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डेली न्यूज़

  • 19 Apr, 2019
  • 22 min read
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

जीनोम का अनुक्रमण

चर्चा में क्यों?

वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (Council of Scientific and Industrial Research- CSIR) द्वारा एक परियोजना के अंतर्गत छात्रों के जीनोम का अनुक्रमण किया जाएगा।

  • इस परियोजना का उद्देश्य जीनोमिक्स की ‘उपयोगिता’ (‘Usefulness’ of Genomics) के बारे में छात्रों की अगली पीढ़ी को शिक्षित करना है।

प्रमुख बिंदु

  • इस परियोजना के तहत देश के लगभग 1,000 ग्रामीण युवाओं का जीनोम सैम्पल एकत्र करके इंडीजिनस जेनेटिक मैपिंग (Indigenous Genetic Mapping) द्वारा इनके जीनोम का अनुक्रमण किया जाएगा।
  • सरकार के नेतृत्व में एक परियोजना चलाई जा रही है जिसमें कम-से-कम 10,000 भारतीय जीनोम को अनुक्रमित किया जाना है, यह परियोजना इसमें सहायक होगी।
  • वैश्विक स्तर पर कई देशों ने रोगों की पहचान एवं उपचार के लिये अद्वितीय आनुवंशिक लक्षणों तथा संवेदनशीलता आदि का निर्धारण करने हेतु अपने देश के नागरिकों के सैम्पल का जीनोम अनुक्रमण किया है।
  • भारत में पहली बार इतने बड़े स्तर पर विस्तृत अध्ययन के लिये जीनोम सैम्पल एकत्र किया है।
  • आमतौर पर जीनोम-सैम्पल का संग्रह देश की जनसंख्या विविधता के प्रतिनिधियों का किया जाता था लेकिन इस बार ऐसे लोगों का सैम्पल लिया जा रहा है जो कॉलेज के छात्र (पुरुष और महिला दोनों) तथा जैविक विज्ञान या जीव विज्ञान के छात्र हैं।

Genome

क्रियाविधि
Methodology

  • जीनोम को रक्त के नमूने के आधार पर अनुक्रमित किया जाएगा जिसके अंतर्गत अधिकांश राज्यों को कवर करने के लिये कम-से-कम 30 शिविर आयोजित किये जाएँगे।
  • सभी व्यक्तियों, जिनका जीनोम अनुक्रम किया जाता है, को एक रिपोर्ट दी जाएगी। साथ ही उन्हें उनके जीन की संवेदनशीलता की जानकारी प्रदान की जाएगी।
  • सामान्यतः कई मामलों में विभिन्न विकारों का कारण एकल-जीन होते हैं।

जीनोम: Genome

  • आणविक जीव विज्ञान और आनुवंशिकी के अनुसार जीन जीवों का आनुवंशिक पदार्थ है, जिसके माध्यम से जीवों के गुण एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में पहुँचते हैं।
  • किसी भी जीव के डीएनए में विद्यमान समस्त जीनों का अनुक्रम जीनोम (Genome) कहलाता है।
  • मानव जीनोम में अनुमानतः 80,000-1,00,000 तक जीन होते हैं।
  • जीनोम के अध्ययन को जीनोमिक्स कहा जाता है।

जीनोम अनुक्रमण

  • जीनोम अनुक्रमण के तहत डीएनए अणु के भीतर न्यूक्लियोटाइड के सटीक क्रम का पता लगाया जाता है।
  • इसके अंतर्गत डीएनए में मौज़ूद चारों तत्त्वों- एडानीन (A), गुआनीन (G), साइटोसीन (C) और थायामीन (T) के क्रम का पता लगाया जाता है।
  • डीएनए अनुक्रमण विधि से लोगों की बीमारियों का पता लगाकर उनका समय पर इलाज करना साथ ही आने वाली पीढ़ी को रोगमुक्त करना संभव है।

लक्ष्य

  • लोगों को विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में CT स्कैन की भाँति जीनोम के अनुक्रमण के बारे में ज़्यादा-से-ज़्यादा जागरूक किया जाएगा क्योंकि भारत में यह प्रक्रिया काफी हद तक एक समृद्ध शहरी जनसांख्यिकी तक ही सीमित है।
  • इससे लोगों की बीमारियों का समय से इलाज सुनिश्चित किया जा सकेगा।
  • लोगों के स्वास्थ्य में होने वाले परिवर्तनों को लंबे समय तक ट्रैक किया जा सकेगा।

