डेली न्यूज़ (21 May, 2019)



गोलकुंडा एवं कुतुब शाही किला

चर्चा में क्यों?

राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण (National Monuments Authority-NMA) ने हैदराबाद (तेलंगाना) में 500 साल पुराने गोलकुंडा किले (Golconda Fort) और कुतुब शाही मकबरे (Qutb Shahi Tombs) परिसर के विनियमित क्षेत्र में 54 पंक्तिबद्ध घरों के विकास के लिये कदम उठाया है।

प्रमुख बिंदु

  • तेलंगाना के राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण ने बिल्डर को अनापत्ति प्रमाण-पत्र जारी करने के खिलाफ प्राचीन स्मारक और पुरातत्त्व स्थल और अवशेष (Anicient Monuments And Archaeological Sites and Remains-AMASR) अधिनियम का हवाला देते हुए कई गंभीर मुद्दों को उठाया।
  • चिंता का विषय यह है कि यदि इन प्राचीन विरासतों का जीर्णोद्धार कराया जाता है तो यह प्राकृतिक सौन्दर्य को अवरुद्ध करेगा जो दो स्थानों के बीच सदियों से मौजूद है।
  • निर्माण स्थान पाटनचेरु दरवाज़ा (Patancheru Darwaza) के पास स्थित दीवार से 101 मीटर की दूरी पर है। प्राचीन काल में यह द्वार पुराने गोलकुंडा स्थल में जाने का प्रमुख मार्ग था।
  • किसी भी प्रकार का जीर्णोद्धार कार्य गोलकुंडा के प्राचीन इतिहास को प्रभवित करेगा और ऐसा अनुमान लगाया गया है कि पुराने गोलकुंडा किले और मकबरे के जीर्णोद्धार के कारण गोलकुंडा किला क्षेत्र से अधिक तक विस्तारित हो सकता है।
  • यह किले की दीवार और मकबरे के बाहरी बाड़े के बीच पाँच छोटे-छोटे जल निकायों पर भी प्रभाव डालेगा।
  • यह जीर्णोद्धार स्मारक स्थलों के लिये विश्व धरोहर का दर्जा (World Heritage Status) हासिल करने के प्रयासों को भी प्रभावित करेगा (2014 में नामांकित)।
  • सरकारी एजेंसियों और नागरिकों को दोनों स्थलों के विरासत चरित्र को बनाए रखने के लिये मिलकर काम करने की ज़रूरत है।

प्राचीन स्मारक और पुरातत्त्व स्थल तथा अवशेष (Anicient Monuments And Archaeological sites and Remains-AMASR) (संशोधन और मान्यता) अधिनियम, 2010

  • 2010 में पारित इस अधिनियम के अंतर्गत प्राचीन स्मारकों और पुरातात्त्विक स्थलों के संरक्षण, और समय-समय पर उनकी मरम्मत करवाने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है। इन इमारतों की सभी दिशाओं में 300 मीटर के आस-पास के क्षेत्र को (या अधिक के रूप में कुछ मामलों में निर्दिष्ट किया जा सकता है) राष्ट्रीय महत्त्व का क्षेत्र घोषित किया जाता है।
  • इस प्रतिबंधित क्षेत्र में किसी भी प्रकार के निर्माण या पुनर्निर्माण की अनुमति नहीं है (राष्ट्रीय महत्त्व के रूप में घोषित नज़दीकी संरक्षित स्मारक या संरक्षित क्षेत्र की निकटतम संरक्षित सीमा से सभी दिशाओं में 100 मीटर की दूरी तक का क्षेत्र) , लेकिन मरम्मत या नवीकरण कार्य कराया जा सकता है।
  • नियंत्रित क्षेत्र में (किसी भी संरक्षित स्मारक और राष्ट्रीय महत्त्व के घोषित संरक्षित क्षेत्र से सभी दिशाओं में 200 मीटर की दूरी तक का क्षेत्र) मरम्मत / नवीनीकरण / निर्माण / पुनर्निर्माण किया जा सकता है।
  • प्रतिबंधित और नियंत्रित क्षेत्रों में निर्माण संबंधी कार्यों के लिये सभी आवेदन सक्षम प्राधिकारी (Competent Authorities-CA) और फिर उन पर विचार करने हेतु NMA के समक्ष प्रस्तुत किये जाते हैं।

राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण (National Monuments Authority-NMA)

  • राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण को सांस्कृतिक मंत्रालय के तहत प्राचीन स्मारक और पुरातत्त्व स्थल तथा अवशेष (Anicient Monuments And Archaeological Sites and Remains-AMASR) (संशोधन और मान्यता) अधिनियम के
  • वधानों के अनुसार स्थापित किया गया है जिसे मार्च, 2010 में अधिनियमित किया गया था।
  • NMA को स्मारकों और स्थलों के संरक्षण से संबंधित कई कार्य सौंपे गए हैं जो केंद्र द्वारा संरक्षित स्मारकों के आसपास प्रतिबंधित और विनियमित क्षेत्रों के प्रबंधन के माध्यम से किये जाते हैं।
  • NMA, प्रतिबंधित और विनियमित क्षेत्रों में निर्माण संबंधी गतिविधि के लिये आवेदकों को अनुमति प्रदान करने पर भी विचार करता है।

गोलकुंडा का किला (Golkunda Fort)

  • यह हैदराबाद के पश्चिमी भाग में स्थित है।
  • इसे वर्ष 1143 में एक पहाड़ी की चोटी पर बनाया गया था। यह मूल रूप से मंकल (Mankal) के नाम से जाना जाता था।
  • यह मूल रूप में वारंगल के राजाओं (Rajah of Warangal) के शासनकाल में एक मिट्टी का किला था।
  • यह 14वीं और 17वीं शताब्दी के बीच बहमनी सुल्तानों (Bahmani Sultans) द्वारा और फिर कुतुब शाही वंश (Qutub Shahi dynasty) द्वारा इसे संरक्षित कर लिया गया था यह गोलकुंडा, कुतुब शाही राजाओं की प्रमुख राजधानी थी।
  • किले के आंतरिक भाग में महल, मस्जिद और एक पहाड़ी मंडप के खंडहर हैं, जिनकी ऊँचाई लगभग 130 मीटर है और ये अन्य इमारतों को देखने के लिये विहंगम दृश्य प्रदान करते हैं।

क़ुतुब शाही मकबरा (Qutb Shahi Tombs)

  • गोलकुंडा किले से दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित कुतुब शाही मकबरा फारसी, हिंदू और पठानी वास्तुकला की शैलियों में निर्मित हैं।
  • 18वीं सदी में कई राजाओं ने राज्य किया जिनके द्वारा इन मकबरों के निर्माण की योजना तैयार कर इनका निर्माण कराया गया था।
  • इब्राहिम बाग (Ibrahim Bagh) के सुंदर उद्यानों के बीच इन मकबरों की स्थापना की गई है जिससे इनकी भव्यता और अधिक बढ़ जाती है। ये मकबरे सात कुतुब शाही राजाओं को समर्पित हैं जिन्होंने लगभग 170 वर्षों तक गोलकुंडा पर शासन किया था।
  • सबसे प्रभावशाली मकबरों में से एक मकबरा हैदराबाद के संस्थापक मोहम्मद कुली कुतुब शाह (Mohammed Quli Qutub Shah) का है। जिसकी ऊँचाई 42 मीटर है।

स्रोत: ‘द हिंदू’


गुजरात में पेयजल की समस्या का समाधान

चर्चा में क्यों?

हर साल गुजरात के उत्तरी क्षेत्र और सौराष्ट्र (North Gujarat and Saurashtra) को पेयजल की भारी किल्लत का सामना करना पड़ता है। गौरतलब है कि ये दोनों राज्य के सूखे से प्रभावित क्षेत्र हैं किंतु अब इस समस्या से निपटने के लिये गुजरात सरकार एक विस्तृत योजना लाने की तैयारी कर रही है।

प्रमुख बिंदु

  • गुजरात सरकार की इस योजना के तहत अब स्वच्छ जल का इस्तेमाल केवल पेयजल के रूप में तथा सिंचाई के लिये किया जाएगा और उद्योगों की जल संबंधी आवश्यकताओं को उपचारित अपशिष्ट जल से पूरा किया जाएगा।
  • अगले 3-4 वर्षों में उद्योगों की आवश्यकताओं का 80% से अधिक जल की आपूर्ति उपचारित अपशिष्ट जल (Treated Waste Water- TWW) के माध्यम से की जाएगी। उपचारित अपशिष्ट जल (TWW) की आपूर्ति सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट्स (Sewerage Treatment Plants- STPs) से की जाएगी।
  • गुजरात में सीवेज से कुल 4,000 मिलियन लीटर जल प्रतिदिन निकलता है, जबकि इसकी जल उपचार क्षमता 3,500 मिलियन लीटर प्रतिदिन (Million Litres per Day- MLD) है।
  • अगले 2-3 वर्षों में नए सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट्स की स्थापना तथा मौजूदा प्लांट्स के विस्तार द्वारा इस क्षमता को बढ़ाते हुए 5000 मिलियन लीटर प्रतिदिन (MLD) कर दिया जाएगा।

क्यों महत्त्वपूर्ण है यह योजना?

