डेली न्यूज़ (22 Jun, 2019)



मानव तस्करी एक चुनौतीपूर्ण मुद्दा

चर्चा में क्यों?

हाल ही में अमेरिकी विदेश विभाग ने तस्करी पर वर्ष 2019 की ट्रैफिकिंग इन पर्सन्स (Trafficking in Persons- TIP) रिपोर्ट जारी की जिसमें मानव तस्करी के खिलाफ की जाने वाली कार्रवाई की आवश्यकता पर बल दिया गया है।

  • उल्लेखनीय है कि इस रिपोर्ट में भारत को तस्करी के पैमाने पर टियर 2 (Tier 2) में रखा गया है।

मानव तस्करी

संयुक्त राष्ट्र की परिभाषा के अनुसार, किसी व्यक्ति को डराकर, बलपूर्वक या उससे दोषपूर्ण तरीके से काम लेना, एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाना या बंधक बनाकर रखने जैसे कृत्य तस्करी की श्रेणी में आते हैं।

मानव तस्करी के कारण

  • गरीबी और अशिक्षा (सबसे बड़ा कारण)
  • मांग और आपूर्ति का सिद्धांत
  • बंधुआ मज़दूरी
  • देह व्यापार
  • सामाजिक असमानता
  • क्षेत्रीय लैंगिक असंतुलन
  • बेहतर जीवन की लालसा
  • सामाजिक सुरक्षा की चिंता
  • महानगरों में घरेलू कामों के लिये भी होती है लड़कियों की तस्करी
  • चाइल्ड पोर्नोग्राफी (Child Pornography) के लिये भी होती है बच्चों की तस्करी

रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु

  • रिपोर्ट के अनुसार, विश्व भर में लगभग 25 मिलियन वयस्क तथा बच्चे श्रम एवं यौन तस्करी से पीड़ित हैं।
  • वर्ष 2019 की तस्करी रिपोर्ट में तस्करी की राष्ट्रीय प्रकृति पर प्रकाश डाला गया है जिसके अनुसार 77% मामलों में पीड़ितों को उनके देश की सीमाओं से बाहर ले जाने के बजाय देश के अंदर ही उनकी तस्करी की जाती है।
  • पश्चिमी और मध्य यूरोप, मध्य-पूर्व और कुछ पूर्व एशियाई देशों को छोड़कर दुनिया के सभी क्षेत्रों में विदेशी तस्कर पीड़ितों की तुलना में घरेलू तस्कर पीड़ितों की संख्या ज़्यादा पाई गई है।
  • अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (International Labour Organisation- ILO) के आँकड़ों के अनुसार, यौन तस्करी के मामले में शिकार लोगों की देश की सीमाओं से बाहर तस्करी होने की संभावना होती है, जबकि जबरन श्रम के शिकार लोगों की तस्करी सामान्यतः अपने ही देशों में की जाती है।
  • 2000 में अधिनियमित अमेरिकी कानून, ‘तस्करी पीड़ित शिकार संरक्षण अधिनियम (Trafficking Victims Protection Act- TVPA)’ के आधार पर रिपोर्ट को तीन वर्गों (टियर1, टियर2 और टियर3) में विभाजित किया गया है।
  • यह वर्गीकरण देश की तस्करी की समस्या के परिमाण पर आधारित न होकर मानव तस्करी के उन्मूलन के लिये न्यूनतम मानकों को पूरा करने के प्रयासों पर आधारित है।
  • वर्गीकरण के आधार पर यू.एस. टियर 1 शामिल हैं।

तस्करी में भारत की स्थिति

  • भारत को टियर 2 श्रेणी में रखा गया है।
  • रिपोर्ट के अनुसार भारत सरकार तस्करी के उन्मूलन के लिये न्यूनतम मानकों को पूरी तरह से पूरा नहीं कर पाई है लेकिन उन्मूलन के लिये महत्त्वपूर्ण प्रयास कर रही है। हालाँकि पिछले रिपोर्ट की तुलना में इस बार भारत की स्थिति बेहतर है।
  • रिपोर्ट में सरकार द्वारा तस्करी पर रोक लगाने के प्रयासों एवं विफलताओं दोनों पर प्रकाश डाला गया है।
  • रिपोर्ट में आई जानकारी के बाद सरकार ने जबरन श्रम और यौन तस्करी के मामलों में कुछ कार्रवाई की है फिर भी सरकार द्वारा संचालित और सरकारी वित्त पोषित आश्रय घरों में जबरन श्रम और यौन तस्करी को रोकने में सरकार की विफलता एक गंभीर समस्या बनी हुई है।
  • रिपोर्ट में भारत में तस्करी से संबंधित दंड संहिता की धारा 370 में संशोधन किये जाने की सिफारिश की गई है।

तस्करी से निपटने के प्रयास

  • TIP रिपोर्ट के निष्कर्षों को देखते हुए वर्ष 2000 में पालेर्मो प्रोटोकॉल (Palermo Protocol) लाया किया गया जो तस्करी से निपटने के लिये एक अंतरराष्ट्रीय तंत्र है, वर्तमान में भी तस्करी से निपटने हेतु विभिन्न प्रयास किये जा रहे हैं।
  • हालाँकि घरेलू तस्करी से निपटने के संदर्भ में तस्करों पर मुकदमा चलाने और बचे हुए लोगों की देखभाल करने के लिये कानूनी ढाँचा तैयार करने वाले देशों के संदर्भ में, विशेष रूप से और अधिक प्रयास करने की जरूरत है।
  • घरेलू स्तर पर तस्करी से निपटने के लिये राजनीतिक प्रयासों के साथ-साथ स्थानीय निवासियों तथा अन्य क्षेत्रों में काम करने वाले लोगों का भी सहयोग लिया जा सकता है।

स्रोत- द हिंदू


जननी सुरक्षा योजना

संदर्भ

लोकसभा के मानसून स्तर में एक प्रश्न के उत्तर में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्यमंत्री ने जननी सुरक्षा योजना के संदर्भ में जानकारी प्रदान की।

