विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
अरोरा सुपरकंप्यूटर
चर्चा में क्यों?
संयुक्त राज्य अमेरिका ने दुनिया का सबसे तेज़ कंप्यूटर बनाने का निर्णय लिया है जिसे अरोरा सुपरकंप्यूटर (Aurora Supercomputer) कहा जा रहा है।
प्रमुख बिंदु
- अरोरा सुपर कंप्यूटर (Aurora Supercomputer) को शिकागो के बाहर लेमोंट, इलिनॉय (Lemont, Illinois) स्थित आर्गन नेशनल लेबोरेटरी (Argonne National Laboratory) में स्थापित किया जाना है।
- यह पहला ऐसा कंप्यूटर होगा जो एक्ज़ास्केल अर्थात् प्रति सेकंड एक बिलियन बिलियन गणनाएँ करने में सक्षम होगा।
- इसकी स्पीड अब तक बनाए गए सबसे शक्तिशाली कंप्यूटर से सात गुनी, जबकि 2008 में बनाए गए पेटास्केल से 1,000 गुना अधिक होगी।
- यह नया सुपर कंप्यूटर शोधकर्त्ताओं को दवा, जलवायु परिवर्तन, दहन इंजनों की आंतरिक कार्यप्रणाली और सौर पैनल जैसे विषयों के बारे में अधिक सटीक समझ विकसित करने में सक्षम बनाएगा।
- संयुक्त राज्य अमेरिका में ओक रिज नेशनल लेबोरेटरी के लिये बनाया गया इंटरनेशनल बिज़नेस मशीन्स (IBM) कॉर्पोरेशन सिस्टम जिसे समिट (OLCF-4) कहा जाता है, दुनिया का सबसे तेज़ सुपरकंप्यूटर है। इसकी गति 143.5 पेटाफ्लॉप्स है।
भारत में सुपरकंप्यूटर
- भारत के पहले सुपरकंप्यूटर PARAM 8000 को 1991 में लॉन्च किया गया था।
- वर्तमान में भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान में सबसे तेज़ सुपरकंप्यूटर लगाया गया है जिसे प्रत्यूष कहा जाता है। इसकी गति 4.0 पेटाफ्लॉप्स है।
- नेशनल सेंटर फॉर मीडियम-रेंज वेदर फोरकास्टिंग में मिहिर नामक सुपरकंप्यूटर लगाया गया है, जिसकी गति 2.8 पेटाफ्लॉप्स है।
कंप्यूटिंग स्पीड का मात्रक या इकाई
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स्रोत- बिज़नेस लाइन
विविध
Rapid Fire करेंट अफेयर्स (22 March)
- मेघालय के पूर्वी खासी हिल्स ज़िले के मासिनराम क्षेत्र में दुनिया की सबसे गहरी सैंडस्टोन केव (गुफा) क्रेम पुरी (Krem Puri) की खोज के एक साल बाद अब देश में सबसे गहरी शाफ्ट केव का पता चला है। पिछले माह Caving in the Abode of the Clouds Expedition के 28वें संस्करण की खोज प्रक्रिया के दौरान क्रेम उम लाडॉ (Krem Um Ladaw) नामक देश की इस सबसे गहरी शाफ्ट केव का पता चला। गौरतलब है कि 24,583 मीटर लंबी Krem Puri गुफा को विश्व में सबसे लंबी बलुआ पत्थर की गुफा के रूप में जाना जाता है। मेघालय में इंडिया की सबसे लंबी गुफाएँ हैं। अनुमान है कि मेघालय में 1580 से भी अधिक भूमिगत गुफाओं का नेटवर्क है, जिसमें से 980 का ही पता चल पाया है। ये गुफाएँ जयंतिया, खासी और गारो हिल्स में 427 किमी. इलाके में फैली हैं। भारत की 10 सबसे लंबी और गहरी गुफाओं में से 9 मेघालय में हैं।
