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डेली न्यूज़

  • 17 Aug, 2018
  • 41 min read
भारतीय अर्थव्यवस्था

एकीकृत भुगतान इंटरफेस 2.0

प्रमुख बिंदु

  • इस संस्करण के तहत ग्राहक अब चालू और बचत खाते के अतिरिक्त अपने ओवरड्राफ्ट खातों को भी UPI से जोड़ पाएंगे।
  • साथ ही बाद की तारीख़ में किये जाने वाले लेन-देन के लिये वन टाइम आदेश (mandate)  सृजन और पूर्व प्राधिकरण तथा भुगतान से पूर्व व्यापारी द्वारा भेजे गए चालान की जाँच जैसी सुविधाएँ शामिल हैं। 

एकीकृत भुगतान प्रणाली (UPI) क्या है?

  • यह एक ऐसी प्रणाली है जो एक मोबाईल एप्लीकेशन के माध्यम से कई बैंक खातों का संचालन, विभिन्न बैंकों की विशेषताओं को समायोजित, निधियों का निर्बाध आवागमन और एक ही छतरी के अंतर्गत व्यापरियों का भुगतान कर सकता है। 
  • यह "पीयर टू पीयर" अनुरोध को भी पूरा करता है जिसे आवश्यकता और सुविधा के अनुसार निर्धारित कर भुगतान किया जा सकता है।
  •  उल्लेखनीय है कि UPI का पहला संस्करण अप्रैल 2016 में लॉन्च किया गया था।
  • गौरतलब है कि NPCI भारत में सभी खुदरा भुगतानों के लिये एक अम्ब्रेला संगठन है। 
  • बड़ी संख्या में बैंक, व्यापारी, तीसरे पक्ष के खिलाड़ी और उपभोक्ताओं ने इस मंच के प्रति भरोसा जताया है। जिसके परिणामस्वरूप स्थापना के बाद से इसने अपनी लेन-देनों में मूल्य और मात्रा दोनों ही मामले में पर्याप्त वृद्धि की है।
  • UPI 2.0 के लॉन्च के साथ ही इसके विस्तार से नए रिकॉर्ड स्थापित करने की  उम्मीद है विशेष रूप से व्यक्ति से व्यापारी को किये जाने वाले भुगतान के मामले में।
  • इसकी उच्च मात्रा, कम लागत और एक खुले स्रोत पर निर्मित मापनीय मंच होना भारत की डिज़िटल अर्थव्यवस्था में परिवर्तन की एक कुंजी है।
  • वर्तमान में UPI 2.0 बैंक के सदस्यों में शामिल हैं- भारतीय स्टेट बैंक, HDFC बैंक, एक्सिस बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, आईडीबीआई बैंक, आरबीएल बैंक, यस बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक , इंडसइंड बैंक, फेडरल बैंक और एचएसबीसी।

UPI 2.0 की विशेषताएँ:

  • इस संस्करण के तहत ग्राहक अब चालू और बचत खाते के अतिरिक्त अपने ओवरड्राफ्ट खातों को भी UPI से जोड़ पाएंगे। साथ ही ग्राहक तत्काल लेन-देन करने में सक्षम होंगे और ओवरड्राफ्ट खाते से जुड़े सभी लाभ उपयोगकर्त्ताओं को उपलब्ध कराए जाएंगे।
  • यूपीआई आदेश का इस्तेमाल परिदृश्य में किया जा सकता है, जहाँ वर्तमान प्रतिबद्धताओं के माध्यम से बाद में पैसे स्थानांतरित किया जाना है।
  • इसमें ग्राहक लेन-देन को पूर्व-अधिकृत कर सकते हैं और बाद की तारीख में भुगतान कर सकते हैं।
  • इसमें में एक सुविधा है जिससे ग्राहक भुगतान करने से पहले व्यापारी द्वारा भेजे गए चालान की जाँच कर सकते हैं। इसका उद्देश्य ग्राहकों को प्रमाण-पत्र देखने और सत्यापित करने में सहायता करना तथा यह जाँचना है कि इसे सही व्यापारी द्वारा भेजा गया है या नहीं।
  • कोड स्कैन करते समय व्यापारियों की प्रामाणिकता की जाँच करने हेतु ग्राहकों के लिये एक त्वरित प्रतिक्रिया (QR) कोड सुविधा पेश की गई है। यह उपयोगकर्त्ता को सूचित करता है कि व्यापारी व्यापारी UPI सत्यापित है या नहीं।
  • इसमें लेन-देन तेज़ी से संसाधित होते हैं क्योंकि हस्ताक्षरित इंटेंट के मामले में एप पासकोड की आवश्यकता नहीं होती है। यह QR छेड़छाड़ की संभावनाओं को भी अस्वीकार करता है।
  • इसके अतिरिक्त प्राप्तकर्त्ता के अधिसूचनाओं के माध्यम से सुरक्षित नहीं होने से ग्राहकों को सूचित किया जाता है।

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

भारत का पहला आनुवंशिक संसाधन बैंक

चर्चा में क्यों?

