मसाला बॉण्ड जारी करने वाला पहला भारतीय राज्य
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केरल इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट फंड बोर्ड (Kerala Infrastructure Investment Fund Board- KIIFB) ने लंदन स्टॉक एक्सचेंज में 2,150 करोड़ रुपए का मसाला बॉण्ड जारी किया है।
प्रमुख बिंदु
- मसाला बॉण्ड जारी करने के पश्चात् ‘केरल इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट फंड बोर्ड’ भारत का पहला उप-संप्रभु इकाई बन गया, जिसने अपतटीय रुपया अंतर्राष्ट्रीय बॉण्ड बाज़ार (Offshore Rupee International Bond Market) में प्रवेश किया है।
- इस बॉण्ड पर निश्चित कूपन दर 9.723% एवं इसकी परिपक्वता अवधि 5 वर्ष होगी।
- यह बॉण्ड राज्य में निवेश करने हेतु बहुराष्ट्रीय निगमों को आकर्षित करने पर केंद्रित है।
- गौरतलब है कि केरल को गैर-व्यावसायिक नीतियों, लालफीताशाही और बार-बार होने वाली औद्योगिक हड़तालों के लिये जाना जाता है।
- केरल राज्य सरकार के अनुसार, बॉण्ड इश्यू से प्राप्त आय को वर्ष 2018 में बाढ़ से तबाह हुए क्षेत्र के पुनर्निर्माण हेतु इस्तेमाल किया जाएगा।
- गौरतलब है कि केरल इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट फंड बोर्ड राज्य के स्वामित्व में कार्य करता है।
अपतटीय रुपया अंतर्राष्ट्रीय बॉण्ड बाज़ार
- भारतीय राष्ट्रीय सीमा के बाहर ‘रुपया’ एक मुद्रा है जिसमें कई प्रकार के व्यापार और लेन-देन भी होते हैं। ‘अपतटीय रुपया अंतर्राष्ट्रीय बॉण्ड बाज़ार’ घरेलू मुद्रा के अंतर्राष्ट्रीयकरण से भी जुड़ा है। अपतटीय रुपए बाज़ार का सबसे अच्छा उदाहरण मसाला बॉण्ड है जिसका प्रयोग अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार से पैसे लेने हेतु किया जाता है लेकिन यह कार्य भारतीय मूल्य में ही होगा।
केरल इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट फंड बोर्ड (KIIFB)
- ‘केरल इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट फंड’ का प्रबंधन करने हेतु KIIFB वर्ष 1999 में केरल सरकार (वित्त विभाग) के तहत अस्तित्व में आया।
- इस फंड का मुख्य उद्देश्य केरल राज्य में महत्त्वपूर्ण और बड़े बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं हेतु निवेश प्रदान करना था।
- किंतु वर्ष 2016 में वर्तमान सरकार ने KIIFB की भूमिका को एक इकाई के रूप में परिवर्तित कर दिया जिसका उद्देश्य बजट के दायरे से बाहर की विकासात्मक परियोजनाओं हेतु संसाधन जुटाना था।
विभिन्न प्रकार के बॉण्ड
- वर्तमान में बहुत से बॉण्ड चर्चा का विषय बने हुए हैं, जिनके कारण अक्सर दुविधा की स्थिति बन जाती है। इस दुविधा से बचने के लिये ही हमने ऐसे कुछ बॉण्डों के विषय में यहाँ संक्षिप्त जानकारी देने का प्रयास किया है, जो कि इस प्रकार हैं-
मसाला बॉण्ड
- मसाला बॉण्ड भारत के बाहर जारी किये जाने वाले बॉण्ड होते हैं, लेकिन स्थानीय मुद्रा की बजाय इन्हें भारतीय मुद्रा में निर्दिष्ट किया जाता है।
- डॉलर बॉण्ड के विपरीत (जहाँ उधारकर्त्ता को मुद्रा जोखिम लेना पड़ता है) मसाला बॉण्ड में निवेशकों को जोखिम उठाना पड़ता है।
- नवंबर 2014 में विश्व बैंक के इंटरनेशनल फाइनेंस कॉरपोरेशन द्वारा पहला मसाला बॉण्ड जारी किया गया था।
रुपए बॉण्ड
- रुपए ऋण बॉण्ड (Rupee Debt Bonds) को रुपए डेनोमीनेटेड बॉण्ड (Rupee Denominated Bonds) या ‘मसाला बॉण्ड’ (Masala Bonds) के रूप में भी जाना जाता है।