  • गुजरात में ताज़े जल के सीमित स्रोत हैं, जबकि मांग लगातार बढ़ रही है। ऐसी स्थिति में पेयजल की समस्या के समाधान के लिये उचित तरीके अपनाने की सख्त आवश्यकता है जिसके मद्देनज़र गुजरात सरकार यह योजना बना रही है।
  • इस योजना के परिणामस्वरूप शहरों और कस्बों में बढ़ते प्रदूषण की समस्या से भी निपटा जा सकेगा।

सीवरेज ट्रीटमेंट

  • सीवरेज ट्रीटमेंट प्रक्रिया में घरेलू अपशिष्ट जल, गंदे जल से संदूषित पदार्थों को हटाया जाता है।
  • इस प्रक्रिया में ऐसे विभिन्न भौतिक, रासायनिक और जैविक पदार्थों को हटाया जाता है जो जल को हानिकारक बनाते हैं।
  • सीवरेज ट्रीटमेंट में विभिन्न भौतिक, रासायनिक और जैविक प्रक्रियाएँ अपनाई जाती हैं।

pretreatment

स्रोत- द हिंदू


संयुक्त राष्ट्र, राज्य नहीं

चर्चा में क्यों?

हाल ही में दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक याचिका पर फैसला देते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र भारत के संविधान के अनुच्छेद 12(Article 12) के तहत एक राज्य नहीं है और संविधान के अनुच्छेद 226(Article 226) के तहत अपने अधिकार क्षेत्र के लिये उत्तरदायी नहीं है।

प्रमुख बिंदु

  • संयुक्त राष्ट्र(United Nations-UN) के एक पूर्व कर्मचारी संजय बहल को एक अमेरिकी संघीय न्यायालय(US Federal Court) ने कदाचार का दोषी पाया था।प्रमाणित दोष के आधार पर संजय बहल को 97 महीने की कैद और दो साल की आदेशात्मक नज़रबंदी  की सज़ा सुनाई गई थी।
  • इसके बाद बहल को मई 2014 में कैद से रिहाई देकर भारत निर्वासित कर दिया गया था।
  • दिल्ली उच्च न्यायालय में दायर अपनी याचिका में संजय बहल ने दावा किया था कि उनके मामले में निर्धारित  प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया।
  • संजय बहल ने नवंबर 2018 में विदेश मंत्रालय(Ministry of External Affairs-MEA) को एक पत्र लिखा था जिसमें नागरिक प्रक्रिया संहिता, 1908 की धारा 86 के तहत संयुक्त राष्ट्र संगठन (United Nation Organization-UNO) के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू करने की अनुमति देने की मांग की गई थी।
  • 1908 की धारा यह सुनिश्चित करती है कि एक विदेशी राज्य के खिलाफ केंद्र सरकार की सहमति से किसी भी न्यायालय में मुकदमा दायर किया जा सकता है।
  • उस पत्र के जवाब में विदेश मंत्रालय ने  यह स्पष्ट किया कि संयुक्त राष्ट्र को सम्मन जारी करने के लिए भारत सरकार की स्वीकृति आवश्यक नहीं है क्योंकि यह एक विदेशी राज्य नहीं, केवल एक आंतरिक संगठन है।
  • हालाँकि संयुक्त राष्ट्र (विशेषाधिकार एवं प्रतिरक्षा) अधिनियम 1947 के अंतर्गत संयुक्त राष्ट्र और इसके अधिकारी को कानूनी प्रक्रिया से प्रतिरक्षा (Immunity) का अधिकार है।
  • 1947 की अनुसूची के अनुच्छेद-2 की धारा 2, संयुक्त राष्ट्र को सभी प्रकार की क़ानूनी प्रक्रियाओं से प्रतिरक्षा का अधिकार देती है, बशर्ते किसी विशेष स्थिति में संयुक्त राष्ट्र स्वेच्छा से प्रतिरक्षा का  लाभ लेने से इनकार न कर दे।
  • निर्धारित की गई प्रतिरक्षा की शर्तों की व्यापकता और प्रासंगिकता सभी राष्ट्रीय कानूनों पर समान रूप से लागू होती है लेकिन प्रस्तुत मामला प्रतिवादी नंबर 2 (UNO) द्वारा प्रतिरक्षा  के अधिकार के त्याग पर निर्भर करती है। न्यायमूर्ति कैट ने यह स्पष्ट किया कि “जैसा कि प्रतिवादी संख्या 2 (संयुक्त राष्ट्र) कथित प्रतिरक्षा से छूट के अधिकार का प्रयोग नहीं करना चाहता है, अत: राष्ट्रीय कानूनों के पालन से संबंधित अनुच्छेद  याचिकाकर्त्ता की यहाँ कोई मदद नहीं करेगा।

