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डेली न्यूज़

  • 16 May, 2019
  • 40 min read
विविध

कर्नाटक सरकार की कृत्रिम वर्षा परियोजना

चर्चा में क्यों?

हाल ही में आई एक रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया है कि इस साल वर्षा में कमी आ सकती है जिसके मद्देनज़र कर्नाटक सरकार ने जून के अंत में कृत्रिम वर्षा करवाने का निर्णय लिया है।

प्रमुख बिंदु

  • सरकार द्वारा अनुमान लगाया गया है कि इस परियोजना की लागत लगभग 88 करोड़ रुपए आएगी।
  • रिपोर्ट के हवाले से यह भी कहा गया कि इस वर्ष कर्नाटक में कम वर्षा होने की संभावना है एवं सरकार ने इसके लिये पूर्वोपाय करते हुए कृत्रिम वर्षा कराने का फैसला लिया है।
  • इस रिपोर्ट के अनुसार, सरकार को कृत्रिम वर्षा कराने की सलाह विशेषज्ञों की एक समिति ने दी है इसके लिये सरकार 7-10 दिनों के बीच निविदा जारी कर सकती है जिसकी समयसीमा दो साल होगी।

मानसून-पूर्व योजना (Pre-monsoon Mission)

  • इससे पहले अगस्त में कृत्रिम वर्षा करवाई जाती थी और तब तक मानसून समाप्त हो जाता था, इस बार इस कमी को दूर करने के लिये मानसून के दौरान ही कृत्रिम वर्षा कराने का फैसला किया गया है।
  • इसके लिये बंगलूरू और हुबली दो केंद्र बनाए गए हैं जहाँ दो विमानों की सहायता से कृत्रिम वर्षा कराई जाएगी।
  • अगर किसी एक क्षेत्र में अधिक वर्षा होती है तो यह केंद्र वहाँ विस्थापित कर दिया जाएगा जहाँ वर्षा कम होने की आशंका हो।

कृत्रिम वर्षा (Cloud Seeding)

  • क्लाउड सीडिंग मौसम में बदलाव लाने की एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें बादलों से इच्छानुसार वर्षा कराई जा सकती है।
  • क्लाउड सीडिंग (Cloud Seeding) के लिये सिल्वर आयोडाइड (Silver Iodide) या ठोस कार्बन डाइऑक्साइड (Dry Ice) को विमानों का उपयोग कर बादलों के बहाव के साथ फैला दिया जाता है।
  • विमान में सिल्वर आयोडाइड के दो बर्नर या जनरेटर लगे होते हैं, जिनमें सिल्वर आयोडाइड का घोल उच्च दाब (High Pressure) के साथ भरा होता है।
  • जहाँ बारिश करानी होती है वहाँ पर हवा की विपरीत दिशा में इसका छिड़काव किया जाता है।
  • कहाँ और किस बादल पर इसे छिड़कने से बारिश ज़्यादा होगी, इसका फैसला मौसम वैज्ञानिक करते हैं। इसके लिये मौसम के आँकड़ों का सहारा लिया जाता है।
  • कृत्रिम वर्षा की इस प्रक्रिया में बादल के छोटे-छोटे कण हवा से नमी सोखते हैं और संघनन से उसका द्रव्यमान बढ़ जाता है। इससे जल की भारी बूँदें बनकर बरसने लगती हैं।
  • क्लाउड सीडिंग का उपयेाग वर्षा में वृद्धि करने, ओलावृष्टि के नुकसान को कम करने, कोहरा हटाने तथा तात्कालिक रूप से वायु प्रदूषण कम करने के लिये भी किया जाता है।

वर्षाधारी परियोजना

  • 22 अगस्त, 2017 को कर्नाटक सरकार ने बंगलूरू में कृत्रिम वर्षा के लिये वर्षाधारी परियोजना को आरंभ किया था।
  • 2018 में राज्य सरकार को सौंपी गई रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया कि इस परियोजना से बारिश में 27.9% की वृद्धि हुई और लिंगमनाकी जलाशय में 2.5 tmcft (Thousand Mllion Cubic Feet) का अतिरिक्त प्रवाह रहा है।
  • एक स्वतंत्र मूल्यांकन समिति द्वारा इसे सफल परियोजना घोषित किया गया।

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स्रोत: हिंदुस्तान बिज़नेस लाइन


भारतीय विरासत और संस्कृति

एएसआई की ताजमहल के संरक्षण की योजना

चर्चा में क्यों?

