डेली न्यूज़ (17 Sep, 2018)



असम के डायन विरोधी कानून को राष्ट्रपति की मंज़ूरी

चर्चा में क्यों?

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने असम के डायन प्रताड़ना (प्रतिबंध, रोकथाम और संरक्षण) विधेयक, 2015 (Witch Hunting (Prohibition, Prevention and Protection) Bill, 2015)  को मंज़ूरी दे दी है। इसके बाद यह विधेयक असम विधानसभा से पारित होने के करीब तीन साल बाद कानून बन गया है, साथ ही इसने अंधविश्वास के खिलाफ लड़ रही 65 वर्षीय महिला के अभियान को फिर से जीवंत कर दिया है।

महत्त्वपूर्ण बिंदु 

  • अधिनियम के तहत अपराध को "संज्ञेय तथा  गैर-जमानती" बनाया गया है। इसके तहत किसी महिला को डायन कहने पर सात साल की सज़ा तथा 5 लाख रुपए ज़ुर्माने का प्रावधान किया गया है।
  • यदि किसी महिला को डायन बताकर उसकी हत्या की जाती है तो उस अपराधी के विरुद्ध आईपीसी की धारा 302 (हत्या के लिये सज़ा) के तहत मुकदमा दर्ज किया जाएगा।
  • बीरुबाला रभा 1996 में अपने बेटे का इस सामाजिक बुराई का शिकार होकर हत्या किये जाने के बाद इस अंधविश्वास के खिलाफ लड़ाई लड़ रही हैं। 
  • स्थानीय जादूगरों (shaman) द्वारा बहिष्कार किये जाने की आशंका के बावजूद वह आत्मविश्वास के साथ डटी रहीं और इस अंधविश्वास के खिलाफ मिशन  शुरू करने से पहले 50 से अधिक महिलाओं को डायन के रूप में चिन्हित होने से बचाने में उन्होंने सफलता प्राप्त की। 
  • इस कानून के पीछे एक और महत्त्वपूर्ण व्यक्ति पुलिस महानिदेशक कुलधर साइकिया हैं। कोकराझार ज़िले के उप महानिरीक्षक के पद पर रहते हुए उन्होंने 2001 में प्रोजेक्ट प्रहरी लॉन्च किया और इस सामाजिक बुराई पर  नियंत्रण के लिये सामाजिक अभियानों के साथ सामान्य पुलिस व्यवस्था का  भी सहयोग लिया।
  • यह कानून वर्तमान संदर्भ में महत्त्वपूर्ण है क्योंकि संचार तकनीक का उपयोग अंधविश्वास, काला जादू और सामाजिक पूर्वाग्रहों को बढ़ाने के लिये किया जा रहा है जिसके घातक परिणाम होते हैं और इसमें  मुख्य रूप से गरीब समूहों का जीवन प्रभावित होता है।
  • झारखंड, बिहार, ओडिशा और महाराष्ट्र में अलग-अलग डायन प्रताड़ना अधिनियम बनाए गए हैं, इनमें असम अधिनियम को सबसे मज़बूत माना जाता है क्योंकि यह इस तरह के अपराध को भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत एक संज्ञेय, गैर-जमानतीय अपराध बनाता है।

देश के अधिकांश नदी खंड प्रदूषित : केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, देश में प्रदूषित नदी खंडों की संख्या में वृद्धि हुई है।

प्रमुख बिंदु

  • CPCB के आकलन के अनुसार, देश में प्रदूषित नदी खंडो की संख्या 351 हो गई है उल्लेखनीय है कि 2 वर्ष पूर्व यह संख्या 302 थी।
  • ऐसे प्रदूषित खंड जिनके पानी कि गुणवत्ता सबसे अधिक खराब है, की संख्या 45 हो गई है, जबकि 2 वर्ष पूर्व यह संख्या 34 थी।
  • इस आकलन के अनुसार, बिहार तथा उत्तर प्रदेश के कई नदी खंड महाराष्ट्र, असम तथा गुजरात की नदियों की तुलना में कम गंदे हैं।
  • 351 में से 117 प्रदूषित नदी खंड केवल तीन राज्यों महाराष्ट्र, असम तथा गुजरात में हैं।

