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डेली न्यूज़

  • 21 Sep, 2018
  • 19 min read
सामाजिक न्याय

एक दशक में लगभग 271 मिलियन भारतीय गरीबी से हुए मुक्त

चर्चा में क्यों?

हाल ही में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) और ऑक्सफोर्ड गरीबी तथा मानव विकास पहल (OPHI) द्वारा 2018 वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI) जारी किया गया।

प्रमुख बिंदु

  • हाल ही में जारी किये गए नवीनतम अनुमानों के अनुसार, 2005-06 के बाद से भारत में 270 मिलियन से ज़्यादा लोग गरीबी के चंगुल से मुक्त हुए हैं और देश में गरीबी दर 10 साल की अवधि में लगभग आधी हो गई है, यह एक आशाजनक संकेत है कि वैश्विक स्तर पर गरीबी को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है।
  • इस रिपोर्ट के अनुसार, विश्व स्तर पर 1.3 अरब लोग बहुआयामी गरीबी में रह रहे हैं। यह जनसंख्या उन 104 देशों की आबादी का लगभग एक-चौथाई हिस्सा है जिनके लिये 2018 MPI की गणना की गई है।
  • इन 1.3 अरब लोगों में से लगभग 46 प्रतिशत लोग गंभीर रूप से गरीबी का सामना कर रहे हैं और MPI के तहत शामिल किये गए आयामों में से कम-से-कम आधे आयामों से वंचित हैं।
  • रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक स्तर पर गरीबी से निपटने के लिये बहुत कुछ करने की आवश्यकता है, ऐसे में यहाँ "आशाजनक संकेत दिखते हैं कि गरीबी का सामना इस प्रकार किया जा सकता है और इस ढंग से इसका सामना किया जा रहा है।"

नया दृष्टिकोण

  • सूचकांक में यह व्यक्त किया गया है कि भारत में गरीबी दर दस साल की अवधि में 55 प्रतिशत से घटकर 28 फीसदी या लगभग आधी हो गई है। भारत पहला ऐसा देश है जिसके लिये समय के साथ प्रगति का अनुमान लगाया गया है।
  • हालाँकि गरीबी का स्तर विशेष रूप से बच्चों के मामलों में चौंकाने वाला है, इसलिये भारत में हुई प्रगति का उपयोग इसे सुलझाने में किया जा सकता है।
  • बहुआयामी गरीबी सूचकांक ऐसी अंतर्दृष्टि प्रदान करता है जो लोगों को गरीबी का अनुभव करने के कई तरीकों को समझने के लिये महत्त्वपूर्ण हैं और यह वैश्विक गरीबी के स्तर तथा इसकी प्रकृति पर एक नया दृष्टिकोण प्रदान करता है।
  • हालाँकि समय के साथ प्रगति की समान तुलना अभी तक अन्य देशों के लिये नहीं की गई है लेकिन UNDP के मानव विकास सूचकांक की नवीनतम जानकारी कई उप-सहारा अफ्रीकी देशों समेत सभी क्षेत्रों में विकास की महत्त्वपूर्ण प्रगति दर्शाती है।

बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI)

  • MPI को ऑक्सफोर्ड गरीबी और मानव विकास पहल (OPHI) तथा संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम द्वारा 2010 में विकसित किया गया था।
  • इस सूचकांक द्वारा गरीबी निर्धारण में आय आधारित सूचकांकों के अलावा विभिन्न कारकों को शामिल किया गया है।
  • इसे पहले के सभी ‘मानव गरीबी सूचकांकों’ के स्थान पर विकसित किया गया है।

 


सामाजिक न्याय

भारत बना यौन अपराधियों की रजिस्ट्री करने वाला 9वाँ देश

चर्चा में क्यों?