हाल ही में राष्ट्रीय वन्यजीव आनुवंशिक संसाधन बैंक का उद्घाटन हैदराबाद, तेलंगाना में सेलुलर और मोलिक्यूलर बायोलॉजी (CCMB) प्रयोगशाला के केंद्र में किया गया।

प्रमुख बिंदु

  • यह भारत का पहला आनुवंशिक संसाधन बैंक है जहाँ आनुवंशिक सामग्री को भावी पीढ़ी के लिये संग्रहीत किया जाएगा।
  • इसका मुख्य उद्देश्य लुप्तप्राय और संरक्षित किये जाने योग्य जानवरों को संरक्षण प्रदान करना है।
  • यह ऊतक, शुक्राणु, अंडे और भ्रूण, आनुवंशिक सामग्री (DNA/RNA) का व्यवस्थित संग्रह और संरक्षण करेगा।
  • यह बैंक आनुवंशिक संसाधनों को संरक्षित करने के लिये अत्याधुनिक उपकरणों से लैस है जिसका प्रयोग पशु प्रजातियों के विलुप्ति के मामले उनके पुनरुत्थान हेतु किया जा सकता है।
  • यह भारत में लुप्तप्राय जंगली पशु प्रजातियों के जीवित सेल, गैमेट्स और भ्रूण को क्रायोप्रिजर्व करेगा।
  • इस सुविधा को विकसित करने में सीसीएमबी शोधकर्त्ताओं का प्रमुख योगदान है।

लाकोनस (LaCONES) क्या है?

  • यह सीसीएमबी के अंतर्गत कार्य करने वाला अनुसंधान विभाग है। 
  • CCMB-LaCONES भारत की एकमात्र प्रयोगशाला है जिसने जंगली जानवरों के वीर्य और ओसाइट्स के संग्रह और क्रायोजेनिक प्रिजर्वेशन के तरीकों का विकास किया है तथा सफलतापूर्वक ब्लैकबक, स्पॉट हिरण और कबूतरों का पुनरुत्पादन किया है।

सीसीएमबी (CCMB)

  • यह आधुनिक जीवविज्ञान के अग्रगामी क्षेत्रों में शोध करने वाला एक प्रमुख अनुसंधान संगठन है।
  • इसकी स्थापना 01 अप्रैल, 1979 को हुई। 
  • अपनी स्थापना के समय सीसीएमबी क्षेत्रीय अनुसंधान प्रयोगशाला के रूप में की गई, किंतु बाद में CSIR द्वारा वर्ष 1978 में आधुनिक जीवविज्ञान के क्षेत्र में अग्रगामी एवं बहु-आयामी शोधकार्य के लिये इस केंद्र की स्थापना के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई।
  • वर्ष 1981-82 के दौरान सीसीएमबी को एक पूर्ण विकसित राष्ट्रीय प्रयोगशाला का दर्जा दिया गया। 

उदेश्य

  • इस अनुसंधान संगठन का उद्देश्य आधुनिक जीवविज्ञान के क्षेत्र में अग्रगामी एवं बहुआयामी शोधकार्य एवं उनके संभावित अनुप्रयोगों की खोज करना है।
  • आधुनिक जीवविज्ञान के अग्रणी क्षेत्र में लोगों को प्रशिक्षण प्रदान करना जिससे इस क्षेत्रों में विकास की आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके। 
  • इसके अंतर्गत ऐसी तकनीकों के बारे में अन्य संस्थानों के शोधकर्त्ताओं को अल्पकालिक प्रशिक्षण प्रदान करना शामिल है जो अन्यत्र कहीं भी उपलब्ध नहीं है।
  • जीवविज्ञान क्षेत्र के अंतर्गत अंतर्विषयी शोधकार्यों के लिये नई एवं आधुनिक तकनीकों हेतु देश में केंद्रीकृत सुविधा प्रदान करना।
  • इस बात को सुनिश्चित करना कि ये सुविधाएँ सुनियोजित, सुव्यवस्थित एवं प्रभावी हों, जिससे देश के अन्य संस्थानों एवं प्रयोगशालाओं के शोधकर्त्ताओं द्वारा इन्हें भरपूर उपयोग में लाया जा सके।

अंतर्राष्ट्रीय संबंध

नेपाल-भारत थिंक टैंक शिखर सम्मेलन-2018

चर्चा में क्यों?

"नेपाल-इंडिया थिंक टैंक शिखर सम्मेलन 2018" का आयोजन संयुक्त रूप से एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ डिप्लोमेसी एंड इंटरनेशनल अफेयर्स (AIDIA) तथा नेहरू मेमोरियल म्यूजियम लाइब्रेरी (NMML) द्वारा 31 जुलाई, 2018 को पहली बार काठमांडू, नेपाल में किया गया| इस सम्मेलन का आयोजन दोनों देशों के बीच अधिकाधिक सहयोग तथा ज्ञान साझा करने के साथ-साथ नीति निर्माताओं के बीच अंतराल को कम करने के लिये किया गया है|

प्रमुख बिंदु 

  • शिखर सम्मेलन में भाग लेने वाले संगठनों को वार्षिक भागीदार बनाए जाने का प्रस्ताव है और यह शिखर सम्मेलन क्रमशः नेपाल तथा भारत में प्रत्येक वर्ष वैकल्पिक रूप से आयोजित किया जाएगा।
  • नेपाल-भारत संबंध और क्षेत्रीय/अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उभरते महत्त्वपूर्ण मुद्दे प्रत्येक वर्ष शिखर सम्मेलन के विशिष्ट विषय होंगे।