- इस प्रकार के बॉण्ड को भारतीय संस्थाओं द्वारा विदेशी बाज़ारों में विदेशी मुद्रा जोखिम को खत्म करने के लिये जारी किया जाता है।
- मसाला बॉण्ड, ऑफशोर कैपिटल मार्केट (Offshore Capital Markets) में जारी किये गए भारतीय रुपए डेनोमीनेटेड बॉण्ड (Indian Rupee Denominated Bonds) हैं।
हरित बॉण्ड
- हरित बॉण्ड, संघीय योग्य संगठनों अथवा नगर पालिकाओं द्वारा पूर्व स्थापित क्षेत्रों (Brownfield sites) के विकास के लिये जारी कर-मुक्त बॉण्ड होते हैं।
- ग्रीन बॉण्ड, दूसरे बॉण्डों की तरह ही होते हैं, लेकिन इनके तहत केवल पर्यावरण के अनुकूल परियोजनाओं यानी हरित परियोजनाओं में निवेश किया जाता है। ऐसी परियोजनाएँ आमतौर पर अक्षय ऊर्जा, कचरा प्रबंधन, स्वच्छ परिवहन, सतत् जल प्रबंधन एवं जलवायु परिवर्तन के प्रति अनुकूलित क्षेत्र में अवस्थित होती हैं।
जलवायु बॉण्ड
- जलवायु बॉण्ड (इन्हें ग्रीन बॉण्ड के रूप में भी जाना जाता है) के रूप में निश्चित आय वाले वित्तीय साधनों (बॉण्ड) को जलवायु परिवर्तन संबंधी समाधानों से किसी-न-किसी तरह से संबद्ध किया जाता है।
- जलवायु बॉण्ड (Climate Bonds) अपेक्षाकृत एक नया परिसंपत्ति वर्ग (New Asset Class) है। इसके बावजूद इसमें बहुत तेज़ी से वृद्धि हो रही है।
सामाजिक प्रभाव बॉण्ड
- सामाजिक प्रभाव बॉण्ड (Social Impact Bond) को सफल वित्तपोषण हेतु वेतन (Pay for Success Financing) अथवा सामाजिक लाभ बॉण्ड या केवल एक सामाजिक बॉण्ड के रूप में जाना जाता है।
- वस्तुतः यह सार्वजनिक क्षेत्र के साथ एक अनुबंध के रूप में होता है, जिसमें बेहतर सामाजिक परिणामों के लिये भुगतान करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की जाती है। इसका परिणाम सार्वजनिक क्षेत्र की बचत में परिलक्षित होता है।
विकास प्रभाव बॉण्ड
- विकास प्रभाव बॉण्ड (Development Impact Bonds - DIBs) एक प्रदर्शन आधारित निवेश साधन है, जिसका उद्देश्य कम संसाधन वाले देशों के विकास कार्यक्रमों को वित्तपोषित करना है।
- विकास प्रभाव बॉण्ड को सामाजिक प्रभाव बॉण्ड के आधार पर बनाया जाता है।
औद्योगिक राजस्व बॉण्ड बॉण्ड
- औद्योगिक राजस्व बॉण्ड (Industrial Revenue Bond - IRB) राज्य अथवा स्थानीय सरकार द्वारा जारी एक अनूठे प्रकार का राजस्व बॉण्ड होता है।
- इस बॉण्ड को एक सरकारी इकाई द्वारा प्रायोजित किया जाता है।
सामान्य दायित्व बॉण्ड
- एक सामान्य दायित्व बॉण्ड (General Obligation Bond) एक नगरपालिका बॉण्ड होता है।
- ये किसी परियोजना से प्राप्त राजस्व के स्थान पर वितरित अधिकार क्षेत्र के क्रेडिट और कर लगाने की शक्ति द्वारा समर्थित बॉण्ड होते हैं।
- सामान्य दायित्व बॉण्ड को इस धारणा के साथ जारी किया जाता है कि इसके आधार पर नगरपालिका परियोजनाओं से प्राप्त राजस्व अथवा कराधान के माध्यम से अपने ऋण दायित्वों को चुकाने में सक्षम हो जाएंगी।
कॉरपोरेट बॉण्ड
- किसी कॉरपोरेशन द्वारा जारी किये गए बॉण्ड को कॉरपोरेट बॉण्ड कहा जाता है।
- कॉरपोरेट बॉण्ड को पहले से चल रहे कार्यों अथवा विलय एवं अधिग्रहण अथवा व्यापार का विस्तार करने जैसे विभिन्न कारणों हेतु वित्तपोषण बढ़ाने के लिये जारी किया जाता है।
- हालाँकि, कॉरपोरेट बॉण्ड शब्द को बहुत सटीकता के साथ परिभाषित नहीं किया गया है।
स्रोत- द इंडियन एक्सप्रेस
राडार इमेजिंग उपग्रह RISAT-2B
चर्चा में क्यों?