- 20 मार्च को दुनियाभर में विश्व गौरैया दिवस (World Sparrow Day) मनाया गया। गौरैया के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से यह दिवस मनाया जाता है। इसके अलावा शहरी वातावरण में रहने वाले आम पक्षियों के प्रति जागरूकता लाना भी इस दिवस को मनाने का एक उद्देश्य है। गौरैया की लगातार कम होती जा रही तादाद के मद्देनज़र 2010 में पहली बार यह दिवस मनाया गया था। 2012 में दिल्ली की राज्य सरकार ने गौरैया को दिल्ली का राजकीय पक्षी घोषित किया था। ब्रिटेन की 'रॉयल सोसायटी ऑफ प्रोटेक्शन ऑफ बर्ड्स' ने भारत से लेकर विश्व के विभिन्न हिस्सों में अनुसंधानकर्त्ताओं द्वारा किए गए अध्ययनों के आधार पर गौरैया को 'रेड लिस्ट' में डाला है। गौरैया की संख्या में यह कमी शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में देखी गई है। गौरेया 'पासेराडेई' (Passeridae) परिवार की सदस्य है।
- आपदा सहनशील आधारभूत ढाँचा 2019 पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला (International Workshop on Disaster Resilient Infrastructure-IWDRI) का आयोजन हाल ही में नई दिल्ली में हुआ। इसमें 33 देशों के विकास और आपदा जोखिम विशेषज्ञ, बहुपक्षीय विकास बैंक, संयुक्त राष्ट्र संघ, निजी क्षेत्र, शैक्षणिक विशेषज्ञों, नीति निर्माताओं और अन्य भागीदारों ने हिस्सा लिया। इस कार्यशाला में आपदा सहनशील आधारभूत ढाँचे के लिये प्रस्तावित गठबंधन Coalition for Disaster Resilient Infrastructure-CDRI) को विश्व स्तर पर ले जाने पर भी चर्चा हुई। इस कार्यशाला का आयोजन राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) ने संयुक्त रूप से संयुक्त राष्ट्र आपदा जोखिम कम करने संबंधी कार्यालय और ग्लोबल कमीशन ऑन एडॉप्शन, संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम और विश्व बैंक के साथ मिलकर किया। गौरतलब है कि CDRI की परिकल्पना सूचना के आदान-प्रदान और क्षमता निर्माण भागीदारी के रूप में की गई है। भारत ने नई दिल्ली में 2016 में आयोजित एशियन आपदा जोखिम कम करने पर मंत्रिस्तरीय सम्मेलन के तुरंत बाद CDRI के सृजन की घोषणा की थी।
- 26 मार्च से 8 अप्रैल 2019 तक भारत और श्रीलंका के बीच 2018-19 संयुक्त अभ्यास मित्र शक्ति-6 श्रीलंका में आयोजित किया जा रहा है। गौरतलब है कि यह अभ्यास सैन्य कूटनीति तथा भारत और श्रीलंका की सेनाओं के मध्य बातचीत के एक हिस्से के रूप में हर वर्ष आयोजित किया जाता है। इस वर्ष अभ्यास में भारतीय सेना की बिहार रेजीमेंट की पहली बटालियन की टुकड़ियाँ और श्रीलंका की तरफ से गेमुनु वाच बटालियन की टुकड़ियाँ भाग लेंगी। इस अभ्यास का उद्देश्य दोनों देशों की सेनाओं के मध्य घनिष्ठ संबंधों को और बढ़ावा देना तथा कमान के तहत दोनों देशों के सैनिक दस्तों की संयुक्त अभ्यास कमांडर योग्यता को बढ़ाना है। इस अभ्यास में संयुक्त राष्ट्र आदेश के तहत अंतर्राष्ट्रीय विद्रोह की रोकथाम और आतंकवादी माहौल का मुकाबला करने के लिये युक्तिपूर्ण परिचालनों को शामिल किया जाता है।
