अंतर्राष्ट्रीय संबंध
आयुष दवाओं की सुरक्षा निगरानी बढ़ाने के लिये आयुष मंत्रालय की नई केंद्रीय योजना
चर्चा में क्यों?
हाल ही में आयुष मंत्रालय ने आयुर्वेद, सिद्ध, यूनानी और होम्योपैथी (ASU&H) दवाओं की सुरक्षा निगरानी बढ़ाने के लिये एक नई केंद्रीय योजना शुरू की है।
योजना का उद्देश्य
- इस योजना का मुख्य उद्देश्य आयुष दवाओं के फायदों के साथ ही इनके दुष्प्रभावों का लिखित रिकॉर्ड रखना और इन दवाओं के बारे में भ्रामक विज्ञापनों पर रोक लगाना है।
प्रमुख बिंदु
- आयुष सचिव की अध्यक्षता में गठित स्थायी वित्त समिति ने 1 नवंबर, 2017 को इस योजना को मंज़ूरी दी थी, जिसके बाद वित्त वर्ष 2017-18 के अंत में इसे लागू करने का काम शुरू कर दिया गया।
- इस योजना के तहत देश भर में आयुष दवाओं की निगरानी के लिये तीन स्तरीय नेटवर्क बनाने का काम किया जा रहा है।
- मंत्रालय के अधीन एक स्वायत्त निकाय के रूप में कार्यरत नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान को आयुष दवाओं की निगरानी से जुड़ी गतिविधियों के बीच समन्वय बनाने का काम सौंपा गया है।
- योजना को लागू करने के शुरुआती स्तर पर पाँच राष्ट्रीय आयुष संस्थानों तथा 42 अन्य आयुष संस्थानों को इस काम में मदद करने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है। इसके तहत इन संस्थानों को आयुष दवाओं का लिखित रिकॉर्ड बनाने, उसका विश्लेषण करने, दवाओं के दुष्प्रभावों का आकलन कर उनका रिकॉर्ड तैयार करने तथा आयुष दवाओं के सेवन से जुड़ी अन्य गतिविधियों का रिकॉर्ड भी रखने का काम करना है। मंत्रालय ने 2020 तक देश में ऐसे 100 केंद्र खोलने का लक्ष्य रखा है।
- आयुष दवाओं हेतु सुरक्षा नेटवर्क बनाने को सरकार ने अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान के लिये शुरुआती तौर पर 10.60 करोड़ रुपए का अनुदान स्वीकार किया है।
- आयुष दवाओं की निगरानी के इस काम में केंद्रीय औषध मानक नियंत्रण संगठन और भारतीय फार्माकोपिया आयोग (Indian Pharmacopoeia Commission) भी आयुष मंत्रालय के साथ काम कर रहा है।
भारत-विश्व
तुर्की में मुद्रा संकट
चर्चा में क्यों?
तुर्की की मुद्रा लीरा में ज़बरदस्त गिरावट का दौर जारी है। पिछले एक साल में डॉलर के मुकाबले लीरा की कीमत में 50 प्रतिशत तक की गिरावट हो चुकी है। अमेरिका द्वारा तुर्की से स्टील और एल्युमीनियम के आयात पर शुल्क बढ़ाने के बाद पिछले कुछ दिनों से लीरा के मूल्य में तेज़ गिरावट आई है। तुर्की के आर्थिक संकट का असर भारत में भी दिखाई दे रहा है| पिछले दिनों डॉलर के मुकाबले रुपए की कीमत में रिकॉर्ड गिरावट दर्ज की गई। दैनिक कारोबार में रुपए में ऐतिहासिक गिरावट दर्ज होने की वज़ह से यह 70.10 के सर्वकालिक निचले स्तर पर पहुँच गया।
तुर्की की मुद्रा में गिरावट का कारण क्या है?