भारत 22 मई को श्रीहरिकोटा से पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल-कोर अलोन (Polar Sattelite Launch Vehicle-Core Alone-PSLV-CA) वैरिएंट का उपयोग करते हुए राडार इमेजिंग अर्थ आब्जर्वेशन उपग्रह, RISAT-2B लॉन्च करेगा।
RISAT-2B
- RISAT-2B, RISAT-2BR1, 2BR2, RISAT-1A, 1B, 2A के बाद लॉन्च किया जाना है।
- इसरो के मुताबिक RISAT-2B को धरती की लगभग 500 किमी ऊँचाई वाली कक्षा में स्थापित किया जाएगा। अपनी कक्षा में यह 37 डिग्री के कोण पर झुका होगा।
- इस उपग्रह के अंतरिक्ष में स्थापित होने से देश की टोही एवं निगरानी क्षमता बढ़ेगी।
- यह एक्स बैंड सिंथेटिक अपर्चर राडार (SAR) युक्त उपग्रह है जिसका उपयोग धरती पर नज़र रखने के लिये किया जाएगा।
- बादलों के आच्छादित रहने पर भी इस उपग्रह की मदद से धरती पर नज़र रखी जा सकेगी। इससे सीमाओं पर किसी भी गतिविधि का पता लगाया जा सकेगा।
- RISAT-2B उपग्रह भी एक्स बैंड सिंथेटिक अपर्चर राडार उपग्रह है जो देश की इमेजिंग और टोही क्षमता को बढ़ाएगा।
- इसमें सभी मौसम में निगरानी करने की क्षमता है जो सुरक्षा बलों और आपदा राहत एजेंसियों के लिये विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण है।
RISAT सीरीज़ के बारे में
- राडार इमेजिंग सैटेलाइट (RISAT) ISRO द्वारा निर्मित भारतीय राडार इमेजिंग टोही उपग्रहों की एक श्रृंखला है।
- RISAT श्रृंखला इसरो का पहला ऑल-वेदर अर्थ ऑब्जर्वेशन उपग्रह है।
- पिछले भारतीय आब्जर्वेशन उपग्रह मुख्य रूप से ऑप्टिकल और स्पेक्ट्रल सेंसर पर आधारित थे जो आसमान में बादल होने पर ठीक से काम नहीं कर पाते थे।
- दरअसल, वर्ष 2008 में मुंबई में हुए आतंकवादी हमले के बाद इसरो ने अप्रैल 2009 को RISAT-2 उपग्रह लॉन्च किया था जिससे सशस्त्र बलों को काफी मदद मिली।
- हालाँकि तब इसरो की योजना स्वदेशी तकनीक से विकसित ‘सी बैंड’ सिंथेटिक अपर्चर राडार उपग्रह RISAT-1 लॉन्च करने की थी, लेकिन यह भारतीय उपग्रह तैयार नहीं था।
- भारत ने इज़राइली एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज़ से एक्स बैंड सिंथेटिक अपर्चर राडार लिया जिसे RISAT-2 में इंटीग्रेट कर छोड़ा गया।
- इस तरह RISAT-2 देश का पहला सिंथेटिक अपर्चर राडार युक्त उपग्रह बना, जिससे दिन या रात, हर मौसम में (24 घंटे) देश की सीमाओं की निगरानी करने की क्षमता बढ़ी।
- 2012 में इसरो ने RISAT-1 लॉन्च किया जिसे भारत का पहला स्वदेशी ऑल-वेदर राडार इमेजिंग उपग्रह के नाम से जाना जाता है।
सिंथेटिक अपर्चर राडार (Synthetic Aperture Radar-SAR)
- सिंथेटिक अपर्चर राडार (SAR) इमेजिंग में माइक्रोवेव स्पंदन (Pulses) को एक एंटीना के माध्यम से पृथ्वी की सतह की ओर प्रेषित किया जाता है।