निष्कर्ष

  • यह परियोजना पूरे जीनोम अनुक्रमण को निष्पादित करने में भारत की क्षमताओं को प्रदर्शित करेगी।
  • जब से मानव जीनोम को (पहली बार 2003 में) अनुक्रमित किया गया है, इसने रोगों और प्रत्येक व्यक्ति के अद्वितीय आनुवंशिक बनावट के बीच संबंध पर एक नया दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है।
  • लगभग 10,000 बीमारियाँ जैसे- सिस्टिक फाइब्रोसिस, थैलेसीमिया आदि को एकल जीन की खराबी का परिणाम माना जाता है, जबकि ये जीन कुछ दवाओं के प्रति असंवेदनशील हो सकते हैं।
  • जीनोम अनुक्रमण से कैंसर जैसी बीमारी को भी आनुवांशिकी के दृष्टिकोण से समझा जा सकता है।

स्रोत- द हिंदू


विविध

14 उत्पादों को मिला भौगोलिक संकेतक (GI) का दर्जा

चर्चा में क्यों?

सरकार ने इस साल अब तक 14 उत्पादों को भौगोलिक संकेतक (GI) प्रदान किया है जिनमें हिमाचल का काला जीरा, छत्तीसगढ़ का जीराफूल और ओडिशा की कंधमाल हल्दी जैसे उत्पाद शामिल हैं।

प्रमुख बिंदु

  • उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (Department for Promotion of Industry and Internal Trade-DPIIT) के आँकड़ों के अनुसार, कर्नाटक की कुर्ग अरेबिका कॉफी, केरल के वायनाड की रोबस्टा कॉफी, आंध्र प्रदेश की अराकू वैली अरेबिका, कर्नाटक की सिरसी सुपारी और हिमाचल के चूली तेल को भी जीआई टैग प्रदान किया गया हैं।
  • खास भौगोलिक पहचान मिलने से इन उत्पादों के उत्पादकों को अच्छी कीमत मिलती है और साथ ही अन्य उत्पादक उस नाम का दुरुपयोग कर अपने सामान की मार्केटिंग भी नहीं कर सकते हैं।

क्या है जीआई टैग?

  • भौगोलिक संकेतक (Geographical Indication) का इस्तेमाल ऐसे उत्पादों के लिये किया जाता है, जिनका एक विशिष्ट भौगोलिक मूल क्षेत्र होता है।  
  • इन उत्पादों की विशिष्ट विशेषता एवं प्रतिष्ठा भी इसी मूल क्षेत्र के कारण होती है।
  • इस तरह का संबोधन उत्पाद की गुणवत्ता और विशिष्टता का आश्वासन देता है।  
  • जीआई टैग को औद्योगिक संपत्ति के संरक्षण के लिये पेरिस कन्वेंशन (Paris Convention for the Protection of Industrial Property) के तहत बौद्धिक संपदा अधिकारों (आईपीआर) के एक घटक के रूप में शामिल किया गया है।
  • अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर GI का विनियमन विश्व व्यापार संगठन (WTO) के बौद्धिक संपदा अधिकारों के व्यापार संबंधी पहलुओं (Trade-Related Aspects of Intellectual Property Rights-TRIPS) पर समझौते के तहत किया जाता है। 
  • वहीं, राष्ट्रीय स्तर पर यह कार्य ‘वस्तुओं का भौगोलिक सूचक’ (पंजीकरण और सरंक्षण) अधिनियम, 1999 (Geographical Indications of goods ‘Registration and Protection’ act, 1999) के तहत किया जाता है, जो सितंबर 2003 से लागू हुआ।
  • वर्ष 2004 में ‘दार्जिलिंग टी’ जीआई टैग प्राप्त करने वाला पहला भारतीय उत्पाद है। भौगोलिक संकेतक का पंजीकरण 10 वर्ष के लिये मान्य होता है।
  • महाबलेश्वर स्ट्रॉबेरी, जयपुर की ब्लू पॉटरी, बनारसी साड़ी और तिरुपति के लड्डू तथा मध्य प्रदेश के झाबुआ का कड़कनाथ मुर्गा सहित कई उत्पादों को जीआई टैग मिल चुका है।  
  • जीआई टैग किसी उत्पाद की गुणवत्ता और उसकी अलग पहचान का सबूत है। कांगड़ा की पेंटिंग, नागपुर का संतरा और कश्मीर का पश्मीना भी जीआई पहचान वाले उत्पाद हैं।

स्रोत- बिज़नेस लाइन


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

लीबिया में संकट

चर्चा में क्यों?

