भूगोल
बंजर भूमि रूपांतरण
प्रीलिम्स के लिये:
बंजर भूमि एटलस, गोमल भूमि, पोरोम्बोक
मेन्स के लिये:
भूमि संसाधन से संबंधित समस्याएँ और बंजर भूमि रूपांतरण का महत्त्व
संदर्भ
बढ़ते बंजर भूमि (Wasteland) से लोगों की आजीविका और पारिस्थितिक संतुलन दोनों को खतरा है।
प्रमुख बिंदु:
- भारत में 14,000 वर्ग किमी. बंजर भूमि का वर्ष 2008-09 से वर्ष 2015-16 के बीच उत्पादन उपयोग (Productive Use) योग्य भूमि में रूपांतरण किया गया।
- हाल ही में भूमि संसाधन विभाग (Land Resources Department) ने नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर (National Remote Sensing Centre) के सहयोग से तैयार किये गए बंजर भूमि एटलस (Wastelands Atlas) को जारी किया।
- यह 23 अलग-अलग प्रकार की बंजर भूमियों को मापने हेतु उपग्रह डेटा का उपयोग करता है और भूमि सुधार (Reclamation) के प्रयासों के प्रभाव को ट्रैक करता है।
- बंजर भूमि रूपांतरण सबसे अधिक राजस्थान में हुआ, जहाँ 4,803 वर्ग किमी. बंजर भूमि को उत्पादन योग्य भूमि में बदल दिया गया।
- राजस्थान की बंजर भूमियों में व्यापक स्तर पर सौर पार्क (Solar Park) स्थापित किये गए है, इन सौर पार्कों से प्राप्त की अक्षय ऊर्जा का औद्योगिक क्षेत्रों में प्रयोग किया जा रहा है।
- उत्तर प्रदेश और बिहार में भी उच्च स्तर पर बंजर भूमि रूपांतरण हुआ है।
बंजर भूमि रूपांतरण का महत्त्व:
- सरकार बंजर भूमि के रूपांतरण को प्रोत्साहित कर रही है, यह इंगित करते हुए कि भारत में विश्व की 18% जनसंख्या निवास करती है और इसके पास केवल 2.4% कृषि भूमि क्षेत्र है।
- खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये मौजूदा उत्पादन योग्य भूमि की उत्पादकता में सुधार लाने और अतिरिक्त भूमि बढ़ाने (बंजर भूमि रूपांतरण) की तत्काल आवश्यकता है।
- यह अनुपयोगी बंजर भूमि खाद्यान्नों के उत्पादन को बढ़ाने और वनस्पति आवरण का विस्तार करने में महत्त्वपूर्ण साबित हो सकती है।
आगे की राह:
- बंजर भूमि को उत्पादक उपयोग में लाने के लिये वनीकरण के प्रयासों, बुनियादी ढाँचे के विकास तथा नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं जैसे विकल्पों पर विचार किया जाना चाहिये।
- सरकार द्वारा संचालित प्रयासों के साथ ही स्थानीय निवासियों द्वारा किये जाने वाले बंजर भूमि रूपांतरण के प्रयास महत्त्वपूर्ण सिद्ध हो सकते हैं।
पारंपरिक सार्वजनिक भूमि
(Traditional Commons Land):
- बंजर भूमि कई अवसरों पर पारंपरिक सार्वजनिक भूमि होती है जिस पर सार्वजानिक स्वामित्त्व होता है।
- दक्षिणी भारत में इन पारंपरिक सार्वजनिक भूमि क्षेत्रों को पोरोम्बोक (Poromboke) भूमि कहा जाता है, सार्वजनिक स्वामित्व होने के कारन इन भूमि क्षेत्रों को खरीदा या बेचा नहीं जा सकता है।
- कर्नाटक में इसी प्रकार के सार्वजनिक स्वामित्व वाले चराई क्षेत्रों को गोमल भूमि (Gomal land) कहा जाता है।
स्रोत: द हिंदू
सामाजिक न्याय
जनसंख्या स्थिरता कोष
प्रीलिम्स के लिये:
जनसंख्या नियंत्रण से संबंधित कार्यक्रम
मेन्स के लिये:
जनसंख्या नियंत्रण से संबंधित मुद्दे
संदर्भ:
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (Ministry of Health and Family Welfare) का एक स्वायत्त निकाय, जनसंख्या स्थिरता कोष (Jansankhya Sthirata Kosh- JSK) जनसंख्या नियंत्रण हेतु कुछ योजनाएँ लागू कर रहा है।
- प्रेरणा योजना (विवाह, प्रसव और रिक्ति (Spacing) में देरी के लिये)
- संतुष्टि योजना (नसबंदी सेवाओं के लिये सार्वजनिक निजी भागीदारी)
- राष्ट्रीय हेल्पलाइन (परिवार नियोजन की जानकारी के लिये)
जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिये सरकार द्वारा उठाये गए कदम:
- मिशन परिवार विकास:
