यूरोपियन निवेश बैंक का निर्णय
प्रीलिम्स के लिये:
यूरोपियन निवेश बैंक
मेन्स के लिये:
यूरोपियन निवेश बैंक की नई ऊर्जा ऋण नीति
चर्चा में क्यों?
हाल ही में यूरोपियन निवेश बैंक (European Investment Bank- EIB) ने अपनी नई ऊर्जा ऋण नीति के तहत वर्ष 2021 से जीवाश्म ईंधन परियोजनाओं का वित्तपोषण करने से मना कर दिया है।
मुख्य बिंदु:
- EIB की नई ऊर्जा ऋण नीति (Energy Lending Policy) को भारी समर्थन के साथ अनुमोदित किया गया है।
- यह नीति प्राकृतिक गैस के पारंपरिक उपयोग सहित विभिन्न जीवाश्म ईंधन परियोजनाओं की फंडिंग को प्रतिबंधित करेगा।
- यूरोपियन संघ (European Union-EU) के सभी सदस्य देशों द्वारा अनुमोदन किये जाने के एक वर्ष बाद यह निर्णय प्रभाव में आएगा।
नई उर्जा ऋण नीति से संबंधित अन्य तथ्य:
- EIB की नई ऊर्जा ऋण नीति के अनुसार, अब EIB फंडिंग के लिये आवेदन करने वाली उर्जा परियोजनाओं को यह प्रदर्शित करना होगा कि वे 250 ग्राम से कम कार्बन डाइऑक्साइड गैस का उत्सर्जन करते हुए एक किलोवाट/घंटे ऊर्जा का उत्पादन कर सकते हैं। इस कदम से पारंपरिक गैस द्वारा बिजली उत्पादन करने वाले संयंत्रों पर भी प्रतिबंध लग सकता है।
- EIB की इस नई उर्जा ऋण नीति के अनुसार, नवीन प्रौद्योगिकी पर आधारित गैस परियोजनाएँ अभी भी संभव हैं, जिनमें कार्बन अधिग्रहण और भंडारण की क्षमता, ताप एवं बिजली उत्पादन का संयोजन तथा जीवाश्म प्राकृतिक गैसों को नवीकरणीय ऊर्जा में मिश्रित करने जैसी तकनीकें विद्यमान हों।
- सभी पर्यावरणीय संगठनों ने EIB के इस निर्णय का सम्मान किया है।
- यूरोपियन संघ के सदस्य देशों के वित्त मंत्रियों ने हाल ही में हुई एक बैठक के दौरान जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने के लिये गैस, तेल और कोयला परियोजनाओं को दी जाने वाली फंडिंग को चरणबद्ध तरीके से रोकने का निर्णय लिया था।
- यूरोपियन संघ आयोग EIB में केवल एक पर्यवेक्षक की भूमिका निभाता है लेकिन यूरोपीय संघ के कार्यकारी निकाय EIB में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। वर्तमान में EIB के 28 शेयरधारक सदस्य हैं।
यूरोपियन निवेश बैंक
(European Investment Bank- EIB):
- EIB की स्थापना वर्ष 1958 में रोम की संधि के अस्तित्व में आने के बाद ब्रुसेल्स (Brussels) में हुई थी।
- वर्ष 1968 में इसका मुख्यालय ब्रुसेल्स से लक्ज़मबर्ग (Luxembourg) स्थानांतरित किया गया।
- EIB यूरोपीय संघ की एक ऋणदाता इकाई है जो विश्व स्तर पर बहुपक्षीय वित्तीय संस्थान के रूप में जलवायु वित्त के बड़े प्रदाताओं में से एक है।
स्रोत- द हिंदू
साइकिल उद्योग के लिये विकास परिषद
प्रीलिम्स के लिये:
साइकिल उद्योग के लिये विकास परिषद
मेन्स के लिये:
साइकिल उद्योग के लिये विकास परिषद स्थापित करने का उद्देश्य
चर्चा में क्यों?