नेपाल-इंडिया थिंक टैंक शिखर सम्मेलन 2018 का उद्देश्य 

  • दोनों देशों के थिंक टैंक के बीच संयुक्त घटनाओं/प्रकाशनों के लिये संसाधनों के साझाकरण पर संस्थागत सहयोग के माध्यम से नेटवर्क और आपसी समझ को मज़बूत करना।
  • थिंक टैंक के बीच सहयोग और ज्ञान साझाकरण को सुविधाजनक बनाना|
  • थिंक टैंक के कार्यों को प्रतिबिंबित करना तथा उनके सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करना| 
  • चूँकि नीति निर्माताओं को लगातार बढ़ती चुनौतियों का सामना करना पड़ता है तथा उन्हें आमतौर पर वर्तमान समय की राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक चुनौतियों से मुकाबला करने के लिये मजबूर किया जाता है, इसलिये इस पर विचार करने और आगे की योजना बनाने के लिये आमतौर पर कम समय होता है।
  • शिखर सम्मेलन का उद्देश्य नेपाल तथा भारत के संबंधों में बेहतर बदलाव लाने में थिंक टैंक के महत्त्व को प्रदर्शित करना है।

थिंक-टैंक के प्रतिभागी

  • नीति निर्माता
  • सरकार के प्रतिनिधि
  • राजनयिक मिशन
  • शिक्षाविद
  • व्यापार क्षेत्र 
  • मीडिया कर्मी, यह सभी सार्थक निष्कर्षों और सिफारिशों को आकर्षित करने के लिये खुले और तर्कसंगत संवाद में शामिल होंगे।

लक्ष्य 

इस वर्ष के शिखर सम्मेलन का मुख्य लक्ष्य दोनों देशों के थिंक-टैंक के बीच बहुआयामी सहयोग के माध्यम से भारत और नेपाल द्विपक्षीय संबंधों को बेहतर बनाना है। शिखर सम्मेलन के अन्य प्राथमिक लक्ष्य हैं:

  • भारत-नेपाल संबंधों को आकार देने में थिंक-टैंक की भूमिका का पता लगाना| 
  • भाग लेने वाले थिंक-टैंक के बीच संयुक्त आयोजनों को बढ़ावा देने और साक्ष्य-आधारित नीति निर्माण का समर्थन करने के लिये अनुसंधान, प्रकाशन, सूचना साझा करना, मानव संसाधन और वित्त संबंधी सक्रिय सहयोग को प्रोत्साहित करना|
  • नेपाल और भारत के थिंक टैंक तथा नीति निर्माताओं के सामने आने वाली संगठनात्मक और नीतिगत चुनौतियों के समाधान के लिये बेहतर समझ हासिल करना|
  • वर्तमान परिदृश्य में नेपाल और भारत के बीच राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा से संबंधित सबसे दबाव वाली नीतिगत चुनौतियों तथा द्विपक्षीय मुद्दों की पहचान करना और पारस्परिक समावेशी द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने के लिये इन चुनौतियों से निपटने के तरीके की खोज करना|

सामाजिक न्याय

अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लिये कोई क्रीमी लेयर मानक नहीं

चर्चा में क्यों?

सरकार ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि "क्रीमी लेयर" अवधारणा को अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (ST/SC) समुदायों पर लागू नहीं किया जा सकता है, जो सदियों से पीड़ित रहे हैं।

प्रमुख बिंदु 

  • भारत के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के नेतृत्व में पाँच न्यायाधीशों की  संविधान पीठ के समक्ष अटॉर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल ने तर्क देते हुए कहा कि अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति एक समरूप समूह है और आर्थिक या सामाजिक उन्नति के आधार पर उनके पुन: समूहन के लिये कोई कार्रवाई करना उचित नहीं होगा।
  • श्री वेणुगोपाल ने कहा कि एससी/एसटी की सूची में समुदायों को शामिल करने के लिये कठोर रूपरेखा निर्धारित की गई है।
  • उन्होंने न्यायालय को बताया कि अनुसूचित जाति की सूची में समुदायों को शामिल करने के लिये  एक महत्त्वपूर्ण निर्धारक अस्पृश्यता का पारंपरिक तौर पर उपयोग किया जाता है|
  • वेणुगोपाल से पूछा गया था कि क्या क्रीमी लेयर सिद्धांत को लागू करके उन लोगों को लाभ से वंचित किया जा सकता है जो इससे बाहर आ चुके हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि एससी/एसटी समुदाय के पिछड़े लोगों तक आरक्षण का लाभ पहुँच सके|
  • पीठ में न्यायमूर्ति कुरियन जोसफ, न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा शामिल हैं|
  • पाँच न्यायाधीशों की पीठ यह देख रही है कि सरकारी नौकरियों में पदोन्नति के मामले में आरक्षण के संबंध में ‘क्रीमी लेयर’ से जुड़े उसके 12 वर्ष पुराने फैसले को सात सदस्यीय पीठ द्वारा फिर से देखने की जरूरत तो नहीं है|    

