क्राइस्टचर्च कॉल फॉर एक्शन/क्राइस्टचर्च कॉल टू एक्शन
चर्चा में क्यों ?
हाल ही में भारत ने क्राइस्टचर्च कॉल फॉर एक्शन/क्राइस्टचर्च कॉल टू एक्शन (Christchurch Call for Action/Christchurch Call to Action) पर हस्ताक्षर किये हैं जिसके अंतर्गत सोशल मीडिया पर चरमपंथी और हिंसक सामग्रियों को हटाने का प्रावधान किया गया है।
प्रमुख बिंदु
- फ्राँस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन और न्यूज़ीलैंड की प्रधानमंत्री जैकिंडा अर्डर्न द्वारा वैश्विक दस्तावेज़ पर पेरिस में हस्ताक्षर किये गए।
- इस दस्तावेज़ में सरकार और बड़ी तकनीकी कंपनियों दोनों ने साथ मिलकर हिंसक और चरमपंथी सामग्रियों के खिलाफ कड़े कदम उठाने की प्रतिबद्धता जताई।
- इस सम्मलेन में ब्रिटेन, फ्राँस, कनाडा,आयरलैंड, सेनेगल, इंडोनेशिया,जोर्डन एवं यूरोपियन यूनियन के नेताओं के साथ ही बड़ी तकनीकी कंपनियाँ जैसे- ट्विटर . गूगल, माइक्रोसॉफ्ट आदि शामिल हुए। भारत की तरफ से इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (Ministry of Electronics and Information Technology) के सचिव अजय प्रकाश साहनी ने भाग लिया।
- इस दस्तावेज़ का मुख्य उद्देश्य क्राइस्टचर्च हमलों के बाद "सरकारों और ऑनलाइन सेवा प्रदाताओं की सामूहिक एवं स्वैच्छिक प्रतिबद्धताओं पर बल देते हुए इंटरनेट पर आतंकवादी और हिंसक चरमपंथी सामग्री के प्रसार को रोकना है।
- फेसबुक ने भी लगातार आलोचनाएँ झेलने के पश्चात् प्रतिबंधों को कड़ा करने एवं चरमपंथी और हिंसक सामग्री को हटाने के लिये प्रौद्योगिकीय अनुसंधान हेतु 7.5 मिलियन डॉलर का सहयोग देने का वादा किया।
- हिंसक एवं चरमपंथी सामग्री को सोशल मीडिया से हटाने का मुद्दा बिअरित्ज़(Biarritz) में संपन्न हुए G-7 सम्मलेन एवं G-20 सम्मेलनों के प्रमुख मुद्दों में से एक था।
नैतिकता का सवाल
- यह आतंकवादी घटनाओं के ऑनलाइन प्रदर्शन को रोकने के लिये नैतिक मानकों को लागू करने हेतु मीडिया आउटलेट को प्रोत्साहित करता है।
- यह मीडिया को आतंकवादी और हिंसक चरमपंथी सामग्री को कठोरता से बाधित करने की हिदायत देता है।
- आतंकवादी और हिंसक चरमपंथी सामग्री को लाइव-स्ट्रीमिंग के माध्यम से प्रसारित किया जाता है, इस जोखिम को कम करने के लिये तत्काल और प्रभावी उपायों को लागू करने का निर्णय लिया गया था जिसमें वास्तविक समय पर समीक्षा के लिये सामग्री की पहचान भी शामिल है।
- फ्री स्पीच के मुद्दे के कारण अमेरिका ने चरमपंथ को रोकने वाले सबसे बड़े अभियान पर हस्ताक्षर करने से स्वयं को रोका है।
- स्वतंत्र, खुला और सुरक्षित इंटरनेट का प्रयोग सामाजिक समरसता और आर्थिक विकास में सहयोग करता है।
पृष्ठभूमि
यह समझौता 15 मार्च को मस्जिदों पर हुए हमलों की पृष्ठभूमि को ध्यान में रखकर किया गया था और इसका उद्देश्य चरमपंथियों के द्वारा इंटरनेट दुरुपयोग को रोकना है।
निष्कर्ष
वास्तव में, क्राइस्टचर्च कॉल फॉर एक्शन एक दुर्लभ उदाहरण है जहाँ सरकारों और निजी क्षेत्र के कर्मियों ने राष्ट्रहित की समान प्रतिज्ञा ली है। हालाँकि इस पर भाषण की स्वतंत्रता को लेकर आन्दोलनकर्त्ताओं को आपत्ति हो सकती है लेकिन इसके बढ़ते दुष्परिणामों को रोकने हेतु सभी देशों की सरकारों को इस प्रकार की सामग्रियों पर रोक लगाने के लिये ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
ऐसी सामग्रियों से प्रेरित होकर श्रीलंका के चर्च में ईस्टर रविवार (Easter Sunday) की प्रार्थना के दौरान और वर्ष 2016 में ढाका में होली आर्टिसन बेकरी पर आतंकी हमले किये गए।
स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया
डब्ल्यूएचओ ने डिमेंशिया के जोखिम को कम करने के लिये दिशानिर्देश जारी किये
चर्चा में क्यों?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने अगले 30 वर्षों में डिमेंशिया के रोगियों की संख्या में तीन गुना वृद्धि होने का अनुमान लगाया है तथा इस बावत चेतावनी जारी की है।
प्रमुख बिंदु
- इस बीमारी के खतरे को कम करने के लिये डब्ल्यूएचओ द्वारा नियमित व्यायाम करने, धूम्रपान न करने, शराब के सेवन से बचने, वजन को नियंत्रित करने, स्वस्थ आहार लेने तथा रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल और रक्त शर्करा के स्तर को सामान्य बनाए रखने की सलाह दी गई है।
- WHO के मुताबिक अगले तीन दशकों में डिमेंशिया के रोगियों की संख्या में तेज़ी से वृद्धि होने की संभावना है। हमें डिमेंशिया के जोखिम को कम करने के लिये सतर्क रहने की आवश्यकता है।
- इन दिशा-निर्देशों के लिये एकत्र किये गए वैज्ञानिक प्रमाण इस बात की पुष्टि करते हैं कि दिल और मस्तिष्क के लिये क्या अच्छा और क्या बुरा है।
क्या है डिमेंशिया?
