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डेली न्यूज़

  • 16 Feb, 2019
  • 32 min read
भारत-विश्व

सरकार ने ई-वीज़ा व्यवस्था को बनाया पर्यटकों के अनुकूल

चर्चा में क्यों?

सितंबर 2014 में 46 देशों के साथ शुरू की गई ई-पर्यटक वीज़ा (e-Tourist Visa) व्‍यवस्‍था, अब 166 देशों के लिये लागू कर दी गई है। हाल ही में सरकार ने ई-वीज़ा व्यवस्था (e-Visa Regime) में कई संशोधन कर इसे उदार बनाते हुए पर्यटकों के लिये और अधिक अनुकूल बना दिया है।

महत्त्वपूर्ण संशोधन

  • ई-पर्यटक (e-Tourist) और ई-व्‍यापार (e-Business) वीज़ा के तहत भारत में प्रवास की अवधि ठहरने की शर्तों के अनुसार मल्‍टीपल एंट्री सहित अधिकतम 1 वर्ष है। संशोधन से पूर्व यह अवधि दोहरी प्रविष्टि के साथ अधिकतम 60 दिनों के लिये निर्धारित थी।
  • साथ ही विदेशी नागरिक को अधिकतम तीन बार वीज़ा अनुमति देने के मौजूदा प्रतिबंध को हटाकर ‘अनेक बार’ कर दिया गया है।

ई-पर्यटन वीज़ा के मामले में संशोधन

  • प्रत्येक यात्रा के दौरान ई- वीज़ा पर निरंतर प्रवास अमेरीका, ब्रिटेन, कनाडा और जापान के नागरिकों को छोड़कर ई-वीज़ा प्रदान किये जाने के पात्र सभी देशों के नागरिकों के मामले में 90 दिनों से अधिक नहीं होगा।
  • अमेरीका (USA), ब्रिटेन (UK), कनाडा और जापान के नागरिकों के मामले में प्रत्येक यात्रा के दौरान निरंतर प्रवास 180 दिनों से अधिक नहीं होना चाहिये।
  • सभी मामलों में पंजीकरण की आवश्यकता नहीं होगी।

ई-व्‍यापार वीज़ा के मामले में संशोधन

  • ई-वीज़ा प्रदान किये जाने के लिये पात्र सभी देशों के नागरिकों के मामले में प्रत्येक यात्रा के दौरान निरंतर प्रवास 180 दिनों से अधिक नहीं होना चाहिये।
  • 180 दिनों से कम अवधि के प्रवास पर किसी पंजीकरण की आवश्यकता नहीं होगी।

संशोधन से पूर्व ई-पर्यटन वीज़ा तथा ई-व्‍यापार वीज़ा दोनों ही मामलों में प्रति यात्रा प्रवास की अवधि अधिकतम 60 दिन थी।

अन्य परिवर्तन:

  • ई-वीज़ा दो और नामित हवाई अड्डों (भुवनेश्वर और पोर्ट ब्लेयर) के माध्यम से प्रवेश के लिये वैध है, ऐसे हवाई अड्डों की कुल संख्या बढ़ाकर 28 कर दी गई है। पूर्व में इन हवाई अड्डों की संख्या 26 थी जहाँ ई-वीज़ा के माध्यम से प्रवेश वैध है।
  • डेस्टिनेशन वेडिंग वीज़ा की कोई अलग श्रेणी नहीं है, सामान्य ई-पर्यटन वीज़ा या पर्यटन वीज़ा के तहत डेस्टिनेशन वेडिंग में भाग लिया जा सकता है।
  • भारत में प्रवास के दौरान बीमार पड़ने वाले विदेशी नागरिक अब अपने वीज़ा को मेडिकल वीज़ा (Medical Visa) में परिवर्तित किये बिना चिकित्सा उपचार प्राप्त कर सकते हैं। इसमें चिकित्सा संबंधी  आपात स्थितियों का ख्याल रखा जाएगा।
  • कोरिया गणराज्य (Republic of Korea) के नागरिकों को आगमन-पर-वीज़ा देने की सुविधा प्रदान की गई है। पहले यह सुविधा केवल जापान के लिये उपलब्ध थी।

स्रोत : पी.आई.बी


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारत ने पाकिस्तान से 'सबसे पसंदीदा राष्ट्र' (MFN) का दर्जा वापस लिया

चर्चा में क्यों?

