारी करने के लिये पूर्वानुमान उपकरण सहित सभी बुनियादी सुविधाएँ मुहैया कराएगी।
  • इस कदम से भारतीय मौसम विभाग के केरल में स्थित वर्तमान पूर्वानुमान गतिविधियों को और मज़बूती मिलेगी।
  • मंत्रालय वर्ष 2019 के अंत तक मैंगलोर में भी एक और सी-बैंड डोप्लर मौसम राडार स्थापित करने की योजना बना रहा है, जो केरल के उत्तरी हिस्सों को कवर करेगा।
  • वर्तमान में केरल में दो डोप्लर मौसम राडार हैं जिनमें एक कोच्चि और दूसरा तिरुवनंतपुरम में स्थित है।
‘पाणिनी भाषा लैब’ और 'अटल बिहारी वाजपेयी टावर'
  • विदेश मंत्री ने मॉरीशस में महात्मा गांधी संस्थान (एमजीआई) में 'पाणिनी भाषा प्रयोगशाला' का उद्घाटन किया।
  • भारत सरकार द्वारा उपहार में दी गई यह प्रयोगशाला, मॉरीशस में भारतीय भाषाओं को पढ़ाने में एमजीआई की मदद करेगी।
  • पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन के बाद मॉरीशस के प्रसिद्ध 'साइबर टॉवर' का नाम बदलकर 'अटल बिहारी वाजपेयी टावर' किया गया है।
  • यह घोषणा मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद कुमार जगन्नाथ ने की।
  • उल्लेखनीय है कि 11वाँ विश्व हिंदी सम्मेलन 18-20 अगस्त, 2018 तक मॉरीशस में आयोजित किया गया और इसी दौरान उपर्युक्त दोनों घोषणाएँ की गई।

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