प्रयागराज शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 29 जुलाई से शुरू
  संपर्क करें
ध्यान दें:

डेली न्यूज़

  • 20 Sep, 2018
  • 26 min read
भारतीय अर्थव्यवस्था

सेबी के नए मानदंड

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (Securities and Exchange Board of India- SEBI) ने ओपन एंडेड इक्विटी योजनाओं के लिये कुल व्यय अनुपात (Total  Expense Ratio- TER) को कम करते हुए विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (Foreign Portfolio Investors- FPIs) के लिये KYC (know your Client) की आवश्यकताओं पर एच.आर. खान समिति की सिफारिशों को व्यापक रूप से स्वीकार कर लिया है।

प्रमुख बिंदु

  • सेबी ने अप्रैल में जारी परिपत्र में संशोधन करने के लिये सहमति व्यक्त की है और नया परिपत्र जारी करने का फैसला किया है जो खान समिति की सिफारिशों के अनुरूप है।
  • कुल व्यय अनुपात को कम करने के फैसले से निवेशकों के लिये म्युचुअल फंड में निवेश करना पहले की तुलना में कम महँगा होगा।
  • एक और बड़े फैसले में, नियामक ने ओपन एंडेड इक्विटी स्कीमों के लिये अधिकतम व्यय अनुपात 1.05% निश्चित कर दिया है जिसमें प्रबंधन के तहत संपत्ति (Assets Under Management- AUM) का मूल्य 50,000 करोड़ रुपये से अधिक है।
  • वर्तमान में, 300 करोड़ रुपये से अधिक AUM वाली योजनाओं के लिये कुल व्यय अनुपात 1.75% है।
  • इसके अलावा, योजना के AUM के आधार पर सेबी ने व्यय अनुपात के रूप में 1.05% से 2.25% की राशि निर्धारित की है। इससे पहले यह सीमा 1.75% से 2.5% थी।

अतिरिक्त व्यय अनुपात में कमी

  • हालाँकि नियामक ने शीर्ष 30 शहरों से खुदरा प्रवाह के लिये 30 आधार अंकों के अतिरिक्त व्यय अनुपात को अनुमति दी है लेकिन सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि निगमों और संस्थानों द्वारा किये जाने वाले प्रवाह के लिये अतिरिक्त खर्च की अनुमति नहीं दी जाएगी।
  • नियामक के अनुसार व्यय अनुपात कम होने से निवेशकों को कमीशन में 1300 करोड़ रुपए से 1500 करोड़ रुपए की बचत होगी।

सेबी (निपटान कार्यवाही) विनियमन 2018

  • नियामक ने सेबी (निपटान कार्यवाही) विनियमन 2018 तैयार किया है, जो उन अपराधों पर प्रतिबंध लगाता है जिनका प्रभाव बाजारव्यापी हो, निवेशकों को नुकसान पहुँचाता हो या बाज़ार की अखंडता को प्रभावित करता हो तथा सहमति मार्ग के माध्यम से समस्याओं को सुलझाने का प्रयास करता है।
  • सेबी का मानना है कि हालाँकि अंदरूनी व्यापार या फ्रंट रनिंग जैसे गंभीर अपराधों को सहमति के माध्यम से सुलझाया जा सकता है फिर भी नियामक इस तरह के मामलों पर निर्णय लेने के दौरान सिद्धांत-आधारित दृष्टिकोण का उपयोग करेगा।
  • इस बीच, नियामक किसी भी कार्यवाही को नहीं रोकेगा जिसमें आवेदक एक विलफुल डिफाल्टर है या यदि उसी अपराध के लिये पहले आवेदन को अस्वीकार कर दिया गया हो।

इस संबंध में और अधिक जानकारी के लिये क्लिक करें :

सेबी के नए मानदंड और विदेशी पोर्टफोलियो निवेश

http://www.drishtiias.com/hindi/current-affairs/why-sebi-new-norms-spooked-fpis


प्रौद्योगिकी

मेट्रो रेल प्रणाली में मानकीकरण और स्वदेशीकरण के लिये समिति का गठन

चर्चा में क्यों?

