डेली न्यूज़ (19 Mar, 2019)



नई जलविद्युत नीति

चर्चा में क्यों?

नई जलविद्युत नीति के तहत सरकार ने बड़ी पनबिजली परियोजनाओं को 'अक्षय ऊर्जा की स्थिति' (Renewable Energy Status) प्रदान करने की मंज़ूरी दी है। इससे पहले 25 मेगावाट (MW) क्षमता से कम की केवल छोटी परियोजनाओं को ही अक्षय ऊर्जा के रूप में वर्गीकृत किया गया था। बड़ी पनबिजली परियोजनाओं को ऊर्जा के एक अलग स्रोत के रूप में माना जाता था।

अक्षय ऊर्जा क्षेत्र

  • केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के आँकड़ों के अनुसार, भारत के अक्षय ऊर्जा क्षेत्र की स्थापित क्षमता फरवरी 2019 तक 75,055.92 मेगावाट की थी।
  • इसमें कुल ऊर्जा मिश्रण का लगभग 21.4% हिस्सा शामिल था, बाकी हिस्सा थर्मल, परमाणु और बड़े हाइड्रो स्रोतों से प्राप्त हुआ।
  • हालाँकि नवीकरणीय ऊर्जा में बड़े हाइड्रो प्रोजेक्ट को शामिल करने से ऊर्जा मिश्रण (Energy Mix) में काफी बदलाव आएगा।
  • अक्षय ऊर्जा क्षमता अब कुल ऊर्जा मिश्रण की 1,20,455.14 मेगावाट या 34.4% होगी।
  • यह नीति अक्षय ऊर्जा मिश्रण को भी काफी बदल देगी। फरवरी 2019 से पहले, पवन ऊर्जा ने सभी नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता का लगभग 50% योगदान दिया, यह अब केवल 29.3% रह जाएगी।
  • इसी तरह सौर ऊर्जा का हिस्सा 34.68% से घटकर 21.61% हो जाएगा।
  • हालाँकि, हाइड्रो सेक्टर में इसकी हिस्सेदारी 6% से बढ़कर 41% से अधिक होने की संभावना है।

प्रभाव

  • पनबिजली ऊर्जा ग्रिड स्थिरता प्रदान करती है, जबकि पवन और सौर जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के साथ ऐसा नहीं है। इसका मुख्य कारण ग्रिड स्थिरता और एक बेहतर ऊर्जा मिश्रण प्रदान करने हेतु माना जाता है।
  • ऊष्मा में तेज़ वृद्धि और पनबिजली में पूर्ण ठहराव के कारण पिछले कुछ वर्षों से थर्मल-हाइड्रो मिश्रण में भारी असंतुलन है।
  • इस पुनर्वर्गीकरण से तात्कालिक रूप से 2022 तक भारत को 175 GW के अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
  • नीति से एक और लाभ यह भी होगा कि सतलज जल विकास निगम (SJVN) जैसे राज्य द्वारा संचालित पनबिजली कंपनियों के शेयर की कीमतों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
  • इससे बड़ी जल विद्युत परियोजनाओं को सस्ता ऋण प्राप्त करने और स्वच्छ ऊर्जा के लिये वितरण कंपनियों से मांग बढ़ाने में मदद मिलेगी।
  • राज्य वितरण कंपनियों को अक्षय ऊर्जा खरीद दायित्वों की तरह एक निश्चित प्रतिशत जलविद्युत खरीदने के लिये बाध्य किया जाएगा। इससे हाइड्रोपावर के लिये एक बाज़ार तैयार होगा और यह क्षेत्र प्रतिस्पर्द्धी बनेगा।
  • इन परियोजनाओं को न केवल बुनियादी ढाँचे के लिये बजटीय समर्थन प्राप्त होगा बल्कि ‘ग्रीन फाइनेंस’ तक भी पहुँच बनाई जा सकेगी।

स्रोत : द हिंदू


एटमोस्फेरिक वॉटर जनरेटर

चर्चा में क्यों?

नवरत्न कंपनी, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (Bharat Electronics Ltd-BEL) ने एक नए उत्पाद, एटमोस्फेरिक वॉटर जनरेटर (Atmospheric Water Generator-AWG) का एयरो इंडिया 2019 कार्यक्रम में अनावरण किया है।

प्रमुख बिंदु

  • एटमोस्फेरिक वॉटर जनरेटर दुनिया में पेयजल की बढ़ती हुई ज़रूरत को पूरा करने हेतु एक नया समाधान उपलब्ध कराएगा।
  • वायुमंडल में मौज़ूद नमी से जल निकालने के लिये एटमोस्फेरिक वॉटर जनरेटर का उपयोग किया जा सकता है।