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन में भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India-ASI) ने ताजमहल के संरक्षण के लिये ‘साइट प्रबंधन योजना’ के हिस्से के रूप में किये जाने वाले उपायों की सूची प्रस्तुत की है। सुप्रीम कोर्ट इन उपायों पर विचार करेगा।

पृष्ठभूमि

  • एएसआई की यह योजना अपर्याप्त रख-रखाव के कारण स्मारक को नुकसान पहुँचाने से संबंधित दायर याचिका के बाद आई है।
  • उल्लेखनीय है कि शीर्ष अदालत, जो कि ताजमहल के रख-रखाव की निगरानी कर रही है, ने एएसआई को ताजमहल की संरचना की सुरक्षा के लिये उचित कदम उठाने में कथित विफलता के लिये फटकार लगाई थी।
  • यह भी देखा गया कि स्मारक में प्रयुक्त सफेद संगमरमर वायु प्रदूषण के कारण पीला पड़ गया था।

शू कवर (Shoe Cover)

  • ताजमहल को देखने जाने वाले पर्यटकों को इस प्रतिष्ठित सातवीं शताब्दी के स्मारक को धूल से बचाने हेतु मुख्य समाधि में प्रवेश के समय ‘जूता कवर’ का उपयोग करना पड़ सकता है। यह प्रदूषण और उपेक्षा के कारण संरचनात्मक क्षरण का सामना कर रहा है।
  • एएसआई द्वारा मुख्य मकबरे में धूल और गंदगी को रोकने और साफ़-सफाई बनाए रखने हेतु समाधि स्थल में प्रवेश करते समय जूता कवर का उपयोग अनिवार्य करने की सिफारिश की गई है।

सीएनजी (CNG)

  • योजना के अंतर्गत आगरा में सीएनजी ईंधन के लिये एक व्यापक बदलाव, वाहन प्रदूषण मानदंडों के सख्त प्रवर्तन और अन्य उपायों के साथ मेट्रो के निर्माण से उत्पन्न धूल तथा प्रदूषण को रोकने के लिये कदम उठाए जाने की सिफारिश की गई है।
  • योजना के अंतर्गत जैव ईंधन/नगरपालिका के कचरे को जलाने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की गई है। बैटरी और सीएनजी संचालित वाहनों को प्रोत्साहित करने पर ज़ोर दिया गया है।

अन्य महत्त्वपूर्ण सुझाव

  • शहर में सार्वजनिक परिवहन के तहत चलने वाले सभी वाहनों को सीएनजी-आधारित या बैटरी चालित होना चाहिये।
  • एएसआई ने शहर के खुले क्षेत्रों में वृक्षारोपण को प्रोत्साहित करने और निर्माण से संबंधित गतिविधियों के लिये राष्ट्रीय भवन संहिता (National Building Code) के सख्त कार्यान्वयन उपायों का भी प्रस्ताव रखा है।
  • योजना के अंतर्गत मकबरे और आसपास की दीवारों का वैज्ञानिक उपचार और साफ-सफाई का सुझाव दिया गया है।
  • एएसआई द्वारा यह भी सुझाव दिया गया है कि परिसर के भीतर सभी भवनों और उद्यानों के नियमित रूप से रख-रखाव की आवश्यकता है ताकि उनका बेहतर संरक्षण सुनिश्चित हो सके।
  • इसमें कहा गया है कि वैकल्पिक कतार प्रणाली और डिफरेंशियल टिकटिंग प्रणाली (Differential Ticketing System) का उपयोग किया जाना चाहिये तथा भीड़ को देखते हुए विभिन्न स्थानों पर अतिरिक्त सुरक्षा कर्मियों को तैनात किया जाना चाहिये।
  • यह भी सिफारिश की गई है कि विद्युत शवदाह गृह के उपयोग को प्रोत्साहित किया जाना चाहिये और ट्रेनों में उपयोग किये जाने वाले डीज़ल इंजनों को हटाया जाना चाहिये।
  • धूल को फैलने से रोकने के लिये स्मारक के 5 किलोमीटर के दायरे में सड़कों की यांत्रिक और पानी के माध्यम से सफाई की सिफारिश भी की गई है।
  • एएसआई ने यह भी सुझाव दिया है कि जल प्रदूषण से निपटने के लिये ज़रूरी कदम उठाए जाने की आवश्यकता है।

भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण

  • संस्कृति मंत्रालय के अधीन भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (ASI) राष्‍ट्र की सांस्‍कृतिक विरासतों के पुरातत्त्वीय अनुसंधान तथा संरक्षण के लिये एक प्रमुख संगठन है।
  • इसकी स्थापना 1861 में अलेक्जेंडर कनिंघम द्वारा की गई थी। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है।
  • भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण का प्रमुख कार्य राष्‍ट्रीय महत्त्व के प्राचीन स्‍मारकों तथा पुरातत्त्वीय स्‍थलों और अवशेषों का रख-रखाव करना है।
  • इसके अतिरिक्‍त, प्राचीन संस्‍मारक तथा पुरातत्त्वीय स्‍थल और अवशेष अधिनियम, 1958 के प्रावधानों के अनुसार यह देश में सभी पुरातत्त्वीय गतिविधियों को विनियमित करता है।
  • यह पुरावशेष तथा बहुमूल्‍य कलाकृति अधिनियम, 1972 को भी विनियमित करता है।

सीएनजी क्या होती है?