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के उद्योग संवर्धन एवं आंतरिक व्यापार विभाग (Department for Prmotion of Industry and Internal Trade- DPIIT) द्वारा साइकिल उद्योग क्षेत्र के विकास के लिये एक विकास परिषद की स्थापना को मंज़ूरी दी गई है।
मुख्य बिंदु:
- DPIIT द्वारा हल्की. सुरक्षित, तेज़, मूल्यवर्द्धित और स्मार्ट साइकिलों के निर्माण की योजना बनाने के लिये विकास परिषद की स्थापना की गई है।
- इस विकास परिषद का उद्देश्य ऐसी साइकिलों का निर्माण करना है जो निर्यात और घरेलू स्तर पर प्रयोग के लिये वैश्विक मानकों के अनुरूप हों।
- इस 23 सदस्यीय विकास परिषद की अध्यक्षता DPIIT के सचिव द्वारा की जाएगी।
- इस विकास परिषद की कार्यावधि 2 वर्ष की होगी।
- DPIIT के प्रकाश अभियांत्रिकी प्रभाग (Light Engineering Industry Division) के संयुक्त सचिव इस विकास परिषद के सदस्य सचिव होंगे।
- इस विकास परिषद में विभिन्न मंत्रालयों तथा विभागों से संबंधित 9 पदेन सदस्य (Ex-officio Members) होंगे।
- इस विकास परिषद में सात डोमेन (Domain) विशेषज्ञ तथा चार नामांकित सदस्य होंगे।
साइकिल उद्योग के लिये स्थापित विकास परिषद निम्नलिखित गतिविधियों के माध्यम से ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम तथा साइकिल उद्योग को बढ़ावा देगी-
- विकास परिषद के माध्यम से साइकिल निर्माण क्षेत्र में प्रतिस्पर्ध्दा तथा सेवाओं के स्तर में सुधार करना।
- भारतीय साइकिल प्रौद्योगिकी तथा इसकी मूल्य श्रृंखला में बदलाव लाना।
- विभिन्न हितधारकों को समन्वित रूप से निरंतर प्रोत्साहन देते हुए समग्र पर्यावरण प्रणाली के विकास को सुनिश्चित करना।
- साइकिल की मांग बढ़ाने के लिये हरसंभव प्रयास करना तथा साइकिल उद्योग क्षेत्र में बुनियादी ढाँचे के विकास और इसके उचित संचालन को सुनिश्चित करना।
- विभिन्न योजनाओं और व्यापार अनुकूल नीतियों के माध्यम से साइकिल उद्योग क्षेत्र में निर्यात प्रतिस्पर्ध्दा बढ़ाना।
- स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय तथा आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा विभिन्न अभियान चलाकर क्रमशः स्वास्थ्य, वायु प्रदूषण से मुक्ति, ऊर्जा बचत, विसंकुचन से लाभ संबंधी जानकारी देकर लोगों को साइकिल के अविश्वसनीय लाभों की जानकारी देना।
- अभिनव योजनाओं के माध्यम से सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों को नए रूप में विकसित करना।
- साइकिल निर्माण और मरम्मत की दुकानों के लिये कुशल मानव संसाधन का विकास करना।
- भारत में साइकिल के निर्माण, पुनर्चक्रण और बुनियादी ढाँचा क्षेत्र के विकास के लिये अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सफल प्रयोगों और उदाहरणों की पहचान और अध्ययन करना।
स्रोत-PIB
OCSAE रोकथाम/जाँच इकाई
प्रीलिम्स के लिये
OCSAE रोकथाम/जाँच इकाई, CBI, इंटरपोल, पोक्सो अधिनियम
मेन्स के लिये:
बच्चों की सुरक्षा से संबंधित मुद्दे, यौन अपराध से संबंधित मुद्दे
चर्चा में क्यों?
केंद्रीय अन्वेक्षण/जाँच ब्यूरो (Central Bureau of Investigation-CBI) ने एक ऑनलाइन बाल यौन उत्पीड़न एवं शोषण (Online Child Sexual Abuse and Exploitation-OCSAE) रोकथाम/जाँच इकाई की स्थापना की है।
प्रमुख बिंदु
- CBI ने इंटरनेट पर चाइल्ड पोर्न के खतरे से निपटने के लिये नई दिल्ली में अपने विशेष अपराध क्षेत्र के तहत एक ऑनलाइन बाल यौन उत्पीड़न एवं शोषण रोकथाम/जाँच इकाई की स्थापना की है।
- जर्मनी पुलिस द्वारा अंतर्राष्ट्रीय बाल पोर्नोग्राफी (International Child Pornography) में शामिल सात भारतीय नागरिकों के बारे में जानकारी दिये के बाद यह कदम उठाया गया है, इस मामले की जाँच CBI द्वारा ही की जा रही है।