AWG की कार्य प्रणाली

  • वॉटर जनरेटर वायुमंडल में मौज़ूद नमी से जल निकालने और इसे शुद्ध करने के लिये नवीन प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करता है।
  • यह वायुंडल की नमी को संघनित करते हुए शुद्ध, सुरक्षित और स्वच्छ पीने योग्य पानी बनाने के लिये उष्मा विनिमय का प्रयोग करता है।
  • इसमें एक मिनरलाइज़ेशन यूनिट भी लगी है जो पानी को पीने योग्य बनाने के लिये उसमें खनिज मिलाती है।
  • एटमोस्फेरिक वॉटर जनरेटर को गतिशील वाहनों में भी लगाया जा सकता है।
  • एटमोस्फेरिक वॉटर जनरेटर (AWG) 30 लीटर/दिन, 100 लीटर/दिन, 500 लीटर/दिन और 1,000 लीटर/दिन तक जल उपलब्ध करा सकता है।

AWG का निर्माण

  • एटमोस्फेरिक वॉटर जनरेटर (AWG) का निर्माण भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड द्वारा CSIR-IICT और MAITHRI (हैदराबाद स्थित एक स्टार्ट-अप कंपनी) के सहयोग से किया जा रहा है।
  • भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड स्टार्ट-अप इंडिया पहल के एक हिस्से के रूप में स्टार्ट-अप कंपनियों को सहायता प्रदान कर रही है।

स्रोत- पीआईबी


सोलर सुनामी कर सकता है सनस्पॉट साइकिल को सक्रिय

चर्चा में क्यों?

वैज्ञानिकों ने पाया है कि सूर्य के 11 साल के चक्र को सक्रिय करने के लिये सौर सुनामी ज़िम्मेदार है। यह माना जाता है कि ‘सोलर डायनमो’ सनस्पॉट की उत्पत्ति से संबद्ध है।

सोलर डायनमो

  • सोलर डायनमो एक प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला जेनरेटर है जो सूर्य में विद्युत और चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करता है।

सन स्पॉट

  • सन स्पॉट ऐसे क्षेत्र होते हैं जो सूर्य की सतह पर काले दिखाई देते हैं। वे गहरे (dark) इसलिये दिखाई देते हैं क्योंकि वे सूर्य की सतह के अन्य भागों की तुलना में अधिक ठंडे होते हैं।
  • सन स्पॉट का तापमान अभी भी लगभग 6,500 डिग्री फ़ारेनहाइट के आसपास है।
  • सन स्पॉट अपेक्षाकृत ठंडे होते हैं। यह इसलिये है क्योंकि वे उन क्षेत्रों में बनते हैं जहाँ चुंबकीय क्षेत्र विशेष रूप से मज़बूत होते हैं। ये चुंबकीय क्षेत्र इतने मज़बूत होते हैं कि सूर्य के भीतर की कुछ ऊष्मा को सतह तक पहुँचने से रोकते हैं।
  • सूर्य की सतह तक उठने वाले चुंबकीय प्रवाह की मात्रा सौर चक्र में समय के साथ बदलती रहती है। यह चक्र औसतन 11 साल तक चलता है। इस चक्र को कभी-कभी सन स्पॉट चक्र भी कहा जाता है।

सौर सुनामी

  • सौर सुनामी चुंबकीय क्षेत्र की तरंगें हैं और सूर्य से लगभग 400 किमी. प्रति सेकंड की गति से गर्म, आयनीकृत गैस के रूप में गति करती हैं।
  • एक कोरोनल मास इजेक्शन (Cronal Mass Ejection-CME) नामक पदार्थ के अंतरिक्ष में उत्पन्न होने के बाद सुनामी उत्पन्न होती है।
  • सोलर सुनामी की खोज 1997 में यूरोपियन स्पेस एजेंसी (Europen Space Agency) के SOHO (सोलर एंड हेलिओस्फेरिक ऑब्जर्वेटरी) द्वारा की गई थी।

कोरोनल मास इजेक्शन

  • कोरोनल मास इजेक्शन (CME) प्लाज्मा और सौर कोरोना से चुंबकीय क्षेत्र के साथ एक महत्त्वपूर्ण रिलीज़ होता है। इसमें अक्सर सौर चमक (Solar Flare) होती है।
  • पृथ्वी में पहुँचने पर सौर फ़्लेयर पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के साथ प्रतिक्रिया कर भव्य प्रकाश दिखाई देने का कारण बनता है जिसे ऑरोरा (Aurora) कहा जाता है।
  • सोलर फ्लेयर्स रेडियो प्रसारण को भी बाधित कर सकते हैं और उपग्रहों को कक्षा में नुकसान पहुँचा सकते हैं।

सोलर सुनामी सन स्पॉट की ओर कैसे बढ़ती है?