- सरकार ने 7 उच्च जनसंख्या वृद्धि वाले राज्यों के 146 उच्च उर्वरता (High Fertility) वाले ज़िलों {जिनमें कुल प्रजनन दर (Total Fertility Rate- TFR) 3 से अधिक है} में गर्भ निरोधकों और परिवार नियोजन सेवाओं की लगातार पहुँच को बढ़ाने के लिये मिशन परिवार विकास की शुरुआत की।
- ये उच्च उर्वरता वाले 146 ज़िले: 7 राज्यों उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड और असम राज्यों से हैं, जहाँ देश की कुल जनसंख्या का 44% हिस्सा निवास करता है।
- पुन: डिज़ाइन की गई गर्भनिरोधक पैकेजिंग (Redesigned Contraceptive Packaging):
- कंडोम, OCPs (Oral Contraceptive Pill) और ECPs (Emergency Contraceptive Pills) की पैकेजिंग में सुधार किया गया है ताकि इनकी मांग बढ़ाई जा सके।
- नसबंदी स्वीकार करने वालों के लिये मुआवज़ा योजना (Compensation scheme for Sterilization Acceptors):
- इस योजना के तहत लाभार्थी को मज़दूरी के नुकसान की क्षतिपूर्ति की जाएगी।
- क्लीनिकल आउटरीच टीम्स योजना (Clinical Outreach Teams Scheme):
- इस योजना के माध्यम से 146 उच्च उर्वरता वाले ज़िलों में मान्यता प्राप्त संगठनों की मोबाइल टीमों के माध्यम से दूर-दराज़ और भौगोलिक रूप से कठिन क्षेत्रों में परिवार नियोजन सेवाएँ प्रदान की जा रही है।
- फैमिली प्लानिंग लॉजिस्टिक मैनेजमेंट एंड इंफॉर्मेशन सिस्टम (Family Planning Logistic Management and Information System- FPLMIS):
- यह स्वास्थ्य सुविधाओं के सभी स्तरों पर परिवार नियोजन से संबंधित वस्तुओं की खरीद और वितरण को सुनिश्चित करने के लिये समर्पित एक सॉफ्टवेयर है।
- राष्ट्रीय परिवार नियोजन क्षतिपूर्ति योजना (National Family Planning Indemnity Scheme- NFPIS)
- इस योजना के तहत लाभार्थियों की मृत्यु और नसबंदी की विफलता की स्थिति में बीमा किया जाता है।
स्रोत: PIB
शासन व्यवस्था
शराबबंदी
प्रीलिम्स के लिये:
पंचायती राज
मेन्स के लिये:
शराबबंदी से जुड़े विभिन्न मुद्दे
चर्चा में क्यों?
हाल ही में हरियाणा सरकार ने ग्राम सभा को स्थानीय स्तर पर शराब पर प्रतिबंध लगाने संबंधी शक्तियाँ प्रदान करने का निर्णय लिया है।
मुख्य बिंदु:
- हरियाणा सरकार ने ग्राम सभा को स्थानीय स्तर पर शराब बंदी की शक्तियाँ प्रदान करने के लिये हरियाणा पंचायती राज अधिनियम, 1994 की धारा 31 में संशोधन का निर्णय लिया है।
- हरियाणा सरकार की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि ग्राम सभा वर्ष 2019 से 1 अप्रैल से 31 दिसंबर के मध्य कभी भी अपने क्षेत्र में शराब की दुकान खोलने पर प्रतिबंध लगाने के लिये प्रस्ताव पारित कर सकती है।
- इस तरह के प्रस्ताव को पारित करने के लिये ग्राम सभा की बैठक का कोरम, इसके सदस्यों का 1/10 निर्धारित किया गया है।
- हरियाणा सरकार ने राज्य में वस्तु एवं सेवा कर के बेहतर क्रियान्वयन तथा नए नियम एवं कर की दरों को निर्धारण करने के लिये संबंधित प्राधिकरणों को 6 महीने का समय दिया है।
शराबबंदी:
- भारत में गुजरात, बिहार, मिज़ोरम और नगालैंड राज्य में पूर्ण रूप से शराबबंदी है।
- भारतीय संविधान में राज्य के नीति निदेशक तत्वों से संबंधित अनुच्छेद- 47 में मादक पेयों व हानिकारक नशीले पदार्थों का प्रतिषेध करने का प्रयास करने को कहा गया है।
- हरियाणा में वर्ष 1996 में शराबबंदी का प्रयोग किया था लेकिन 1998 में इसे हटा दिया गया था।
पंचायती राज:
- वर्ष 1957 में योजना आयोग (जिसका स्थान अब नीति आयोग ने ले लिया है) द्वारा ‘सामुदायिक विकास कार्यक्रम’ और ‘राष्ट्रीय विस्तार सेवा कार्यक्रम’ के अध्ययन के लिये ‘बलवंत राय मेहता समिति’ का गठन किया गया। नवंबर 1957 में समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंपी जिसमें त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था- ग्राम स्तर, मध्यवर्ती स्तर एवं ज़िला स्तर लागू करने का सुझाव दिया।