नागराज केस 

  • सरकार नागराज मामले में 2006 के फैसले को रद्द करने के लिये सुप्रीम कोर्ट के एक बड़े बेंच में जाना चाहती है।
  • एससी-एसटी को प्रोन्नति में आरक्षण देने के एम नागराज के फैसले में 2006 में पाँच जजों ने संशोधित संवैधानिक प्रावधान अनुच्छेद 16(4)(ए), 16(4)(बी) और 335 को तो सही ठहराया था लेकिन कोर्ट ने कहा था कि एससी-एसटी को प्रोन्नति में आरक्षण देने से पहले सरकार को उनके पिछड़ेपन और अपर्याप्त प्रतिनिधित्व के आँकड़े जुटाने होंगे।
  • इस मामले में न्यायालय ने कहा था कि राज्य अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों को सरकारी नौकरी के दौरान पदोन्नति में आरक्षण तभी दे सकती है जब आँकड़ों के आधार पर यह तय हो कि उनका प्रतिनिधित्व कम है|

सरकार की राय

  • अटॉर्नी जनरल ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 341 व 342 में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजातियों आदि को निर्धारित करने के लिये राष्ट्रपति को सशक्त किया गया है। एजी ने ज़ोर देकर कहा कि  नौकरियों में पदोन्नति अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजातियों के लिये “आनुपातिक प्रतिनिधित्व” के आधार पर होना चाहिये। 
  • न्यायालय ने कहा कि सरकार की राय मात्रात्मक डेटा पर आधारित हो तभी प्रोन्नति के लिये विचार होना चाहिये| न्यायालय ने पूछा कि क्या क्रीमी लेयर को बाहर रखना चाहिये| सरकार को इस मुद्दे पर विचार करना चाहिये|
  • हालाँकि एजी ने कहा कि एससी/एसटी जो सदियों से भेदभाव के शिकार हैं, अनुच्छेद 16 (4) (ए) के तहत सकारात्मक कार्रवाई के हिस्से के रूप में पदोन्नति में आरक्षण के हकदार हैं। 
  • वेणुगोपाल ने न्यायालय को बताया कि सरकार सार्वजनिक नौकरियों में एससी/एसटी के पदोन्नति के लिये 22.5% (अनुसूचित जातियों के लिये 15% तथा  अनुसूचित जनजातियों के लिये 7%) पदों को आरक्षित करना चाहती है।

भारतीय अर्थव्यवस्था

घरेलू संवृद्धि दर मज़बूत बनी रहेगी

चर्चा में क्यों?

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के गवर्नर उर्जित पटेल के अनुसार, घरेलू संवृद्धि दर अच्छे मानसून के कारण उचित रूप से मज़बूत बनी रहेगी जो कि इस महीने की शुरुआत में हुई मौद्रिक समिति की बैठक की रिपोर्ट में अब तक सामान्य मानी जा रही थी। यह कृषि क्षेत्र के लिये एक शुभ संकेत है।

प्रमुख बिंदु 

  • रिज़र्व बैंक के गवर्नर के अनुसार, विनिर्माण क्षेत्र मज़बूत रहा है और विगत कुछ महीनों में सेवाओं की गतिविधि के कई उच्च आवृत्ति संकेतक तेज़ी से बढ़े हैं। 
  • बढ़ते व्यापार संरक्षणवाद के कारण भारत के निर्यात में कमी आने से घरेलू निवेश और संवृद्धि की संभावनाओं पर असर पड़ सकता है।
  • 1 अगस्त को हुई बैठक में आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर को 7.4% के अपने पूर्वानुमान पर बरकरार रखा और 2019-20 की पहली तिमाही के लिये 7.5% की दर का अनुमान लगाया।
  • ध्यातव्य है कि गृह किराया भत्ते के प्रभाव को छोड़कर, उपभोक्ता मूल्य मुद्रास्फीति ने जून माह में लगातार तीसरे महीने में बढ़त हासिल की। 
  • खरीफ फसलों के लिये किये गए न्यूनतम समर्थन मूल्य में बदलाव से मुद्रास्फीति पर पड़ने वाले प्रभाव में अनिश्चितता देखी गई। इन पर पड़ने वाले प्रभावों की स्पष्ट तस्वीर आने वाले कुछ महीनों में दिखने की संभावना व्यक्त की गई है।
  • 1 अगस्त को आरबीआई ने बेंचमार्क रेपो दर में 25 आधार अंकों (BPS) की बढ़ोत्तरी की थी, जहाँ मौद्रिक समिति के छह में से पाँच सदस्यों ने वृद्धि के लिये मतदान किया था।

अन्य जोखिम 

  • रिज़र्व बैंक द्वारा किये गए परिवार संबंधी मुद्रास्फीति प्रत्याशा सर्वेक्षण (IES) के पिछले तीन दौरों में 3 महीने और 12 महीने आगे की मुद्रास्फीति की प्रत्याशा में क्रमशः 110 बीपीएस और 150 बीपीएस के वृद्धि की उम्मीद है।
  • यह भी ध्यान देने योग्य है कि मई और जून माह के लिये मासिक हेडलाइन मुद्रास्फीति आरबीआई द्वारा अनुमानित मुद्रास्फीति की अपेक्षा कम हो गई।

भारतीय अर्थव्यवस्था

88% ग्रामीण परिवारों के पास बचत बैंक खाता लेकिन पेंशन और बीमा तक पहुँच कम: नाबार्ड

चर्चा में क्यों?

नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट (नाबार्ड) द्वारा किये गए एक वित्तीय समावेशन सर्वेक्षण के अनुसार, 88 प्रतिशत से अधिक ग्रामीण परिवारों के पास बैंक खाते हैं लेकिन निवेश के स्तर तथा पेंशन और बीमा तक पहुँच बहुत कम है। साथ ही वित्तीय समावेशन सर्वेक्षण 2016-17 के अनुसार, ऋणग्रस्तता का स्तर भी उच्च पाया गया जो कि लगभग वार्षिक आय के बराबर था।

सर्वेक्षण के प्रमुख बिंदु

कृषक परिवारों ने गैर-कृषक परिवारों से अधिक धन अर्जित किया

सर्वेक्षण के अनुसार, ग्रामीण परिवारों की वार्षिक आय  96,708 रुपए थी। इनमें से कृषक परिवारों  की औसत वार्षिक आय 107,172 रुपए जबकि गैर-कृषक परिवारों की औसत वार्षिक आय  87,228 रुपए थी।

अधिकांश कृषक परिवारों की ऋणग्रस्तता उनकी वार्षिक आय के बराबर

  • अधिकांश कृषक परिवारों की ऋण राशि उनकी वार्षिक आमदनी के बराबर ऋण थी। 
  • सर्वेक्षण किये कुल कृषक परिवारों में आधे से अधिक परिवार ऋण से ग्रस्त थे।
  • इन परिवारों का औसत बकाया ऋण 1.04 लाख रुपए था, लेकिन अधिकांश धन उधारदाताओं की बजाय वित्तीय संस्थानों से उधार लिया गया था।

किसानों की आय में वृद्धि

  • अखिल भारतीय वित्तीय समावेशन सर्वेक्षण (All India Financial Inclusion Survey -NAFIS) के अनुसार, किसानों की वार्षिक आय में 2012-13 की तुलना में 2015-16 के बीच 37.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
  • 2015-16 में वार्षिक आय 1,07,172 रुपए थी, जबकि NSSO के आखिरी सर्वेक्षण (2012-13 में) के अनुसार ने इसे 77, 977 रुपए रखा गया था।
  • पंजाब, हरियाणा और केरल के ग्रामीण परिवारों की औसत मासिक आय क्रमश: 23,133 रुपए, 18,496 रुपए और 16, 927 रुपए है।
  • उत्तर प्रदेश में ग्रामीण परिवारों की आय 6,668 रुपए प्रतिमाह के निम्न स्तर पर है।
  • आंध्र प्रदेश में आय के मुकाबले व्यय अधिक होने के कारण ग्रामीण परिवार को प्रति माह 95 रुपए का अत्यंत कम औसत अधिशेष मिलता है।
  • सभी प्रकार के व्यय (जैसा कि एनएसएसओ द्वारा परिभाषित किया गया है इसमें भूमि की खरीद, भवन निर्माण, ब्याज और बीमा प्रीमियम भुगतान जैसे खर्च शामिल नहीं हैं) को पूरा करने के बाद बिहार में एक परिवार 262 रुपए प्रतिमाह की बचत करता है।
  • उत्तर प्रदेश के लिये यह आँकड़ा 315 रुपए प्रतिमाह है।

बीमा कवर तथा पेंशन तक पहुँच

  • सर्वेक्षण के अनुसार, चार घरों में से केवल एक के पास बीमा क्षेत्र तक पहुँच है। 
  • पाँच परिवारों में से केवल एक परिवार की किसी भी प्रकार की पेंशन तक पहुँच है।

सर्वेक्षण के बारे में

  • नाबार्ड द्वारा किया गया यह अपनी तरह का पहला सर्वेक्षण था।
  • इस सर्वेक्षण में 2015-16 को संदर्भ वर्ष के रूप में माना गया है।
  • इस पूरी प्रक्रिया में 1,87,518 की आबादी शामिल थी।
  • सर्वेक्षण में ऋण, बचत, निवेश, पेंशन, बीमा और प्रेषण सहित वित्तीय समावेशन के सभी पहलुओं को शामिल किया गया है।

नाबार्ड (National Bank for Agriculture and Rural Development- NABARD)

  • यह कृषि और ग्रामीण विकास के लिये शीर्ष विकास बैंक के रूप में कार्य करता है। 
  • शिवरमन समिति की सिफारिशों के आधार पर संसद के एक अधिनियम द्वारा 12 जुलाई, 1982 में इसकी स्थापना की गई थी। 
  • इसे समन्वित ग्रामीण विकास के संवर्धन और समृद्धि हासिल करने के लिये कृषि, लघु उद्योगों, कुटीर एवं ग्रामोद्योगों, हस्तशिल्प, ग्रामीण शिल्प और ग्रामीण क्षेत्रों में अन्य अनुषंगी आर्थिक गतिविधियों के लिये ऋण उपलब्ध कराने एवं उसका विनियमन करने का अधिदेश दिया गया है।

अंतर्राष्ट्रीय संबंध

क्या है अमेरिकी अंतरिक्ष बल?