देश की प्रगति के लिये परिवहन संरचना एक महत्त्वपूर्ण कारक है। तेज़ी से हो रहे औद्योगिकीकरण, शहरीकरण, वैश्वीकरण तथा शहरी केंद्रों के कारण शहरों तथा नगरों में तेज़ गति से आबादी सघन होती जा रही है। इस तेज़ गति के साथ लोगों और वस्तुओं की आवाजाही तथा विभिन्न सेवाओं की आपूर्ति सुनिश्चित करने हेतु मेट्रो रेल परियोजनाएँ न केवल परिवहन समाधान के रूप में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा कर रही हैं, बल्कि शहरों की स्थिति को बदलने के साधन के रूप में भी कार्य कर रही हैं।

देश में मेट्रो की स्थिति

  • देश के दस नगरों में 490 किलोमीटर की मेट्रो लाइनें चालू हैं। विभिन्न शहरों में 600 किलोमीटर से अधिक की मेट्रो रेल परियोजनाएँ निर्माणाधीन हैं।
  • आने वाले वर्षों में मेट्रो रेल क्षेत्र में काफी विस्तार होने की संभावना है। अगले कुछ वर्षों में 350 किलोमीटर से अधिक की मेट्रो रेल लाइनों का निर्माण किया जाएगा, क्योंकि शहरों के विस्तार या मेट्रो रेल के नए निर्माण की योजनाएँ बनाई जा रही हैं।
  • दिल्ली और एनसीआर में भीड़भाड़ को कम करने के लिये मेट्रो रेल नेटवर्क के अतिरिक्त क्षेत्रीय रैपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम (आरआरटीएस) चलाया जा रहा है।
  • आरआरटीएस के पहले चरण  में तीन गलियारों का निर्माण किया जाएगा, जो लगभग 380 किलोमीटर की कुल लम्बाई को कवर करते हैं। इस परिवहन व्यवस्था से दिल्ली, सोनीपत, अलवर तथा मेरठ से जुड़ जाएगी।

वित्तीय स्थिति

  • भारत सरकार मेट्रो रेल परियोजनाओं को लागू करने के लिए वित्तीय समर्थन दे रही है। सरकार एक्विटी तथा गौण बॉण्ड और बहुपक्षीय तथा द्विपक्षीय ऋणों की गारंटी देकर वित्तीय समर्थन प्रदान कर रही है।
  • पिछले चार वर्षों में मेट्रो रेल परियोजनाओं के लिये केंद्र सरकार के बजट आवंटन में वृद्धि, हमारे शहरों को भीड़भाड़ तथा जाम से मुक्त करने और आवाजाही बढ़ाने के साक्ष्य के रूप में देखा जा सकता है।
  • राज्य सरकारों, निजी साझेदारों और निवेशकों के अतिरिक्त केंद्र सरकार का बजट आवंटन बढ़कर 25,000 करोड़ रुपए वार्षिक हो सकता है।

अन्य महत्त्वपूर्ण कदम

  • देश में मेट्रो रेल परियोजनाओं के प्रणालीगत और सतत् विकास के लिये विभिन्न अन्य कदम उठाए गए हैं। रेल बोर्ड से सहमति मिलने के बाद रॉलिंग स्टॉक तथा सिग्नल प्रणालियों या मेट्रो रेल के लिये मानकों को 2017 में अधिसूचित किया गया।
  • रॉलिंग स्टॉक के लिये मानकों से ढाँचे का मानक तय होता है। हाल में इलेक्ट्रिकल प्रणालियों के लिये रेल बोर्ड द्वारा मानक स्वीकृत किये गए हैं और शीघ्र ही इसकी अधिसूचना जारी की जाएगी।
  • विभिन्न नई मेट्रो प्रणालियों ने अधिसूचित मानकों के अनुसार प्रणालियों की खरीदारी प्रारंभ कर दी है।
  • आवास और शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा स्वीकृत अनुसंधान परियोजना के माध्यम से एनपीसीआई तथा सी-डैक द्वारा डीएमआरसी के सहयोग से स्वचालित किराया संग्रह प्रणाली तथा रुपे मानक पर आधारित संपूर्ण प्रणाली के लिये विस्तृत विनिर्देश तैयार किये गए हैं।

ई. श्रीधरन की अध्यक्षता में समिति का गठन

  • मेट्रो रेल में मानकीकरण और स्वदेशीकरण के लिये डॉ. ई. श्रीधरन की अध्यक्षता में एक समिति बनाई गई है, जिसमें एक अध्यक्ष के अलावा सात अन्य सदस्य एवं आवास और शहरी कार्य मंत्रालय का पद संयुक्त सचिव शामिल हैं।
  • यह समिति तीन महीने में अपनी रिपोर्ट पेश करेगी। तीन महीनों के बाद मानकीकरण के विशेष कार्य के आधार पर डॉ. श्रीधरन निर्दिष्ट अवधि के लिये विशेषज्ञ सदस्यों को शामिल कर सकते हैं।