- अमेरिका के पादरी एंड्रयू ब्रनसन को तुर्की ने अक्टूबर 2016 में जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया था। उन्हें रिहा नहीं करने पर अमेरिका ने आर्थिक प्रतिबंध लगाने की धमकी दी थी।
- अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले सप्ताह तुर्की से स्टील एवं एल्युमीनियम के आयात पर शुल्क दोगुना करने की घोषणा की| ट्रंप ने यह कदम ऐसे समय में उठाया है जब तुर्की पहले ही आर्थिक संकट से गुज़र रहा है और अमेरिका के साथ कूटनीतिक विवादों में उलझा हुआ है|
- अमेरिका द्वारा तुर्की से स्टील और एल्युमीनियम के आयात पर शुल्क बढ़ाने के बाद पिछले कुछ दिनों से लीरा के मूल्य में तेज़ गिरावट आई है।
- तुर्की की अर्थव्यवस्था तेज़ गति से चल रही थी जो निर्माण और उपभोग बूम पर केंद्रित रही है| जुलाई में मुद्रास्फीति 15% से अधिक थी तथा देश में उच्च चालू खाता घाटा और विदेशी ऋण बढ़ रहा है।
- अमेरिका में मज़बूत डॉलर और उच्च ब्याज दरों ने लीरा की परेशानियों को बढ़ाया है।
- भारत और चीन के मुक़ाबले तुर्की विदेशी मुद्रा के कर्ज़ पर अधिक निर्भर था और यही उसके मौजूदा संकट की बड़ी वज़ह है| तुर्की की अर्थव्यवस्था में विदेशी मुद्रा का दबदबा है और कुल कर्ज़ का 70 फ़ीसदी से अधिक हिस्सा डॉलर में लिया गया है|
- ब्रिटेन ने भी तुर्की को 19 अरब डॉलर का कर्ज़ दिया है, जबकि तुर्की के लिये संकट पैदा करने वाले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के देश के बैंकों का भी 18 अरब डॉलर तुर्की में डूबने की कगार पर है|
- अमेरिकी डॉलर की मांग में इज़ाफा होने की वजह से डॉलर ज़्यादातर मुद्राओं के मुकाबले मज़बूत रहा है। यूरो और पाउंड जैसी मज़बूत मुद्राओं के मुकाबले भी अमेरिकी डॉलर में मज़बूती आई है।
तुर्की की प्रतिक्रिया
- तुर्की के राष्ट्रपति एर्डोगन ने कहा है कि अमेरिका ने अंकारा की पीठ पर छुरा मारा है। उन्होंने यह भी कहा कि लीरा जल्द ही स्थिर हो जाएगी क्योंकि इसके गिरने का कोई "आर्थिक आधार" नहीं है।
- राष्ट्रपति ने तुर्कों से अमेरिकी इलेक्ट्रॉनिक सामान का बहिष्कार करने का आग्रह किया और साथ ही अमेरिकी कारों तथा शराब पर प्रतिशोधात्मक टैरिफ बढ़ाये जाने की निंदा की।
- तुर्की का गृह मंत्रालय अर्थव्यवस्था में आत्मविश्वास को कम करने वाले 346 सोशल मीडिया खातों की भी जाँच कर रहा है।
- बाज़ारों को व्यवस्थित करने के लिये तुर्की के केंद्रीय बैंक ने बैंकों को आवश्यक तरलता प्रदान करने का वादा किया था।
भारत पर प्रभाव क्या है?