चर्चा में क्यों?

हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा वर्ष 2020 तक सशस्त्र बालों की छठी शाखा के रूप में अमेरिकी अंतरिक्ष बल का निर्माण करने की घोषणा की गई थी जिसने पूरी दुनिया का ध्यान आकर्षित किया। 

अमेरिकी अंतरिक्ष बल

  • अंतरिक्ष बल (Space Force) अमेरिकी सेना का एक नया विभाग होगा, जिसे ट्रंप ने "अलग लेकिन समान" (separate but equal) बताया है। 
  • सेना, नौसेना, नौसैनिक टुकड़ी, तटरक्षक और वायु सेना के बाद यह छठी सेवा होगी।
  • योजना के अनुसार, अंतरिक्ष बल में तीन इकाइयाँ शामिल होंगी। युद्ध संबंधी ऑपरेशंस की निगरानी के लिये स्पेस कमांड का नेतृत्व सबसे वरिष्ठ जनरल (four-star general) द्वारा किया जाएगा।
  • स्पेस डेवलपमेंट एजेंसी नई प्रौद्योगिकियों की पहचान और विकास का कार्य करेगी।
  • तीसरी इकाई स्पेस ऑपरेशंस फोर्स है, जिसका गठन नेताओं और सेनानियों की विशेषज्ञता के आधार पर किया गया है।
  • अमेरिकी  उप रक्षा सचिव के अनुसार, space फोर्स के गठन में अरबों रुपए खर्च होंगे।

अंतरिक्ष बल स्थापित करने का उद्देश्य

  • अमेरिका द्वारा अंतरिक्ष बल स्थापित करने का उद्देश्य अंतरिक्ष में अमेरिकी क्षमता तथा प्रभुत्व को स्थापित करने के साथ ही चीन तथा रूस की अंतरिक्ष ताकतों को छोटा साबित करना है।

यूएस एयर फोर्स स्पेस कमांड 

  • वर्तमान में अंतरिक्ष शक्ति तथा वायुसेना साइबर वारफेयर की निगरानी अमेरिका के एयर फोर्स स्पेस कमांड (US Air Force Space Command) द्वारा की जाती है।
  • इसमें लगभग 38,000 कर्मचारी हैं जो 185 सैन्य उपग्रह प्रणालियों का संचालन करते हैं।
  • अंतरिक्ष बल के गठन के बाद यह विभाग भी अंतरिक्ष बल के दायरे में आ जाएगा।
  • अंतरिक्ष बल उपग्रहों का उपयोग करके संचार तथा नौपरिवहन प्रणाली को मज़बूत करेगा और विरोधियों का मुकाबला करने हेतु खुफिया जानकारी प्रदान करके सेना के अन्य भागों की भी सहायता करेगा।

अमेरिका में सेना गठित करने की प्रक्रिया

  • एक अंतरिक्ष बल के गठन के प्रस्ताव को मंज़ूरी मिलने और इसका परिचालन करने में कई वर्षों का समय लग सकता है। 
  • अमेरिकी संविधान के अनुसार, सेनाओं के गठन और उन्हें समर्थन देने की ज़िम्मेदारी कॉन्ग्रेस की है। 
  • सेना और नौसेना, अमेरिकी सेना की पहली दो शाखाएँ, संविधान में निहित हैं। 
  • अंतिम इकाई वायु सेना, जिसका गठन द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद 1947 में तब किया गया था, जब कॉन्ग्रेस ने राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (National Security Act) पारित किया, ताकि देश के सैन्य विभागों को पुनर्गठित किया जा सके और वायु संचालन को एक अलग विभाग के रूप में शामिल किया जा सके।

जैव विविधता और पर्यावरण

जैव विविधता प्रदर्शन केंद्र

चर्चा में क्यों?

ओडिशा सरकार भीतरकणिका में दंगमाल के निकट एक विश्व स्तरीय प्रदर्शन केंद्र स्थापित करने जा रही है। इसके माध्यम से ओडिशा सरकार द्वारा मगरमच्छों के संरक्षण और समृद्ध जैव विविधता की रक्षा हेतु किये गए प्रयासों को दिखाया जाएगा।

प्रमुख बिंदु

  • परियोजना को एकीकृत तटीय क्षेत्र प्रबंधन परियोजना के तहत अनुमोदित किया गया है, जिसकी अनुमानित लागत 3 करोड़ रुपए होगी।
  • यह परियोजना पर्यटकों को आकर्षित करने के साथ-साथ विद्यार्थियों के लिये पर्यावरण अध्ययन केंद्र के रूप में भी होगी।
  • भीतरकणिका राज्य के बेहतरीन जैव विविधता हॉटस्पॉट में से एक है, जहाँ लगभग एक लाख पर्यटक प्रतिवर्ष आते हैं और हाल ही में यहाँ आगंतुकों की संख्या में बढ़ोतरी देखने को मिली है।
  • यह पार्क अपने हरे मैंग्रोव, प्रवासी पक्षियों, कछुओं, एस्चुराइन मगरमच्छों और अनगिनत क्रीक के लिये प्रसिद्ध है। 
  • ऐसा माना जाता है कि भीतरकणिका देश के 70% एस्चुराइन या खारे पानी के मगरमच्छों का आवास है। इसकी सुरक्षा का प्रयास 1975 में शुरू हुआ था।

