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डेली न्यूज़

  • 15 Sep, 2018
  • 31 min read
शासन व्यवस्था

मानव विकास सूचकांक में भारत 130 वें स्थान पर

चर्चा में क्यों?

हाल ही में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) द्वारा जारी नवीनतम मानव विकास सूचकांक (HDI) रिपोर्ट में भारत को कुल 189 देशों में से 130वाँ स्थान प्राप्त हुआ है, जबकि पिछले वर्ष भारत को इस सूचकांक में 131वाँ स्थान प्राप्त हुआ था।

HDI रिपोर्ट 2018 के आँकड़े

  • इस सूचकांक की वरीयता सूची में नॉर्वे, स्विट्ज़रलैंड, ऑस्ट्रेलिया, आयरलैंड और ज़र्मनी शीर्ष स्थानों पर हैं, जबकि सबसे निचले पायदान पर अफ्रीकी देश नाइज़र है।
  • दक्षिण एशिया में भारत का HDI का मान क्षेत्र के औसत 0.638 से अधिक है और भारत के पड़ोसी देश - बांग्लादेश और पाकिस्तान क्रमश: 136 और 150वें स्थान पर हैं।
  • वर्ष 1990 और 2017 के बीच भारत का HDI मान 427 से बढ़कर 0.640 हो गया, जिसमें लगभग 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
  • उल्लेखनीय है कि यह वृद्धि लाखों लोगों को गरीबी से मुक्ति दिलाने में देश की महत्त्वपूर्ण उपलब्धियों का संकेतक है।
  • वर्ष 2017 के लिये भारत का HDI मान 640 है, जिसके कारण देश को मध्यम विकास की श्रेणी में रखा गया है।
  • वर्ष 1990 से 2017 की अवधि में भारत में जीवन प्रत्याशा लगभग 11 साल बढ़ी है।
  • रिपोर्ट के मुताबिक स्कूली शिक्षा के मामले में भी स्थिति सुधरी है, जबकि 1990 और 2017 के बीच भारत की सकल राष्ट्रीय आय (GNI) प्रति व्यक्ति 6 प्रतिशत बढ़ी है।
  • इसके अलावा 189 देशों में से 59 देशों को उच्च मानव विकास की श्रेणी में, जबकि 38 देशों को  न्यूनतम मानव विकास की श्रेणी में शामिल किया गया है।
  • हालाँकि, असमानताओं के कारण भारत के HDI मान में 8 प्रतिशत की कमी हुई है, जो दक्षिण एशियाई पड़ोसियों (क्षेत्र के लिये औसत नुकसान 26.1 प्रतिशत) के मुकाबले ज्यादा है
  • इस रिपोर्ट में जेंडर इनइक्वेलिटी इंडेक्स के मामले में भारत 160 देशों की सूची में 127वें स्थान पर है और अपने पड़ोसी देश- बांग्लादेश और पाकिस्तान के मुकाबले उसने बेहतर प्रदर्शन किया है।
  • रिपोर्ट में असमानता को भारत के लिये प्रमुख चुनौती माना गया है। हालाँकि, भारत सरकार और विभिन्न राज्य सरकारों ने विभिन्न सामाजिक सुरक्षा उपायों के माध्यम से यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया है कि आर्थिक विकास के लाभ को व्यापक रूप से साझा किया जाए।

HDI के बारे में

  • HDI मानव विकास के तीन बुनियादी आयामों (लंबा एवं स्वस्थ जीवन, ज्ञान तक पहुँच तथा जीवन जीने का एक सभ्य स्तर) द्वारा प्रगति का आकलन करने का एक वैश्विक मानक है।
  • इसे प्रसिद्ध अर्थशास्त्री महबूब-उल-हक द्वारा बनाया गया था, जिसका 1990 में अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन द्वारा समर्थन किया गया और बाद में इसे संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) द्वारा प्रकाशित किया गया।


शासन व्यवस्था

परिवार कल्याण समिति दहेज के उत्पीड़न मामलों का मूल्यांकन नहीं कर सकती : उच्चतम न्यायालय

चर्चा में क्यों?

हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने आईपीसी की धारा 498 A दहेज प्रताड़ना संबंधी अपने जुलाई 2017 के आदेश को संशोधित किया है।

क्या है हालिया निर्णय?

  • उच्चतम न्यायालय ने धारा 498 A दहेज प्रताड़ना संबंधी मामलों में गिरफ्तारी हो या नहीं यह तय करने का अधिकार पुलिस को वापस दे दिया है।
  • उल्लेखनीय है कि न्यायालय ने अपने पुराने फैसले को पलटते हुए कहा है कि दहेज उत्पीड़न के मामले में आरोपियों की गिरफ्तारी में अब परिवार कल्याण समिति की कोई भूमिका नहीं होगी। न्यायालय का कहना है कि ऐसे पैनलों की स्थापना आपराधिक प्रक्रिया संहिता से परे है।
  • हालाँकि,उच्चतम न्यायालय ने कहा कि पति और उसके रिश्तेदारों के सरंक्षण के लिये जमानत के संदर्भ में अभी भी अदालत के पास शक्तियाँ मौजूद है।
  • उच्चतम न्यायालय ने कहा कि न्यायालय इस तरह के आपराधिक मामलों की जाँच के लिये सिविल कमेटी नियुक्त नहीं कर सकता, इसकी इज़ाज़त नहीं दी जा सकती।
  • इस फैसले के बाद पुलिस अब इसके तहत किसी महिला की शिकायत पर उसके पति और ससुराल वालों को तुरंत गिरफ्तार भी कर सकती है।
  • यह फैसला मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस ए.एम.खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने सुनाया है।
  • उच्चतम न्यायालय ने कहा कि हर राज्य के DGP इस मुद्दे पर पुलिस अफसरों व कर्मियों में जागरुकता फैलाएँ और उन्हें बताया जाए कि उच्चतम न्यायालय ने गिरफ्तारी को लेकर जो निर्णय दिया है वह क्या है, साथ ही न्यायालय ने हर राज्य के पुलिस महानिदेशक को ऐसे अधिकारियों को कठोर प्रशिक्षण प्रदान करने का आदेश दिया।

NCRB के डेटा

  • मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने तर्क दिया कि 27 जुलाई के आदेश को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारकों में से एक राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड्स ब्यूरो ( NCRB) द्वारा प्रकाशित आँकड़े थे, जिसमें उल्लेख किया गया था कि केवल वर्ष 2012 में ही दहेज़ उत्पीड़न के लिये 1,97,762 पति औरउसके  रिश्तेदारों को गिरफ्तार किया गया था।
  • मुख्य न्यायाधीश ने तर्क दिया कि दोष धारा 498A के साथ नहीं है, जिसे 1983 में संसद द्वारा विवाहित महिलाओं की दहेज के खिलाफ सुरक्षा के लिये पेश किया गया था।
  • दरअसल, बुराई पुलिस को प्राप्त गिरफ्तारी के अधिकार के दुरुपयोग से जुड़ी है, जो इस पर विचार से सम्राटों की तरह व्यवहार करते हैं कि वे कुछ भी कर सकते हैं"
  • उल्लेखनीय है कि IPC की धारा 498A एक संज्ञेय यानी गैर-जमानती अपराध है।

सामाजिक न्याय

राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन ने जारी की HIV आकलन रिपोर्ट 2017

चर्चा में क्यों?