  • प्राकृतिक रूप से पाई जाने वाली ज्वलनशील गैस को अत्यधिक दबाब के अंदर रखने से बनी गैस को तरल संपीड़ित प्राकृतिक गैस (CNG) कहते हैं।
  • प्राकृतिक गैस को दबाकर कम करने का प्रमुख उद्देश्य यह है कि यह आयतन कम घेरे और इंजन के दहन प्रकोष्ठ में उपयुक्त दाब के साथ प्रवेश करे।
  • प्राकृतिक गैस की तरह सीएनजी के अवयव हैं- मीथेन, ईथेन और प्रोपेन। यह रंगहीन, गंधहीन और विषहीन होती है।
  • यह पर्यावरण के लिहाज़ से बेहतर मानी जाती है। पेट्रोल और डीज़ल की तुलना में यह कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड और जैविक गैसें कम उत्सर्जित करती है। पैट्रोल और डीज़ल गाड़ियों की तुलना में सीएनजी का खर्च कम होता है।

ताजमहल के बारे में

  • आगरा का ताजमहल भारत की शान और प्रेम का प्रतीक चिह्न माना जाता है। यह विश्व धरोहर मकबरा है। इसका निर्माण मुग़ल सम्राट शाहजहाँ ने अपनी पत्नी मुमताज़ महल की याद में करवाया था।
  • वर्ष 1983 में ताजमहल को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया।
  • यह उत्तर प्रदेश के आगरा ज़िले में स्थित है। मुगलों का सबसे पसंदीदा शहर होने के कारण ही उन्होंने ‍दिल्ली से पहले आगरा को अपनी राजधानी बनाया।
  • इतिहास के अनुसार सिकंदर लोदी ने इस शहर को वर्ष 1504 में बसाया था।

स्रोत : द इंडियन एक्सप्रेस


जैव विविधता और पर्यावरण

वैश्विक आकलन रिपोर्ट

चर्चा में क्यों?

हाल ही में ‘आपदा जोखिम न्यूनीकरण संयुक्त राष्ट्र कार्यालय’ (United Nations Office for Disaster Risk Reduction- UNDRR) ने ‘वैश्विक आकलन रिपोर्ट’ (Global Assessment Report- GAR) जारी की है। इस रिपोर्ट में जलवायु परिवर्तन, पर्यावरणीय गिरावट और अन्य आपदाओं की वज़ह से उत्पन्न खतरों पर चर्चा की गई है।

प्रमुख बिंदु

  • ‘आपदा जोखिम न्यूनीकरण संयुक्त राष्ट्र कार्यालय’ द्वारा आयोजित ग्लोबल प्लेटफॉर्म पर वैश्विक आकलन रिपोर्ट जारी की गई।
  • सरकार, निजी क्षेत्र और नागरिक समाज के 5,000 प्रतिभागी इस पाँच दिवसीय कार्यक्रम में भाग ले रहे हैं, जिसे सितंबर में जलवायु सम्मेलन से पहले तैयारी हेतु आयोजित एक कार्यक्रम के रूप में देखा जा रहा है।
  • भारत की तरफ से प्रधानमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव पी.के. मिश्रा की अध्यक्षता में एक उच्च-स्तरीय प्रतिनिधिमंडल इस कार्यक्रम में भाग ले रहा है।

gar

  • गौरतलब है कि इस रिपोर्ट में दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं को जलवायु परिवर्तन के फलस्वरूप उत्पन्न नए और बड़े खतरों के बारे में चेतावनी दी गई है।
  • विशेष रूप से एशिया प्रशांत (जिसकी वैश्विक आर्थिक नुकसान में 40% की हिस्सेदारी है) के जापान, चीन, कोरिया और भारत जैसी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं पर जलवायु परिवर्तन का सबसे बड़ा खतरा है।
  • इस रिपोर्ट में बाढ़, भूस्खलन और भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं के अलावा वायु प्रदूषण तथा जैविक खतरों को मानव जीवन हेतु एक बड़ा जोखिम बताया गया है।
  • इसके साथ ही यह भी कहा गया है कि अगर कथित देश ‘आपदा जोखिम न्यूनीकरण’ में निवेश नहीं करते हैं, तो सालाना सकल घरेलू उत्पाद का 4% तक आर्थिक नुकसान हो सकता है।
  • ऐसा अनुमान लगाया गया है कि यदि ‘आपदा जोखिम न्यूनीकरण’ में 6 बिलियन डॉलर का वार्षिक निवेश किया गया तो प्रत्येक वर्ष 360 बिलियन डॉलर तक का लाभ प्राप्त हो सकता है।
  • रिपोर्ट में चेतावनी देते हुए कहा गया है कि पृथ्वी और सामाजिक-पारिस्थितिक व्यवस्था में बहुत तेज़ी से परिवर्तन आ रहा है, अब हमारे पास शिथिलता के लिये वक्त नहीं है। यदि परिवर्तन हेतु उचित उपाय नहीं किये गए तो यह खतरा हमारे अस्तित्व के लिये भी घातक साबित हो सकता है।