- वर्ष 1958 में राष्ट्रीय विकास परिषद द्वारा बलवंत राय मेहता समिति की सिफारिशें स्वीकार की गई तथा 2 अक्तूबर, 1959 को नागौर ज़िले (राजस्थान) में तत्कालीन प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू द्वारा देश की पहली त्रि-स्तरीय पंचायत का उद्घाटन किया गया।
- वर्ष 1993 में 73वें व 74वें संविधान संशोधन से भारत में पंचायती राज व्यवस्था को संवैधानिक दर्ज़ा प्राप्त हुआ।
- मूल संविधान में भाग-9 के अनुच्छेद 243 में पंचायती राज से संबंधित उपबंधों की चर्चा की गई है । भाग-9 में ‘पंचायतें’ नामक शीर्षक के तहत अनुच्छेद 243-243ण (243-243O) में पंचायती राज से संबंधित उपबंध हैं।
ग्रामसभा:
- संविधान के अनुच्छेद 243 (क) में ग्रामसभा की चर्चा की गई है।
- ग्रामसभा कोई निर्वाचित निकाय न होकर राज्यपाल द्वारा अधिसूचित गाँव या गाँवों का समूह है, जिसके अंतर्गत वे सभी सदस्य आते हैं जो वहाँ की मतदाता सूची में शामिल हैं।
स्रोत:द हिंदू
सामाजिक न्याय
उइगर तथा चीन
प्रीलिम्स के लिये:
उइगर मुस्लिम
मेन्स के लिये:
उइगर मुस्लिमों से जुड़े विभिन्न मुद्दे
चर्चा में क्यों?
हाल ही में लीक हुए चीन के कुछ आधिकारिक दस्तावेज़ों ने चीन के पश्चिमी क्षेत्र ‘शिनजियांग’ (Xinjiang) में उइगर (Uighurs) तथा अन्य मुस्लिमों पर चीन की कठोर नीतियों को उजागर किया है।
मुख्य बिंदु:
- संयुक्त राष्ट्र (United Nations) के विशेषज्ञों का कहना है कि कम से कम 1 मिलियन उइगर मुस्लिम और अन्य अल्पसंख्यक समूहों को शिनजियांग प्रांत के शिविरों में नज़रबंद रखा गया है।
- लीक हुए दस्तावेज़ों के आधार पर ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ (The Newyork Times) की एक रिपोर्ट के अनुसार, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने आतंकवाद, घुसपैठ और अलगाववाद के खिलाफ तानाशाही का उपयोग करते हुए तथा इन उइगर एवं अन्य अल्पसंख्यक समूहों को प्रताड़ित करते हुए एक ‘ऑल आउट’ संघर्ष प्रारंभ किया है।
- इन दस्तावेज़ों से पता चलता है कि अन्य देशों में हुए आतंकी हमलों तथा अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी से भी चीन को आतंकवादी हमले का भय सता रहा है।
- हालाँकि चीन ने उइगरों तथा अन्य अल्पसंख्यकों के साथ दुर्व्यवहार संबंधित घटनाओं से इनकार किया है। चीन के अनुसार, वह उइगरों तथा अन्य अल्पसंख्यकों को इस्लामी चरमपंथ तथा अलगाववाद से बाहर लाने के लिये उन्हें व्यावसायिक प्रशिक्षण दे रहा है।
उइगर मुस्लिम:
(Uighurs muslim):
- उइगर मुस्लिम चीन के शिनजियांग प्रांत में निवास करने वाले अल्पसंख्यक हैं।
- उइगर नृजातीय रूप से तुर्की के मुस्लिम समुदाय से संबंधित हैं।
- चीन के शिनजियांग प्रांत में इनकी जनसंख्या तकरीबन 40 प्रतिशत है।
अन्य तथ्य:
- यूरोपीय संघ की संसद द्वारा इस वर्ष के सखारोव पुरस्कार के लिये उईगर बुद्धिजीवी ‘इल्हाम तोहती’ (Ilham Tohti) को चुना गया है।
- इल्हाम तोहती को यह पुरस्कार चीन के उइगर अल्पसंख्यकों के मानवाधिकारों की आवाज़ उठाने के लिये प्रदान किया जा रहा है।
- ध्यातव्य है कि उन्होंने उईगर और चीन के लोगों के मध्य बातचीत व परस्पर विश्वास को बढ़ाने के लिये निरंतर कार्य किया है।
- इल्हाम तोहती बीज़िंग यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर के रूप में भी कार्य कर चुके हैं। वर्ष 2014 में उन्हें चीन सरकार द्वारा ‘अलगाववादी’ होने के आरोप में आजीवन कारावास की सज़ा दी गई है।
स्रोत: द हिंदू
शासन व्यवस्था
विश्व प्रतिभा रैंकिंग- 2019
प्रीलिम्स के लिये:
विश्व प्रतिभा रैंकिंग-2019
मेन्स के लिये:
विश्व प्रतिभा रैंकिंग-2019 में भारत की स्थिति खराब होने के कारण।
चर्चा में क्यों?