हाल ही में राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (National AIDS Control Organisation- NACO) ने HIV आकलन रिपोर्ट 2017 जारी की।

HIV आकलन रिपोर्ट 2017 के अनुसार

  • 2017 में भारत में HIV पीड़ित लोगों (PLHIV) की संख्‍या लगभग 21.40 लाख थी, इनमें वयस्‍क पीड़ित की संख्‍या 0.22 फीसदी थी।
  • वर्ष 2017 में HIV संक्रमण के लगभग 87,580 नए मामले सामने आए और 69,110 लोगों की एड्स से संबंधित बीमारियों से मौत हुई।
  • इस दौरान माँ से बच्‍चों में HIV के संक्रमण को रोकने के लिये 22,675 माताओं को एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी (ART) की ज़रूरत पड़ी। एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी (ART) शरीर में HIV वायरस को बढ़ने से रोकती है।
  • राष्‍ट्रीय स्‍तर पर HIV के फैलने की गति कम रही, लेकिन देश के कुछ भौगोलिक क्षेत्रों और कुछ खास समुदायों में इस महामारी में वृद्धि हुई है।
  • हाल के वर्षों की तुलना में HIV संक्रमण के नए मामलों की गति में कमी आई है।
  • 1995 में एड्स महामारी की अधिकता की तुलना में कार्यक्रम के प्रभाव से इसके संक्रमण में 80 फीसदी से अधिक की कमी आई है।
  • इसी तरह 2005 में एड्स के कारण हुई मौतों की अधिकता की तुलना में 71 फीसदी की कमी आई है।
  • UN-एड्स 2018 की रिपोर्ट के अनुसार, एड्स के नए संक्रमण और एड्स से संबंधित बीमारियों के कारण मौतों का वैश्विक औसत घटकर क्रमश: 47 फीसदी और 51 फीसदी तक आ गया है।

HIV आकलन रिपोर्ट के बारे में

  • राष्‍ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम (National AIDS Control Programme- NACP) के तहत HIV आकलन रिपोर्ट, HIV श्रृंखला का 14वाँ संस्‍करण है।
  • यह भारतीय चिकित्‍सा अनुसंधान परिषद और राष्‍ट्रीय चिकित्‍सा सांख्यिकीय संस्‍थान के सहयोग से द्विवार्षिक HIV आकलन रिपोर्ट जारी करता है।
  • भारत में HIV आकलन का पहला संस्‍करण 1998 में आया था, जबकि पिछला संस्‍करण वर्ष 2015 में जारी हुआ था।
  • HIV आकलन का उद्देश्‍य भारत में राष्‍ट्रीय और राज्‍य/केंद्रशासित प्रदेश स्‍तर पर HIV महामारी की स्थिति की अद्यतन सूचना उपलब्‍ध कराना है।

HIV आकलन की आवश्यकता

  • ऐसे आकलन की ज़रूरत इसलिये पड़ती है, क्‍योंकि ऐसे महत्त्वपूर्ण संकेतकों को मापने का कोई भरोसेमंद उपाय नहीं है, जिनका इस्‍तेमाल दुनिया भर के देशों में महामारी की निगरानी करने और इस दिशा में उठाए जाने वाले कदमों के आकलन के लिये किया जाता है।

राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन

  • राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय का एक प्रभाग है जो 35 HIV/एड्स रोकथाम और नियंत्रण समितियों के माध्यम से भारत में HIV/एड्स नियंत्रण कार्यक्रम के लिये नेतृत्व प्रदान करता है।
  • 1986 में, देश में पहले एड्स मामले की पहचान के बाद, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय एड्स समिति गठित की गई थी।
  • एड्स के विस्तार के साथ ही भारत में इसके प्रति जागरुकता लाने तथा रोकथाम के उपाय अपनाने के लिये एक राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम चलाने की ज़रूरत महसूस होने लगी।
  • 1992 में भारत का पहला राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम (1992-1999) शुरू किया गया था और कार्यक्रम को लागू करने के लिये राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (NACO) का गठन किया गया था।

भारतीय अर्थव्यवस्था

रुपए की कीमतों में स्थिरता लाने और चालू खाता घाटे को रोकने के लिये उपायों की घोषणा

चर्चा में क्यों?