  • जननी सुरक्षा योजना (Janani Suraksha Yojana-JSY) माताओं और नवजात शिशुओं की मृत्यु दर को कम करने के लिये भारत सरकार के राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (National Health Mission-NHM) द्वारा चलाया जा रहा एक सुरक्षित मातृत्व हस्तक्षेप (safe motherhood intervention) है।
  • राष्‍ट्रीय ग्रामीण स्‍वास्‍थ्‍य मिशन के अंतर्गत प्रजनन एवं शिशु स्‍वास्‍थ्‍य कार्यक्रम के तहत माता एवं शिशु की मृत्‍यु दर को घटाना प्रमुख लक्ष्‍य रहा है।
  • यह योजना 12 अप्रैल, 2005 में गरीब गर्भवती महिलाओं के बीच संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिये शुरू की गई।
  • JSY एक 100% केंद्र प्रायोजित योजना है और प्रसव एवं प्रसव उपरांत देखभाल हेतु नकद सहायता प्रदान करती है।
  • इस योजना की सफलता को गरीब परिवारों के बीच संस्थागत प्रसव में वृद्धि दर द्वारा निर्धारित किया जाता है।

उद्देश्य

  • योजना का उद्देश्य गरीब गर्भवती महिलाओं को पंजीकृत स्वास्थ्य संस्थाओं में प्रसव के लिये प्रोत्साहित करना है। जब वे जन्म देने के लिये किसी अस्पताल में पंजीकरण कराते हैं, तो गर्भवती महिलाओं को प्रसव के लिये भुगतान करने के लिये और एक प्रोत्साहन प्रदान करने के लिये नकद सहायता दी जाती है।

आशा की भूमिका

निम्न प्रदर्शन करने वाले राज्यों में JSY के तहत लाभों का उपयोग करने के लिये गरीब गर्भवती महिलाओं की मदद हेतु ‘आशा’ मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता की भूमिका अहम् होती है।

1. अपने क्षेत्र में उन गर्भवती महिलाओं की पहचान करना जो इस योजना से लाभ के लिये पात्र हैं।

2. गर्भवती महिलाओं को संस्थागत प्रसव के लाभों के बारे में बताना।

3. गर्भवती महिलाओं की पंजीकरण में मदद करना और कम-से-कम 3 प्रसव पूर्व जाँच प्राप्त करना, जिसमें टिटनेस के इंजेक्शन एवं आयरन फोलिक एसिड की गोलियाँ शामिल हैं।

4. JSY कार्ड और बैंक खाता सहित आवश्यक प्रमाण-पत्र प्राप्त करने में गर्भवती महिलाओं की सहायता करना।

5. गर्भवती महिलाओं के लिये अलग-अलग सूक्ष्म जन्म योजना तैयार करना, जिसमें उन निकटवर्ती स्वास्थ्य संस्थाओं की पहचान करना शामिल है जहाँ उनको प्रसव के लिये भेजा जा सकता है।

6. टीबी के खिलाफ BCG टीकाकरण सहित, नवजात शिशुओं के लिये टीकाकरण की व्यवस्था करना।

7. प्रसवोत्तर यात्रा के लिये जन्म के 7 दिनों के भीतर महिलाओं से मिलना।

8. परिवार नियोजन को बढ़ावा देना।

निष्कर्ष

स्वास्थ्य केंद्र में प्रजनन कराने से माता के साथ-साथ शिशु की भी सुरक्षा सुनिश्चित होती है। जननी सुरक्षा योजना के अंतर्गत जहाँ गर्भवती महिला को नकद सहायता दी जाती है, वहीं जननी सुरक्षा कार्यक्रम के अंतर्गत गर्भवती महिलाओं तथा रूग्‍ण नवजात शिशुओं पर कम खर्च करना पड़ता है। जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम की शुरुआत करने से सभी गर्भवती महिलाओं को सार्वजनिक स्‍वास्‍थ्‍य केंद्रों में प्रजनन कराने में प्रोत्‍साहन मिलेगा। रूग्‍ण नवजात शिशुओं का मुफ्त इलाज किये जाने से नवजात शिशुओं की मृत्‍यु दर घटाने में सहायता मिलेगी। इस कार्यक्रम से माता एवं नवजात शिशुओं की रूग्‍णता और मृत्‍यु दर में कमी आएगी।

स्रोत: पी.आई.बी.

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सौर और पवन ऊर्जा क्षेत्र के लिये विवाद निपटारा प्रणाली

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सौर और पवन ऊर्जा परियोजनाओं के क्रियान्‍वयन को सुगम बनाने के लिये इस क्षेत्र से जुड़ी कंपनियों और भारतीय सौर ऊर्जा निगम-SECI/NTPC के बीच अनपेक्षित विवादों को अनुबंध शर्तों से इतर निपटाने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण निर्णय लिया गया। इस संदर्भ में एक विवाद निपटारा समिति गठित करने के प्रस्‍ताव को मंज़ूरी दी गई है।

विवाद निपटान तंत्र की आवश्यकता

सौर और पवन ऊर्जा उद्यो‍ग अनपेक्षित विवादों के तेज़ी से निपटान हेतु पिछले कुछ समय से एक समिति के गठन की मांग की जा रही थी। मंत्रालय द्वारा इन मांगों पर गंभीरता से विचार करने के बाद एक निष्‍पक्ष और पारदर्शी प्रणाली विकसित करने की ज़रूरत महसूस की गई और इसके तहत ही विवाद निपटान समिति के गठन को मंज़ूरी दी गई।

प्रमुख बिंदु:

  • नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री के अनुमोदन से एक तीन सदस्‍यीय विवाद निपटान समिति का गठन किया जाएगा, जिसमें ऐसे व्‍यक्ति शामिल होंगे जिनकी सत्‍यनिष्‍ठा और ईमानदारी सवालों से परे होगी।
  • समिति के सदस्‍यों की अधिकतम आयु सीमा 70 वर्ष होगी। इनका चयन दिल्‍ली और राष्‍ट्रीय राजधानी क्षेत्र से किया जाएगा ताकि इनके लिये हवाई यात्राओं और होटलों में रहने पर होने वाले खर्च न करने पड़ें।
  • सदस्‍यों की चयन प्रक्रिया ऐसी होगी जिसमें किसी भी तरह के हितों का टकराव न हो।
  • विवाद निपटान समिति की व्‍यवस्‍था SECI/NTPC के ज़रिये या उनके द्वारा क्रियान्वित सभी तरह की सौर और पवन ऊर्जा परियोजनाओं, कार्यक्रमों और योजनाओं पर लागू होगी।

विवाद निपटान समिति द्वारा देखे जाने वाले मामले

SECI द्वारा दिये गए निर्णयों के खिलाफ अपील के सभी मामले:

  • बाढ़, भूकंप जैसी सर्वमान्‍य अप्रत्‍याशित घटनाओं के कारण सौर पार्क डेवलपरों द्वारा भूमि सौंपने तथा कनेक्टिविटी आदि में होने वाली देरी के कारण समय सीमा बढाए जाने के सभी अनुरोधों का निपटान अनुबंध की शर्तों के कड़े अनुपालन के साथ किया जाएगा।
  • ऐसे सभी मामलों में सौर ऊर्जा/पवन ऊर्जा डेवलपरों को अनुबंध में निर्धारित समय-सीमा के अनुरूप समय विस्‍तार के लिये आवेदन करना होगा। यदि ऐसा नहीं किया गया तो आवेदनों को SECI/NTPC द्वारा अस्‍वीकार कर दिया जाएगा। यदि आवेदन निर्धारित समय-सीमा में किया जाता है तो ऐसे आवेदनों की जाँच की जाएगी और इस पर निर्णय आवेदन की तारीख से 21 दिन के भीतर सुनाया जाएगा।
  • दो या उससे अधिक कारणों के लिये अलग-अलग समय सीमा विस्‍तार की अनुमति नहीं दी जाएगी।
  • यदि डेवलपर SECI/NTPC के निर्णय से संतुष्‍ट नहीं होते हैं, तो वे 21 दिनों के भीतर विवाद निपटारा समिति के समक्ष उसके द्वारा निर्धारित शुल्‍क अदा कर अपील कर सकते हैं।
  • यह शुल्‍क किसी भी सूरत में SECI/NTPC के फैसले से पड़ने वाले प्रभाव के 5 प्रतिशत से कम नहीं होना चाहिये। यह शुल्‍क SECI/NTPC द्वारा संबंधित परियोजनाओं के लिये बनाए गए सुरक्षा कोष में जमा करना होगा। यदि सरकार निपटारा समिति के सुझावों को मानते हुए SECI के आदेश को खारिज कर देती है, तो ऐसी स्थिति में आवेदनकर्त्ता को यह शुल्‍क वापस कर दिया जाएगा। लेकिन इसके लिये विवाद निपटारा समिति की सिफारिश ज़रूरी होगी और केंद्र सरकार की ओर से इस संबंध में आदेश पारित किया जाएगा। यदि शुल्‍क वापस नहीं किया जाना है, तो इसे SECI/NTPC के सुरक्षा कोष में जमा कर दिया जाएगा।

अनुबंध के दायरे में नहीं आने वाले समय सीमा बढ़ाये जाने के आवेदन:

अप्रत्याशित मुद्दों/परिस्थितियों से जुड़े ऐसे सभी मामले, जो अनुबंध समझौते के दायरे में नहीं आते हैं। इनमें डेवलपर द्वारा खरीदी जाने वाली ज़मीन, लेकिन सरकार द्वारा नीति या पंजीकरण प्रक्रिया में बदलाव के कारण भूमि आवंटन में हो रही देरी, अदालत द्वारा रोक लगाए जाने के कारण प्रस्तावित कनेक्टिविटी के अनुदान में देरी आदि शामिल हैं। इन्‍हें DRC के समक्ष विचार के लिये रखा जाएगा, जो आगे मंत्रालय को इस संबंध में अपने सुझाव भेजेगी।

  • विवाद निपटारा समिति उसके पास भेजे गए सभी मामलों की जाँच करेगी। इनमें वे मामले भी होंगे, जिसमें डेवलर SECI/NTPC के फैसले से संतुष्‍ट नहीं होंगे।
  • ‘विवाद निपटारा समिति’ की सिफारिशों और उस पर मंत्रालय की राय को 21 दिनों के भीतर नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री के समक्ष अंतिम निर्णय के लिये रखा जाएगा।
  • कोई भी निर्णय लेने के लिये विवाद निपटारा समिति संबंधित पक्षों के साथ विस्‍तार से चर्चा करने और उनकी दलीलें रिकॉर्ड करने के लिये स्‍वतंत्र है। समिति के समक्ष कोई भी मामला किसी अधिवक्‍ता के ज़रिये पेश करने की अनुमति नहीं है।

स्रोत: पी.आई.बी.


किसानों की आय दोगुनी करने के लिये प्रौद्योगिकी का आधुनिकीकरण

चर्चा में क्यों?