- भारतीय रुपए ने पहली बार डॉलर के मुकाबले 70 अंक पार किया जिसका मुख्य कारण लीरा में लगातार गिरावट है। विश्लेषक इस बात से चिंतित हैं कि मुद्रा में यह उथल-पुथल अन्य (उभरते) बाज़ारों को चोट पहुँचा सकती है।
- तुर्की के उधारदाताओं में महत्त्वपूर्ण हिस्सेदारी रखने वाले यूरोपीय बैंक भी जोखिम में हैं।
- भारतीय रुपए की कमज़ोरी की बड़ी वज़ह यह है कि भारत एक प्रमुख आयातक देश है, लिहाजा उसे हर साल आयात के लिये और ज़्यादा डॉलर की ज़रूरत पड़ रही है। साथ ही विदेशी निवेश में भी कमी आ रही है।
- इसके अलावा, पिछले 7 महीनों में पहली बार जुलाई में सोने का आयात बढ़ा है इससे भी राजकोषीय घाटे की स्थिति खराब हुई है और रुपया कमज़ोर हुआ है।
- भारतीय केंद्रीय बैंक आरबीआई रुपए में बहुत ज़्यादा गिरावट को रोकने के लिये समय-समय पर डॉलर बेचकर हस्तक्षेप करता है। इसका विदेशी मुद्रा भंडार पर काफी असर पड़ा है, जो अप्रैल के 426 अरब डॉलर के रिकॉर्ड उच्च स्तर से लुढ़ककर अगस्त के शुरुआती हफ्ते में 403 अरब डॉलर पर पहुँच गया है।
सामाजिक न्याय
प्रधानमंत्री हेल्थकेयर स्कीम 25 सितंबर को होगी लॉन्च
चर्चा में क्यों?
अगले आम चुनाव से पहले अपने आखिरी स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी महत्त्वाकांक्षी स्वास्थ्य बीमा योजना, प्रधानमंत्री जन आरोग्य अभियान (PMJAA) या राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा मिशन (AB-NHPM) को 25 सितंबर को लॉन्च करने की घोषणा की| उन्होंने यूनीफॉर्म सर्विसेज में शॉर्ट सर्विस कमीशन पर महिला अधिकारियों के लिये स्थायी कमीशन और मानव निर्मित अंतरिक्ष मिशन योजना की शुरुआत की भी घोषणा की।
प्रमुख बिंदु
- विश्व की सबसे बड़ी इस स्वास्थ्य योजना को 'मोदीकेयर' भी कहा जा रहा है जिसका उद्देश्य देश में 10 करोड़ से अधिक गरीब परिवारों को लाभान्वित करते हुए हर परिवार को सलाना पाँच लाख रुपए का मेडिकल बीमा कवर प्रदान करना है।
- प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत 2022 तक राष्ट्रीय ध्वज के साथ अंतरिक्ष में "बेटा या बेटी" भेजेगा। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में महिलाओं और गरीबों पर अधिक ज़ोर दिया|
- प्रधानमंत्री ने न केवल महिलाओं के खिलाफ हिंसा की "राक्षसी प्रवृत्तियों" की निंदा की बल्कि बलात्कार के कई मामलों में मौत की सज़ा देने वाले फास्ट ट्रैक कोर्टों की सराहना भी की|
- प्रधानमंत्री ने आज़ादी के बाद से वर्तमान कैबिनेट में महिलाओं के सर्वाधिक प्रतिनिधित्व का भी ज़िक्र किया|
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले चार वर्षों में एनडीए सरकार की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला जिसमें स्वच्छ भारत, पीएमएफबीवाई, मुद्रा ऋण, जीएसटी आदि शामिल हैं|
यूनिवर्सल हेल्थकेयर