भारत की स्थिति

  • भारत ने 2015 में संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों द्वारा अपनाए गए ‘आपदा जोखिम न्यूनीकरण’ हेतु सेंदाइ फ्रेमवर्क के लक्ष्यों को प्राप्त करने में बड़ी प्रगति की है, जो आपदा मृत्यु दर और आर्थिक नुकसान को कम करने की बात करता है।
  • राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, भारत के एक सदस्य के अनुसार, हाल ही में चक्रवात फणि (जिसने ओडिशा के कुछ हिस्सों में भारी आर्थिक तबाही मचाई थी) से निपटते हुए भारत 24 घंटो के भीतर 1.2 मिलियन से अधिक लोगों को वहाँ से सुरक्षित निकालने में सफल रहा।
  • भारत की सफलता का अनुमान इस बात से भी लगाया जा सकता है कि फणि जैसे ही एक चक्रवात ने वर्ष 1999 में भारी तबाही मचाई थी और इसमें 10,000 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी।

समाधान क्या है?

  • ‘वैश्विक आकलन रिपोर्ट’ में सरकारों से यह आग्रह किया गया है कि सेंदाई फ्रेमवर्क को अमल में लाएँ और आपदा प्रबंधन की बजाय जोखिम को कम करने पर ध्यान केंद्रित किया जाए।

सेंदाई फ्रेमवर्क क्या है?

  • सेंदाई फ्रेमवर्क एक प्रगतिशील ढाँचा है और इस फ्रेमवर्क का उद्देश्य वर्ष 2030 तक आपदाओं के कारण महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे को होने वाले नुकसान एवं प्रभावित लोगों की संख्या को कम करना है।
  • यह 15 वर्षों के लिये स्वैच्छिक और गैर-बाध्यकारी समझौता है, जिसके अंतर्गत आपदा जोखिम को कम करने के लिये राज्य की भूमिका को प्राथमिक माना जाता है, लेकिन यह ज़िम्मेदारी अन्य हितधारकों समेत स्थानीय सरकार एवं निजी क्षेत्र के साथ साझा की जानी चाहिये।
  • संयुक्त राष्ट्र के सदस्य राज्यों ने वर्ष 2015 में सेंदाई फ्रेमवर्क को अपनाया था।

संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय आपदा न्यूनीकरण रणनीति (United Nations International Strategy for Disaster Reduction-UNISDR)

  • UNISDR संयुक्त राष्ट्र सचिवालय का हिस्सा है और इसके कार्य सामाजिक, आर्थिक, पर्यावरणीय और मानवतावादी क्षेत्रों में विस्तारित हैं।
  • संयुक्त राष्ट्र महासभा ने दिसंबर 1999 में आपदा न्यूनीकरण के लिये अंतर्राष्ट्रीय रणनीति अपनाई और इसका कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिये इसके सचिवालय के रूप में UNISDR की स्थापना की।
  • संयुक्त राष्ट्र प्रणाली में आपदा जोखिम की कमी के लिये क्षेत्रीय संगठनों और सामाजिक-आर्थिक तथा मानवीय गतिविधियों के बीच समन्वय और सामंजस्य सुनिश्चित करने हेतु वर्ष 2001 में इसके जनादेश को संयुक्त राष्ट्र प्रणाली में केंद्रबिंदु के रूप में कार्य करने हेतु विस्तारित किया गया था।
  • UNISDR को 18 मार्च, 2015 को सेंदाई, जापान में आयोजित आपदा जोखिम में कमी पर तीसरे संयुक्त राष्ट्र विश्व सम्मेलन में अपनाया गया था।

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण

  • राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (National Disaster Management Authority- NDMA) भारत में आपदा प्रबंधन के लिये एक सर्वोच्च निकाय है, जिसका गठन ‘आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005’ के तहत किया गया था।
  • यह आपदा प्रबंधन के लिये नीतियों, योजनाओं एवं दिशा-निर्देशों का निर्माण करने के लिये ज़िम्मेदार संस्था है, जो आपदाओं का समय पर प्रभावी प्रतिक्रिया सुनिश्चित करता है।
  • भारत के प्रधानमंत्री द्वारा इस प्राधिकरण की अध्यक्षता की जाती है।

उद्देश्य

  • इस संस्था का उद्देश्य एक समग्र, प्रो-एक्टिव, प्रौद्योगिकी संचालित सतत् विकास रणनीति के माध्यम से सुरक्षित और डिजास्टर रेसिलिएंट भारत का निर्माण करना है, जिसमें सभी हितधारकों को शामिल किया गया है।
  • यह आपदा की रोकथाम, तैयारी एवं शमन जैसे कार्यों को बढ़ावा देता है।