- इटली ने चीन के बेल्ट रोड इनिशिएटिव में शामिल होने का फैसला किया है। इससे चीन को अपने इस ग्लोबल इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट का पश्चिमी यूरोप में विस्तार करने में मदद मिलेगी। चीन के बेल्ट रोड इनिशिएटिव का उद्देश्य अपने आर्थिक हितों को विस्तार देकर दुनिया को प्रभावित करना है। इटली सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं वाले G7 समूह का पहला सदस्य है, जो चीन की इस पहल में शामिल होने जा रहा है। इटली के प्रधानमंत्री गुइसेप कोंटे ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के इटली दौरे के दौरान इस संबंध में एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किये। इटली ने अर्थव्यवस्था के लिहाज़ से इसे ज़रूरी कदम बताया। दूसरी तरफ भारत ने अगले महीने होने जा रहे दूसरे बेल्ट एंड रोड फोरम में हिस्सा नहीं लेने का फैसला किया है। इससे पहले विवादित चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे के मुद्दे पर विरोध जताते हुए भारत ने 2017 में हुए पहले बेल्ट एंड रोड फोरम का भी बहिष्कार किया था।
- कज़ाखस्तान के राष्ट्रपति नूरसुल्तान नजरबायेव ने लगभग 30 वर्षों तक देश के सत्ता शीर्ष पर रहने के बाद इस्तीफा दे दिया। आपको बता दें कि 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद मध्य एशिया के इस देश में राष्ट्रपति पद पर नज़रबायेव काबिज़ रहे । इसके बाद संसद के अध्यक्ष कासिम-जोमार्त तोकायेव को देश के अंतरिम राष्ट्रपति के रूप में शपथ दिलाई गई। साथ ही कज़ाखस्तान की सीनेट ने नज़रबायेव की पुत्री दारिगा नज़रबायेव को संसद का नया अध्यक्ष नियुक्त किया। एक अन्य महत्त्वपूर्ण फैसले में देश की राजधानी अस्ताना का नाम बदलकर निवर्तमान राष्ट्रपति के सम्मान में राजधानी अस्ताना का नाम नूरसुसुल्तान करने का एलान किया गया। इससे पहले तेल संपन्न इस देश की राजधानी अस्ताना में हवाई अड्डे का नाम 2017 में बदलकर नूरसुल्तान रख दिया गया था।
- अमेरिका द्वारा अपना पहला एक्सास्केल सुपरकंप्यूटर 2021 तक बना लेने की संभावना है। अमेरिकी ऊर्जा विभाग के अनुसार, देश का पहला 'एक्सास्केल सुपरकंप्यूटर' 2021 तक बनकर तैयार हो जाएगा जो प्रति सेकंड एक अरब से अधिक गणनाएँ करने में सक्षम होगा। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित क्षमताओं वाला यह सुपरकंप्यूटर अब तक के बने सबसे पावरफुल सिस्टम से सात गुना तेज़ी से काम करेगा। सुपरकंप्यूटर की स्पीड को फ्लॉप प्रति सेकंड में मापा जाता है। आधुनिक कंप्यूटर कई टेराफ्लॉप्स प्रति सेकंड की स्पीड के साथ करोड़ों की संख्या में गणना करने में सक्षम हैं।
- भारत ने हाल ही में संयुक्त अरब अमीरात के अबु धाबी में संपन्न हुए स्पेशल ओलंपिक वर्ल्ड गेम्स में 85 स्वर्ण, 154 रजत और 129 कांस्य पदकों सहित कुल 368 पदक जीते। इन खेलों में भारत का यह अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। नौंवीं बार स्पेशल ओलंपिक वर्ल्ड गेम्स में हिस्सा लेते हुए भारत ने 284 एथलीट उतारे थे। भारत ने पॉवरलिफ्टिंग में सबसे ज़्यादा 20 स्वर्ण, 33 रजत और 43 कांस्य सहित कुल 96 पदक जीते। रोलर स्केटिंग में भारत ने 13 स्वर्ण, 20 रजत और 16 कांस्य सहित 49 पदक जीते। साइक्लिंग में भारत ने 11 स्वर्ण, 14 रजत और 20 कांस्य सहित 45 पदक जीते। ट्रैक एंड फील्ड स्पर्द्धाओं में भारत को 5 स्वर्ण, 24 रजत और 10 कांस्य पदक मिले। अगले स्पेशल ओलंपिक वर्ल्ड गेम्स का आयोजन 2021 में स्वीडन में किया जाना प्रस्तावित है।
कृषि
फॉल आर्मीवर्म
चर्चा में क्यों?
संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन फॉल आर्मीवर्म (Fall Armworm) की समस्या से निपटने के लिये बैंकाक में एक बैठक आयोजित करने जा रहा है। फॉल आर्मीवर्म से पीड़ित देशों के प्रतिनिधि इस बैठक में भाग लेंगे और इसे रोकने के उपायों पर चर्चा करेंगे।
प्रमुख बिंदु
- फॉल आर्मीवर्म या स्पोडोप्टेरा फ्रूजाईपेर्डा (Spodoptera Frugiperda), अमेरिका के उष्ण कटिबंधीय और उपोष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में पाया जाने वाला एक कीट है। यह कीट एशियाई देशों में फसलों को काफी नुकसान पहुँचा रहा है।
- अमेरिकी मूल का यह कीट दुनिया के अन्य हिस्सों में भी धीरे-धीरे फैलने लगा है।
- फॉल आर्मीवर्म पहली बार 2016 की शुरुआत में मध्य और पश्चिमी अफ्रीका में पाया गया था और कुछ ही दिनों में लगभग पूरे उप-सहारा अफ्रीका में तेज़ी से फैल गया।
- दक्षिण अफ्रीका के बाद यह कीट भारत, श्रीलंका, बांग्लादेश, म्याँमार, थाईलैंड और चीन के यूनान क्षेत्र तक भी पहुँच चुका है।
फॉल आर्मीवर्म या स्पोडोप्टेरा फ्रूजाईपेर्डा
- इस कीड़े की पहली पसंद मक्का है लेकिन यह चावल, ज्वार, बाजरा, गन्ना, सब्जियाँ और कॉटन समेत 80 से अधिक पौधों की प्रजातियों को खा सकता है।
- वर्ष 2017 में दक्षिण अफ्रीका में इस कीट के फैलने के कारण फसलों को भारी नुकसान हुआ था। यह कीट सबसे पहले पौधे की पत्तियों पर हमला करता है, इसके हमले के बाद पत्तियाँ ऐसी दिखाई देती हैं जैसे उन्हें कैंची से काटा गया हो। यह कीट एक बार में 900-1000 अंडे दे सकता है।
- भारतीय उपमहाद्वीप में सबसे पहले मई 2018 में इस विनाशकारी कीट की मौजूदगी कर्नाटक में दर्ज की गई थी और तब से अब तक यह पश्चिम बंगाल तथा गुजरात तक पहुँच चुका है। उचित जलवायु परिस्थितियों के कारण यह न केवल पूरे भारत में बल्कि एशिया के अन्य पड़ोसी देशों में भी फैल सकता है। कर्नाटक राज्य भारत में सबसे बड़े मक्का उत्पादकों में से एक है और मक्का देश में व्यापक रूप से उत्पादन किया जाने वाला तीसरा अनाज है।
फॉल आर्मीवर्म पर नियंत्रण
- इस कीट को नियंत्रित करने के सबसे लोकप्रिय तरीकों में जीएम फसलों और कीटनाशकों का उपयोग शामिल है, हालाँकि, कुछ आर्मीवर्म ने इन रणनीतियों के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर ली है और वे फसलों को नष्ट कर रहे हैं।
- आर्मीवर्म को नियंत्रित करने के लिये वैज्ञानिक प्राकृतिक तरीकों की तलाश में लगे हुए हैं। इन प्राकृतिक तरीकों में हड्डों (Wasps) का पालन तथा जीवाणु-युद्ध (Germ Warfare) भी शामिल हैं।
खाद्य और कृषि संगठन (FAO)
- संयुक्त राष्ट्र संघ तंत्र की सबसे बड़ी विशेषज्ञता प्राप्त एजेंसियों में से एक है जिसकी स्थापना वर्ष 1945 में कृषि उत्पादकता और ग्रामीण आबादी के जीवन निर्वाह की स्थिति में सुधार करते हुए पोषण तथा जीवन स्तर को उन्नत बनाने के उद्देश्य के साथ की गई थी।
- खाद्य और कृषि संगठन का मुख्यालय रोम, इटली में है।
फॉल आर्मीवर्म से संबंधित और जानकारी प्राप्त करने के लिये इस लिंक पर क्लिक करें… • फॉल आर्मीवर्म की धमक तथा नुकसान पहुँचाने वाले कीटों से संघर्ष |
स्रोत- द हिंदू बिज़नेस लाइन
शासन व्यवस्था
द लैंसेट ग्लोबल हेल्थ
चर्चा में क्यों?