- हेल्थकेयर विशेषज्ञों की राय में आयुष्मान भारत यह सुनिश्चित करने का प्रयास था कि सार्वभौमिक स्वास्थ्य सेवा समाज के कमज़ोर वर्गों तक पहुँच बना चुकी है और इससे प्राथमिक तथा माध्यमिक स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र में लोगों का अनुपात बढ़ सकता है।
- वास्तव में यह उचित प्रतीत होता है कि सरकार ज़मीनी स्तर पर नीति को आगे बढ़ाने में सक्रिय रूप से काम कर रही है।
- सरकार ने इसे एक प्रौद्योगिकी संचालित पहल के रूप में प्रस्तुत किया है जो पारदर्शिता और प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिये एक महत्त्वपूर्ण कदम है और यह पहल बड़े पैमाने पर देश में समग्र स्वास्थ्य बुनियादी ढाँचे के विकास को अधिक प्रोत्साहित करेगी|
- सरकार द्वारा उठाया गया यह कदम स्वागत योग्य है क्योंकि देश में स्वास्थ्य देखभाल बुनियादी ढाँचे के अंतर्गत 50 करोड़ गरीब लोगों को आवश्यक दवाइयों तक पहुँच प्रदान करने में मदद मिल रही है।
- सरकार से एक ऐसे तंत्र की उम्मीद है जो सार्वजनिक निजी भागीदारी को प्रोत्साहित करता हो तथा गुणवत्तापूर्ण दवाइयाँ आम जनता तक पहुँच सकें।
- आज भारत में लगभग 80% स्वास्थ्य सेवा निजी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली द्वारा प्रदान की जाती है और मूल्य-आधारित दवा के माध्यम से भारतीय आबादी की बढ़ती स्वास्थ्य देखभाल आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये देश को निजी और सार्वजनिक दोनों क्षेत्रों द्वारा संयुक्त प्रयास किये जाने की आवश्यकता है।
- लेकिन इस योजना का वर्तमान ढाँचा उन लोगों के लिये फायदेमंद नहीं होगा जिन्हें तृतीयक देखभाल की आवश्यकता है क्योंकि योजना के तहत पारिश्रमिक मूल्य-आधारित स्वास्थ्य देखभाल का लाभ उठाने के लिये पर्याप्त नहीं होगा।
- इस योजना के तहत तृतीयक स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को हर स्तर पर लागत में कटौती करने के लिये मजबूर किया जाएगा जिससे योजना के तहत मरीज़ों को उप-मानक स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान की जाएंगी।
- वे सर्वोत्तम परिणाम प्राप्त करने के लिये आवश्यक दवा, प्रौद्योगिकी और नैदानिक विशेषज्ञता का लाभ उठाने में सक्षम नहीं हो सकते हैं और जल्द ही सिस्टम में विश्वास खो देंगे|
- सरकार को समाज के सभी वर्गों के लिये अनिवार्य सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज की ओर देखना चाहिये जो पूल को बढ़ाएगा और सरकार तथा निजी क्षेत्र के बीच क्रॉस-सब्सिडी की अनुमति देगा।
ट्रिपल तलाक बिल
- प्रधानमंत्री ने मुस्लिम समुदाय के ट्रिपल तलाक पर प्रतिबंध लगाने के लिये एक विधेयक लाने में सरकार के प्रयासों का विशेष रूप से उल्लेख किया।
- प्रधानमंत्री ने मुस्लिम महिलाओं से इस विधेयक को पारित करने का वादा भी किया।
- संसद के एक ही सत्र में एससी/एसटी और ओबीसी विधेयकों के पारित होने पर उन्होनें संतोष व्यक्त किया।
जैव विविधता और पर्यावरण
मृदा अपरदन से वर्ष 1990-2016 के दौरान भारत की एक तिहाई तट रेखा का विनाश
चर्चा में क्यों?