हाल ही में जम्मू कश्मीर के पुलवामा ज़िले में केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल (Central Reserve Police Force-CRPF) पर हुए हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को दिया गया 'सबसे पसंदीदा राष्ट्र' (Most-Favoured Nation-MFN) का दर्जा वापस वापस लेने की बात कही है।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकी हमले में केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल के 40 जवानों के शहीद होने की घटना के पश्चात् भारत ने पाकिस्तान को दिया सबसे पसंदीदा राष्ट्र (Most-Favoured Nation) का दर्जा वापस ले लिया।
  • भारत अब पाकिस्तान के खिलाफ सीमा शुल्क, बंदरगाह प्रतिबंध और आयात होने वाले सामानों पर प्रतिबंध लगाने जैसे महत्वपूर्ण कदम उठाने पर विचार कर रहा है।
  • आतंकवादियों द्वारा किया गया यह हमला अब तक के सबसे घातक हमलों में से एक था। इस हमले में केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल के 40 जवान शहीद हो गए तथा पाँच जवान बुरी तरह से घायल हो गए।
  • यह हमला केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल के बस काफिले के गुजरने के दौरान जम्मू-कश्मीर हाईवे पर अवंतिपोरा इलाके में 100 किग्रा. विस्फोटक से लदी कार ने इस काफिले की एक बस को टक्कर मार दी जिससे बस में सवार जवानों कि मृत्यु हो गई।
  • पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन जैश-ए मोहम्मद ने इस आतंकवादी हमले की ज़िम्मेदारी ली है।

MFN (Most-Favoured Nation) क्या है?

  • विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organisation-WTO) के टैरिफ एंड ट्रेड पर जनरल समझौते (General Agreement on Tariffs and Trade-GATT) के तहत MFN का दर्जा दिया गया था। भारत और पाकिस्तान दोनों ही WTO के हस्ताक्षरकर्त्ता देश हैं तथा विश्व व्यापार संगठन के सदस्य हैं, जिसका अर्थ है कि उन्हें माल पर सीमा शुल्क लगाने के मामले में एक-दूसरे एवं WTO के अन्य सदस्य देशों के साथ व्यापारिक साझेदार के रूप में व्यवहार करना आवश्यक है।
  • 1996 में भारत ने पाकिस्तान को MFN का दर्जा दिया था हालांकि 2012 में पाकिस्तान ने भारत को MFN का दर्जा देने की प्रतिबद्धता जताई थी लेकिन बाद में मुकर गया।
  • पाकिस्तान MFN के बजाय भारत को गैर-भेदभावपूर्ण बाज़ार पहुँच (Non-Discriminatory Market Access-NDMA) का दर्जा देने पर काम कर रहा था, लेकिन यह भी घोषित नहीं किया गया।

भारत द्वारा MFN का दर्जा वापस लेने का क्या प्रभाव पड़ेगा?

  • MFN का दर्जा वापस लेने का मतलब है कि भारत अब पाकिस्तान से आने वाले सामान पर सीमा शुल्क बढ़ा सकता है। इससे भारत में पाकिस्तान द्वारा किया गया निर्यात प्रभावित होगा। यह निर्यात 2017-18 में 488.5 मिलियन डॉलर (लगभग 3,482.3 करोड़ रुपए) का था लेकिन MFN का दर्जा वापस लेने से यह बहुत कम हो सकता है।
  • कुछ समय पहले आई एक सूचना के अनुसार, पकिस्तान के पास भारत को MFN का दर्जा देने के लिये ‘कोई तात्कालिक योजना’ नहीं है। पाकिस्तान वाघा सीमा भूमि मार्ग के माध्यम से भारत से केवल 137 उत्पादों का निर्यात करने की अनुमति देता है।