स्वदेशी पर अधिक बल

  • बीईएल को कहा गया है कि वह अपनी निधि से गेट का प्रोटोटाइप बनाए।
  • इस कार्य के लिये पहले ही काफी मात्रा में धन खर्च किया जा चुका हैं और अब अक्तूबर, 2018 में राष्ट्रीय कॉमन मोबीलिटी कार्ड (एनसीएमसी) पर आधारित पहला स्वदेशी गेट लॉन्च किये जाने की संभावना है।
  • विश्व की सर्वाधिक आधुनिक सिग्नल प्रणाली यानी संचार आधारित ट्रेन नियंत्रण (सीबीटीसी) प्रणाली के विनिर्देश संयुक्त रूप से बीईएल, सी-डैक, डीएमआरसी, एसटीक्यूसी द्वारा आवास और शहरी कार्य मंत्रालय के माध्यम से तैयार किये जा रहे हैं। सीबीटीसी प्रणाली पहली बार देश में कोच्चि मेट्रो रेल द्वारा लागू की गई।
  • लेकिन कई अन्य क्षेत्र हैं जिनके लिये स्वदेशी मानक बनाए जाने की आवश्यकता है। इनमें मेट्रो स्टेशन की रूपरेखा, प्लेटफॉर्म, संकेतक, सुरंगों का आकार, अग्नि सुरक्षा प्रणाली, आपदा प्रबंधन प्रणाली, पर्यावरण अनुकूल और कचरा प्रबंधन प्रणाली तथा स्टेशनों पर सौर पैनलों के लिये मानक शामिल हैं।
  • इन स्वदेशी मानकों से यह सुनिश्चित होगा कि सभी नई मेट्रो परियोजनाओं के लिये मेट्रो रेल उप-प्रणालियाँ निर्धारित मानकों की पुष्टि करती हैं।

भारतीय अर्थव्यवस्था

बांध पुन:स्थापन और सुधार परियोजना के संशोधित लागत अनुमान को मंजूरी

चर्चा में क्यों?

हाल ही में प्रधानमंत्री की अध्‍यक्षता में मंत्रिमंडलीय आर्थिक समिति (CCEA) ने 3466 करोड़ रुपए की संशोधित लागत पर बांध पुन:स्‍थापन और सुधार परियोजना (DRIP) के संशोधित लागत अनुमान को अपनी मंज़ूरी दे दी है।

प्रमुख बिंदु

  • उल्लेखनीय है कि 198 बांधों की सुरक्षा और संचालन प्रदर्शन में सुधार तथा व्‍यापक प्रबंधन प्रणाली के साथ संस्‍थागत मज़बूती के लिये इस परियोजना में विश्‍व बैंक वित्तीय सहायता देगा।
  • 3466 करोड़ रुपए की इस परियोजना में 2628 करोड़ रुपए विश्‍व बैंक देगा और 747 करोड़ रुपए डीआरआईपी राज्‍य/क्रियान्‍वयन एजेंसियाँ और शेष 91 करेाड़ रुपए केंद्रीय जल आयोग देगा।
  • CCEA ने पूर्व प्रभाव से इस परियोजना के लिये 01 जुलाई, 2018 से 30 जून, 2020 तक दो वर्षों के समय विस्‍तार की स्‍वीकृति भी दी है।

प्रभाव

  • यह परियोजना च‍यनित वर्तमान बांधों की सुरक्षा और संचालन प्रदर्शन में सुधार लाएगी तथा जोखिम को कम कर निचले इलाकों की आबादी और संपत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी।
  • इस परियोजना से प्राथमिक रूप में जलाशय पर निर्भर शहरी और ग्रामीण समुदाय तथा निचले इलाके के समुदाय लाभान्वित होंगे। निचले इलाकों में रहने वाले लोग बांध के विफल होने या संचालन विफलता के कारण सर्वाधिक जोखिम में रहते हैं।
  • संस्‍थागत व्‍यवस्‍था को मज़बूत बनाकर बांध सुरक्षा संगठनों को और अधिक कारगर बनाया जाएगा ताकि बांध ढाँचागत दृष्टि से मज़बूत हों और कर्मचारियों तथा अधिकारियों की क्षमता सृजन के साथ संचालन की दृष्टि से भी मज़बूत हों।