सरकार ने वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लिये प्रौद्योगिकी के आधुनिकीकरण पर बल दिया है। उल्लेखनीय है कि सरकार ने वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य रखा है।

प्रमुख बिंदु

  • इसके अंतर्गत किसानों की आय दोगुनी करने से संबंधित मुद्दों की जाँच करने और वास्तविक रूप से किसानों की आय दोगुनी करने के लिये रणनीति की सिफारिश करने हेतु एक अंतर-मंत्रालयी समिति का गठन किया गया है।
  • समिति के अनुसार, इस क्षेत्र में डिजिटल प्रौद्योगिकी की भूमिका बहुत महत्त्वपूर्ण है, जो ग्रामीण भारत में कृषि गतिविधियों को अंजाम देने, इसे आधुनिक बनाने और व्यवस्थित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
  • प्रौद्योगिकियों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence), बिग डेटा एनालिटिक्स (Big Data Analytics), ब्लॉक चेन टेक्नोलॉजी (Block chain Technology), इंटरनेट ऑफ थिंग्स (Internet of Things) आदि शामिल हैं।
  • सरकार ने प्रौद्योगिकियों के प्रसार के लिये ज़िला स्तर पर 713 कृषि विज्ञान केंद्र और 684 कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन एजेंसियों की स्थापना की है।
  • इसके अलावा, किसानों को केंद्रित प्रचार अभियान, किसान कॉल सेंटर, कृषि-क्लीनिक और कृषि-व्यवसाय केंद्रों के उद्यमी योजना, कृषि मेलों और प्रदर्शनियों, किसान एसएमएस पोर्टल इत्यादि के माध्यम से जानकारी प्रदान की जाती है।
  • मंत्रालय की योजनाओं को सफल बनाने हेतु प्रौद्योगिकी का प्रसार बहुत महत्त्वपूर्ण है। प्रमुख प्रौद्योगिकी कार्य निम्नलिखित हैं:
    • किसानों को महत्त्वपूर्ण मापदंडों पर सूचना के प्रसार के लिये किसान सुविधा मोबाइल एप्लिकेशन को विकसित किया गया है, उदाहरण के लिये मौसम, बाजार मूल्य, पौध संरक्षण, इनपुट डीलर (बीज, कीटनाशक, उर्वरक) फार्म मशीनरी, मृदा स्वास्थ्य कार्ड (Soil Health Card), कोल्ड स्टोरेज और गोदाम, पशु चिकित्सा केंद्र और डायग्नोस्टिक लैब्स आदि।
    • आधुनिक प्रौद्योगिकी के माध्यम से किसानों को बाजार की जानकारी के साथ उपज बेचने के लिये बाजारों के बारे में बेहतर जानकारी दी जाती है, साथ ही बाजार की मौजूदा कीमतें और बाजार में वस्तुओं की मांग की जानकारी भी उपलब्ध कराई जाती है, जिससे किसान उचित मूल्य और सही समय पर उपज बेचने के लिये उचित निर्णय ले सकते हैं।
    • भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (Indian Council of Agriculture Research-ICAR) ने राज्य कृषि विश्वविद्यालयों (State Agricultural Universities) और कृषि विज्ञान केंद्रों (Krishi Vigyan Kendras) द्वारा विकसित 100 से अधिक मोबाइल एप्लिकेशन भी विकसित किये हैं जो इनकी वेबसाइट पर उपलब्ध हैं।
    • ये मोबाइल ऐप फसलों, बागवानी, पशु चिकित्सा, डेयरी, पोल्ट्री, मत्स्य पालन, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन और एकीकृत विषयों के क्षेत्रों में किसानों को बहुमूल्य जानकारी प्रदान करते हैं, जिसमें विभिन्न वस्तुओं के बाजार मूल्य, मौसम से संबंधित जानकारी, सेवाएँ आदि शामिल हैं।
    • पंजीकृत किसानों को SMS के माध्यम से विभिन्न फसल संबंधी मामलों पर सलाह भेजने के लिये mKisan पोर्टल (www.mkisan.gov.in) का विकास।
    • किसानों को इलेक्ट्रॉनिक ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म प्रदान करने के लिये ई-राष्ट्रीय कृषि बाजार (e-National Agriculture Market- e-NAM) पहल की शुरूआत की गई है।
    • कृषि उत्पादन के भंडारण, प्रसंस्कृत कृषि उत्पाद और उत्पादन के पश्चात होने वाले फसल नुकसान को कम करने के लिये वैज्ञानिक तरीके से भंडारण क्षमता को बढ़ाया जाएगा, इसके लिये कृषि बाजार से जुड़ी एकीकृत कृषि योजनाओं को क्रियांवित किया जाएगा।
    • देश भर के सभी किसानों को 2 वर्ष के चक्र के भीतर एक बार मृदा स्वास्थ्य कार्ड प्रदान करने में राज्य सरकारों की सहायता की जा रही है इसके माध्यम से किसानों को मृदा के पोषक तत्वों की स्थिति की जानकारी प्रदान की जाती है। फसल उत्पादकता में वृद्धि करने तथा मृदा की उर्वरता को बनाए रखने के लिये किसानों को उचित पोषक तत्त्वों का उपयोग करने की सलाह भी दी जाती है।
    • किसानों को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (ऑयल सीड्स और ऑयल पाम) के तहत बीज उपलब्ध करवाना, तकनीक का अंतरण (Transfer) करना, उत्पादन इकाइयों तथा जल संसाधन का उपयोग करने के लिए आवश्यक उपकरणों को भी उपलब्ध कराया जा रहा है। इस योजना के अंतर्गत किसानों को आर्थिक सहायता भी उपलब्ध की जा रही है जिससे किसानों को कृषि से संबंधित प्रशिक्षण भी प्राप्त हो सके ताकि किसान फसल का उत्पादन बढ़ा कर आर्थिक लाभ में वृद्धि कर सकें।
    • कृषि-मौसम विज्ञान और भूमि आधारित अवलोकन परियोजना, बागवानी आकलन और प्रबंधन पर समन्वित प्रोग्राम के लिये भू-सूचना विज्ञान का उपयोग, राष्ट्रीय कृषि विकास आकलन और निगरानी प्रणाली जैसी अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के माध्यम से कृषि को प्रोत्साहन दिया जा रहा है।