भारत का पाकिस्तान के साथ व्यापार

  • भारत मुख्य रूप से कपास, रंजक, रसायन, प्लास्टिक, सब्जियाँ और लोहा तथा इस्पात निर्यात करता है, जबकि फल, सीमेंट, चमड़ा और मसाले आयात करता है।
  • भारत में पाकिस्तान द्वारा निर्यात की जाने वाली मुख्य वस्तुओं में ताज़े फल, सीमेंट, पेट्रोलियम उत्पाद, थोक खनिज और अयस्क और तैयार चमड़ा शामिल है।

MFN का महत्त्व

  • विकासशील देशों के लिये MFN स्टेटस व्यापार में सहयोगात्मक भूमिका निभाता है। MFN हस्ताक्षरकर्त्ता देशों में व्यापार हेतु सामानों की बाज़ार तक व्यापक पहुँच सुनिश्चित की जाती है, साथ ही बहुत कम टैरिफ और व्यापार बाधाओं के चलते निर्यात होने वाली वस्तुओं की लागत में कमी आती है।
  • यह आयात के क्षेत्र में आने वाली नौकरशाही बाधाओं और विभिन्न प्रकार के अन्य शुल्कों को भी कम करता है। इससे वस्तुओं की मांग बढ़ती है और अर्थव्यवस्था एवं निर्यात को बढ़ावा मिलता है।
  • एक आधिकारिक सूचना के अनुसार, वाणिज्य मंत्रालय जल्द ही विश्व व्यापार संगठन को सुरक्षा की दृष्टि से पाकिस्तान को MFN का दर्जा न देने के अपने फैसले के बारे में अधिसूचित करेगा। शीघ्र ही मंत्रालय पाकिस्तान से आयातित सामानों की सूची पर काम करेगा, जिस पर भारत द्वारा सीमा शुल्क बढाया जाएगा।

स्रोत – द हिंदू, टाइम्स ऑफ इंडिया


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

अमेरिका में राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा

चर्चा में क्यों?

हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने अमेरिका-मेक्सिको सीमा पर एक दीवार (U.S.-Mexico Border) बनाने की अपनी प्रतिज्ञा पूरी करने के लिये राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा की। राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर करने के बाद यह घोषणा-पत्र लागू हो गया।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा सरकार एवं अमेरिकी कॉन्ग्रेस के साथ टकराव के बीच पुनः राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा कर दी गई।
  • अपने राष्ट्रपति चुनाव प्रचार के दौरान डोनाल्ड ट्रंप द्वारा देश की सुरक्षा के लिये अमेरिका और मक्सिको के बीच एक दीवार बनाने का वादा किया गया था।
  • ट्रंप के अनुसार, अमेरिका-मेक्सिको सीमा पर दीवार बनाने का मुख्य उद्देश्य अवैध अप्रवासियों को देश में प्रवेश से रोकना और नशीली दवाओं पर अंकुश लगाना है।
  • राष्ट्रपति ने डेमोक्रेटिक सांसदों एवं कॉन्ग्रेस को दरकिनार करते हुए इस आपातकाल की घोषणा की है, व्हाइट हाउस ने इस घोषणा को दीवार निर्माण के लिये धन प्राप्त करने हेतु आवश्यक बताया है।

अमेरिका में राष्ट्रीय आपातकाल

  • अमेरिकी संविधान में आपातकाल की घोषणा के बाद समस्‍त शक्तियाँ राष्‍ट्रपति में निहित हो जाती हैं। आपातकाल में समस्‍त वित्‍तीय शक्तियाँ भी राष्‍ट्रपति को प्राप्‍त हो जाती हैं।
  • अतः राष्ट्रीय आपातकाल लागू होने से राष्‍ट्रपति को वित्‍तीय सहायता के लिये डेमोक्रेटिक पार्टियों एवं कॉन्ग्रेस के समर्थन की आवश्यकता नहीं होगी। वे आसानी से दीवार बनाने में खर्च होने वाले धन को हासिल कर लेंगे।