उद्देश्य


  1. घटक -। बांध तथा इसके आस-पास के ढाँचों का पुन:स्‍थापन।
  2. घटक -।। संस्‍थागत मज़बूती।
  3. घटक -।।। परियोजना प्रबंधन।
  • इस योजना में 198 बांध परियोजनाओं के पुन:स्‍थापन का प्रावधान है। ये परियोजनाएँ भारत के 7 राज्‍यों– केरल, मध्‍य प्रदेश, ओडिशा, तमिलनाडु, कर्नाटक, झारखंड (दामोदर घाटी निगम) तथा उत्तराखंड (उत्तराखंड जल विद्युत निगम लि.) में स्थित हैं।

क्रियान्‍वयन एजेंसियों द्वारा प्रारंभिक और संशोधित लागत के साथ बांधों की संख्‍या इस प्रकार दी गई है:-

पृष्ठभूमि

  • मूल रूप से DRIP की कुल लागत 2100 करोड़ रुपए थी जिसमें राज्य का हिस्सा 1968 करोड़ रुपए और केंद्र का हिस्सा 132 करोड़ रूपए था।
  • प्रारंभ में यह परियोजना 6 वर्ष की अवधि के लिये थी। यह 18 अप्रैल, 2012 को प्रारंभ हुई और इसकी समाप्ति अवधि 30 जून, 2018 थी।
  • केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय तथा विश्व बैंक द्वारा वर्ष 2017 में सैद्धांतिक रूप से परियोजना क्रियान्वयन को दो वर्षों का विस्तार देते हुए परियोजना समाप्ति की संशोधित तिथि को 30 जून, 2020 कर दिया गया।

भारतीय अर्थव्यवस्था

रुपए को बचाने के लिये एनआरआई बॉण्ड जारी करने का विकल्प

चर्चा में क्यों?

विगत कुछ समय से जारी रुपए के मूल्य में तेज गिरावट से इस अनुमान को बल मिला है कि भारतीय रिज़र्व बैंक देश में डॉलर के निवेश को आकर्षित करने में मदद के लिये 30-35 अरब डॉलर के एनआरआई बॉण्ड जारी करने का विकल्प चुन सकता है।

प्रमुख बिंदु

  • इस बॉण्ड को जारी करने का उद्देश्य भारतीय मुद्रा को मज़बूती प्रदान करने के लिये अनिवासी भारतीयों से धन एकत्र करना है।
  • इस वर्ष की शुरुआत के बाद से रुपए में 7% की गिरावट दो कारणों से हुई है। एक तरफ, भारत के पूंजी बाज़ारों से पूंजी बाहर जा रही है। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने वर्ष की पहली छमाही में 47,836 करोड़ रुपए भारतीय पूंजी बाज़ार से निकाल लिये जो कि पिछले 10 वर्षों के दौरान सर्वाधिक है।
  • दूसरी तरफ, भारतीय निर्यातों की मांग में कमी आई है, जबकि कच्चे तेल जैसी वस्तुओं के आयात में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इस वर्ष जुलाई माह में भारत का चालू खाता घाटा पाँच वर्ष के उच्चतम स्तर पर पहुँच गया।
  • इन दोनों कारकों के संयुक्त प्रभाव ने डॉलर की मांग में वृद्धि की है, इस प्रकार रुपए के मूल्य में गिरावट आई है।

क्या यह बॉण्ड रुपए को बचा सकता है?

  • एनआरआई बॉण्ड सैद्धांतिक रूप से रुपए की मांग में वृद्धि करने और डॉलर के मुकाबले अपने मूल्य को स्थिर करने में मदद कर सकते हैं।
  • हालाँकि, रुपए पर इन बॉण्ड्स का वास्तविक प्रभाव इस बात पर निर्भर करेगा कि वे अनिवासी भारतीयों के लिये कितने आकर्षक हैं। वर्ष 2013 में जब यू.एस. फेडरल रिज़र्व के अपने बॉण्ड-खरीद कार्यक्रम को कम करने के फैसले के बाद रुपए में केवल चार महीने में 25% की गिरावट देखी गई, तो भारतीय रिज़र्व बैंक 30 बिलियन डॉलर से अधिक विदेशी पूंजी इकट्ठा करने में सक्षम रहा।
  • उल्लेखनीय है कि रुपए की गिरावट को रोकने में मदद के लिये वर्ष 1998 और वर्ष 2000 में भी एनआरआई बॉण्ड जारी किये गए थे। हालाँकि ये बॉण्ड अर्थव्यवस्था में पूंजी प्रवाह को प्रोत्साहित करके रुपए को अस्थायी रूप से सहायता प्रदान कर सकते हैं, लेकिन वे उन मूल आर्थिक मुद्दों का समाधान नहीं कर सकते हैं जो रुपए के पतन का वास्तविक कारण हैं।
  • जब तक आरबीआई घरेलू मुद्रास्फीति पर लगाम नहीं लगाता और सरकार निर्यात को बढ़ावा देने तथा आयात को रोकने के लिये कदम नहीं उठाती है, तब तक एनआरआई बॉण्ड जारी करने जैसे आपातकालीन उपाय रुपए को केवल अस्थायी राहत ही प्रदान कर सकते हैं।