सरकार ने पाँच उपायों वाली एक श्रृंखला की घोषणा की है जिसका लक्ष्य रुपये की कीमत में स्थिरता लाना और चालू खाता घाटा जो कि जून तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद का 2.4% तक पहुँच गया था, में कमी लाना है।

सरकार द्वारा घोषित पाँच उपाय

1. गैर-आवश्यक आयात में कमी : चालू खाता घाटा (जो अगस्त में 17.4 बिलियन डॉलर था) को कम करने के लिये सरकार गैर-आवश्यक सामानों के आयात में कमी लाने का प्रयास करेगी।

2. विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों पर लगे प्रतिबंधो की समीक्षा : कॉर्पोरेट ऋण बाज़ार में अधिक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों को आकर्षित करने के लिये सरकार उनके निवेश पर लगे निम्नलिखित दो प्रतिबंधों की समीक्षा करेगी:

  • एक कॉर्पोरेट इकाई में FPI द्वारा किया जाने वाला निवेश उनके कॉर्पोरेट बॉण्ड पोर्टफोलियो के 20% से अधिक नहीं हो सकता है।
  • FPI जारी किये गए किसी भी कॉर्पोरेट बॉण्ड में 50% से अधिक निवेश नहीं कर सकते हैं।

3. मसाला बॉण्ड जारी करने वाले बैंकों से हटाए जाएंगे प्रतिबंध : भारतीय निगमों को मसाला बॉण्ड की खरीद में वृद्धि करने के लिये सरकार 31 मार्च, 2019 तक मसाला बॉण्ड जारी करने वाले सभी बैंकों को छूट प्रदान करेगी।

  • मसाला बॉण्ड भारत के बाहर जारी किये गए बॉण्ड होते हैं, लेकिन स्थानीय मुद्रा की बजाय इन्हें भारतीय मुद्रा में निर्दिष्ट किया जाता है।
  • डॉलर बॉण्ड के विपरीत (जहाँ उधारकर्त्ता को मुद्रा जोखिम उठाना पड़ता है)  मसाला बॉण्ड में निवेशकों को जोखिम उठाना पड़ता है।
  • नवंबर 2014 में विश्व बैंक के इंटरनेशनल फाइनेंस कॉरपोरेशन द्वारा पहला मसाला बॉण्ड जारी किया गया था।

4. विनिर्माण कंपनियों को 5 करोड़ डॉलर तक की ईसीबी को एक्सेस करने की अनुमति : ECB के माध्यम से 50 मिलियन डॉलर तक की उधार लेने वाली विनिर्माण कंपनियाँ केवल एक वर्ष की अवधि के लिये ऐसा करने में सक्षम होंगी। उल्लेखनीय है कि पहले यह अनुमति तीन साल की अवधि के लिये थी।

5. बाह्य वाणिज्यिक उधार के संदर्भ में आधारभूत संरचना ऋण हेतु अनिवार्य हेजिंग शर्तों की समीक्षा : बाह्य वाणिज्यिक उधार (External Commercial Borrowing- ECB) मार्ग के माध्यम से आधारभूत संरचना ऋण के लिये अनिवार्य हेजिंग (वित्तीय हानि से बचाव) स्थितियों की समीक्षा की जाएगी ।

उल्लेखनीय है कि वर्तमान में इन ऋणों को संभालने के लिये उधारकर्त्ताओं पर कोई बाध्यता नहीं है।


विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

चिलर स्टार लेबलिंग कार्यक्रम

चर्चा में क्यों?