पृष्ठभूमि

  • अमेरिका-मेक्सिको सीमा पर दीवार बनाने का वादा डोनाल्ड ट्रंप का अपने राष्ट्रपति चुनाव के दौरान किये गए वादों में से एक है जिसको पूरा करने के लिये राष्ट्रपति प्रतिबद्ध हैं।
  • अपनी इसी प्रतिबद्धता के तहत कुछ समय पहले ट्रंप ने डेमोक्रेट सांसदों से मेक्सिको सीमा पर दीवार खड़ी करने लिये फंड को मंज़ूरी देने की गुज़ारिश की थी।
  • राष्टपति ने वरिष्ठ डेमोक्रेट सांसदों से मुलाक़ात के बाद यह धमकी दी थी वह संसद की मंज़ूरी के बिना मेक्सिको सीमा पर दीवार खड़ी करने के लिये राष्ट्रीय आपातकाल घोषित कर सकते हैं।

विपक्ष की प्रतिक्रिया

  • ट्रंप के इस कदम को दीवार बनाने के लिये ज़रूरी धन जारी करने के लिये विपक्ष पर दबाव बनाने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है। जिसके तहत विपक्ष ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
  • विपक्ष ने राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा करना एक निरर्थक और गैर-कानूनी कार्य बताते हुए इसे राष्ट्रपति पद की शक्तियों का दुरुपयोग बताया है।
  • डेमोक्रेट्स ने ट्रंप के इस कदम को सर्वोच्‍च अदालत में चुनौती देने की बात कही है।

स्रोत – द हिंदू


जैव विविधता और पर्यावरण

ग्रेट बैरियर रीफ को क्षति पहुँचा सकता है बाढ़ का पानी

चर्चा में क्यों?

उत्तरी ऑस्ट्रेलिया में हाल ही में आई बाढ़ का पानी बैरियर रीफ के कुछ हिस्सों में बहने के कारण ग्रेट बैरियर रीफ (Great Barrier Reef) को काफी नुकसान हो सकता है।

प्रमुख बिंदु

  • उत्तरी क्वींसलैंड के कुछ हिस्सों में लगभग दो सप्ताह की अभूतपूर्व बारिश के बाद ऐसी स्थिति पैदा हो गई की सड़कों पर पानी भर गया और बाढ़ का पानी सैकड़ों घरों में घुस गया। अब बाढ़ का यह पानी बैरियर रीफ के कुछ हिस्सों में पहुँच गया है जिसके चलते बैरियर रीफ को काफी क्षति हो सकती है।
  • जेम्स कुक यूनिवर्सिटी (James Cook University) के वैज्ञानिकों के अनुसार, बाढ़ के पानी ने सैकड़ों किलोमीटर की तटरेखा के साथ कई नदियों के साथ बहते हुए उनकी तलछट (sediments) को बैरियर रीफ तक पहुँचा दिया है जिसे वहाँ पानी की गुणवत्ता ख़राब होने के साथ ही इन प्रवाल भित्त्यों को आवश्यक धूप भी कम मात्रा में मिल पा रही है।
  • कोरल रीफ और समुद्री घास के विकास तथा उनके स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए प्रकाश की आवश्यकता होती है लेकिन बाढ़ के पानी के साथ पहुँचे तलछट से ढक जाने के कारण इन्हें पर्याप्त मात्रा में प्रकाश नहीं मिल पा रहा है।
  • उत्तरी क्वींसलैंड की बर्देकिन (Burdekin) नदी के मुहाने जैसे सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में प्रवाल भित्तियाँ समाप्ति की कगार पर पहुँच सकती हैं, क्योंकि बाढ़ का पानी लगभग 100 किलोमीटर की दूरी तक फैला हुआ है।
  • यदि यह पानी वहाँ बहुत अधिक समय तक रहा तो इन प्रवाल भित्तियों में से कुछ को समाप्त होने में बहुत अधिक समय नहीं लगेगा।
  • उल्लेख्नीत है कि 2,300 किलोमीटर (1,400 मील) की यह रीफ पहले ही 2016 और 2017 में कोरल ब्लीचिंग से पीड़ित हो चुकी हैं।

कोरल ब्लीचिंग क्या है?