- हाल ही में CBI के सामने बाल यौन शोषण सामग्री (Child Sexual Abuse Material-CSAM) के प्रसार से संबंधित बहुत से पहलु सामने आए हैं जो इंटरपोल और अन्य राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय संगठनों द्वारा प्रदत्त जानकारी पर आधारित हैं।
प्रमुख विशेषताएँ
- यह इकाई, जो दिल्ली में CBI के विशेष अपराध क्षेत्र के तहत कार्य करेगी, ऑनलाइन बाल यौन उत्पीड़न और शोषण पर जानकारी एकत्र एवं प्रसारित करेगी।
- नई विशेष इकाई ऑनलाइन बाल यौन उत्पीड़न एवं शोषण जैसे अपराधों से संबंधित सूचनाओं के वितरण, प्रकाशन, प्रसारण, निर्माण, संग्रह, मांग, ब्राउज़िंग, डाउनलोडिंग, विज्ञापन, प्रचार, आदान-प्रदान आदि के संबंध में जानकारी एकत्र करेगी, उन्हें नष्ट करेगी तथा इस प्रकार के कार्यवाही का प्रचार करेगी।
- इस प्रकार के सभी अपराधों को भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code-IPC) 1860, पोक्सो (Protection of Children from Sexual Offences-POCSO) अधिनियम 2012 (2012 का 32) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (2000 का 21) तथा विभिन्न कानूनों (लागू होने के साथ ही) के तहत शामिल किया जाएगा।
प्रभाव क्षेत्र
- CBI के नई OCSAE रोकथाम/जाँच इकाई का प्रादेशिक क्षेत्राधिकार पूरे भारत में होगा।
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो
(Central Bureau of Investigation-CBI):
- CBI, कार्मिक विभाग, कार्मिक पेंशन तथा लोक शिकायत मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन कार्यरत एक प्रमुख अन्वेषण पुलिस एजेंसी है।
- यह नोडल पुलिस एजेंसी भी है, जो इंटरपोल के सदस्य-राष्ट्रों के अन्वेषण का समन्वयन करती है।
- एक भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसी से हटकर CBI एक बहुआयामी, बहु-अनुशासनात्मक केंद्रीय पुलिस, क्षमता, विश्वसनीयता और विधि के शासनादेश का पालन करते हुए जाँच करने वाली एक विधि प्रवर्तन एजेंसी है।
CBI का अधिकार क्षेत्र क्या है?
- 1946 के अधिनियम की धारा (2) के तहत केवल केंद्रशासित प्रदेशों में अपराधों की जाँच के लिये CBI को शक्ति प्राप्त है।
- हालाँकि केंद्र द्वारा रेलवे तथा राज्यों जैसे अन्य क्षेत्रों में उनके अनुरोध पर इसके अधिकार क्षेत्र को बढ़ाया जा सकता है।
- वैसे CBI केवल केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित मामलों की जाँच के लिये अधिकृत है।
- कोई भी व्यक्ति केंद्र सरकार, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और राष्ट्रीयकृत बैंकों में भ्रष्टाचार के मामले की शिकायत CBI से कर सकता है।
- इसके अलावा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामलों में CBI स्वयं कार्रवाई कर सकती है।
- जब कोई राज्य केंद्र से CBI की मदद के लिये अनुरोध करता है तो यह आपराधिक मामलों की जाँच करती है या तब जब सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय इसे किसी अपराध या मामले की जाँच करने का निर्देश देते हैं।
निष्कर्ष:
पिछले दो दशकों में इंटरनेट और सूचना एवं संचार उपकरणों के तेज़ी से हुए विकास ने न केवल वयस्कों बल्कि बच्चों के लिये भी उनके आसपास की दुनिया को और अधिक विस्तार से जानने, समझने के अद्वितीय अवसर प्रदान किये हैं। कई देशों में ये प्रौद्योगिकियाँ सर्वव्यापी रूप धारण कर चुकी हैं, ये हमारे जीवन के हर पहलू में शामिल हैं चाहे वह व्यक्तिगत हो अथवा पेशेवर या फिर सामाजिक। दिनोंदिन विकसित होती इन तकनीकों ने एक नया आयाम स्थापित कर लिया है, यदि मनमाने तरीके से इसके अनियंत्रित इस्तेमाल को प्रतिबंधित नहीं किया जाता है तो इससे बाल यौन शोषण के मामलों में कई गुना बढ़ोतरी कर सकता है।
स्रोत: द हिंदू
इंडिया स्किल्स 2020
प्रीलिम्स के लिये:
इंडिया स्किल्स 2020
मेन्स के लिये:
भारत में कौशल विकास की दिशा में किये गए कार्यों के संदर्भ में
चर्चा में क्यों?
कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय ने इंडिया स्किल्स (India Skills) 2020 प्रतियोगिता के लिये ऑनलाइन पंजीकरण शुरू करने की घोषणा की है।
प्रमुख बिंदु
- यह एक द्विवार्षिक प्रतियोगिता है, जिसके माध्यम से देश में प्रतिभाओं को खोजना और उन्हें राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में अपने कौशल का प्रदर्शन करने के लिये एक मंच प्रदान करना है।
- इंडिया स्किल्स, 2020 कुशल और प्रतिभाशाली भारतीय युवाओं को 50 से अधिक कौशल में क्षेत्रीय एवं राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन करने के लिये एक मंच प्रदान करता है।
- ज़िला, राज्य और क्षेत्रीय स्तर पर आयोजित कौशल प्रतियोगिताओं के बाद वर्ष 2020 में इंडिया स्किल्स नेशनल प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा।
- इंडिया स्किल्स के विजेताओं को वर्ष 2021 में चीन में आयोजित होने वाली वर्ल्ड स्किल्स इंटरनेशनल प्रतियोगिता में देश का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिलेगा।
- प्रतियोगिताओं का आयोजन राज्यों द्वारा किया जाएगा और राष्ट्रीय कौशल विकास निगम इसमें भागीदार होगा।
- इंडिया स्किल्स प्रतियोगिताओं के साथ, एम्बीलिम्पिक्स ओलंपिक प्रतियोगिता का भी आयोजन किया जाएगा, जिसे विशेष रूप विकलांग व्यक्तियों को अपनी अनूठी प्रतिभाएँदिखाने का अवसर देने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
वर्ल्ड स्किल्स इंटनेशनल, 2019 में भारत का प्रदर्शन
- इंडिया स्किल्स, 2018 के 22 विजेताओं और उनके विशेषज्ञों ने रूस के कज़ान में आयोजित वर्ल्ड स्किल्स इंटनेशनल, 2019 में अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन के साथ देश का प्रतिनिधित्व किया था।
- भारत ने इस प्रतियोगिता में एक स्वर्ण, एक रजत, दो कांस्य और 15 पदक जीते थे।
- वर्ल्ड स्किल्स इंटरनेशनल, 2019 में भाग लेने वाले 63 देशों में से भारत 13वें स्थान पर रहा। यह प्रतिष्ठित कौशल चैंपियनशिप में देश के लिये सबसे अच्छा स्थान है।
- इससे पहले इंडिया स्किल्स प्रतियोगिता, 2018 में आयोजित की गई थी, जिसमें 22 राज्यों और 100 से अधिक कॉर्पोरेटों ने भाग लिया, जिसने 355 प्रतियोगियों को विभिन्न कौशल प्रतियोगिताओं में अपने कौशल दिखाने का मौका मिला।
भारत को कौशल के मामले में विश्व की राजधानी बनाने की देश की प्रतिबद्धता के अनुरूप, इंडिया स्किल्स का उद्देश्य भारत में युवाओं की मदद करना है, जो इस मंच को अपनी प्रतिभा दिखाने के लिये अवसर के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं।
स्रोत: pib
मैच-फिक्सिंग : आपराधिक कृत्य
प्रीलिम्स के लिये:
श्रीलंका की भौगोलिक अवस्थिति
मेन्स के लिये:
मैच फिक्सिंग से संबंधित खेल विधेयक के प्रावधान
चर्चा में क्यों ?
दक्षिण एशियाई देशों में श्रीलंका पहला ऐसा देश है जिसने मैच-फिक्सिंग से संबंधित कृत्यों को आपराधिक घोषित कर किया है और अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (International Cricket Council-ICC) की भ्रष्टाचार-रोधी इकाई (Anti-Corruption Unit-ACU) द्वारा जाँच के बाद सख्त दंड का प्रावधान किया है।
प्रमुख बिंदु
- मैच-फिक्सिंग इंग्लैंड और आस्ट्रेलिया सहित क्रिकेट खेलने वाले अन्य देशों में भी गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है।
- श्रीलंका की संसद ने खेल विधेयक से संबंधित सभी तीन वाचनों को पारित कर दिया है। जो खेल में व्याप्त भ्रष्टाचार से निपटने के लिये 10 वर्ष तक का कारावास तथा 100 मिलियन श्रीलंकाई रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान करता है।
- नए कानून के अनुसार अधिक धन के लालच में यदि खेल से संबंधित कोई भी व्यक्ति जो सीधे ‘फिक्सिंग’ में शामिल है, ‘आतंरिक जानकारी’ साझा करता है, मैच फ़िक्सर के निर्देशों के अनुसार ‘पिच तैयार’ करता है और जो ‘जानबूझकर नियमों का दुरुपयोग करता हैं’ तो उसे दंडित किया जाएगा।