देश में किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य

  • सरकार ने 2022-23 तक किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य रखा है और इसके लिये कृषि सहयोग एवं किसान कल्याण विभाग के राष्ट्रीय वर्षा सिंचित क्षेत्र प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी की अध्यक्षता में एक अंतर-मंत्रिस्तरीय समिति गठित की है। इस समिति को किसानों की आय दोगुनी करने से जुड़े मुद्दों पर विचार-विमर्श करने और वर्ष 2022 तक सही अर्थों में किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य की प्राप्ति के लिये एक उपयुक्त रणनीति की सिफारिश करने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है।
  • समानांतर रूप से सरकार आय में वृद्धि को केंद्र में रखते हुए कृषि क्षेत्र को नई दिशा देने पर विशेष ध्यान दे रही है। किसानों के लिये शुद्ध धनात्मक रिटर्न सुनिश्चित करने हेतु राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के ज़रिये निम्नलिखित योजनाओं को बड़े पैमाने पर क्रियान्वित किया जा रहा है:
  • मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना, नीम लेपित यूरिया, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, परंपरागत कृषि विकास योजना, राष्ट्रीय कृषि बाज़ार योजना (e-NAM), बागवानी के एकीकृत विकास के लिये मिशन, राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना, इत्यादि।
  • इनके अलावा कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (CACP) की सिफारिशों के आधार पर खरीफ और रबी दोनों ही फसलों के लिये MSP को अधिसूचित किया जाता है। यह आयोग खेती-बाड़ी की लागत पर विभिन्न आँकड़ों का संकलन एवं विश्लेषण करता है और फिर MSP से जुड़ी अपनी सिफारिशें पेश करता है।
  • किसानों की आमदनी में उल्लेखनीय वृद्धि सुनिश्चित करने के उद्देश्य से सरकार ने वर्ष 2018-19 के सीजन के लिये सभी खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्यों में वृद्धि की थी। गौरतलब है कि वर्ष 2018-19 के बजट में MSP को उत्पादन लागत का कम-से-कम 150 फीसदी तय करने की बात कही गई थी।

स्रोत- PIB


सार्वजनिक क्लाउड सेवाएँ

चर्चा में क्यों?

गार्टनर (Gartner) द्वारा किये गए एक अध्ययन के अनुसार, भारत में सार्वजनिक क्लाउड सेवाओं (Public cloud services) से 2.4 बिलियन डॉलर का राजस्व प्राप्त होने का अनुमान है जो कि वर्ष 2018 में इन सेवाओं से प्राप्त राजस्व की तुलना में 24.3 प्रतिशत अधिक है।

प्रमुख बिंदु

  • यद्यपि क्लाउड सेवाओं से प्राप्त होने वाला भारत का राजस्व वर्ष 2019 में सार्वजनिक क्लाउड सेवाओं से प्राप्त होने वाले कुल वैश्विक राजस्व का 1.2 प्रतिशत है, फिर भी भारत उन नौ देशों में से एक है, जिसकी विकास दर वैश्विक औसत विकास दर (16 प्रतिशत) से अधिक होगी।
  • वर्ष 2019 में भारत, चीन (33 फीसदी) और इंडोनेशिया (29 फीसदी) के बाद तीसरी सर्वाधिक विकास दर प्राप्त करने के मार्ग पर अग्रसर है।
  • गार्टनर के अनुसार, ‘क्लाउड फर्स्ट' (cloud first) के स्थान पर ‘क्लाउड ओनली' (cloud only) मॉडल भारतीय संगठनों को सार्वजनिक क्लाउड सेवाओं पर व्यय में वृद्धि हेतु प्रेरित कर रहा है ताकि वे अपनी डिजिटल व्यापार पहलों को विकसित कर सकें। "नए डेटा केंद्रों में विनिवेश भी इस कदम के शुरुआती संकेतों में से एक है।"
  • गार्टनर द्वारा किये गए सर्वेक्षण के अनुसार, भारत में 34 प्रतिशत मुख्य निवेश अधिकारियों (Chief Investment Officers) द्वारा वर्ष 2019 में क्लाउड सेवाओं पर खर्च में वृद्धि किये जाने का अनुमान है। संगठन मौजूदा डेटा केंद्रों को समेकित कर और नए केंद्रों के निर्माण को बाधित कर पूंजीगत व्यय को कम करना चाहते हैं।
  • वर्ष 2019 में क्लाउड एप्लिकेशन सर्विसेज़ (Cloud application services- SaaS) भारत का सबसे तेज़ी से बढ़ने वाला बाज़ार का हिस्सा साबित हो सकती है, सार्वजनिक क्लाउड सेवाओं के कुल राजस्व में इसका योगदान साल-दर-साल लगभग आधा रहने का अनुमान है।
  • SaaS का राजस्व वर्ष 2019 में बढ़कर 1.15 बिलियन डॉलर तक पहुँचने की संभावना है। इसके बाद क्लाउड सिस्टम इंफ्रास्ट्रक्चर सर्विसेज़ (cloud system infrastructure services-IaaS) का खर्च आता है, जिसमें वर्ष 2019 के दौरान 22 प्रतिशत वृद्धि होने का अनुमान है ।

India Public Cloud Services

  • SaaS (Software as a Service) के उपयोग में वृद्धि ग्राहक संबंध प्रबंधन (Customer Relationship Management- CRM) पर अंतिम-उपयोगकर्त्ता व्यय में वृद्धि के कारण होती है भारत में विभिन्न संगठन COTS ( commercial off-the-shelf) और लाइसेंस आधारित OPS (on-premises software) से SaaS मॉडल की ओर स्थानांतरित हो रहे हैं ताकि संगठन स्वयं को अधिक दक्ष, नवाचार के प्रति उन्मुख और लागत प्रभावी बना सकें।
  • भारत में डिजिटल प्लेटफार्म के उपयोग में वृद्धि भारतीय संगठनों को सुरक्षा पर अपने व्यय को बढ़ाने के लिये बाध्य कर रहा है, क्योंकि डिजिटल प्लेटफॉर्म और नेटवर्क का उपयोग अपने साथ खतरों और जोखिमों में भी वृद्धि करते हैं।
  • गार्टनर की रिपोर्ट में यह उल्लेख किया गया है कि पिछले कुछ वर्षों में भारतीय संगठनों पर हमलों की संख्या में वृद्धि हुई है यदि संगठन साइबर सुरक्षा के लिये एक रोडमैप को क्रियांवित नहीं करते हैं तो ऐसे हमलों में और भी वृद्धि की संभावना है।
  • एक मज़बूत साइबर सुरक्षा रोडमैप बनाने के हिस्से के रूप में, भारतीय संगठनों को देशी और अन्य साइबर सुरक्षा उपलब्ध करने वाले संगठनों की विशेषज्ञता का उपयोग करने की आवश्यकता है। इसके अलावा, उन्हें अपने संगठनों में क्लाउड को सुरक्षित करने के लिये वेब एप्लिकेशन फायरवॉल (WAFs), क्लाउड एक्सेस सिक्योरिटी ब्रोकर्स (CASBs), क्लाउड वर्कलोड प्रोटेक्शन प्लेटफॉर्म (CWPPs) और माइक्रो सेगमेंटेशन प्लेटफॉर्म जैसे तकनीकों का भी उपयोग करना चाहिये।