भारत सरकार के ऊर्जा मंत्रालय ने देश भर में कम ऊर्जा खपत वाली चिलर प्रणालियाँ लगाने को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से चिलर (Chiller) स्टार लेबलिंग कार्यक्रम की शुरुआत की है।

कार्यक्रम के बारे में

  • चिलर स्टार लेबलिंग कार्यक्रम को ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (BEE) ने तैयार किया है।
  • इस कार्यक्रम के तहत इनके द्वारा ऊर्जा की खपत करने की दृष्टि से इन्हें स्टार रेटिंग प्रदान करने की परिकल्पना की गई है।
  • आरंभ में इस कार्यक्रम को स्वैच्छिक आधार पर शुरू किया गया है और यह 31 दिसंबर, 2020 तक मान्य रहेगा।

उर्जा दक्षता ब्यूरो (BEE)

  • भारत सरकार ने ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001 के उपबंधों के अंतर्गत 1 मार्च, 2002 को ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (BEE) की स्थापना की।
  • ऊर्जा दक्षता ब्यूरो का मिशन, ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001 के समग्र ढाँचे के अंदर स्व-विनियमन और बाज़ार सिद्धांतों पर महत्त्व देते हुए ऐसी नीतियों और रणनीतियों के विकास में सहायता प्रदान करना है जिनका प्रमुख उद्देश्य भारतीय अर्थव्यवस्था में ऊर्जा की गहनता को कम करना है।

स्टार लेबलिंग प्रक्रिया

  • BEE ने इस पहल के तहत आसान एवं त्वरित मंज़ूरी के लिये एक ऑनलाइन पंजीकरण प्लेटफॉर्म विकसित किया है।
  • निर्मातागण चिलर उपकरण की उपयुक्त स्टार रेटिंग से लाभ उठाने के लिये ऑनलाइन पंजीकरण करा सकते हैं।
  • नामित एजेंसियों से प्राप्त परीक्षण प्रमाण-पत्र के साथ-साथ BEE की ओर से निर्धारित सत्यापन हो जाने के बाद स्टार लेबल (1 से लेकर 5 तक) प्रदान किया जाएगा।
  • ‘5 स्टार’ प्राप्त करने वाले उपकरण को सबसे कम ऊर्जा खपत वाला चिलर माना जाएगा।

चिलर क्या है?

  • चिलर एक मशीन है जो वाष्प-संपीड़न (vapour-compression) या अवशोषण प्रशीतन चक्र (absorption refrigeration cycle) के माध्यम से द्रव से गर्मी को हटा देती है।
  • चिलर का व्यापक उपयोग भवनों में अंतर्निहित जगह के वातानुकूलन और औद्योगिक प्रक्रिया से जुड़ी कूलिंग में किया जाता है।

कार्यक्रम की आवश्यकता

  • चूँकि चिलर को ऊर्जा गहन प्रणाली माना जाता है, इसलिये वाणिज्यिक भवनों में 40 प्रतिशत से भी अधिक ऊर्जा की खपत चिलर ही करते हैं। इसे ध्यान में रखते हुए चिलर ऊर्जा की खपत को कम करना और इसके इस्तेमाल करने वालों के बीच जागरूकता पैदा करना आवश्यक है, ताकि लोग कम ऊर्जा खपत वाले चिलर का इस्तेमाल करने की ओर अग्रसर हो सकें।

दृष्टि द विज़न

सर्वोच्च न्यायालय ने भारत के कुष्ठ रोग मुक्त होने पर उठाया सवाल

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के नेतृत्व में एक न्यायपीठ ने अपने 22-पन्नों के फैसले में बताया कि हालाँकि 31 दिसंबर, 2005 को देश को कुष्ठ रोग मुक्त घोषित किया गया था, लेकिन वास्तविकता "पूरी तरह से अलग" है।