नेशनल सेंटर फॉर कोस्टल रिसर्च द्वारा जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 1990 से 2016 के बीच मिट्टी के कटाव के कारण भारत की 6,632 किलोमीटर की लंबी तटरेखा का लगभग एक-तिहाई हिस्सा नष्ट हो चुका है।
प्रमुख बिंदु
- पृथ्वी विज्ञान मंत्री ने भी हाल ही में संसद को बताया था कि पश्चिमी तट (काफी हद तक स्थिर रहा) की तुलना में पिछले तीन दशकों में बंगाल की खाड़ी से लगातार चक्रवाती गतिविधियों के कारण पूर्वी तट में अधिक कटाव हुआ है
- रिपोर्ट के अनुसार, पश्चिम बंगाल (63%) और पुद्दुचेरी मृदा क्षरण के प्रति अधिक संवेदनशील हैं, इसके बाद केरल और तमिलनाडु में मृदा क्षरण क्रमश: 45% और 41% रहा।
- उल्लेखनीय है कि पूर्वी तट पर ओडिशा एकमात्र ऐसा राज्य है जहाँ तटीय मृदा क्षरण में 50% से अधिक की वृद्धि हुई है।
- दरअसल, तटीय कटाव आबादी के लिये एक खतरा बन गया है और यदि हम तत्काल कदम नहीं उठाते हैं, तो समुद्र के साथ अधिकांश भूमि और बुनियादी ढाँचे को खो देंगे, साथ ही इस प्रकार का नुकसान अपूरणीय होगा।
- पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की मुख्य भूमि जो समुद्र से संलग्न है, का लगभग 234.25 वर्ग किमी. क्षेत्र वर्ष 1990-2016 के दौरान नष्ट हो गया है। जलवायु परिवर्तन और बढ़ते समुद्री जलस्तर ने इस समस्या को और बढ़ा दिया है।
- रिपोर्ट में कहा गया है कि इस तरह के विश्लेषण से तूफान और सुनामी जैसे तटीय खतरों का सामना करने के लिये की जाने वाली तैयारी में सुधार करने में मदद मिलेगी।
- तटरेखाओं में बदलाव तटीय आधारभूत संरचना के लिये खतरा तो है ही साथ ही, यह आशंका है कि अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुँचाने सहित मछली पकड़ने के उद्योग को भी प्रभावित कर सकता है।
- यह विश्लेषण एनसीसीआर के शोधकर्ताओं द्वारा नौ राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों के साथ संलग्न 6,632 किलोमीटर लंबी तटरेखा का उपग्रहीय मानचित्रण तैयार क्र किया गया है।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
इसरो वर्ष 2022 तक अंतरिक्ष में भारतीयों को भेजेगा
चर्चा में क्यों?
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की है कि वर्ष 2022 तक भारतीय अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष में भेजे जाएंगे। इस घोषणा के बाद पिछले 15 सालों से एक परियोजना पर काम कर रहे इसरो को आखिरकार एक निश्चित समय-सीमा मिल गई है।
प्रमुख बिंदु
- वर्ष 2004 से ही इस परियोजना पर तैयारियाँ चल रही हैं, जब मानव अंतरिक्ष मिशन को इसरो की प्लानिंग कमेटी द्वारा पहली बार समर्थन दिया गया था।
- हालाँकि, शुरुआत में इस मिशन को वर्ष 2015 में लॉन्च किये जाने का लक्ष्य रखा गया था किंतु वास्तव में मिशन को लॉन्च करने के बारे में स्पष्टता की कमी थी।
- एक मानव मिशन के लिये इसरो को प्रमुख रूप से विशिष्ट क्षमताओं को विकसित करना होगा जिनमें अंतरिक्ष यान को उड़ान के बाद पृथ्वी पर वापस लाने की क्षमता और एक ऐसे अंतरिक्ष यान का निर्माण जिसमें अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष में पृथ्वी जैसी स्थितियों में रह सकें आदि शामिल है।
- साथ ही सबसे महत्त्वपूर्ण आवश्यकताओं में से एक लॉन्च व्हीकल का विकास करना है जो अंतरिक्ष में भारी पेलोड ले जाने में सक्षम हो।