  • चरम तापमान और दाब की स्थिति जो सूर्य की सतह से लगभग 20,000 किमी. नीचे रहती है, के कारण एक प्लाज्मा का निर्माण होता है जिसमें अत्यधिक आयनीकृत अवस्था में मुख्य रूप से हाइड्रोजन और हीलियम होते हैं।
  • प्लाज्मा सूर्य के अंदर विशाल चुंबकीय क्षेत्रों में सीमित होता है। इन्हें अपने स्थान पर बने रहने के लिये यह आवश्यक है कि अतिरिक्त अक्षांश से बैंड पर धकेलने वाला अतिरिक्त द्रव्यमान (प्लाज्मा द्रव्यमान) मौजूद हो।
  • इस प्रकार एक चुंबकीय बांध बनता है जो प्लाज्मा के एक बड़े द्रव्यमान का भंडारण करता है। एक सौर चक्र के अंत में यह चुंबकीय बांध टूट सकता है तथा ध्रुवों की ओर सुनामी की तरह भारी मात्रा में प्लाज्मा उत्पन्न होता है।
  • ये सुनामी जैसी लहरें लगभग 1,000 किमी. प्रति घंटे की उच्च गति से चलती हैं, जो अतिरिक्त प्लाज्मा को मध्य अक्षांशों तक ले जाती हैं।
  • वहाँ वे चुंबकीय प्रवाह के विस्फोट को जन्म देती हैं। इन्हें चमकीले पैच के रूप में देखा जाता है जो सन स्पॉट के अगले चक्र की शुरुआत का संकेतक होता है।

स्रोत : द हिंदू


Rapid Fire करेंट अफेयर्स (19 March)

  • नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रीशन (National Institute of Nutrition-NIN) और सेमी-एरिड ट्रॉपिक्स इंटरनेशनल क्रॉप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट (International Crops Research Institute for the Semi-Arid Tropics-Icrisat) ने किशोरियों में देखी जाने वाली कुपोषण की समस्या से निपटने हेतु ‘FeFA गर्ल्स’ की शुरुआत की है। ‘FeFA गर्ल्स’ का उद्देश्य लड़कियों में हीमोग्लोबिन और आयरन के स्तर में सुधार लाना है। दोनों संस्थान तेलंगाना सरकार के साथ मिलकर इस परियोजना को पूरा करने हेतु काम करेंगे। ‘FeFA गर्ल्स’ का तात्पर्य है-
    • Fe- आयरन का रासायनिक प्रतीक
    • FA- किशोरियों के लिये (For Adolescent)
  • श्री संतोष झा (आईएफएस 1993) को उज़्बेकिस्तान गणराज्य में भारत के अगले राजदूत के रूप में नियुक्त किया गया है। गौरतलब है कि श्री संतोष झा वर्तमान में भारतीय दूतावास, वाशिंगटन में मिशन के उप प्रमुख हैं। वह शीघ्र ही उज़्बेकिस्तान में कार्यभार संभालेंगे।
  • भारत-थाईलैंड राजनयिक संबंधों के 72 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में रॉयल थाई एम्बेसी ने हाल ही में तीन दिवसीय ‘नमस्ते थाईलैंड महोत्सव’ का आयोजन किया था। इस महोत्सव की शुरुआत 15 मार्च को हुई थी, जबकि समापन 17 मार्च को हुआ। द्विपक्षीय संबंधों के संदर्भ में, भारत का थाईलैंड के साथ एक अच्छा और शांतिपूर्ण संबंध रहा है।
  • गिनी के प्रधानमंत्री इब्राहिम कसूरी फोफना 10 दिवसीय यात्रा पर भारत पहुँचे। इस यात्रा के दौरान वह भारत-अफ्रीका के प्रमुख व्यापारिक सम्मेलन में भाग लेंगे और शीर्ष नेतृत्त्व के साथ वार्ता करेंगे ताकि संबंधों को मज़बूत किया जा सके। हाल के शिखर दौरों के बाद भारत-गिनी द्विपक्षीय रिश्‍तों में तेज़ी आई है और इसे नई ऊँचाई मिली है।
  • भारत और पाकिस्तान सहित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के सदस्य कज़ाखस्तान के सैरी अर्का क्षेत्र में आयोजित होने वाले संयुक्त अभ्यास, सैरी-अर्का-एंटीटेरर-2019 (Sary-Arka-Antiterror 2019) में भाग लेंगे। भारत और पाकिस्तान 2017 में शंघाई सहयोग संगठन के सदस्य बने थे और दोनों ने पिछले साल रूस में आयोजित वार गेम्स में भी भाग लिया था।
  • हाल ही में बम नामक भीषण चक्रवात ने पश्चिमी अमेरिका के कोलोराडो शहर में दस्तक दी। कोलोराडो से होता हुआ यह चक्रवात ग्रेट प्लेन और मिडवेस्ट के कुछ हिस्सो में फैल गया था। बम चक्रवात को सर्दियों का तूफान भी कहा जाता है। मौसम विज्ञानियों के अनुसार, जब बैरोमीटर का दबाव 24 घंटों में 24 मिलीबार गिरता है, तब यह तूफान आता है।