  • जब तापमान, प्रकाश या पोषण में किसी भी परिवर्तन के कारण प्रवालों पर तनाव बढ़ता है तो वे अपने ऊतकों में निवास करने वाले सहजीवी शैवाल जूजैंथिली को निष्कासित कर देते हैं जिस कारण प्रवाल सफेद रंग में परिवर्तित हो जाते हैं। इस घटना को कोरल ब्लीचिंग या प्रवाल विरंजन कहते हैं।

(टीम दृष्टि इनपुट)

  • क्राउन ऑफ थॉर्न्स स्टारफिश (crown-of-thorns starfish) या कोट्स, जो इन प्रवाल भित्तियों/कोरल रीफ्स को खाती है, की संख्या में भी प्रदूषण और कृषिगत अपवाह के कारण वृद्धि हुई है।

दुनिया का सबसे बड़ा कोरल रीफ सिस्टम है ग्रेट बैरियर रीफ

  • ऑस्ट्रेलिया के पूर्वी तट पर स्थित ग्रेट बैरियर रीफ दुनिया की सबसे बड़ी और प्रमुख अवरोधक प्रवाल भित्ति है।
  • यह ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड के उत्तर-पूर्वी तट में मरीन पार्क के समानांतर 1400 मील तक फैली हुई है।
  • इसकी चौड़ाई 10 मील से 90 मील तक है। महाद्वीपीय तट से इसकी दूरी 10 से 150 मील है।

कोरल रीफ क्या होते हैं?

  • प्रवाल भित्तियाँ या मूंगे की चट्टानें (Coral Reefs) समुद्र के भीतर स्थित प्रवाल जीवों द्वारा छोड़े गए कैल्शियम कार्बोनेट से बनी होती हैं।
  • प्रवाल कठोर संरचना वाले चूना प्रधान जीव (सिलेन्ट्रेटा पोलिप्स) होते हैं। इन प्रवालों की कठोर सतह के अंदर सहजीवी संबंध से रंगीन शैवाल जूजैंथिली (Zooxanthellae) पाए जाते हैं।
  • प्रवाल भित्तियों को विश्व के सागरीय जैव विविधता का उष्ण स्थल (Hotspot) माना जाता है तथा इन्हें समुद्रीय वर्षावन भी कहा जाता है।
  • प्रायः बैरियर रीफ (प्रवाल-रोधिकाएँ) उष्णकटिबंधीय या उपोष्णकटिबंधीय समुद्रों में मिलती हैं, जहाँ तापमान 20-30 डिग्री सेल्सियस रहता है।
  • ये शैल-भित्तियाँ समुद्र तट से थोड़ी दूर हटकर पाई जाती हैं, जिससे इनके बीच छिछले लैगून बन जाते हैं।
  • प्रवाल कम गहराई पर पाए जाते हैं, क्योंकि अधिक गहराई पर सूर्य के प्रकाश व ऑक्सीजन की कमी होती है।
  • प्रवालों के विकास के लिये स्वच्छ एवं अवसादरहित जल आवश्यक है, क्योंकि अवसादों के कारण प्रवालों का मुख बंद हो जाता है और वे मर जाते हैं।
  • प्रवाल भितियों का निर्माण कोरल पॉलिप्स नामक जीवों के कैल्शियम कार्बोनेट से निर्मित अस्थि-पंजरों के अलावा, कार्बोनेट तलछट से भी होता है जो इन जीवों के ऊपर हज़ारों वर्षों से जमा हो रही है।