राष्‍ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना (National Disaster Management Plan)

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1 जून, 2016 को राष्‍ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना जारी की।
  • देश में तैयार की गई इस तरह की यह पहली योजना है। इसका उद्देश्‍य भारत को आपदा प्रतिरोधक बनाना और जनजीवन तथा संपत्ति के नुकसान को कम करना है।
  • यह योजना ‘सेंदाई फ्रेमवर्क’ के प्रमुख लक्ष्यों पर आधारित है।

‘वैश्विक आकलन रिपोर्ट’ (Global Assessment Report- GAR)

  • ‘वैश्विक आकलन रिपोर्ट’ (GAR) आपदा जोखिम को कम करने के विश्वव्यापी प्रयासों पर संयुक्त राष्ट्र की एक प्रमुख रिपोर्ट है।
  • ‘वैश्विक आकलन रिपोर्ट’ (GAR) को आपदा जोखिम न्यूनीकरण संयुक्त राष्ट्र कार्यालय द्वारा द्विवार्षिक रूप से प्रकाशित किया जाता है

स्रोत- हिंदुस्तान टाइम्स


विविध

भारत में भुगतान और निपटान प्रणाली: विज़न 2019-2021 दस्तावेज़

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India-RBI) ने भारत में 'भुगतान और निपटान प्रणाली: विज़न 2019 - 2021' (Payment and Settlement System in India: Vision 2019 - 2021) दस्तावेज़ जारी किया है।

प्रमुख बिंदु

  • 'विशेष (ई) भुगतान अनुभव को सशक्त बनाने' (Empowering Exceptional (e)payment Experience) के केंद्रीय विषय वाले इस विज़न डॉक्यूमेंट का उद्देश्य प्रत्येक भारतीय की ई-भुगतान विकल्पों के सुरक्षित, सुविधाजनक, त्वरित एवं सरल समूह तक पहुँच सुनिश्चित करना है।
  • अपने 36 विशिष्ट कार्य बिंदुओं और 12 विशिष्ट परिणामों के साथ इसका लक्ष्य प्रतिस्पर्द्धा, लागत-प्रभावशीलता, सुविधा और आत्मविश्वास (Competition, Cost effectiveness, Convenience and Confidence- 4C) के माध्यम से एक 'अत्यधिक डिजिटल' और 'कैश-लाइट' (अर्थात् एक ऐसी अर्थव्यवस्था जिसमें नकद पूंजी का प्रवाह कम-से-कम हो) प्रणाली को प्राप्त करना है।
  • विज़न दस्तावेज़ के अनुसार, दो वर्षों में डिजिटल लेन-देन में चार गुना की वृद्धि की परिकल्पना की गई है।
  • RBI द्वारा विशिष्ट खुदरा इलेक्ट्रॉनिक भुगतान प्रणालियों में वृद्धि की उम्मीद की गई है, यह अनुमान लेन-देन की संख्या और उपलब्धता में वृद्धि के संदर्भ में व्यक्त किया गया है।
  • विज़न दस्तावेज़ की अवधि के अंतर्गत UPI और  IMPS जैसी भुगतान प्रणालियों द्वारा औसतन 100% NEFT में 40% से अधिक की वार्षिक वृद्धि दर्ज करने की उम्मीद है।
  • इस अवधि के दौरान प्वाइंट-ऑफ-सेल (PoS) टर्मिनलों पर डेबिट कार्ड लेन-देन में वृद्धि के माध्यम से वस्तुओं और सेवाओं की खरीद हेतु भुगतान के डिजिटल तरीकों के उपयोग में 35% की वृद्धि का लक्ष्य तय किया गया है।
  • नकदी के चलन में कमी करने हेतु कोई विशिष्ट लक्ष्य निर्धारित नहीं किये गए हैं। PoS अवसंरचना की वर्द्धित उपलब्धता से नकदी की मांग में कमी आने की उम्मीद है, इस प्रकार समय के साथ जीडीपी के प्रतिशत के रूप में नकदी के परिचलन (Cash in Circulation-CIC) में कमी के लक्ष्य को भी प्राप्त किया जा सकता है।
  • इसके अतिरिक्त दस्तावेज़ में ग्राहक जागरूकता में वृद्धि करने, 24×7 हेल्पलाइन की व्यवस्था करने, सिस्टम ऑपरेटरों और सेवा प्रदाताओं के लिये स्व-नियामक संगठन स्थापित करने की बात भी कही गई है।
  • RBI के अनुसार, भुगतान प्रणाली के परिदृश्य में नवाचार और अन्य पक्षों के प्रवेश से परिवर्तन की संभावना हमेशा बनी रहेगी, जिससे ग्राहकों के लिये अधिक-से-अधिक लाभ, श्रेष्ठ लागत और कई भुगतान व्यवस्थाओं तक मुफ्त पहुँच सुनिश्चित किये जाने की भी उम्मीद है।
  • भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम (PSSA), 2007 के तहत भारतीय रिज़र्व बैंक भारत में भुगतान और निपटान प्रणाली को विनियमित करने के लिये अधिकृत है।