प्रमुख बिंदु

  • सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि भारत ने कुष्ठ रोग को "वास्तविकता से कम करके आँका” और 18 वर्षों तक इलाज योग्य इस बीमारी को खत्म करने के लिये उल्लिखित धनराशि का उपयोग अन्य कार्यों हेतु किया है।
  • सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय कुष्ठ रोग उन्मूलन कार्यक्रम (NLEP) की प्रगति रिपोर्टों को संदर्भित किया है जो यह दर्शाती हैं कि देश के कुल 642 ज़िलों में से केवल 543 ज़िलों ने विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा अपेक्षित कुष्ठ संबंधी लक्ष्य को प्राप्त किया है।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन के लक्ष्य के अनुसार, कुष्ठ रोग के प्रसार की दर 10000 लोगों पर एक मामले से भी कम होनी चाहिये।

पीड़ा अभी भी जारी है

  • मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने फैसले में लिखा, “कुष्ठ रोग के मामलों को कम करके आँकने और कुष्ठ रोग उन्मूलन की घोषणा के परिणामस्वरूप इसका सामान्य स्वास्थ्य सेवाओं के साथ एकीकरण हुआ है जिस कारण इससे संबंधित निधि का उपयोग अन्य कार्यों हेतु किया जाने लगा अन्यथा वह निधि कुष्ठ रोग को खत्म करने के लिये समर्पित होती।"
  • इस दौरान मरीज़ और उनके परिवार कुष्ठ रोग और इसके कलंक से पीड़ित रहे। उन्हें भोजन के मौलिक अधिकार से भी वंचित किया जाता है। उन्हें अंत्योदय अन्न योजना (एएई) जैसी विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिये बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे) कार्ड जारी नहीं किये गए हैं। वे आवास, बुनियादी नागरिक सुविधाओं, पर्याप्त स्वच्छता सुविधाओं और पुनर्वास कार्यक्रमों का लाभ प्राप्त करने से वंचित हैं।
  • न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर और डी.वाई. चंद्रचूड़ के साथ मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की इस पीठ ने कहा कि “वर्तमान में कुष्ठ रोग से पीड़ित अधिकांश जनसंख्या समाज में एक हाशिये पर खड़े वर्ग के रूप में रह रही है, यहाँ तक कि वे मूल मानव अधिकारों से भी वंचित हैं। यह स्पष्ट रूप से समानता के मौलिक अधिकार और गरिमा के साथ जीने के अधिकार का उल्लंघन करता है।”

कुष्ठ रोग क्या है?

  • कुष्ठ रोग, दीर्घकालिक संक्रामक रोग है, जो कि बेसिलस, माइकोबैक्टेरियम लेप्री (एम. लेप्री) के कारण होता है। संक्रमण होने के बाद औसतन पाँच साल की लंबी अवधि के पश्चात् सामान्यत: रोग के लक्षण दिखाई देते हैं, क्योंकि एम. लेप्री धीरे-धीरे बढ़ता है। यह मुख्यत: मानव त्वचा, ऊपरी श्वसन पथ की श्लेष्मिका, परिधीय तंत्रिकाओं, आँखों और शरीर के कुछ अन्य हिस्सों को प्रभावित करता है।
  • रोग को पॉसीबैसीलरी (PB) या मल्टीबैसीलरी (MB) के रूप में वर्गीकृत किया जाता है, जो कि बैसीलरी लोड पर निर्भर करता है। PB कुष्ठ रोग एक हल्का रोग है, जिसे कुछ (अधिकतम पाँच) त्वचा के घावों (पीला या लाल) द्वारा पहचाना जाता है। जबकि MB कई (अधिक-से-अधिक) त्वचा के घावों, नोड्यूल, प्लाक/प्लैक, मोटी त्वचा या त्वचा संक्रमण से जुड़ा है।

राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम (NLEP)