हाल ही में इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर मैनेजमेंट डेवलेपमेंट ( International Institute For Management Development- IMD) द्वारा जारी विश्व प्रतिभा रैंकिंग-2019 (World Talent Ranking-2019) में भारत को 59वां स्थान प्राप्त हुआ है।
प्रमुख बिंदु
- इस वर्ष सूची में 63 देशों को शामिल किया है।
- इस सूची में स्विट्ज़रलैंड ने पहला स्थान प्राप्त किया है इसके बाद रैंकिंग में क्रमशः डेनमार्क और स्वीडन हैं।
- अधिकांश प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं द्वारा निवेश और विकास पर ध्यान केंद्रित करके दीर्घकालिक विकास पर ज़ोर दिया गया है।
रैंकिंग के मानदंड:
- यह रैंकिंग तीन मुख्य कारकों के प्रदर्शन पर आधारित है-
- निवेश तथा विकास (Investment and Development)
- अपील (Appeal)- यह इस बात का मूल्यांकन करता है कि कोई देश किस सीमा तक स्थानीय और विदेशी प्रतिभाओं को आकर्षित करता है।
- तत्परता (Readiness)- यह कारक किसी देश में उपलब्ध कौशल और दक्षताओं की गुणवत्ता को निर्धारित करता है।
इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर मैनेजमेंट डेवलेपमेंट
(International Institute For Management Development- IMD)
- IMD स्विट्ज़रलैंड में स्थित एक बिज़नेस एजूकेशन स्कूल है। इसके द्वारा तीन रिपोर्ट जारी की जाती हैं।
- विश्व प्रतिस्पर्द्धात्मक रैंकिंग (World Competitiveness Ranking)
- विश्व डिजिटल प्रतिस्पर्द्धात्मक रैंकिंग ( World Digital Competitiveness Ranking)
- विश्व प्रतिभा रैंकिंग (World Talent Ranking)
भारत की स्थिति:
- एशिया में भारत की अर्थव्यवस्था में सबसे तेज गिरावट देखी गई है।
- वर्ष 2018 में भारत का स्थान 53वां था।
- ब्रिक्स देशों की श्रेणी में भी भारत की स्थिति खराब हुई है, इस सूची में चीन को 42वां, रूस को 47वां और दक्षिण अफ्रीका को 50वां स्थान प्राप्त हुआ है।
भारत की रैंकिंग में गिरावट के कारण:
- जीवन की निम्न गुणवत्ता ।
- शिक्षा पर व्यय (प्रति छात्र) और शिक्षा की गुणवत्ता, जो कि जीडीपी वृद्धि से जुड़ी हो सकती है।
- प्रतिभा पलायन को रोकने में सरकार की विफलता।
- स्वास्थ्य प्रणाली की कम प्रभावशीलता और श्रम बल में महिलाओं की कम भागीदारी।
- भारत के पर्यावरण संबंधी मुद्दे,अपील कारकों से संबंधित है।
स्रोत: बिज़नेस स्टैण्डर्ड
सामाजिक न्याय
भारत में सड़क दुर्घटनाएँ– 2018
प्रीलिम्स के लिये:
रिपोर्ट से संबंधित महत्वपूर्ण आँकड़े
मेन्स के लिये:
भारत में यातायात सुरक्षा संबंधी मुद्दे
चर्चा में क्यों?