- डिमेंशिया संज्ञानात्मक कार्य क्षमता (Cognitive Functions) का निरंतर कम होना है। यह दिमाग की बनावट में शारीरिक बदलावों (उम्र के बढ़ने) के परिणामस्वरूप होता है।
- ये बदलाव स्मृति, सोच, आचरण, बोधगम्यता तथा मनोभाव को प्रभावित करते हैं।
- डिमेंशिया विभिन्न प्रकार की बीमारियों जैसे- अल्जाइमर रोग या स्ट्रोक तथा चोटों के कारण होता है जो कि मस्तिष्क को प्रभावित करते हैं।
अध्ययन का आधार
- WHO के ये दिशा-निर्देश अध्ययन पर आधारित हैं जो स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के लिये महत्त्वपूर्ण हैं इसके माध्यम से रोगियों में संज्ञानात्मक गिरावट और डिमेंशिया को रोकने में मदद मिल सकती है।
- WHO ने ‘आई सपोर्ट’ (iSupport) कार्यक्रम तैयार किया है जो एक ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम है जिसके तहत देखभाल से संबंधित समग्र प्रबंधन, व्यवहार परिवर्तन से निपटने तथा स्वयं स्वास्थ्य की देखभाल करने की सलाह के साथ डिमेंशिया से पीड़ित लोगों की देखभाल की जाती है।
- डिमेंशिया के लिये जोखिम वाले कारकों में कमी लाना डब्ल्यूएचओ की वैश्विक कार्रवाई योजना में शामिल है।
- WHO के इस कार्यक्रम के अन्य क्षेत्रों में शामिल हैं- डिमेंशिया के लिये सूचना प्रणाली को मज़बूत करना, निदान, उपचार और देखभाल, डिमेंशिया के रोगियों की देख-रेख करने वालों की सहायता तथा अनुसंधान और नवाचार।
डिमेंशिया रोगियों का तेज़ी से बढ़ना
- डिमेंशिया तेज़ी से बढ़ती सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है जो विश्व स्तर पर लगभग 50 मिलियन लोगों को प्रभावित करती है। यह वृद्ध लोगों में अक्षमता और दूसरों पर निर्भरता का प्रमुख कारण है।
- प्रतिवर्ष इस रोग के लगभग 10 मिलियन नए मामले सामने आते हैं। इसके अतिरिक्त, यह बीमारी समाज पर एक भारी आर्थिक बोझ के रूप में उभर रही है। 2030 तक डिमेंशिया रोग से पीड़ितों की देखभाल की लागत सालाना 2 ट्रिलियन डॉलर तक बढ़ने का अनुमान है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) संयुक्त राष्ट्र संघ की एक विशेष एजेंसी है, जिसका उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य (Public Health) को बढ़ावा देना है।
- इसकी स्थापना 7 अप्रैल, 1948 को हुई थी। इसका मुख्यालय जिनेवा (स्विट्ज़रलैंड) में अवस्थित है। डब्ल्यू.एच.ओ. संयुक्त राष्ट्र विकास समूह (United Nations Development Group) का सदस्य है। इसकी पूर्ववर्ती संस्था ‘स्वास्थ्य संगठन’ लीग ऑफ नेशंस की एजेंसी थी।
- यह दुनिया में स्वास्थ्य संबंधी मामलों में नेतृत्व प्रदान करने, स्वास्थ्य अनुसंधान एजेंडा को आकार देने, नियम और मानक तय करने, प्रमाण आधारित नीतिगत विकल्प पेश करने, देशों को तकनीकी समर्थन प्रदान करने और स्वास्थ्य संबंधी रुझानों की निगरानी और आकलन करने के लिये ज़िम्मेदार है।
- यह आमतौर पर सदस्य देशों के साथ उनके स्वास्थ्य मंत्रालयों के ज़रिये जुड़कर काम करता है।
स्रोत : द हिंदू तथा विश्व स्वास्थ्य संगठन की ऑफिसियल वेबसाइट
कृत्रिम जीवन
चर्चा में क्यों ?