हाल ही में देश में यौन अपराधों के दोषियों के बारे में जानकारी को डेटा के रूप में उपलब्ध कराने के लिये नेशनल रजिस्ट्री ऑफ सेक्स ऑफेडंर्स की शुरुआत की गई। उल्लेखनीय है कि शुरुआत में इस रजिस्ट्री में देश भर में विभिन्न यौन अपराधों के लिये दोषी ठहराए गए लगभग 4.4 लाख लोगों के नाम और उनका विवरण शामिल हैं।

नेशनल रजिस्ट्री ऑफ सेक्स ऑफेडंर्स

  • इस डाटाबेस में 2005 के बाद यौन अपराधों के लिये दोषी पाए गए लोगों के बारे में प्राप्त जानकारियों को संग्रहित किया गया है जिसमें दोषी का नाम, पता, फोटोग्राफ और फिंगरप्रिंट जैसे विवरण शामिल किये गए हैं।
  • गृह मंत्रालय के अनुसार, डाटाबेस किसी भी व्यक्ति की गोपनीयता से समझौता नहीं करेगा।
  • नई दिल्ली में 2012 के निर्भया गैंगरेप मामले के बाद इस तरह की रजिस्ट्री शुरू करने का प्रस्ताव पेश किया था।
  • डाटाबेस की निगरानी राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड्स ब्यूरो (National Crime Records Bureau- NCRB) द्वारा की जाएगी। NCRB इस पर भी नज़र रखेगा कि राज्य पुलिस समय पर रिकॉर्ड को अपडेट कर रही है या नहीं।
  • इसमें पहली बार अपराध करने वालों से लेकर बार-बार अपराध करने वाले लोगों का रिकॉर्ड रखा गया है।
  • डाटाबेस में बलात्कार, सामूहिक बलात्कार, लैंगिक अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (Protection of Children from Sexual Offenders Act- POCSO) और छेड़खानी के दोषी अपराधियों को शामिल किया जाएगा।

पोर्टल cybercrime.gov.in

  • नेशनल रजिस्ट्री ऑफ सेक्स ऑफेडंर्स के साथ-साथ एक अन्य पोर्टल gov.in को भी लॉन्च किया गया जिसमें लोग बाल अश्लीलता, बाल यौन दुर्व्यवहार सामग्री और बलात्कार तथा सामूहिक बलात्कार को बढ़ावा देने वाली सामग्री आदि के बारे में ऑनलाइन शिकायतें दर्ज़ करा सकेंगे।
  • यह न केवल पीड़ितों/शिकायतकर्त्ताओं की सहायता करेगा बल्कि नागरिक समाज संगठनों और ज़िम्मेदार नागरिकों को गुप्त रूप से ऐसी शिकायतों की रिपोर्ट करने में मदद करेगा।
  • इस पोर्टल के माध्यम से पंजीकृत शिकायतों की जाँच संबंधित राज्य/संघ राज्य क्षेत्रों के पुलिस अधिकारियों द्वारा की जाएगी।
  • इसके अलावा पीड़ित या शिकायतकर्त्ता अपने मोबाइल नंबर का उपयोग करके 'रिपोर्ट और ट्रैक' विकल्प चुनकर अपनी रिपोर्ट को ट्रैक कर सकते हैं।

यौन उत्पीड़न पर राष्ट्रीय डाटाबेस तैयार करने वाला 9वाँ देश

  • भारत NDSO (National Database on Sexual Offenders) कि शुरुआत करने वाला दुनिया का नौवाँ देश बन गया है।
  • यौन उत्पीड़न पर राष्ट्रीय डाटाबेस रखने वाले अन्य देश हैं- अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, आयरलैंड, दक्षिण अफ्रीका,  न्यूजीलैंड, त्रिनिदाद और टोबैगो।
  • उल्लेखनीय है कि इन सभी देशों में मात्र अमेरिका ही ऐसा देश हैं जहाँ इस प्रकार का डाटाबेस आम जनता के लिये उपलब्ध है, अन्य देशों में यह डाटाबेस "जाँच और निगरानी" के उद्देश्य से केवल कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिये सुलभ है।