1908 की समान प्रक्रिया संहिता की धारा 86 (section 86 of Civil Procedure Code, 1908)

  • 1908 की समान प्रक्रिया संहिता की धारा 86 विदेशी शासकों, राजदूतों, राजनयिकों, प्रतिनिधियों के खिलाफ मुक़दमा चलाने का अधिकार देती है।
  • 1908 की यह धारा  सुनिश्चित करती है कि एक विदेशी राज्य के खिलाफ केंद्र सरकार की सहमति से किसी भी न्यायालय में मुकदमा दायर किया जा सकता है।

संयुक्त राष्ट्र (विशेषाधिकार एवं प्रतिरक्षा) अधिनियम, 1947( United Nations (Privileges and Immunities) Act, 1947)

  • यह अधिनियम संयुक्त राष्ट्र को, सभी प्रकार की कानूनी कार्यवाहियों  से प्रतिरक्षा या बचाव का अधिकार देता है।
  • परंतु प्रतिरक्षा का यह अधिकार तब तक ही बना रहेगा जब तक कि किसी असाधारण या विशेष परिस्थिति में संयुक्त राष्ट्र स्वेच्छा से  प्रतिरक्षा का लाभ लेने से इनकार न कर दे।
  • दिल्ली उच्च न्यायालय ने उक्त फैसले में 1947 की अनुसूची के अनुच्छेद II की  धारा  2 का उल्लेख करते हुए यह स्पष्ट किया  कि इस मामले में संयुक्त राष्ट्र को प्रतिरक्षा का अधिकार प्राप्त है।

स्रोत- द हिंदू


Rapid Fire करेंट अफेयर्स (21 May)