वैज्ञानिकों ने एक सजीव जीव का निर्माण किया है जिसका डीएनए पूर्णरूप से मानव-निर्मित है। विशेषज्ञों के अनुसार यह कृत्रिम जीव विज्ञान के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगा।
प्रमुख बिंदु
- कैंब्रिज विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्त्ताओं ने यह दावा किया है कि उन्होंने ई.कोलाई (Escherichia Coli) जीवाणु के डीएनए कोड का पुनर्लेखन कर लिया है।
- यह कृत्रिम जीनोम (Artificial Genome) पुराने जीनोमों (कृत्रिम जीनोम) की तुलना में अत्यधिक जटिल और चार गुना बड़ा है।
- कृत्रिम जीनोम की सहायता से निर्मित जीवाणु अभी जीवित है उसका आकार प्राकृतिक रूप से निर्मित जीवाणुओं की तरह अनिश्चित है और वह धीरे-धीरे जनन भी कर रहा है।
- इसकी कोशिकाएँ जैविक नियमों के एक नए सेट के अनुसार काम करती हैं एवं नव-निर्मित कृत्रिम आनुवंशिक कोड के अनुसार प्रोटीन निर्माण कर रहीं हैं।
- यह उपलब्धि ऐसे जीवों के निर्माण को प्रोत्साहित करेगी जिनके माध्यम से अनेक प्रकार की बहुमूल्य दवाओं का निर्माण किया जा सकेगा। साथ ही कृत्रिम जीवाणु के द्वारा मानव जीवन में आनुवंशिक कोड कब और कैसे आया इस बात का पता लगाने में सहायक होगा।
कृत्रिम जीनोम क्या है? (What is Synthetic Genome)
- जीनोम जीनों का समूह है एवं प्रत्येक जीन में चार क्षारक पाए जाते हैं। इन क्षारक अणुओं को एडनीन (Adenine), ग्वानीन (Guanine), थायमीन (Thymine) और साइटोसीन (Cytosine) कहते हैं (अधिकतर ये अपने प्रथम वर्ण से ही इंगित किये जाते है जैसे- A, G, T, C)।
- एक जीन हज़ारों क्षारकों से मिलकर बना होता है एवं जीन ही कोशिकाओं को 20 एमिनो अम्लों (प्रोटीन निर्माता तथा किसी कोशिका की संरचनात्मक ईकाई) में से किसी एक के चयन का निर्देश देते है।
प्रोटीन हमारे शरीर में अन्य कार्य भी करती है जैसे रक्त से ऑक्सीजन ढोने से लेकर पेशियों को बल प्रदान करना।
- नवीन विधियों से निर्मित ई. कोलाई का जीनोम नामक शोधपत्र नेचर (Nature) पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। इस शोधपत्र के अनुसार ई. कोलाई के जीनोम में लगभग 4 मिलियन क्षारकों को जोड़ा गया है।
- कोशिका में प्रत्येक एमिनो अम्ल के निर्माण के लिये तीन क्षारक डीएनए के स्ट्रैंड पर लगे होते हैं। प्रत्येक त्रि-कूट को कोडॉन (Codan) कहते हैं। उदाहरण के लिये, कोडॉन TCT, सेरीन (Serine) नामक एमिनो अम्ल को सूचित करता है कि वह किसी नए प्रोटीन के अंत में जुड़ेगा।
- हर एक कोशिका में केवल 20 एमिनो अम्ल पाए जाते हैं लेकिन उन्हें बनाने हेतु के मात्र 20 कोडॉन की ही आवश्यकता हो। ऐसा नहीं है क्योंकि आनुवंशिक कूट विविधताओं से भरा हुआ होता है जिस कारण से इसे कोई नहीं समझ पाता।
- एमिनो अम्ल 61 कोडॉनों की सहायता से सांकेतिक रूप में लिखा जाता है। उदहारण के लिये सेरीन के निर्माण हेतु 6 अलग कोडॉन हैं।
- उक्त विवरण के बाद यह प्रश्न उठता है कि क्या डीएनए के सभी टुकड़े जीवन के लिये उपयोगी हैं ? क्योंकि पृथ्वी पर उपस्थित सभी जीवों में 64 कोडॉन प्रयुक्त होते हैं। ऐसे में इस प्रश्न का जवाब ढूंढने के लिये वैज्ञानिकों ने प्राथमिक स्तर पर एक प्रयोग करते हुए कंप्यूटर पर ई.कोलाई के जीनोम को तैयार करते समय केवल 61 कोडॉनों की सहायता से सभी आवश्यक एमिनो अम्लों का निर्माण किया। इसमें सेरीन के निर्माण हेतु 6 नहीं बल्कि चार कोडॉनों का ही प्रयोग हुआ।
- हालाँकि इस संबंध में स्पष्ट रूप से कुछ भी कहना संभव नहीं है तथापि वैज्ञानिकों द्वारा शोध कार्य जारी है और भविष्य में इस संदर्भ में और अधिक प्रगति होने की संभावना है।
ई. कोलाई क्या है ?