- हाल ही में 6 जून को सरकार ने 4,338.2 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत पर जीएसएलवी मार्क-3 की अगली 10 उड़ानों के लिये वित्तपोषण को मंज़ूरी दी है, इससे भारी पेलोड भेजने के लिये क्रायोजेनिक तकनीक को पूरा करने में इसरो को मदद मिलेगी।
- इस पहल का मुख्य उद्देश्य वर्ष 2024 तक जीएसएलवी मार्क-3 मिशन को प्रोत्साहित करना था।
- हालाँकि इसरो ने मानव क्रू मॉड्यूल, पर्यावरण नियंत्रण और जीवन सहायता प्रणाली जैसी तकनीक विकसित कर ली है, किंतु वर्ष 2022 तक वास्तविक उड़ान से पूर्व दो मानव रहित मिशन और अंतरिक्ष यान को जिओसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल मार्क -3 का उपयोग करके प्रक्षेपित किया जाएगा।
- उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के अपने संबोधन कहा कि भारत वर्ष 2022 तक 'गगनयान' नामक मिशन द्वारा मानव को अंतरिक्ष में भेजने का प्रयास करेगा।
- इसरो के पूर्व चेयरमैन के. राधाकृष्णन जिनके नेतृत्व में मंगलयान मिशन वर्ष 2013 में लॉन्च किया गया था, ने ‘गगनयान’ मिशन को इसरो के लिये ‘टर्निंग पॉइंट’ कहकर संबोधित किया है।
- इसरो अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिये जाना जाता है, जो उन परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित करता है जो कि लोगों के दैनिक जीवन के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।
- यदि इसरो इस मिशन में सफल होता है तो भारत इस उपलब्धि को हासिल करने वाला चौथा राष्ट्र होगा।
अंतरिक्ष क्षेत्र में भारतीयों की उपलब्धियाँ
|
कृषि
पिंक बॉलवार्म से निपटने के लिये महाराष्ट्र सरकार तैयार
चर्चा में क्यों?
महाराष्ट्र सरकार ने व्यापक रूप से प्रभावित राज्य के कुछ हिस्सों में पिंक बॉलवार्म (PBW) के हमलों से निपटने के लिये आपातकालीन उपायों की घोषणा की है।
प्रमुख बिंदु
- इन आपातकालीन उपायों के तहत राहत उपायों की निगरानी और किसानों को होने वाले आर्थिक नुकसान को कम करने के लिये प्रत्येक ज़िले में 16 सदस्यीय समितियों की स्थापना की जाएगी।
- ये समितियाँ जिला कलेक्टर के अंतर्गत कार्य करेंगी। विशेषज्ञ, किसान और बीज कंपनियों के प्रतिनिधि भी इनके बोर्ड में शामिल होंगे।
- अभियानों पर काम करने के लिये ये समितियाँ परिस्थितियों की जानकारी लेने और जागरूकता का प्रसार करने हेतु प्रत्येक 15 दिनों में बैठक आयोजित करेंगी और यदि आवश्यकता हो तो आपातकालीन उपायों को लागू करेंगी।
- कुल 42 लाख हेक्टेयर कपास की फसल में से पिंक बॉलवार्म के हमलों से 83% क्षेत्र की फसल को नुकसान पहुँचा है जिसने ज़िला स्तरीय उपायों को युद्ध स्तर पर लागू करने हेतु सरकार को बाध्य किया है।
- राज्य सरकार ने ऐसे 12 बीज फर्मों को नोटिस जारी किया जिनके उत्पादों को पिंक बॉलवार्म के हमलों से प्रभावित पाया गया था। ये कंपनियाँ औरंगाबाद, अकोला, जालना, बुलढाणा, परभानी, हिंगोली और उस्मानाबाद जिलों में अपने उत्पादों की आपूर्ति कर रही थीं।
- सरकार ने छोटे किसानों को मुआवज़ा देने के लिये योजनाओं का एक समूह जारी किया और एक प्रस्ताव पारित किया जिसमें यह मांग की गई थी कि बीज कंपनियाँ मुआवज़ा देने की ज़िम्मेदारी लेंगी, अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करवाई जा सकती है।