  • 20 मई को वर्ल्ड मैट्रोलॉजी डे के दिन से दुनियाभर में किलोग्राम की परिभाषा बदल गई है और नई परिभाषा लागू भी हो गई है। इससे पहले किलोग्राम को प्लेटिनम से बने सिलेंडर के वज़न से परिभाषित किया जाता था, जिसे ली ग्रैंड कहा जाता था। ऐसा एक सिलेंडर पेरिस में इंटरनेशनल ब्यूरो ऑफ वेट्स एंड मेज़र्स के पास 1889 से मौजूद है। अब किलोग्राम के माप के लिये किब्बल या वाट बैलेंस का उपयोग किया जाएगा। क्वांटम फिजिक्स से संबंधित यह एक ऐसा उपकरण है जो यांत्रिक और विद्युत चुंबकीय ऊर्जा का उपयोग कर सटीक गणना करेगा। ज्ञातव्य है कि पिछले वर्ष नवंबर में वैज्ञानिकों ने किलोग्राम की परिभाषा बदल दी थी, जिसे दुनिया के 50 से अधिक देशों ने सर्वसम्मति से मंज़ूरी दी थी। किलोग्राम की परिभाषा पर पुनर्विचार के लिये फ्राँस में वेट एंड मेजर्स पर एक सम्मेलन का भी आयोजन किया गया था। किलोग्राम की परिभाषा में बदलाव से आम लोगों के रोज़मर्रा के जीवन में कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। किलोग्राम अंतर्राष्ट्रीय मात्रक प्रणाली के सात मानकों में से एक है।
  • 21 मई को विश्व सांस्कृतिक विविधता दिवस का आयोजन किया गया। इस दिवस को संवाद और विकास के लिये सांस्कृतिक विविधता के विश्व दिवस के रूप में भी जाना जाता है। विश्व के सभी देशों की अपनी अलग भाषा, अलग परिधान और अलग-अलग सांस्कृतिक विशेषताएँ होती हैं। यह दिवस पूरे विश्व में इनका प्रसार करने के लिये मनाया जाता है। आपको बता दें कि वर्ष 2001 में यूनेस्को ने 21 मई को संवाद और विकास हेतु विश्व सांस्कृतिक विविधता दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी। इस वर्ष इस दिवस की थीम Cultural and Sustainable Development (सांस्कृतिक एवं सतत विकास) रखी गई है।
  • कॉरपोरेट मामलों का मंत्रालय MCA 21 पोर्टल में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) शामिल करने की योजना बना रहा है। इसका उद्देश्य नियमों के अनुपालन को और अधिक सरल बनाना तथा नियमों का सामान्य प्रवर्तन निरंतर स्वचालित आधार पर करना है। आपको बता दें कि MCA 21 एक इलेक्ट्रॉनिक माध्यम है, जिसमें कंपनियों के बारे में सभी सूचनाएँ इस पोर्टल के माध्यम से सरकार के समक्ष प्रस्तुत की जाती हैं। इसके ज़रिये मंत्रालय विनियामकों, कंपनियों और निवेशकों सहित सभी पक्षों तक सूचना का प्रसार करता है। इस पोर्टल का तीसरा संस्करण लगभग एक साल में लागू करने की योजना है। इस दौरान MCA 21 में AI को शामिल करने का प्रयास किया जाएगा। इसके ज़रिये सभी फर्मों को युक्तिसंगत बनाने के साथ ही डेटाबेस को आपस में जोड़ा जाएगा ताकि प्रवर्तन गतिविधियाँ स्वचालित आधार पर हर समय जारी रह सकें।
  • भारतीय नौसेना ने मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (MRSAM) का सफल परीक्षण किया है। इस मिसाइल के सफल परीक्षण से भारत ने हवा में होने वाले युद्ध की अपनी प्रतिरोधक क्षमता में महत्त्वपूर्ण इज़ाफा किया है। भारतीय नौसेना के पोत ‘कोच्चि’ और ‘चेन्नई’ ने पश्चिमी समुद्र तट पर यह परीक्षण किया। इस मिसाइल का परीक्षण भारतीय नौसेना, DRDO और इज़राइल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज ने मिलकर किया। DRDO ने इज़राइल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज़ के साथ मिलकर इस मिसाइल का विकास किया है तथा भारत डायनामिक्स लिमिटेड ने इसका निर्माण किया है। ये मिसाइलें भविष्य में भारतीय नौसेना के सभी प्रमुख युद्धपोतों पर तैनात की जाएंगी।
  • सर्च इंजन गूगल ने अपने पहले ‘डायरेक्ट स्पीच टू स्पीच ट्रांसलेशन सिस्टम’ का ऐलान किया है। गूगल की इस नई मौखिक संचार प्रणाली का नाम ट्रांसलेटोट्रोन रखा गया है। इस नई प्रणाली के तहत गूगल को बोलकर दिये गए निर्देशों का वह दूसरी ऐच्छिक भाषा में तुरंत सटीक अनुवाद करके दे सकता है। ‘ट्रांसलेटोट्रोन’ एक श्रृंखला से दूसरी श्रृंखला के नेटवर्क पर काम करता है। इसका स्रोत ‘स्पेक्ट्रोग्राम्स’ हैं, जो इनपुट दृश्य आवृत्तियों की पहचान करके लक्षित भाषा में अनुवाद करते हैं। गूगल के इस स्पीच ट्रांसलेटर का इस्तेमाल अधिक सुविधाजनक तो है ही, इसका अनुवाद भी ज़्यादा सटीक और सहज है। ‘ट्रांसलेटोट्रोन’ नाम का यह अनुवादक बोलने वाले व्यक्ति की आवाज़ की विशेषताओं को भी अनुवाद के दौरान बरकरार रखता है।
  • नेपाल के पर्वतारोही कामी रीता शेरपा ने 15 मई को 23वीं बार माउंट एवरेस्ट पर सफलतापूर्वक चढ़ाई कर दुनिया की इस सबसे ऊँची चोटी पर सर्वाधिक बार चढ़ाई करने का विश्व रिकॉर्ड बनाया। कामी रीता शेरपा नेपाल के सोलुखुंबु ज़िले के थमे गाँव के रहने वाले हैं। इससे पहले कामी रीता ने 16 मई, 2018 को एवरेस्ट की चोटी पर 22वीं बार पहुँचकर इतिहास रचा था। वर्ष 2017 में कामी रीता 21 बार माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाले तीसरे व्यक्ति बन गए थे। तब उनके अलावा अपा शेरपा और फुरबा ताशी शेरपा ने यह उपलब्धि हासिल की थी। कामी रीता ने वर्ष 1994 में 24 वर्ष की आयु में पहली बार विश्व की सर्वोच्च चोटी पर चढ़ाई की थी तब वह हर साल एवरेस्ट पर चढ़ाई करते हैं।