- नए कानून में तीन व्यापक श्रेणियों के तहत अपराध और दंड को सूचीबद्ध किया गया है-
- अपराध की पहली श्रेणी- इसमें फिक्सिंग, स्पॉट-फिक्सिंग, खेल से संबंधित आंतरिक जानकारी साझा करना ( प्रमाणिक मीडिया साक्षात्कार और वचनबद्धताओं के अलावा ), उपहार, भुगतान, लाभ जैसे कृत्यों के साथ-साथ ऐसे खिलाड़ी जो सट्टेबाज़ी में शामिल हैं, पैसे अथवा किसी अन्य लाभ के लिये नियमों का दुरुपयोग करते हैं, क्यूरेटर जो सट्टेबाज़ो के अनुसार पिच तैयार करते हैं या पैसे या अन्य किसी लाभ के लिये जानकारी प्रदान करते हैं आदि शामिल हैं । इस श्रेणी के अपराध के लिये 10 वर्ष तक का कारावास तथा 100 मिलियन श्रीलंकाई रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है ।
- अपराध की दूसरी श्रेणी- इसमें बिना उचित कारण के जाँचकर्त्ताओं के सामने पेश होने में असफल होना, जाँचकर्त्ताओं द्वारा किये गए किसी भी सवाल का जवाब देने से इनकार करना या असफल होना, जानबूझकर गलत या भ्रामक बयान देना, तथ्यों को छिपाना, झूठ बोलना,जाँच के प्रासंगिक सबूतों को नष्ट करना, भ्रष्टाचार की सूचना न देना आदि कृत्य आते हैं । इस श्रेणी के अपराध के लिये अधिकतम 3 वर्ष का कारावास और 2 लाख श्रीलंकाई रुपए तक जुर्माने का प्रावधान है ।
- अपराध की तीसरी श्रेणी- इसमें कोई भी सेवा प्रदाता या व्यक्ति जो किसी जाँच से संबंधित जानकारी या डेटा प्रदान करने में विफल रहता है । इस श्रेणी के अपराध के लिये अधिकतम 10 वर्ष तक के कारावास तथा 5 लाख श्रीलंकाई रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान है ।
खेल विधेयक लाने का कारण
- पिछले दो वर्षों से श्रीलंकाई क्रिकेट (Srilankan Cricket-SLC) भ्रष्टाचार और मैच फिक्सिंग के कई मामलों में उलझा हुआ है।
- पूर्व श्रीलंकाई बल्लेबाज सनथ जयसूर्या पर आईसीसी कोड के तहत आरोप लगने के बाद श्रीलंकाई क्रिकेट बोर्ड आईसीसी की भ्रष्टाचार-रोधी इकाई के दायरे में आ गया है । जयसूर्या पर मैच फिक्सिंग की जाँच में एजेंसी के साथ सहयोग करने में विफल रहने पर दो साल का प्रतिबंध लगाया गया था।
- इसके बाद पूर्व तेज़ गेंदबाज़ नुवान जोयसा को मैच फिक्सिंग में कथित संलिप्तता के कारण निलंबित कर दिया गया था।
- वर्ष 2018 में तेज़ गेंदबाज़ दिलहारा लोकुहेटगे को 2017 में एक टी -10 लीग मैच में भ्रष्टाचार के कारण निलंबित कर दिया गया था ।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
मधेपुरा इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव प्राइवेट लिमिटेड
प्रीलिम्स के लिये:
मधेपुरा इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव प्राइवेट लिमिटेड।
मेन्स के लिये:
भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश परियोजनाएँ।
चर्चा में क्यों?
भारतीय रेलवे ने मधेपुरा इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव प्राइवेट लिमिटेड (Madhepura Electric Locomotive Pvt. Ltd.-MELPL) के साथ खरीद-सह-रखरखाव समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं। यह भारतीय रेलवे और मेसर्स अल्सटॉम का एक संयुक्त उद्यम है।
परियोजना से संबंधित प्रमुख बिंदु
- किसी भी रेलवे द्वारा दुनिया में पहली बार बड़ी लाइनों के नेटवर्क पर इतनी अधिक हॉर्स पावर वाले लोकोमोटिव का परीक्षण किया जा रहा है।
- इस परियोजना के तहत बिहार के मधेपुरा में टाउनशिप के साथ यह फैक्टरी स्थापित की गई है, जहाँ प्रति वर्ष 120 लोकोमोटिव का निर्माण करने की क्षमता है।
- एक रखरखाव डिपो भी पहले ही सहारनपुर में स्थापित किया जा चुका है।
- नागपुर में दूसरे डिपो की स्थापना काम शुरू हो चुका है।
प्रमुख विशेषताएँ
- भारत और फ्राँस के 300 से भी अधिक अभियंता इस परियोजना पर बेंगलुरू, मधेपुरा और फ्राँस में काम कर रहे हैं।