- किसान इस बात से चिंतित हैं कि पिंक बॉलवार्म के हमलों से कपास रोपित क्षेत्र में कम-से-कम 10% तक की कमी आएगी जिसके परिणामस्वरूप कम पैदावार और कीमतों में गिरावट की संभावना है।
- कपास के रेशे और बीजकोष पर पलने वाले कीड़ों के कारण अनुमानित 35 लाख हेक्टेयर कपास की फसल पहले ही खराब हो चुकी है। विदर्भ और यवतमाल में 3,414 करोड़ रुपए के नुकसान का अनुमान लगाया गया है।
प्रारंभिक परीक्षा
प्रीलिम्स फैक्ट्स: 16 अगस्त, 2018
न्यायमूर्ति मंजुला चेल्लूर बनी विद्युत अपीलीय न्यायाधिकरण की अध्यक्ष
न्यायमूर्ति मंजुला चेल्लूर ने विद्युत मंत्रालय में विद्युत् अपीलीय न्यायाधिकरण की अध्यक्ष के रूप में पदभार ग्रहण किया है। उल्लेखनीय है कि इससे पहले श्रीमती न्यायमूर्ति मंजुला चेल्लूर बॉम्बे हाई कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश थीं।
- श्रीमती न्यायमूर्ति मंजुला चेल्लूर का जन्म कर्नाटक में 5 दिसंबर, 1955 को हुआ।
- वर्ष 1977 में भारत के सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें इंग्लैंड के वारविक विश्वविद्यालय में महिला-पुरुष समानता से जुड़े विषय के साथ-साथ कानून की फेलोशिप के लिये भेजा।
- वर्ष 2013 में श्रीमती न्यायमूर्ति मंजुला चेल्लूर को कर्नाटक राज्य महिला विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्राप्त हुई।
- न्यायमूर्ति मंजुला चेल्लूर कलकत्ता उच्च न्यायालय की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बनीं।
विद्युत अपीलीय न्यायाधिकरण
- विद्युत अपीलीय न्यायाधिकरण सांविधिक निकाय है जिसे नियामकीय आयोग और अधिनिर्णय अधिकारी के आदेशों के विरुद्ध मामलों की सुनवाई के उद्देश्य हेतु गठित किया गया।
- इसका गठन केंद्र सरकार द्वारा विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 110 के तहत 7 अप्रैल, 2004 को किया गया।
- इसका मुख्यालय दिल्ली में है।
रेखा शर्मा बनी राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष
रेखा शर्मा को राष्ट्रीय महिला आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। उल्लेखनीय है कि सितंबर 2017 में पूर्व अध्यक्ष ललिता कुमारमंगलम के पद छोड़ने के बाद से वह इस पद कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में कार्य कर रही थीं।
राष्ट्रीय महिला आयोग
- राष्ट्रीय महिला आयोग (National Commission for Women -NCW) भारतीय संसद द्वारा 1990 में पारित अधिनियम के तहत जनवरी 1992 में गठित एक सांविधिक निकाय है।
- यह एक ऐसी इकाई है जो शिकायत या स्वतः संज्ञान के आधार पर महिलाओं के संवैधानिक हितों और उनके लिये कानूनी सुरक्षा उपायों को लागू कराती है।
- आयोग की पहली प्रमुख सुश्री जयंती पटनायक थीं।
चिल्का झील में प्रस्तावित एयरोड्रोम परियोजना का विरोध
- केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने चिल्का झील में एयरोड्रोम स्थापित करने के लिये एक पायलट प्रोजेक्ट को मंज़ूरी दी।
- ग्रीन नोबेल पुरस्कार विजेता और पर्यावरण कार्यकर्ता प्रफुल्ल समंतारा ने कहा कि चिल्का झील में प्रस्तावित एयरोड्रोम परियोजना का राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर विरोध किया जाएगा।
- प्रफुल्ल समंतारा के संगठन का नाम ‘लोक शक्ति’ है।