- अंतरिक्षयान में फैली माइक्रोवेव ऊर्जा को मापा जाता है। SAR राडार सिद्धांत का उपयोग करता है ताकि बैकस्कैटर (Backscattered) सिग्नल के समय देरी का उपयोग करके एक छवि (Image) बनाई जा सके।
इसरो (ISRO)
- वर्ष 1969 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (ISRO) की स्थापना हुई। यह भारत सरकार की अंतरिक्ष एजेंसी है। इसका मुख्यालय बंगलुरू में है।
- इसे अंतरिक्ष अनुसंधान के लिये तत्कालीन प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और उनके करीबी सहयोगी और वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के प्रयासों से स्थापित किया गया।
- इसे भारत सरकार के ‘स्पेस डिपार्टमेंट’ द्वारा प्रबंधित किया जाता है, जो सीधे भारत के प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करता है।
- भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) अपने विभिन्न केंद्रों के देशव्यापी नेटवर्क के माध्यम से संचालित होता है।
स्रोत : द हिंदू
विश्व व्यापार संगठन का अपीलीय प्राधिकरण
संदर्भ
हाल ही में विश्व व्यापार संगठन अपने अपीलीय प्राधिकरण में निर्धारित सदस्यों की संख्या से कम सदस्य हो चुकी है ।
प्रमुख बिंदु
- अपीलीय प्राधिकरण में सदस्यों की संख्या सात से घटकर तीन रह गई है।
- इस कारण वर्तमान में अपीलीय प्राधिकरण में किसी अपील पर सुनवाई करने में लगभग एक वर्ष का समय लग रहा है, जबकि अपीलों के निपटारे के लिये निर्धारित समय 90 दिन है।
- फिलहाल मौजूद तीन न्यायाधीशों में से दो न्यायाधीश 10 दिसंबर को सेवानिवृत्त होने वाले हैं, जिससे अपीलीय प्राधिकरण की कार्यक्षमता प्रभावित होगी। क्योंकि इसके पश्चात इसमें एक सदस्य शेष रह जाएगा।
- ध्यातव्य है कि संयुक्त राज्य अमेरिका ने पिछले साल से अपीलीय प्राधिकरण में न्यायाधीशों की नियुक्ति पर रोक लगा दी है क्योंकि अमेरिका को लगता है कि विश्व व्यापार संगठन पक्षपात की भावना से कार्य करता है।
- किसी भी अपील की सुनवाई के लिये कम-से-कम 3 सदस्य होने अनिवार्य हैं। अतः दो सेवानिवृत्त सदस्यों की नियुक्ति शीघ्र नहीं की गई तो अपीलीय प्राधिकरण की प्रासंगिकता पर प्रश्नचिह्न लग सकता है।
- 1995-2014 के मध्य पैनलों के 201 निर्णयों में 68% अपीलें की गईं।
- पिछले कुछ वर्षों में निर्धारित संख्या से कम सदस्यों की पीठ होने के कारण अपीलों को तय 2-3 महीने की समयसीमा के अंतर्गत निस्तारित करने में असमर्थता जताई गई है।
- पिछले वर्ष दायर की गई अपीलों के मामलों की सुनवाई को काफी पुरानी अपीलों ने रोक रखा है। अपीलीय प्राधिकरण की तीन सदस्यीय पीठ अब 1अक्तूबर, 2018 से दायर अपीलों की सुनवाई कर रही हैं।
- जुलाई 2018 के बाद से दायर की गई कम-से-कम 10 अपीलों की समीक्षा करने में प्राधिकरण अभी तक असमर्थ रहा है।
विश्व व्यापार संगठन का अपीलीय प्राधिकरण क्या है?
- विश्व व्यापार संघ के अपीलीय प्राधिकरण की स्थापना वर्ष 1995 में अंडरस्टैंडिंग ऑफ रूल्स ऑफ डिसिप्लिन (DSU) के नियमों और प्रक्रियाओं पर अनुच्छेद 17 के तहत की गई थी।
- यह सात व्यक्तियों का एक स्थायी निकाय है जो WTO के सदस्यों द्वारा लाए गए विवादों पर पैनलों द्वारा जारी रिपोर्टों के आधार पर अपील की सुनवाई करता है।
- अपीलीय निकाय एक पैनल के कानूनी निष्कर्षों में परिवर्तन सकता है, संशोधन कर सकता है या उन्हें यथावत बनाए रख सकता है।
- WTO का विवाद निस्तारण तंत्र दुनिया में सबसे सक्रिय तंत्रों में से एक है और अपीलीय प्राधिकरण इन मामलों में सर्वोच्च प्राधिकरण है जिसका निर्णय अंतिम एवं सर्वमान्य होगा।
- WTO द्वारा समझौते या दायित्व को तोड़ने के लिये बनाए गए नियमों पर विवाद होने की स्थिति में विवाद में शामिल देश अपीलीय प्राधिकरण से संपर्क कर सकते हैं।
- अपीलीय प्राधिकरण विवाद को सुनने वाले पैनल के कानूनी निष्कर्षों को बरकरार रख सकता है, संशोधित कर सकता है या उलट सकता है एवं विवाद में शामिल दोनों पक्षों के देश अपील कर सकते हैं।
प्रभाव
- अगर अपीलीय प्राधिकरण में नई नियुक्तियाँ नहीं होती हैं, तो ऐसी स्थिति में विश्व व्यापार संगठन की विवाद निपटान प्रक्रिया पर पहले से ही बहुत अधिक भार होने के कारण इसकी कार्यक्षमता प्रभावित होगी।
- देशों को पैनल द्वारा दिये गए फैसलों को लागू करने के लिये बाध्य होना पड़ सकता है, भले ही उन्हें इसमें गंभीर त्रुटियों की आशंका हो।
- इससे वैश्विक व्यापार में संरक्षणवाद को कम करने एवं समाप्त करने के लिये दो दशकों से चले आ रहे प्रयासों के कारण WTO का ढाँचा कमज़ोर हो सकता है।
- वर्तमान में व्यापार तनाव एक प्रमुख चिंता है क्योंकि इस प्रकार की समस्याएँ हैं। उदाहरण के लिये अमेरिका-चीन एवं अमेरिका-भारत के बीच व्यापारिक तनाव बढ़ रहा है।
- अगर यह प्राधिकरण समाप्त हो जाता है तो अंतर्राष्ट्रीय व्यापार विवादों में उलझे देशों को निस्तारण के लिये कोई मंच नहीं रह जाएगा।
अपीलीय प्राधिकरण के संदर्भ में भारत
- यह भारत के लिये अच्छा प्रतीत नहीं होता क्योंकि भारत विशेष रूप से कृषि उत्पादों पर विवाद के मामलों की बढ़ती संख्या का सामना कर रहा है।
- अन्य सदस्य देशों की तुलना में अमेरिका अधिकतम विवादों में सीधे तौर पर शामिल है, जबकि भारत सहित कई देशों ने तीसरे पक्ष के रूप में विवाद दर्ज करवाए हैं।
- भारत अब तक 54 विवादों में प्रत्यक्ष भागीदार रहा है।
- पिछले चार महीनों में विश्व व्यापार संगठन में भारत के खिलाफ चार शिकायतें दर्ज़ कराई गई हैं जिनमें यह आरोप लगाया गया है कि भारत अपने चीनी और गन्ना उत्पादकों के लिये WTO के नियमों के दायरे से बाहर जाकर समर्थन जुटाने के उपाय कर रहा है।
भविष्य की राह
- जब अपीलीय प्राधिकरण में नए सदस्यों की नियुक्ति का निर्णय लिया जाता है तो इसमें WTO के सभी सदस्यों की आम सहमति ज़रूरी होती है। अगर इनमें सहमति नहीं बन पाती है तो मतदान का प्रावधान है।
- भारत सहित 17 अल्प-विकसित और विकासशील देशों के समूह ने अपीलीय प्राधिकरण में गतिरोध समाप्त करने हेतु एक साथ कार्य करने की प्रतिबद्धता जताई है। अतः इस आशय का एक प्रस्ताव लाया जाए एवं मतदान हो तथा बहुमत के आधार पर अपीलीय प्राधिकरण में नए सदस्य की नियुक्ति करने का प्रयास किया जा सकता है।
- यह उपाय अंतिम विकल्प हो सकता है।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
केरल में बढ़ रहा खसरा का प्रकोप
चर्चा में क्यों?
पिछले कुछ वर्षों के दौरान दुनिया भर में खसरे का प्रकोप तेज़ी बढ़ा है। ध्यातव्य है कि भारत भी इसके प्रकोप से अछूता नहीं है। आँकड़ों की माने तो जनवरी 2019 के पश्चात् केरल में खसरा काफी तेज़ी से फैला है।
प्रमुख बिंदु
- केरल में हर साल खसरे के लगभग 600 से ज़्यादा मामले सामने आते हैं किंतु इस साल के शुरुआती चार महीनों में ही इतने मामले सामने आए हैं।
- ऐ खसरा, बचपन में होने वाली एक बीमारी रही है किंतु बड़े लोगों के बीच इसका बढ़ना नई चुनौतियाँ पैदा कर रहा है। ये चुनौतियाँ विशेष रूप से समाज के सुभेद्य वर्ग जैसे- गर्भवती महिलाओं और कमज़ोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले रोगियों (एचआईवी, कैंसर, अंग प्रत्यारोपण की स्थिति में) के लिये घातक साबित हो सकती हैं।
- खसरे के पहले टीके के लिये की नौ महीने उम्र निर्धारित की गई है क्योंकि तब तक गर्भाशय से शिशु में स्थानांतरित मातृ एंटीबॉडी संरक्षण प्रदान करता है।
- राष्ट्रीय खसरा उन्मूलन रणनीति के एक हिस्से के रूप में 2010-18 में 15-18 महीनों में एक अनिवार्य दूसरी खुराक शुरू की गई थी, ताकि बेहतर प्रतिरक्षा सुरक्षा प्रदान की जा सके।
- स्वरूप बदलती यह महामारी न केवल अज्ञात चुनौतियाँ सामने ला रही है, बल्कि वयस्क टीकाकरण नीति की प्रासंगिक मांग पर भी ध्यान आकर्षित कर रही है।
- गौरतलब है कि खसरा नियंत्रण हेतु मिशन इन्द्रधनुष के तहत टीकाकरण के उपाय किये गए हैं।
खसरा क्या है?
- खसरा (Measles) श्वसन प्रणाली में वायरस, विशेष रूप से मोर्बिलीवायरस (Morbillivirus) के जीन्स पैरामिक्सोवायरस (Paramicovirus) के संक्रमण से होता है।
- मोर्बिलीवायरस भी अन्य पैरामिक्सोवायरस की तरह ही एकल असहाय, नकारात्मक भावना वाले RNA वायरस द्वारा घिरे होते हैं।
- इसके लक्षणों में बुखार, खाँसी, नाक का बहना, लाल आँखें और एक सामान्यीकृत मेकुलोपापुलर एरीथेमाटस चकते भी शामिल हैं।
- शुरुआती दौर में मस्तिष्क की कोशिकाओं (Brain Cell) में सूजन आ जाता है और बाद में समस्या के गंभीर होने पर कई सालों बाद व्यक्ति का मस्तिष्क क्षतिग्रस्त हो जाता है।
मिशन इन्द्रधनुष
मिशन इन्द्रधनुष (Mission Indradhanush) अभियान का आरंभ 25 दिसम्बर, 2014 को किया गया था।
- इस अभियान के अंतर्गत निम्नलिखित बीमारियों हेतु टीकाकरण उपलब्ध कराया गया है-
- डिप्थीरिया (Diphtheria)
- पेट्यूसिस (Pertussis)
- टेटनस (Tetanus)
- पोलियो (Polio)
- खसरा (Measles)
- बचपन के तपेदिक का गंभीर रूप (Severe form of childhood Tuberculosis)
- हेपेटाइटिस बी (Hepatitis B)
- मेनिनजाइटिस (Meningitis) और निमोनिया (Pneumonia) [हेमोफिलस इन्फ्लूएंजा टाइप बी संक्रमण (Hemophilus influenza type B infections)]
- जापानी एन्सेफेलाइटिस (Japanese Encephalitis) स्थानिक ज़िलों में
- रोटवायरस टीका (Rotavirus Vaccine)
- IPV जैसे नए टीके
- वयस्क जेई टीका (Adult JE Vaccine)
- न्यूमोकोकल संयुग्म टीका (Pneumococcal Conjugate Vaccine – PCV)
- खसरा-रूबेला टीका (Measles-Rubella Vaccine)
स्रोत- द हिंदू
Rapid Fire करेंट अफेयर्स (20 May)
- भारतीय रिज़र्व बैंक ने अगले तीन साल के लिये 12 लक्ष्यों की एक सूची तैयार की है, जिसमें डिजिटल पेमेंट को चार गुना बढ़ाना, पेपर बेस्ड ट्रांजैक्शन में कमी लाना, पेमेंट प्राइसिंग को बेहतर बनाना, ग्राहकों की शिकायतों के निपटारे के लिये बेहतर व्यवस्था करना और नए पेमेंट सिस्टम ऑपरेटर्स (PSO) की सेवाएँ शुरू कराना शामिल है। रिज़र्व बैंक ने तय समय तक लक्ष्य हासिल करने के लिये हाल ही में जारी पेमेंट्स सिस्टम्स विज़न 2022 डॉक्युमेंट में सभी हितधारकों और गवर्निंग बॉडीज़ की तरफ से उठाए जाने वाले कदमों की व्यापक कार्ययोजना का ज़िक्र किया था। रिज़र्व बैंक ने मौजूदा पेमेंट सिस्टम में सुधार लाने के लिये प्रतिस्पर्द्धा, लागत, सहूलियत और विश्वास सहित ऐसे चार क्षेत्रों का चुनाव किया है जहाँ उसकी तरफ से नीतिगत दखल दिया जा सकता है। केंद्रीय बैंक ने यह भी तय किया है कि कार्ड के ज़रिये होने वाले ट्रांजैक्शंस में अगले तीन साल में छह गुना बढ़ोतरी हो सकती है और इससे भारत 'कैश लाइट' देशों की सूची में शामिल हो जाएगा। रिज़र्व बैंक ने NEFT और RTGS की ट्रांजेक्शन लिमिट और समयावधि बढ़ाने पर भी विचार किया है और आने वाले समय में यूज़र्स को बिना इंटरनेट और स्मार्टफोन वाला यूनिवर्सल पेमेंट सॉल्यूशन मुहैया कराने पर भी विचार करेगा।
- यूनेस्को ने कैलास भू-क्षेत्र को विश्व धरोहर की अंतरिम सूची में भी शामिल कर लिया है। पवित्र कैलास भू-क्षेत्र भारत सहित चीन व नेपाल की संयुक्त धरोहर है। अब इसे विश्व धरोहर का दर्जा दिलाने के प्रयास किये जा रहे हैं। इस पहल का असर यह होगा कि राष्ट्रीय महत्त्व वाले इस क्षेत्र को प्राकृतिक के साथ ही सांस्कृतिक (मिश्रित) श्रेणी की संरक्षित धरोहर का दर्जा मिलेगा। एशिया-प्रशांत क्षेत्र के देशों की प्राकृतिक धरोहरों को वैश्विक पहचान दिलाने का कार्य यूनेस्को के दो केंद्रों के माध्यम से कार्य करने वाले प्राधिकरण के सहयोग से किया जाएगा। गौरतलब है कि कैलास क्षेत्र को संरक्षित विश्व धरोहर का दर्जा दिलाने के लिये चीन व नेपाल पहले ही अपना प्रस्ताव यूनेस्को को भेज चुके थे। भारत ने भी अपने भूभाग के 7120 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल को यूनेस्को से प्रारंभिक मंज़ूरी प्रदान करा दी है। अब विभिन्न देशों का 31 हज़ार 175 वर्ग किलोमीटर भाग यूनेस्को की अंतरिम सूची में शामिल हो गया है।
- अमेरिकी नौसेना प्रमुख एडमिरल जॉन रिचर्डसन हाल ही में तीन दिन की भारत यात्रा पर आए। उनकी भारत यात्रा का प्रमुख उद्देश्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र में साझा दृष्टिकोण वाली दोनों नौसेनाओं के बीच संबंध को मज़बूत बनाना था। दोनों देशों ने आज़ाद और खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिये आपसी प्रतिबद्धता और साझा दृष्टिकोण से भविष्य में और ज्यादा अवसर तलाशने पर सहमति जताई। इस दौरान दोनों नौसेनाओं के बीच सहयोग बढ़ाने की रूपरेखा तय करने वाले विशिष्ट कदमों पर भी चर्चा की गई। इसके अलावा दोनों देशों ने समुद्री सुरक्षा के दृष्टिकोण से सूचनाओं के आदान-प्रदान, तालमेल बढ़ाने, संयुक्त अभ्यास करने और अन्य साझेदारियों का फैसला किया। उल्लेखनीय है कि चीन संसाधन संपन्न हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ाने का प्रयास कर रहा है और उसके इस प्रयास को कमज़ोर करने के लिये अमेरिका रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण इस क्षेत्र में भारत द्वारा व्यापक भूमिका निभाने पर ज़ोर देता रहा है।
- संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने आतंकी संगठन आईएसआईएस की दक्षिण एशिया शाखा पर प्रतिबंध लगा दिया है। संयुक्त राष्ट्र ने अफगानिस्तान और पाकिस्तान में कई घातक हमलों में शामिल होने और आतंकी संगठन अल-कायदा से जुड़े होने को लेकर यह प्रतिबंध लगाया है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 अल कायदा प्रतिबंध समिति ने इस्लामिक स्टेट इन इराक एंड दि लेवांत-खुरासान (आईएसआईएल-के) पर यह प्रतिबंध लगाया। इस संगठन को आईएसआईएस की दक्षिण एशिया शाखा के तौर पर भी जाना जाता है। आईएसआईएल-के का गठन 10 जनवरी 2015 को तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के एक पूर्व कमांडर ने किया था।
- बोइंग ने 737 मैक्स विमान में मैनोवरिंग कैरेक्टरिस्टिक ऑगमेन्टेशन सिस्टम (MCAS) से जुड़ी खामी को दूर करने के बाद परीक्षण हेतु 360 घंटों से ज्यादा उड़ान भरकर इसके सफल रहने का दावा किया है। इसके लिये 207 उड़ानें संचालित की गईं। लेकिन विमानों का परिचालन फिर शुरू करने से पहले बोइंग को प्रस्तावित सुधार पर अमेरिकी और अंतर्राष्ट्रीय नियामकों की अनुमति लेनी होगी। गौरतलब है कि अमेरिका की प्रमुख विमान निर्माता कंपनी बोइंग ने लायन एयर और इथियोपियन एयरलाइंस हादसों के बाद 737 मैक्स विमानों में सॉफ्टवेयर अपडेट करने की घोषणा की थी। इन विमान हादसों के बाद दुनियाभर के देशों ने इन विमानों को परिचालन से बाहर कर दिया था। बोइंग का कहना है कि सॉफ्टवेयर अपडेट को लेकर सारी इंजीनियरिंग परीक्षण उड़ानें पूरी कर ली गई हैं और अब इसकी प्रामाणिकता के लिये अंतिम उड़ान की तैयारी की जा रही है।
- चीन के अंतरिक्ष यान चांग ई-4 ने चंद्रमा के अनदेखे हिस्से की पड़ताल शुरू कर दी है। चांग ई-4 की मदद से चंद्रमा के इस हिस्से की सतह के रासायनिक और खनिज घटकों के बारे में काफी जानकारी मिली है। इससे आने वाले समय में पृथ्वी और चंद्रमा के विकास क्रम से जुड़ी कई गुत्थियों के सुलझने की भी उम्मीद है। ज्ञातव्य है कि चांग ई-4 दुनिया का पहला यान है और यह चंद्रमा के उस हिस्से पर उतरा है, जो पृथ्वी से दिखाई नहीं देता। चांग ई-4 यान को पिछले वर्ष 8 दिसंबर को सिचुआन प्रांत के शिचांग सेटेलाइट लॉन्च सेंटर से लॉन्ग मार्च-3बी रॉकेट से प्रक्षेपित किया गया था और यह इस वर्ष 3 जनवरी को सफलतापूर्वक चंद्रमा पर उतर गया था।
- मेजर जनरल ए.के. ढींगरा को आर्म्ड फोर्सेज़ स्पेशल ऑपरेशंस डिवीज़न का पहला मुखिया नियुक्त किया गया है। इस त्रि-सेना के गठन में सेना की पैराशूट रेजिमेंट, नौसेना की मार्कोस और वायुसेना के गरुड़ कमांडो बल के विशेष कमांडो शामिल होंगे। तीनों सेनाओं के सर्वश्रेष्ठ कमांडोज़ की यूनिट ने अपना काम शुरू कर दिया है। तीनों सेनाओं ने इससे पहले साथ में कई ऑपरेशंस को अंजाम दिया है, लेकिन यह पहली बार होगा जब तीनों सेनाएँ एक कमांड और नियंत्रण ढाँचे के तहत कार्य करेंगी। इससे प्रशिक्षण पर होने वाले खर्च में भी कमी आएगी। आर्म्ड फोर्सेज़ स्पेशल ऑपरेशंस डिवीज़न में 3000 प्रशिक्षित कमांडोज़ हैं जो जंगलों और समुद्र में युद्ध करने में सक्षम होंगे तथा हेलीकॉप्टर रेस्क्यू ऑपरेशंस का काम भी करेंगे। टीम ऐसे मिशनों के संचालन के लिये ज़िम्मेदार होगी जिसमें रणनीतिक प्रतिष्ठानों, आतंकियों को लक्षित करना और दुश्मन की युद्ध लड़ने की शक्ति को कम करना शामिल होगा।