हाल ही में लीबिया की राष्ट्रीय सेना (LNA) के प्रमुख जनरल खलीफा हफ़्ता ने राजधानी त्रिपोली पर आक्रमण कर दिया।

प्रमुख बिंदु

  • गौरतलब है खलीफा हफ़्ता की सेना ने पहले ही देश के पूर्वी क्षेत्र (तेल क्षेत्रों सहित) पर नियंत्रण कर लिया था।
  • ऐसा माना जा रहा है कि जनरल को रूस और फ्राँस के अलावा मिस्र, सऊदी अरब तथा कुछ पश्चिम एशियाई देशों का समर्थन प्राप्त है।

पृष्ठभूमि

  • लीबिया में सरकार विरोधी प्रदर्शनों की शुरुआत 15 फरवरी, 2011 को ही हो गई थी जिसकी वज़ह से विपक्षी बलों और गद्दाफी के समर्थकों के बीच गृहयुद्ध जैसी स्थिति पैदा हो गई।
  • पश्चिमी शक्तियों द्वारा सैन्य दखलंदाज़ी के पश्चात् लीबिया की राजधानी, त्रिपोली पर कब्ज़ा जमा लिया गया और सरकार को उखाड़ फेंका गया था।
  • इसके पश्चात् लीबिया में संयुक्त राष्ट्र समर्थित अंतर्राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त सरकार, गवर्नमेंट ऑफ नेशनल एकॉर्ड (Government of National Accord-GNA) बनाई गई।
  • वर्तमान में लीबिया की हालत दयनीय है। एक तरफ जहाँ LNA टोब्रुक-आधारित संसद की सहायता से लीबिया के पूर्वी हिस्से को नियंत्रित करती है, वहीं दूसरी तरफ GNA लीबिया के पश्चिमी भागों को त्रिपोली से नियंत्रित करती है।
  • संयुक्त राष्ट्र समर्थित सरकार लीबिया को स्थिरता प्रदान करने में विफल रही। पश्चिम लीबिया (जो कि GNA नियंत्रण में है) अंदरूनी लड़ाइयों और अपहरण की घटनाओं से पस्त है।
  • GNA के पास कोई सुरक्षा बल नहीं है, सार्वजनिक प्रशासन की मौजूदगी बहुत कम है।
  • पश्चिमी लीबिया को पानी, पेट्रोल और बिजली जैसी समस्याओं से जूझना पड़ता है और इस क्षेत्र में कुछ ही बैंक संचालित होते हैं।

अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया

  • GNA ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से त्रिपोली की रक्षा के लिये हस्तक्षेप करने को कहा है।
  • संयुक्त राष्ट्र ने घायलों को युद्ध क्षेत्र से निकालने की अनुमति देने के लिये एक अस्थायी युद्धविराम की याचिका जारी की है।
  • कई यूरोपीय देशों, अमेरिका ने शत्रुता को रोकने और तनाव को कम करने के लिये कहा है।
  • अमेरिका ने त्रिपोली में तैनात अपने सैनिकों को बाहर निकालने का आदेश दिया है।
  • भारत ने भी शांति सेना में शामिल CRPF के 15 जवानों को देश वापस बुला लिया है।

क्या होंगे प्रभाव?

  • लीबिया का यह गृहयुद्ध खासकर यूरोप के लिये शरणार्थी समस्या को बढ़ा सकता है।
  • अफ्रीका का सबसे बड़ा तेल भंडार लीबिया में स्थित है और यह दुनिया के सबसे बड़े तेल उत्पादकों में शामिल है।
  • लीबिया में अस्थिरता से वैश्विक स्तर पर तेल की कीमतें बढ़ सकती हैं। इसका भारत पर सीधा असर पड़ेगा।

लीबिया

  • लीबिया उत्तरी अफ्रीका का एक देश है जिसका ज़्यादातर क्षेत्र रेगिस्तानी है।
  • लीबिया तेल-समृद्ध देश है।
  • देश में तेल की खोज के तुरंत बाद 1951 में लीबिया को स्वतंत्रता मिल गई थी।