- प्रफुल्ल समंतारा ‘ग्रीन नोबेल’ के नाम से लोकप्रिय पुरस्कार को जीतने वाले भारत के छठे व्यक्ति हैं।
- यह पुरस्कार दुनिया के छह मानव सभ्यता वाले इलाकों अफ्रीका, एशिया, यूरोप, द्वीप एवं द्विपीय देश, उत्तरी अमेरिका और दक्षिणी एवं मध्य अमेरिका में ज़मीनी स्तर पर पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले लोगों को दिया जाता है।
- एयरोड्रोम एक ऐसी जगह या क्षेत्र है जहाँ से छोटे विमान उड़ान भर सकते हैं या लैंडिंग कर सकते है।
- चिल्का एशिया का सबसे बड़ा खारे पानी का लैगून है, जहाँ बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षियों का आगमन होता है।
- इसे रामसर सम्मेलन के तहत अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की प्राकृतिक आर्द्रभूमि भी घोषित किया गया है।
'पूर्वोत्तर सर्किट विकासः इम्फाल और खोंगजोंग' परियोजना
- मणिपुर की राज्यपाल डॉ. नजमा ए. हेपतुल्ला ने इंफाल में पर्यटन मंत्रालय की स्वदेश दर्शन योजना के अंतर्गत “पूर्वोत्तर सर्किट विकासः इम्फाल और खोंगजोंग” परियोजना का उद्घाटन किया।
- स्वदेश दर्शन योजना के अंतर्गत शुरू की जाने वाली यह पहली परियोजना है।
- स्वदेश दर्शन योजना 2014-15 में लॉन्च की गई थी और अब तक मंत्रालय ने योजना के अंतर्गत 29 राज्यों तथा केन्द्रशासित प्रदेशों के 5708.88 करोड़ रुपए की 70 परियोजनाओं को मंज़ूरी दी है।
- इस परियोजना की लागत 72.30 करोड़ रुपए है और पर्यटन मंत्रालय ने सितंबर, 2015 में इसकी स्वीकृति दी थी।
- इस परियोजना में दो स्थलों कांगला फोर्ट तथा खोंगजोंग को कवर किया गया है।
- मंत्रालय की दोनों योजनाओं को मिलाकर 15 परियोजनाएँ स्वीकृत की गई हैं, जो सभी पूर्वोत्तर राज्यों को कवर करती हैं।
ऑस्ट्रेलिया ने भारत से बच्चे गोद लेने की प्रक्रिया बहाल करने का फैसला किया
- ऑस्ट्रेलिया सरकार ने हेग संधि की व्यवस्थाओं के तहत भारत से बच्चों को गोद लेने की प्रक्रिया बहाल करने का फैसला किया है।
- बच्चों को दूसरे देशों में गोद देने का काम करने वाली कुछ पंजीकृत भारतीय एजेंसियों के बच्चों की तस्करी में लिप्त होने की खबरों के बाद ऑस्ट्रेलिया सरकार ने भारत से बच्चों को गोद लेने की प्रक्रिया पर आठ साल पहले रोक लगा दी थी।
- भारत सरकार ने किशोर न्याय कानून 2015 लागू करके तथा गोद लेने की प्रक्रिया 2017 की अधिसूचना जारी कर दूसरे देशों में बच्चों को गोद देने की प्रक्रिया को सख्त बना दिया है।
- बच्चों को गोद लेने की प्रक्रिया बहाल करने के लिये केंद्रीय दत्तक संसाधन प्राधिकरण (कारा) तथा महिला और बाल विकास मंत्रालय की ऑस्ट्रेलिया सरकार के साथ लगातार वार्ता जारी है।
केंद्रीय दत्तक संसाधन प्राधिकरण
- यह महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार का एक सांविधिक निकाय है।
- यह भारतीय अनाथ बच्चों के पालन-पोषण, देखभाल करने एवं गोद देने के लिये एक नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करता है।
- केंद्रीय दत्तक संसाधन प्राधिकरण को भारतीय बच्चों को भारत में एवं अंतर-देशीय स्तर पर गोद लेने संबंधी प्रक्रिया को मॉनिटर एवं विनियमित करने का अधिदेश प्राप्त है।
- केंद्रीय दत्तक संसाधन प्राधिकरण को हेग कन्वेंशन 1993 के अनुसार, अंतर-देशीय स्तर पर गोद लेने संबंधी प्रक्रिया विनियमित करने हेतु केंद्रीय प्राधिकरण बनाया गया है।