एनआरआई बॉण्ड क्या है?

  • ये भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा अनिवासी भारतीयों को जारी किये गए बॉण्ड हैं जो भारत में अपना पैसा निवेश करने में रुचि रखते हैं।
  • चूँकि ये बॉण्ड अन्य समान निवेशों की तुलना में अधिक रिटर्न देते हैं, इसलिये इन्हें उस समय के दौरान पूंजी आकर्षित करने के लिये एक उपकरण के रूप में उपयोग किया जा सकता है जब अन्य घरेलू संपत्तियाँ विदेशी निवेशकों की रुचि को आकर्षित करने में विफल रहती हैं।
  • कई निवेशक इन्हें एक सुरक्षित निवेश के रूप में देखते हैं क्योंकि ये बॉण्ड भारतीय केंद्रीय बैंक द्वारा जारी किये जाते हैं।

प्रारंभिक परीक्षा

प्रीलिम्स फैक्ट्स: 20 सितंबर 2018

‘एमएसएमई इनसाइडर’
  • हाल ही में सूक्ष्‍म, लघु एवं मझोले उद्यम मंत्रालय के मासिक ई-न्यूज़लेटर ‘एमएसएमई इनसाइडर’  को लॉन्च किया गया।
  • ई-न्‍यूज़लेटर में मंत्रालय की गतिविधियों से जुड़ी जानकारियाँ उपलब्ध होंगी। साथ ही यह MSME मंत्रालय एवं देश भर में फैली लाखों MSME इकाइयों के बीच एक पुल की भूमिका भी निभाएगा।
  • मंत्रालय की योजनाओं से MSME के साथ-साथ आम जनता को भी अवगत कराने के अलावा ई-न्यूज़लेटर प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नवीनतम नवाचारों, संबंधित माह में होने वाले आगामी कार्यक्रमों और प्रशिक्षण कार्यक्रमों के बारे में भी आवश्‍यक जानकारियाँ देगा।
  • ई-न्यूज़लेटर में उन उद्यमियों की सफलता की गाथाएँ भी होंगी जो मंत्रालय की योजनाओं से लाभान्वित हुए हैं।
  • इसके अलावा, उद्योग आधार मेमोरेंडम पोर्टल पर पंजीकृत हो चुके लगभग 50 लाख MSMEs के बीच ई-न्यूज़लेटर का वितरण भी किया जाएगा।

अटल बीमित व्‍यक्ति कल्‍याण योजना

रोज़गार पद्धति में बदलाव तथा भारत में रोज़गार के वर्तमान परिदृश्‍य पर विचार करते हुए कर्मचारी राज्य बीमा निगम (Employees’ State Insurance Corporation- ESIC) ने कर्मचारी राज्‍य बीमा अधिनियम 1948 के तहत कवर किये जाने वाले बीमित व्‍यक्तियों (Insured Persons) के लिये ‘अटल बीमित व्‍यक्ति कल्‍याण योजना’ नामक एक योजना को मंज़ूरी दी है।

  • इस योजना के अंतर्गत नौकरी चली जाने की स्थिति में और नई नौकरी की तलाश के दौरान बीमित व्यक्ति के बैंक खाते में राहत राशि भेजी जाएगी।