स्रोत: द हिंदू (बिज़नेस लाइन)


मिर्गी पर डब्ल्यू.एच.ओ. की रिपोर्ट

चर्चा में क्यों?

हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन एवं गैर-सरकारी संगठनों, इंटरनेशनल लीग अगेंस्ट एपिलेप्सी (International League Against Epilepsy) और इंटरनेशनल ब्यूरों फॉर एपिलेप्सी (International Bureau for Epilepsy) ने संयुक्त रूप से शोध करके एक निष्कर्ष निकाला जिसे एपिलेप्सी, ए पब्लिक हेल्थ इंप्रेटिव (Epilepsy, a public health imperative) में प्रकाशित किया गया।

  • उल्लेखनीय है कि इस अध्ययन में पाया गया कि कम-आय वाले देशों में रहने वाले मिर्गी से ग्रस्त रोगियों को प्राथमिक उपचार भी नहीं मिल पाता। जिस कारण लोगो में समय से पहले मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है। लोग इसे जीवन पर एक धब्बा भी मानते हैं।

प्रमुख बिंदु

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन के विशेषज्ञों के अनुसार, मिर्गी से ग्रस्त मरीजों के लिये उपचार न मिल पाना अस्वीकार्य रूप से बहुत अधिक है, हम जानते हैं कि यदि रोगी उचित दवाओं का सेवन करे तो 70 प्रतिशत लोग इस रोग से मुक्ति पा सकते है एवं इन दवाओं की कीमत 5 डॉलर प्रति वर्ष कम होती है तथा इन्हें प्राथमिक चिकित्सा केंद्रों के माध्यम से वितरित किया जा सकता है।
  • मिर्गी से ग्रसित रोगियों में समय से पहले मृत्यु-दर तीन गुना अधिक होती है। निम्न और मध्यम आय वाले देशों में, मिर्गी रोगियों की मृत्यु-दर, उच्च आय वाले देशों की तुलना में काफी अधिक है।
  • मिर्गी से पीड़ित लगभग आधे वयस्कों में कम से कम एक अन्य स्वास्थ्य समस्या होती है। इसमें अवसाद और चिंता शामिल हैं: मिर्गी से पीड़ित 23% वयस्क ​​अवसाद (Depression) का अनुभव करते हैं और 20%व्यग्रता (Anxiety) का।
  • ये दौरे मानसिक स्वास्थ्य खराब करने के साथ ही जीवन की गुणवत्ता को कम कर सकते हैं। मिर्गी से ग्रस्त लगभग 30-40% बच्चों को विकास और सीखने जैसे कार्यों में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
  • रिपोर्ट के अनुसार, मिर्गी से ग्रसित लोगों को समाज में हीन भावना से देखा जाता है। इसी सामाजिक भय से लोग इसका उपचार नहीं करवाते हैं। मिर्गी के उपचार को प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं में एकीकृत किया जा सकता है। लेकिन इस कार्य के लिये राजनीतिक इच्छा शक्ति का होना आवश्यक है।

मिर्गी का प्रभाव

विश्व स्वास्थ्य संगठन

  • WHO संयुक्त राष्ट्र संघ की एक विशेष एजेंसी है, जिसका उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य (Public Health) को बढ़ावा देना है।
  • इसकी स्थापना 7 अप्रैल, 1948 को हुई थी। इसका मुख्यालय जिनेवा (स्विट्ज़रलैंड) में अवस्थित है।
  • इसकी पूर्ववर्ती संस्था ‘स्वास्थ्य संगठन’ लीग ऑफ नेशंस की एजेंसी थी।

इंटरनेशनल लीग अगेंस्ट एपिलेप्सी (ILAE)

इंटरनेशनल लीग अगेंस्ट एपिलेप्सी (ILAE) की स्थापना 1909 में हुई थी और यह 100 से अधिक नेशनल चैप्टर्स का संगठन है।

उद्देश्य

  • मिर्गी के बारे में लोगों को जागरूक करना।
  • इसके इलाज़ के लिये अनुसंधान, शिक्षा और प्रशिक्षण को बढ़ावा देना।
  • विशेष रूप से रोकथाम, निदान और उपचार द्वारा रोगियों की सेवाओं और देखभाल में सुधार करना।

इंटरनेशनल ब्यूरो फॉर एपिलेप्सी (IBE)

  • इंटरनेशनल ब्यूरो फॉर एपिलेप्सी (IBE) मिर्गी से पीड़ित लोगों और उनकी देखभाल करने वाले लोगों के जीवन की सामाजिक स्थिति और गुणवत्ता में सुधार करता है।
  • IBE एक निगम है जो एक गैर-लाभकारी, कानूनी अंतर्राष्ट्रीय संगठन है। यह संयुक्त राज्य अमेरिका के कोलंबिया राज्य में पंजीकृत है।