भुगतान और निपटान प्रणाली की निगरानी

  • भुगतान और निपटान प्रणाली की निगरानी केंद्रीय बैंक का कार्य है जिसके द्वारा मौजूदा और नियोजित प्रणालियों की निगरानी के माध्यम से सुरक्षा और दक्षता के उद्देश्यों को बढ़ावा दिया जाता है। साथ ही इन उद्देश्यों के संबंध में इनका आकलन किया जाता है और जहाँ कहीं आवश्यक होता है वहाँ परिवर्तन किया जाता है। भुगतान और निपटान प्रणाली की देखरेख के माध्यम से केंद्रीय बैंक प्रणालीगत स्थिरता बनाए रखने और प्रणालीगत जोखिम को कम करने, भुगतान एवं निपटान प्रणाली में जनता के विश्वास को बनाए रखने में मदद करता है।
  • भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 और उसके अंतर्गत बनाई गई भुगतान और निपटान प्रणाली विनियमावली, 2008 भारतीय रिज़र्व बैंक को आवश्यक सांविधिक समर्थन प्रदान करती है ताकि यह देश में भुगतान और निपटान प्रणाली के निरीक्षण का कार्य कर सके।

भारत में डिजिटल भुगतान का विकास

  • भारत की डिजिटल भुगतान प्रणाली पिछले कई वर्षों से मज़बूती के सा​थ विकसित हो रही है, जो सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के विकास से प्रेरित है तथा भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा प्रस्तावित कार्यप्रणाली के अनुरूप है।
  • नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) की स्थापना वर्ष 2008 में की गई थी, जो खुदरा भुगतान प्रणाली के विकास को गति प्रदान कर रहा है। भुगतान प्रणाली के विकास की प्रक्रिया में प्राप्त महत्त्वपूर्ण मील के पत्थरों में शामिल हैं:
  • 1980 के दशक के आरंभ में MICR समाशोधन की शुरुआत हुई। यह ऑनलाइन इमेज-आधारित चेक समाशोधन प्रणाली है जहाँ चेक-इमेज एवं मैग्नेटिक इंक कैरेक्टर रिकग्निशन (MICR) डेटा को एकत्र कर बैंक शाखा में अभिलिखित किया जाता है तथा इलेक्ट्रॉनिक रूप से प्रसारित किया जाता है।
  • 1990 में इलेक्ट्रॉनिक समाशोधन सेवा तथा इलेक्ट्रॉनिक निधि हस्तांतरण।
  • 1990 के दशक में बैंकों द्वारा क्रेडिट एवं डेबिट कार्ड जारी करना।
  • वर्ष 2003 में नेशनल फाइनेंशियल स्विच की शुरुआत जिसने पूरे देश में ATMs को आपस में जोड़ने की शुरुआत की।
  • वर्ष 2004 में RTGS एवं NEFT सेवा की शुरुआत।
  • वर्ष 2008 में चेक ट्रंकेशन सिस्टम (CTS) की शुरुआत। चेक ट्रंकेशन सिस्टम (CTS) या इमेज-आधारित क्लियरिंग सिस्टम (ICS) चेकों के तेज़ी से समाशोधन के लिये प्रणाली है। चेक ट्रंकेशन का अर्थ है अदाकर्त्ता शाखा को आदेशक बैंक शाखा द्वारा जारी किये गए चेकों के भौतिक प्रवाह को रोकना।
  • वर्ष 2009 में 'बिना कार्ड पेश किये' लेनदेन। इसका उपयोग आमतौर पर इंटरनेट पर किये गए भुगतानों के लिये किया जाता है, लेकिन e-मेल या फैक्स द्वारा या टेलीफोन पर मेल-ऑर्डर लेनदेन में भी किया जा सकता है।
  • वर्ष 2013 में नई सुविधाओं के साथ नए RTGS की शुरुआत की गई जिसमें बैंकों को ISO 20022 मानक संदेश प्रारूप अपनाने की आवश्यकता थी। भुगतान प्रणाली के लिये ISO 20022 मानक संदेश प्रारूप शुरू करने का उद्देश्य देश में विभिन्न भुगतान प्रणालियों के मानकीकरण तथा उनका अंतर्राष्ट्रीय मानक के अनुरूप किया जाना है।
  • गैर-बैंक संस्थाओं द्वारा प्री-पेड इंस्ट्रूमेंट (PPI) जारी करने की शुरुआत की गई, जिसमें मोबाइल और डिजिटल वॉलेट शामिल हैं। BHIM (Bharat Interface for Money) यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) पर आधारित भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) द्वारा विकसित एक मोबाइल भुगतान एप है।
  • ये प्रगतियाँ देश में डिजिटल भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र के विकास का मूल्यांकन करती हैं। इसके परिणामस्वरूप वर्ष 2016 में श्री रतन पी. वाटल, प्रमुख सलाहकार, NITI आयोग की अध्यक्षता में डिजिटल भुगतान पर समिति की स्थापना की गई।