हाल ही में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (Ministry of Road Transport and Highways) द्वारा ‘भारत में सड़क दुर्घटनाएँ- 2018 (Road Accidents in India- 2018) रिपोर्ट जारी की गई।
वैश्विक संदर्भ में-
- भारत, वर्ष 2015 में ब्राज़ील में आयोजित सड़क सुरक्षा के लिये आयोजित उच्च स्तरीय कांफ्रेंस का हस्ताक्षरकर्त्ता है, इसको ब्रासीलिया उद्घोषणा (Brasilia Declaration) कहते हैं।
- इसके तहत भारत ने वर्ष 2020 तक सड़क दुर्घटनाओं और इनसे होने वाली मौतों को आधा करने की प्रतिबद्धता जताई थी।
- विश्व सड़क आँकड़े 2018 (World Road Statistics- 2018) के अनुसार सड़क दुर्घटनाओं के मामले में भारत संयुक्त राज्य अमेरिका और जापान के बाद तीसरे स्थान पर है,जबकि दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों के मामले में कुल 199 देशों में पहले स्थान पर है।
- भारत में प्रतिवर्ष 1.5 लाख लोगों की मौत सड़क दुर्घटना में होती है, जो विश्व भर में सड़क दुर्घटना में होने वाली मौतों का 11% है।
भारत में वर्ष 2017-18 में सड़क दुर्घटनाओं के आँकड़े-
- रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2018 में वर्ष 2017 की तुलना में सड़क दुर्घटनाओं की संख्या में 0.46% की वृद्धि हुई।सड़क दुर्घटनाओं के दौरान होने वाली मौतों में भी 2.37% की वृद्धि दर्ज की गई।
- रिपोर्ट के अनुसार, अधिकतर सडक दुर्घटनाएँ राष्ट्रीय राजमार्गों पर हुई। कुल दुर्घटनाओं का 30.2% दुर्घटनायें राष्ट्रीय राजमार्गों पर दर्ज की गयीं।
- राज्यों के संदर्भ में सबसे अधिक सड़क दुर्घटनाएँ तमिलनाडु में हुई, इस मामले में मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं।
- जबकि सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों के मामले उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र और तमिलनाडु क्रमशः पहले, दूसरे और तीसरे स्थान पर है।
- रिपोर्ट के अनुसार, 50 मिलियन से अधिक जनसंख्या वाले शहरों में सबसे अधिक सड़क दुर्घटनाओं वाला शहर चेन्नई है, इन दुर्घटनाओं में सबसे ज़्यादा मौतों की संख्या दिल्ली में दर्ज़ की गई।
- विभिन्न वाहनों की श्रेणी में दोपहिया वाहन सबसे अधिक दुर्घटनाग्रस्त हुए साथ ही सर्वाधिक मौतें भी दोपहिया वाहन चालकों की हुईं।
- वर्ष 2018 में 18-45 के आयु वर्ग के लोग सड़क दुर्घटनाओं के सबसे अधिक शिकार हुए।
- कुल दुर्घटनाओं में 84.7% मौतें, आयु वर्ग 18-60 के मध्य दर्ज़ की गयी।
- रिपोर्ट के अनुसार, दुर्घटना में मरने वाले पुरुषों की संख्या लगभग 86% है, जबकि महिलाओं की संख्या लगभग 14% है।
- रिपोर्ट के अनुसार, 64.4% दुर्घटनाओं का कारण वाहनों की सीमा से अधिक गति रही है।
आगे की राह -
- सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने सड़क दुर्घटनाओं के समस्या से निपटने के लिये बहुस्तरीय रणनीति तैयार की है।
- इसके अंतर्गत शिक्षा, प्रचार और जागरूकता अभियान, सड़कों एवं वाहनों में इंजीनियरिंग संबंधी सुधार और आपातकालीन चिकित्सा सेवाएँ शामिल हैं।
- हाल ही में भारत सरकार द्वारा मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम 2019 लाया गया।
स्रोत- द हिंदू
अंतर्राष्ट्रीय संबंध
वेस्ट बैंक में इज़राइली बस्तियाँ
प्रीलिम्स के लिये
वेस्ट बैंक की भौगोलिक स्थिति
मेन्स के लिये
अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में अरब-इज़राइल संघर्ष तथा अमेरिकी हस्तक्षेप
चर्चा में क्यों?
हाल ही में अमेरिका ने इज़राइल के वेस्ट बैंक (West Bank) पर किये गए कब्ज़े का समर्थन किया है, हालाँकि विश्व के अन्य देश अमेरिका के इस दावे के विरुद्ध हैं।
वेस्ट बैंक बस्तियाँ क्या हैं?