स्रोत: द हिंदू बिज़नेस लाइन


PMKSY के तहत रोज़गार सृजन की परिकल्पना

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय द्वारा ‘प्रधान मंत्री किसान संपदा योजना’ (Pradhan Mantri Kisan SAMPADA Yojana- PMKSY) के अंतर्गत वर्ष 2020 तक 5 लाख से अधिक व्यक्तियों के लिये प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोज़गार के सृजन की परिकल्पना की गई है।

प्रमुख बिंदु

  • इस योजना के अनुसार, सरकार ने खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के समग्र विकास को बढ़ावा देने और रोज़गार के अवसर उत्पन्न करने के लिये विभिन्न उपाय तथा नीतिगत पहल की है।
  • खाद्य उत्पादों के विनिर्माण में स्वचालित मार्ग (Automatic Route) के माध्यम से 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (Foreign Direct Investment- FDI) और भारत में उत्पादित और/या निर्मित खाद्य उत्पादों के संबंध में ई-कॉमर्स के माध्यम से खुदरा व्यापार करने के लिये सरकार से अनुमोदन के तहत 100% FDI की अनुमति दी गई है।
  • खाद्य प्रसंस्करण परियोजनाओं को सस्ते ऋण प्रदान करने के लिये कृषि एवं ग्रामीण विकास के लिये राष्ट्रीय बैंक (National Bank for Agriculture and Rural Development- NABARD) के साथ मिलकर 2000 करोड़ रुपए का एक विशेष कोष बनाया गया है।
  • खाद्य एवं कृषि आधारित प्रसंस्करण इकाइयों और कोल्ड चेन अवसंरचना को प्राथमिकता क्षेत्र ऋण (Priority Sector Lending- PSL) के लिये कृषि गतिविधि के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
  • नई खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों के लिये लाभ पर आयकर में 100% छूट जैसे राजकोषीय उपायों, FPO द्वारा 100 करोड़ रुपए के वार्षिक टर्नओवर से प्राप्त लाभ से 100 प्रतिशत आयकर छूट को कृषि के बाद फसल मूल्य संवर्धन जैसी गतिविधियों के लिये अनुमति दी गई है।
  • खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय (Ministry of Food Processing Industries) केंद्रीय क्षेत्रक योजना (Central Sector Umbrella Scheme) के अंतर्गत प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना (Pradhan Mantri Kisan SAMPADA Yojana- PMKSY) लागू कर रहा है।
  • इस योजना के कार्यान्वयन की अवधि वर्ष 2016-20 तय की गई है, जिसका कुल परिव्यय 6,000 करोड़ रुपए निर्धारित किया गया है।

PMKSY में सात घटक योजनाएँ शामिल हैं-

(i) मेगा फूड पार्क

(ii) एकीकृत कोल्ड चेन और वैल्यू एडिशन इन्फ्रास्ट्रक्चर

(iii) एग्रो-प्रोसेसिंग क्लस्टर्स के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर

(iv) बैकवर्ड एंड फॉरवर्ड लिंकेज का निर्माण

(v) फूड प्रोसेसिंग और संरक्षण क्षमता का निर्माण / विस्तार

(vi) खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता आश्वासन अवसंरचना

(vii) मानव संसाधन और संस्थान

  • केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय ने मूल्य श्रृंखला के एकीकृत विकास के लिये 500 करोड़ रुपए की लागत से एक नई केंद्रीय क्षेत्रक योजना (Central Sector Scheme) ‘ऑपरेशन ग्रीन्स’ प्रारंभ की है।
  • इसका उद्देश्य किसान उत्पादक संगठनों (Farmers Producers Organizations- FPO), कृषि-रसद, प्रसंस्करण सुविधाओं और FPO के पेशेवर प्रबंधन को बढ़ावा देना है।

स्रोत- PIB


Rapid Fire करेंट अफेयर्स (22 June)

  • सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक ने अगले साल अपनी क्रिप्टोकरेंसी लॉन्च करने का ऐलान किया है, जिसका नाम लिब्रा (Libra) होगा और इसका इस्तेमाल करने के लिये फेसबुक अकाउंट होना ज़रूरी नहीं होगा। फेसबुक ने ‘लिब्रा’ को स्टेबलकॉइन बताया है और यह बिटकॉइन जैसी अनिश्चित नहीं होगी। आपको बता दें कि कि स्टेबलकॉइन उस डिजिटल करेंसी को कहा जाता है, जिसे सरकार समर्थित मुद्राओं एवं प्रतिभूतियों का समर्थन प्राप्त होता है। फेसबुक ब्लॉकचेन टीम इसके लिये एक नया डिजिटल वॉलेट तैयार करने की योजना बना रहा है, जो मैसेंजर और व्हाट्सएप के अंदर होगा। इन दोनों एप से दोस्तों, पारिवारिक सदस्यों और व्यापारिक संस्थाओं के बीच ‘लिब्रा’ का लेनदेन हो सकेगा।
  • भारत की स्क्वॉश खिलाड़ी जोशना चिनप्पा ने 17वीं बार राष्ट्रीय चैंपियनशिप का खिताब जीतकर नया रिकॉर्ड कायम किया है। पुणे में खेली गई 76वीं सीनियर राष्ट्रीय स्क्वॉश चैंपियनशिप के फाइनल में उन्होंने सुनयना कुरुविल्ला को पराजित किया। ज्ञातव्य है कि जोशना चिनप्पा राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीतने के अलावा एशियाई खेलों में रजत पदक जीत चुकी हैं। इस जीत के साथ ही उन्होंने भुवनेश्वरी कुमारी के 16 राष्ट्रीय खिताब जीतने के 27 साल पुराने रिकॉर्ड को तोड़ दिया, जो उन्होंने वर्ष 1977 से वर्ष 1992 के बीच अपने नाम किये थे। इसी प्रतियोगिता के पुरुष वर्ग के फाइनल में शीर्ष वरीय महेश मंगांवकर ने दूसरे वरीय अभिषेक प्रधान को पराजित कर खिताब जीता।
  • लोकतांत्रिक तरीके से चुने गए मिस्र के पहले राष्ट्रपति मोहम्मद मोर्सी की अदालत में पेशी के दौरान मौत हो गई। वर्ष 2013 में सैन्य तख्तापलट के बाद उन्हें पद से हटा दिया गया था। पद से हटाने के बाद उन पर प्रदर्शनकारियों को गैर-कानूनी तरीके से हिरासत में लेने, देश की सूचनाएँ कतर को देने आदि कई तरह के आरोप लगाए गए थे। वर्ष 2015 में उन्हें काहिरा क्रिमिनल कोर्ट ने 20 साल कैद की सज़ा सुनाई थी। दूसरी ओर मानवाधिकार समूहों का आरोप है कि मोर्सी की मौत स्वाभाविक नहीं है। मिस्र में सैन्य शासन की स्थापना के बाद से अब्दुल फतह अल-सीसी के शासन के दौर में मानवाधिकारों के हनन का आरोप लगाया जा रहा है। ज्ञातव्य है कि वर्ष 2010-11 में मिस्र में 30 साल से चली आ रही होस्नी मुबारक की सत्ता के खिलाफ संघर्ष हुआ और उन्हें सैन्य विद्रोह के बाद पद छोड़ना पड़ा। 11 फरवरी, 2011 को उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दिया और वर्ष 2012 में उन्हें जेल भेज दिया गया, वर्ष 2017 में वह जेल से रिहा हो गए। होस्नी मुबारक के अपदस्थ होने के बाद मिस्र में हुए चुनावों में मुस्लिम ब्रदरहुड के प्रमुख नेता मोहम्मद मोर्सी का संगठन विजयी हुआ और वह राष्ट्रपति बने।
  • अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने अपनी तीन अश्वेत महिला गणितज्ञों के सम्मान में वाशिंगटन मुख्यालय के बाहर की सड़क का नाम बदल दिया है। कैथरीन जॉनसन, डॉर्थी वॉन और मैरी जैक्सन ने वर्ष 1940 से 1960 के बीच नासा के अंतरिक्ष उड़ान अनुसंधान में विशेष योगदान दिया था। इसके काफी समय बाद बाद मार्गोट ली शेटरली ने इन गणितज्ञों के ऊपर अपनी किताब 'हिडन फिगर्स' लिखी। इसके बाद वर्ष 2016 में इसी नाम से इन पर एक फिल्म बनाई गई । वर्ष 2015 में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कैथरीन जॉनसन को अमेरिका का सर्वोच्च नागरिक सम्मान प्रदान किया था, जो अब 100 वर्ष की हैं। डॉर्थी वॉन की वर्ष 2005 और मैरी जैक्सन की वर्ष 2008 में मृत्यु हो गई थी। ज्ञातव्य है कि नासा अगले महीने अपोलो-11 मिशन की 50वीं वर्षगाँठ मनाने जा रहा है।
  • कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के रसायन शास्त्र विभाग में प्रोफेसर डॉ. रंजना अग्रवाल को वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) की राष्ट्रीय विज्ञान प्रौद्योगिकी एवं विकास अध्ययन संस्थान (NISTASTADS) का निदेशक नियुक्त किया गया है। इस संस्थान के अध्यक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा उपाध्यक्ष केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. हर्षवर्धन हैं। डॉ. रंजना की नियुक्ति छह वर्षों के लिये हुई है। यह संस्थान विज्ञान, समाज और राज्य के बीच संवाद के विभिन्न पहलुओं के अध्ययन तथा विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं समाज के बीच निरंतर जुड़ाव की संभावनाओं की खोज करता है। ज्ञातव्य है कि वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद भारत का सबसे बड़ा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पर अनुसंधान एवं विकास संबंधी संस्थान है। इसकी स्थापना 1942 में हुई थी और इसकी 39 प्रयोगशालाएँ एवं 50 फील्ड स्टेशन देशभर में स्थित हैं।
  • बहुराष्ट्रीय कंपनी वेदांता जल्द ही देश का पहला तैरता हुआ सौर ऊर्जा संयंत्र शुरू करने जा रही है। प्रायोगिक परियोजना के रूप में राजस्थान में स्थापित किया जा रहा यह संयंत्र 2-3 महीनों में पूरा हो जाएगा। वेदांता ग्रुप की कंपनी हिंदुस्तान जिंक के लिये यह संयंत्र विक्रम सोलर द्वारा तैयार किया जा रहा है। एक मेगावाट क्षमता का यह तैरता हुआ सौर संयंत्र राजस्थान के चित्तौड़गढ़ के घोसुंडा बांध पर स्थित होगा। इस सौर संयंत्र से एक साल में 1400 घरों को बिजली उपलब्ध कराई जा सकेगी।
  • अमेरिका में नासा के वित्तपोषण वाले एक कार्यक्रम में भारत में स्थित विश्व प्रसिद्ध पुरातत्त्व स्थलों तथा संस्थानों का वीडियो बनाया गया है। इसके साथ ही उनकी वैज्ञानिक तथा तकनीक संबंधी जानकारी हिंदी में दी गई है। यह वीडियो जयपुर में आमेर का किला और हवा महल, विश्व धरोहर स्थल कुतुब मीनार और उसमें स्थित जंग प्रतिरोधक लौह स्तंभ, चांद बावड़ी की सीढ़ियाँ तथा जयपुर फुट के मुख्यालय पर केंद्रित है। नासा द्वारा वित्तपोषित कार्यक्रम StarTalk ने हिंदी, अरबी, चीनी और दुनिया की अन्य भाषाओं को पढ़ाना तथा सीखना अपनी प्राथमिकता में शामिल किया है। इस परियोजना के निदेशक वेद चौधरी को इसके लिये 90 हज़ार डॉलर का अनुदान मिला है। इस कार्यक्रम का प्रबंधन मैरीलैंड विश्वविद्यालय का राष्ट्रीय विदेशी भाषा केंद्र कर रहा है।