- दो वर्षों की अवधि में 90 प्रतिशत से भी अधिक कलपुर्जों को भारत में निर्मित किया जाएगा। यह पूर्ण रूप से एक स्वदेशी परियोजना है। यह सही मायनों में ‘मेक इन इंडिया’ परियोजना है और यहाँ तक कि पहले लोकोमोटिव की असेम्बलिंग भी मधेपुरा फैक्टरी में हुई है।
- इस परियोजना से देश में 10,000 से भी प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोज़गार सृजित होंगे।
- इस परियोजना से मधेपुरा में फैक्टरी की स्थापना के साथ-साथ सामाजिक-आर्थिक विकास में भी तेज़ी आ रही है। कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व (Corporate Social Responsibility- CSR) की पहल के तहत मधेपुरा में कौशल केंद्र स्थापित किये जा रहे हैं, ताकि स्थानीय लोगों को प्रशिक्षण दिया जा सके।
- इस फैक्टरी में 50 प्रतिशत से भी अधिक स्थानीय लोगों की भर्ती की गई है। पूरी तरह से कार्यरत ‘चलते-फिरते हेल्थ क्लीनिक’ का संचालन मधेपुरा के आस-पास के गाँवों में किया जा रहा है।
परियोजना के लाभ
- भारतीय रेलवे ने 22.5 टन के एक्सल लोड से युक्त और 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार वाली 12,000 हॉर्स पावर के ट्विन बो-बो डिजाइन वाले लोकोमोटिव (Bo-Bo design Locomotive) को हासिल करने का निर्णय लिया है, जिसे बढ़ाकर 25 टन तक किया जा सकता है।
- यह लोकोमोटिव समर्पित माल-ढुलाई गलियारे के लिये कोयला चालित ट्रेनों की आवाजाही के लिये गेम चेंजर साबित होगा।
- इस परियोजना के सफल होने पर भारत सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम को काफी बढ़ावा मिलेगा।
- इससे लोकोमोटिव (रेल-इंजन) के कलपुर्जों के लिये सहायक इकाइयों (यूनिट) का और भी तेज़ी से विकास होगा।
- इस परियोजना से भारी माल वाली रेलगाडि़यों की त्वरित एवं सुरक्षित आवाजाही सुनिश्चित होगी।
- यह 100 किलोमीटर प्रति घंटे की अधिकतम गति से 6000T ट्रेनें चलाएगा।
- शत-प्रतिशत विद्युतीकरण होने से नया लोकोमोटिव न केवल रेलवे की परिचालन लागत कम करेगा, बल्कि भारतीय रेलवे को भीड़-भाड़ से भी मुक्ति दिलाएगा।
- इसका उपयोग कोयला एवं लौह अयस्क जैसी चीजों से युक्त भारी रेलगाडियों को चलाने में किया जाएगा।
पृष्ठभूमि
- भारतीय रेलवे की सबसे बड़ी FDI (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) परियोजना के तहत रेल मंत्रालय और अल्सटॉम ने भारत में भारी माल की ढुलाई से जुड़े परिदृश्य में व्यापक बदलाव लाने के लिये आपस में समझौता किया था।
- माल ढुलाई तथा इससे संबंधित रखरखाव हेतु 800 इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव के निर्माण के लिये 3.5 अरब यूरो के एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किये गए थे।
स्रोत: पी.आई.बी.
सांभर झील में पक्षियों की मौत
प्रीलिम्स के लिये-
सांभर झील की भौगोलिक अवस्थिति
मेन्स के लिये -
वन्यजीव संरक्षण की स्थिति का विश्लेषण
चर्चा में क्यों?
हाल ही में राजस्थान की सांभर झील में लगभग 8 हज़ार पक्षियों की मौत हो गई। इन पक्षियों में बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षी शामिल हैं।
प्रमुख बिंदु-
- मृत पक्षियों में अलग अलग प्रजाति के पक्षी शामिल हैं। इनमें साइबेरिया, नॉर्थ एशिया समेत कई देशों से आने वाले प्रवासी पक्षी भी शामिल हैं।
- मृत पक्षियों में नॉदर्न शावलर, पिनटेल, कॉनम टील, रूडी शेल डक, कॉमन कूट गेडवाल, रफ, ब्लैक हेडड गल, ग्रीन बी ईटर, ब्लैक शेल्डर काइट, कैसपियन गल, ब्लैक विंग्ड स्टील्ट, सेंड पाइपर, मार्श सेंड पाइपर, कॉमस सेंड पाइपर, वुड सेंड पाइपर पाइड ऐबोसिट, केंटिस प्लोवर, लिटिल रिंग्स प्लोवर, लेसर सेंड प्लोवर प्रजाति के पक्षी शामिल हैं।
- राज्य एजेंसियों के अनुसार कुल 8065 पक्षियों की मौत हुई और 165 पक्षियों को बचा लिया गया।