सर्वाधिक प्रदूषित नदी खंड:

  • मीठी नदी का पोवाई से धारावी खंड- यहाँ BOD (Biochemical Oxygen Demand) 250mg/l है।
  • गोदावरी नदी का सोमेश्वर से राहेद खंड- यहाँ BOD 5.0 से 80 mg/l है।
  • साबरमती नदी का खेरोज से वाउथा नदी खंड- यहाँ BOD 4.0 से 147mg/l है।
  • हिंडन नदी का सहारनपुर से ग़ाज़ियाबाद खंड- यहाँ BOD 48 से 120mg/l है।
  • उत्तर प्रदेश में प्रदूषित हिस्सों के संकलन में गंगा नदी को 5-8.8 mg/l की BOD रेंज के साथ 'प्राथमिकता 4' नदी के रूप में इंगित किया गया है।

CPCP का मापन आधार

  • केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) 1990 के दशक से ही BOD मापन के आधार पर नदियों की गुणवत्ता निगरानी से संबंधित कार्यक्रम का संचालन कर रहा है।
  • नदी में BOD का स्तर जितना अधिक होता है नदी उतनी ही अधिक प्रदूषित मानी जाती है।
  • नदी का स्वास्थ्य तथा जल के उपचार के लिये किये गए उपायों की प्रभाविता को BOD के स्तर के आधार पर ही वर्गीकृत किया जाता है।
  • 30mg/l के बराबर या उससे अधिक BOD स्तर वाली नदी को ‘प्राथमिकता-1’ की श्रेणी में रखा जाता है, जबकि 1 से 6mg/l के BOD स्तर वाली नदियों को प्राथमिकता श्रेणी-5 में रखा जाता है।
  • 3mg/l से नीचे के BOD स्तर वाली नदियों को CPCB स्वस्थ नदी मानता है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

  • केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का गठन एक सांविधिक संगठन के रूप में जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1974 के अंतर्गत सितंबर 1974 को किया गया।
  • इसके पश्चात् केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को वायु (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1981 के अंतर्गत शक्तियाँ व कार्य सौंपे गए।
  • यह बोर्ड क्षेत्र निर्माण के रूप में कार्य करने के साथ-साथ पर्यावरण (सुरक्षा) अधिनियम, 1986 के प्रावधानों के अंतर्गत पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को तकनीकी सेवाएँ भी उपलब्ध कराता है।
  • केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रमुख कार्यों को जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1974 तथा वायु (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1981 के तहत वर्णित किया गया है।


डेयरी प्रसंस्करण एवं अवसंरचना विकास कोष

चर्चा में क्यों

हाल ही में कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने 10,881 करोड़ रुपए के परिव्यय के साथ “डेयरी प्रसंस्करण एवं अवसंरचना विकास कोष” की शुरुआत की है। इस कोष की शुरुआत डेयरी किसानों की आय दोगुनी करने के उद्देश्य से की गई है।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • सरकार के अनुमान के मुताबिक डेयरी प्रसंस्करण एवं अवसंरचना विकास कोष से 50 हज़ार गाँवों में 95 लाख दूध उत्पादक लाभान्वित होंगे।
  • इस योजना से प्रतिदिन 126 लाख लीटर की अतिरिक्त दुग्ध प्रसंस्करण क्षमता, 210 टन दूध को सुखाने की दैनिक क्षमता, प्रतिदिन 140 लाख लीटर दुग्ध अवशीतन की क्षमता का सृजन होगा।
  • डेयरी किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लिये तैयार किये गए डेयरी प्रसंस्करण एवं अवसंरचना विकास कोष(डीआईडीएफ) के तहत एनडीडीबी को 440 करोड़ रुपए की पहली किस्त दी गई है।
  • इस योजना के अंतर्गत सहकारी दुग्ध संस्थाओं को 8004 करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता ऋण के रूप में 5% वार्षिक ब्याज दर पर प्रदान की जाएगी जिसकी भरपाई 10 वर्ष की अवधि में करनी होगी। इस ऋण पर भारत सरकार ने ब्याज सब्सिडी का प्रावधान भी रखा है।
  • सरकार ने इस योजना का क्रियान्वयन 14 राज्यों से बढ़ाकर 18 राज्यों में कर दिया है।
  • अब तक 1148 करोड़ रुपए की लागत वाली कुल 15 परियोजनाओं को स्वीकृति दी गई है।
  • इन स्वीकृत परियोजनाओं में कर्नाटक (776.39 करोड़ रुपए की 5 उप- परियोजनाएँ), पंजाब (318.01 करोड़ रुपए की 4 उप- परियोजनाएँ) और हरियाणा (54.21 करोड़ रुपए की 6 उप-परियोजनाएँ) शामिल हैं।