ESIC के अन्य फैसले

  • ESIC ने कर्मचारियों को प्रति व्‍यक्ति दस रुपए की प्रतिपूर्ति के प्रस्‍ताव को भी मंज़ूरी दी है, जिससे कि उन श्रमिकों एवं उनके परिवार के सदस्‍यों के ESIC डाटा बेस में आधार (UID) के जोड़े जाने को प्रोत्‍साहित किया जा सके। यह कदम एक ही बीमित व्‍यक्ति के विविध पंजीकरणों में कमी लाएगा तथा दीर्घकालिक अंशदायी स्थितियों का आवश्‍यक लाभ उठाने में उन्‍हें सक्षम बनाएगा।
  • ESIC ने सुपर स्‍पेशियलिटी उपचार का लाभ उठाने के लिये अर्हता स्थिति में रियायत देने के प्रस्‍ताव को भी मंज़ूरी दी है, जिसमें पहले के दो वर्षों के बीमा योग्‍य रोज़गार अवधि को घटाकर छह महीने कर दिया गया है और इसमें केवल 78 दिनों के अंशदान की आवश्‍यकता होगी।
  • इसके अतिरिक्‍त, बीमित व्‍यक्तियों के आश्रितों के लिये सुपर स्‍पेशियलिटी उपचार का लाभ उठाने की अर्हता में छूट देकर अब इसे एक वर्ष के बीमा योग्‍य रोज़गार तक सीमित कर दिया गया है, जिसमें 156 दिनों का अंशदान शामिल होगा। इस छूट से बीमित व्‍यक्तियों एवं उनके लाभार्थियों को संशोधित अर्हता के अनुसार नि:शुल्‍क सुपर स्‍पेशियलिटी उपचार प्राप्‍त करने का अवसर मिलेगा।
  • ESIC ने बीमित व्‍यक्तियों की मृत्‍यु पर भुगतान किये जाने वाले अंत्‍येष्टि व्‍यय में बढ़ोतरी कर इसे वर्तमान 10,000 रुपए से बढ़ाकर 15,000 रुपए करने के प्रस्‍ताव को भी मंज़ूरी दे दी है।

अन्ना राजम मल्होत्रा

स्वतंत्र भारत की पहली महिला आईएएस अधिकारी अन्ना राजम मल्होत्रा का 91 वर्ष की उम्र में निधन हो गया।

  • उनका जन्म जुलाई 1927 में केरल के एर्नाकुलम ज़िले में हुआ था।
  • अन्ना राजम मल्होत्रा 1951 में सिविल सेवा में शामिल हुई और मद्रास कैडर का चयन किया।
  • उनका विवाह आर.एन. मल्होत्रा के साथ हुआ था, उल्लेखनीय है कि आर.एन. मल्होत्रा ने 1985 से 1990 तक भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर के रूप में कार्य किया था।
  • अन्ना राजम मल्होत्रा, जिन्हें घुड़सवारी और शूटिंग में प्रशिक्षित किया गया था, को सबसे पहले होसुर में उप जिलाधिकारी के रूप में तैनात किया गया था।
  • उन्होंने 7 मुख्यमंत्रियों के अधीन कार्य किया था जिनमें सी.राजगोपालाचारी सबसे प्रमुख थे। उल्लेखनीय है कि सी. राजगोपालाचारी सिविल सेवाओं में महिलाओं के प्रवेश के खिलाफ थे लेकिन बाद में उन्होंने स्वयं अन्ना राजम मल्होत्रा की प्रशंसा की थी।
  • अध्यक्ष के रूप में उन्होंने भारत के प्रथम कंप्यूटरीकृत बंदरगाह न्हावा शेवा के निर्माण का कार्य पूरा करवाया।
  • वर्ष 1990 में उन्हें पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था।
स्मार्ट बाड़ परियोजना

हाल ही में जम्मू में भारत-पाक अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर स्मार्ट बाड़ के लिये दो प्रायोगिक परियोजनाओं की शुरुआत की गई।

  • स्मार्ट सीमा बाड़ परियोजना देश में व्यापक एकीकृत सीमा प्रबंधन प्रणाली (CIBMS) कार्यक्रम के तहत शुरू की जाने वाली अपनी तरह की पहली परियोजना है।
  • सीमा पर 5.5 किलोमीटर लंबी दूरी की दो सीमा बाड़ परियोजनाओं की निगरानी व्यवस्था तकनीक तौर पर काफी उन्नत है जिसमें भूमि, जल और यहाँ तक की हवा में भी अदृश्य इलेक्ट्रॉनिक बाधाएँ लगाई गई हैं।
  • इससे BSF को काफी दुर्गम क्षेत्रों में खतरों की पहचान करने और घुसपैठ की कोशिशों को रोकने में मदद मिलेगी।
  • CIBMS निगरानी, संचार और डाटा संग्रहण में बड़ी संख्या में अलग-अलग यंत्रों का इस्तेमाल करता है।
  • इसकी सहायता से BSF सीमा पर सभी प्रकार के मौसम में 24 घंटे निगरानी करने में सक्षम होगा।

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2