भारतीय अर्थव्यवस्था

सरकारी पैनल ने कृषि पारिस्थितिकी तंत्र के कायापलट की सिफारिश की

चर्चा में क्यों

13 अप्रैल, 2016 को केंद्र सरकार द्वारा गठित अंतर-मंत्रालयी दलवाई समिति ने हाल ही में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी है। गौरतलब है कि अशोक दलवाई समिति का उद्देश्य 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने की रणनीति की सिफारिश करना था।

रिपोर्ट में उल्लेखित मुख्य बिंदु

  • समिति ने सिफारिश के मसौदे पर अब तक कुल 13 खंड प्रस्तुत किये हैं।
  • 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने हेतु सरकार को सप्लाई-पुश उत्पादन प्रणाली की जगह डिमांड-लेड उत्पादन प्रणाली को अपनाते हुए कृषि पारिस्थितिकी तंत्र का कायापलट करना चाहिये।
  • किसानों की आय दोगुनी करने हेतु अपनाई गई रणनीति पर निगरानी रखने के लिये कृषि मंत्रालय को एक ‘सशक्त समिति’ की स्थापना करनी चाहिये।
  • पूरे भारत में किसानों के बीच पनपते असंतोष, आक्रोश और बेचैनी तथा प्रदर्शनों की पृष्ठभूमि में ये सिफारिशें आई हैं।
  • समिति ने अपनी फाइनल रिपोर्ट में कहा है, “अब समय आ चुका है कि कृषि को उद्यम के रूप में देखा जाए।”
  • इस रिपोर्ट ने यह भी सुझाया है कि उत्पादन प्रणाली का पुनर्गठन बाज़ार के नज़रिये से किया जाना चाहिये। इसमें गेहूँ और चावल जैसे साधारण अनाजों के उत्पादन की जगह पोषक तत्त्व युक्त अनाजों, दुग्धालय, पशुधन और मत्स्यपालन पर ज़ोर दिया गया है।
  • इस रिपोर्ट में कृषि में प्रयुक्त होने वाले जल के प्रबंधन पर अत्यधिक ज़ोर दिया गया है। प्रतिवर्ष 20-25 लाख हेक्टेयर भूमि को माइक्रो इरीगेशन के तहत लाया जाएगा और जलवायु आधारित कृषि को बढ़ावा दिया जाएगा।

अशोक दलवाई समिति 

  • 13 अप्रैल, 2016 को सरकार ने किसानों की आय पर एक रिपोर्ट तैयार करने के लिये केंद्र सरकार के कृषि मंत्रालय में तत्कालीन अतिरिक्त सचिव अशोक दलवाई के नेतृत्व में एक समिति का गठन किया।
  • इस रिपोर्ट में तीन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया गया था- उत्पादकता लाभ, फसल के मूल्य में कमी और लाभकारी मूल्य।
  • इस सामरिक ढाँचे को लेकर चार चिंताएँ भी थीं, जैसे- टिकाऊ कृषि उत्पादन, किसानों के उत्पाद का मौद्रीकरण, विस्तार सेवाओं का पुनः मज़बूतीकरण और कृषि को एक उद्यम के रूप में मान्यता प्रदान करना।
  • इस रिपोर्ट में कृषि, सिंचाई, ग्रामीण सड़कों, ग्रामीण ऊर्जा और ग्रामीण विकास में निवेश की आवश्यकता को पूरा करने के लिये एक आर्थिक मॉडल का उपयोग करने पर भी ज़ोर दिया गया था, जिससे 2015-16 के आधार वर्ष पर वर्ष 2022-23 तक किसानों की दोगुनी आय में 10.41% की वार्षिक वृद्धि का लक्ष्य प्राप्त किया जा सके।
  • ध्यान देने योग्य तथ्य यह है कि वर्ष 2002-03 से 2012-13 और इसके आगे के वर्षों में किसानों की वास्तविक आय में प्रतिवर्ष मात्र 3.5% की दर से वृद्धि हुई।