वर्ष 2017 में विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, भारत में 2.74 मिलियन नए टीबी मरीज़ों की पुष्टि हुई है जो वर्ष 2016 के 2.79 मिलियन की तुलना में 0.5 मिलियन कम है। जबकि वैश्विक स्तर पर 10 मिलियन नए टीबी मरीज़ों की पुष्टि हुई है।
प्रमुख बिंदु
- भारत में वर्ष 2017 में प्रति एक लाख जनसंख्या पर 204 टीबी मरीज़ों की पुष्टि हुई है।
- भारत ने वर्ष 2025 तक देश से टीबी के पूर्णतया उन्मूलन का लक्ष्य निर्धारित किया है जो कि सतत् विकास लक्ष्य वर्ष 2030 से 5 वर्ष पूर्व प्राप्त किया जाना है।
- द लैंसेट वैश्विक स्वास्थ्य आर्टिकल के अनुसार, भारत सहित तीन सर्वाधिक प्रभावित देशों में वर्ष 2015 के आँकड़ों के आधार पर टीबी मरीज़ों की संख्या में 2035 तक 57 % कमी तथा इससे होने वाली मृत्यु में 72 % की कमी की संभावना है।
भारत के संदर्भ में
- देश में औषधि-संवेदनशील व औषधि-प्रतिरोधी टीबी रोग के निदान और उपचार में सुधार की आवश्यकता है।
- टीबी रोग से ग्रस्त 8 मिलियन मरीज़ों को अगले 30 वर्ष में बचाया जा सकेगा, यदि टीबी से संबंधित जाँच में अनुदान और उपचार पूर्ण करने में आर्थिक सहायता प्रदान की जाए। टीबी के कारण मौतों से होने वाली आर्थिक हानि 32 बिलियन डॉलर है, जबकि मात्र 290 मिलियन डॉलर की आर्थिक सहायता से इन मौतों को बचाया जा सकता है।
- लैंसेट कमीशन की संस्तुति के अनुसार, भारत को टीबी से संबंधित सेवाओं में सुधार तथा निजी क्षेत्र की संबद्धता से दवा की आपूर्ति के साथ ही द्वितीय श्रेणी की दवाओं हेतु सार्वभौमिक पहुँच सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।
- स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, वर्ष 2018 में 2.15 मिलियन टीबी के मामले दर्ज किये जा चुके हैं जो पिछले वर्ष की तुलना में 16 % अधिक हैं।
- पिछले वर्ष निजी क्षेत्र में 0.54 मिलियन मामले दर्ज किये गए जो की वर्ष 2017 की तुलना में 35% अधिक हैं।
वर्तमान चुनौतियाँ
- टीबी सेवाओं का प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं के साथ एकीकरण किया जाना जिससे उपचार में विलंब को रोका जा सके।
- कुल टीबी मरीज़ों के 10 % की या तो उपचार से पूर्व ही मृत्यु को हो जाती है या उनका उपचार सही मेडिकल उपचार से पूर्व स्व उपचार के कारण विलंब से होता है। यहाँ तक कि प्राथमिक उपचार में भी 4.1 महीने तक का विलंब हो जाता है।
आगे की राह
- संक्रमण चक्र के प्रभाव को कम करने के लिये टीबी मरीज़ों की पहचान हेतु राष्ट्रव्यापी अभियान चलाये जाने की आवश्यकता है।
स्रोत- द हिंदू
भारतीय अर्थव्यवस्था
वैश्विक खुशहाली रिपोर्ट- 2019
चर्चा में क्यों?