- वेस्ट बैंक, इज़राइल के पूर्व में इज़राइल-जॉर्डन सीमा पर स्थित लगभग 6,555 वर्ग किमी. के भू-भाग में फैला है। जॉर्डन नदी के पश्चिमी तट पर स्थित होने की वजह से इसे वेस्ट बैंक कहा जाता है।
- वर्ष 1948 में हुए प्रथम अरब-इज़राइल युद्ध में जॉर्डन ने इस क्षेत्र पर अधिकार कर लिया परंतु वर्ष 1967 में हुए तीसरे अरब-इज़राइल युद्ध (छः दिवसीय युद्ध) में अरब देशों की हार के बाद इज़राइल ने इसे पुनः प्राप्त कर लिया।
- तभी से इस क्षेत्र पर इजराइल का अधिकार है तथा इजराइल ने वेस्ट बैंक में लगभग 130 स्थायी बस्तियाँ बसाई हैं। इसके अलावा इस क्षेत्र में पिछले 25 वर्षों में अनेकों छोटी-बड़ी बस्तियाँ स्थापित हुई हैं।
- इस क्षेत्र में लगभग 4 लाख इज़राइली (यहूदी) निवास करते हैं तथा उनका मानना है कि धार्मिक आधार पर यह क्षेत्र उनके पूर्वजों का है। वहीं इस क्षेत्र में 24 लाख से अधिक फिलिस्तीनी (मुसलमान) रहते हैं।
इज़राइली बस्तियों की अवैधानिकता:
- दुनिया के अधिकतर देशों ने इज़राइल द्वारा बसाई गईं इन बस्तियों को अमान्य घोषित किया है। संयुक्त राष्ट्र महासभा, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद तथा अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय ने भी इसे चौथे जेनेवा कन्वेंशन के प्रावधानों का उल्लंघन माना है।
- वर्ष 1949 में हुए चौथे जेनेवा कन्वेंशन के अनुसार, “एक विजेता शक्ति अपने क्षेत्र के असैन्य नागरिकों को विजित किये गये क्षेत्र में स्थानांतरण या निर्वासन नहीं करेगी।”
- रोम विधान (Rome Statute), जिसके आधार पर वर्ष 1998 में अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (International Criminal Court) की स्थापना हुई, के अंतर्गत इस प्रकार के स्थानांतरण को युद्ध अपराध की श्रेणी में शामिल किया जाता है।
- वर्ष 1990 में हुई ओस्लो संधि (Oslo Accord) में इज़राइल तथा फिलिस्तीन दोनों ने ही आपसी समझौते के माध्यम से इन बस्तियों की स्थिति (Status) तय करने का निर्णय लिया लेकिन इस पर कोई सहमति नहीं बन सकी।
- वर्ष 1967 में इज़राइल ने पूर्वी येरुसलम पर कब्ज़ा कर लिया। फिलिस्तीनी भविष्य में येरुसलम को अपनी राजधानी के रूप में देखते हैं इसलिये यह मुद्दा और भी विवादित हो गया।
अमेरिका की प्रतिक्रिया:
- वर्ष 1978 में अमेरिकी राष्ट्रपति जिमी कार्टर ने वेस्ट बैंक में बसी इज़राइली बस्तियों को अवैधानिक माना तथा इनको अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के विरुद्ध बताया था।
- वर्ष 1981 में रोनाल्ड रीगन अमेरिका के राष्ट्रपति बने। उन्होंने जिमी कार्टर के रवैये के विरुद्ध इज़राइल द्वारा वेस्ट बैंक में बसाई गई बस्तियों को वैध माना तथा उसके बाद संयुक्त राष्ट्र में पारित होने वाले प्रत्येक प्रस्तावों पर इज़राइल का साथ दिया।
- वर्ष 2016 में बराक ओबामा अमेरिका के राष्ट्रपति बने। उन्होंने अमेरिका की इस नीति का त्याग करते हुए संयुक्त राष्ट्र में वेस्ट बैंक के मामले पर वीटो करने से इनकार किया।
- वहीं हाल ही में डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्त्व वाली अमेरिकी सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति रीगन के विचारों से सहमति जताते हुए कहा कि वेस्ट बैंक में इज़राइली नागरिकों का बसना अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के विरुद्ध नहीं है।
आगे की राह:
- इज़राइल-फिलिस्तीन विवाद के बारे में विशेषज्ञों की राय है कि यह एक जटिल विवाद है जिसका निपटारा न्यायालय में नहीं हो सकता। पहले भी अंतर्राष्ट्रीय कानूनों द्वारा किये गए फैसलों से इस क्षेत्र में शांति नहीं स्थापित हो सकी है। अतः इसे आपसी बातचीत द्वारा ही हल किया जा सकता है।
स्रोत : इंडियन एक्सप्रेस
भारतीय अर्थव्यवस्था
सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम को महारत्न का दर्ज़ा
प्रीलिम्स के लिये-
महारत्न कंपनी का दर्ज़ा एवं मानदंड, महारत्न कंपनियों की संख्या
मेन्स के लिये-
भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने से संबंधित विषय।
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (Hindustan Petroleum Corporation Limited- HPCL) और पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (Power Grid Corporation of India Limited- PGCIL) को ‘महारत्न’ का दर्जा दिया है।
भारत में महारत्न PSUs की संख्या :
पूर्व में भारत में कुल 8 महारत्न कंपनियाँ थीं, हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड और पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के इस सूची में जुड़ने के बाद इनकी संख्या 10 हो गई है।
- भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (Bharat Heavy Electricals Limited)।
- भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (Bharat Petroleum Corporation Limited)।
- कोल इंडिया लिमिटेड (Coal India Limited)।
- गेल इंडिया लिमिटेड (GAIL India Limited)।
- हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (Hindustan Petroleum Corporation Limited)।
- इंडियन आयल कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (Indian Oil Corporation Limited)।
- राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम लिमिटेड (National Thermal Power Corporation Limited)।
- ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉर्पोरेशन लिमिटेड (Oil and Natural Gas Corporation Limited)।
- स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (Steel Authority of India Limited)।
- पॉवर ग्रिड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (Power Grid Corporation of India Limited)।
महारत्न के दर्जे हेतु आवश्यक मानदंड:
- कंपनियों को नवरत्न का दर्जा प्राप्त होना चाहिये।
- कंपनी को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (Security Exchange Board of India- SEBI) के नियामकों के अंतर्गत न्यूनतम निर्धारित सार्वजनिक हिस्सेदारी (Minimum Prescribed Public Shareholding) के साथ भारतीय शेयर बाज़ार में सूचीबद्ध होनी चाहिये।
- विगत तीन वर्षों की अवधि में औसत वार्षिक व्यवसाय (Average Annual Turnover) 25,000 करोड़ रुपए से अधिक होना चाहिये।
- पिछले तीन वर्षों में औसत वार्षिक निवल मूल्य (Average Annual Net Worth) 15,000 करोड़ रुपए से अधिक होना चाहिये।
- पिछले तीन वर्षों का औसत वार्षिक शुद्ध लाभ (Average Annual Net Profit) 5,000 करोड़ रुपये से अधिक होना चाहिये।
- कंपनियों की व्यापार के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में महत्वपूर्ण उपस्थिति होनी चाहिये।
महारत्न दर्जे के लाभ :
- महारत्न का दर्ज़ा दिए जाने से इन कंपनियों की स्वायत्तता और परिचालन शक्ति में वृद्धि होगी, साथ ही इनको वित्तीय मामलों से संबंधित सभी निर्णय लेने की स्वतंत्रता प्राप्त होगी।
- महारत्न का दर्ज़ा प्राप्त कम्पनियां वित्तीय संयुक्त उपक्रम (Financial Joint Venture) और पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनियों (Wholly Owned Subsidiaries) में इक्विटी के जरिए निवेश कर सकती हैं।
- महारत्न कंपनियाँ अपने निवल मूल्य के 15% और 5000 करोड़ रुपए की पूर्ण सीमा के साथ घरेलू और विदेशी कंपनियों के साथ विलय और अधिग्रहण (Mergers and Acquisition) कर सकती हैं।
- महारत्न कंपनियों के बोर्ड कर्मियों और मानव संसाधन प्रबंधन एवं प्रशिक्षण से संबंधित योजनाओं की संरचना बना सकता है।
सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम
(Public Sector Undertakings)-
भारत सरकार द्वारा नियंत्रित एवं संचालित उद्यमों एवं उपक्रमों को सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम कहा जाता है। ऐसे उपक्रमों में सरकार की हिस्सेदारी 51% या इससे अधिक होती है।
स्रोत- द हिंदू
विविध
RAPID FIRE करेंट अफेयर्स (20 नवंबर)
लद्दाख में विंटर ग्रेड डीज़ल