नीति आयोग : डिजिटल भुगतान प्रवृत्ति, मुद्दे तथा अवसर


विविध

Rapid Fire करेंट अफेयर्स (16 May)

  • नई दिल्ली में हुई WTO के 23 विकासशील एवं अल्प-विकसित देशों के मंत्रियों की बैठक में भारत ने WTO के प्रावधानों के तहत विकासशील देशों को दी जाने वाली छूट पर कुछ विकसित देशों द्वारा उठाए जा रहे प्रश्नों को विवादित तथा विभेद उत्पन्न करने वाला बताया। भारत का कहना है कि WTO के विवाद समाधान निकाय के सदस्यों की नियुक्ति का संकट WTO पर असर डालेगा। बैठक के बाद 14 मई को जारी हुई घोषणा में नियम आधारित बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली के महत्त्व को पुनर्स्थापित करने पर जोर दिया गया तथा WTO में सुधारों के लिये सुझाव दिये गए। भारत का मानना है कि WTO के लिये यह मुश्किल दौर है, विशेषकर विकासशील सदस्य देशों के लिये। अपीलीय निकाय में व्याप्त संकट के कारण बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली में शक्ति का दौर लौट आने का खतरा है। उल्लेखनीय है कि अपीलीय निकाय के कार्य करने के लिये इसमें न्यूनतम तीन सदस्यों का रहना अनिवार्य है। निकाय के सदस्यों की नियुक्ति में रुकावट के कारण इस साल 10 दिसंबर के बाद सदस्यों की संख्या तीन से भी कम हो जाएगी, जिससे यह निकाय बेकार हो जाएगा। इस बैठक में चीन, ब्राज़ील, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, नाइजीरिया, बांग्लादेश और मलेशिया सहित कुल 16 विकासशील और 6 विकसित देशों ने हिस्सा लिया। बैठक में WTO के महानिदेशक रोबर्तो एजेवेदो ने भी भाग लिया।
  • केंद्र सरकार ने लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) पर लगे प्रतिबंध को गैर-कानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम, 1967 की धारा-3 की उप-धाराएं (1) और (3) के तहत तुरंत प्रभाव से पाँच साल और बढ़ा दिया है। इसके लिये जारी अधिसूचना में कहा गया है कि लिट्टे की लगातार हिंसक और विघटनकारी गतिविधियाँ भारत की अखंडता और संप्रभुता के लिये नुकसानदेह हैं। इसका भारत के विरुद्ध लगातार कठोर रुख जारी है और यह भारतीय नागरिकों की सुरक्षा के लिये गंभीर खतरा बना हुआ है। गौरतलब है कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के लिये ज़िम्मेदार लिट्टे का आज से 10 साल पहले श्रीलंका की सेना ने सफाया कर देश से आतंकवाद के समूल उन्मूलन का ऐलान किया था। श्रीलंका के इस विद्रोही संगठन पर सबसे पहले भारत ने 27 साल पूर्व 1992 में 14 मई को प्रतिबंध लगाया था। उसके बाद से इस प्रतिबंध को लगातार बढ़ाया जाता रहा है।
  • सेना की संचार प्रणाली को अचूक बनाने के लिये एनालॉग आधारित रेडियो प्रणाली की जगह डिजिटल रेडियो फ्रीक्वेंसी तकनीक अपनाने की तैयारी चल रही है। इसका सफल प्रयोग DRDO के देहरादून स्थित डिफेंस इलेक्ट्रॉनिक्स एप्लीकेशंस लैबोरेटरी ने पूरा कर लिया है। इस तकनीक से सेना बिना किसी व्यवधान के आपस में बात कर पाएगी और इससे ध्वनि भी पहले की अपेक्षा काफी स्पष्ट मिलेगी। खराब मौसम में भी इस माध्यम से बेहतर वार्तालाप किया जा सकेगा और दुश्मन भी इस वार्तालाप को नहीं पकड़ पाएगा। संचार व्यवस्था को उत्कृष्ट बनाने के लिये सैटेलाइट आधारित अत्याधुनिक सेटकॉम टर्मिनल भी विकसित किये गए हैं। इस योजना के पहले चरण में नौसेना के युद्धक विमान में डिजिटल रेडियो आधारित संचार प्रणाली का प्रयोग किया जा रहा है। इसके अलावा डिजिटल रेडियो फ्रीक्वेंसी आधारित हैंड-हेल्ड डिवाइस और मैन पैक डिवाइस भी तैयार किये गए हैं।