प्रवालों का वितरण

  • विश्व के सर्वाधिक प्रवाल हिंद-प्रशांत क्षेत्र में पाए जाते हैं।
  • ये भूमध्य रेखा के 30 डिग्री तक के क्षेत्र में पाए जाते हैं।
  • विश्व में पाए जाने वाले कुल प्रवाल का लगभग 30% हिस्सा दक्षिण-पूर्वी एशिया क्षेत्र में पाया जाता है। यहाँ प्रवाल दक्षिणी फिलिपींस से पूर्वी इंडोनेशिया और पश्चिमी न्यू गिनी तक पाए जाते हैं।
  • प्रशांत महासागर में स्थित माइक्रोनेशिया, वानुआतु, पापुआ न्यू गिनी में भी प्रवाल पाए जाते हैं।
  • ऑस्ट्रेलिया के पूर्वी तट पर स्थित ग्रेट बैरियर रीफ दुनिया की सबसे बड़ी और प्रमुख अवरोधक प्रवाल भित्ति है।
  • भारतीय समुद्री क्षेत्र में मन्नार की खाड़ी, लक्षद्वीप और अंडमान निकोबार आदि द्वीप भी प्रवालों से निर्मित हैं।
  • ये प्रवाल लाल सागर और फारस की खाड़ी में भी पाए जाते हैं।

प्रवाल भित्तियों के प्रकार

प्रवाल भित्तियाँ मूल रूप से तीन प्रकार की होती हैं: तटीय या झालरदार, अवरोधक तथा एटॉल।

1. तटीय प्रवाल भित्तियाँ प्रवालों की ऐसी सरंचनाएँ होती हैं, जो समुद्र तल पर मुख्य भूमि के निकट के किनारों पर पाई जाती हैं।

♦ ये चट्टानों के टुकड़ों, मृत प्रवालों और मिट्टी से निर्मित होती हैं।
♦ जीवित प्रवाल बाहरी किनारों एवं ढलानों पर पाए जाते हैं।
♦ ये उन स्थलों पर पाई जाती हैं, जहाँ तापमान 20 डिग्री सेल्सियस से अधिक, लवणता 35 प्रतिशत और पंकिलता न्यून होती है।
♦ भारत में ये मन्नार की खाड़ी तथा अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह में पाई जाती हैं।

2. अवरोधक प्रवाल भित्तियाँ किनारे से दूर पाई जाती हैं।

♦ इनके तथा किनारे के बीच सैकड़ों किलोमीटर चौड़ा लैगून होता है।
♦ बाहरी वृद्धि केंद्रों पर सबसे अधिक प्रवाल भित्तियाँ पाई जाती हैं।
♦ संसार की सबसे बड़ी अवरोधक प्रवाल भित्ति ऑस्ट्रेलिययाई ‘ग्रेट बैरियर रीफ’ इसी प्रकार की प्रवाल भित्ति है।

3. एटॉल, किसी लैगून के चारों ओर प्रवाल भित्तियों की एक पट्टी से निर्मित होता है।

♦ ये भित्तियाँ उथले लैगूनों के किनारों पर अवस्थित होती हैं।

(टीम दृष्टि इनपुट)

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ग्रेट बैरियर रीफ के लिये राहत की खबर


विविध

Rapid Fire करेंट अफेयर्स (16 February)