जैव-कवच (Bio-shield)

  • 1999 में जब ओडिशा का तटीय क्षेत्र भीषण चक्रवात की वज़ह से तहस-नहस हो गया था तो समृद्ध मैंग्रोव वनों ने जैव ढाल के रूप में कार्य किया था और मैंग्रोव-वैन क्षेत्रों में चक्रवात का बहुत कम प्रभाव पड़ा था।
  • कालिभंजदिया द्वीप (Kalibhanjdia Island) 8.5 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला भीतरकणिका के नज़दीक एक स्थान है। इसने बड़ी मात्रा में विदेशी वैज्ञानिकों का ध्यान आकर्षित किया है, क्योंकि यहाँ दुनिया के कुल मैंग्रोव प्रजातियों का 70% हिस्सा मौज़ूद है।

प्रारंभिक परीक्षा

प्रीलिम्स फैक्ट्स: 17 अगस्त, 2018

अटल बिहारी वाजपेयी (1924-2018)

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर, 1924 को ग्वालियर में हुआ तथा उनका निधन 16 अगस्त, 2018 को भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS), नई दिल्ली में  हुआ।

प्रमुख उपलब्धियाँ 

  • अटल बिहारी वाजपेयी 10 बार लोकसभा और 2 बार राज्यसभा के सदस्य चुने गए तथा वर्ष 1957 में पहली बार बलरामपुर संसदीय सीट से लोकसभा सदस्य चुने गए।
  • वाजपेयी तीन बार प्रधानमंत्री पद हेतु चुने गए थे पहली बार उनका कार्यकाल वर्ष 1996 में केवल13 दिनों का था, दूसरा कार्यकाल वर्ष 1998 से 1999 तक ग्यारह महीने की समयावधि के लिये और इसके बाद तीसरा कार्यकाल पूर्ण समयावधि यानी वर्ष 1999 से 2004 तक रहा।
  • गौरतलब है कि वर्ष 1999 से 2004 के दौरान पूर्णकालिक कार्यकाल पूरा करने वाले वे पहले गैर-कॉन्ग्रेसी प्रधानमंत्री बने।
  • मोरारजी देसाई के नेतृत्व वाली सरकार में 1977 से 1979 तक वे विदेश मंत्री भी रहे।
  • इस दौरान 4 अक्तूबर, 1977 को उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा को हिंदी में संबोधित किया और ऐसा करने वाले वाजपेयी पहले व्यक्ति थे।
  • वर्ष 2001 में वाजपेयी सरकार ने प्रसिद्ध सर्व शिक्षा अभियान शुरू किया था जिसका उद्देश्य प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना था।
  • उनके कार्यकाल के दौरान मई 1998 में भारत ने राजस्थान के पोखरण रेगिस्तान में पाँच भूमिगत परमाणु परीक्षण किये तत्पश्चात् भारत ने अपना पहला परमाणु परीक्षण (मुस्कुराते हुए बुद्ध) 1974 में आयोजित किया।
  • उन्हें पद्म विभूषण पुरस्कार तथा भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न ( वर्ष 2015 में) से भी सम्मानित किया गया था।
  • उनके जन्मदिन 25 दिसंबर को 'सुशासन दिवस' घोषित किया गया था।

SWAT टीम

  • भारत की पहली, पूर्ण रूप से महिलाओं द्वारा संचालित SWAT टीम को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर ऐतिहासिक लाल किले में सुरक्षा हेतु तैनात किया गया।
  • दिल्ली पुलिस की विशेष सेल के तहत आतंकवाद विरोधी उत्तरदायित्त्व के लिये इस टीम को एनएसजी द्वारा प्रशिक्षित किया गया है।
  • इस टीम की सभी 36 महिलाएँ पूर्वोत्तर से हैं और हाल ही इस टीम को दिल्ली पुलिस में शामिल किया गया था।
  • यह टीम AK-47 राइफल्स, MP5 मशीनगन, ग्लॉक 17 या 26 पिस्तौल और कॉर्नर शॉट डिवाइस जैसे अत्याधुनिक हथियारों से सुसज्जित हैं।

भारत का पहला आनुवंशिक संसाधन बैंक

  • हाल ही में राष्ट्रीय वन्यजीव आनुवंशिक संसाधन बैंक का उद्घाटन हैदराबाद, तेलंगाना में सेलुलर और आण्विक जीवविज्ञान (सीसीएमबी) प्रयोगशाला के केंद्र में किया गया।
  • यह भारत का पहला आनुवंशिक संसाधन बैंक है जहाँ आनुवंशिक सामग्री को भावी पीढ़ी के लिये संग्रहीत किया जाएगा।
  • इसका मुख्य उद्देश्य लुप्तप्राय और संरक्षित किये जाने योग्य जानवरों को संरक्षण प्रदान करना है। 

सीसीएमबी (CCMB)