ई. कोलाई की साधारणतः बहुत सी प्रजातियाँ पाई जाती हैं जिनमें से कुछ बहुत ज़्यादा हानिकारक होती हैं। इ.कोलाई हमारे शरीर की आँत में इंफेक्शन फैलाकर हानि पहुँचाता है। इसके साथ ही तालाब, झीलों, पोखरों में पाया जाता है।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
अनुच्छेद 324 और निर्वाचन आयोग की भूमिका
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारतीय निर्वाचन आयोग ने एक अभूतपूर्व आदेश पारित किया, जिसके तहत पश्चिम बंगाल में चुनावी कैंपेन को एक दिन पहले ही समाप्त कर दिया गया। इसके अलावा निर्वाचन आयोग ने पश्चिम बंगाल के गृह सचिव और एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को भी हटा दिया।
प्रमुख बिंदु
- गौरतलब है कि निर्वाचन आयोग ने कोलकाता में भाजपा और तृणमूल कॉन्ग्रेस के कार्यकर्त्ताओं के बीच हिंसक झड़प के जवाब में संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत ये निर्णय लिये।
- ध्यान देने वाली बात यह है कि पिछले दिनों निर्वाचन आयोग ने सर्वोच्च न्यायालय को बताया था कि जाति और धर्म के नाम पर मतदान की अपील करने वाले नेताओं के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई हेतु आयोग के पास शक्तियाँ सीमित हैं।
- सर्वोच्च न्यायालय की फटकार के पश्चात् निर्वाचन आयोग ने आचार संहिता का उल्लंघन करने के आरोप में योगी आदित्यनाथ, मेनका गांधी, आज़म खान और मायावती आदि नेताओं को कुछ समय के लिये चुनाव प्रचार करने से प्रतिबंधित कर दिया था।
निर्वाचन आयोग की स्वतंत्रता और ज़िम्मेदारी
- संविधान के भाग XV (निर्वाचन) में सिर्फ पाँच अनुच्छेद हैं। निर्वाचन आयोग के संबंध में संविधान सभा का ध्यान मुख्य रूप से इसकी स्वतंत्रता सुनिश्चित करने पर केंद्रित था।
- बाबासाहेब अम्बेडकर ने 15 जून, 1949 को उक्त अनुच्छेद प्रस्तुत करते हुए कहा था कि “पूरी निर्वाचन मशीनरी एक केंद्रीय निर्वाचन आयोग के हाथों में होनी चाहिए, जो रिटर्निंग ऑफिसर्स, मतदान अधिकारियों और अन्य को निर्देश जारी करने का हकदार होगा।”
- भारतीय संविधान के भाग 15 में अनुच्छेद 324 से लेकर अनुच्छेद 329 तक निर्वाचन की व्याख्या की गई है। अनुच्छेद 324 निर्वाचनों का अधीक्षण, निदेशन और नियंत्रण का निर्वाचन आयोग में निहित होना बताता है। संविधान ने अनुच्छेद 324 में ही निर्वाचन आयोग को चुनाव संपन्न कराने की ज़िम्मेदारी दी है।
- मोहिंदर सिंह गिल बनाम मुख्य निर्वाचन आयुक्त मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने व्यवस्था दी कि निर्वाचन आयोग संविधान सृजक के रूप में संसद द्वारा बनाए गए कानूनों की प्रतिपूर्ति वहाँ कर सकता है जहाँ कानून में भारत जैसे विशाल लोकतंत्र में चुनाव संचालन के दौरान उत्पन्न किसी स्थिति के संबंध में कोई पर्याप्त प्रावधान नहीं किया है। इन शक्तियों का उपयोग करते हुए आयोग आदर्श आचार संहिता लागू करता है।
पश्चिम बंगाल में निर्वाचन आयोग की भूमिका
- जनप्रतिनिधित्व (संशोधन) अधिनियम, 1988 (1989 का अधिनियम 1) के द्वारा जनप्रतिनिधित्व कानून, 1951 में धारा 28A को जोड़ा गया था जिसके तहत चुनाव के संचालन के लिये तैनात सभी अधिकारियों को चुनाव की अधिसूचना से लेकर परिणाम की घोषणा तक ‘निर्वाचन आयोग में प्रतिनियुक्ति पर माना जाएगा’ और ‘ऐसे अधिकारी उस अवधि के दौरान निर्वाचन आयोग के नियंत्रण, अधीक्षण और अनुशासन’ के अधीन होंगे।