- प्राथमिक रिपोर्ट के अनुसार, पक्षियों की मृत्यु बॉटुलिज़्म (Botulism) नामक बीमारी से हुई है, यह बीमारी जीवों के तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करती है।
- रिपोर्ट के अनुसार, यह संक्रमण पक्षियों में संक्रमित कीड़ों को खाने के कारण फैला।
- प्रारंभ में इन मौतों का कारण बर्ड फ्लू को माना गया, लेकिन भोपाल में स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाई सिक्योरिटी एनिमल डिज़ीज (National Institute of High Security Animal Diseases -NIHSAD) ने परीक्षण के बाद बर्ड फ्लू के अनुमान को खारिज कर दिया है।
बॉटुलिज़्म (Botulism)
- बॉटुलिज़्म पोल्ट्री में मृत्यु के सबसे आम कारणों में से एक है। यह संक्रमण क्लोस्ट्रीडियम बोटुलिनम (Clostridium Botulinum ) बैक्टीरिया द्वारा फैलता है।
- इस संक्रमण से प्रभावित पक्षी आमतौर पर खड़े होने, ज़मीन पर चलने में असमर्थ हो जाते हैं, यह बीमारी पक्षियों के तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करती है।
- बॉटुलिज़्म का कोई विशिष्ट इलाज नहीं उपलब्ध है, इससे प्रभावित अधिकांश पक्षियों की मौत हो जाती है।
सांभर झील -
- सांभर झील राजस्थान राज्य में जयपुर के समीप स्थित है। यह देश की सबसे बडी खारे पानी की झील और नमक का बड़ा स्रोत है।
- ऐतिहासिक अभिलेखों के अनुसार सांभर शहर की स्थापना 551 ईसवी में चौहान वंश के राजा वासुदेव द्वारा की गई।
- इस पर सिंधियों, मराठों और मुगलों ने शासन किया, वर्ष 1709 में राजपूतों ने इसे पुनः प्राप्त किया।
- सांभर झील एक विश्व विख्यात रामसर साइट है। यहाँ नवम्बर से फरवरी के महीनों में उत्तरी एशिया और साइबेरिया से हज़ारों की संख्या में फ्लेमिंगो और अन्य प्रवासी पक्षी आते हैं।
- यहाँ अन्य दर्शनीय स्थलों में शाकम्भरी माता मंदिर , सरमिष्ठा सरोवर, भैराना, दादू द्वारा मंदिर, और देवयानी कुंड हैं।
स्रोत- इंडियन एक्सप्रेस
RAPID FIRE करेंट अफेयर्स (16 नवंबर)
ई-कॉमर्स के नए नियम
हाल ही में उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने उपभोक्ता संरक्षण (ई-वाणिज्य) नियमन, 2019 का मसौदा जारी किया।
- इस मसौदे के अनुसार, ई-कॉमर्स कंपनियाँ अपने मंचों पर बिकने वाले उत्पादों की कीमतों को प्रभावित नहीं कर सकती तथा उन्हें व्यापार के निष्पक्ष तरीकों का अनिवार्य तौर पर पालन करना होगा।
- ई-कॉमर्स कंपनियों को विक्रेताओं के कारोबार की पहचान, वैध नाम, भौगोलिक पता, वेबसाइट का नाम, उनके द्वारा बेचे जाने वाले उत्पाद और उनसे उपभोक्ता कैसे संपर्क करे समेत सारी जानकारियाँ मुहैया करानी होंगी।
- ई-कॉमर्स कंपनियों को उपभोक्ताओं के निजी आँकड़ों व सूचनाओं को संरक्षित रखना होगा।
- ई-कॉमर्स कंपनियों को देर से डिलिवरी होने, उत्पाद में खराबी होने, नकली उत्पाद होने की स्थिति में सामान को वापस लेना होगा और अधिकतम 14 दिनों के भीतर उपभोक्ताओं का पैसा वापस करना होगा।
अरुणाचल में पहली अंतर्राष्ट्रीय क्रेता-विक्रेता बैठक
- 14 नवंबर, 2019 को अरूणाचल प्रदेश में एपीडा एवं अरूणाचल प्रदेश के कृषि तथा बागवानी विभाग ने कृषि और बागवानी उत्पाद पर पहली अंतर्राष्ट्रीय क्रेता-विक्रेता बैठक का आयोजन किया।
- इस बैठक का उद्देश्य कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देना और पूर्वोत्तर क्षेत्र खासतौर से अरूणाचल प्रदेश से कृषि-निर्यात के लिये बाज़ार से संपर्क बढ़ाना था।
- इस बैठक में सात देशों- भूटान, बांग्लादेश, नेपाल, इंडोनेशिया, संयुक्त अरब अमीरात, ओमान और ग्रीस के दस अंतर्राष्ट्रीय खरीदारों ने हिस्सा लिया।
- यह सम्मेलन आयातकों और निर्यातकों के साथ अंतर्राष्ट्रीय खरीदारों की B2B और B2G बैठकें और कृषि एवं बागवानी उत्पादों के निर्यात के अवसरों तथा संभावनाओं का पता लगाने के लिये पूर्वोत्तर क्षेत्र विशेषकर अरूणाचल प्रदेश के प्रगतिशील किसानों और उत्पादकों को मंच प्रदान करने के उद्देश्य से आयोजित किया गया।