  • सुप्रीम कोर्ट में दो जजों की खंडपीठ ने मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों के खाली पदों को छह महीने में भरने का आदेश दिया। कोर्ट ने यह निर्देश भी दिया कि केंद्रीय मुख्य सूचना आयुक्त को मुख्य चुनाव आयुक्त की तरह ही स्टेटस दिया जाना चाहिये, ताकि वे कार्यपालिका के नियंत्रण में न रहें। इसके अलावा सूचना आयुक्त का पद खाली होने से एक से दो महीने पहले ही नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू होनी चाहिये। सूचना आयुक्त के खाली पदों पर केवल रिटायर्ड नौकरशाहों की नियुक्ति करना सही नहीं है, इन पदों पर अन्य क्षेत्र के प्रोफेशनल्स की भी नियुक्ति की जानी चाहिये। कोर्ट ने कहा कि सूचना आयुक्तों की नियुक्ति की प्रक्रिया में पारदर्शिता बरतने के लिये चयन प्रक्रिया को विज्ञापन के माध्यम से सार्वजनिक किया जाए। सूचना आयोगों में सदस्यों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिये ताकि अगर कोई पद खाली होता है तो किसी प्रकार की कठिनाई का सामना न करना पड़े।
  • जम्मू-कश्मीर में हाल ही में बनाए गए नए लद्दाख डिवीज़न का मुख्यालय अब लेह के साथ कारगिल में भी बनाए जाने के लिये राज्यपाल सत्यपाल मालिक की मंज़ूरी मिल गई है। अब लद्दाख डिवीज़न में प्रशासनिक और राजस्व विभाग के मुख्यालय लेह और कारगिल में होंगे। लेह और कारगिल के लिये एक-एक एडिशनल डिवीजनल कमिश्नर होगा। डिवीज़नल कमिश्नर और IG आधा समय लेह में और आधान कारगिल में बिताएंगे। इसके अलावा, कारगिल हवाई अड्डे को अपग्रेड करने के लिये राज्य सरकार 200 करोड़ रुपए जारी करने जा रही है ताकि इसे पूरी तरह नागरिक हवाई अड्डे के रूप में विकसित किया जा सके।
  • केंद्र सरकार द्वारा गठित एक समिति ने राष्ट्रीय न्यूनतम मज़दूरी तय करने के संबंध में श्रम और रोज़गार मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद की पोषण आवश्यकताओं को आधार बनाकर विशेषज्ञ समिति ने आवश्यकता आधारित राष्ट्रीय न्यूनतम मज़दूरी 375 रुपए प्रतिदिन (9,750 रुपये प्रतिमाह) तय करने का सुझाव दिया है, जो जुलाई, 2018 के अनुरूप है। समिति ने अतिरिक्त हाउस रेंट भत्ते की भी सिफारिश की है जो शहरी मज़दूरों के संबंध में औसतन 55 रुपये प्रति दिन (1430 रुपए प्रतिमाह) तय किया गया है। गौरतलब है कि श्रम और रोज़गार मंत्रालय ने राष्ट्रीय न्यूनतम मज़दूरी की समीक्षा करने और उसकी पद्धति सुझाने के लिये वी.वी. गिरि राष्ट्रीय श्रम संस्थान के फैलो डॉ. अनूप सतपथी की अध्यक्षता में जनवरी 2017 में एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया था।
  • भारतीय वायुसेना के लिये पहली बार पश्चिमी वायु कमान के ऑटर्स (Otters) स्क्वाड्रन ने डॉर्नियर-228 विमान में संपूर्ण महिला चालक दल के साथ पैरेलल टैक्सी ट्रैक ऑपरेशन शुरू किया। विमान की पायलट स्क्वाड्रन लीडर कमलजीत कौर और उनकी सह-पायलट स्क्वाड्रन लीडर राखी भंडारी ने सिरसा में सफलतापूर्वक पैरेलल टैक्सी ट्रैक पर विमान को उड़ाया और उतारा। आपको बता दें कि पैरेलल टैक्सी ट्रैक ऑपरेशन बाधारहित कार्रवाई के लिये तब चलाया जाता है, जब शत्रु कार्रवाई या किसी अन्य कारण से रनवे उपलब्ध नहीं होता। यह कार्रवाई चुनौतीपूर्ण होती है, क्योंकि चालक को टैक्सी ट्रैक से ही विमान की उड़ान भरनी होती है और विमान को टैक्सी ट्रैक पर ही उतारना पड़ता है। यह ट्रैक रनवे की तुलना में कम चौड़ा होता है।