प्रारंभिक परीक्षा

प्रीलिम्स फैक्ट्स: 21 सितंबर 2018

इंडिया इंटरनेशनल कन्वेंशन और एक्सपो सेंटर

हाल ही नई दिल्ली के द्वारिका में इंडिया इंटरनेशनल कन्वेंशन और एक्सपो सेंटर (India International Convention and Expo Centre-IICC)  की स्थापना की नींव रखी गई।

  • नई दिल्ली के द्वारिका सेक्टर-25 में बनने वाला यह सेंटर विश्व स्तरीय एक्जीबिशन सह कन्वेंशन सेंटर होगा जिसमें वित्तीय, अतिथ्य तथा रिटेल सेवाओं जैसी सुविधाएँ उपलब्ध होंगी।
  • परियोजना की अनुमानित लागत 25,700 करोड़ रुपए है।
  • यह परियोजना औद्योगिक नीति और संवर्द्धन विभाग (Department of Industrial Policy & Promotion- DIPP) द्वारा स्थापित शत-प्रतिशत सरकारी कंपनी इंडिया इंटरनेशनल कन्वेंशन एंड एक्जीबिशन सेंटर लिमिटेड द्वारा लागू की जा रही है।
औद्योगिक नीति और संवर्द्धन विभाग

औद्योगिक नीति और संवर्द्धन विभाग की स्थापना 1995 में हुई थी तथा औद्योगिक विकास विभाग के विलय के साथ वर्ष 2000 में इसका पुनर्गठन किया गया।


भारत का पहला जैव प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय

गुजरात सरकार भारत का पहला जैव प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय स्थापित करने की योजना बना रही है। उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार द्वारा विश्वविद्यालय की स्थापना से संबंधित विधेयक पारित होने के बाद इस विश्वविद्यालय की स्थापना की जाएगी।

  • जैव प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय स्थापित करने का उद्देश्य इस क्षेत्र में अनुसंधान, नवाचार और उद्यमशीलता को बढ़ावा देना है।
  • गुजरात बायोटेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी को विश्व स्तरीय अनुसंधान-केंद्रित अकादमिक संस्थान के रूप में स्थापित किया जाएगा।
  • यह विश्वविद्यालय जैव प्रौद्योगिकी के माध्यम से प्रमुख मुद्दों और उनके समाधानों की समीक्षा भी करेगा और उद्योगों की ज़रूरतों को पूरा करने के लिये ज्ञान एवं कौशल के साथ जनशक्ति का विकास करेगा।
  • राज्य में एक मज़बूत जैव प्रौद्योगिकी पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लिये, सरकार ने गुजरात राज्य जैव प्रौद्योगिकी मिशन, गुजरात जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान केंद्र और सावली प्रौद्योगिकी और व्यापार इनक्यूबेटर की स्थापना की है।
  • ये संगठन पहले से ही अनुसंधान, मानव संसाधन विकास, नीति आधारित स्टार्ट-अप और राज्य में उद्यमिता को बढ़ाने के लिये काम करते आ रहे हैं, जो जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र को गति प्रदान करते हैं।
सलाहकार परिषद

विश्वविद्यालय के अधिनियम में रणनीतिक परिवर्तनों पर आवश्यक दिशा-निर्देशों के लिये सलाहकार परिषद बनाने का प्रावधान किया गया है जिसमें शिक्षा प्रणाली, शोध प्रणाली और उद्योगों के साथ संबंध तथा विदेशों में शीर्ष रैंकिंग संस्थान शामिल होंगे।

  • इस समिति का उद्देश्य विश्वविद्यालय के वैश्विक मानकों को पूरा करना है।
रायगंज वन्यजीव अभयारण्य