  • इसरो के चेयरमैन डॉ. के. सिवन ने 13 मई को युवा विज्ञानी कार्यक्रम (युविका) की शुरुआत की। इसरो के कैच देम यंग अभियान का उद्देश्य विज्ञान और वैज्ञानिक गतिविधियों में रुचि रखने वाले भविष्य के वैज्ञानिकों को तलाशना और उन्हें अंतरिक्ष संबंधी गतिविधियों से जोड़ना है। इसरो के युविका प्रोग्राम के अंतर्गत बाल वैज्ञानिकों को दो सप्ताह तक इसरो में अंतरिक्ष विज्ञान की गतिविधियों को जानने, समझने और जुड़ने का अवसर मिलेगा। यह कार्यक्रम इसरो के चार केंद्रों पर चलाया जा रहा है। इस दौरान बच्चों को देश के जाने-माने वैज्ञानिकों को सुनने और उनसे मिलने का अवसर मिलेगा। इसके साथ ही इसरो की तकनीकी व्यवस्था और उन्नत केंद्रों का भ्रमण, विशेषज्ञों के साथ वार्तालाप और प्रैक्टिकल देखने का मौका भी मिलेगा। युविका कार्यक्रम के तहत चयनित बच्चों के आने-जाने, ठहरने आदि का पूरा खर्च इसरो ही वहन कर रहा है।
    • 15 मई को अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस का आयोजन किया गया। हर साल मई महीने में अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस का आयोजन संयुक्त परिवार के महत्त्व और जीवन में परिवार की ज़रूरत के प्रति युवाओं में जागरूकता उत्पन्न करने के लिये किया जाता है। इसकी शुरुआत 1993 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा वैश्विक समुदाय परिवारों को जोड़ने वाली पहल के रूप में और परिवारों से संबंधित मुद्दों के बारे में जागरूकता फैलाने, परिवारों को प्रभावित करने वाले आर्थिक, जनसांख्यिकीय और सामाजिक प्रक्रियाओं के बारे में जानकारी देने के लिये की गई थी। 1996 में पहली बार इस दिवस का आयोजन किया गया था। इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस की थीम Families and Climate Action: Focus on SDG13 रखी गई है।
  • विश्व स्वर्ण परिषद (WGC) ने डिजिटल गोल्ड के लिये दिशा-निर्देश तैयार किये हैं। इन दिशा-निर्देशों तहत निवेशकों के साथ ही डिजिटल गोल्ड खरीदने से संबंधित सेवाएँ देने वाली इकाइयों के लिये भी कायदे-कानून तय किये गए हैं। निवेशकों की सुरक्षा और बेहतर व्यवस्था तैयार करने के लिये ये दिशानिर्देश बनाए गए हैं। इस मुद्दे पर WGC ने यह भी कहा है कि भारत जैसे प्रमुख बाज़ारों में इंटरनेट के ज़रिये सोना खरीदने के साथ कुछ जोखिम भी जुड़े हैं। इन दिशा-निर्देशों के साथ ही परिषद ने भारत सरकार को देश में डिजिटल गोल्ड के लिये नियामकीय दिशानिर्देश जारी करने के लिये कहा है। भारत में पिछले दो वर्षों के दौरान तीन इकाइयाँ इस कारोबार में उतरी हैं और अनुमान है कि इन्होंने करीब 8 करोड़ डिजिटल गोल्ड खाते खोले हैं। डिजिटल गोल्ड में निवेश संबंधी दिशा-निर्देशों में संभावित निवेशकों को सही निर्णय लेने में मदद के लिये आवश्यक सूचनाएँ दी गई हैं।
  • जापान ने दुनिया में सबसे तेज़ चलने वाली बुलेट ट्रेन का परीक्षण शुरू कर दिया है। इस ट्रेन की अधिकतम स्पीड 400 किलोमीटर प्रति घंटा होगी। शिनकानसेन ट्रेन के इस ALFA-X संस्करण का तीन साल तक परीक्षण किया जाएगा और वर्ष 2030 तक इस ट्रेन का परिचालन शुरू हो जाएगा। इस ट्रेन का परीक्षण सप्ताह में दो बार सेंडई और ओमोरी शहरों के बीच किया जाएगा, जो कि एक-दूसरे से लगभग 280 किलोमीटर की दूरी पर हैं। तब यह 360 किमी. प्रति घंटे की रफ्तार से चलेगी, जो कि दुनिया की सबसे तेज़ रफ्तार वाली ट्रेन होगी। यह ट्रेन चीन की फॉक्सिंग ट्रेन को पीछे छोड़ देगी, जो ALFA-X (Advanced Labs for Frontline Activity in rail eXperimentation) जैसी तेज़ स्पीड को ध्यान में रखकर डिज़ाइन की गई है। लंबी नुकीली नाक वाली जापान की इस बुलेट ट्रेन का मॉडल फ्यूचरिस्टिक डिज़ाइन पर आधारित है।

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