  • वर्ष 1955 में सरकार ने राष्ट्रीय कुष्ठ रोग नियंत्रण कार्यक्रम शुरू किया था। वर्ष 1982 से मल्टी ड्रग थेरेपी की शुरुआत के बाद, देश से कुष्ठ रोग के उन्मूलन के उद्देश्य से वर्ष 1983 में इसे राष्ट्रीय कुष्ठ रोग उन्मूलन कार्यक्रम (NLEP) के रूप में बदल दिया गया।
  • वर्ष 2005 में हालाँकि राष्ट्रीय स्तर पर कुष्ठ रोग का उन्मूलन किया गया; लेकिन अब भी विश्व के लगभग 57% कुष्ठ रोगी भारत में रहते हैं। कुल 682 ज़िलों में से 554 ज़िलों (81.23%) ने मार्च 2017 तक कुष्ठ रोग उन्मूलन का लक्ष्य प्राप्त कर लिया है।
  • रोग के मामले की शीघ्र जानकारी और उपचार, रोग उन्मूलन की कुंजी है, क्योंकि समुदाय में जल्दी कुष्ठ रोगियों का पता लगाने से संक्रमण के स्रोतों में कमी आएगी और रोग का संचारण भी रुकेगा। ‘आशा कार्यकत्री’, इस रोग के मामलों का पता लगाने में मदद कर रही है और सामुदायिक स्तर पर संपूर्ण उपचार भी सुनिश्चित कर रही है; इसके लिये उसे प्रोत्साहन राशि का भुगतान किया जा रहा है।

प्रारंभिक परीक्षा

प्रीलिम्स फैक्ट्स 15 सितंबर 2018

ग्रेट इंडियन बस्टर्ड

ग्रेट इंडियन बस्टर्ड देश का सर्वाधिक संकटग्रस्त पक्षी है तथा राजस्थान सरकार इसकी आबादी को संरक्षित करने का प्रयास कर रही है| आईयूसीएन रेड लिस्ट के अनुसार, वर्ष 1969 में ग्रेट इंडियन बस्टर्ड पक्षी की आबादी लगभग 1,260 थी और वर्तमान में इनकी कुल संख्या अनुमानतः 200 से भी कम है।

  • जब भारत के ‘राष्ट्रीय पक्षी’ के नाम पर विचार किया जा रहा था, तब ‘ग्रेट इंडियन बस्टर्ड’  का नाम भी प्रस्तावित किया गया था जिसका समर्थन प्रख्यात भारतीय पक्षी विज्ञानी सलीम अली ने किया था।
  • लेकिन ‘बस्टर्ड’ शब्द के गलत उच्चारण की आशंका के कारण ‘भारतीय मोर’ को राष्ट्रीय पक्षी चुना गया था।
  • ‘ग्रेट इंडियन बस्टर्ड’ भारत और पाकिस्तान की भूमि पर पाया जाने वाला एक विशाल पक्षी है।
  • यह विश्व में पाए जाने वाली सबसे बड़े उड़ने वाले पक्षी प्रजातियों में से एक है।
  • ‘ग्रेट इंडियन बस्टर्ड’ को भारतीय चरागाहों की पताका प्रजाति (Flagship species) के रूप में जाना जाता है।
  • इस पक्षी का वैज्ञानिक नाम आर्डीओटिस नाइग्रीसेप्स (Ardeotis nigriceps) है, जबकि मल्धोक, घोराड येरभूत, गोडावण, तुकदार, सोन चिरैया आदि इसके प्रचलित स्थानीय नाम हैं।
  • ‘ग्रेट इंडियन बस्टर्ड’ राजस्थान का राजकीय पक्षी भी है, जहाँ इसे गोडावण नाम से भी जाना जाता है।
  • ‘ग्रेट इंडियन बस्टर्ड’ की जनसंख्या में अभूतपूर्व कमी के कारण अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति एवं प्राकृतिक संसाधन संरक्षण संघ (International Union for Conservation of Nature and Natural Resources) ने इसे संकटग्रस्त प्रजातियों में भी ‘गंभीर संकटग्रस्त’ (Critically Endangered) प्रजाति के तहत सूचीबद्ध किया है।
फ्लोरेंस तूफ़ान