हाल ही में सतत् विकास समाधान नेटवर्क (Sustainable Development Solution Network- SDSN) ने वैश्विक खुशहाली रिपोर्ट-2019 ज़ारी की है।
प्रमुख बिंदु
- SDSN ने वैश्विक खुशहाली रिपोर्ट-2019 में 156 देशों को शामिल किया है।
- सबसे खुशहाल देशों में फ़िनलैंड लगातार दूसरे वर्ष शीर्ष पर है। दूसरे और तीसरे स्थान पर क्रमश: डेनमार्क एवं नॉर्वे हैं।
- इस वर्ष भारत का स्थान 140वाँ है जो पिछले वर्ष से 7 स्थान नीचे है।
- पड़ोसी देशों में चीन, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, श्रीलंका और म्याँमार को क्रमश: 93, 67, 154, 100, 95, 125, 130 और 131वाँ स्थान प्राप्त हुआ है।
रिपोर्ट के बारे में
- यह रिपोर्ट प्रत्येक वर्ष सतत् विकास समाधान नेटवर्क (Sustainable Development Solution Network- SDSN) द्वारा प्रकाशित की जाती है।
- वैश्विक खुशहाली रिपोर्ट का प्रकाशन वर्ष 2012 से शुरू हुआ था। इस वर्ष इसका सातवाँ संस्करण प्रकाशित किया गया है।
- खुशहाली को आँकने के लिये सूचकांक में प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद, कठिन समय में व्यक्ति को सामाजिक सुरक्षा, स्वस्थ जीवन की प्रत्याशा, सामाजिक सरोकार, व्यक्तिगत स्वतंत्रता तथा भ्रष्टाचार और उदारता की अवधारणा को आधार बनाया जाता है।
SDSN
- संयुक्त राष्ट्र के तत्त्वाधान में संयुक्त राष्ट्र सतत् विकास समाधान नेटवर्क (Sustainable Development Solution Network- SDSN) 2012 से काम कर रहा है।
- SDSN सतत् विकास हेतु व्यावहारिक समाधान को बढ़ावा देने के लिये वैश्विक वैज्ञानिक और तकनीकी विशेषज्ञता जुटाता है, जिसमें सतत् विकास लक्ष्यों (एसडीजी) और पेरिस जलवायु समझौते का कार्यान्वयन भी शामिल है।
- SDSN संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों, बहुपक्षीय वित्तपोषण संस्थानों, निजी क्षेत्र और नागरिक समाज के साथ मिलकर काम करता है।
स्रोत: वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट, unsdsn.org
विविध
सुपर वोर्म एक्वीनोक्स मून
चर्चा में क्यों?
इस वर्ष का अंतिम सुपर मून वसंत विषुव के साथ ही घटित हुआ है। इस घटना को सामान्यतः 'सुपर वोर्म एक्वीनोक्स मून' (Super Worm Equinox Moon) के रूप में जाना जाता है।
प्रमुख बिंदु
- इस वर्ष मार्च की पूर्णिमा को तीसरे सुपरमून की परिघटना घटित हुई। यह 21 जनवरी को सुपर ब्लड वुल्फ मून (Super Blood Wolf Moon) और 19 फरवरी को सुपर स्नो मून (Super Snow Moon) के बाद घटित हुआ है।
- मार्च की पूर्णिमा को विश्व के कुछ भागों में कृमि चंद्रमा (Worm Moon) के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि ठंडी जलवायु वाले प्रदेश में इसके पश्चात् जमीन गर्म होने लगती है और केंचुए दिखने लगते हैं।
सुपर मून क्या है?
- जब चंद्रमा पृथ्वी के अपने निकटतम बिंदु पर होता है, तो इसे 'उपभू' (Perigee) कहा जाता है और जब एक पूर्ण चंद्रमा एक उपभू के साथ होता है तब इसे ‘सुपर मून’ कहा जाता है।
- विषुव वह परिघटना है, जब दिन और रात की अवधि समान हो जाती है और सूर्य की किरणें सीधे पृथ्वी के भूमध्य रेखा पर पड़ती हैं।
- यह घटना एक वर्ष में दो बार होती है- प्रथम सितंबर में ‘शरद विषुव’ और दूसरी मार्च में ‘वसंत विषुव’ के रूप में।
अन्य बिंदु
- अर्थस्काई के अनुसार इससे पूर्व सुपर वोर्म मून की घटना वर्ष 2000 में हुई थी। अगली सुपर वार्म मून घटना र्ष 2030 में होगी।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस