रूफटॉप सोलर कार्यक्रम: दूसरे चरण को मंज़ूरी
चर्चा में क्यों?
हाल ही में कैबिनेट ने रूफटॉप सोलर परियोजनाओं से 40,000 मेगावाट की संचयी क्षमता हासिल करने हेतु ग्रिड से जुड़े रूफटॉप सोलर कार्यक्रम के दूसरे चरण को मंज़ूरी दे दी है।
प्रमुख बिंदु
- गौरतलब है कि यह मंज़ूरी प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों पर कैबिनेट समिति ने वर्ष 2022 तक के लिये दी है।
- इस कार्यक्रम को 11,814 करोड़ रुपए की कुल केंद्रीय वित्तीय सहायता के साथ कार्यान्वित किया जाएगा।
- कार्यक्रम के दूसरे चरण में आवासीय क्षेत्र के लिये केंद्रीय वित्तीय सहायता (Central Financial Assistance-CFA) का पुनर्गठन किया गया है।
- केंद्रीय वित्तीय सहायता के तहत 3 किलोवाट तक की क्षमता वाली रूफटॉप सोलर (RTS) प्रणालियों के लिये 40 प्रतिशत वित्तीय सहायता और 3 किलोवाट से ज़्यादा एवं 10 किलोवाट तक की क्षमता वाली रूफटॉप सोलर प्रणालियों के लिये 20 प्रतिशत वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जाएगी।
- ग्रुप हाउसिंग सोसायटियों/आवासीय कल्याण संघों (GHS/RAW) के मामले में साझा सुविधाओं को देखते हुए विद्युत आपूर्ति हेतु रूफटॉप सोलर संयंत्रों के लिये केंद्रीय वित्तीय सहायता को 20 प्रतिशत तक सीमित रखा जाएगा।
- केंद्रीय वित्तीय सहायता अन्य श्रेणियों जैसे- संस्थागत, शैक्षणिक, सामाजिक, सरकारी, वाणिज्यिक, औ़द्योगिक इत्यादि के लिये उपलब्ध नहीं होगी।
- कार्यक्रम के इस दूसरे चरण में वितरण कंपनियों (Distribution Company- DISCOM) की सहभागिता पर ज़्यादा ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
- डिस्कॉम और इनके स्थानीय कार्यालय इस कार्यक्रम के कार्यान्वयन के लिये मुख्य केन्द्र होंगे।
- डिस्कॉम को प्रदर्शन के आधार पर प्रोत्साहन भी दिया जाएगा। डिस्कॉम को मिलने वाले प्रोत्साहन इस प्रकार होंगे:
क्रम संख्या | मानदंड | प्रोत्साहन |
1. | किसी वित्त वर्ष में स्थापित आधार क्षमता के अलावा 10 प्रतिशत तक हासिल स्थापित क्षमता के लिये | कोई प्रोत्साहन नहीं |
2. | किसी वित्त वर्ष में स्थापित आधार क्षमता के अलावा 10 प्रतिशत से ज़्यादा और 15 प्रतिशत तक हासिल स्थापित क्षमता के लिये | स्थापित आधार क्षमता के 10 प्रतिशत से ज़्यादा हासिल क्षमता के लिये लागू लागत का 5 प्रतिशत |
3. | किसी वित्त वर्ष में स्थापित आधार क्षमता के अलावा 15 प्रतिशत से ज़्यादा हासिल स्थापित क्षमता के लिये | स्थापित आधार क्षमता के 10 प्रतिशत से ज़्यादा और 15 प्रतिशत तक हासिल क्षमता के लिये लागू लागत का 5 प्रतिशत प्लस स्थापित आधार क्षमता के 15 प्रतिशत से ज़्यादा हासिल क्षमता के लिये लागू लागत का 10 प्रतिशत |
वितरण कंपनियों को प्रोत्साहन क्यों?
- चूँकि वितरण कंपनियों (Distribution Company- DISCOM) को ही योजना के कार्यान्वयन में अतिरिक्त श्रमबल, बुनियादी ढाँचागत सुविधाओं के निर्माण, क्षमता निर्माण, जागरूकता इत्यादि पर अतिरिक्त खर्च का भार वहन करना पड़ता है, इसलिये उन्हें प्रदर्शन से जुड़े विभिन्न प्रोत्साहन देकर भरपाई किये जाने को मंज़ूरी दी गई है।
- इस योजना के तहत डिस्कॉम को प्रोत्साहन केवल 18,000 मेगावाट की आरंभिक क्षमता वृद्धि के लिये ही दिया जाएगा।
व्यापक पर्यावरणीय प्रभाव
- इस कार्यक्रम का कार्बन डाईऑक्साइड उत्सर्जन में कमी के नज़रिये से व्यापक पर्यावरणीय प्रभाव पड़ेगा।
- प्रति मेगावाट 1.5 मिलियन यूनिट औसत ऊर्जा उत्पादन के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए यह उम्मीद की जा रही है कि वर्ष 2022 तक कार्यक्रम के चरण-2 के तहत 38 गीगावाट की क्षमता वाले सोलर रूफटॉप संयंत्रों की स्थापना से प्रतिवर्ष कार्बन डाईऑक्साइड के उत्सर्जन में लगभग 45.6 टन की कमी होगी।
रोज़गार सृजन
- इस कार्यक्रम में रोज़गार सृजन की संभावनाएँ भी निहित हैं।
- इस मंज़ूरी से स्व-रोज़गार को बढ़ावा मिलेगा और वर्ष 2022 तक योजना के चरण-2 के तहत 38 गीगावाट की क्षमता वृद्धि हेतु कुशल एवं अकुशल कामगारों के लिये लगभग 9.39 लाख रोज़गार के अवसर सृजित होने की संभावना है।
और पढ़ें…
रूफटॉप सोलर पैनल से ऊर्जा उत्पादन में वृद्धि
भारत 2022 तक 100 GW सौर ऊर्जा लक्ष्य तक नहीं पहुँच सकता: क्रिसिल रिपोर्ट
विशेष/इन-डेप्थ: SOLAR TIME-भारत में सौर ऊर्जा परिदृश्य-अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन
स्रोत-पीआईबी
राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स नीति 2019
चर्चा में क्यों?
प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (Ministry of Electronics and Information Technology-MeitY) द्वारा प्रस्तावित राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स नीति 2019 (National Policy on Electronics-NPE 2019) को अपनी स्वीकृति दे दी है।
- इस नीति में चिप सेटों सहित महत्त्वपूर्ण घटकों को देश में विकसित करने की क्षमता को प्रोत्साहित कर और विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने हेतु उद्योग के लिये अनुकूल माहौल बना कर भारत को ‘इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम डिज़ाइन एंड मैन्युफैक्चरिंग (Electronics System Design and Manufacturing-ESDM)' के एक वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करने की परिकल्पना की गई है।
NPE 2019 की विशेषताएँ
- वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्द्धी ESDM सेक्टर के लिये अनुकूल माहौल बनाया जाएगा। ESDM की समूची मूल्य श्रृंखला (Value Chain) में घरेलू विनिर्माण और निर्यात को बढ़ावा दिया जाएगा।
- प्रमुख इलेक्ट्रॉनिक कलपुर्जों (components) के विनिर्माण के लिये प्रोत्साहन एवं सहायता दी जाएगी।
- ऐसी मेगा परियोजनाएँ जो अत्यंत हाई-टेक हैं और जिनमें भारी-भरकम निवेश की ज़रूरत होती हैं, को प्रोत्साहित करने के लिये विशेष पैकेज दिया जाएगा, इनमें सेमी कंडक्टर (Semiconductor) सुविधाएँ, डिस्प्ले फैब्रिकेशन (Display Fabrication) इत्यादि शामिल हैं।
- नई यूनिटों को बढ़ावा देने और वर्तमान यूनिटों के विस्तार के लिये उपयुक्त योजनाएँ तैयार कर उन्हें प्रोत्साहन दिया जाएगा।
- इलेक्ट्रॉनिक्स के सभी उप-क्षेत्रों में उद्योग की अगुवाई में अनुसंधान एवं विकास (Industry-led R&D) और नवाचार को बढ़ावा दिया जाएगा। इनमें बुनियादी या ज़मीनी स्तर के नवाचार और उभरते प्रौद्योगिकी क्षेत्र जैसे कि 5G, IoT/सेंसर, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence-AI), मशीन लर्निंग, वर्चुअल रियल्टी (Virtual Reality-VR), ड्रोन, रोबोटिक्स, एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग ( Additive Manufacturing), फोटोनिक्स (Photonics), नैनो आधारित उपकरण (Nano-based devices) इत्यादि प्रारंभिक चरण वाले स्टार्ट-अप्स भी शामिल हैं।
- कुशल श्रमबल की उपलब्धता में उल्लेखनीय वृद्धि के लिये प्रोत्साहन और सहायता दी जाएगी। इसमें कामगारों के कौशल को फिर से सुनिश्चित करना भी शामिल है।
- फैबलेस चिप डिज़ाइन उद्योग (Fabless Chip Design Industry), मेडिकल इलेक्ट्रॉनिक उपकरण उद्योग, ऑटोमोटिव इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग और मोबिलिटी एवं रणनीतिक इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग के लिये पावर इलेक्ट्रॉनिक्स पर विशेष ज़ोर दिया जाएगा।
- ESDM क्षेत्र में IPs के विकास एवं अधिग्रहण को बढ़ावा देने के लिये सॉवरेन पेटेंट फंड (Sovereign Patent Fund-SPF) बनाया जाएगा।
- राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा व्यवस्था को बेहतर करने के लिये विश्वसनीय इलेक्ट्रॉनिक्स मूल्य श्रृंखला से जुड़ी पहलों को बढ़ावा दिया जाएगा।
लक्ष्य
- वर्ष 2025 तक 400 बिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग 26,00,000 करोड़ रुपए) का कारोबार हासिल करने हेतु आर्थिक विकास के लिये ESDM की समूची मूल्य श्रृंखला में घरेलू विनिर्माण और निर्यात को बढ़ावा दिया जाएगा।
- इसमें वर्ष 2025 तक 190 बिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग 13,00,000 करोड़ रुपए) मूल्य के एक बिलियन (100 करोड़) मोबाइल हैंडसेटों के उत्पादन का लक्ष्य शामिल है।
- इसमें निर्यात के लिये 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग 7,00,000 करोड़ रुपए) मूल्य के 600 मिलियन (60 करोड़) मोबाइल हैंडसेटों का उत्पादन करना भी शामिल है।
प्रमुख प्रभाव
- NPE 2019 को कार्यान्वित करने पर इसमें परिकल्पित रोडमैप के अनुसार संबंधित मंत्रालयों/विभागों के परामर्श से देश में ESDM सेक्टर के विकास के लिये अनेक योजनाओं, पहलों, परियोजनाओं इत्यादि को मूर्त रूप देने का मार्ग प्रशस्त होगा।
- इससे भारत में निवेश एवं प्रौद्योगिकी का प्रवाह सुनिश्चित होगा, जिससे देश में ही निर्मित इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के ज़्यादा मूल्यवर्द्धन और इलेक्ट्रॉनिक्स हार्डवेयर के क्षेत्र में अधिक उत्पादन के साथ-साथ उनके निर्यात का मार्ग भी प्रशस्त होगा। इसके अलावा, बड़ी संख्या में रोज़गार के अवसर भी सृजित होंगे।
पृष्ठभूमि
- राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स नीति 2012 (NPE-2012) के तत्त्वावधान में विभिन्न योजनाओं/कार्यक्रमों के कार्यान्वयन से एक प्रतिस्पर्द्धी भारतीय ESDM वैल्यू चेन से जुड़ी नींव सफलतापूर्वक मज़बूत हो गई है।
- NPE 2019 में इस नींव को और मज़बूत करने का प्रस्ताव किया गया है, ताकि देश में ESDM उद्योग के विकास की गति तेज़ की जा सके। राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स नीति 2019 (NPE-2019) ने राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स नीति 2012 (NPE-2012) का स्थान लिया है।
और पढ़ें....
स्रोत : पी.आई.बी.
किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (KUSUM)
चर्चा में क्यों?
प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमण्डलीय समिति (Cabinet Committee on Economic Affairs-CCEA) ने किसानों को वित्तीय और जल सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान-कुसुम (Kisan Urja Suraksha evam Utthaan Mahabhiyan-KUSUM) को शुरू करने की मंज़ूरी दे दी है।
लक्ष्य
- तीनों घटकों को शामिल करने वाली इस योजना का लक्ष्य वर्ष 2022 तक कुल 25,750 मेगावाट की सौर क्षमता स्थापित करना है।
योजना के घटक
प्रस्तावित योजना के तीन घटक हैं :
♦ घटक A : भूमि के ऊपर बनाए गए 10,000 मेगावाट के विकेंद्रीकृत ग्रिडों को नवीकरणीय ऊर्जा संयंत्रों से जोड़ना।
♦ घटक B : 17.50 लाख सौर ऊर्जा चालित कृषि पंपों की स्थापना।
♦ घटक C : ग्रिड से जुड़े 10 लाख सौर ऊर्जा चालित कृषि पंपों का सौरीकरण (Solarisation)।
योजना का कार्यान्वयन
- घटक A और घटक C को क्रमशः 1000 मेगावाट की क्षमता तथा एक लाख कृषि पंपों को ग्रिड से जोड़ने के लिये पायलट आधार पर लागू किया जाएगा। पायलट योजना की सफलता के बाद इसे बड़े पैमाने पर कार्यान्वित किया जाएगा। घटक B को पूर्ण रूप से लागू किया जाएगा।
- घटक A के अंतर्गत किसान/सहकारी समितियाँ/पंचायत/कृषि उत्पादक संघ (Farmer Producer Organisations-FPO) अपनी बंजर या कृषि योग्य भूमि पर 500 किलोवाट से लेकर 2 मेगावाट तक की क्षमता वाले नवीकरणीय ऊर्जा संयंत्र स्थापित कर सकेंगे। बिजली वितरण कंपनियाँ (DISCOMs) उत्पादित ऊर्जा की खरीद करेंगी। दर का निर्धारण संबंधित SERC द्वारा किया जाएगा। प्रदर्शन के आधार पर बिजली वितरण कंपनियों को पाँच वर्षों की अवधि के लिये 0.40 रुपए की दर से प्रोत्साहन दिया जाएगा।
- घटक B के अंतर्गत किसानों को 7.5 HP क्षमता तक के सौर पंप स्थापित करने के लिये सहायता प्रदान की जाएगी। इस योजना में पंप क्षमता को सौर पीवी क्षमता (KW में) के समान मानने की अनुमति दी गई है।
- योजना के घटक C के अंतर्गत किसानों को 7.5 HP की क्षमता वाले पंपों के सौरीकरण के लिये सहायता प्रदान की जाएगी। इस योजना में पंप क्षमता को सौर पीवी क्षमता के दोगुने के समान माना गया है।
वित्तपोषण
- इस योजना के अंतर्गत केंद्र सरकार 34,422 करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता प्रदान करेगी।
- घटक B और घटक C के लिये मानदंड लागत का 30 प्रतिशत या निविदा लागत, इनमें जो भी कम हो, के लिये केंद्रीय वित्तीय सहायता (Central Financial Assistance-CFA) प्रदान की जाएगी।
- राज्य सरकार 30 प्रतिशत की सब्सिडी देगी और शेष 40 प्रतिशत खर्च का वहन किसानों को करना होगा। लागत के 30 प्रतिशत खर्च के लिये बैंकों से सहायता भी प्राप्त की जा सकती है। शेष 10 प्रतिशत लागत किसान के द्वारा उपलब्ध कराई जाएगी।
- पूर्वोत्तर राज्यों, सिक्किम, जम्म–कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, लक्षदीप और अंडमान-निकोबार दीप समूहों में 50 प्रतिशत केंद्रीय वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जाएगी।
योजना के लाभ
- इस योजना से ग्रामीण भू-स्वामियों को स्थायी व निरंतर आय का स्रोत प्राप्त होगा।
- किसान उत्पादित ऊर्जा का उपयोग सिंचाई ज़रूरतों के लिये कर पाएंगे तथा अतिरिक्त ऊर्जा बिजली वितरण कंपनियों को बेच पाएंगे। इससे किसानों को अतिरिक्त आय प्राप्त होगी।
- इस योजना से कार्बन डाइऑक्साइड में कमी आएगी और वायुमंडल पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। योजना के तीनों घटकों को सम्मिलित करने से पूरे वर्ष में कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में 27 मिलियन टन की कमी आएगी।
- घटक बी के अंतर्गत सौर कृषि पंपों से प्रतिवर्ष 1.2 बिलियन लीटर डीज़ल की बचत होगी। इससे कच्चे तेल के आयात में खर्च होने वाली विदेशी मुद्रा की भी बचत होगी।
- इस योजना में रोज़गार के प्रत्यक्ष अवसरों को सृजित करने की क्षमता है। स्व–रोज़गार में वृद्धि के साथ इस योजना से कुशल व अकुशल श्रमिकों के लिये 6.31 लाख रोज़गार के नए अवसरों के सृजित होने की संभावना है।
स्रोत : पी.आई.बी.
खादी ग्रामोद्योग विकास योजना जारी रखने की मंज़ूरी
चर्चा में क्यों?
प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने खादी ग्रामोद्योग विकास योजना को वित्त वर्ष 2019-20 तक जारी रखने की अनुमति दे दी।
प्रमुख बिंदु
- MPDA, खादी अनुदान, ISEC और ग्रामोद्योग अनुदान की मौजूदा योजनाओं को जारी रखने के लिये इन्हें 'खादी और ग्रामोदय विकास योजना' के अंतर्गत रखा गया।
- इस योजना पर 2017-18 से 2019-20 की अवधि में कुल 2,800 करोड़ रुपए की लागत आएगी।
- इस योजना के तहत एक नए आयाम ‘रोज़गार युक्त गाँव’ को जोड़ा गया है जिससे खादी क्षेत्र में उपक्रम आधारित परिचालन शुरू किया जा सकेगा। इससे हज़ारों नए बुनकरों को चालू और अगले वित्त वर्ष में रोज़गार के अवसर उपलब्ध होंगे।
‘रोज़गार युक्त गाँव’ का उद्देश्य तथा विशेषताएँ
- रोज़गार युक्त गाँव (RYG) का उद्देश्य 3 हितधारकों- सहायता प्राप्त खादी संस्थानों, बुनकरों और व्यापार साझेदारों के बीच साझेदारी के माध्यम से 'सब्सिडी आधारित मॉडल' के स्थान पर 'एंटरप्राइज़ आधारित बिज़नेस मॉडल' की शुरुआत करना है।
- इसके अंतर्गत खादी बुनकरों को 10,000 चरखे, 2000 करघे और 100 वार्पिंग (warping) इकाइयाँ प्रदान करके इसे 50 गाँवों में शुरू किया जाएगा। इससे प्रत्येक गाँव में 250 बुनकरों को प्रत्यक्ष रोज़गार प्राप्त होगा।
- प्रति गाँव में कुल पूंजी निवेश सब्सिडी के रूप में 72 लाख रुपए होगा तथा बिज़नेस पार्टनर से प्राप्त वर्किंग कैपिटल के संदर्भ में 1.64 करोड़ रुपए होगा।
- विलेज इंडस्ट्री वर्टिकल के तहत कृषि आधारित खाद्य प्रसंस्करण [हनी, पामगुर (palmgur) आदि], हस्तनिर्मित कागज़ और चमड़ा, मिट्टी के बर्तनों तथा सौंदर्य प्रसाधन के क्षेत्रों में उत्पाद नवाचार, डिज़ाइन विकास और उत्पाद विविधता पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
- इस पहल के लिये उन्नत कौशल विकास कार्यक्रमों का संचालन मौजूदा उत्कृष्टता केंद्रों, जैसे- CGCRI, CFTRI, IIFPT, CBRTI, KNHPI, IPRITI आदि के माध्यम से किया जाएगा।
‘उत्पादन सहायता’
- अन्य प्रमुख घटक 'उत्पादन सहायता' (Production Assistance) को प्रतिस्पर्द्धी और प्रोत्साहन आधारित बनाना है।
- प्रोत्साहन संरचना उत्पादकता, टर्नओवर और गुणवत्ता में सुधार पर केंद्रित है और इसे एक ऑब्जेक्टिव स्कोरकार्ड के आधार पर बढ़ाया जाएगा।
- खादी संस्थानों को स्वचालित रूप से 30% की वित्तीय सहायता दी जाएगी, ताकि 30% अतिरिक्त प्रोत्साहन के लिये वे पात्र बन सकें।
- इन संस्थानों को दक्षता, संसाधनों के इष्टतम उपयोग, कचरे में कमी तथा प्रभावी प्रबंधकीय प्रथाओं आदि के लिये बेहतर प्रयास करना होगा।
8 योजनाओं का 2 योजनाओं में विलय
- युक्तिसंगत बनाने के लिये खादी और ग्रामोद्योग की 8 अलग-अलग योजनाओं को अब 2 अम्ब्रेला योजनाओं 'खादी विकास योजना' तथा 'ग्रामोद्योग विकास योजना' में विलय कर दिया गया है-
- खादी विकास योजना [मार्केट प्रमोशन एंड डेवलपमेंट असिस्टेंस (MPDA), इंटरेस्ट सब्सिडी पात्रता सर्टिफिकेट (ISEC), वर्कशेड, कमज़ोर बुनियादी विकास की मजबूती, आम आदमी बीमा योजना, खादी अनुदान तथा खादी एवं VI S & T]।
- ग्रामोद्योग विकास योजना [ग्रामोद्योग अनुदान]।
स्रोत : पी.आई.बी
महिलाओं के लिये आजीविका बॉण्ड
चर्चा में क्यों?
हाल ही में ‘विश्व बैंक’ (World Bank), ‘लघु उद्योग विकास बैंक’ (Small Industries Development Bank of India-SIDBI) और संयुक्त राष्ट्र की महिलाओं के लिये काम करने वाली एक संस्था ‘यूएन वुमन’ (UN Women) ने वित्तीय प्रबंधन फर्मों और प्रमुख कॉरपोरेट्स के साथ मिलकर ग्रामीण महिला उद्यमियों को ऋण प्रदान करने हेतु सामाजिक प्रभाव बॉण्ड (Social Impact Bond) शुरू करने की घोषणा की है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु
- सिडबी (SIDBI) द्वारा लाया गया यह महिला आजीविका बॉण्ड (Women's Livelihood Bonds-WLB) उद्यमी महिलाओं को 3 प्रतिशत पर एक वार्षिक कूपन प्रदान करेगा जिसका कार्यकाल पाँच वर्ष का होगा।
- इस बॉण्ड के ज़रिये जुटाई जाने वाली निधि (लगभग 300 करोड़ रुपए) आगामी तीन महीनों के अंतर्गत कई चरणों में जारी की जाएगी। प्राप्त निधि को सिडबी के माध्यम से लघु और मध्यम महिला उद्यमियों (Small and Medium Women Entrepreneurs) को सूक्ष्म वित्त उद्योग (Micro- Finance Industry) के माध्यम से दिया जायेगा।
- सिडबी के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक के अनुसार, महिला उद्यमियों को दिये जाने वाले ऋण की सीमा 13 प्रतिशत से अधिक नहीं होगी तथा इस बॉण्ड की कीमत 50,000 रुपये से 3 लाख रुपये तक होगा।
- बोर्ड में शामिल कुछ वित्तीय प्रबंधन फर्मों में सेंट्रम वेल्थ (Centrum Wealth), आस्क वेल्थ एडवाइज़र्स (Ask Wealth Advisors), एंबिट कैपिटल (Ambit Capital) और आदित्य बिड़ला कैपिटल (Aditya Birla Capital) हैं। ये पहले से ही व्यक्तिगत स्तर पर उच्च नेटवर्थ तक पहुँच चुके हैं और धन जुटाने के लिये निवेशकों को प्रभावित कर रहे हैं।
- पाँच कंपनियों - टाटा ग्रुप-टाटा कम्युनिकेशंस, टाटा केमिकल्स, टाटा ट्रेंट, वोल्टास और टाइटन ने भी इसमें निवेश करने में रुचि दिखाई है।
असुरक्षित और गैर-सूचीबद्ध बॉण्ड
गैर-सूचीबद्ध प्रतिभूति : यह शेयर, ऋणपत्र या कोई अन्य प्रतिभूति है, जिसका स्टॉक एक्सचेंज में नहीं बल्कि बिना किसी तैयारी के (Over-the-Counter) बाज़ार के जरिये कारोबार होता है।
असुरक्षित बॉण्ड : इन्हें ऋणपत्र भी कहा जाता है, ये किसी भी संपार्श्विक या अचल संपत्ति पर अनुबंधों द्वारा समर्थित नहीं हैं। इसके बजाय, जारीकर्त्ता द्वारा इन्हें चुकाए जाने का भरोसा दिया जाता है। इस भरोसे को अक्सर ‘पूर्ण विश्वास और श्रेय’ कहा जाता है।
सामाजिक प्रभाव बॉण्ड
Social Impact Bond
- सामाजिक प्रभाव बॉण्ड (SIB) सार्वजनिक क्षेत्र या प्रशासकीय प्राधिकरण के साथ किया गया एक अनुबंध है, जिसके तहत वह कुछ क्षेत्रों में बेहतर सामाजिक परिणामों के लिये भुगतान तथा निवेशकों को प्राप्त बचत में भागीदारी प्रदान करता है।
- सामाजिक प्रभाव बॉण्ड कोई अनुबंध (बॉण्ड ) नहीं है, क्योंकि पुनर्भुगतान और निवेश पर वापसी वांछित सामाजिक परिणामों की उपलब्धि पर निर्भर करती है, यदि उद्देश्य प्राप्त नहीं होता है, तो निवेशकों को रिटर्न या मूलधन में से कुछ भी प्राप्त नही होता। इस फंड का उपयोग कृषि, खाद्य प्रसंस्करण, सेवाओं और विनिर्माण जैसे क्षेत्रों में व्यक्तिगत महिला उद्यमियों को ऋण देने के लिये किया जाएगा।
यूएन वुमन (UN Women)
- यूएन वुमन संयुक्त राष्ट्र की एक संस्था है जो लैंगिक समानता और महिलाओं के सशक्तीकरण के लिये समर्पित है।
- इसे वैश्विक स्तर पर महिलाओं और लड़कियों की आवश्यकताओं के समर्थन एवं प्रगति के लिये स्थापित किया गया है।
- इसके तहत लैंगिक समानता प्राप्त करने हेतु वैश्विक मानकों को निर्धारित करके सरकारों और नागरिक समाज के साथ मिलकर कानूनों, नीतियों, कार्यक्रमों और सेवाओं को विकसित करने के लिये काम किया जाता है, ताकि मानकों को प्रभावी ढंग से लागू किया जा सके और दुनिया भर में महिलाओं और लड़कियों को सही मायने में लाभ प्राप्त हो सके।
- इसके साथ ही यह सतत् विकास लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए महिलाओं और लड़कियों के लिये वास्तविक रूप में विश्व स्तर पर काम करता है।
स्रोत – इकोनामिक टाइम्स
‘स्वायत्त’ तथा ‘जेम स्टार्ट-अप रनवे’
चर्चा में क्यों?
19 फरवरी, 2019 को नई दिल्ली में ‘स्वायत्त’ (SWAYATT) तथा ‘जेम स्टार्ट-अप रनवे’ (GeM Start-up Runway) नामक दो पहलों की शुरुआत की गई।
प्रमुख बिंदु
- SWAYATT, गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (Government e-Marketplace-GeM) पर eTransactions के माध्यम से स्टार्ट-अप, महिला और युवाओं को बढ़ावा देने के लिये शुरू की गई एक पहल है।
- ‘स्वायत्त’ भारतीय उद्यमशीलता पारिस्थितिकी तंत्र के प्रमुख हितधारकों को राष्ट्रीय उद्यम पोर्टल गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस साथ जोड़ने का काम करेगा।
- जेम स्टार्ट-अप रनवे (GeM Start-up Runway) की शुरुआत स्टार्ट-अप इंडिया के सहयोग से की गई है, जो स्टार्ट-अप इंडिया (Start -up India) के साथ पंजीकृत उद्यमियों (start-ups) को सार्वजनिक खरीद बाज़ार (Public Procurement Market) तक पहुँचने और सरकारी खरीददारों को नवीन उत्पाद और सेवाएँ बेचने की सुविधा प्रदान करेगा।
- जेम स्टार्ट-अप रनवे औद्योगिक विविधीकरण और वस्तुओं के मूल्यवर्द्धन हेतु अनुकूल नीति से युक्त वातावरण सुनिश्चित करके प्रौद्योगिकी विकास, प्रेरणा अनुसंधान और नवाचार का समर्थन करता है।
- GeM स्टार्ट-अप रनवे ‘संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्य 9 : लचीले बुनियादी ढाँचे का निर्माण, समावेशी और सतत् औद्योगीकरण को बढ़ावा देना, नवाचार को बढ़ावा देना’ के उद्देश्यों की पूर्ति करेगा।
गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (Government e Marketplace-GeM)
- GeM या गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस एक ऑनलाइन मार्केट प्लेटफॉर्म है जिसकी शुरुआत वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय (Ministry of Commerce and Industry) के तहत वर्ष 2016 में की गई थी।
- गवर्नमेंट ई-मार्केट प्लेस का संक्षिप्त रूप जेम (GeM) है जहाँ सामान्य प्रयोक्ता वस्तुओं और सेवाओं की खरीद की जा सकती है।
- सरकारी अधिकारियों द्वारा खरीद के लिये GeM गतिशील, स्वपोषित, प्रयोक्ता अनुकूल पोर्टल है।
- इसे भारत के राष्ट्रीय खरीद पोर्टल (National Procurement Portal of India.) के रूप में परिकल्पित किया गया है।
- इसे नेशनल ई-गवर्नेंस डिवीज़न (इलेक्ट्रॉनिक और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय) के तकनीकी समर्थन के साथ आपूर्ति एवं निपटान निदेशालय (वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय) द्वारा विकसित किया गया है।
- यह आपूर्ति और निपटान महानिदेशालय (Directorate General of Supplies and Disposals-DGS&D), वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत कार्य करता है।
- GeM पूरी तरह से पेपरलेस, कैशलेस और सिस्टम चालित ई-मार्केट प्लेस है जो न्यूनतम मानव इंटरफ़ेस के साथ सामान्य उपयोग की वस्तुओं और सेवाओं की खरीद को सक्षम बनाता है।
स्रोत : पी.आई.बी
Rapid Fire करेंट अफेयर्स (20 February)
- 19 फरवरी से देश के 16 राज्य और केंद्रशासित प्रदेश एकल आपातकालीन हेल्पलाइन नंबर ‘112’ से जुड़ गए हैं। इनमें आंध्र प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, केरल, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, गुजरात, पुद्दुचेरी, लक्षद्वीप, अंडमान, दादरा नगर हवेली, दमन और दीव और जम्मू-कश्मीर शामिल हैं। इस नंबर पर तत्काल सहायता के लिये मदद मांगी जा सकेगी। इसके तहत इमरजेंसी रिस्पॉन्स सपोर्ट सिस्टम (ERSS) को शुरू करना, इन्वेस्टिगेशन ट्रैकिंग सिस्टम फॉर सेक्सुअल ऑफेंसेज (आईटीएसएसओ) और सुरक्षित शहर कार्यान्वयन निगरानी पोर्टल भी शामिल हैं। ERSS पुलिस (100), अग्निशमन (101), स्वास्थ्य (108) और महिला (1090) हेल्पलाइन नंबर का एकल नंबर ‘112’ के तौर पर एकीकृत रूप है। आपातकालीन सेवाओं तक पहुँच के लिये फोन से 112 डायल करना होगा आपातकालीन प्रतिक्रिया केंद्र पर पैनिक काल के लिये स्मार्टफोन के पावर बटन को दबाना होगा। अगर समान्य फोन है तो ‘5’ या ‘9’ नंबर को कुछ देर के लिये दबाकर आपात संदेश दिया जा सकता है। आपको बता दें कि अमेरिका के ‘911’ की तरह विभिन्न आपातकालीन सेवाओं के लिये एकल नंबर की व्यवस्था को धीरे-धीरे पूरे देश में लागू किया जाना है।
- नई दिल्ली में दो दिवसीय एक स्वास्थ्य भारत सम्मेलन का आयोजन हुआ। कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग, पशुपालन, डेयरी एवं मछली पालन विभाग, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सहयोग से विज्ञान एवं प्राद्योगिकी मंत्रालय के अधीन जैव-प्रौद्योगिकी विभाग ने इसका आयोजन किया। इस सम्मेलन में भारत की नई एक स्वास्थ्य पहल की शुरुआत की गई। बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन, कर्नाटक पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय और अमेरिका की पेनसिल्वेनिया स्टेट यूर्निवसिटी एक स्वास्थ्य पहल के साझीदारों के साथ सहयोग कर रहे हैं। इसका उद्देश्य भारत सहित दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया तथा उप-सहारा अफ्रीका के कम और मध्यम आय वर्ग वाले देशों में स्वास्थ्य संबंधी खतरों से निपटने के लिये रणनीति बनाना है। गौरतलब है कि भारत ऐसे भौगोलिक क्षेत्रों में सबसे आगे है, जहाँ पशुजन्य रोग जनस्वास्थ्य के लिये बहुत बड़ा खतरा हैं।
- सरकारी तेल कंपनी इंडियन ऑयल (IOC) ने अमेरिका के साथ पहला वार्षिक तेल खरीद समझौता किया है। इस समझौते के तहत लगभग 1.5 अरब डॉलर का 30 लाख टन कच्चा तेल खरीदा जाएगा। IOC पहली सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी है, जिसने यूएस ओरिजिन क्रूड ऑयल ग्रेड के लिये कोई समझौता किया है। इससे पहले सरकारी रिफाइनरी कंपनियाँ अमेरिका से स्पॉट मार्केट के जरिये कच्चे तेल की खरीदारी कर रही थीं, जो टेंडर के आधार पर होती थी। भारत ने 2017 में पहली बार अमेरिका से टेंडर के आधार पर कच्चा तेल खरीदा था। गौरतलब है कि भारतीय तेल कंपनियाँ अपने बोर्ड की अनुमति के बिना एक निश्चित अवधि या मात्रा में कच्चा तेल खरीदने का समझौता नहीं कर सकतीं।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के पहले डीज़ल से इलेक्ट्रिक में परिवर्तित लोकोमोटिव (Twin Locomotive) की शुरुआत की। इस इंजन का निर्माण वाराणसी के डीज़ल रेल इंजन कारखाना में किया गया है। विश्व में पहली बार WAGC 3 श्रेणी के डीज़ल रेल इंजन को इलेक्ट्रिक रेल इंजन में बदलकर मेक इन इंडिया पहल के अंतर्गत स्वदेशी तकनीक अपनाते हुए यह शुरुआत हुई है। इस इलेक्ट्रिक रेल इंजन का इस्तेमाल मालगाड़ी में किया जाएगा। यह इंजन प्रदूषण मुक्त है और डीज़ल इंजन के मुक़ाबले बेहतर स्पीड और 10 हज़ार हॉर्स पावर की क्षमता (रूपांतरण से इसकी शक्ति में 92 फीसदी इज़ाफा हुआ) देने में सक्षम है। इस डीज़ल इंजन को पर्यावरण अनुकूल इलेक्ट्रिक इंजन में बदलने में कुल 69 दिन का समय लगा।
- हिमाचल प्रदेश विधानसभा ने संस्कृत को राज्य की दूसरी राजभाषा बनाने के लिये हिमाचल प्रदेश राजभाषा संशोधन विधेयक, 2019 पारित किया है। इस विधेयक के ज़रिये प्रदेश सरकार ने राजभाषा अधिनियम 1975 में संशोधन किया है। राज्य के सभी स्कूलों में इसे आठवीं कक्षा तक अनिवार्य विषय के रूप में पढ़ाया जाता है। इसके अलावा, राज्य में खुलने वाली मेडिकल यूनिवर्सिटी का नाम पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर रखने का फैसला भी प्रदेश सरकार ने किया है। आपको बता दें कि उत्तराखंड 2010 में संस्कृत को दूसरी आधिकारिक भाषा का दर्जा देने वाला पहला राज्य था।
- अंडमान और लक्षद्वीप में सी-प्लेन परिचालन के लिये सात द्वीपों की पहचान की गई है। गृहमंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई द्वीप विकास एजेंसी (IDA) की पाँचवीं बैठक में यह निर्णय लिया गया। सी-प्लेन के परिचालन के लिये अंडमान में स्वराज द्वीप, शहीद द्वीप, हुटबे द्वीप और लॉन्ग द्वीप को और लक्षद्वीप में कवरत्ती, अगत्ती और मिनिकॉय को चुना गया है। गौरतलब है कि सी-प्लेन प्लेन जमीन-पानी दोनों से उड़ान भर सकता है और इसे पानी और जमीन पर लैंड भी कराया जा सकता है। यह केवल 300 मीटर लंबे रनवे से उड़ान भर सकता है और 300 मीटर की लंबाई वाले जलाशय का इस्तेमाल हवाई-पट्टी के रूप में करना भी संभव है।