  • यह आधुनिक जीवविज्ञान के अग्रगामी क्षेत्रों में शोध करने वाला एक प्रमुख अनुसंधान संगठन है।
  • इस अनुसंधान संगठन का उद्देश्य आधुनिक जीवविज्ञान के क्षेत्र में अग्रगामी एवं बहुआयामी शोधकार्य एवं उनके संभावित अनुप्रयोगों की खोज करना है। इसकी स्थापना दिनांक 01 अप्रैल, 1979 को हुई। 
  • इसकी स्थापना के समय सीसीएमबी क्षेत्रीय अनुसंधान प्रयोगशाला के रूप में की गई, किंतु बाद में CSIR द्वारा वर्ष 1978 में आधुनिक जीवविज्ञान के क्षेत्र में अग्रगामी एवं बहु-आयामी शोधकार्य के लिये इस केंद्र की स्थापना के प्रस्ताव को मंज़ूरी दी गई।
  • वर्ष 1981-82 के दौरान सीसीएमबी को एक पूर्ण विकसित राष्ट्रीय प्रयोगशाला का दर्जा दिया गया।

पिंगली वेंकैया

2 अगस्त को महान स्वंत्रता सेनानी और कृषि वैज्ञानिक पिंगली वेंकैया का 142वाँ जन्मदिवस मनाया गया। इस अवसर पर 142 मीटर लंबे राष्ट्रीय ध्वज के साथ एक रैली भी निकाली गई। उल्लेखनीय है कि पिंगली वेंकैया को राष्ट्र ध्वज को डिज़ाइन करने के लिये जाना जाता है। 

  • पिंगली वेंकैया का जन्म आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में हुआ था। 
  • उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा भटाला पेनमरू और मछलीपट्टनम से प्राप्त की थी।
  • वेंकैया ने 19 साल की उम्र में अफ्रीका में एंग्लो बोअर युद्ध के दौरान ब्रिटिश सेना में सैनिक के रूप में कार्य किया। वहीँ ये महात्मा गांधी से मिले और उनके विचारों से प्रभावित हुए।
  • उन्हें भूविज्ञान और कृषि क्षेत्र से विशेष लगाव था।
  • 1906 से 1911 तक पिंगली ने मुख्य रूप से कपास की फसल की विभिन्न किस्मों का तुलनात्मक अध्ययन किया और बॉम्वोलार्ट कंबोडिया कपास पर अपना एक अध्ययन प्रकाशित किया। 
  • वे संस्कृत, उर्दू और जापानी का अध्ययन करने के लिये लाहौर के एंग्लो वैदिक स्कूल में भी गए।
  • 1918 से 1921 के बीच वेंकैया ने कॉन्ग्रेस के हर सत्र में स्वयं का ध्वज रखने का मुद्दा उठाया।
  • प्रारंभ में वेंकैया ने ध्वज में केवल लाल और हरे रंग का प्रयोग किया  जो क्रमशः हिंदू तथा मुसलमान समुदायों का प्रतिनिधित्व करते थे। लेकिन बाद में इसके केंद्र में एक चरखा और तीसरे रंग (सफेद) को भी शामिल किया गया। 
  • 1931 में कॉन्ग्रेस ने कराची के अखिल भारतीय सम्मेलन में केसरिया, सफ़ेद और हरे तीन रंगों से बने इस ध्वज को सर्वसम्मति से स्वीकार किया। 
  • इनकी मृत्यु 4 जुलाई, 1963 को हुई।
  • वर्ष 2009 में उन्हें सम्मान देते हुए भारत सरकार द्वारा उनके नाम पर डाक टिकट भी जारी किया गया।

तेलंगाना में बनेगा भारत का पहला ब्लॉकचेन ज़िला

हाल ही में तेलंगाना सरकार ने भारत का पहला ब्लॉकचेन ज़िला लॉन्च करने हेतु टेक महिंद्रा न्यूक्लियस विज़न और इलेवन 01 फाउंडेशन के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये।

  • ब्लॉकचेन ज़िला ब्लॉकचेन उत्कृष्टता का ऐसा केंद्र होगा जो भारत के ब्लॉकचेन स्टार्टअप व कंपनियों के विकास को प्रोत्साहन प्रदान करेगा।
  • इस समझौते के तहत ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी के विकास के लिये पूरा पारितंत्र प्रदान किया जाएगा।
  • सरकार के साथ करार करने वाली कंपनियाँ ब्लॉकचेन ज़िले के प्रमुख संस्थापक साझेदार के रूप में काम करेंगी।

ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी

  • जिस प्रकार हज़ारों-लाखों कंप्यूटरों को आपस में जोड़कर इंटरनेट का अविष्कार हुआ, ठीक उसी प्रकार डाटा ब्लॉकों (आँकड़ों) की लंबी श्रृंखला को जोड़कर उसे ब्लॉकचेन का नाम दिया गया है। 
  • ब्लॉकचेन तकनीक तीन अलग-अलग तकनीकों का समायोजन है, जिसमें इंटरनेट, पर्सनल 'की' (निजी कुंजी) की क्रिप्टोग्राफी अर्थात् जानकारी को गुप्त रखना और प्रोटोकॉल पर नियंत्रण रखना शामिल है।

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