  • राजधानी: त्रिपोली
  • जनसंख्या: 6.4 मिलियन
  • क्षेत्रफल: 1.77 मिलियन वर्ग किमी. (685,524 वर्ग मील)
  • प्रमुख भाषा: अरबी
  • मुख धर्म: इस्लाम
  • मुद्रा: लीबियाई दीनार

विविध

Rapid Fire करेंट अफेयर्स (19 April)

  • 18 अप्रैल को विश्व के सांस्कृतिक-ऐतिहासिक स्थलों को धरोहरों के रूप में संरक्षित रखने के लिए यूनेस्को द्वारा हर साल विश्व धरोहर दिवस (World Heritage Day) का आयोजन किया जाता है। ट्यूनीशिया में इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ माउंटेंस एंड साइट्स द्वारा आयोजित एक संगोष्ठी में 18 अप्रैल,1982 को विश्व धरोहर दिवस मनाने का सुझाव दिया गया, जिसे कार्यकारी समिति द्वारा मान लिया गया। नवंबर,1983 में यूनेस्को के सम्मेलन के 22वें सत्र में हर साल 18 अप्रैल को वर्ल्ड हेरिटेज डे मनाने का प्रस्ताव पारित कर दिया गया। विश्व धरोहर सांस्कृतिक और प्राकृतिक महत्त्व के वे स्थल होते हैं, जो ऐतिहासिक और पर्यावरण के लिहाज से भी महत्त्वपूर्ण होते हैं। इनका अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व होता और इन्हें बचाए रखने के लिए विशेष प्रयास करने की ज़रूरत होती है। ऐसे स्थलों को आधिकारिक तौर पर संयुक्त राष्ट्र की संस्था ‘यूनेस्को’ विश्व धरोहर की मान्यता प्रदान करती है। कोई भी स्थल जिसे यूनेस्को समझता है कि यह मानवता के लिए जरूरी है...वहाँ का सांस्कृतिक और भौतिक महत्त्व है, उसे विश्व धरोहर के तौर पर मान्यता दी जाती है।
  • भारतीय नौसेना ने 13 से 16 अप्रैल तक कैम रण खाड़ी, वियतनाम में वियतनाम पीपुल्स नेवी के साथ द्विपक्षीय समुद्री अभ्यास (IN-VPN BILAT-EX) के दूसरे संस्करण में हिस्सा लिया। यह अभ्यास दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों में पूर्वी बेड़े के जहाजों की चल रही प्रवासी तैनाती के एक भाग के रूप में किया गया था। इस अभ्यास का पहला संस्करण वियतनाम के डा नांग में पिछले वर्ष 21 से 26 मई तक आयोजित किया गया था। गौरतलब है कि दोनों देशों ने व्हाइट शिपिंग सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं और एक ‘सूचना साझाकरण’ कार्यक्रम चलाया है।
  • भारत और डेनमार्क के बीच अपतटीय पवन ऊर्जा तथा नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग पर समझौता हुआ। साथ ही भारत में भारत-डेनमार्क सेंटर ऑफ एक्सिलेंस फॉर रिन्यूअबल एनर्जी  की स्थापना पर भी सहमति जताई गई। इस सहयोग समझौते का उद्देश्य अपतटीय पवन ऊर्जा पर विशेष ध्यान देते हुए नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना है। सहयोग के क्षेत्रों में अपतटीय पवन परियोजनाओं के प्रबंधन के लिये तकनीकी क्षमता विकसित करना, विंड पवन टर्बाइन, कलपुर्जे और अनुमान लगाना व समय-सारणी बनाना आदि शामिल हैं। भारत-डेनमार्क सेंटर ऑफ एक्सिलेंस नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों के मूल्यांकन का काम करेगा। इसके अतिरिक्त यह केंद्र पवन, सौर, जल-विद्युत और भंडारण तकनीक को आपस में जोड़ने,  नवीकरणीय ऊर्जा को उच्च स्तर के पवन ऊर्जा से एकीकृत करने, जाँच और अनुसंधान तथा कौशल विकास व क्षमता निर्माण करने पर भी विशेष ध्यान देगा।