  • पर्यटन के क्षेत्र में भारत ने अर्जेंटीना और सऊदी अरब के साथ दो अलग-अलग समझौते किये हैं।  अर्जेंटीना के साथ हुए समझौते से दोनों देशों को पर्यटन क्षेत्र में संस्थागत तंत्र कायम करने और परस्पर सहयोग बढ़ाने में मदद मिलगी। दूसरी तरफ भारत के लिये सऊदी अरब पर्यटन के क्षेत्र में असीम संभावनाओं वाला देश है। सऊदी अरब के साथ समझौता होने से वहाँ से भारत आने वाले विदेशी सैलानियों में बढ़ोतरी की संभावना है। इस समझौते के तहत पर्यटन विकास, होटल, पयर्टक स्थलों और पर्यटन से जुड़ी सुविधाएँ, पर्यटन से जुड़े आँकड़े, दोनों देशों में पर्यटन पर आयोजित प्रदर्शनियाँ और पर्यटन संबंधी अन्य गतिविधियाँ शामिल हैं। इनके अलावा पर्यटन नियोजन और निवेश, लाइसेंस प्रणाली, पर्यटन सुविधाओं का परिचालन एवं विपणन, कृषि पर्यटन और रेगिस्तानी क्षेत्रों में पर्यटन संबंधी सूचनाओं तथा अनुभवों का आदान-प्रदान भी इसमें शामिल है।
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने झांसी में रक्षा उद्योग कॉरीडोर की आधारशिला रखी। यह देश में बन रहे दो रक्षा उद्योग कॉरीडोर्स में से एक है। बुंदेलखंड के विकास में यह कॉरीडोर बेहद महत्त्वपूर्ण सिद्ध होगा। इस कॉरीडोर में झांसी, चित्रकूट, लखनऊ, आगरा और अलीगढ़ क्षेत्र आएंगे। इसके निर्माण पर लगभग 20 हज़ार करोड़ रुपए की लागत आएगी और इसके बनने के बाद लगभग ढाई लाख रोज़गार सृजित होंगे। गौरतलब है कि देश को रक्षा उत्पादों में आत्मनिर्भर बनाने के लिये सरकार ने दो रक्षा कॉरीडोर्स बनाने का फैसला किया है, जिनमें से एक तमिलनाडु में बनाया जा रहा है और दूसरा उत्तर प्रदेश में।
  • नई दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में  क्रेडाई (CREDAI) के 'यूथकॉन-19' का आयोजन किया गया। 'यूथकॉन-19' की थीम ‘अगली पीढ़ी’ (Next Generation) रखी गई थी। यह क्रेडाई का तीसरा यूथकॉन (YouthCon: Annual Youth Conclave) था। आपको बता दें कि क्रेडाई देश के 200 से अधिक शहरों के रियल एस्टेट डेवेलपर्स का प्रतिनिधित्व करने वाली शीर्ष संस्था है। 1999 में स्थापित CREDAI का पूरा नाम Confederation of Real Estate Developers’ Associations of India है।
  • अंतर्राष्ट्रीय संस्था Save the Children International ने हाल ही में जारी अपनी नवीनतम रिपोर्ट में बताया है कि दुनिया के कई देशों में चल रहे संघर्ष और उसके दुष्प्रभावों के चलते हर साल लगभग एक लाख बच्चों की असमय मौत हो जाती है। युद्ध प्रभावित 10 देशों में 2013 से 2017 के बीच 5 वर्षों में साढ़े पाँच लाख बच्चों की मौत हुई। इन देशों में अफगानिस्तान, कांगो, इराक, सोमालिया, माली, नाइजीरिया, दक्षिण सूडान, सीरिया यमन और सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक शामिल हैं।
  • संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने भारत के चंद्रमौलि रामनाथन को कंट्रोलर, सहायक महासचिव (कार्यक्रम और योजना), बजट तथा वित्त विभाग में नियुक्त किया है। इसके साथ ही वह वित्त प्रबंध स्ट्रेटजी के कार्य की भी देखरेख करेंगे। इससे पहले वह संयुक्त राष्ट्र के कई विभागों में अपनी सेवाएँ दे चुके हैं। गौरतलब है कि चंद्रमौलि को वित्त, बजट, प्रबंधन और सूचना प्रौद्योगिकी के मामलों में चार दशकों का अनुभव है।

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