- गौरतलब है कि राज्य की 75-80 प्रतिशत भूमि अनछुई है और इन इलाकों में अनेक कृषि फसलों को लगाया जा सकता है, क्योंकि अरूणाचल प्रदेश जलवायु के अनुसार वर्ष में पाँच प्रकार की फसलें उगा सकता है।
- इससे पहले इस वर्ष मार्च में गुवाहाटी, असम में BSM का आयोजन किया गया था। इसके बाद मणिपुर, इम्फाल में जून, 2019 में अंतर्राष्ट्रीय क्रेता-विक्रेता सम्मेलन और बैठक आयोजित की गई। इसके बाद एक बैठक सितंबर 2019 में त्रिपुरा की राजधानी अगरतला में भी हुई।
आपको बता दें कि एपीडा कृषि निर्यात के क्षेत्रों में संवर्द्धन गतिविधियाँ चलाता है। इनमें निर्यातकों को पैक हाउसेज और शीतगृहों जैसी बुनियादी ढाँचा सुविधाएँ स्थापित करने के लिये सहायता प्रदान करना शामिल है। एपीडा निर्यातकों की भी मदद करता है, ताकि वह अनेक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनियों में अपने उत्पाद प्रदर्शित कर सकें। ईटानगर में आयोजित यह बैठक भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को निर्यात के नक्शे पर लाने के लिये एपीडा की पहल का ही हिस्सा थी।
39वाँ भारतीय अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला
- केंद्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय ने 14 नवंबर, 2019 को दिल्ली के प्रगति मैदान में 39वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले (IITF) का उद्घाटन किया।
- व्यापार मेले के इस संस्करण की थीम ‘कारोबार को आसान बनाना’ है। यह थीम विश्व बैंक की कारोबार आसान बनाने के सूचकांक में विशिष्ट उपलब्धि से प्रेरित है।
- उल्लेखनीय है कि वर्ष 2014 में भारत कारोबार आसान बनाने की रैंकिंग में 142वें पायदान पर था जो अब 63वें पायदान पर आ गया है।
- ऑस्ट्रेलिया, ईरान, ब्रिटेन, वियतनाम, बहरीन, बांग्लादेश, भूटान, चीन, मिस्र, हॉन्गकॉन्ग और इंडोनेशिया सहित अन्य कई देश इस 14 दिवसीय व्यापार मेले में भाग ले रहे हैं।
- इस साल अफगानिस्तान को भागीदार देश का दर्जा दिया गया है, जबकि बिहार और झारखंड ध्यान केंद्रित राज्य हैं।
विदित हो कि इस तरह के आयोजन 'ब्रांड इंडिया' को वैश्विक स्तर पर स्थापित करने में मदद करते हैं। यह मेला विभिन्न केंद्रीय और राज्य सरकारों के विभागों एवं एजेंसियों के लिये सतत् सुधारों, नई योजनाओं तथा पहलों के बारे में सूचना के प्रसार के लिये महत्त्वपूर्ण मंच है।
राष्ट्रीय प्रेस दिवस
- प्रतिवर्ष 16 नवंबर को राष्ट्रीय प्रेस दिवस का आयोजन किया जाता है, जो यह स्वतंत्र और उत्तरदायी प्रेस का प्रतीक है।
- इसी दिन भारतीय प्रेस परिषद ने काम करना शुरु किया था, जो कि एक निगरानी संस्था है जो यह सुनिश्चित करती है कि प्रेस उच्च मानकों को बनाए रखे और किसी धमकी और प्रभाव के आगे नहीं झुके।
- भारतीय प्रेस परिषद: भारतीय प्रेस परिषद (Press Council of India-PCI) संसद के अधिनियम द्वारा सृजित एक कानूनी अर्द्धन्यायिक निकाय है। यह प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा करने व उसे बनाए रखने, जन अभिरुचि के उच्च मानक सुनिश्चित करने और नागरिकों के अधिकारों व दायित्वों के प्रति उचित भावना उत्पन्न करने का दायित्व का निर्वहन करता है।
- प्रेस परिषद अधिनियम के तहत इस संस्था में एक अध्यक्ष और 28 अन्य सदस्य होते हैं। सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश को इसका अध्यक्ष नियुक्त किया जाता है
ध्यातव्य है कि प्रथम प्रेस आयोग ने भारत में प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा एंव पत्रकारिता में उच्च आदर्श कायम करने के उद्देश्य से एक प्रेस परिषद की कल्पना की थी। इसी के परिणामस्वरूप 4 जुलाई, 1966 को भारत में प्रेस परिषद की स्थापना की गई, जिसने 16 नंवबर 1966 से अपना विधिवत कार्य शुरू किया।