प्रीलिम्स फैक्ट्स :17 सितंबर, 2018

सुश्री सुब्बुलक्ष्मी
  • हाल ही में सुश्री सुब्बुलक्ष्मी जी की 102वीं जयंती मनाई गई। वह भारत के महान कर्नाटक संगीतकारों में से एक थीं।
  • वह भारत रत्न पुरस्कार प्राप्त करने वाली पहली संगीतकार थीं।
  • वह प्रतिष्ठित रमन मैग्सेसे पुरस्कार प्राप्त करने वाली पहली भारतीय थीं।
  • उन्हें मद्रास म्यूज़िक अकादमी का संगीत कलानिधि पुरस्कार मिला, जिसे कर्नाटक संगीत का सबसे प्रतिष्ठित सम्मान माना जाता है।
  • वह संयुक्त राष्ट्र दिवस के अवसर पर 1966 में संयुक्त राष्ट्र में प्रदर्शन करने वाली पहली भारतीय थीं।
  • 2005 में संयुक्त राष्ट्र ने उनकी जन्म शताब्दी के उपलक्ष्य में डाक टिकट जारी किया था।
इसरो ने ब्रिटेन के उपग्रहों का प्रक्षेपण किया
  • भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने पीएसएलवी-सी42 की मदद से ब्रिटेन के दो उपग्रहों (नोवाएसएआर और एस1-4) को प्रक्षेपित किया है।
  • आंध्र प्रदेश में बंगाल की खाड़ी के तट पर भारत के रॉकेट बंदरगाह श्रीहरिकोटा में पोलर सैटेलाइट लॉन्च वाहन (पीएसएलवी) का यह 44वाँ भारतीय रॉकेट प्रक्षेपण है।
  • किसी भी भारतीय उपग्रह का प्रक्षेपण नहीं किया जा रहा है क्योंकि यह प्रक्षेपण एंट्रिक्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड, इसरो की वाणिज्यिक शाखा, के माध्यम से अनुबंधित पूरी तरह से वाणिज्यिक है।
  • यह पीएसएलवी का पाँचवाँ और इस साल का पहला पूर्णतः वाणिज्यिक प्रक्षेपण है जिसमें पूरा रॉकेट किसी विदेशी कंपनी द्वारा किराए पर लिया गया है।
  • नोवाएसएआर उपग्रह में संसाधन मानचित्रण, आपदा प्रबंधन और जहाज़ो का पता लगाने के लिये दिन-रात निगरानी करने की क्षमता है तथा एस1-4 उपग्रह पर्यावरण निगरानी और शहरी प्रबंधन के लिये के लिए बना है।
  • इस प्रक्षेपण के लिये पीएसएलवी का सबसे हल्का संस्करण तैनात किया गया है, जिसे 'कोर अलोन' संस्करण कहा जाता है।
  • पिछले 43 प्रक्षेपणों में से केवल दो बार पीएसएलवी विफल रहा है, यह अच्छी सफलता दर है।
एमपीएटीजीएम (Man Portable Anti-Tank Guided Missile)
  • स्वदेशी मैन पोर्टेबल एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल (एमपीएटीजीएम) की उड़ान का सफलतापूर्वक परीक्षण कर लिया गया है।
  • यह मुख्य रूप से भारी बख्तरबंद सैन्य वाहनों पर वार करने और उन्हें नष्ट करने के लिये डिज़ाइन किया गया निर्देशित मिसाइल है।
  • इसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा विकसित किया गया।
  • कम वज़न वाला यह एमपीएटीजीएम मिसाइल इजराइल से प्राप्त होने वाले एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल 'स्पाइक' का पूरक होगा।