- पश्चिम बंगाल की हालिया स्थिति (जो न तो नई थी और न ही चिंताजनक) मौजूदा कानूनों के दायरे में ही आती है और अनुच्छेद 324 के तहत निर्वाचन आयोग को प्रदत्त अतिरिक्त शक्ति लागू करने की कोई आवश्यकता नहीं थी।
- निर्वाचन आयोग ने अपने कर्त्तव्यों को निभाने में विफल रहने पर जाँच के आदेश देने की बजाय अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई कर दी, जो कि आवश्यक नहीं थी। ऐसा प्रतीत होता है कि निर्वाचन आयोग ने पहले छह चरणों के दौरान हिंसक घटनाएँ सामने आने के बावजूद पश्चिम बंगाल में पर्याप्त सावधानी नहीं बरती।
- जैसा कि सर्वोच्च न्यायालय ने रेखांकित किया है, पूर्ण शक्ति संविधानवाद का विलोम है। अनुच्छेद 324 निर्वाचन आयोग को संरक्षण प्रदान करता है, लेकिन इसे स्वयं कानून नहीं बनने देता।
निर्वाचन आयोग
- निर्वाचन आयोग एक स्थायी संवैधानिक निकाय है। संविधान के अनुसार निर्वाचन आयोग की स्थापना 25 जनवरी, 1950 को की गई थी।
- निर्वाचन आयोग से जुड़े उपबंधों का उल्लेख संविधान के अनुच्छेद 324 में है।
- प्रारंभ में आयोग में केवल एक मुख्य निर्वाचन आयुक्त था।
- वर्तमान में इसमें एक मुख्य निर्वाचन आयुक्त और दो निर्वाचन आयुक्त होते हैं।
- पहली बार दो अतिरिक्त आयुक्तों की नियुक्ति 16 अक्तूबर, 1989 को की गई थी लेकिन उनका कार्यकाल 01 जनवरी, 1990 तक ही चला।
- उसके बाद 01 अक्तूबर, 1993 को दो अतिरिक्त निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति की गई थी, तब से आयोग की बहु-सदस्यीय अवधारणा प्रचलन में है, जिसमें निर्णय बहुमत के आधार पर लिया जाता है।
- भारत के राष्ट्रपति द्वारा मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति की जाती है।
- निर्वाचन आयोग का अध्यक्ष मुख्य निर्वाचन आयुक्त होता है। वर्तमान में सुनील अरोड़ा मुख्य चुनाव आयुक्त हैं।
कार्य तथा शक्तियाँ
- यह भारत में चुनाव कार्य को निष्पक्ष रूप से संपन्न कराने के लिये उत्तरदायी है।
- इसे संसद, राज्य विधायिका और राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपति के पद हेतु चुनाव कार्य संपन्न कराने का ज़िम्मा दिया गया है।
- यह प्रत्येक चुनाव में राजनीतिक दलों के लिये आदर्श आचार संहिता लागू करता है ताकि लोकतंत्र की गरिमा कायम रहे।
- यह राजनीतिक दलों को विनियमित करता है तथा उन्हें चुनाव लड़ने के लिये पंजीकृत करता है।
- यह प्रत्येक चुनाव में प्रत्याशी द्वारा धन खर्च किये जाने की सीमा तय करता है।
- यह सुनिश्चित करता है कि सभी राजनीतिक दल अपनी वार्षिक एवं आर्थिक रिपोर्ट जमा करें।
- चुनाव के बाद दिशा-निर्देशों के उल्लंघन के मामले में यह सदस्यों को अयोग्य ठहरा सकता है।
जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951
- निर्वाचन आयोग का पर्यवेक्षक जो कि सरकार का अधिकारी होगा। किसी निर्वाचन क्षेत्र या निर्वाचन क्षेत्रों के समूह में निर्वाचन/निर्वाचनों के संचालन की निगरानी करेगा और ऐसे दायित्वों का पालन करेगा जो निर्वाचन आयोग द्वारा उसे सौंपे गए हैं।
- इस अधिनियम की धारा 169 के तहत निर्वाचन आयोग के परामर्श से केंद्र सरकार ने निर्वाचक पंजीकरण नियम 1961 बनाया हैं।
- इन कानून और नियमों में सभी चरणों में चुनाव आयोजित कराने, चुनाव कराने की अधिसूचना का मुद्दा, नामांकन पत्र दाखिल करना, नामांकन पत्रों की जाँच, उम्मीदवार द्वारा नाम वापस लेना, मतगणना और घोषित परिणाम के आधार पर सदनों के गठन के लिये विस्तृत प्रावधान किये गए हैं।
स्रोत-द इंडियन एक्सप्रेस
किशोरावस्था में गर्भधारण तथा बच्चों का अवरुद्ध विकास
चर्चा में क्यों?
- अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान (IFPRI) के अध्ययन के अनुसार, भारत में किशोर माताओं से पैदा होने वाले बच्चे वयस्क माताओं से पैदा होने वाले बच्चों की तुलना में अधिक अवरुद्ध विकास वाले (Stunted) होते हैं।
- दुनिया में सबसे अधिक अवरुद्ध विकास वाले बच्चों की संख्या भारत में है। साथ ही भारत किशोर गर्भावस्था के सबसे बड़े बोझ वाले 10 देशों में से एक है।
- शोधकर्त्ताओं ने चौथे भारतीय राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के आँकड़ों का विश्लेषण किया है।
- अनुसंधान में संभावित सामाजिक, जैविक और अन्य कारकों की जाँच की गई जो संभवतः प्रारंभिक गर्भावस्था और बच्चे के अवरुद्ध विकास में योगदान देते हैं।
अध्ययन के निष्कर्ष
- अध्ययन में वयस्क माताओं की तुलना में किशोर माताओं में पोषण की ख़राब स्थिति, कम शिक्षा, प्रसव-पूर्व स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच की कम संभावना तथा गरीबी की स्थिति अधिक देखी गई।
- वयस्क माताओं की तुलना में किशोर माताओं द्वारा जन्म दिये जाने वाले बच्चों में अवरुद्ध विकास तथा सामान्य से कम वजन (Underweight) की व्यापकता 10% अधिक पाई गई।
- पहली बार गर्भधारण करने वाली किशोर माताएँ वयस्क माताओं की तुलना में औसत रूप से छोटी और पतली थीं।
- वे बच्चों के अल्प विकास के साथ एनीमिया की समस्या से भी ग्रसित थीं।
- कम हीमोग्लोबिन का स्तर आयरन की कमी के कारण उत्पन्न होता है।
- गर्भावस्था से पहले और बाद में आयरन की कमी से माँ और शिशु के स्वास्थ्य पर गंभीर दुष्परिणाम होते हैं, जिनमें जन्म के समय सामान्य से कम वजन, क्षीण संज्ञानात्मक विकास तथा खराब प्रतिरक्षा प्रणाली शामिल है।
- स्वच्छता की कमी तथा जीवन यापन की दयनीय स्थिति बच्चों में संक्रमण की संभावना को बढ़ाती है जो अवरुद्ध विकास का कारण बनता है।
- किशोरावस्था में गर्भाधारण के परिणाम कभी-कभी घातक भी होते हैं।
- इससे स्कूल छोड़ने की प्रवृत्ति में वृद्धि, युवा महिलाओं की शिक्षा, आय और स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इसका नवजात बच्चे के खराब स्वास्थ्य के साथ महत्त्वपूर्ण संबंध होता है।
विश्व बैंक का अनुमान
- अनुमान है कि यदि किशोर गर्भावस्था का यही रुझान 2025 तक जारी रहता है तो 127 मिलियन भारतीय बच्चों का विकास अवरुद्ध हो जाएगा।
- मधुमेह जैसे अपक्षयी रोगों का बढ़ता जोखिम तथा बच्चों का अवरुद्ध विकास भविष्य की आजीविका और देश की आर्थिक प्रगति को प्रभावित करता है।
- विश्व बैंक के एक अनुमान के मुताबिक, बच्चों में अवरुद्ध विकास (stunting) से देश के सकल घरेलू उत्पाद में 3% तक की कमी आ सकती है।
बच्चों का अवरुद्ध विकास (Stunting)
- स्टंटिंग कुपोषण का एक भीषणतम रूप है, जिसकी चपेट में आने वाले बच्चों का उनकी उम्र के हिसाब से न तो वज़न बढ़ता है और न ही उनकी लंबाई बढ़ती है।
- लगातार डायरिया जैसे रोंगों से संक्रमित रहने के कारण बच्चों को पर्याप्त मात्रा में पोषण नहीं मिल पाता है, जिसके कारण वे स्टंटिंग के शिकार हो जाते हैं।
- स्टंटिंग या अवरुद्ध विकास का कारण भोजन में लंबे समय तक आवश्यक पोषक तत्त्वों की कमी और बार-बार होने वाला संक्रमण है।
- स्टंटिंग की समस्या आमतौर पर दो साल की उम्र से पहले होती है और इसके प्रभाव काफी हद तक अपरिवर्तनीय होते हैं। इसके कारण बच्चों का विकास देर से होता है, बच्चे संज्ञानात्मक कार्य में अक्षम होते है और स्कूल में उनका प्रदर्शन खराब होता है।
- विकासशील देशों में पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चों में से लगभग एक-तिहाई बच्चे स्टंटिंग से ग्रस्त हैं। भारत में स्टंटिंग से ग्रसित बच्चों की संख्या सर्वाधिक है।
अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान
- अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान (IFPRI) विकासशील देशों में गरीबी, भूख और कुपोषण को कम करने के लिये अनुसंधान आधारित नीतिगत समाधान प्रदान करता है।
- 1975 में स्थापित IFPRI में वर्तमान में 50 से अधिक देशों में काम करने वाले 600 से अधिक कर्मचारी हैं।
- यह अंतर्राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान के लिये सलाहकार समूह (CGIAR) का एक अनुसंधान केंद्र है, जो दुनिया भर में विकास के लिये कृषि अनुसंधान के कार्य से जुड़ा है।
आगे की राह
- शोधकर्त्ताओं के अनुसार किशोरावस्था में विवाह पर प्रतिबंध लगाना ही एक ऐसा उपाय है जिससे किशोर गर्भावस्था और बच्चे के अवरुद्ध विकास को रोका जा सकता है।
- किशोरावस्था में शादी को रोकने के लिये सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों को प्रभावी रूप से लागू करना।
- बिना शर्त नकद हस्तांतरण, स्कूल में नामांकन पर सशर्त नकद हस्तांतरण और रोज़गार हेतु प्रशिक्षण जैसे हस्तक्षेपों के माध्यम से निम्न और मध्यम आय वाले देशों में किशोर लड़कियों की शादी को रोकना संभव है।
- किशोरावस्था में विवाह पर रोक लगाने हेतु एक मज़बूत कानून समय की आवश्यकता है।
- भारत में एक लड़की की शादी की उम्र कानूनी तौर पर अभी भी 18 वर्ष है, इस रिपोर्ट के प्रकाश में इसकी समीक्षा की जानी चाहिये।
Rapid Fire करेंट अफेयर्स (17 May)
- भारतीय फिल्म और टेलीविज़न संस्थान (FTII), पुणे के पाँच पाठ्यक्रमों को अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) ने नवगठित व्यावहारिक कला और शिल्प श्रेणी में मंज़ूरी प्रदान की है। इस प्रकार FTII देश का पहला और एकमात्र संस्थान बन गया है, जिसे यह मान्यता मिली है। AICTE द्वारा मंज़ूर किये गए इन पाँच पाठ्यक्रमों में चार टेलीविजन (निर्देशन, इलेक्ट्रॉनिक सिनेमेटोग्राफी,वीडियो एडिटिंग और साउंड रिकॉर्डिंग) तथा एक फिल्म (फीचर फिल्म पटकथा लेखन) से संबंधित है। ज्ञातव्य है कि भारतीय विश्वविद्यालय संघ (AIU) ने जनवरी 2017 में FTII के छह PG डिप्लोमा फिल्म पाठ्यक्रमों को स्नातकोत्तर डिग्री की मान्यता दी है। इसके साथ FTII के सभी 11 पाठ्यक्रमों को या तो AIU या AICTE से मान्यता मिल गई है।
- दुनियाभर में 11 मई को विश्व प्रवासी पक्षी दिवस के रूप में मनाया गया। यह दिवस वर्ष में दो बार- मई और अक्तूबर माह के दूसरे शनिवार को आयोजित किया जाता है। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य प्रवासी पक्षियों के प्रति लोगों को जागरूक करना है। इस वर्ष इस दिवस की थीम Protect Birds: Be the Solution to Plastic Pollution! रखी गई है। गौरतलब है कि पक्षियों का प्रवास एक अद्भुत प्राकृतिक प्रक्रिया है। विभिन्न प्रवासी पक्षी प्रवास के लिये सैकड़ों-हज़ारों मील की दूरी की यात्रा तय करते हैं और किसी जलस्रोत (Water Body) के किनारे 3-4 महीनों के लिये डेरा डालने के बाद वापस वहीं लौट जाते हैं, जहाँ से वे आते हैं।
- भारत की जी.एस. लक्ष्मी अंतर्राष्ट्रीय पैनल में चुने जाने वाली ICC की पहली महिला मैच रेफरी बन गई हैं। 51 वर्षीय लक्ष्मी घरेलू महिला क्रिकेट में 2008-09 के दौरान मैच रेफरी की भूमिका निभा चुकी हैं। इसके अलावा वह अब तक महिलाओं के तीन एकदिवसीय और तीन टी-20 अंतर्राष्ट्रीय मैचों में रेफरी रह चुकी हैं। भारत में एक क्रिकेटर और मैच रेफरी के रूप में जी.एस. लक्ष्मी का लंबा करियर रहा है। गौरतलब है कि उनसे पहले इसी महीने ऑस्ट्रेलिया की क्लेयर पोलोसक ने पहली बार पुरुष एकदिवसीय मैचों के लिये पहली महिला अंपायर की भूमिका निभाई थी। इस तरह से इस पैनल में महिलाओं की संख्या सात हो गई है। लॉरेन एगेनबाग, किम कॉटन, शिवानी मिश्रा, सू रेडफर्न, मैरी वाल्ड्रान और जैकलिन विलियम्स इस पैनल में शामिल अन्य महिला रेफरी/अंपायर हैं। इस पैनल में शामिल होने वाली पहली महिला अंपायर कैथी क्रास थी जिन्होंने पिछले साल संन्यास ले लिया था।