पश्चिम बंगाल के रायगंज वन्यजीव अभयारण्य में आगंतुक पक्षियों की संख्या में अत्यधिक वृद्धि हुई है जिसने पिछले सभी रिकॉर्ड पार कर लिये हैं।

  • राज्य वन विभाग द्वारा की गई जनगणना के अनुसार, 130 हेक्टेयर के क्षेत्रफल में फैले वन्यजीव अभयारण्य में इस वर्ष 98,532 पक्षियों की उपस्थिति दर्ज़ की गई है। जो यह दर्शाता है कि इस अभयारण्य में प्रवासी पक्षियों की संख्या में प्रतिवर्ष वृद्धि हो रही है।
  • एशिया में सबसे अधिक ओपनबिल स्टार्क पक्षी इस अभयारण्य में पाए जाते है। उल्लेखनीय है कि 98,000 प्रवासी पक्षियों में से 67,000 ओपनबिल स्टार्क हैं।
ओपनबिल स्टार्क
  • यह एक वृहदाकार पक्षी है जो पहाड़ी क्षेत्रों को छोड़कर पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में पाया जाता है।
  • इनकी चोंच के मध्य खाली स्थान होने के कारण इन्हें ओपनबिल नाम दिया गया है।
  • विश्व में इस पक्षी की कुल 20 प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें से 8 प्रजातियाँ भारत में मौजूद हैं।
  • इसका मुख्य भोजन घोंघा, मछली तथा अन्य छोटे जलीय जीव हैं।
  • IUCN की रेड लिस्ट में इसे लीस्ट कंसर्न की श्रेणी में रखा गया है।
अभयारण्य के बारे में
  • रायगंज वन्यजीव अभयारण्य पश्चिम बंगाल के उत्तर दिनाजपुर ज़िले में स्थित है।
  • इस अभयारण्य को कुलिक पक्षी अभयारण्य के नाम से भी जाना जाता है, इसका यह नाम कुलिक नदी के नाम पर रखा गया है।
  • यह अभयारण्य हर साल बड़ी संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करता है।
  • इस अभयारण्य में पक्षियों की 164 प्रजातियाँ पाई जाती है।
गिर वन्यजीव अभयारण्य

हाल ही में गुजरात के गिर वन्यजीव अभयारण्य में 10 से अधिक एशियाई शेरों की मौत हो गई।

  • वन अधिकारियों के अनुसार, इनमें से अधिकांश शेरों की मौत फेफड़ों के संक्रमण के कारण हुई जबकि कुछ की मौत आपस में लड़ाई में लगी चोटों के कारण हुई है।
अभयारण्य के बारे में
  • गिर वन्यजीव अभयारण्य 'बाघ संरक्षित क्षेत्र' है, जो 'एशियाई बब्बर शेर' के लिये विश्व प्रसिद्ध है।
  • यह अभयारण्य लगभग 1400 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला हुआ है जिसमें 258 किलोमीटर का क्षेत्र राष्ट्रीय उद्यान के रूप में संरक्षित है।
  • एशियाई शेर को बचाने के लिये सरकार ने 18 सितंबर, 1965 को सासन गिर की बड़ी भौगोलिक सीमा को वन्यजीव अभयारण्य के रूप में अधिसूचित किया।
  • 1969 में इसे अभयारण्य का दर्जा प्रदान कर दिया गया था।
  • 1975 में इसके 140.4 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया।
  • गिर अभयारण्य को एशियाई शेरों की अंतिम शरणस्थली माना जाता है।
  • दक्षिणी अफ्रीका के अलावा विश्‍व का यही ऐसा एकमात्र स्थान है जहाँ शेरों को अपने प्राकृतिक आवास में देखा जा सकता है।
  • यहाँ स्तनधारी जीवों की 30 प्रजातियाँ, सरीसृप वर्ग की 20 प्रजातियाँ और कीड़े-मकोड़ों तथा पक्षियों की भी अनेक प्रजातियाँ पाई जाती हैं।

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