  • चिकित्सा की परंपरागत पद्धतियों और होम्योपैथी के क्षेत्र में भारत और बोलिविया के बीच सहयोग के लिये समझौता हुआ है। यह समझौता चिकित्सा की परंपरागत पद्धतियों और होम्योपैथी को बढ़ावा देने के लिये दोनों देशों के बीच सहयोग की रूपरेखा तैयार करेगा। इससे बोलिविया में चिकित्सा की परंपरागत पद्धतियों और होम्योपैथी को बढ़ावा देने के साथ-साथ उनका प्रचार-प्रसार होगा तथा बोलिविया में आयुष (आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी) के महत्त्व को बढ़ावा मिलेगा। यह समझौता चिकित्सकों और वैज्ञानिकों को प्रशिक्षण देने तथा सहयोगपूर्ण अनुसंधान के उद्देश्य से विशेषज्ञों के आदान-प्रदान की सुविधा को बढ़ाएगा, जिससे औषधि विकास और चिकित्सा की परंपरागत पद्धतियों में नए अविष्कार किये जा सकेंगे।
  • इसके अलावा भारत और बोलिविया के बीच भू-विज्ञान और खनिज संसाधनों के क्षेत्र में सहयोग के लिये भी एक समझौते पर दस्तखत किये गए हैं। यह समझौता खनिज संसाधनों के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच सहयोग के लिये एक संस्थागत तंत्र प्रदान करेगा। समझौता ज्ञापन संसाधनों के बारे में जानकारी के आदान-प्रदान, कानून और नीति, विकास रणनीति के बारे में विचारों का आदान-प्रदान करने के लिये सेमिनारों के आयोजन, दोनों देशों के बीच प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को प्रोत्साहन और मूल्य संवर्द्धन को बढ़ावा देगा, जिससे प्रलेखन और प्रसार आदि का कार्य करने में मदद मिलेगी।
  • भारत और ब्राज़ील ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी के अंतर्गत नवोन्मेष में सहयोग हेतु द्विपक्षीय संबंधों को मज़बूत करने के लिये एक समझौते पर हस्ताक्षर किये। इसका उद्देश्य जैव-प्रौद्योगिकी शिक्षा, प्रशिक्षण और अनुसंधान के क्षेत्र में ठोस रणनीतिक योजना तैयार करना है। इस समझौते के तहत सहयोग के प्रमुख क्षेत्रों में जैव औषधि और स्वास्थ्य (विशेषकर जैव आधारित उत्पाद), कृषि प्रजनन अभ्यास, जैव ईंधन और जैव ऊर्जा, नैनो प्रौद्योगिकी एवं जैव यंत्र विन्यास तथा जैव विविधता और वर्गीकरण विज्ञान आदि क्षेत्र शामिल हैं।
  • संचार क्षेत्र में सहयोग के लिये भारत और कम्बोडिया के बीच समझौता हुआ है। इस समझौते से संचार क्षेत्र में भारत और कम्बोडिया के बीच आपसी समझ और द्विपक्षीय सहयोग को मज़बूत बनाने में मदद मिलेगी।
  • भारत और दक्षिण कोरिया ने संयुक्त रूप से डाक टिकट जारी करने को लेकर एक समझौते पर हस्ताक्षा किये हैं।  इसके तहत भारत के संचार मंत्रालय के अंतर्गत डाक विभाग और दक्षिण कोरिया के विज्ञान तथा आईसीटी (कोरिया डाक) मंत्रालय ने ‘कोरिया की रानी – ह्यो ह्वांग-ओक’ की थीम पर एक संयुक्त डाक टिकट जारी करने पर सहमति जताई है। इस समझौते के तहत 2019 के अंत तक आपसी सहमति द्वारा तय की गई तिथि को संयुक्त डाक टिकटें जारी की जाएंगी।
  • लंबे समय से नकदी के संकट से जूझ रही निजी विमानन कंपनी जेट एयरवेज़ ने परिचालन अस्थायी तौर पर स्थगित करने की घोषणा की है। विमानन कंपनी के अनुसार, ऋणदाता बैंकों की ओर से उसे परिचालन में बनाए रखने के लिए ज़रूरी कर्ज़ देने से इनकार करने के बाद यह निर्णय लिया गया है। ज्ञातव्य है कि लगभग ढाई दशक से सेवाएँ दे रही जेट एयरवेज़ को उबारने के लिए बैंकों के समूह ने 400 करोड़ रुपए का आपात कर्ज़ देने से इनकार कर दिया है। इस तरह पिछले एक दशक में किंगफिशर एयरलाइन के बाद कामकाज बंद करने वाली जेट एयरवेज़ दूसरी बड़ी विमानन कंपनी बन गई है। किंगफिशर ने 2012 में कामकाज बंद कर दिया था। 

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