- हाल ही में सिंगापुर में मंकीपॉक्स वायरस का अब तक का पहला मामला सामने आया है। बताया जा रहा है कि एक नाइजीरियाई इस बीमारी के वायरस को लेकर आया, जो एक पार्टी में बुशमीट खाकर इस दुर्लभ वायरस के संपर्क में आया था। गौरतलब है कि उष्णकटिबंधीय जंगलों में भोजन के तौर पर खाए जाने वाले गैर-पालतू स्तनधारियों, सरीसृपों, उभयचरों और पक्षियों के मांस को बुशमीट कहते हैं। मध्य और पश्चिमी अफ्रीका के कुछ हिस्सों में महामारी का रूप ले चुके मंकीपॉक्स के मनुष्यों में मिलने वाले लक्षणों में स्ट्रोक, बुखार, मांसपेशियों में दर्द और ठंड लगना शामिल है।
- संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने वर्ष 2020 में होने वाला उच्चस्तरीय महासागर सम्मेलन 2 से 6 जून तक पुर्तगाल के लिस्बन में आयोजित करने का फैसला किया है। इस सम्मेलन का आयोजन महासागरों, समुद्रों और समुद्री संसाधनों के सतत् उपयोग को बढ़ावा देने के लिये किया जाएगा। ज्ञातव्य है कि सतत् विकास लक्ष्य 14 के कार्यान्वयन, सतत विकास के लिये महासागरों, समुद्रों और समुद्री संसाधनों का संरक्षण और निरंतर उपयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से यह उच्चस्तरीय संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन आयोजित किया जाना है। UNGA ने यह भी फैसला किया है कि सम्मेलन में सभी संबंधित प्रक्रियाओं को अमल में लाने के लिये सरकारों, संयुक्त राष्ट्र प्रणाली, अंतर-सरकारी संगठनों को एक साथ लाया जाएगा।
- लगभग 35 हज़ार सहकारी संघों के संगठन इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइज़र को-ऑपरेटिव लिमिटेड (IFFCO) की 48वीं आमसभा की बैठक के दौरान 21 निदेशकों का चुनाव किया गया। इसके बाद इन निदेशकों ने अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष का चयन किया, जिसमें तीन दशक से सहकारिता आंदोलन से जुड़े बलविंदर सिंह नकई को अध्यक्ष तथा गुजरात के अमरेली से 4 बार सांसद रहे पूर्व मंत्री दिलीप संघानी को उपाध्यक्ष चुना गया। इफ्को दुनिया की सबसे बड़ी फर्टिलाइज़र को-ऑपरेटिव मानी जाती है। इफ्को ने वित्तीय वर्ष 2018-19 में 27852 करोड़ रुपए का कारोबार किया। IFFCO अपने पाँच संयंत्रों में उर्वरक का उत्पादन करती है। वित्तीय वर्ष 2018-19 में इसने 81.49 लाख मीट्रिक टन उर्वरकों का उत्पादन किया। विश्व की शीर्ष 300 सहकारी समितियों (GDP पर प्रति व्यक्ति आधार पर कारोबार) में इफ्को पहले स्थान पर है।
- सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस ए.के. सीकरी को न्यूज़ ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड अथॉरिटी (NBSA) का चेयरपर्सन नियुक्त किया गया है। वह 26 मई से अपना कार्यभार संभालेंगे। रिटायर्ड जस्टिस ए.के. सीकरी वर्तमान चेयरपर्सन रिटायर्ड जस्टिस आर.वी. रविंद्रन का स्थान लेंगे, जिनका कार्यकाल 25 मई को पूरा हो रहा है। आपको बता दें कि NBSA 24 घंटे समाचार प्रसारित करने वाले NBA के सदस्य चैनलों के स्वनियमन से जुड़ा एक स्वतंत्र निकाय है, जो NBA के किसी भी तरह के हस्तक्षेप से पूरी तरह मुक्त है।
- क्रोएशिया की विश्व कप टीम के सदस्य और पूर्व मैनेजर इगोर स्टिमैक को भारतीय फुटबॉल टीम का नया कोच नियुक्त किया है। अखिल भारतीय फुटबॉल संघ (AIFF) ने उनके साथ दो साल का अनुबंध किया है। स्टिमैक इससे पहले क्रोएशिया की राष्ट्रीय फुटबॉल टीम को को 15 महीने तक प्रशिक्षण दे चुके हैं। वह स्टीफन कॉन्सटेन्टाइन की जगह लेंगे। 1998 में तीसरे स्थान पर रही क्रोएशियाई टीम के सदस्य 51 वर्षीय स्टिमैक का चयन तकनीकी समिति ने किया । उनके अलावा अलबर्ट रोसा, ली मिंग-सुंग और हकन एरिक्सन भी कोच पद के दावेदार थे।