- जर्मनी ने परमाणु समझौते को लेकर ईरान को अलग-थलग करने की अमेरिकी उपराष्ट्रपति माइक पेन्स की मांग ठुकरा दी। अमेरिका की ओर से यूरोपीय देशों से अपील की गई थी कि ईरानी परमाणु समझौते से अलग हो जाएँ और ईरान का बहिष्कार करें। जर्मनी के विदेश मंत्री हैको मास ने हाल ही में हुई म्यूनिख सुरक्षा कांफ्रेंस में 2015 के समझौते का बचाव करते हुए कहा कि ब्रिटेन, फ्राँस और यूरोपीय संघ के साथ जर्मनी ने ईरान के साथ परमाणु संधि में बने रहने के रास्ते तलाश लिये हैं। गौरतलब है कि ईरान और विश्व महाशक्तियों के बीच हुई परमाणु संधि से अमेरिका बाहर निकल चुका है। ईरान परमाणु संधि के प्रावधानों के तहत अमेरिकी राष्ट्रपति हर 90 दिन पर कांग्रेस को यह बताते हैं कि ईरान समझौते का पालन कर रहा है या नहीं।
- बुल्गारिया, मोरक्को और स्पेन दौरे के अंतिम चरण में स्पेन पहुँची भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को स्पेन सरकार ने ‘ग्रांड क्रॉस ऑफ द आर्डर ऑफ सिविल मेरिट’ पुरस्कार से सम्मानित किया। उन्हें यह पुरस्कार नेपाल में अप्रैल 2015 में आए भयंकर भूकंप में फँसे स्पेन के 71 नागरिकों को ‘ऑपरेशन मैत्री’ के तहत सुरक्षित निकालने के लिये दिया गया। सुषमा स्वराज ने स्पेन के विदेश मंत्री जोसेप बोरेल से मुलाकात के दौरान द्विपक्षीय मुद्दों पर अहम बातचीत की, जिनमें व्यापार और निवेश से लेकर रक्षा और सुरक्षा, आतंकवाद के खिलाफ मुहिम तेज़ करने और संस्कृति व पर्यटन के मुद्दे शामिल थे।
- अमेरिका में न्यूजर्सी के फोर्ड्स सिटी में आयोजित हुई मिस इंडिया USA 2019 का खिताब न्यूजर्सी की किम कुमारी ने जीत लिया। न्यूयॉर्क की रेणुका जोसफ दूसरे और फ्लोरिडा की आंचल शाह तीसरे स्थान पर रहीं। इंडिया फेस्टिवल कमेटी 1980 से हर साल इस प्रतियोगिता का आयोजन करती है। इस साल इस प्रतियोगिता में 26 अमेरिकी राज्यों से 75 प्रतिभागियों ने भाग लिया।
- बेंगलुरु के येलाहंका एयर फोर्स स्टेशन में 20 फरवरी से एयरो इंडिया 2019 की शुरुआत हुई, जो 24 फरवरी तक चलेगा । इस एयर शो में एयरोस्पेस इंडस्ट्री के वैश्विक भागीदारों और बड़े निवेशक हिसा लेते हैं। इस बार एयरो इंडिया का फोकस हल्के स्वदेशी युद्धक विमान ‘तेजस’ पर है और बहुचर्चित राफेल विमान भी इसमें हिस्सा ले रहा है। इस बार के एयरो इंडिया की टैगलाइन The Runway to a Billion Opportunities रखी गई है। हर दो वर्ष में आयोजित होने वाले एयरो इंडिया की शुरुआत 1996 में हुई थी और तब से यह बेंगलुरु में ही आयोजित होता रहा है।
- सर्बिया के टेनिस खिलाड़ी नोवाक जोकोविच ने लॉरियस विश्व खेल पुरस्कारों में 'वर्ष के सर्वश्रेष्ठ पुरुष खिलाड़ी' पुरस्कार जीता। अमेरिकी जिमनास्ट सिमोन बाइल्स को ‘वर्ष की सर्वश्रेष्ठ महिला खिलाड़ी’ का पुरस्कार दिया गया। फीफा विश्व कप विजेता फ्रांस को ‘वर्ष की सर्वश्रेष्ठ टीम’ चुना गया। यह दुनिया की पहली राष्ट्रीय फुटबॉल टीम बनी, जिसे दूसरी बार इस पुरस्कार के लिये चुना गया। जापान की पहली ग्रैंडस्लैम विजेता नाओमी ओसाका को 'ब्रेकथ्रू ऑफ द ईयर' पुरस्कार के लिये चुना गया। अमेरिकी गोल्फर टाइगर वुड्स को ‘वापसी करने वाला वर्ष का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी’ चुना गया। इससे पहले वह 2000 और 2001 में सर्वश्रेष्ठ पुरुष खिलाड़ी चुने गए थे। भारतीय महिला पहलवान विनेश फोगाट भी इस वर्ग में नामित थीं। भारत के झारखंड के ग्रामीण क्षेत्र में काम करने वाली संस्था 'युवा' को 'लॉरियस स्पोर्ट फॉर गुड' पुरस्कार के लिये चुना गया। यह संस्था फुटबॉल के ज़रिये वंचित वर्गों से जुड़ी लड़कियों के जीवन में सुधार के लिये काम कर रही है। फुटबॉल मैनेजर आर्सेनी वेंगर को 22 साल तक आर्सेनल के मैनेजर के रूप में फुटबॉल में योगदान के लिये ‘लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार’ दिया गया।
- हिंदी साहित्य जगत के प्रखर आलोचक और साहित्यकार डॉ. नामवर सिंह का 93 वर्ष की आयु में दिल्ली में निधन हो गया। BHU से हिंदी साहित्य में M.A. और Ph.D. करने के बाद उन्होंने कई वर्षों तक BHU में ही अध्यापन किया तथा उसके बाद सागर एवं जोधपुर विश्वविद्यालय में पढ़ाया और दिल्ली के JNU में आने के बाद वहीं से रिटायर हुए। बकलम खुद, हिंदी के विकास में अपभ्रंश का योगदान, आधुनिक साहित्य की प्रवृत्तियाँ, छायावाद, पृथ्वीराज रासो की भाषा, इतिहास और आलोचना, नई कहानी, कविता के नए प्रतिमान, दूसरी परंपरा की खोज उनकी प्रमुख कृतियाँ हैं। इसके अलावा, उन्होंने ‘जनयुग’ और ‘आलोचना’ नामक हिंदी की दो पत्रिकाओं का संपादन भी किया।