हाल ही में अमेरिका के पूर्वी तटों पर एक तूफान ने दस्तक दी जिसे फ्लोरेंस नाम दिया गया है। उल्लेखनीय है कि इस तूफ़ान की उत्पत्ति पश्चिम अटलांटिक महासागर से हुई है।

  • इस तूफान के चलते अमेरिका ने नार्थ तथा साउथ कैरोलिना के साथ-साथ वर्जीनिया में भी आपातकाल घोषित कर दिया है।
राजभाषा कीर्ति पुरस्कार

राजभाषा नीति के श्रेष्ठ कार्यान्वयन के लिये रेल मंत्रालय को राजभाषा कीर्ति पुरस्कार  के तहत प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ है।

  • यह पुरस्कार भारत हिंदी दिवस (14 सितंबर) के अवसर पर विज्ञान भवन, नई दिल्ली में आयोजित पुरस्कार वितरण समारोह के दौरान दिया गया।
  • राजभाषा नीति के सर्वश्रेष्ठ कार्यान्वयन के परिणामस्वरुप राजभाषा के प्रयोग में बेहतर प्रगति दर्ज करने वाले कार्यालयों को राजभाषा शील्ड देकर सम्मानित किया जाता है।
  • पुरस्कारों का निर्णय राजभाषा नीति के कार्यान्वयन से संबंधित तिमाही प्रगति रिपोर्टों के आधार पर किया जाता है।
  • यह समीक्षा राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा की जाती है।
  • हिंदी दिवस के अवसर पर हिंदी के स्वाध्याय के लिये ‘प्रवाह’ एप और ऑनलाइन हिंदी अनुवाद के लिये ‘कंठस्थ’ को भी लॉन्च किया गया।
एम. विश्वेश्वरैया

महान इंजीनियर एम.विश्वेश्वरैया की 157वीं जयंती के अवसर पर गूगल ने डूडल बनाकर उन्हें याद किया है।

  • एम.विश्वेश्वरैया जिनका पूरा नाम मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया था, का जन्म 15 सितंबर, 1861 को मैसूर (कर्नाटक) के 'मुद्देनाहल्ली' नामक स्थान पर हुआ था।
  • उनके जन्मदिन को पूरे भारत में इंजीनियर्स डे (अभियंता दिवस) के रूप में मनाया जाता है।
  • उनके इंजीनियरिंग के असाधारण कार्यों में मैसूर शहर में कन्नमबाड़ी या कृष्णराज सागर बांध बनाना एक महत्त्वपूर्ण कार्य था। इसकी योजना सन् 1909 में बनाई गई थी और सन् 1932 में यह पूरा हुआ।
  • उन्होंने नई ब्लॉक प्रणाली का आविष्कार किया, जिसके अंतर्गत स्टील के दरवाज़े बनाए गए जो बांध के पानी के बहाव को रोकने में मदद करते थे।
  • ये मैसूर के दीवान भी रहे।
  • विश्वेश्वरैया ने दक्षिण बंगलूरू में जयनगर के पूरे क्षेत्र का डिज़ाइन और प्लान किया था। जयनगर की नींव 1959 में रखी गई थी। माना जाता है कि उनके द्वारा डिज़ाइन किया गया यह क्षेत्र एशिया में सबसे अच्छे नियोजित क्षेत्रों में से एक था।
  • उन्होंने 'भारत का पुनर्निर्माण' (1920), 'भारत के लिये नियोजित अर्थ व्यवस्था' (1934) नामक पुस्तकें लिखीं और भारत के आर्थिक विकास का मार्गदर्शन किया।
  • उनके द्वारा किये गए उत्कृष्ट कार्यों के लिये भारत सरकार ने उन्हें वर्ष 1955 में भारत रत्न से सम्मानित किया। उन्हें ब्रिटिश नाइटहुड अवार्ड से भी सम्मानितकिया गया था।
  • 14 अप्रैल, 1962 को उनका स्वर्गवास हो गया।

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