- लद्दाख में पर्यटन को बढ़ावा देने की दिशा में केंद्र ने एक कदम और बढ़ाया है। इंडियन आयल कॉर्पोरेशन ने विंटर ग्रेड डीज़ल (Winter Grade Diesel) का उत्पादन शुरू किया है। यह विंटर ग्रेड डीज़ल -33 डिग्री सेल्सियस पर भी काम करेगा। विंटर ग्रेड डीज़ल से लद्दाख में बर्फीले मौसम में वाहनों की आवाजाही आसान होगी जिससे पर्यटन को बढ़ावा मिलने के साथ सैन्य वाहनों की आवाजाही भी आसान हो जाएगी।
क्या है विंटर ग्रेड डीज़ल
- विंटर ग्रेड डीज़ल की विशेषता यह है कि इसमें लगभग 5 प्रतिशत बायोडीज़ल का मिश्रण भी किया गया है। इसकी वजह से जहाँ डीज़ल वाहन के लिये बेहतर रहेगा वहीं इसके जम जाने की समस्या से निज़ात मिलेगी।
- दरअसल, लद्दाख में तापमान की गिरावट के साथ सर्दियों में सामान्य डीज़ल जम जाता है। इससे वाहन चलाने में परेशानी होती है।
- लेकिन इस डीज़ल को -33 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर भी उपयोग में लाया जा सकता है।
- यह डीज़ल BIS (ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड) के मानकों पर भी खरा उतरा है तथा BS-6 मानकों पर भी खरा उतरता है।
- गौरतलब ही कि केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख में डीज़ल स्थानीय निवासियों के साथ-साथ भारतीय सेना, सुरक्षा बलों के लिये भी बहुत अहमियत रखता है। लद्दाख में चीन, पाकिस्तान से लगती सीमा की रक्षा करने वाली भारतीय सेना के अधिकांश वाहन डीज़ल से ही चलते हैं।
इटैलियन गोल्डन सैंड आर्ट अवार्ड
- प्रख्यात भारतीय रेत कलाकार सुदर्शन पटनायक को रोम में ‘इटैलियन गोल्डन सैंड आर्ट अवार्ड, 2019' से सम्मानित किया गया।
- इटली के लेचे में 13 नवंबर से 17 नवंबर, 2019 तक आयोजित ‘इंटरनेशनल स्कोरानो सैंड नेटिविटी' कार्यक्रम में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए पटनायक ने रूसी कलाकार पैवेल मिनिकोव के साथ मिलकर महात्मा गांधी की 10 फुट ऊँची रेत की आकृति बनाई।
- रेत कला में योगदान के लिये इस प्रतिष्ठित पुरस्कार को जीतने वाले वह पहले भारतीय हैं।
- ‘पद्मश्री' से सम्मानित पटनायक ने अब तक 60 से अधिक अंतर्राष्ट्रीय रेत कला महोत्सवों और दुनियाभर की प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेकर भारत का नाम रौशन किया है।
IAAF हो गया वर्ल्ड एथलेटिक्स
- इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ एथलेटिक्स फेडरेशन (International Association Of Athletics Federation-IAAF) का नाम बदलकर वर्ल्ड एथलेटिक्स (World Athletics) किया जा रहा है।
- नाम बदलने से कुछ समय पहले ही नया लोगो भी लॉन्च किया गया था।
- विश्व एथलेटिक्स की संचालन संस्था तथा एथलेटिक्स महासंघों के अंतर्राष्ट्रीय संघ (IAAF) का गठन वर्ष 1912 में अंतर्राष्ट्रीय एमेच्योर एथलेटिक्स महासंघ के रूप में किया गया था।
डेज़ ऑफ मॉस्को
- भारत और रूस के बीच मैत्री संबंधों में मज़बूती के लिये देश की राजधानी नई दिल्ली में सांस्कृतिक कार्यक्रम डेज़ ऑफ मॉस्को का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य दोनों देशों की राजधानियों के बीच संपर्क बढ़ाना है।
- इस कार्यक्रम का आयोजन दिल्ली सरकार के पर्यटन विभाग और मॉस्को प्रशासन ने मिलकर किया।
- डेज़ ऑफ मॉस्को एक व्यापक कार्यक्रम है जिसका लक्ष्य दोनों शहरों के बीच आर्थिक, सांस्कृतिक खेलकूद, शैक्षिक और शहरी विकास क्षेत्र में संपर्क बढ़ाना है।
- यह मास्को में अवसरों का पता लगाने के लिये दिल्ली के छात्रों, नागरिकों और व्यापारिक समुदाय के लिये एक अनूठा कार्यक्रम है।
- इसमें कला और संस्कृति, विरासत, खेल एवं आपसी सहयोग के अन्य क्षेत्रों सहित विभिन्न गतिविधियों की पहचान की गई।
- यह व्यापक सांस्कृतिक कार्यक्रम दोनों शहरों की सरकारों के बीच हुए एक समझौते के तहत द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाने और कई क्षेत्रों में भविष्य की साझेदारी की अपार संभावनाओं का पता लगाने के लिये आयोजित किया गया।